Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
09-02-2021, 04:02 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रीमा ने अपने जिस्म को सहलाना शुरू कर दिया | शायद वो भी अनिल से खेलना चाहती थी, उसे नहीं परवाह थी की ये गेम कहाँ जाकर खतम होगा लेकिन फिलहाल वो अभी तो इन सब बातो के बारे में नहीं सोच रही थी |
अनिल की हालत और बिगड़ रही थी | हालाँकि वो बंदा भी बहुत खेला खाया हुआ था इलसिए खुद को काबू करना आता था | उसे उसकी बीबी ने ही सिखाया है औरत को इतना मजबूर कर दो की खुद ही तुमारी बांहों में आकर बोले अब मुझे चोद दो | अगर मर्द औरत के पास पहले गया तो औरत चुदने में इतने नखरे दिखाएगी की आदमी की गांड से पसीना निकाल देगी |
और आगे हमेशा के लिए इसे ही अपना ट्रेडमार्क बना लेगी | इसलिए अनिल का फंडा था अपने जिस्म में चूत की प्यास उतनी जगावो जीतनी आपके लंड में सामने वाली चूत में आग लगाने की कुव्वत हो | एक बार आपके लंड के नाम की आग किसी चूत में लग गई फिर तो आप ही का लंड असली फायर ब्रिगेड है | जब मर्जी हो जीतनी मर्जी हो उतनी आग बुझाओ, जब तक न बुझे , चूत को मसलते रहो, कुचलते रहो, हंसी ख़ुशी राजी होकर औरत चुदवाती रहेगी | लेकिन आज ऐसा लग रहा था रीमा को देखकर उनका सारा काम ज्ञान फ़ैल होने वाला है | उनसे अब काबू नहीं हो रहा था और मन कर रहा था बस जाकर रीमा की जांघे फैलाये और पेल से अपना फनफनाता नागनाथ रीमा की गुलाबी चूत की मखमली गहराइयों में | कसम से रीमा जैसी चूत से एक रात में तो मन नहीं भरेगा | इसे तो कम से कम महीने भर तक चोदना होगा | क्या करू क्या न करू उनकी कुछ समझ नहीं आ रहा था |
रीमा को पता था अब अनिल इससे आगे जाने वाले नहीं है और उसकी आँखों में भी शराब और नीद का नशा पूरी तरह से घर कर चूका था | रीमा ने बेड पर लेटे लेटे ही हल्का सा स्लीपिंग म्यूजिक बजा दिया और सोने के लिए अपने ऊपर चादर डाल ली | इधर अनिल बहुत उधेड़बुन में थे | रीमा को चोदना उनका सपना था और रीमा बस कुछ फुट और एक दीवार की दूरी पर पूरी तरह से नंगी लेती है | उनका लंड भी बुरु तरह से अकड़ा हुआ है | अब इससे अच्छा मौका दुबारा कहाँ मिलेगा | अभी वो शराब के नशे में है इसलिए उसे भी कहाँ कुछ पता चलने वाला है | एक बार पुछुगा, हाँ बोलेगी तो ठीक नहीं बोलेगी तो ठीक | साली को अपनी जांघ के नीचे दबाकर उसकी गुलाबी चूत में लंड पेल दूगां | बाकि एक बार चूत में लंड गया तो गया फिर झड़ने से पहले तो निकलेगा नहीं | सुबह जो भी रोना धोना होगा वो सुबह देखा जायेगा | रोहिणी के पैरो में गिर कर माफ़ी मांग लूगाँ | अपने अन्दर जमकर करके विस्वास इकठ्ठा करने के बाद अनिल ने रीमा के बेडरूम की तरफ कदम बढाया | इससे पहले वो दूसरा कदम बढ़ाते उनका फ़ोन घनघनाने लगा | गनीमत तो ये थी की वाइब्रेशन मोड में था वरना आज उनका पकड़ा जान निश्चित था | फिर के सामने ही उनकी चोरी पकड़ ली जाती | वाइब्रेशन की आवाज रीमा के कानो तक पहुँच गयी | जीजा को रंगे हाथो पकड़ने का इससे बेहतर कोई मौका नहीं था | यही सोच रीमा ने अपने जिस्म पर से हलकी चादर खिसकाई, चादर उसके कमर के नीच पहुँच गयी | उसकी चिकनी पीठ, भारी भरकम उठे हुए चूतड़ और उसका नंगा गोरा जिस्म कमरे की रौशनी में नुमाया हो गया | इससे पहले वो उठती उसे वाइब्रेशन की आवाज दूर जाती सुनाई दी | रीमा पीठ के बल लेटे लेटे बाहर की तरह देखने लगी | जैसे अनिल को चुनती दे रही हो देख फट्टू एक नंगी चूत तेरे सामने लेती है और तू बस अपना लंड सहला रहा है | अनिल अब तक बाहर की तरफ जा चुके थे | अनिल ने आइस्ते से पिछला दरवाजा खोला और बाहर निकले और फिर कॉल रिसीव की | कॉल उनकी पत्नी की जो उनसे फ़ोन मिला या नहीं ये जानना चाह रही थी | रीमा हल्का सा मुस्कुराई, थोडा सा अपने जिस्म पर इतराई और फिर तकिये में मुहँ घुसाकर सोने की कोशिश करने लगी |

उस दिन के बाद से अनिल के ऊपर तो जैसे रीमा का बुखार ही चढ़ गया | सुबह शाम दिन रात उनके दिमाग में वही रीमा का नंगा गोरा गुलाबी बदन ही आगे पीछे घूमता रहता था | रात में सोते तो भी रीमा उनको सपने में दिखाई देती थी | उस दिन जब अनिल रात को घर वापस गए तो उन्होंने और रोहिणी दोनों ने शराब पी रखी थी | उसके बाद जब वो मोबाईल लेने वापस रीमा के घर गए और वहां से वापस लौटे | जब तक वो घर पहुंचे रोहिणी लगभग लगभग नींद के आगोश में जा चुकी थी लेकिन अनिल बेचैन थे रीमा ने उनके अंदर वो आग लगा दी थी की वो समझ ही नहीं पा रहे थे की इसे कैसे बुझाये | क्या करें क्या न करें की पैंट के अंदर उनका काला मोटा लंड अभी भी उनकी पेंट में मीनार की तरह खड़ा हुआ था | अब पछता रहे थे क्यों वो फ़ोन वापस लेने गए थे | वहां जाकर जो जो कुछ भी देखा उसको देखकर अभी तक अनिल के दिलों दिमाग में बस वही छाया हुआ था | अनिल ने कपड़े उतार कर के सोने की कोशिश करी और चुपचाप बिस्तर में घुस गए | शराब का भरपूर नशा था फिर भी नींद आंखों से बहुत दूर थी बार-बार घूमकर उनके दिलो-दिमाग पर रीमा का नंगा गोरा बदन आ जाता था रीमा के भारी-भारी चूतड़ , उसकी गोरी छाती के उठे हुए उरोज, गोरी चिकनी पीठ, मांसल भरी भरकम चूतड़, गुलाबी कमसिन चिकनी चूत..................अनिल तो पूरी तरह से रीमा के गुलाबी गोर जिस्म के आकर्षण के मोह जाल में फंस चुके थे उनकी आंखों से नींद मीलो दूर थी फिर भी जबरदस्ती किसी तरह से वह अपना सर तकिये में घुसा कर सोने की कोशिश करने लगे | बहुत हाथ पाँव मारने के बाद, ढेर सारा पानी पीने के बाद, किसी तरह से सोने की गोली खाकर बहुत ही ज्यादा मुश्किल के बाद अपने आप को काबू करके आखिरकार अनिल सो गए | ये अनिल के लिए हाल के एक दशक की सबसे मुश्किल रात में बदल गयी |
Reply
09-02-2021, 04:02 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
सुबह जब उठे तो पहला विचार जो दिमाग में आया वह रीमा का ही था | अपने दिल का हाल किस्से काहे क्या काहे, अभी तो रोहित भी यहाँ नहीं था | कल तो रोहिणी शराब के नशे में थी इसलिए सब कुछ उसे मंजूर था लेकिन अब अगर उन्होंने गलती से भी रीमा का नाम भी अपनी जुबान पर ला दिया तो उनका सर काट कर उनके हाथ में दे देगी | अजीब सी दुविधा और पशोपेश से घिर गए थे |
अनिल कहां यहां पर छुट्टियां मनाने आए थे एंजॉय करने आए थे लेकिन यहाँ आकर तो रीमा नाम की एक अजीब सी नई मुसीबत में फंस गए थे | रीमा को पाने की लालसा, उसको चोदने की लालसा उनके अन्दर बलवती होती जा रही थी अब तो न सहा जा रहा था और ना ही रुका जा रहा था आखिर करे तो क्या करें चूत है ही ऐसी बीमारी जिसको लग जाए, उसको जब तक मिल न जाये तब तक उसकी भूख प्यास सब मर जाती है | अनिल अनुभवी इंसान थे सुबह का अशांत मन शाम तक शांत होने लगा | उनका दिमाग काम करने लगा | भावनाए और अन्दर का काम वेग थोडा सा थम गया | एक दो दिन इसी उधेड़बुन में निकल गए और इसी बीच अनिल के मस्तिस्क में पहले से ज्यादा स्थिरता आ गयी | दिन में तो खुद को संयमित कर लेटे लेकिन रात में रीमा के सपने आकर उन्हें बुरी तरह से परेशान करने लगे | एक दिन अपनी पत्नी के साथ गहरी नीद में सो रहे थे और उन्हें रीमा का सपना आ रहा था जिसमें रीमा बार-बार जालीदार कपड़े बदल बदल कर के पहनकर के वॉक करते हुए उनकी तरफ आ रही थी और वो उसको देखते ही जोर-जोर से तालियां बजा रहे थे और अपनी पेंट से अपना मोटा काला लंड निकाल कर के उसे जोर जोर से मुठिया रहे थे | रीमा ने एक पूरी तरह से जालीदार बॉडीसूट टीडी पहन रखा था जिसके अंदर से उसका पूरा नंगा शरीर झांक रहा था | दोनों कंधे के ऊपर पतली पतली काली
स्ट्रिप उस जालीदार पारदर्शी बॉडीसूट टेडी को उसके नंगे बदन पर लटकाए थी | और उसके नीचे उसके बड़े बड़े स्तनों को सहेजे पारदर्शी ब्रा से उसकी चुचियाँ झांक रही थी , वो नीचे जाकर जालीदार net से जुडी हुई थी | उस काली पारदर्शी बॉडीसूट टेडी से उसके बड़े बड़े बड़े उरोज जो उसके अन्दर संभाल कर छुपे हुए थे साफ़ साफ़ झलक रहे थे |

