Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
09-02-2021, 03:57 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रीमा की चूत का नाम आते ही जग्गू का गुस्सा काफूर हो गया ..............उसकी आंखों में फिर से एक बार सपने तैर गए | ये देख प्रियम ने एक कुटिल मुस्की मारी | जग्गू ने अपने अंतरूनी प्रतिरोध को दबाते हुए रीमा के जोर से झुकता चला गया |

उसने अपने गांड की गंध से बसाते रबर लंड के लिए अपने मुंह को हल्का सा खोल दिया | रीमा ने जोर से उसके बालो को पकड़ा और उसके मुंह में अपने लंड पर ठेल दिया | रीमा के अंदर जग्गू को लेकर कितनी नफरत भरी थी ये सिर्फ रीमा जानती थी आज जग्गू अपनी ही गांड के रस से सने हुए लंड उसी के मुहँ में घुसेड़ कर बहुत खुसी हो रही थी उसके दिमाग के लिए इससे ज्यादा सुकून वाला पल कोई नहीं था वह जग्गू को इस तरह से अपमानित कर रही थी जैसे जग्गू को पता भी नहीं चल रहा था और जब वह अपनी जिंदगी के सबसे नीच काम भी कर रहा था | जग्गू की नाक में उसकी गांड में गए लंड की गांड बहुत तेज आ रही थी और उसे बहुत बुरा लग रहा था लेकिन रीमा ने कसकर उसके सर को थाम रखा था जिससे कि ना चाहते हुए भी अपने मुंह से वो लंड लेना पड़ रहा था | जग्गू इस समय असहाय सा हो गया था रीमा उसकी इस असहाय असहाय पन को देखकर के अंदर ही अंदर बहुत ज्यादा खुस हो रही थी | आज उसने जग्गू को उस स्थान पर लाकर पटक दिया था जहां से उसके लिए अपनी आंखों में आंखें मिला कर के शीशे के सामने खड़े हो पाना भी नामुमकिन था रीमा जग्गू से ऐसा बदला ले रही था जिसकी भरपाई कर पाना लगभग नामुमकिन था | वो पहले ही प्रियम की गांड का लंड चूस चूका था और कब खुद उसकी गांड के रस से सने हुए लंड को उसके मुंह में रीमा ने घुसा दिया उसे पता ही नहीं चला | जग्गू तो जैसे रीमा के हुस्न के मोह पाश में बंधा हुआ मंत्रमुग्ध होकर के उसका गुलाम बन गया था वो वही कर रहा था जो रीमा कह रही थी उसमें किसी तरह से उस लंड को चुसना शुरू कर दिया और फिर ढेर सारी लार निकालकर उस काले मोटे लंड को गीला कर दिया | उसके बाद रीमा ने जग्गू के पीछे आ गई और उसकी गांड में लंड को पेल दिया और उसके सख्त हाथ को उसी के लंड पर रखकर उसे ही हिलाने का इशारा करने लगी |

जग्गू तेजी से अपने लंड को हिलाने लगा और अपनी गांड में जा रहे हैं रीमा के मोटे काले लंड से होने वाले दर्द को बर्दाश्त करने लगा | अभी तक उनको यकीन ही नहीं हो रहा था रीमा ये सब क्या करवा रही है उससे | उसे समझ में ही नहीं आ रहा था आखिर उसके साथ ये सब हो क्या रहा है बस वह रीमा का गुलाम बना रीमा की आंखों में आंखें डाल वही कर रहा था जो भी वो जग्गू से करवाना चाह रही थी | रीमा ने जैसे-तैसे तेज झटके लगाने शुरू कर दिए लेकिन जग्गू की गांड पूरी तरह से खुली नहीं थी इसलिए रीमा को बहुत जोर लगाना पड़ा था इसके बाद रीमा ने जग्गू को कसकर पकड़ कर के अपने लंड को जग्गू की गांड में अंदर तक घुसाने का जतन करने लगी और आठ-दस बार जोर लगाने के बाद में उसका पूरा का पूरा प्लास्टिक का लंड जग्गू की गांड में पूरी तरह से समा गया इसके बाद रीमा ने उसकी गांड को फुल स्पीड में मारना शुरू कर दिया था | वो वह थकी हुई थी लेकिन बदले की आग उसकी थकान पर हावी थी ................ जग्गू को इस तरह से मारने अपमानित करने के आत्म संतोष के कारण उसका जोश हाई था उसने जग्गू को बहुत अच्छे से गांड मारना शुरू कर दिया उसने जग्गू को उल्टा लिटाया उसके यहां मोटर उसके खड़े हुए लंड को अपने हाथ से पकड़ कर के और बेदर्दी से अपने लंड को उसकी गांड में पेलने लगी | जग्गू की गांड का छेद भी पूरी तरह से खुल चुका था , लगातार लगते धक्को से उसकी गांड में बहुत तेज दर्द हो रहा था लेकिन रीमा को इन सब से कोई परवाह नहीं की | वो तेजी से अपनी कमर को पूरे पूरे लंबे-लंबे झटके देकर अपने मोटे प्लास्टिक के लंड को जग्गू की गांड में गहराई तक पेल रही थी इतनी गहराई तक कि उसकी गांड के अंतिम छोर पर जाकर टकरा रहा था | साथ ही साथ उसके खड़े लंड को बहुत तेजी से मुठिया रही थी | जग्गू भी हैरान परेशान थे एक तरफ तो उसक लंड मसला जा रहा था और दूसरी तरफ उसकी गांड मारी जा रही थी जिसमें दर्द हो रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था उसके साथ क्या हो रहा है कैसे हो रहा है |

जग्गू रीमा के आगे लेटा हुआ अपनी गांड मरवा रहा था उसके बाद रीमा ने उसकी पोजीशन बदल दी और उसको घुटनों के बल खड़ा करके उसके पीछे आ गई उसे पता था जग्गू की सूखी गांड मारने में उसे भी बहुत दर्द हो रहा है, लेकिन बदले की आग उसकी अन्दर भरी हुई थी, वो बिना जग्गू की परवाह किये पूरा का पूरा उसके गांड में गुसा देती | जग्गू के मुंह से एक लंबी कराह निकल जाती | रीमा ने बेतहाशा धक्के मारने शुरू कर दिए | जग्गू की तो फट के हाथ में आ गयी | रीमा ने उसी पोजीशन में जग्गू की गांड मारने शुरू कर दी और दे दना दन तक को के धक्कों से जग्गू की गांड का पुर्जा पुर्जा हिला के रख दिया | रीमा बुरी तरह से हांफ रही लेकिन उसके झटके की स्पीड कम ही नहीं हो रही थी | जग्गू हैरान था आखिर रीमा मैडम थक क्यों नहीं |रीमा सटासट पूरी तरह से जग्गू की गांड में लंड पेल उसकी गांड थी उसका मोटा काला प्लास्टिक का लंड सटासट जग्गू की गांड में जा रहा था यह देखकर राजू और प्रियम दोनों बहुत ही खुश हो रहे थे क्योंकि कुछ देर पहले जग्गू ने ही रीमा को उनकी गांड मारने के लिए उकसाया था | दोनों बहुत खुश थे कि कम से कम अब जग्गू उनके सामने अपनी डींगे नहीं मार पाएगा | औरे रीमा ने तीनो की गांड मारकर सबका हिसाब बराबर कर दिया था | इसके बावजूद वो चाहते थे की रीमा बुरी तरह से उसकी गांड को कुचल कुचल कर उसका भरता बना दे ताकि जग्गू के अंदर की जो अकड़न है जो रौब वो दूसरो पर जमाता वह हमेशा के लिए खत्म हो जाए | वह इस तरह से जग्गू को लाचार और बेबस देखकर बहुत ही खुश हो रहे थे |
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09-02-2021, 04:01 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रीमा में जोश भरते हुए राजू बोला - रीमा मैडम आप बहुत आचे से गाड़ मारती है देखिये न जग्गू कैसे मजे से सरोबार हो रहा है |

जग्गू को अपनी गांड में भी अभी भी दर्द हो रहा था | लंड जाने की कसक तो राजू और प्रियम की गांड में भी महसूस हो रही थी लेकिन इस समय उनके सामने जो था उस दृश्य को देखकर बहुत ही ज्यादा खुश हो रहे थे जग्गू के तो जैसे हाथ पैर ढीले हो गए थे | इतने मोटे करारे रबर के लंड से रीमा ने भीषण ठोकरे मार मार कर जागु की गांड की सारी अकड़ निकाल दी थी | उसके अन्दर भरा सारा जोश धुंवा हो गया | वो रीमा का सेक्स स्लेव बन चूका था | रीमा के मोटे लंड से अपनी गांड को चीरते हुए देखकर उसकी असरी अकड़ गायब हो गयी | अब तो उसके हाथ पाँव में कमजोरी आने लगी थी, वो कांपने लगा था | रीमा ने उसे जब कांपते हुए देखा तो उसे लगा यह किसी और तो उसने जग्गू को उसी सी पोजीशन में पेट के बल लिटा दिया | और उसके चूतड़ों के पास आकर अपने लंड को उसकी गांड पर रख कर अन्दर पेल दिया | रीमा का रबर का लंड सरसराता हुआ जागु की गांड में घुस गया |

जग्गू पेट के बल पूरी तरह से सीधा लेट नीचे की तरफ लेटा हुआ था और रीमा उसके ऊपर बैठी हुई उसकी गांड में लंड को धीरे धीरे हौले हौले से अपने पूरे लंड को उसकी गांड में घुसेड़ रही थी | उसे पता था अगर उसने ज्यादा जोर से जग्गू की गांड मारदी तो अभी यहीं पर हथियार डाल देगा इसलिए वो आइस्ते से लंड पेल कर लंबा खेल खेलना चाहती थी |
रीमा - जग्गू अभी भी दर्द हो रहा है क्या बच्चे |
जागु कराहता हुआ - थोडा थोडा |
रीमा - मेरा लंड कैसा महसूस हो रहा है गांड में |
जग्गू - मजा आ रहा है रीमा मैडम | गांड मरवाना तकलीफ जरुर होता हिया लेकिन इसमें भी मजा आता है ये मुझे नहीं पता था |
रीमा - लडके तुझे मजा आ रहा है |
जग्गू - हाँ मैडम, आपके नाजुक बदन की नरम नरम जांघो का स्पर्श और आपका मोटा लंड .............. ऐसा लग रहा है जैसे जानत में ही पंहुच गया हूँ |
रीमा जग्गू के मुहँ से ये सुनकर जलभुन गयी , उसने एक जोरदार झटका जग्गू की गांड पर दे मारा | रीमा - कैसा लगा |
जग्गू - आःह्ह्ह मैडम आपने तो चीर ही दी इस बार |
रीमा - अच्छा बताओ तुम भी तो मुझे ख्वाब देखते थे चोदने के, कैसे चोदना चाहते थे मुझे |
जग्गू - आह मैडम अब क्या बताऊ, आप गांड भी बहुत अच्छे से मारती हो , बस ऐसे ही ख्वाब था आपको चोदने का | जोर से झटके मार मार कर |
रीमा ने फिर एक जोर का झटका दिया - ऐसे जोरदार झटके की बात कर रहे हो |
जग्गू - आआह मैडम आप तो सब कुछ जानती है |
रीमा - तुम्हे अच्छा लगा |
जग्गू - बहुत अच्छा मैडम |
रीमा ने फिर से थप थप करते कई झटके मारे |
जग्गू - अआह्ह्ह मैडम आआआआअह्ह्ह्हह्हह्ह्ह |
रीमा - ये ले और जोरदार तरीके से |
रीमा ने दे दना दान जग्गू की गांड में अपने लंड की पेलाई से उसकी रेल बना दी | अब दनादन लंड पेलने की वजह रीमा का मोताराबर लंड जग्गू की गांड में फच फच की आवाज से घुस रहा था, जग्गू ने भी अपनी गांड उचकाकर रीमा का मोटा लंड ले रहा था | उसे गांड मरवाने में मजा आने लगा था | उसे अपनी गांड में ऐसा लग रहा था कि कोई उसकी गांड की अंदरूनी दीवारो की मालिश कर रहा हो | हलके दर्द के बावजूद अब जग्गू को मजा आने लगा था उसे लग रहा था गांड मरवाना भी बुरा नहीं है और यह एक्सपीरियंस उसे पहले लेने की कोशिश क्यों नहीं की | रीमा की नरम मांसल मोटी गोरी जांघे जब जग्गू के जिस्म से रगड़ खाती तो जग्गू आनंदित हो उठता | वो इसी उत्तेजना में ही बहुत ज्यादा खुश हो रहा था कि रीमा का बदन उसके आसपास सटा हुआ है और वह उससे रगड़ भी खा रहा है जग्गू तो जैसे रीमा का दीवाना हो गया था और इसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार था उसके अंदर का सारा अहंकार और सारी अकड़ सारी अकड़ गायब हो गई थी वह बस रीमा के जिस्म का सुख भोगना चाहता था चाहे उसे वो अपनी गांड मरवाकर ही क्यों न हाशिल हो | रीमा को जग्गू की गांड में अपना लंड घुसेड़ने में दिक्कत हो रही थी इसलिए उठकर गयी और एक लोशन का डिब्बा उठा लायी |