रीमा ने जालीदार बॉडीसूट टेडी छोटा सा स्कर्ट पहन रखा था जिसने बमुश्किल ही उसका बदन चुताड़ो तक ढक पा रहा था सब कुछ तो साफ बाहर झलक रहा था | रीमा के बड़े-बड़े दूधों को देख कर के किसी का भी लंड आराम से खड़ा हो सकता था | ब्रा ख़त्म होते ही काले धागे की जाली शुरू हो गयी थी, जो उसके कमर के निचले हिस्से कमर के निचले हिस्से तक गई हुई थी | जिसका पहनना न पहनना बराबर था | उसमें से रीमा का पूरा नंगा सफेद गोरा गुलाबी बदन साफ़ साफ़ झलक रहा था नीचे की तरफ को सपाट पेट दिख रहा था उसमें गोल गोल सुघड़ नाभि भी दिख रही थी और उसके नीचे जाने के बाद रीमा की निचली मखमली घाटी का इलाका शुरू हो जाता है | रीमा का चूत त्रिकोण बिलकुल चिकना सफाचट गोरा गुलाबी रंगत लिए हुए उसके हुस्न में चार चाँद लगा रहा था | जब रीमा चलती तो उसकी नाजुक गोरी जांघे आपस में रगड़ खाती, और उसके साथ उसकी चूत के कसे ओंठ आपस में रगड़ खा जाते | उस जालीदार सूट से रीमा की खूबसूरत मखमली चूत का हल्का सा चीरा हल्का सा दिख रहा था | हर कदम के साथ उसकी मटकती कमर और उठते गिरते कुल्हे, थलर थलर होते उसे पहाड़ी भारी भरकम मांसल चूतड़ | अनिल के लंड में तो जैसे किसी ने पंप से खून भरना शुरू कर दिया हो | इस तरह से फूलकर कांपने लगा जैसे कोई गुस्स्से से लाल काला नाग फुफकारता है | हर अनिल की तरफ बढ़ते कदम के साथ उसकी जांघें आपस में आपस में एक दूसरे को क्रॉस कर रही थी और उसके उसकी चूत के सख्त कसे हुए ओंठ आपस में रगड़ खा रहे थे | रीमा ने भारी मेकअप किया हुआ था और उसने बाल भी बनाए हुए थे उसकी काली काली कजरारी आंखें उसके लिपिस्टिक लगाए हुए लाल लाल होंठ उसके गुलाबी छटा बिखेरते हुए नरम नरम गाल और उसका गोरा दमकता हुआ बदन | रीमा किसी परी से कम नहीं लग रही थी | यह सब सपने में देखते देखते अनिल का लंड फटने की कगार पर पंहुच गया था | उनके लंड की अकडन अब बर्दाश्त से बाहर हो रही थी | उन्होंने आगे बढ़कर रीमा पकड़ने की कोशिश की लेकिन रीमा खिल्किलाती हुई पीछे हट गयी और अपने काले लंड को मुठियाते अनिल मन मसोस कर रह गए | सपने में बुरी तरह से खोये अनिल ने अपनी बीवी रोहिणी को कस कर पकड़ लिया था रोहिणी भी गहरी नींद में थी लेकिन जैसे ही अनिल ने उसे खीचा वो अनिल की बांहों में समाती चली गयी | उसका एक हाथ अपने आप ही अनिल के लंड पर चला गया | वो सोते सोते अनिल के लंड को मुठीयाने लगी | रोहिणी अनिल का लंड सहला रही थी और अनिल रीमा के गुलाबी खूबसूरत हसीन जिस्म का सपना देख रहे थे | अनिल तो रीमा की गुलाबी चूत के चीरे पर ही अटक कर रह गए | सपने में भी बार-बार उनकी नजर बस रीमा के चूत त्रिकोण की निचली दरार जो उन्होंने पारदर्शी जाली के अंदर देखी थी उस पर जाकर अटक जाती | रीमा की मखमली चूत का वो चीरा जब इतना खूबसूरत है तो रीमा की गुलाबी कमसिन चूत कितनी खूबसूरत होगी | क्या खूबसूरत चूत त्रिकोण है क्या चिकना बदन है क्या चिकनी चूत है क्या कमाल का जिस्म है है उपरवाले ने कैसे बनाया होगा इतनी कमसिन हसीना को | मैंने तो अपनी जिंदगी में देखी नहीं ऐसी औरत | अब मुझसे रहा नहीं जाता है अब तो साला रीमा को चोदना ही होगा | उपरवाले अब रीमा को बस मेरे पास भेज दो, इतना कहना था कि रीमा एक और पारदर्शी लिबास में अदा से कैटवॉक करते हुए उनकी तरफ बढ़ती हुई चली आ रही थी उसको देखकर अनिल की सांसे और खून का दौरान अपने आप ही बढ़ने लगा था | जैसे-जैसे रीमा उनके करीब आती जा रही थी वो अपनी जालीदार कपड़ा उतारती जा रही थी | अनिल के पास तक आते आते रीमा ने वो जालीदार कपड़ा पूरी तरह से उतार दिया | रीमा अब पूरी तरह से नंगी थी अनिल आगे बढ़े और आगे बढ़ के जल्दी से रीमा के दोनों बड़े बड़े स्तनों को कस कर पकड़ लिया और पूरी ताकत से मसलने लगे | अनिल के मजबूत हाथों की जकड़न से रीमा के मुंह से दर्द भरी चीत्कार निकल गई | अनिल बिलकुल वहशी होकर रीमा के स्तनों को मसलने लगे | रीमा को तेज दर्द होने लगा था, वो अनिल को मना करने लगी लेकिन अनिल तो जैसे जानवरों की तरह उसके उरोज को मसल रहे थे रीमा ने अनिल के हाथ से अपनी नरम नाजुक छातियाँ छुड़ाने की कोशिश की लेकिन अनिल तो पूरी तरह से वैसी जानवर बन चुके थे उन्होंने रीमा के नरम नाजुक स्तन और कसकर भींच लिए | रीमा ने हर कोशिश कर ली इस दर्द से बचने की लेकिन असफल रहने पर रीमा ने एक झन्नाटेदार झापड़ अनिल के मुंह पर जड़ दिया | अनिल का सपना सच में टूट गया, उसके हाथ अपनी बीबी रोहिणी के उरोर्जो को बुरी तरह से अपनी गिरफ्त में लिए हुए है उन्होंने देखा कि वह अपनी बीवी रोहिणी के बड़े बड़े स्तनों को मसल रहे थे और रीमा नहीं रोहिणी ने ही उन्हें झापड़ मारा है | भारी नीद से भरी आँखों के साथ अनिल माथा पकड़ कर बैठ गए, यह तो सपना था बस | उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़, रीमा क्या करवा डाले मुझसे |

अनिल को काफी शर्मिंदगी महसूस हुई उस रात को | उसके बाद में उन्होंने इसी में भलाई समझी कि वह रोहिणी से अलग कमरे में सोये | वो नहीं चाहते थे की रीमा के नशे में वो रोहिणी को कोई नुकसान पंहुचा बैठे | अलग कमरे में सोने के के बाद भी उनके दिम्माग में आने वाले सपने उनका पीछा नहीं छोड़ रहे थे जैसे ही वो नींद के आगोश में गए उन्होंने देखा आसमान में बादलों के बीच में रीमा तैरती हुई उनके पास आ रही है उसने सफ़ेद रंग की एक बिकनी पहन रखी है अपनी तरफ आते देख अनिल ने निश्चिंत करना चाहा की कही ये भी तो सपना नहीं है लेकिन जिस अदा से रीमा उनकी तरफ बढ़ती हुई आ रही थी उनको लगा ये सपना नहीं है इस बार सच में रीमा ही है बड़ी अदा से कमर मटकाती हुई सफेद बिकनी पहने हुए अपनी जुल्फें लहराते हुए अपनी कजरारी आंखें मटकाती हुई उनकी तरफ आ रही थी उसको देखते ही अनिल के जिस्म में फिर से खून का दौरान बढ़ने लगा था उनके लंड में फिर से अकड़न आने लगी थी अब तक रीमा उनके काफी नजदीक आ चुकी थी जैसे ही वह उनके थोड़ा नजदीक आई उसने अपने कंधों से वह बिकनी नीचे खिसका दी और उसके बड़े बड़े दूध जैसे गोरे गोरे उरोज हवा में झूल गए , अनिल की आँखों के सामने नुमाया हो गए | रीमा अपनी जुल्फें इधर उधर लहरा रही थी कभी इस कंधे पर डालती कभी उस कंधे पर डाल दी इसी बीच में उसके बड़े बड़े उरोज ऊपर नीचे जोर-जोर से हिल रहे थे | रीमा का कमर के नीचे का हिस्सा अभी भी उसी सफ़ेद बिकनी से ढका हुआ था |
Reply
09-02-2021, 04:02 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
नंगे बदन रीमा कभी मुस्कुराती कभी बलखाती कभी अपने भारी भरकम चूतड़ हिलाती कभी अपनी छाती हिलाती और यह सब देखकर एक बार फिर से अनिल का लंड पूरी तरह से तन गया था | अनिल से अब बर्दाश्त से बाहर हो गया था |
आखिर वो बोल ही पड़े - मेरे पास आवो रीमा अब बर्दाश्त से बाहर हो रहा है, कितना तड़पातीहो तुम, दिल दिमाग शरीर आत्मा सब बेचैन है तुमारे गोरे बदन का नरम मखमली स्पर्श पाने के लिए | मेरा लंड देखो कितना अकड़ गया है |
रीमा मटकती हुई बोली - तो मै क्या करू |
अनिल बेबस होते हुए - इसकी प्यास बुझावो , ये तुमारे लिए तड़प रहा है |
रीमा खिलखिलाते हुए - अरे तो मैंने थोड़े कहा था तड़पने के लिए |
अनिल - रीमा अब और न तडपाओ नहीं तो मै मर ही जाऊंगा | अब मेरे पास आ जावो, अब बस मै तुमको चोदना चाहता हूँ | बस चोदना चाहता हूँ |

रीमा भी वासना से भरी अदा से बोली - मान न मान मै तेरा मेहमान | मैंने क्या किया है जो मेरी चूत के प्यासे हो गए |

अनिल - तुमने ही तो सब किया है, इतना खूबसूरत बदन, इसकी कोई एक हल्की सी झलक देख ले तो पागल हो जाये, तुमने तो सब कुछ दिखा दिया | अब तो ये ११ इंची लंड पागल हुआ जा रहा है |
रीमा अफ़सोस जाहिर करती हुई - इसमें मेरी क्या गलती है, मैंने थोड़े इसे खड़ा किया है |
अनिल - तुमारी कोई गलती नहीं लेकिन ऐसे तो तड़प तड़प कर मर जायेगा ये | कुछ दया करो इस पर, रहम खावो इस पर |
रीमा -अच्छा फिर जो ये मेरी चूत का फालूदा बना देगा |
अनिल तो अब बस रीमा के पांव में पड़ने की हालत में आ गए - अब तुम या तो इसका गला घोट दो या फिर इसे स्वर्ग की सैर करा दो | इस हालत में अब और नहीं जीना चाहता है ये |
रीमा - उफ्फ्फफ्फ्फ़.................ठीक है, मै नहीं चाहती कोई मेरी वजह से शहीद हो जाये | आपका है तो बहुत भरी भरकम, पता नहीं कैसे ले पाऊँगी अपनी नाजुक सी संकरी चूत में फिर भी ये पैंटी मै उतार देती हूँ उसके बाद पहले मैं तुम्हारा लंड चुसुंगी और तब तक चुसुंगी जब तक इसका सुपाडा मेरे मुहँ में नहीं समां जाता, क्योंकि अगर मुहँ में इसका सुपाडा नहीं आया तो ये मेरी चूत में भी नहीं घुसेगा |
अनिल - सब आ जायेगा तुमारी चूत में, ऐसा कोई लंड नहीं बना दुनिया में जिसे चूत घोंट न सके |
रीमा - हर मर्द यही कहता है लेकिन चीखे तो हमारी उबल पड़ती है लंड घोटते समय | फिर भी जब इतना तड़प रहे है तो आप जमकर मुझे चोदना लेना , घंटे दो घंटे रात भर दिन रात महीने भर कर चोदना | तब तक चोदते ही रहना जब तक आपके लंड की प्यास न बुझ जाये | मेरी चूत अपनी गाढ़ी मलाई से लबालब भर देना, ताकि आपका लंड फिर कभी मेरी चूत के लिए प्यासा नहीं रहे |
अनिल उत्साह से - हा हा रीमा हहा बिलकुल सही कह रही है, बस जल्दी से कपड़े उतार दो अब |
इतना कहकर रीमा ने अपनी जिस्म का सफ़ेद कपड़ा भी उतार दिया | और जब वो अनिल की तरफ घूमी तो अनिल चौक गए, अरे ये तो बिलकुल वही पोज है जब रीमा ने मुझे कमरे से देखा था | वो कंफ्यूज हो गए ये क्या हो रहा है उनके साथ | रीमा अपनी जगह ही खड़ी रही और अनिल को अपनी चुदाई करने का आमंत्रण देती रही लेकिन न चाहते हुए भी अनिल पता नहीं क्यों अपना लंड थामे उससे दूर जाते रहे | कुछ भी अनिल के नियंत्रण में नहीं था | उनके हाथ में आई रीमा फिसलती जा रही थी, रीमा वही की वही कड़ी थी लेकिन वो खुद बखुद उससे दूर जाते रहे और इससे पहले वो वो इतनी दूर पहुँच जाये की रीमा उनकी आखो से ओझल हो जाये उनकी आंख खुल गयी |

आंखे खुलते ही वो हकीकत से रूबरू हुए | उनका लंड अकड़कर पत्थर बन चूका था उर वो फिर से रीमा के बारे में एक बुरा सपना देख रहे थे | बाथरूम में जाकर हाथ मुहँ धुले और ढेर सारा पानी पिया | कुछ देर तक शांत होकर बैठे रहे | धीरे धीरे उनका लंड नरम हो गया | फिर से सोने की कोशिश करने लगे |

अगले दिन जब सुबह उठे तो उन्होंने इन बेतुके सपनो का इलाज निकालने की सोची | उन्हें पता था रीमा बार बार क्यों उनके सपनों में आती है क्योंकि आजकल उनके अन्दर की सारी वासना इकठ्ठा होकर उनके दिमाग में रीमा को भर देती है | आज वो ऐसा नहीं होने देगें, इसलिए उन्होंने पत्नी के साथ बाहर जाने का प्लान बना लिया और रात में वापस आने के बाद उसको चोदने का प्लान बना लिया | उसके बाद देखते है कैसे रीमा के सपने उन्हें आते है | उन्हें हकीकत का सामना करना ही होगा, रीमा उनकी जिदगी की हकीकत नहीं है | उसको चोदने के फालतू के फितूर से उसे बाहर निकलना होगा | दिन भर वो पत्नी के साथ अलग अलग जगहों पर घूमने गए और शाम को एक बेहरतीन से रेस्टोरेंट में कैंडल लाइट डिनर किया | घर आते आते दोनों थक गए थे लेकिन अनिल ने घर आते ही अपने इरादे जाहिर कर दिए और कपड़े उतारकर सीधे बाथरूम में घुस गए | वहां से नहाकर ताज फ्रेश होकर निकले | रोहिणी ने गौर से देखा और समझ गयी आज पतिदेव का मिजाज बना हुआ है | वो भी रात के दस बजे नहा धोकर तैयार होकर आ गयी | दोनों ने जमकर चुदाई करी, एक बार में अनिल का जी नहीं भरा तो रोहिणी को दूसरी बार के लिए मनाने लगे | रोहिनी भी आज पुरे मूड में थी इसलिए उसने भी ज्यादा न नुकुर नहीं करी | दिन भर घूमने के बाद दो बार चुदाई करके अनिल बुरी तरह से थक गए और अपनी नंगी बीबी की बांहों में ही सिमटकर सो गए | आज रात गहरी नीद सोये और कोई सपना भी नहीं आया | दो चार दिन तक सब ठीक रहा फिर एक दिन सोते हुए रीमा का सपना देखने लगे | उनकी तरह ही रीमा भी बिस्तर पर उलटा लेती सो रही थी | हालाँकि रीमाँ के जिस्म पर हमेशा की तरह कोई कपडे नहीं थे | और चादर उसके चुताड़ो के नीचे तक खिसकी पड़ी थी | उसकी रेशमी जुल्फे बिस्तर पर फैली हुई थी | उसकी चिकनी गोरी पीठ उसके जिस्म की रंगत की चमक का एक नमूना दे रही थी |