उसे काफी देर तक जग्गू की गांड मारनी थी इसलिए उसके साथ ज्यादा ज्यादती करना उसे सही नहीं लगा | उसने एक लोशन उठाया और ढेर सारा लोशन जग्गू की गांड पर उड़ेल दिया और उसके बाद मालिश करने लगी | उसके जग्गू के गांड के खुले छेद में ढेर सारा लोशन भर दिया | जग्गू ने भी राहत की सांस ली क्योंकि उसको सुखी गांड में रीमा के मोटे लंड को लेटे समय जो तकलीफ हो रही थी वो अब कम होगी | काफी देर तक रीमा जग्गू के छेद की लोशन से मालिश करती फिर पीछे से आ कर के मोटा काला लंड एक ही बार में उसकी गांड में घुसा दिया चिकनाई के कारण मोटा काला लंड एक ही बार में उस की कसी गांड में समाता चला गया | रीमा के गांड मारते समय उसके और जग्गू के बदन आपस में रगड़ रहे थे और जग्गू के लिए इससे बड़े संतोष की और क्या बात हो सकती थी लेकिन यह उसका सुख और संतोष ज्यादा देर तक नहीं चला |

रीमा ने जल्द ही उसको घुटनों के बल ला दिया | अपना पूरा का पूरा लंड फिर से उसकी गांड में पेल दिया | इस बार वह ज्यादा तेज करारे झटके लगा रही थी इससे जग्गू को बहुत ही ज्यादा दर्द होने लगा और वह उसके चेहरे पर साफ झलक रहा था लेकिन रीमा तो बस जैसे उसकी गांड के चिथड़े ही उड़ा देना चाहती थी ...............उसे मतलब ही नहीं था जग्गू को और दर्द हो रहा है या नहीं हो रहा है वह जग्गू के द्वारा किए गए अपमान का बदला लेना चाहती थी, या यू काहे की उसने रीमा के अहंकार को चोट पंहुचायी थी | रीमा को यह बर्दाश्त नहीं था उसके जैसा घटिया गलीच इंसान उसको चोदने के सपने देखे | रीमा अपने आप को बहुत ही श्रेष्ठ मानती थी ऊपर से अप्सराओं जैसे हुस्न ने उसके अहंकार में और चार चाँद लगा रखे थे | उसे अपनी सुंदर चिकनी गुलाबी चूत पर बहुत ही अहंकार था और वह नहीं चाहती कि कोई ऐरा गैरा दो टके लौंडा उसको चोदने के ख्वाब देखने लगे ................उसे ब्लैकमेल करने और उसका बलात्कार करने का प्लान बनाने लगे | वो इसी अपमान में जली भुनी जा रही थी और अभी तो जग्गू उसके लंड के नीचे है इसलिए उसको घुटनों के बल से जमींन पर लिटाने तक वो कोई कोर कसर नहीं छोड़ने वाली थी | वह चाहती थी कि जब जग्गू यहां से उठकर अपने पैरों पर कमरे से बाहर निकलता हुआ जाए और जाकर कभी भी अपनी शक्ल आईने में देखें तो उसे रीमा का वह चेहरा नजर आए जिसे वो जिंदगी भर भुला न पाए और कभी भी उसके बारे में सोचने से पहले रीमा की दहशत उसके अन्दर आ जाये | रीमा बहुत तेजी से जग्गू के गांड के ऊपर अपनी कमर हिला रही थी जिससे पूरे कमरे में थप थप की आवाजें आ रही थी जबकि वह दर्द से कराह रहा था |

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09-02-2021, 04:01 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रीमा ने प्रियम और राजू की तरफ देखा | राजू और प्रियम दोनों ही अपने लंड पर अपने हाथों से चलाते हुए जग्गू का मुखड़ा देख रहे थे | रीमा - लड़कों क्या हाल है गांड मरवा कर मजा आया |
दोनों के सर नीचे की तरफ झुक गए उन्हें पता था कि बोलने का मतलब है कि और ज्यादा अपनी दुर्गति करवाना उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया |
रीमा खिलखिला पड़ी - अरे शरमाते क्यों हो, रीमा से शर्माने की क्या जरुरत है, मै ही तो सब सिखा रही हूँ | क्या फर्क पड़ता है तुम्हे लड़कियों की चूत और गांड मारते हो तो तब कोई फर्क पड़ता है लड़कियां आराम से गांड मरवाती है और तुरंत ही गांड मारने वालो को चूमना शुरु कर देती हैं |
राजू और प्रियम दोनों को अच्छे से पता था कि रीमा उनके साथ गेम खेल रही है और अब वह किसी गेम में नहीं फंसना चाहते थे वह पूरी तरह पस्त हो चुके थे वह पूरी तरह से टूट चुके थे वह पूरी तरह से हार चुके थे उनके अंदर किसी भी तरह का जोश कामना इच्छा नहीं बची हुई थी कि उन्हें पता था अगर कुछ भी उन्होंने ऊपर नीचे किया तो उनकी और ज्यादा दुर्गति होने वाली है जो वो कतई नहीं चाहते थे | रीमा के सामने इससे ज्यादा अपमान के कुछ बचा भी नहीं था सब कुछ तो हो चुका था अब इससे ज्यादा और ज्यादा अपमानित होने के लिए क्या बचा था इसीलिए राजू ने हिम्मत करके पूछा - अच्छा रीमा चाची क्या मैं आपकी चूचियों को छू सकता हूं |
रीमा अभी पूरी तरह से मस्ती के मूड में थी , जिस इंसान से वो नफ़रत करती थी वो उसके लंड के नीचे था - क्यों नहीं रे, बिलकुल चूस सकता है लेकिन अभी तो मैं गांड मार रही हूं, पहले इससे निपट लू | अभी इसकी जवानी लंड से उछाल मार रही है |

जग्गू भी जोश से बोला - मै भी आपकी चूत मरुगा |अब मुझे आपकी चूत मारने का मौका कब मिलेगा |
रीमा को गुस्सा आ गया, उसने करारे तरीके से जग्गू की गांड को चीरते हुए - मैं तेरी गांड मार रही हूँ उसी पर आचे फोकस कर, इतने अच्छे से तेरी गांड मार रही हूं, वहां ध्यान नहीं है तेरा | अपनी गांड में मेरा मोटा लंड लेकर मजा आया या नहीं |
जग्गू - हाँ आप बहुत अच्छे से गांड मारती हूँ, आप गांड मारने में एक्सपर्ट हो, आप लंड भी बहुत आचे से चूसती हो |
रीमा - हां अगर तुझे गांड मरवाने का शौक है तो मेरे पास आया कर तुझे बहुत अअच्छे से ट्रिंग दूँगी | तेरी गांड मार मार कर उसकी छेद को इतना मजबूत कर दूंगी उसके बाद तो तू इस शहर का सबसे बड़ा गांड मरा बन जाएगा |
जग्गू बोला - मैम मुझे नहीं बनना शहर का गांड मरा | मैं बस आपकी चूत चोदना चाहता हूं |
रीमा की गुस्सा आ गया - साले तू मेरी चूत तो तब चोदगा जब मैं तेरी गांड को चोदना छोडूंगी, अभी आचे से अपनी गांड मरवा ले | मजा आ रहा है गांड मरवाने में | रीमा पर भी वासना का बुखार बुरी तरह से चढ़ा हुआ था | वो भी वासना की भठ्ठी में जल रही थी | उसके चूत दाने पट लगाते हर ठोकर ने उसकी उत्तेजन की चरम पर पंहुचा दिया था |

जग्गू - हाँ हाँ बहुत मजा आ रहा है, इससे पहले मैंने कभी गांड नहीं मरवाई थी मुझे लगताथा ये गंदा और घटिया होता है लेकिन आपने तो मेरी गांड मार मार के जो सुख दिया है अब तो मुझे अपनी गांड मरवाने में बहुत मजा आ रहा है |
रीमा - इसलिए तो कह रही हूँ आ जाओ कुछ दिन मेरे पास, अच्छे से ट्रिंग दूँगी, अच्छे से गांड मार मार कर तेरी गांड मजबूत बना दूंगी उसके बाद उसे कितने भी बड़े मोटे लंबे लंबे लंड से मरवा सकता है पुरे शहर में मशहूर हो जायेगा | तेरे पीछे गांड मारने वालो की लाइन लग जाएगी | कहां अभी दो टेक की लड़कियों की चूत मारता फिरता है | तेरी गांड इतनी मजबूत कर दूँगी तेरी गांड देख दुनिया का एक से एक रहीस मैं तेरी गांड मारने के लिए उतावला हो जाएगा, रोज लाखो में कमाएगा | प्रअभी कहाँ ड्रग्स बेचकर 2000 5000 कमाता फिरता है | एक बार गांड मरायेगा और लाखो कमा लेगा | जागु और रीमा दोनों ही वासना में बुरी तरह से नहाये हुए थे |

जग्गू बहुत ही बुरी तरह थक चुका था उसे रीमा पहले भी दो बार झड़वा ही चुकी थी | रीमा बहुत तेजी से उसके लंड को मसल रही थी और उसकी गांड को मार रही थी | जग्गू के अन्दर तो जोश और एनर्जी कुछ बचा ही नहीं था वह बस लेटे लेटे एक औअरत से अपनी गांड मरवा रहा था | जग्गू की वही हालत थी जैसे जब एक औरत कई लंडो से लगातार चुदाई के बाद पस्त हो जाती है उसके बाद में आदमी बस उसकी चूत में लंड डालता रहता है और औरत बिना हरकत के बस अपनी चूत में लंड देती रहती है उसी तरह से अब जग्गू भी पस्त पड़ा बस रीमा का लंड अपनी गाड़ में ले रहा था | जग्गू के सारे सपने चकनाचूर हो चुके, रीमा को चोदने का ख्वाब बस एक ख्वाब बनकर रह गया था | वो अब बस चाहता था जल्दी से जल्दी रीमा उसकी गांड मारना बंद करें और वो घर जाकर आराम से सो जाए | उसके चेहरे पर थकान दिखने लगी थी | उसके लंड में अकड़न थी और वो रीमा के हाथो में झूल रहा था | रीमा ने उसकी गांड मार मार कर उसका सारा दम निकाल दिया था | जाहिर सी बात है जग्गू को लगता था कि चूत को चोदने में ही दम लगता है लेकिन उसे आज पता चला गांड मरवाने में उससे ज्यादा दम लगता है | अब तो उसके अंदर हिम्मत भी टूट चुकी थी अब उसमे इतनी हिम्मत नहीं थी की वो रीमा को चोद सके | रीमा भी बुरी तरह से थक चुकी थी लेकिन जग्गू के सामने वह किसी तरह से अपने आप को कमजोर नहीं दिखाना चाहती थी और धना धन धना धन धना धन की गांड में लंड पेल रही थी ताकि जग्गू पूरी तरह पस्त हो जाए | जग्गू के पास अब इतना दम नहीं बचा था की वो कोई और हरकत कर सके | रीमा उसकी गांड में सटासट लंड पेल रही थी और वो अपनी गांड में मोटा लंड ले रहा था | रीमा अपनी विजय पर गर्व से फूली नहीं समां रही थी वो बारी बारी से विजयी भाव से अलग-अलग पोज बना रही थी उसने प्रियम से कैमरा उठाने को कहा और उसकी फोटो खींचने को कहा | प्रियम जो अब तक जग्गू के गांड मारने का वीडियो बना रहा था अब रीमा को अलग-अलग पोज में जग्गू के साथ फोटो खींचने लगा |

जग्गू ने एक बारगी जब ये देखा तो उसने प्रतिकार किया |
जग्गू - अबे प्रियम ये क्या कर रहा है बे साले | भरे बाजार में क्या रंडी बना देगा मुझे ..............रीमा चाची ने वैसे भी मेरी गांड मार ली | पता नहीं की उनकी चूत चोदने को मिलेगी या नहीं मिलेगी, ऊपर से साला तू फोटो खींच रहा है |
प्रियम - अबे चुतिया है क्या जग्गू, इतनी देर से जो कैमरा लगा है तेरे सामने तीन कैमरे लगे हैं तीनों में अलग अलग एंगल से तेरी गांड मारने के अच्छे से रिकॉर्डिंग कर रहे हैं साथ में पूरा का पूरा पोर्न वीडियो जो चाची ने बना दिया | अब साला मैं फोटो खींच रहा हूँ तो इसको दिक्कत हो रही है |
जग्गू निराशा के साथ - रीमा चाह्ची ऐसा क्यों कर रही है मेरे साथ अब तो मै चुपचाप अपनी गांड मरवाई रहा हूं अब इससे ज्यादा और आपको क्या चाहिए |