अनिल रीमा के बेड के करीब पंहुच गए और उसके पास खड़े होकर उसके खूबसूरत जिस्म को अपने दिलो दिमाग में उतारने लगे | तभी बिना किसी के आवाज के भी रीमा जाग गयी, अपनी चिर परिचित मुस्कराहट के साथ उसने अनिल की तरफ देखा | अनिल दुखी दुखी अपना काला लंड अपने हाथ में थामे बड़ी उम्मीदों के साथ रीमा की तरफ देख रहे थे | ये देखते ही रीमा हंसने लगी | अनिल झेप गए, उन्हें समझ आ गया रीमा क्यों हंस रही है | उन्हें भी ऐसा बचपना नहीं करना चाहिए | उन्हें लगा रीमा इसलिए हंस रही है जैस उनसे कह रही हो अभी तक अपने लंड को पकडे पकडे ही घूम रहे हो | आगे बढ़ो, अगर मेरी चूत चोदने को नहीं मिलेगी तो क्या इसी तरह से लंड पकड़े पकड़े घुमते रहोगे | अनिल को बहुत शर्म महसूस हो रही थी ऐसा लग रहा था वो रीमा के सामने किसी 15 साल के बच्चे की तरह चूत चोदने की जिद लेकर बैठे है | चोदुगा तो तुम्हे ही नहीं तो हाथ में लिए इस लंड को घूमता रहूगां | अनिल को लग रहा था बस धरती फट जाये और वो उसमे समां जाये | वो वहां से तेजी से बाहर आ जाये | बाहर गली में ढेर सारी भीड़ थे, आसपास के सारे लोग गली में खड़े थे इसमें उसके बीबी और बच्चे भी थे | सभी उनको देखकर हंस रहे थे, उन्हें समझ नहीं आ रहा था क्यों, वो तेजी से गली में आगे बढ़ने लगते है लेकिन सभी के सभी उन्हें देखते ही हंसने लगते है | तभी उनका ध्यान नीचे जाता है, उनकी पेंट से उनका ११ इंची लंड बाहर निकला हुआ है और वो तेजी से उसका मुठ मार रहे है और उन्होंने अपने सुपाडे पर रीमा का टैटू भी बनवाया है |

ये सब देखते ही अनिल जल्दी से गली से भागकर फिर से रीमा के कमरे में घुस आये | रीमा के गोर जिस्म पर सर से पैरो तक कपड़ो का कोई नामो निशान नहीं था, ऊपर से उसने चादर भी पैरो के नीचे तक खिसका दी थी | रीमा पीठ के बल बिस्तर पर पड़ी थी इसलिए उसके चूतड़ ऊपर की तरफ हवा में उठे हुए थे | और उसके पहाड़ी की तरह उठे हुए मांसल चुताड़ो के बीच से उसकी चूत की दरार साफ़ दिख रही थी | उसकी चूत के ओंठ आपस में चिपके हुए थे, उसकी चिकनी चूत की गुलाबी लालिमा देख अनिल समोहित से हो गए | ऐसा लग रहा था जैसे रीमा प्रणय का खुला आमंत्रण दे रही हो | स्त्री पुरुष के बीच खेला जाने वाला वासना का सबसे प्राकृतिक खुला खेल ...............जिसे चुदाई कहा जाता है | आखिर एक औरत पूरी तरह से नंगी होकर किसी अबोध पुरुष को अपने जिस्म का सबसे वर्जित हिस्सा क्यों दिखाएगी | ये आमंत्रण था हवस के नंगे नाच का, ये आमंत्रण था वासना के खुले खेल का | आवो चोदो मुझे, मै तैयार हूँ | मै तैयार हूँ तुमारा लंड लेने के लिए, तुमारा लंड अपनी चूत में लेने के लिए, अपनी चूत की मखमली गहराई में लेने के लिए | अपन लंड की अकड़न और मेरी चूत की खुजली एक साथ मिटा दो | मुझे चोद दो अनिल, अब और इन्तजार न करावो | अब बस मुझे चोद दो, बस जमकर चोद दो, इस चूत में घुसेड दो अपना ११ इंची लंड | रीमा की मादक आँखे बिना कुछ कहे कहे ही सब कुछ कह रही थी | अनिल का लंड पूरी तरह से अकड़ चूका था | उन्हें बस अब उसे रीमा की चूत में घुसेड़ने की देर थी |
रीमा पूरी तरह से नंगी थी, बिस्तर पर लेती थी खामोश थी, बड़ी आस से अनिल को देख रही, जैसे मौन आमंत्रण दे रही हो | लेकिन अनिल के तो जैसे पैर जाम हो गए, वो आगे बढ़ना चाहते थे लेकिन जैसे किसी ने उनके पैर धरती से फविकोल से चिपका दिए हो | वो बेतहाशा अपने लंड को मसल रहे थे | रीमा उनके सामने थी, पूरी तरह से नंगी लेटी थी, उसकी गुलाबी चूत भी उनकी तरफ थी, उन्हें बस कुछ कदम चल कर आगे जाना था और अपने लंड का मोटा सुपाडा रीमा के चूत के गुलाबी ओंठो को फैलाकर उसकी मखमली गुलाबी चूत सुरंग पर लगाकर अन्दर पेल देना था | अनिल इतना भी कर पाने में खुद असमर्थ पा रहे थे, आखिर क्या हो गया उनके पैरो को | आखिर ये आगे क्यों नहीं बढ़ रहे | उनके जीवन की सबसे खूबसूरत औरत, उनके जीवन की सबसे कामुक फैंटसी रीमा उसनके सामने नंगी होकर उन्हें चोदने का आमंत्रण दे रही है लेकिन ऐसा लगा रहा है जैसे उन्हें किसी ने बुत बना दिया हो |
Reply
09-02-2021, 04:02 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
अनिल अपने हाथ पाँव मार रहे थे लेकिन सब व्यर्थ | आखिरकार रीमा को नंगी देखकर अनिल तेजी से अपने लंड को मुठीयाने लगे | लेकिन यहाँ तो उससे भी उलटा हो रहा था | अरे उनका लंड मुरझाने लगा, ये क्या हो रहा था उनके साथ | वो और तेजी से लंड मुठीयाने लगे लेकिन लंड का मुरझाना नहीं रुका | रीमा का नंगा बदन भी उनके लंड में खून का दौरान बढ़ाने में असफल प्रतीत हो रहा था | उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था आखिर ये सब हो क्या रहा है | अचानक पलक झपकते ही वो आसमान में पहुँच गए | रीमा बिलकुल उसी तरह से अनिल को देखते हुए कातिल मुस्कान से मुस्काने लगी | रीमा उसी अंदाज में खड़ी थी उसी पोज में कड़ी थी उसी तेवर के साथ कड़ी थी | उसके चूतड़ वैसे ही उठे हुए थे, अनिल को एक बारगी यकीन नहीं हुआ, कही वो कोई मूरत तो नहीं देख रहे | बिलकुल ऐसे ही रीमा को उन्होंने रीमा के घर में देखा था | अनिल हैरान थे ये दुबारा कैसे हो सकता है |

रीमा अनिल की दुविधा देख हंसने लगी और हंसती ही रही | अनिल को समझ नहीं आया रीमा क्यों हंस रही है वो अपने मुरझाये लंड को और जोर जोर से मुठीयाने लगे | जीतनी जोर से अनिल अपने ११ इंची लंड को मुठियाते उतनी ही तेज रीमा की हंसी होती जा रही थी |
आखिर अनिल ने झुंझलाकर पूछ ही लिया - आखिर ये सब मेरे साथ हो क्या रहा है, तुम हंस क्यों रही हो, मेरा लंड खड़ा क्यों नहीं हो रहा | तुमारे नंगे गोरे गुलाबी बदन की महक मेरे लंड में खून का दौरान क्यों नहीं बढ़ा रही |
रीमा बस हंसती ही रही |
अनिल की झुन्झुलाहट और बढ़ गयी - कुछ बोलोगी या ऐसे ही हंसती रहोगी |
रीमा - अब तुमारे बस का नहीं है मेरी चूत की प्यास बुझा पाना | तुम बूढ़े हो गये हो, तुमारे लंड में अब इतनी जान नहीं रही जो मेरी चूत की दीवारों की खुजली मिटा सके | अब इसे सिर्फ मुतने का काम लो |
अनिल - अभी मै इतना बुढा नहीं हुआ हूँ | मेरे लंड में बहुत जान है, अभी चोदना शुरू करूगां तुझे तो सुबह तक नहीं रुकुंगा | अभी पत्थर की कड़क हो जाता है, जब तेरी चूत में घुसेड़कर तुम्हे चोदुंगा, तो चीखे उबल पड़ेगें तेरे मुहँ से | रात भर चोदूगा, और रात भर तेरे मुहँ से चीखे निकलेगी |
रीमा फिर से ठहाका लगाने लगी |
अनिल - हंस मत, अभी मुझे समझ नहीं आ रहा है की मेरे साथ हो क्या रहा है | जैसे ही इस माया जाल से निक्लूगा, फिर तू रहम की भीख मांगेगी | रात रात भर चोदकर तेरी मख्खन मलाई जैसी चूत का कीमा बना दूंगा | तब देखूगना कौन ठहाके लगाता है |
रीमा - बस बाते करवा लो, डींगे मरवा लो, यहाँ चुदने को तरस रही हूँ, चूत में आग लगी है और तुम बातो से मेरी चूत चोदकर उसकी प्यास बुझा रहे हो |
अनिल झुंझलाते हुए - पता नहीं मेरे साथ क्या हो रहा है, कही मेरे पैर जाम हो जाते है कही मेरा खाद लंड मुरझा जाता है |
रीमा हंसती हुई अपनी कमर मटकाती हुई आगे की तरफ चल दी | अनिल उसे रुकने की आवाज लगाते रहे - रीमा रीमा रीमा |
तभी पसीने से लथपथ शरीर के साथ अनिल की आंख खुल गयी और उनका सपना टूट गया | अनिल माथा पकड़कर बैठ गए आखिरकार ये रीमा उसके दिमाग से कब जाएगी | असल जिदंगी में वो रीमा को लेकर इतने आकर्षित नहीं थे जितना उन्हें अब उसके सपने परेशान कर रहे थे | उन्हें इससे निकलने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था |

इधर जग्गू के बाप ने रीमा के बारे में सब कुछ पता लगा लिया | उसने दुसरे शहर के दो भाड़े के गुंडे हायर किये और रीमा का अपहरण करने की योजना बनायीं | वो रीमा को सबक सीखना चाहता था, रीमा ने उसके बेटे की गांड मरी थी वो खुद रीमा की गांड मारकर उसका घमंड चूर चूर करेगा | इसलिए उनसे दो प्रोफेशनल किडनैपर को हायर किया | वो कई दिनों तक रीमा के रूटीन का बारीकी से अध्ययन करते रहे | फिर एक दिन जब रीमा जनरल स्टोर से कुछ सामान खरीद कर लौट रही थी, तो सुनसान पार्किंग में उसे किडनैप करने की कोशिश की | रीमा की किस्मत बहुत अच्छी थी की वो जनरल स्टोर अभी अभी चिली स्प्रे खरीद कर निकली थी और वो उनसे हाथो में थे | रीमा अपनी कार के करीब पंहुची, उसने दरवाजा खोला, तभी एक आदमी ने उसके दरवाजे के पास आकर चाकू लगा दिया | इससे पहले वो कुछ करता रीमा ने उसके चेहरे पर स्प्रे दबा दिया | वो हवा में इधर उधर चाकू चलाने लगा | दूसरा आदमी जो पिछले दरवाजे से car में घुसकर रीमा को गन पॉइंट पर लेना चाहता था उसका प्लान फ़ैल हो गया | वो न तो कार के अन्दर था और न ही बाहर | उसका साथी अपनी आँखों की जलन के कारन जमीं पर लुढ़क गया था | अगर वो गोली चलाएगा तो बात बिगड़ सकती है | उसने रीमा को काबू करने के लिए तेजी से ड्राईवर के दरवाजे की तरफ बढ़ा तब तक रीमा ने कार स्टार्ट कर दी थी | वो चार आगे बढ़ाने वाली ही थी दुसरे आदमी ने रीमा के बाल पकड़ लिए | रीमा को ब्रेक लगाना पड़ गया | उसने स्प्रे को दुसरे आदमी पर चलाया लेकिन वो चालाक निकाला और उसने रीमा के बाल खीच एक जोरदार चमाट रीमा को जड़ दी | रीमा चिल्लाने लगी | दूसरा आदमी सतर्क हो गया, इतने में रीमा उसके पेट पर जोरदार लात मारी, लेकिन उसके हाथ में रीमा की कार की चाबी आ गयी थी | रीमा दूसरी तरफ पलटी और बिजली की फुर्ती से दूसरा दरवाजा खोलकर बाहर निकल गयी | जब तक वो रीमा को लपकने की कोशिश करता रीमा वहां से भाग निकली और और पूरी जान लगाकर स्टोर की तरफ भागी | सिचुएशन बिगडती देख उसने अपने दुसरे साथी को पकड़ा और अपनी बाइक स्टार्ट कर किसी तरह से वहां से भाग निकला | रीमा का बदहवास चेहरा देख स्टोर के सभी लोग भौचक्के रह गए | स्टोर का मालिक भागकर रीमा के पास आ गया | रीमा के सांसे तेज थी, वो बहुत तेज हाफ रही थी और उसके चेहरे की पर दर्द और दहसत की हवाइयां उड़ रह थी |

स्टोर मालिक ने पुछा - क्या हुआ ??
रीमा कुछ बोल नहीं पाई, हांफते हुए बस इतना ही मुहँ से निकला - गुंडे गुंडे ..........|
स्टोर मालिक ने रीमा के लिए पानी मंगाया - उसे चेहरे पर किडनैपेर द्वारा किये गए हमले के निशान थे | उसका चेहरा लाल हो गया था | किस्मत अच्छी थी कही कोई कट नहीं था |

रीमा एक झटके में ही पूरा गिलास खाली कर गयी | फिर एक लम्बी साँस लेकर बोली - कुछ गुंडे मुझे गन दिखाकर लूटना चाहते थे |
उसे उनके बारे में कुछ नहीं पता था इसलिए उसे लगा वे उसे लूटना चाहते थे |
स्टोर मालिक ने ही पुलिस को फ़ोन किया | रीमा का नाम सुनते ही पुलिस फटाफट आ गयी | रीमा के स्वर्गीय पति का दोस्त पुलिस महकमे में इस समय नंबर दो था | पुलिस ने तुरंत छानबीन शुरू कर दी |
रीमा को पुलिस अस्पताल ले गयी, डाक्टर ने एक दो दवाइयां दी क्योंकि चोट कुछ खास थी नहीं | उसके बाद रीमा को पुलिस घर तक छोड़ गयी | और सुरक्षा के लिए एक सिपाही को भी लगा दिया | अनिल को जैसे पता चला, पति पत्नी दोनों भागते हुए आये | रीमा ने अनिल को फ़ोन नहीं किया था, रोहित की बात अलग थी लेकिन अनिल रीमा के इतने करीब नहीं थे इसलिए उसने उन्हें परेशानी में डालना ठीक नहीं समझा | हालाँकि आते ही रोहिणी ने शिकवे शिकायते दर्ज करानी शुरू कर दी |
रोहिणी - रीमा हमे एक फ़ोन ही कर देती, इतना सब कुछ हो गया उअर तुमने हमें भनक तक नहीं लगाने दी |
रीमा - क्यों परेशान हो रही है दीदी, कुछ भी तो नहीं हुआ | पुलिस जल्दी ही आ गयी थी इसलिए क्या बताती | आप लोग बेवजह परेशान होते |
रोहिणी - अच्छा तो हम गैर है |
रीमा - नहीं दीदी ऐसा कुछ नहीं है, सब ठीक है |
रोहिणी - वो तो दिख रहा है |
रीमा - दीदी प्लीज ............ सब ठीक है |
रीमा के अन्दर डर भरा हुआ था लेकिन ऊपर से मजबूत बनने की कोशिश कर रही थी | कोई था भी तो नहीं जिसके कंधे पर सर रखकर रो सके | सारे दर्द खुद ही बर्दाश्त करने थे | अनिल और रोहिणी काफी देर तक उसके साथ ही बैठे रहे |
उसके बाद रोहिणी कमरे से बाहर आई और अनिल को बच्चो के जाने को बोल दिया और आज रात उसने रीमा के साथ भी रुकने का फैसला किया | अनिल भी यही रुकना चाहते थे लेकिन रोहिणी ने कहाँ बच्चो को अकेले मत छोड़ो | अनिल ने जवाब दिया प्रियम की केयर टेकर को बुला लेते है आज रात वो रुक जाएगी | दोनों इस वक्त रीमा को अकेला नहीं छोड़ना चाहते थे | रीमा कितना भी मजबूत दिखने की कोशिश करे लेकिन अन्दर से वो बहुत ही ज्यादा डर गयी थी | दोनों बच्चो को अभी तक कुछ भी नहीं बताया था, प्रियम को भी कुछ नहीं पता था |
अनिल ने प्रियम की केयर टेकर को बुला लिया | अनिल गेस्ट रूम में ये कहकर सोने चले गए की कोई जरुरत हो तो बुला लेना |
Reply
09-02-2021, 04:03 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रोहिणी रीमा के कमरे में आ गयी | अनिल के जाने के बाद रोहिणी रीमा के पास आकर बैठ गयी और उसके चेहरे पर के चोट के निशान देखने लगी | उसके बाल सहलाने लगी, रीमा उन्हें आत्मीयता से देखने लगी | रोहिणी थोडा सा भावुक होते हुए - एक बात पूछु मेरी कट्टो रानी |
रीमा - हूऊऊऊऊ |
रोहिणी - अरे पगली, मुझसे इतना हिचकती क्यों है, मै कोई गैर हूँ, तुझसे थोडा सा ही तो बड़ी हूँ फिर भी तू ऐसे जताती है जैसे मै तेरी माँ की उम्र की हूँ |
रीमा - ऐसा कुछ नहीं है दीदी |
रोहिणी - तो तूने फ़ोन क्यों नहीं किया |
रीमा - दीदी ऐसी कोई बात नहीं है, फ़ोन car में ही रह गया था, फिर पुलिस आ गयी और पूछताक्ष शुरू हो गयी | उसमे इतना उलझ गयी की आपको बताने का मौका नहीं मिला |
रोहिणी - जब घर आ गयी थी तब तो बता सकती थी |
रीमा - दीदी गलती हो गयी मुझसे माफ़ कर दो ....................प्लीज | माफ़ी मांगने की मुद्रा बनाती हुई |
रोहिणी - उपरवाले की दया से कुछ अनहोनी नहीं हुई, उसका लाख लाख धन्यवाद |
कुछ देर शांत रहने के बाद रीमा से पूछने लगी - एक बात बता कुछ पीयेगी, मुझे तो अभी नीद आ नहीं रही |
रीमा - डाक्टर ने तो मना किया है |
रोहिणी - डाक्टर की तो ऐसी की तैसी |
रीमा खिलखिलाने लगी | रोहिणी दो स्ट्रोंग पैग बनाकर लायी | फिर रीमा से सटकर बैठ गयी और पीने लगी |
रीमा ने भी मना नहीं किया, उसने भी शराब पीना शुरू कर दिया | पैग का सिप मारते मारते रोहिणी आज के घटनाक्रम के बारे में पूछने लगी | रीमा ने भी सब कुछ जैसे जैसे घटित हुआ वैसे ही बयां करती चली गयी | पैग के बाद पैग बनते रहे और खाली होते रहे |
रोहिणी और रीमा को अब शराब का शुरुर चढने लगा | आज दिन भर की आप बीती बताकर रीमा का मन काफी हल्का हो गया | उसे लग रहा जैसे रोहित ही उसके पास आ गया हो | वही अपनापन, वही लगाव, वही स्नेह | रीमा के अन्दर की असुरक्षा का डर तो जैसे गायब हो गया |