रीमा - तो मान ले अपनी हार और मुझे चोदने का ख्वाब छोड़ दे सपने में भी नाम मत लेना मेरी चूत का .............................मैं वह हरामी चूत हूँ जो तेरी गांड फाड़ फाड़ के चौड़ी सुरंग बना दूंगी इसे कानखोल कर सुन ले | मै रीमा हूँ मैं रीमा और मेरी चूत में मेरे पति को छोड़कर किसी ने आज तक मेरी गुलाबी चूत में लंड नहीं डाला है ठीक है 10 साल से ज्यादा हो गए हैं चूत में कोई लंड लिए हुए लेकिन मेरी जिंदगी में पति के अलावा कोई नहीं आया | तुम साले दो टेक के लौंडे मुझे चोदने का ख्वाब देख रहे हैं तेरे लंड चुस दिए है इतना बहुत है राजा इसे मेरा एहसान मानना .......................यह रिकॉर्डिंग मेरे पास रहेगी और उसके बाद मजाल है जो किसी ने छु चपड़ करी तो सोच लेना और जो भी तुम्हें बाहर मिले और मेरे बारे में उल्टा सीधा बोले उसे अच्छे से समझा देना कि मैं कैसे कैसे अपने बारे में उल्टा सीधा सोचने वाले की गांड मार लेती हूं तो अच्छे से समझ में आया | जग्गू अभी तो तेरी में 5 मिनट और गांड मारूंगी मेरे मन तो भर गया है शरीर भी थक गया है लेकिन आत्मा तृप्त नहीं हुई है अपनी उम्र की लड़की चोद साले | नहीं तो सोच ले तेरा लंड तेरी गांड में घुसेड दूँगी अगली बार अगर ऐसा कुछ किया |
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09-02-2021, 04:01 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
प्रियम और राजू दोनों हाथ जोड़कर रीमा की तरफ खड़े हो गए | प्रियम में कैमरा रख दिया और माफी मांगने लगे |
रीमा बोली - ठीक है चुपचाप अपने कपड़े पहन लो निकल जाओ यहां से |
दोनों चुपचाप कपड़े पहनने लगे जबकि कैमरे की रिकॉर्डिंग चालू थी रीमा में जग्गू को अभी नहीं छोड़ा था प्रियम कपड़े पहन चुका था रीमा से उसे करीब आकर अपने बॉक्स से एक हथकड़ी निकालने को कहा | प्रियम ने चुपचाप वैसे ही किया जैसा रीमा ने कहा | उसने चुपचाप एक हथकड़ी निकाली और रीमा को पकड़ा दी | रीमा ने जग्गू के में दोनों हाथ पकड़ के जग्गू को हथकड़ी पहना दी है | जग्गू कुछ सोच पाता या प्रतिरोध कर पता इससे पहले ही उसके दोनों हाथ बन चुके थे | इसके बाद में रीमा ने फिर से उसकी गांड में लंड पेल दिया | अब वह हाथ चला पाने की स्थिति में था |

वह रीमा के सामने घुटनों पर बस अपने चूतड़ उठकर के गांड मरवाने की पोजीशन में था और उसने भी ज्यादा प्रतिरोध नहीं किया क्योंकि उसे पता था उसकी अब कोई भी चाल चलने वाली नहीं है | रीमा उससे ज्यादा स्मार्ट और बहादुर है उसने दोनों हाथ अपनी कमर पर रख लिए और रीमा भी अब बिना किसी सहारे के उसकी गांड मारनी शुरू कर दी | अब ना तो वो जग्गू को ही पकड़े थी और ना ही आस पास की कोई चीज | जागु की गांड का छेद अब बेहद नरम हो चूका थ और उसका लंड आराम से बस कमर हिलाने से ही पूरा का पूरा उसमे घुस रहा था | वो सटासट अपनी कमर हिला रही थी उसका लंड आसानी से ही जग्गू की गांड में जा रहा था जो की पूरी तरह से फैल चुकी थी और जग्गू पूरी तरह से आगे की ओर झुका हुआ था कर चुका था |

उसका रीमा की चूत चोदने का ख्वाब तो ख्वाब ही रह गया था | अब तो वह बस जल्दी से जल्दी झड कर यहाँ से छुटकारा पाना चाहता था | रीमा के दना दन धक्को के साथ में ही जग्गू की आंखों में आंसू आ गए उसे पता था उसने अब तक तो वो सब कुछ रीमा की चूत के लालच में ही बर्दाश्त कर रहा था लेकिन अब उसे समझ में आ गया था उसकी इज्जत और गांड को रीमा ने रौंद कर रख दिया है उसकी आंखों में आंसू आ गए और उसने भरे हुए गले से कहा कि रीमा चाची गलती हो गई | मुझसे मुझे लगा था आप भी दूसरी लड़कियों की तरह हो जिनको एक बार कपड़े उतार कर छोड़ दो तो पीछे पीछे भागने लागती है | लेकिन आप तो सबसे अलग हो आपने तो अकेले ही हम तीनो की गांड मार ली | हम अपनी ही नजरो में गिर गए | मुझे अब तो अपनी ही नजरों से नजरें मिलाने में दिक्कत होगी आपने मुझे इतना नीचे गिरा दिया है अपनी नजरों में शायद ही मैं किसी लड़की की आंख में आंख डाल कर देख पाऊंगा प्लीज मुझे माफ कर दो लड़कियों के बारे में मै अलग सोचता था मुझे लगता कि लड़कियां होती ही है चुदने के लिए | मुझे लगा था आप भी बाकि चूतों की तरह हो लेकिन आपने तो उलटा मेरी ही मार आपने तो मुझे ही लड़की बना कर रख दिया है अब मैं समझ गया हूं |

रीमा चाची मुझसे सचमुच में गलती हो गई मुझे माफ कर दो मैंने आपको कुछ और ही समझ लिया था |
रीमा - क्या समझ लिया था तुमने मुझे |
जग्गू बोला - मुझे लगा था आप ही बाकी देसी चूतों की तरह हो मैं अपने आप को बहुत गलत समझता था मुझे लगता था लड़कियां सजाती संवारती ही चुदने के लिए है इसलिए लडकिया चोदने के लिए सिर्फ होती है उनकी चूत तो सिर्फ लड़को की प्यास बुझने के लिए होती है लेकिन आपने तो ऐसा मेरी गांड मारली मुझे अपनी ही नजरों में इतना नीचे गिरा दिया है कि अब शायद ही किसी लड़की के सामने उसकी आंखों में आंखें डाल कर उसे नजर मिला पाऊं |

रीमा - कान खोल कर सुन लड़के चूत सिर्फ चोदने के लिए नहीं होती चूतों का प्यार चाहिए दुलार चाहिए उन्हें सहलाना होता है चूमना होता है चाटना प्यार करना होता है समझ गए| चूत का मलतब सिर्फ ये नहीं की लड़की की जांघ फैलाई और अपना लंड घुसेड दिया |

सबसे बड़ी बात कान खोलकर सुन ले जिंदगी भर के लिए चूत की मर्जी के बिना चूत की तरफ देखना भी नहीं | अपनी औकात में रहकर अपने हिसाब से अपने सर्किल में लड़कियों को ढूंढ समझना................ हर किसी खूबसूरत औरत को चोदने का ख्वाब देखना छोड़ दें औरत के साथ जबरदस्ती तो कभी मत करना और सबसे बड़ी बात अगर किसी लड़की को चोदना ही है तो पहले प्यार से उसका दिलजीत ठीक है उसको चाट चूम रगड़ मसल उसके साथ हंसी ठिठोली कर पुचकार प्यार कर उसके बाद चूत खुद ही अपनी जांघे खोल देगी और जितना मर्जी है उसको चोद वह मना नहीं करेगी | जब चूत की मर्जी हो तो जमकर चोदो उसे, दिखाओ सारी मर्दानगी | लेकिन अगर तू सोचता है कि दुनिया की हर चीज बस तेरे लिए ही बनी है जब मर्जी हो तब उसे गिरा कर उसकी पैंटी फाड़ कर उसके अंदर लंड घुसेड़कर कर उसे चोदेगा तो ऐसे नहीं होता चूत को चोदना है तो पहले उसकी मर्जी जान जब उसकी मर्जी होगी तब वह चुदेगी | अपनी मर्जी उस पर कभी मत थोपना |
जग्गू - मैं समझ गया कि |
रीमा - तो बोल आगे से किसी लड़की के साथ कोई जबर्दस्ती नहीं करूंगा जब उस लड़की का मन होगा तभी उसको चोदूंगा औरकिसी से जबरदस्ती करने का ख्याल तो मैं सपने में भी नहीं आऊंगा |
जग्गू - प्लीज मुझसे गलती हो गई माफ कर दो और किसी आप जैसी खूबसूरत चरित्रवान औरत के खिलाफ तो कभी मुड़ कर भी नहीं देखूंगा |
चल इसी के साथ मैं भी बस चरम पर पहुंचने वाली हूं तेरी गांड में ठोकरे मार मार मार कर मेरा साला चूत का दाना सूज गया दिया है | इसी के साथ रीमा के झटके एक्सप्रेस स्पीड पकड़ लिए | उसने जग्गू की गांड में दना दन दना दन दना दन दना दन दना दन दना दन अपना लंड पेलने लगी | उसी के साथ वो जग्गू के लंड को भी तेजी से मसलने लगी | जग्गू के मुंह से कराह बहुत तेज हो गयी ऐसा लगा जैसे उसकी गांड फट के हाथ में आ जाएगी लेकिन इससे पहले कि जग्गू का शरीर जवाब दे जाता इंदौर और उसकी गांड जवाब दे जाती है रीमा झरने लगी | इसी के साथ रीमा की बह निकली, इतनी देर से उसकी वासना का रुका हुआ बांध टूट गया और उसे लगा जैसे चूत में बाढ़ आ गयी | रीमा के लिए सबसे अजीब था किसी लड़के की गांड मार मार कर ओर्गास्म हहासिल करना | यह बहुत ही सुखद और बहुत ही आश्चर्य चकित करने वाला और बहुत ही अनोखा अनुभव था जो रीमा को अब से पहले कभी नहीं हुआ था रीमा लड़कों की गांड मार मार कर झड़ गई इससे ज्यादा अच्छी और गौरवशाली बात रीमा के लिए कुछ नहीं हो सकती थी | उसने रिवर लॉज में जो भी देखा था उसके बाद उसके अंदर वही बात घर कर गयी थी | फर्क सिर्फ इतना था की वहां ओर्गास्म उसको हुआ था जो गांड में लंड ले रही थी यहाँ रीमा दुसरे की गांड मार रही थी | रीमा ने अब जग्गू के लंड को बुरी तरह से मुठियाना शुरू कर दिया |

उसको इस हालत में तड़पता हुआ छोड़ना हुआ उसे सही नहीं लगा | जग्गू ने माफ़ी मांग ली थी इसलिए रीमा का कोमल ह्रदय जाग उठा | रीमा के हाथ के लगाते करारे झटको से जग्गू ज्यादा देर तक ठहर नहीं पाया और उसके अन्दर से सफ़ेद लावे की धार फुट पड़ी | एक एक बाद एक लगातार पिचकारियो से उसने अपने पेट और रीमा के हाथ को बिगो दिया | रीमा ने जग्गू का लंड छोड़ कर आइस्ते से जग्गू की गांड से लंड बाहर निकाला | जागु की गांड का रस बाहर निकलने लगा था |

रीमा अब आत्मविश्वास से भर गई थी और आज जो कुछ भी यहाँ हुआ उसके बाद रीमा को लग रहा था कि जो कुछ भी रिवर लाउन्ज में उसने वहां देखा था उसमें से कोई भी चीज वो अब कर सकती है | इन लड़कों की ब्वेखूफी ने उसे एक ऐसा मौका दिया जब उसके अंदर का डर है संकोच शर्म हया सब मिटा दिया था अभी रीमा जो भी चाहे कि वह करेगी और ऐसा करने से उसे कोई नहीं रोक सकता | जग्गू बिस्तर पर पस्त पड़ा हुआ था | रीमा ने थोड़ी देर सुस्ताने के घुड़की दी -जल्दी से कपड़े पहन कर निकल जा एस आना हो मेरा मूड बन जाये और मै दूसरा राउंड शुरू कर दू | ये सुनकर जग्गू के मरे हुए शरीर में जान सी आ जाए उसमें फटाफट फटाफट अपने कपड़े को अपने शरीर पर लपेटा और तेजी से वहां से निकल गया रीमा चुपचाप बिस्तर पर निढाल पड़ी रही |
रीमा के घर से निकलते ही तीनो चुपचाप अपने अपने घर की तरफ चल दिए | किसी ने किसी से कोई बात नहीं करी | तीनो अपनी ही नजरो में गिर गए थे | शर्म, ग्लानी और सदमे से भरे हुए | किसी के पास भी सोचने समझने की शक्ति नहीं बची थी | बस बदहवास से अपने घर की तरफ भागे चले जा रहे थे | ऐसा लग रहा था जैसे भरे बाजार के बीचो बीच किसी ने उनका बलात्कार कर दिया हो | तीनो ने एक दुसरे से अलग होने से पहले एक दुसरे का मुहँ देखना तक गंवारा नहीं समझा | किसी मुहँ से एक दुसरे से नज़ारे मिलाते |