रीमा थोड़ी सी मदहोश सी भावुक सी हो गयी - मै बता नहीं सकती अभी मै कितना हल्का महसूस कर रही हूँ |
रोहिणी ने आत्मीयता से उसके सर पर हाथ फेरा, उसके माथे को चूम लिया |
रीमा - आपने मेरे अन्दर का सारा डर गायब कर दिया, एक बारगी को तो मै भी डर गयी थी, और मेरे अन्दर भी अकेलेपन के अहसास के कारन वो डर घर कर गया था लेकिन आप जादूगर है बिलकुल अपने भाई की तरह |
रोहिणी थोड़ा सा चौकते हुए - मतलब ..............तेरा मतलब रोहित .............|
रीमा - दीदी आप एक औरत को अच्छे से समझती है, बाकि का तो पता नहीं लेकिन आप मुझे अन्दर तक समझती है |
रोहिणी - बिलकुल रोहित की तरह |
रीमा भावनाओं में जो कह गयी उसे ही रोहिणी ने पकड़ लिया | रीमा के लब सिल गए, अन्दर तक झेंप गयी, क्या बोले, क्या न बोले | रोहिणी से एक बार नजरे मिलायी और फिर नीचे कर ली |
रोहीणी - अरी बोल न, इतना शर्मा क्यों रही है, तुझे क्या लगा मुझे कुछ पता नहीं चलेगा | मै भी एक औरत हूँ, दो बच्चो की माँ हूँ | सब अच्छे से समझती हूँ |
रीमा और ज्यादा सकपका गयी, क्या रोहित ने सब कुछ बता दिया, इस रोहित के मुहँ में भी कोई बात रुकती नहीं | रीमा खुद बखुद शर्म से गड़ी जा रही थी | अन्दर ही अन्दर उसकी धड़कने तेज हो गयी | पता नहीं आगे दीदी और क्या क्या बोलने वाली है, उससे बढ़कर ये था की दीदी को आखिर क्या क्या पता है |
रोहिणी रीमा को ताड़ गयी, उसे रीमा की चुप्पी अखरने लगी | उसे लगा उसने शायद कोई गलत बात बोल दी है |
रोहिणी - देख अगर कुछ बुरा लगा हो तो बता दे, वो क्या है मै मुहफट हूँ कुछ भी बोल देती हूँ | मेरी बात का बुरा न मानना |
रीमा छुप ही रही और सने छुप रहने में ही अपनी भलाई समझी | पता नहीं एक बार बात खुल गयी तो कहाँ तक जाएगी | दीदी को जो पता है वो रहे लेकिन मै अपनी जबान नहीं खोलूंगी | नहीं तो एक मिनट में कुलटा बदचलन पता नहीं क्या क्या मेरे माथे पर चिपका दिया जायेगा | रोहिणी भी भांप गयी की उसकी कोई बात रीमा को बुरी लग गयी है | उसके हाथ से खाली गिलास लेते हुए एक और पैग बनाने चली गयी |
पैग बनाकर जब वापस आई तो थोडा आत्मविश्वास भरकर खुद ही कहने लगी - देख रीमा मेरी बात का बुरा मत मानना, तेरा तो पता नहीं लेकिन रोहित तुझे चाहता है ये बात मै बहुत पहले ही ताड़ गयी थी | अकसर जब तेरे बारे में बात करता था तो खो सा जाता था | जब मै तेरे मन के बारे में पूछती तो हमेशा टाल जाता था | मुझे पता था रोहित की फीलिंग्स के बारे में तुझे नहीं पता और रोहित को लेकर तू क्या सोचती है ये भी नहीं पता | इसलिए उसने तुझसे आजतक इस बारे में कभी बात नहीं करी | उसे भी लगता था अगर वो तुमसे इस बारे में पूछेगा तो तू इसी तरह से चुप्पी ओढ़ लेगी और कभी न टूटने वाली चुप्पी |
मुझे पता है तू दूसरी कुलटा औरतो की तरह नहीं है, लेकिन शरीर की भी तो जरूरते होती है, चल मान लिया शरीर को तो तू काबू कर लेगी लेकिन मन का क्या | इस चचल मन को कैसे नियंत्रित करेगी | पहाड़ जैसी जिंदगी कटाने को कोई अच्छा हमसफ़र मिल जाये तो अतीत को भुला देना चाहिए |
रीमा अपलक रोहिणी को देखने लगी | रोहिणी रीमा की आँखे पढने लगी, हल्का हल्का शुरुर तो दोनों के दिलो दिमाग में छा चूका था |
रोहिणी को एक शरारत सूझी - मेरा कोई अन्य मतलब नहीं था | बस इसी सन्दर्भ में कही थी मैंने ये बात, अन्यथा मत लेना मेरी कट्टो रानी | इतना कहकर रोहिणी के रीमा का एक स्तन हाथ में लेकर दबा दिया |
रीमा चौक गयी, आश्चर्यचकित होकर रोहिणी को देखने लगी |
रोहिणी - आरी हंस न, मै कोई मर्द थोड़े हूँ जो तेरी इज्जत लूट लूंगी | नन्द भौजाई के बीच तो ये चलता रहता है |
रीमा अन्दर ही अन्दर मुस्कुरा उठी और आत्मीयता से रोहिणी के आंचल पर पसर गयी | उसका गिलास लेकर रोहिणी ने किनारे रख दिया | रोहिणी का हाथ अभी भी रीमा के स्तन पर था, रीमा ने छत की तरफ अपने हाथ उठा दिए और रोहिणी के सर को उसमे फंसाकर अपनी ओंठो के करीब लाती चली गयी | रोहिणी भी नहीं रुकी, दोनों की सांसे एक दुसरे के चेहरे को भिगोने लगी | रीमा ने आंखे बंद कर ली, उसके गरम ओंठो से निकलती भाप, रोहिणी के नथुनों में घुसने लगी | रीमा ने हल्का सा अपने हाथो को नीचे दबाया और रोहिणी के गुलाबी ओंठ रीमा के रस बहरे ओंठो से चिपक गए | रोहिणी भौरा बन रीमा की गुलाबी पंखुडियो का रस पीने लगी और रीमा अपने कमसिन कली जैसे गुलाबी का रसपान अपनी नन्द को कराने लगी |
रोहिणी की जुल्फों ने चारो तरफ से परदा गिरा दिया था और उस परदे के अन्दर रीमा और रोहिणी अपने अपने कोने में दबे अरमानो को पंख दे रही थी | रोहिणी के बाद अब रीमा की बारी थी, रीमा रोहिणी की कोमल गुलाबी पंखुडियो को लेकर रस पान करने लगी | दोनों की गरम होती सांसे और गरम होने लगी और एक दुसरे में घुलने लगी |
दोनों के दुसरे में ऐसे खो गयी जैसे नव युगल खो जाते है | दोनों की तन्द्रा नहीं टूटती अगर उन्हें अहसास नहीं होता की दरवाजे पर कोई खड़ा है | दरवाजे पर और कोई नहीं अनिल थे | उन्हें नीद नहीं आ रही थी इसलिए अपना मोबाईल लेने आये थे |
असल में जब से रोहिणी ने उन्हें सोने भेजा था उन्हें नीद ही नहीं आ रही थी | वो रीमा के घर में थे और उन्हें नीद आ गए ऐसा भला कैसे हो सकता था | इधर उधर करवाते बदलते रहे, बीच बीच में रीमा के कमरे की जलती लाइट और कभी कभार उसके कमरे से आने वाली खिलखिलाहट उस पुरे मकान के सन्नाटे को तोड़ जाती थी | नीद तो वैसे भी अनिल को नहीं थी ऊपर से रीमा के ख्याल | उनका पूरा ध्यान बस कमरे से निकलने वाली आवाजो पर ही टिका था | एक घंटा बीता, दो घन्टे बीतने को थे लेकिन उनकी आँखों से नीद कोसो दूर थी | ऊपर से कमरे से आती स्त्रियों की खिलखिलाहट उनकी मुसीबत और बढ़ा रही थी | इसलिए उठकर मोबाईल और हैडफ़ोन लेने चले आये | दरवाजे पर आकर जो नजारा देखा तो आवाज हलक में ही दब कर रह गयी | रोहिणी के बारे में तो उन्हें पता था, मैडम कुछ कर सकती है लेकिन रीमा .......................... उनका तो जैसे दिल ही टूट गया | इतने खूबसूरत औरत, जो अपने हुस्न के दम पर आपकी रातो की नीद हराम किये हो | जिसके सपने देख देख आप रात रात भर सो नहीं पाते हो अगर उसकी दिलचस्पी औरतो में निकल जाये तो फिर तो खड़े लंड पर बर्फ का पहाड़ टूटने जैसा ही था | एक तो जो देखा वो बिलकुल ही अप्रत्याशित था क्योंकि दिन में जो कुछ रीमा के साथ हुआ उसके बाद रात में शायद ही कोई होगा जिसके दिमाग में वासना के ख्याल आयेंगे | ऊपर से एक औरत के साथ रीमा के होने के ख्याल ने ही अनिल को बहुत गहरी चोट पहुंचा दी | उस सदमे से ही कुछ देर तक मूर्तिवत वो वही खड़े रहे | जब रोहिणी और रीमा का मोमेंट ख़तम हुआ तो रोहिणी को अहसास हुआ कोई शायद उन्हें देख रहा है | रोहिणी ने जैसे ही नजरे सीधी करी मारे शर्म के पानी पानी हो गयी लेकिन अगले ही पल उलटा अनिल को धमकाते हुए - यहाँ क्या कर रहे आप | आपको गेस्ट रूम में सोने के लिए भेजा था | चुपचाप बुत बने खड़े है श्रम भी नहीं आती तो खांस खखार दे, नॉक ही कर देते दरवाजे पर |
Reply
09-02-2021, 04:03 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
अनिल को भी लगा उलटा चोर कोतवाल को डांटे - अच्छा, ये जो यहाँ हो रहा था वो क्या था |
रोहिणी - तुमसे मतलब, ये हमारा आपस का मामला है |
रीमा तो शर्म से पानी पानी हो गयी, उसकी नजरे नहीं उठ पा रही थी उसकी हिम्मत नहीं थी जो अनिल से नजरे मिलाये |
अनिल भी तेवर में आ गए - हाँ मुझसे कोई मतलब नहीं है कुछ भी करोगी, उस बेचारी को तो छोड़ देती |
रोहिणी - तुमारी गुलाम नहीं हूँ समझ गए, मै तो उसकी गर्दन की चोट देख रही थी |
अनिल - वो तो साफ़ दिख रहा था कौन सी चोट देख रही थी |
रोहिणी ने और जोरदार पलटवार किया, जिससे मर्द का चित होना निश्चित है - मुझे सब पता है यहाँ बुत बनकर क्यों खड़े थे | नियति...... तुमारी नियति ख़राब हो गयी है रीमा को देखकर, रात में भी पता नहीं क्या क्या बडबडाते रहते हो | अब तो लाटरी लग गयी है, मुझे सब पता है |
अनिल -अब पकड़ी गयी हो तो ......तो कुछ भी बकोगी |
रीमा - दीदी बिना वजह आप जीजा जी पर ........................|
रोहिणी - तू चुप कर, सब दिखता है सब समझती हूँ .............वरना इतनी रात दो औरतो के कमरे के दरवाजे पर क्या कर रहे हो |
अनिल - नीद नहीं आ रही थी, अपना मोबाईल और हैडफ़ोन लेने आया था |
रोहिणी - बड़ा मोबाईल भूलने लगे हो आजकल, वैसे तो कलेजे से चिपकाए रहते थे | बेवखूफ़किसी और को बनाना |
रोहिणी तेजी से उठी और उनका मोबाईल और हैडफ़ोन उनके हाथ में जोर से पटकते हुए बोली - अब फुट लो यहाँ से |
अनिल ने रोहिणी को घूरा, रोहिणी ने भी और ज्यादा जोर से घूरा | उसके बाद कमरे का दरवाजा जोर से बंद कर दिया | अनिल टूटे हुए दिल के साथ अपने कमरे में लौट आये | अनिल उदास थे की रीमा के बारे में उनकी पत्नी को शक हो गया है | कही इसलिए तो रोहिणी ये सब तो नहीं कर रही | बुझे मन से मुकेश के गाने लगाकर सुनने लगे |