रीमा ने उन तीनो को एक दुसरे की नजरो में ही इतना गिरा दिया था, की अब इसके बाद कोई इज्जत उतारने को बचती कहाँ है |
प्रियम हमेशा की तरफ अपने घर में चोरो की तरह पीछे के दरवाजे से घुसा | जब भी प्रियम कुछ गलत करता था तो हमेशा सबकी नजरे बचाकर पीछे से घर में आता था | वो घर में घुस ही रहा था की उसका फ़ोन बजने लगा |
इधर रीमा बिस्तर पर ढेर कुछ देर तक छत की दीवार देखती रही., लेकिन जैसे ही उसको होश आया,उसकी चेतना लेती अपनी विजय के अहंकार से निकल कर झट से कपड़े पहने, खुद को ठीक किया | हल्का सा मेकअप किया और मेकअप करते करते उसके दिमाग में प्रियम का ख्याल आया | ये मैंने क्या कर दिया, प्रियम कही सदमे में आकर कुछ उल्टा सीधा न आर बैठे | उसने झट से प्रियम को फ़ोन मिला दिया | पिछले गेट से चोरो की तरह घुसते प्रियम की चोरी पकड़ी गयी | उसके फ़ोन की रिंग टोन, सामने मैं गेट के पास बैठी उसकी बुआ को सुनाई दी | रोहित तो अपने ऑफिस के काम से बाहर था, इसलिए अभी तो प्रियम अपनी बुआ और फूफा की ही कस्टडी में था | वैसे अगर रोहित के जीजा अनिल और दीदी रोहिणी नहीं भी आते तो रोहित प्रियम के लिए एक केयरटेकर का इंतजाम कर गया था, जो की प्रियम के स्कूल में पढ़ाती थी | इसके अलावा रीमा को भी उसने सख्त हिदायत दे रखी थी प्रियम की देखभाल करने की | वासना और बदले की आग उतरते ही रीमा को प्रियम का ख्याल आया | घंटी बजती रही लेकिन प्रियम ने फ़ोन नहीं उठाया | उसकी हालत नहीं इस समय की वो रीमा का सामना कर सके, भले ही वो फ़ोन क्यों न हो | रोहिणी ने वही से बैठे बैठे गर्दन घुमाई और देखा प्रियम पीछे से आ रहा है | उसे थोड़ा अजीब लगा लेकिन उनकी नजर में वो गुड boy था इसलिए ज्यादा कुछ सोचा नहीं |
रोहिणी - अरे प्रियम पीछे से कहाँ से आ रहे हो और तुमारा फ़ोन बज रहा है |
प्रियम ने अपनी सारी हिम्मत इकट्ठी करके, जरा सा रुका और बोला - रांग नंबर है बुआ |
यह बोलते उसकी आवाज कांपते हुए भर्रा गयी | वो तेजी से उपरी मंजिल पर स्थित अपने कमरे की तरफ भागा |
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09-02-2021, 04:01 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रोहिणी कुछ और पूछना चाहती थी लेकिन इससे पहले ही प्रियम तेजी से सीढ़िया चढ़ गया | रोहिणी और अनिल के भी दो बच्चे थे, एक लड़का , एक लड़की और दोनों ही प्रियम से बड़े थे | इसलिए प्रियम उनसे मिलने जुलने में थोड़ा सकुचाता था, वो भी इसलिए ज्यादा कोशिश नहीं करते | हालाँकि रोहिणी और अनिल चाहते थे प्रियम उनके बच्चो से घुल मिलकर रहे | लेकिन उनसे रूखे स्वाभाव की कारन उन्होंने भी एक दो बार के बाद ज्यादा कोशिश नहीं की | फिलहाल अनिल आये तो दो हफ्ते के लिए ही थे लेकिन रोहित के कहने पर बच्चो के कॉलेज खुलने तक यही रुकने का प्लान बना लिया | रोहिणी ने एक पल प्रियम के बारे में सोचा और फिर अपने काम में लग गयी | प्रियम तेजी से सीढ़िया चढ़ता हुआ आया और जल्दी से अपने कमरे में घुसकर उसे अन्दर से बंद कर लिया | अपने कमरे में आते, बदहवास सा रोने लगा, उसके अन्दर का डर गुस्सा छोभ दहसत सब आंसुओं के डगर भहर निकलने लगा | अपने बिस्तर में उल्टा लेटकर तकिये में मुहँ घुसाकर बेतहाशा रोने लगा |
रीमा ने एक दो बार और फ़ोन मिलाया, लेकिन उसने फ़ोन नहीं उठाया | रीमा के दिलो दिमाग में अब अजीब सी बेचनी भरने वाली उधेड़बुन शुरू हो गयी | रीमा को खुद पर ही बड़ा गुस्सा आ रहा था लेकिन वो करती भी क्या | उसने जो किया सही किया, उसने अपने किये गए फैसलों के लिए कोई ग्लानी भाव न आने देने की कसम खा ली | अगर प्रियम ने सबको सच बता भी दिया तो भी वो पीछे नहीं हटेगी | गलती लड़को की थी इसलिए उनके साथ जो हुआ वो उनके कर्मो की सजा है |
तो अब क्या करे रीमा, रोहित के न होते हुए वो उसकी ही तो जिम्मेदारी था | उसे कुछ हो गया या उसने कोई उल्टा सीधा कदम उठा लिया तो सारा दोष उसके मथ्थे मढ़ा जायेगा | तो मै क्या करती उसने भी तो सारी हदे पार कर दी, उसके दोस्तों के सामने अपनी छीछालेदर करवा लेती | मेरे सामने कैसे बेशर्मो जैसी बाते कर रहे थे, कल के लौड़े है और ख्वाब अपनी बाप की उम्र के | सबक न सिखाती तो, कल को सर पर चढ़ कर मूतते, सारे बाजार फब्तियां कसते, जलील करते और न जाने क्या क्या करते मेरे साथ | खासकरके वो जग्गू तो अपनी रंडी ही बना डालता मुझे | उपरवाले ने बचाया है मुझे, मुझे अपने किये का कोई अफ़सोस नहीं होना चाहिए |
लेकिन क्या, लेकिन रोहित से किये वादे का क्या | मुझे कुछ करना होगा, किसी तरह से पता लगाना होगा, प्रियम के दिमाग में क्या चल रहा है | कही कुछ उल्टा सीधा करने की तो नहीं सोच रहा | यही सोचकर रीमा ने खुद को आईने में देखा, और प्रियम का पता लगाने निकल पड़ी | उसे नहीं पता था की प्रियम उसके घर से निकालकर कहाँ गया इसलिए उसने सबसे पहले उसके घर जाने की सोची |

इधर जग्गू और राजू भिओ ख़ामोशी से कुछ देर साथ चले और फिर अपने अपने घर की तरफ मुड़ गए | दोनों मन ही मन एक दुसरे को गाली दे रहे थे | उन दोनों को लग रहा था उनके साथ जो हुआ है वो सामने वाली की गलती है | दोनों ही गुस्से और दहसत से भरे हुए थे | दोनों के पिछवाड़े के छेद में दर्द हो रहा था और उनके हर कदम के साथ वो दर्द उन्हें रीमा की याद दिला देता | राजू ने घर के गेट से पहले खुद को व्यवस्थित किया | लम्बी साँस भरी और चेहरे पर फर्जी आत्मविस्वास बनाता हुआ ऐसे घर में घुसा जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो | पिछले तीन घन्टे में उसने इतना कुछ देख लिया था भुगत लिया था की उसके सुकुमार मन के लिए वो किसी जैकपोट से कम नहीं था | इतनी बुरी तरह से जलील होने के बाद भी उसके अन्दर कोई मलाल नहीं था | उसके साथ जो कुछ हुआ उसको लेकर वो सदमे में था लेकिन उसको जितना सेक्स का एक्सपीरियंस आज कुछ घंटो में हासिल हुआ वो तो शायद उसे लाखो रुपये खर्च करके भी कंही नहीं मिलता | घर में घुसते ही बिना माँ बाप की आवाज सुने सीधे कमरे में घुस गया | कमरे को अन्दर से बंद कर लिया और फटाफट सारे कपड़े उतार डाले | अपने पीछे चुताड़ो पर हाथ लगाया और अपने गांड के दर्द को चेक किया और फिर बिस्तर पर लेट गया | एक एक करके उसके दिमाग में सब कुछ किसी फिल्म की तरह चलने लगा | उसे बहुत शर्म और झेंप महसूस हुई जब उसने महसूस किया की उसकी रीमा ने इज्जत उसी की नजरो में उतार दी लेकिन अगले पल ही उत्साह से भर उठा जब उसने याद किया , आज ही उसने रीमा की गुलाबी चिकनी मख्खन मलाई जैसी चूत के भी दर्शन किये है, आज ही पहली बार रीमा के संगमरमरी गुलाबी बदन के प्राकृतिक अवस्था में दर्शन हुए है | वो तो बस इसी कल्पना में घुसकर अगले कुछ सालो तक मुठ मारता रहेगा | उसके लिए रीमा को नंगा देखना ही सिद्धि प्राप्त करने जैसा था | उसे तो बोनस में रीमा की गुलाबी चूत के दर्शन भी हो गए | उसके तने हुए उठे हुए स्तन, उसकी चिकनी पीठ और उसके कोमल रस भरे गुलाबी ओंठ ................आआआह्ह्ह्ह राजू के लिए तो जैसे जन्नत का ही नजारा हो | राजू तो अपने दुःख और अवसाद की बजाय बस रीमा के हुस्न के प्रथम दर्शन पाकर ही गदगद हो रहा था | राजू के दिलो दिमाग में रीमा बुरी तरह से घुस गयी थी | राजू के लंड को जिस अदा और नजाकत से चूस के निचोड़ा था रीमा ने वो तो जैसे राजू के जीवन का सबसे हसीन पल बन गया | उसके लिए ये मौका किसी जैकपोट से कम नहीं रहा | रीमा ने उन्हें अपमानित करने में कोई कसर नहीं चोदी थी लेकिन राजू अपने साथ किये गए बलात व्यवहार को भूलकर बस रीमा के नरम गुलाबी रस टपकाते होंठो की सख्त मखमली जकड़न को अपने लंड पर अभी भी महसूस कर रहा था | रीमा ने उसका लंड चूसा ये बात उसके लिए किसी लाइफटाइम याद की तरह हो गयी थी | वो बस आंख बंद किये बिस्तर अपनी गांड में हो रहे हलके दर्द के बीच रीमा के ऊपर नीचे जाते सर और अपने लंड पर उसके फिसल रहे उसके नरम होंठो की सख्त जकड़न को ही अभी तक महसूस कर रहा था |
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09-02-2021, 04:01 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
तभी उसके कानो में आवाज सुनाई पड़ी - राजू खाना खाने नीचे आएगा या मै ऊपर आऊ | ये कड़क आवाज उसके बाप की थी | राजू के सारे सपने फुर्र हो गए | उसे हकीकत में वापस लौटना ही पड़ा | न चाहते हुए भी बिना मर्जी के बेड से उठा, घर वाले कपड़े पहने और खाना खाने चल दिया |
जग्गू की हालत सबसे ज्यादा ख़राब थी | रीमा ने रबर के लंड जग्गू का न केवल अभिमान चकनाचूर कर दिया बल्कि जग्गू की गाड़ के छेद की हालत भी पतली कर दी थी | आज तक जग्गू को लगता था लंड सिर्फ पुरुष को मिला है इसलिए चोदने का काम सिर्फ मर्द का है, लेकिन आज के चूत ने उसकी गांड मार ली और जग्गू के लिए ये सूरज पश्चिम से निकलने जैसा था | अभी वो कुछ सोच पाने की हालत में नहीं था वो बहुत घहरे सदमे था | जब वो घर में घुसा तो सभी डाइनिंग हाल में खाना खा रहे थे, जग्गू को देख उसकी माँ ने उससे खाना खाने को बोला लेकिन वो बिना सुने अपनी धुन में निकल कर अपने कमरे में घुस गया | जिस तेजी से उसने कमरे का दरवाजा बंद किया पूरा माकन उसकी गूँज से भर गया | जग्गू के बाप का पारा चढ़ गया लेकिन इससे पहले वो कुछ करता, उसकी पत्नी ने उसे शांत रहने का इशारा किया | लड़कियां चुपचाप फिर से खाना खाने लगी | पत्नी की तरफ आंखे तरेरने के बाद जग्गू का बाप भी खाना खाने लगा | जग्गू का इस तरह से आना अप्रत्याशित नहीं था | अक्सर लडाई झगड़े के बाद वो बाप का लेक्चर सुनने से बचने के लिए कमरे घुस जाया करता था | सबको लगा आज भी कंही से लड़ झगड़ कर आया होगा | सबने अपना खाना खाया और कमरे में चले गए | कुछ देर बाद उसकी माँ वापस आई ये देखने की वो अपने कमरे से निकला या नहीं | उसके कमरे तक गयी, दो तीन बार आवाज लगायी लेकिन अन्दर से कोई जवाब नहीं आया | वो निराश कदमो से वापस चली गयी | अपने सोने के कमरे में जाकर उसने जग्गू के कान में कुछ कहा | सोने की तयारी कर रहे जग्गू के बाप के माथे पर बल पड़ गए | उसने अपनी पत्नी से चिंता न करने की बात करते हुए सोने को कहा | दोनों लाइट बुझाकर सो गए | कुछ ही देर में पत्नी के खराटे से उसके सोने का पता चल गया | जग्गू के बाप की आँखों में नीद नहीं थी | जग्गू बहुत ही ज्यादा उग्र था और तीन घंटे से ज्यादा हो गए वो अपने कमरे से नहीं निकला और न ही उसके कमरे से कुछ तोड़ने फोड़ने की आवजे आई | जग्गू अपने बाप का इकलौता लड़का था, कैसा भी था लेकिन था तो एकलौता ही | वो किसी को गोली मार के आता तो उसके बाप को उतनी चिंता नहीं थी जीतनी अभी हो रही थी | बिना आहट के बिस्तर से उठा और जग्गू के कमरे के बाहर जाकर आवाज लगायी | अन्दर से कोई आवाज नहीं आई | उसे लगा जग्गू सो गया होगा | फिर भी कुछ देर तक वो वही खड़ा रहा | वो बस चलने को हुआ और अन्दर से उसे हल्की सी सिसकने की आवाज सुनाई | उसका बेटा रो रहा है क्यों और वो भी इतना उग्र आक्रामक जग्गू कमरे में छुपकर रो रहा है सबसे अकेला क्यों? जग्गू के बाप के चिंता सच साबित हो गयी | वैसे भी बच्चो को छींक तक आये तो माँ बाप को पता चल जाता है | जग्गू का बाप किर्त्व्यविमूढ़ सा वही खड़ा रहा | कुछ देर तक वो फैसला नहीं ले पाया | उसके बाद उसे बेटे का ख्याल आया | उसने दरवाजे पर दस्तक दी | बिस्तर में घुसकर अपने अहंकार के अपने पिछवाड़े में घुसने की हार पर करूँ रुदन कर रहे जग्गू की साँस रुक गयी | इतनी रात को कौन आ गया, जग्गू की सिसकिया थम गयी, उसे समझ नहीं आया कौन है, उसे लगा माँ होगी, जैसा की अक्सर होता है | खाना खाने के लिए पूछने आई होगी | वो कुछ सोच पाता इससे पहले उसके बाप की आवाज उसके कानो में सुनाई पड़ी - जग्गू दरवाजा खोलो |
जग्गू को लगा जैसे रीमा ने उसकी इज्जत उसके बाप के सामने लूट ली हो | अब क्या करे, क्या न करे | उसने सोने का नाटक किया और कोई रिएक्शन नहीं दिया |
जग्गू का बाप - जग्गू मै तुमारा बाप हूँ, दरवाजा खोलो मुझे पता है तुम जग रहे हो और अभी मैंने तुमारे रोने की आवाज सुनी |
जग्गू का तो जैसे चीरहरण हो गया हो वो भी भरे बाजार में | वो क्या बोले, क्या न बोले, क्या करे, वैसे भी सदमे का मारा , रीमा से हारा पूरी तरह से पस्त था, ऊपर से बाप का झमेला |
जग्गू के बाप ने थोडा इन्तजार किया और फिर दबी आवाज में दहाड़ा - दरवाजा खोल हरामखोर, वरना मै सबको जगा दूंगा |
जग्गू को लगा अब कोई रास्ता नहीं है | उसने अपने आंसू पोछे, अपने कपड़े ठीक किये और दरवाजा खोल दिया | कमरे में अँधेरा था | जग्गू कमरे का दरवाजा खोलकर फिर बेड में घुस गया |
उसके बाप ने कमरे कमरे की लाइट जलाई | कुछ देर तक जग्गू को घूरता रहा | जग्गू ने नजरे नीची कर ली |
जग्गू का बाप - क्यों रो रहा था |
जग्गू को कोई जवाब न सुझा , वो चुप रहा |
जग्गू का बाप - अभी बताएगा या सुबह | हालत तो ऐसी लग रही है जैसे ...............................|
बोल क्या हुआ, किसी लड़की के भाइयो ने ये दुर्गति करी है या झुग्गी में कोई पंगा हुआ ??
जग्गू छुप रहा ................ जग्गू का बाप आराम से पूछ रहा था, फिर भी जग्गू खामोश था |
जग्गू के बाप ने फिर से आराम से अपना सवाल दुहराया लेकिन जग्गू भी उसी का तो लड़का था | वो भी चुप रहा |
कुछ बोलेगा भी या चुप रहेगा | ऐसा क्या हुआ जो कल तक शेर की दहाड़ने वाला आज भीगी बिल्ली बनकर कमरे में छुपकर रो रहा है | जग्गू उदास सा चुप ही रहा | आज उसका आत्मविश्वास पातळ में था कैसे मुहँ खोले |
जग्गू का बाप गुस्साते हुए - कुछ बोलेगा या सचमुच आज किसी ने तेरी गांड मार ली | आधी रात को रंडापा करवा रहा है |
अनजाने में ही उसने जग्गू की सच्चाई उसके मुहँ से निकल गयी | जग्गू सकपका गया, उसने मुहँ फेर लिया | जग्गू का बाप अपने बेटे के चेहरे को पढने की कोशिश कर रहा था और अब तक उसे समझ आ गया था जग्गू के साथ सच में कुछ गड़बड़ हुई है |
जग्गू का बाप - कल बात करते है इस बारे में चुपचाप सो जा, तेरी आँखों में आंसू लाने वालो का कलेजा निकाल कर अपने कुत्तो को खिलाऊंगा |
जग्गू का बाप चला गया उसके काहे गए आखिरी शब्दों ने जैसे मारते जग्गू को संजीवनी दे दी हो |