रोहिणी के दरवाजा बंद किया और आँखे बंद कर खुद को संयत किया | फिर रीमा के पास आकार बैठ गयी | उसे देख मुस्कुरायी |

रीमा को अभी भी बहुत शर्म महसूस हो रही थी, भला जीजा जी क्या सोचेगें, मेरी तो सारी इमेज ही मटियामेट हो गयी | रीमा खामोश थी लेकिन उसके अन्दर उमड़ रहे सवालो के सैलाब उसके चेहरे पर पढ़े जा सकते थे |

रोहिणी उसके दोनों हाथ अपने हाथो में लेटे हुए - क्या सोच रही है पगली, ये तो मोमेंट है कही भी कभी भी बन जाते है | इसमें इतना सोचना क्या |

रीमा - जीजा जी मेरे बारे में क्या सोचेगे ???

रोहिणी डाँटते हुए - कुछ नही सोचेगें, तू परेशान न हो |

रीमा - पता नहीं क्या क्या गलत ख्याल आयेगें उनके दिमाग में मेरे बारे |

रोहिणी इस बार थोडा जोर से डाटते हुए - तू अपने दिम्माग से ये उल्टा सीधे ख्याल निकाल दे | कुछ नहीं सोचगे वो, उनका क्या है, जहाँ खूबसूरत औरत देखि नहीं वही लट्टू ही गए | तुझे उस आदमी की हरकतों के बारे में पता नहीं, मै ही हूँ जो उसे बर्दास्त कर रही हूँ | और कोई होती तो अब तक दूध की मख्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया होता |

रीमा अनभिज्ञता दर्शाते हुए - जी मै कुछ समझी नहीं |

रूहिनी - इस आदमी को तू इतना सीधा मत समझ | जब इससे मिली थी तब ये गाय था गाय | मेरे अलावा कही मुहँ मारना तो छोड़ो देखता भी नहीं था | फिर मेरी ही बुद्धि भ्रष्ट थी जो इसे सारी दुनियादारी का ज्ञान सिखाया | फिर ये तो गुरु से आगे निकल गया, गुरु गुड ही रह गए चेला शक्कर हो गया |

रीमा रोहिणी की बाते सुनकर मुस्कुराने लगी - जी दीदी मै कुछ समझी नहीं |

रोहिणी - बड़ा मजा आ रहा तुझे, तू भी न है पूरी की पूरी कट्टो ही, बस मुहँ से नहीं बोलती |

रीमा रोहिणी के और करीब आ गयी | दोनों लगभग एक में ही चिपक गयी |

रोहिणी - तू बहुत खूबसूरत है री, मर्दों की छोड़ तेरे पर तो औरते कुर्बान जावे | एक पैग पीने दे फिर बताती हूँ | कलुये ने सारा मजा ख़राब कर दिया | रीमा और रोहिणी ने एक ही गिलास से अब शराब पीनी शुरू कर दी थी |

रोहिणी - पता है ये आदमी मेरी शादी होते होते इतना दुष्ट हो गया था, की जब हम हनीमून के लिए लन्दन गये थे | तो वहां भी इसने threesome किया था |

रीमा - threesome |

रोहिणी - हाँ, पता नहीं क्या खास है इसमें, वहां होटल में खाना सर्वे करने वाली को पटा लिया, फिर उसने चूसा और जमकर चूसा | एक नहीं दो दो बार | मै भी जवानी के नशे में थी मुझे भी कोई ऐतराज नहीं था, आखिर पेल तो मुझे ही रहा था चुसवाने के बाद | वैसे भी मुझे तब तक कोई ऐतराज नहीं है जब तक सामने वाला कुछ छुपाये न | मै भी अपनी जरूरते पूरी कर आती हूँ | मै इस कलुये का मुहँ नहीं तकती बैठकर | मेरा शरीर है मेरी जरूरते है | रिश्ते नातो की बात अलग है |