उधर रीमा प्रियम को ढूंढते ढूंढते रोहित के घर पहुंच गई क्योंकि सबसे ज्यादा प्रियम के अपने घर में होने के ही चांस थे रात हो चुकी थी इसलिए वह इधर उधर कहीं नहीं जा सकता था रात में इस वक्त रीमा को देखकर अनिल और रोहिणी दोनों ही चौक गए हालांकि रीमा ने जाते ही जाते बता दिया प्रियम उसका फ़ोन नहीं उठा रहा था इसलिए वो वह ये पता करने आई है की प्रियम घर पर ही है या नहीं और उसे एक जरुरी काम भी था प्रियम से | हालांकि रोहिणी ने जानना चाहा इस समय इतनी रात को कौन सा जरूरी काम हो सकता है
रीमा ने बहाना मार दिया - उसकी टीचर का फोन आया था और इसी सिलसिले में उससे बात करनी है यह उसकी पढ़ाई से रिलेटेड है |

अनिल अनुभवी इंसान से उन्हें पता था कि रीमा सरासर झूठ बोल रही है लेकिन उनको क्या लेना देना है इसलिए उन्होंने आगे कोई सवाल नहीं किए
रीमा दरवाजे से घुसते हुई प्रियम के कमरे की तरफ चली गई | रोहिणी ने सवाल भरी नजरों से अनिल की तरफ देखा लेकिन अनिल ने उन्हें रिलैक्स रहने को कहा |
रीमा ने प्रियम के कमरे के सामने जाते ही कमरे को नाक किया - अंदर से आवाज आई कि मुझे भूख नहीं है|
इस रीमा बोली - भूख नहीं है तो क्या बात भी नहीं कर सकते फोन मिला रही थी फ़ोन क्यों नहीं उठा रहे हो, बस एक ही झटके में मेरा फोन उठाने में शर्म आने लगी | प्रियम दरवाजा खोलो |

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09-02-2021, 04:02 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
प्रियम हैरान था इस वक्त रीमा कहां से आ गई इस वक्त अब उसे क्या काम है इतना सब करने के बाद भी उसकी चाची का पेट नहीं भरा जो यहां तक चली आई अब क्या चाहती है मेरी जान ही ले लेंगी क्या | प्रियम ने मन मसोस कर के अपने बिस्तर से उठा उसने दरवाजा खोल दिया, दरवाजा खुलते ही रीमा अन्दर घुस गयी और दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया और सवाल भरी नजरों से प्रियम को घूरने लगी | प्रियम ने उसकी तरफ नजरें ही नहीं उठाई और वह सर झुका कर चुपचाप अपने बिस्तर पर जाकर बैठ गया |
रीमा - फोन क्यों नहीं उठा रहे थे |
प्रियम चुप रहा | रीमा - मुझसे बात करो प्रियम जो हुआ वह तुम लोगों की गलती की वजह से ही हुआ है आज तक मैंने तुम्हें कभी नुकसान पहुंचाने की कोशिश नहीं करी है लेकिन तुम हो कि अपनी हरकतों से बाज ही नहीं आते | रोहित तुम्हारी जिम्मेदारी मुझे देकर गया है तो कान खोल कर सुन लो जो कुछ भी बातचीत होगी वह हमारे बीच रहेगी समझ गए | तुम उसकी अनुपस्थिति में मेरी जिम्मेदारी हो लेकिन तुम्हे तो पता नहीं मेरे शरीर की कौन सी सनक सवार है हर बार कुछ ऐसा करते हो जिससे मुझे कुछ ऐसा करने पर मजबूर कर देते हो ....................................इसीलिए तुम्हारा यह हाल है | मैंने जो किया है मुझे उसका कोई अफसोस नहीं है लेकिन एक बात कान खोलकर सुन ले कुछ भी उल्टा सीधा करने की मत सोचना समझ गए | तुम्हें कोई मदद चाहिए , मुझसे आकर बतावो ..... किसी तरह की कोई समस्या है वह भी तुम मुझे बता सकते हो मैं तुम्हारे लिए हमेशा मौजूद रहूंगी | भूल जावो जो कुछ अभी कुछ देर पहले हुआ मै तुम्हारी वही रीमा चाची हूं जो पहले थी और मैं तुम्हारा वैसे ही ख्याल रखूंगी जैसा पहले करती थी लेकिन एक चीज कान खोल कर सुन लो आज के बाद किसी तरह की कोई उल्टी-सीधी हरकत हुई तो इस बार सीधा सीधा सब कुछ में रोहित को बता दूंगी | अब बहुत हो चुका है और तुमने अपनी सारी हदें पार कर दी है | तूम मेरे भतीजे हो और हमेशा रहोगे और मुझे तुमसे उतना ही प्यार है जितना कि कोई अपने बेटे से करता है लेकिन एक चीज याद रखना हर उस रिश्ते की एक मर्यादा होती है अब तुम उस मर्यादा के अंदर ही रहोगे तभी ठीक रहेगा | ज्यादा रोने धोने की जरूरत नहीं है उसको एक नॉर्मल बात मान कर भूल जाओ, क्योंकि दुबारा ऐसा कुछ किया न तो तुम्हे अच्छे से पता है की मै क्या क्या कर सकती हूँ |
प्रियम सिबुकने लगा | एक डरा सहमा हुआ कमजोर बालक देख रीमा के अन्दर का सारा वात्सल्य उमड़ आया- उसके पास आई और उसे बांहों में भरकर सीने से चिपका लिया | कुछ देर तक उसके बाल सहलाती रही, प्रियम रीमा के आँचल में सिबुक सिबुक कर थम गया | रीमा - चलो तुम्हे भूख लगी होगी, आज पार्क स्ट्रीट के डोमिनोस का पिज़्ज़ा खाते है |
प्रियम दुखी स्वर में बोला - मुझे भूख नहीं है मुझे कुछ नहीं खाना........ मुझे अकेला छोड़ दो |
रीमा उसकी आँखों से लुढ़कते आंसू पोछकर - मै कैसे तुझे अकेला छोड़ दू, जब तक रोहित नहीं है यहाँ तुझे कैसा अकेला छोड़ दू |
प्रियम - पता नहीं कौन तेरे दिमाग में वो सारे फितूर भारत है | एक बात दिल पर हाथ रख बता, क्या तुझे कभी मैंने चोट पंहुचाने की कोशिश की है | कभी भी अब्जाने में भी फिर भी तुम अपनी हरकतों से बाज नहीं आते तो मुझे भी गुस्सा आ जाता है | भूल गया वो पहली चुसाई | क्यों तू वो पहले जैसा प्रियम नहीं बन सकता | सब कुछ तो तेरा ही था, सिवाय मेरी एक लक्षमण रेखा के | कभी तुझे मना किया | मै तो तेरा भला ही चाहती हूँ | अपनी पढाई पर ध्यान दे, बस इतना ही तो चाहती थी लेकिन तुझे तो जिसे नशा चढ़ा हुआ था | इतना समझती हूँ फिर भी तू अपनी हरकतों से बाज नहीं आता |
प्रियम चुपचाप सब सुनता रहा | रीमा को लगा उसे शब्द प्रियम को मरहम लगा रहे है |
रीमा - हम पहले जैसे क्यों नहीं हो सकते मेरे बच्चे | मासूम से , निश्चल कपट से परे | प्रियम ने कोई रिएक्शन नहीं दिया |
रीमा ने प्रियम का मूड जानने के लिए उसको गुदगुदी करी | प्रियम एक मासूम बच्चे की तरह खनक उठा |
रीमा वात्सल्य से खुश होकर बोली - ये हुई न बात मेरे लाल |
रीमा ने अनायास ही प्रियम के ओंठो पर अपने ओंठ जमा दिए | और एक लम्बा चुम्बन लेकर बोली - क्यों करता हाउ ये सब, तुझे जिंदगी का हर राज समझना है तो मै हूँ न लेकिन इन राक्षसों की सोच वालो के साथ उठाना बैठना बंद कर | अगर मुझसे दोस्ती करनी है तो अपने उन चुतिया दोस्तों से दूर हो जा | याद रखा अगर दुबारा ऐसा कुछ हुआ तो तेरे लिए जानलेवा होगा |

प्रियम को जैसे तपते रेगिस्तान में छाव मिल गयी हो | वो रीमा के आंचल में ही खुस को समेत देना चाहता था | रीमा ने भी उसे कसकर अपने सीने में छुपा लिया |
प्रियम के दिमाग का सारा जहर, सारा दर्द , सारी हीनता एक पल में छूमंतर हो गयी - रीमा ने बस एक झप्पी से उसके अन्दर की सारी कर्कशता निकाल कर बाहर कर दी | अब वो वही निश्छल निष्कपट प्रियम था | प्रियम के दिमाग में बस यही एक विचार था - रीमा चाची इतनी अच्छी है, पता नहीं मेरी ही बुद्धि को डंक मार गया था | रमा के वात्सल्य के समुद्र में प्रीयम गहराई तक गोते लगाने लगा |

कुछ देर बाद रीमा भावनाओं के ज्वार से बाहर निकली, जब नीचे से उसे रोहिणी की आवाज सुनाई पड़ी | उसका और प्रियम का स्वप्न टुटा |

रीमा ने खुस को संभाला और प्रियम से अलग किया और बिलकुल ही एक नयी टोन में - एक चीज का वादा करो तुम कुछ भी उल्टा-सीधा नहीं करोगे........... तुम्हें कुछ चाहिए तो तुम मेरे पास आते क्यों नहीं ................मैंने तुम्हें कभी मना किया है लेकिन एक चीज याद रखो तुम जरूरत से ज्यादा आगे मत बढ़ना हर चीज की एक लिमिट होती है और उस लिमिट के अंदर रह करके ही हमारा रिश्ता आगे तक आगे जा पाएगा इसलिए याद रखो जो कुछ भी चाहते हैं वह सब नहीं हो सकता है लेकिन फिर भी मैं तुमसे प्यार करती हूं और हमेशा करती रहूंगी और तुम्हारा ख्याल भी रखूंगा कम से कम तब तक जब तक रोहित नहीं आ जाता | बस मैं यही कहने आई थी फोन नहीं उठाना मत उठाओ लेकिन एक चीज याद रखना किसी तरह का कुछ उल्टा सीधा सोचने की जरूरत नहीं है नहीं किसी को कुछ बताने की जरूरत है | मै हमेशा तुमारे लिए मौजूद हूँ कभी भी कंही भी |
इतना कहकर रीमा कमरे से बाहर निकल आई | अनिल और रोहिणी से जाने का शिष्टाचार निभाया...उसने अनिल और रोहिणी के साथ बैठकर कुछ देर बात करी और उसके बाद चली गई | प्रियम भी बिलकुल नार्मल तरीके से बाहर आया और सभी खाना खाने की तयारी करने लगे | रीमा के अन्दर का डर और आशंकाए ख़त्म हो चुकी थी | प्रियम को लेकर वो निश्चिन्त हो गयी थी |

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09-02-2021, 04:02 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
औरत और मर्द के रिश्ते के बारे में रोहित और अनिल आपस में कुछ भी नहीं छुपाते थे रोहित अनिल को अपने सारे अफेयर्स के बारे में बताता था और यही हाल अनिल का था वो भी अपने सेक्स एडवेंचर रोहित के साथ शेयर करते थे | अनिल ने ही टूटे दिल के रोहित को love गुरु बनकर सारा ज्ञान दिया था | रोहित ने रीमा का अनुभव भी अनिल के साथ शेयर किया था | हर मर्द की तरह रीमा अनिल की नजरो में भी चढ़ी हुई थी | अनिल को रोहित और रीमा में रिश्ते में कोई आपत्ति नहीं थी हालांकि वह खुद रीमा की खूबसूरती के दीवाने थे और अपने रिश्ते में बंधे हुए वह बहुत ज्यादा कुछ कर नहीं सकते थे | रीमा और प्रियम के बीच की कहानी किसी को नहीं पता थी और रोहित भी प्रियम को लेकर बहुत सेंसिटिव था | अनिल रीमा और प्रियम के बीच क्या है इसके बारे में लगभग न के बराबर जानते थे इसलिए आज अनिल को थोड़ा सा अचरज हुआ | जिस तरह से रीमा आई और फिर चली गई | अनिल को इससे कुछ ज्यादा लेना देना नहीं था वह तो बस महीने भर के मेहमान थे | रीमा और रोहित और प्रियम के बीच में क्या खिचड़ी पक रही है इससे मतलब भी नहीं था लेकिन फिर भी अनिल की अनुभवी आंखों और उनके ढेर सारे जीवन के एक्सपीरियंस ने कहा कि कुछ न कुछ तो गड़बड़ है | इसलिए उनके दिमाग खुराफाती घोड़े दौड़ने लगे और उनके जासूसी दिमाग में एक कीड़ा कुलबुलाने लगा आखिर पता किया जाय की माजरा क्या है | एक मन कहता कुछ गड़बड़ है दूसरा मन कहता की मिस्टर अनिल आप जरुरत से ज्यादा सोच रहे है | रोहिणी ने उन्हें कही खोया हुआ देख पुछा, कहाँ गुम हो गए | वो बस मुस्कुरा भर दिए | असल में उनके लिए न तो रोहित पहेली था न ही प्रियम और सच में गारा दिल पर हाथ रखकर खुद से पूछते तो वो खुद का ही चुतिया काट रहे थे | उनके दिलो दिम्माग में बस एक ही पहेली थी रीमा | वो उसे सुलझाना चाहते थे | बाकि सारे बहाने उनका मन उन्हें भटकाने बहलाने की लिएय कर रहा था | उनको सारी दिलचस्पी रीमा के बारे में जानने की थी जब से रोहित ने अपना रीमा की चुदाई का किस्सा उन्हें बताया था, उनके मन के किसी कोने में लगातार रीमा को लेकर खलबली मची रहती | अब तक तो वो सब विचारो तक सिमित था लेकिन साक्षात्उ रीमा को देखने के बाद उनकी वो इक्षा अब बलवती हो उठी | खूबसूरत स्त्री का सानिध्य पाने के सहज मानुष की लालसा | वह रीमा की खूबसूरती के दीवाने थे जाहिर सी बात है हर मर्द का सपना होता है कि वह हर एक खूबसूरत औरत के पास बैठे से बात करें और अगर हो सके तो बात को आगे बढ़ाएं रीमा भी एक इसी तरह की खूबसूरत औरत थी | रीमा अनिल की सबसे डार्क छुपी हुई एक फैंटसी में से एक थी इसलिए उन्होंने रीमा के बारे में ढेर से ढेर सारी जानकारी जानने के बारे में फैसला कर लिया था | उन्हें पता था रीमा का एटीट्यूड उसका बात करने का तरीका काफी कुछ पिछली बार से अलग अलग था | उनकी रीमा की बेहत प्राइवेट जिंदगी के बारे ज्यादा से ज्यादा जानने की उत्सुकता और बढ़ गयी |

फिर भी सच तो यही था की किसी के चाहने से क्या होता है | अनिल रीमा से बात करना चाहते थे उसके साथ बैठना चाहते थे उसके साथ ड्रिंक शेयर करना चाहते थे, उसको छूना चाहते थे उससे चिपकना चाहते थे और असल में जो सच उनका मन स्वीकार नहीं कर पा रहा था वो ये था की वो रीमा को चोदना चाहते थे | उनके मन की असली कामना यही थी बाकि सब लफ्फाजी थी | जीजा जी को लेकर रीमा काफी मजाकिया थी लेकिन उनसे मजाक भी वह अपने दायरे में रहकर ही करती थी इसीलिए कभी अनिल को अपनी बात आगे बढ़ाने का मौका नहीं मिला और दूसरे अभी बीवी और बच्चे सब आए हुए थे तो अनिल के लिए रीमा के साथ अकेले बैठाना लगभग नामुनकिन था |
एक हफ्ता ऐसे बीत गया जैसे कुछ हुआ ही न हो | रीमा रोहित को यहाँ के अपडेट देती रहती थी | उधर राजू और जग्गू की जिंदगी में तूफान मचा हुआ था रह-रह कर उन्हें हर वह बात का कचोटती जो रीमा ने उनके साथ करी थी हालांकि इसके साथ ही यह भी सच था की उनको जिंदगी भर के लिए एक सबक मिल गया था | लेकिन एक औरत द्वारा इस तरह से सबक सिखाया जाना उनके अपने मर्द होने के अहंकार को चुनौती दे रहा था | कच्ची मुर का किशोर मन इन सब चीजों को हैंडल कर पाने में असमर्थ था अगले दिन सुबह जब जग्गू के बाप ने जग्गू से पूछताछ की तो जग्गू ने सब कुछ सच सच बोल दिया पहले तो जग्गू के बाप को उस पर बहुत गुस्सा आया लेकिन उसके बाद रीमा को ले करके उसके अंदर बदले की भावना कर गई क्योंकि रीमा ने उसके बच्चे को तोड़ कर रख दिया था | जग्गू का बाप पहले भी रीमा को देखकर लार टपकाने लगता था ,रीमा उसकी ढेर सारी सेक्स फैंटसी में से एक थी | हालांकि वह अलग बात है रीमा ने उसे कभी घास नहीं डाली | जग्गू के बाप के अंदर रीमा को पाने की एक लालसा तो थी ही दूसरे अब उसके पास एक मकसद भी था रीमा को सबक सिखाने का क्योंकि उसने उनके बेटे की जिंदगी को बर्बाद कर दिया था |अब जग्गू काफी डरा डरा सा रहने लगा था, सहमा सहमा सा रहने लगा | लडकियों के पास जाने से डरने लगा | वो बस गुमसुम सा अपने में ही खोया रहता | अपने बेटे के व्यवहार में आए इस परिवर्तन को लेकर के जग्गू का बाप काफी परेशान था उसने गुस्से में कोई उल्टा सीधा कदम उठने की बजाय शांत रहकर रीमा को सबक सिखाने का फैसला किया लेकिन उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था | वो सीधे सीधे रीमा पर हाथ नहीं डाल सकता था | रीमा अपनी जिंदगी में भले ही अकेली हो लेकिन उसके आसपास के लोग बहुत ताकतवर थे | उसके स्वर्गीय पति के दोस्त पुलिस में बहुत ही पावरफुल पोजीशन में थे | रीमा के एक फ़ोन काल पर वो शहर का कोना कोना खोद डालेगे | जग्गू के बाप को कुछ समझ नहीं आ रहा था ...... वह क्या करें कैसे रीमा को सबक सिखाएं वह अपने बेटे के साथ किए गए हरकतों का बदला लेना चाहता था यही सोचते-सोचते समय पंख लगाकर उड़ता हुआ निकलता जा रहा था |
इधर अनिल रीमा को पाना भी चाहते थे लेकिन रिश्तो की नाजुक डोर पर कोई आंच न आये इसका भी पूरा ख्याल था | एक दिन पत्नी से बोले - रोहिणी इतने दिन हो गए है आजतक हमने रीमा का घर नहीं देखा | चले किसी दिन उसके यहाँ डिन्नर करने | बच्चो के अपने प्लान थे घूमने फिरने के इसलिए बस पति पत्नी दोनों ही सज धज के रीमा के मेहमान बनने चल दिए |
रीमा ने उन दोनों को अपने घर आया देख थोड़ा सा हैरान हुई और खुस भी |
रोहिणी - सरप्राइज, हमने सोचा आज बिना बताये मेहमान बनते है |
रीमा खिलखिलाते हुए - आई लव सरप्राइज दीदी | प्लीज आइये न आपका ही तो घर है |

रीमा ने दोनों की खूब आव भगत की | चाय नाश्ते से लेकर शराब का एक लम्बा दौर चला | रोहिणी जानती थी रीमा कभीकभार ड्रिंक ले लेती है लेकिन अनिल के लिए ये सरप्राइज था | बीबी के सामने अनिल काफी संजीदा बनने की कोशिश कर रहे थे जबकि रीमा रोहिणी आपस में खुलकर हंसी मजाक कर रही थी | शराब का दौर चले और जिंदगी में प्राइवेट पलो की बाते न हो, ऐसा भला हो सकता था |
रीमा और रोहिणी शादी के पहले की हरकतों और शैतानियों को एक दुसरे को बता रहे थे | अभी तक रीमा के दिम्माग में अनिल को लेकर कुछ भी नहीं था | इसलिए वो स्वाभाविक सहज रूप से रोहिणी के साथ हंसी मजाक कर रही थी |
रोहिणी अपने कॉलेज का किस्सा सुनाने लगी जब एक लड़के ने उसे प्रोपोज किया था और उसने मना कर दिया था | फिर वो लड़का उसके पीछे हाथ धोकर पड़ गया, आखिर एक दिन रोहिणी ने उसको हाँ बोल दी | लेकिन वो लड़का एक नंबर का चुतिया निकला, रोहिणी के हाँ बोलते ही उसने रोहिणी की चूत मारने के लिए मिन्नतें करने लगा | उसकी इन्ही हरकतों की वजह से रोहिणी ने अपनी सहेली के साथ सबक सिखाने की सोची | उसे बहला फुसलाकर फीमेल टॉयलेट में ले गयी, उसके कपड़े उतारे और एक किनारे फेंक दिए | उसके लंड को सहलाने लगी, वो बस मस्ती में चूर हो कर झूमने लगा | उसकी सहेली ने मौका देखते ही उसके कपड़े समेटे और बाहर आ गयी | मौका देखकर पी करने के बहाने रोहिणी जल्दी से उठी और अपना बैग उठाकर बाथरूम से बाहर निकल आई और शोर मचा दिया | लेडिज बाथरूम में एक नंगा लड़का, पूरी तरह से तने हुए लंड के साथ, उसके बाद उसकी जो धुनाई हुई जो सुताई हुई | फिर कभी उसने मुड़कर भी रोहिणी की तरफ नहीं देखा |
तीनो मतलब की शराब पी चुके थे | रोहिणी की जिंदगी में रीमा की दिलचस्पी बढ़ती जा रही थी |
दीदी बताइए न अपने बारे में - मुझे बहुत मजा आ रहा है आपकी बाते सुनकर |
अनिल ने सोचा यही मौका है चौका मार दिया जाये - कुछ अपने बारे में बतावो न रीमा | तुमने भी तो कॉलेज में बहुत एडवेंचर किये होंगे | यू नो व्हाट इ मीन |
रीमा अन्दर से सतर्क हो गयी कही रोहित के बारे में उसके मुहँ से कुछ न निकल जाये फिर अगले ही पल संभलकर उसी लापरवाह अंदाज में बोली - क्या बताऊ जीजा जी , करेले नीम जैसी जिंदगी है, कुछ बताने को है ही नहीं | पहले पढाई में उलझी रही फिर शादी और उसके बाद की ये लम्बी विधवा जिंदगी | इसमें कोई रंग नहीं है, बस जी रही हूँ |
रीमा ने एक पल में अपने तरफ उछलने वाले हर सवाल को ख़त्म कर दिया | अनिल और रोहिणी दोनों ही उसके चेहरे पर छाई बर्फीली उदासी देखने लगे | उसको देखकर रीमा अगले ही पल ही अपनी उदासी छोड़ती हुई - दीदी आगे बतावो न, कहाँ इतने दिनों बाद मिले है | आज आप मेरे मेहमान है आज तो आपको मेरी बात माननी पड़ेगी | बतावो न दीदी | अच्छा जीजा जी से सबसे पहली बार कब मिली |
रोहिणी - जीजा जी से पहले दो बॉयफ्रेंड रह चुके थे मेरे |
रीमा की दिलचस्पी बढ़ गयी - फिर क्या हुआ, कैसे मिली आप जीजा जी से |
रोहिणी - थम जा बावली बता रही हूँ सब बता रही हूँ | मेरा एक लड़के से 6 महीने से चला रहा रिलेशनशिप टूट चूका था | दूसरा बॉयफ्रेंड खोने के कारन बहुत परेशान और दुखी थी | मेरे इम्पुल्सिव नेचर के कारन कोई भी लड़का मुझे बर्दाश्त करने में असमर्थ था | उस टाइम मै खुद को किसी तोप से कम समझती नहीं थी | ऐसे ही एक दिन मै कॉलेज से घर आ रही थी, गेट पर पंहुचने पर देखा, एक आदमी मेरे घर की चाहरदीवारी के ऊपर पेशाब कर रहा है | मेरे पारा जमीं से सीधा आसमान पंहुच गया | वो अलग बात थी की बाद में मुझे महसूस हुआ की वो इन्सान मेरे चाहरदीवारी की बजाय उससे सटकर बह रही नाली में मूत रहा है | उस समय तो मुझे कुछ सुझा नहीं, ब्रेकअप से सदमे में थी | उसके पास जाते ही फट पड़ी | जमकर माँ बहन करी, वो आदमी जो इत्मिनान से हलका हो रहा था, उसका मूतना रुक गया | उसका मूत लंड में और थूक गले में अटक गया, मैंने उसे ऐसी झाड़ लगायी | वो इतना ज्यादा डर गया की अपना लम्बा काला लंड भी अपनी पतलून में घुसेड़ना भूल गया और माफ़ी मांगने लगा | मेरे तेज आवाज से लोग हमारी तरफ आना शुरू हो गए और वो आदमी सब कुछ भूलकर मुझसे माफ़ी मांगने में जुटा रहा | उसकी सिट्टी पिट्टी इस कदर गम थी की उसे याद ही नहीं उसका लम्बा काला मोटा सांप अपने बिल से बाहर झूल रहा है | आखिर हारकर मैंने ही बोला - इस काले नाग को दिखाकर किसको डराने की कोशिश कर रहा है | इससे तगड़े मोटे लम्बे काले नाग मैंने बहुत देखे है | तब जाकर इनका ध्यान नीचे पेंट की तरफ गया और फटाफट इन्होने अपने काले भुजंग को अपनी पतलून में समेटा | मेरा गुस्सा चरम पर था, आस पास भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी | मै बस चिल्लाये जा रही थी |

तब तक अन्दर से डैड बाहर आ चुके थे - क्या हो गया बेटा |
मै गरजती हुई - ये आदमी अपनी दीवाल पर मूत रहा था मैंने मना किया तो बेशर्मी से अपना काला नाग मुझे दिखाने लगा |
इससे पहले कोई कुछ कहता ये बिलकुल समर्पण की मुद्रा में आ गए - बहन जी गलती हो गयी, मुझे बहुत तेज लगी थी और यहाँ कोई ओट नहीं थी इसलिए | इतना कहते ही बिना किसी के कुछ काहे उठक बैठक लगाने लगे | डैड अनुभवी आदमी थे, इनकी रोनी सूरत देख के ही समझ गए की लड़का गाय है बस गलती कर बैठा | वो भीड़ को समझाने बुझाने लगे ताकि कही कोई हाथ न उठा दे | धीरे धीरे करके मेरे डैड ने सबको वहां से भगाया और उस लड़के से जाने को भी बोलो दिया | मेरा गुस्सा अब काफी कम हो चूका था |
ये मरी हुई आवाज में बोले - अंकल जी अगर नजर न हो तो एक गिलास पानी पिला दीजिये, यहाँ दूर दूर तक कोई नल नहीं दिखाई दे रहा है | प्यास लगी है |
मुझे हंसी आ गयी, इतनी जोर से प्यास लगी है फिर भी अपनी टंकी खाली किये जा रहा है | ये सोचकर मुझसे रहा न गया, मेरे मुहँ से ठहाका छुट गया | मेरे डैड मुझे देखकर बोले - क्या हुआ तुझे, पागल है क्या लड़की, जाकर एक गिलास पानी ले आ |
मैंने साफ़ मना कर दिया | डैड उसे गेट पर खड़े रहने को बोलकर अन्दर चले गए और एक बोतल पानी लेकर बाहर आये | उसे पानी पिलाया और उसके बारे में पूछने लगे | मै अन्दर कमरे के दरवाजे ओंट में खादों सारी बाते सुनने लगी | रोहित बार बार मुझे परेशान करने आ जाता लेकिन मुझे उस मिमियाते काले भुजंग इंसान में न जाने क्यों दिलचस्पी पैदा हो गयी | कुछ देर बाद पता चला वो यहाँ कॉलेज में PG में एडमिशन लेने आया है | किसी गाँव का रहने वाला है और ग्रेजुएशन के बाद वहां आगे पढने के लिए कोई कॉलेज नहीं है | रोहित मुझे बार बार परेशान कर रहा था इसलिए ज्यादा बाते तो मै सुन नहीं पाई और रोहित की कुटाई करने उसके पीछे भागने लगी | डैड उससे काफी देर बात करते रहे | शाम को पता चला वो अपने कॉलेज का टापर है और आफ्टर ग्रेजुएशन की पढाई के लिए एडमिशन लेने आया है | उसका बैकग्राउंड कुछ खास नहीं था पिताजी थे नहीं माताजी छोटी सी जमीन पर सब्जी भाजी पैदा करके घर का खर्च चलाती थी |
एक महीने बाद मेरे उअप्र बम तब फटा जब डैड ने उसे ऊपर वाला कमरा रहने के लिए दे दिया और भी बिना एक पैसे लिए | उसके बाद एक लम्बे समय तक मै इनसे नफरत करती रही अपने अन्दर हिकारत भरती रही, इनके कपड़ो का मजाक, इनकी बोली का मजाक, इनके गरीब होने का मजाक उड़ाती रही और ये सब बर्दाश्त करते रहे | यही सब करते करते पता नहीं कब जाने इन्ही से प्यार हो गया |
अनिल बस पैग पर ध्यान लगाये थे और रीमा के जिस्म के कटाव घुमाव को आँखों से पीने की कोशिश कर रहे थे, रोहिणी यादो के समुद्र में खोयी थी और रीमा बस रोहिणी की यादो में खुद को डुबोने की कोशिश कर रही थी | एक और पैग ख़त्म हो चूका था | रीमा नयी बोतल निकालने के लिए उठी तो रोहिणी ने उसे थाम लिया - तू बैठ, जाइये आप बोतल निकाल कर लाइए और पैग बनाइये |
रीमा ने अपनी नशीली आँखों से रोहिणी की तरफ देखा और रोहिणी ने अपनी नशीली आँखों से रीमा को देखा | फिर दोनों ने अनिल को एक साथ देखा और नशे में झूमती खिलखिला कर हंस पड़ी | अनिल औरतो के इस विनोद से अन्दर तक गदगद होते हुए नयी बोतल निकालने चल दिए |
रीमा और रोहिणी को भरपूर नशा हो चूका था | अनिल के जाने के बाद रीमा को मस्ती सूझी - दीदी एक बात पूछु बताओगी |
रोहिणी - पूछ न |
रीमा - सच्ची मेरी कसम खावो |
रोहिणी - अरी पूछ तो सही |
रीमा - जीजा जी का सच में काले नाग के इतना मोटा है क्या ?
रोहिणी शरारती आँखों से - क्यों री, तुझे भी लेना है क्या |
रीमा सकपका गयी, रोहिणी खिलखिलाकर हंस पड़ी - हाहाहाहाहाहाहाहाहा तू डरती बहुत है, पता है क्यों, क्योंकि तूने कुछ किया नहीं है | मै तो मजाक कर रही थी |
रीमा के साँस में साँस आई - तो बतावो न दीदी |
रोहिणी आंखे मटकाते हुए - तुझे मेरे पति के उसमे बड़ी दिलचस्पी है..............|
रीमा ने भी ताड़ लिया की रोहिणी उसके मजे ले रही है उसने भी बनावटी नाराजी जाहिर की - इसलिए मै नही पूछ रही थी दीदी मुझे पता था आप मेरी ही टांग खिचोगी | मै तो बस ऐसे ही पूछ रही थी आप पता नहीं उसे कहाँ से खीचकर के मेरे ऊपर चिपकाये दे रही हो |
रोहिणी गंभीर होती हुई - अच्छा एक बात का जवाब दे, तुझे कैसा पसंद है, स्माल मीडियम या लाआआआआआआअरज |
जिस तरह से रोहिणी ने लार्ज को खीचा, रीमा भी रोहिणी के साथ खिलखिलाने लगी |
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09-02-2021, 04:02 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रीमा को लगा को इतना भी पर्दा क्या ठीक, जब दीदी इतना खुल गयी है तो मै क्यों खुद को लिहाज के बोरे में बंद रखु |
रीमा - दीदी अब आपके इतना तो एक्सपीरियंस है नहीं, मैंने तो ये भी सुना है आपने ही सारा काम ज्ञान जीजा को दिया है |
रोहिणी - तू जीतनी सीधी' दिखाती है उतनी है नहीं, मै कुछ और पूछ रही हूँ और तू जलेबी बनाकर मुझे ही गुमाए दे रही रही है, शैतान कंही की | सच सच बचा किस किस साइज़ के खा चुकी है मुई |
रीमा थोड़ा सा शरमाते हुए झेपते हुए - सारे |
रोहिणी अपने गालो पर हाथ रख कर मुहँ फैलाते हुए - हाय हाय मेरी कट्टो तुम तो छुपी रुस्तम निकली | मुझे पता था इतनी हसीन औरत ज्यादा दिन तक चूत की खुजली बर्दाश्त ही नहीं कर सकती |
रीमा मासूमियत से - क्या मै खूबसूरत हूँ दीदी |
रोहिणी - हाय मै मर जावा इस मासूमियत पे | अरे मेंरी कट्टो रानी तू बहुत खूबसूरत है, इतनी की मुझे डर है कही ये भी तेरे नाम की मुट्ठ न मारते हो |
रीमा - दीदी छी छी छी छी छी छी कैसी बाते करती है |
रोहिणी - मुझे तो ये भी लगता है ये हमरे खसम मौनी बाबा कही तुझे चोदने के सपने भी न देखते हो |
रीमा मुहँ बनाते हुए - दीदी छी छी छी छी छी छी बस करो दीदी, वरना सारा सारा नशा यही काफूर हो जायेगा | हाय हाय हाय आप ये सब कैसे सोच लेती हो |
रोहिणी फुल नशे में थी - जब 11 इंच मोटा लम्बा तगड़ा लंड एक झटके में निगल सकती हूँ तो क्या नहीं कर सकती |
अब चौकने की बारी रीमा की थी - हाय दईय्यिया इतना बड़ा है |
रोहिणी - चौंक गयी, बोल तुझे चखना हो तो बताना, ये तो अपने पालतू है जहाँ कह दूँगी वहां चाटना शुरू कर देगें |
रीमा सवालिया लहजे - क्या ???
रोहिणी - मर्द को क्या चाहिए ...............(थोड़ा रूककर एक दुसरे की आँखों में आंखे डालकर) बोल क्या चाहिए | फिर दोनों एक साथ बोल पड़ी - चूत | इसके बाद फिर से खिलखिलाकर हँसने लगी |
रोहिणी रीमा को छेड़ते हुए - बता करेगी ११ इंच के नागनाथ के दर्शन | सबके बस का नहीं होता ११ इंच का घोटना लेकिन मुझे पूरा यकीन है तू पूरा निगल जाएगी |
रीमा - ऊऊउफ़्फ़्फ़्फ़ दीदी अब छोड़ो भी न | आप तो बात को पकड़कर ही बैठ गयी |
रोहिणी - देख कट्टो तू है तो एक नंबर की हरामन, इत्ती देर में पहचान गयी हूँ, अब खुलकर बात कर न | दीदी बोलती है तो सच बता |
रीमा - क्या बताऊ |
रोहिणी - सबसे बड़ा अब तक कितना बड़ा घोंट चुकी है | शर्मा मत, ऐसे बता जैसे अपने बचपन की सहेली के साथ बैठी हो |
रीमा थोड़ी शर्माते हुए - अब क्या बताऊ दीदी, कोई इंची टेप लेकर तो नापता नहीं |
रोहिणी उत्साह से - कोई नहीं कोई नहीं, अंदाजा |
रीमा - सात आठ इंच या ज्यादा से ज्यादा 9 होगा |
रोहिणी - हाय मै वारी जावा तेरी मासूमियत पर, हरामन 9 इंच मोटा लंड घोट चुकी है और ऐसे जता रही है जैसे अभी सील भी न टूटी हो | सोच जब 9 इंच का घोट चुकी तो २ इंच और सही |
रीमा झुंझलाकर - दीदी |
रोहिणी - अरे इसमें परेशान होने की बात क्या है, देख एक ही जिंदगी है, जी भर के जी ले | अगर मन है तो घोट ले अपने जीजा का ११ इंची नागनाथ, मुझे कोई ऐतराज नहीं है |
रीमा - क्या बात कर रही है दीदी...................भला ऐसे कही होता है |
रोहिणी - देख पगली, मुझसे छुपकर कही इधर उधर मुहँ मरेगा और दुनिया भर की बीमारी लाकर मेरी चूत में घुसेड दे इससे तो अच्छा है की मेरा पति जिसको चोद रहा हो उसके बार एमे मुझे पहले से पता हो | एक साथ रहते रहते नीम करेले जैसी जिंदगी हो जाती है | कभी कभी टेस्ट बदलने में कोई हर्ज नहीं है | और अगर घर की बात घर में ही रहे तो इससे अच्छा क्या |
रीमा - दीदी आपको चढ़ गयी है |
रोहिणी - आदमी शराब पीने के बाद ही सच बोलता है | एक रात चोदने से कोई किसी से दूर नहीं जाता और न ही कोई और किसी के पास आ जाता है | हवस है भूख है , खावो पीवो और मिटावो, जहाँ बन पड़े जिससे बन पड़े | ये सब चीजे रिश्तो में नहीं घुसानी चाहिए थी | हवस का क्या है चाँद पलो की है और रिश्ते बरसो में बनते है | जिंदगी के बाद सबसे ज्यादा कदर रिश्तो की करनी चाहिए | बाकि ये लंड चूत का खेल तो चलता रहता है, इसके लिए ज्यादा दिल से नहीं सोचना चाहिए | अगर किसी को चोदने का मन हो या किसी से चुदने का मन हो तो बात वही निपटा देनी चाहिए |
रीमा समझ गयी थी रोहिणी अब फुल नशे में जा चुकी है |
रोहिणी काफी शराब पी चुकी थी, अनिल को पता था अगर बोतल ले गयी तो जब तक बोतल ख़त्म नहीं होगी रोहिणी नहीं मानेगी | इसलिए वो बस तीन गिलास में एक एक बड़ा पैग बनाकर लाये |
पैग आते ही रोहिणी और रीमा उस पर टूट पड़ी | और आधा गिलास एक साँस में ख़त्म कर दिया | रीमा के दिमाग में रोहिणी की बाते घूमने लगी | रीमा ने अनिल की तरफ देखा, उनको देखते ही वो ११ इंच लम्बा मोटा लंड इमेजिन करने लगी | रोहिणी ने तुरंत कोहनी रीमा को कोहनी मारी | रीमा कुछ समझी नहीं | रोहिणी ने झूमते हुए उसे अपनी बांहों में भरा और उसके कान में कुछ फूसफुसाया - वरी रीमा देख तेरे जीजा को दारू चढ़ गयी है कैसे अकड़ गया है |
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09-02-2021, 04:02 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
अनिल तेज कदमो से वापस भागे | पीछे का दरवाजा खुला हुआ था | तेजी से अन्दर घुसे और जैसे ही डाइनिंग हाल में पंहुचे | उनकी गर्दन अपने आप ही बायीं तरफ घूम गयी | रीमा ने अनिल के जाने के बाद अपने सारे कपड़े उतार फेंके थे | उसके दिमाग में बस रोहिणी की बात ही घूम रही थी | किस औरत को अपनी खूबसूरती की तारीफ अच्छी नहीं लगती| यहाँ तो औरत ने औरत की तारीफ करी थी | रीमा बस आईने के सामने खड़े होकर अपने हुस्न को निहार रही थी | रीमा हर तरह से मंत्र मुग्ध होकर बस अपने ही रूप में खोयी हुई थी | बाहर हाल में अँधेरा था और कमरे में भरपूर रोशनी | इसलिए रीमा के इस नंगे जिस्म के दर्शन अनिल को सर्वसुलभ थे लेकिन रीमा अनिल को देख पाए इसका कोई चांस नहीं था जब तक की वो बेडरूम वाले कमरे से बाहर न निकले | अनिल तो स्वर्ग जैसी अपसरा का हुस्न लिए रीमा की नंग्न देह दर्शन में दिल दिमाग और आत्मा से खो गए | क्या सौन्दर्य है, स्त्री की नंग्न देह का अद्वतीय अद्भुद, कल्पना से परे ये नग्न प्रदर्शन, वर्षो से तपस्या में लीं ऋषियों का ताप तोड़ दे, फिर अनिल तो बस एक अदना सा इंसान था | अनिल अपनी आँखों से ही अपलक रीमा के सौन्sदर्य को घूट घूट अपने दिलो दिमाग में उतारने लगा |
बिखरी बिखरी लट, चंचल हिरानी जैसे आंखे, रस टपकाते गुलाबी तीखे नुकीले ओंठ, सुराही के मुहँ जैसी पतली गोरी गर्दन, उसकी उठी हुई उभरी हुई उन्नत छातियाँ, और सीने के उभरे उन्नत उरोजो की छोटी छोटी पहाड़ियों पर स्थित हल्का भूरा गुलाबी रंग की चुचियाँ | आआहह्ह क्या बनावट थी, क्या उभार थे क्या रंग था..... सीधे स्वर्ग से उतारी नग्न अप्सरा जैसा, जितना सुना था उससे कही बढ़कर, कही उत्तम कही ज्यादा अद्भुद, सब्द नहीं थे ऐसे सौन्दर्य के लिए | सीधा सपाट गोरा चिकना पेट, जैसे दो छोटी छोटी पहाड़ियों के बाद सपाट मैदान हो और उस मैदान सुघढ़ गोल गहरी नाभि , नाभि के नीचे की तरफ चिकना ढलान लाइट इलाका जो जन्नत की सुरंग पर जाकर ख़तम होता है और उसकी सफाचट चिकनी चूत त्रिकोण घाटी की मखमली ढलान ...........................देखकर कोई भी मदहोश हो जाये | धवल स्वेत गुलाबी लालिमा लिए रीमा का दमकता मदहोश करता मदमस्त नंगा जिस्म |

उसकी गोरी चिकनी नरम पीठ और नीचे की तरफ बल खाती कमर, उफ़ मुर्दे भी कब्र से निकल कर खड़े हो जाये | कमर में पड़े बल इस बात की निशानी थे की अब उसके कमर के निचले हिस्से की पहाड़ियों की चढ़ाई शुरू हो चुकी है | उसके पिछवाड़े की ऊँची ऊँची मांसल ठोस उठी हुई पहाड़ियां, उन पहाड़ियों के ही नरम मांस के बोझ से बल खाती उसकी जांघे, जो किसी केले के तने की तरह चिकनी और ठोस थी ................. किसी भी लंड की नसे फाड़ने का मादा रखती थी | अनिल के पेंट में अकडन जबदस्त बढ़ गयी |
ऊपर से नीचे तक बनावट में, उभारो में, कसाव में कटाव में रीमा के गुलाबी जिस्म की कोई सनी नहीं थी | रीमा के शरीर के सेंसर जबरदस्त थे | उसे अहसास हुआ बाहर कोई है लेकिन इस वक्त कौन हो सकता है | फिर कुछ सोचकर वो मुस्कुराई, असल में अनिल के जाने के बाद उसने उनका मोबाईल देख लिया था | लेकिन उसे ये नहीं पता था जीजा जी इतनी जल्दी लौट आयेगें | अपने होशो हवास में होती तो शायद कुछ और बात थी | उसने अनुमान लगाया की उसे छिपकर शायद वही देख रहे है | वो तेजी से गयी और पिछला दरवाजा बंद करके फिर से कमरे में आ गई | अनिल ने बमुश्किल खुद को एक परदे के पीछे छिपाया | फिर से आकर वैसे ही कड़ी हो गयी जैसे कुछ हुआ ही न हो | आगे पीछे ऊपर नीचे अपने जिस्म का कोना कोना खुद को नुमाइश करने लगी | बार बार खुद को शीशे में देखती मुस्कुराती, एक बार झाके से वो उस तरह को घूम गयी जहाँ से अनिल उसके अनिर्वचनीय सौन्दर्य का रसपान कर रहे थे | उसकी लहराती जुल्फे बार बार उसके चेहरे पर आ जाती | उसकी काली कजरारी आंखे और उसने कातिलाना अदा के साथ बाहर की तरफ देखना, जैसे कोई आमंत्रण हो | उसके उभरे हुए वक्षस्थल और उसकी चोटियाँ रीमा के सौंदर्य में चार चाँद लगा रहे थे | उसके उभरे हुए कुल्हे और पीछे को उठी हुए सख्त ठोस सख्त मांसल चूतड़ और उनके कटाव झुकाव बस देखते ही बनते थे | अनिल का मन तो कर रहा था जाकर उसके धवल गुलाबी उठे हुए मांसल चुताड़ो को अपने सख्त हाथ से मसल मसल कर बिलकुल टमाटर जैसा लाल कर दू | अनिल से अब बर्दाश्त से बाहर था | रीमा के नग्न साक्षात् अप्सरा स्वरुप से दर्शन के बाद उनके लंड में जो अकडन आई वो तो आई ही उनके दिलो दिमाग में रीमा के जिस्म का पोर पोर छप गया | रीमा कुछ देर तक बाहर के अँधेरे की तरफ घूरती रही, फिर समझ गयी अनिल अब आगे नहीं बढ़ेगे, इसलिए वो फिर से सीधे की तरफ सीधी होकर अपने ही सौंदर्य का अपनी ही कजरारी चंचल तीखे नैनो से रसपान करने लगी |

जब रीमा को लगा अब अनिल इससे आगे नहीं बढ़ेगे और इसी तरह चोरी चोरी उसके दमकते जिस्म का अपनी आँखों से रसपान करेगें तो वो भी अपनी रेशमी जुल्फे लहराती हुई बिस्तर पर आकर लेट गयी | जब से रोहिणी ने अनिल के लंड के बारे में बताया, लालसा तो उसके मन में भी जाग उठी की एक बार जीजा जी के नाग नाथ के दर्शन तो किये ही जाये लेकिन कैसे ? वो अभी भी फुल नशे में थी इसलिए उसे अपनी कामनाओं को अपने ही मन में जाहिर करने में कोई शर्म नहीं महसूस हो रही थी, वरना और कोई वक्त होता तो शायद अब तक इस ख्याल के लिए खुद को ही 20 बार कोस चुकी होती | कैसा होगा ११ इच्नी नागनाथ | दीदी की तो चीखे उबल पड़ती होगी | अरे अब कहाँ, अब तो दीदी को इसकी आदत हो गयी होगी | कैसे एक बार में ले लेती होगी फुफकारते ललकारते भीमकाय काले नागनाथ को | मै तो मर ही जाउंगी | रीमा अपने ही ख्यालों में खोयी एक करवट हो गयी | उसके रेशमी बाल बिस्तर पर फैले हुए थे | उसकी गोरी पीठ अलग ही दमक रही थी और उसके भरी भरकम ऊँचे ऊँचे उठे हुए मांसल चुताड़ो की पहाड़ियों के उभार हाहाकारी लग रहे थे | उसके भारी भरकम चुताड़ो के पहाड़ियों की संकरी घाटी के बीच में से उसकी गुलाबी चूत के सटे हुए ओंठ नजर आ रहे थे | रीमा ने हलके से घुटने मोड़ लिए और हल्का सा गर्दन पीछे मोड़कर देखने लगी | शायद अनिल को संदेसा दें चाहती थी देख लो मेरा खूबसूरत जिस्म, देख लो मेरे चूतड़, मेरी जांघ, मेरी हाथ, मेरी पीठ और देख लो भारी भरकम चुताड़ो के बीच से झांकती मेरी चूत को |
अनिल की हालत बहुत बुरी हो गयी | उनका शरीर पसीने पसीने हो चूका था | अपनी पेंट के अन्दर हाथ घुसेड़कर अपने नागनाथ को अब मसलने लगे थे |
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