रीमा हैरान थी दीदी इतनी ज्यादा ओपन ख्यालो की है | उसे तो बड़ी हैरानी हो रही थी | रोहिणी की झुल्झुलाहत इस बात से हो रही थी की वो रीमा जैसे सुशील उसकी नन्द पर लाइन मार रहा था | रोहिणी उसी दिन अनिल को ताड़ गयी थी जब तीनो बैठे आपस में शराब पी रहे थे | लेकिन तब उसे लगा था, बस अनचाहा आकर्षण है कुछ पल, कुछ घंटे या कुछ दिन में ख़त्म हो जायेगा लेकिन तब से एक हफ्ता होने को आया, अनिल का नशा कम होने की बजाय और बढ़ गया | रीमा के साथ ये हादसा न हुआ होता तो शायद रोहिणी अब कभी रीमा के घर आती भी नहीं | वो नहीं चाहती थी अनिल घर में भी मुहँ मारने लगे | दुसरे रोहिणी को अनिल से ज्यादा रीमा की परवाह थी |

रीमा - दीदी गलती हमारी ही थी, आपको इस तरह से जीजा को मेरे सामने बेज्जती नहीं करनी थी |

रोहिणी - तू बहुत भोली है रीमा, तुझे पता नहीं, उस दिन जब हम तीनो बैठे शराब पी रहे थे | ये आदमी तुझे देख देख के ही अपना खून का दौरान बढ़ा रहा था | वो जो पेंट के अन्दर तम्बू बना हुआ था वो इसलिए नहीं की इसने शराब पी थी, बल्कि इसलिए क्योंकि वो तेरे बारे में सोच सोचकर अपने मन में ही लड्डू फोड़ रहा था | तेरे जिस्म के हर हिस्से को वो घूर रहा था | उसकी आँखों में तेरे लिए हवस साफ़ साफ़ देख पा रही थी |

रीमा हैरान सी - क्या बात कर रही है दीदी | लेकिन मैंने तो ..................|

रोहिणी - मैंने बोला न तू बहुत भोली है, तेरी निश्छल निष्कपट आंखे तो मैंने उसी दिन ताड़ ली थी,तूने वैसा कोई वासना का भाव लाना तो दूर उसकी एक झलक तो आसपास नहीं थी | ये कलुवा ही तुझे घूरे जा रहा था | तभी मैंने इसे शराब बनाने के लिए भेजा था | इसे लगता है ज्यादा पीने के बाद मुझे होश नहीं रहता, जबकि मै तो इसकी हर एक हरकत पर नजर रखती हूँ |
Reply
09-02-2021, 04:03 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रीमा - जीजा जी बड़े छुपे खिलाडी निकले, मै भी चौकान्नी रहती हूँ लेकिन जीजा जी के इरादे भांप ही नहीं पाई | मुझे भी आपको एक बात बतानी है | उस दिन के बाद आतक मौका नहीं मिला |

रोहिणी - बोल |

रीमा - उस दिन जीजा जी यहाँ जानबूझकर अपना फ़ोन भूल गए थे | मैंने सोफे पर से उठकर मेज पर रख दिया था | सोचा था सुबह जाकर दे आउंगी |

रोहिणी - मुझे पता था इसने जानबूझकर ही किया होगा |

रीमा - दीदी आप नाराज तो नहीं होगी अगर मै कुछ और भी बताऊ |

रोहिणी - मै तू अलग है क्या, जो भी बताना है दिल खोलकर बोल |

रीमा - जीजा जी जब वापस आये तब तक मै अपने कपडे निकालकर शीशे के सामने खड़ी थी, और सोने से पहले बस खुद को देख रही थी | बाहर डायनिंग हाल में अँधेरा था और कमरे में लाइट जल रही थी | उन्होंने मुझे पूरा का पूरा नंगा देख लिया | सब कुछ देख लिया मेरा | जब मुझे अहसास हुआ शायद कोई बाहर है, तो मै बाहर आई, पिछला दरवाजा बंद किया उअर फिर बेड पर जाकर सो गयी | सुबह उठी तो पिछले दरवाजे की अन्दर से बंद बेलन खुला हुआ था | जीजा जी का फ़ोन मेज पर से गायब था |

दीदी उन्होंने मुझे पूरा का पूरा नंगा देख लिया | सुबह जब अहसास हुआ तो बड़ी शर्म आई मुझे, इसलिए इधर प्रियम का हाल चाल लेने भी नहीं आई |

रोहिणी - अरे कितनी भोली है तू, मुझे तो पता था | इसलिए उस दिन के बाद से बौराया बौराया घूम रहा है | रात में तेरे सपने देखता है, और मुझ पर तू समझकर चढ़ने की कोशिश करता है | एक दिन फटकार कर मैंने भगा दिया, तबसे अलग कमरे में सुलाती हूँ इस कलुये को |

रीमा - इसलिए आज भी मुझे बड़ी शर्म आ रही थी |

रोहिणी रीमा को घूरते हुए, उसको अपनी बांहों में भीचते हुए - तू भी कम न है मेरी कट्टो रानी, बहुत ही घाघ है, पक्का है तूने हिला हिलाकर अपने चूतड़ इनको दिखाए होंगे |

रीमा एक दम से झेंप गयी, जैसे किसी ने उसकी चोरी पकड़ ली हो | वो शर्म से दोहरी हो गयी | रोहिणी ने उसे और कसकर बेंच लिया - क्यों सही कहा न मेरी खूबसूरत परी जैसी कट्टो रानी |

रोहिणी आंखे मटकाते हुए - बोल न सच है की नहीं, तभी धतुरा खाने वाले इंसान की तरह बौराए घूम रहे है |

रीमा शर्म और लाज से दोहरी होकर रोहिनिकी बांहों में समाती चली गयी | उसका एक हाथ रोहिणी के कुल्हो तक चला गया |

रीमा भी अब कुछ हद तक बेशर्म बन गयी थी - दीदी एक बात पूछु |

रोहिणी - पुछु पुछु क्या लगा रखा है, जो पूछना है पूछ न |
रीमा थोडा लजाते हुए - ये आपका बोनट कुछ ज्यादा ही ..............................|

रोहिणी - धत्त बेशर्म, अब तू बेहयाई पर उतर आई है |

रीमा छोटे बच्चे की तरह जिद करती हुई - बतावो न दीदी |

रोहिणी - क्या सुनना चाहती है, जब ११ लम्बे काले मुसल की जबरदस्त ठोकर पिंडलियों पर लगेगी, तब चूतड़ अपने आप चौड़े हो जाते है | और कुछ सुनना है |

रीमा - सच में इतना बड़ा है क्या, कभी आपने इंची टेप लेकर नापा है क्या ?

रोहिणी उसका कान खीचते हुए - कट्टो रानी को शैतानी आ रही है, बुलाऊ, एक आवाज पर हाजिर हो जायेगे, फिर नाप लेना |

रोहिणी - अरे सुनते .................................|

रीमा ने रोहिणी के मुहँ पर हाथ रख दिया - क्या कर रही है दीदी मरवाएगी क्या ?
रोहिणी - तू ही तो नाप पूछ रही थी, मैंने सोचा यही बुलाकर नाप लेती हूँ |
रीमा बनावटी गुस्सा दिखाते हुए - आप नाराज हो जाती हो मुझे आपसे बात नहीं करनी |
Reply
09-02-2021, 04:03 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रोहिणी उसको गुदगुदी करने लगती है, रीमा खिलखिलाने लगती है और रोहिणी भी | दोनों एक दुसरे में गुताम्गुथा हो बिस्तर पर पसर जाती है | कुछ देर तक रोहिणी रीमा के निश्छल निष्कपट सौन्दर्य को निहारती रहती है | रीमा के गुलाबी प्यास अधर न चाहते हुए भी रोहिणी के ओंठो से चिपक गए |

रीमा और रोहिणी एक-दूसरे को बाहों में भरे हुए थी रीमा का हाथ कहा धीरे-धीरे रोहिणी के शरीर के ऊपर से फिसलता हुआ उसकी कमर के नीचे कमर पहुंच गया, रोहिणी के शरीर में एक अनचाही ही मधुर तरंग दौड़ गयी | उसकी बाहों में थो खूबसूरत रीमा, और दोनो में हंसी मजाक तो होता था लेकिन इतना करीब दोनों कभी नहीं आयी थी की एक दुसरे की सांसे महसूस कर सके | रीमा का हाथ सीधे रोहिणी के नाड़े पर जकल अटक गया | उसने एक उँगली रोहिणी नाड़े में फंसाई और रोहिणी की कमर में बंधा पजामे का नाडा खीचने लगी | दोनों के होंठ एक दूसरे से सटे हुए थे दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूम रही थी दोनों के हाथ एक दूसरे के बदन को सहला रहे थे | रोहिणी ने भी अपने हाथ रीमा की लेगिंग्स में घुसेड़ दिए और उसके नाजुक स्थूल बड़े बड़े चुताड़ो को सहलाने लगी | दोनों एक दुसरे से कसकर चिपकी हुई थी | दोनों ही एक दूरे के ओंठो का रस पी जाने को बेताब थी दोनों बारी बारी से एक दुसरे के गुलाबी ओंठो को निचोड़ने लगाती | जैसे जैसे रीमा रोहिणी का नाडा खीच रही थी ऐसा लग रहा था जैसे दोनों के बीच के रिश्ते की मर्यादा का पर्दा भी साथ में खिचता चला जा रहा है | दोनों के बीच की रिश्तो की दीवार ढहने लगी थी और अब दोनों बस दो जवान तड़पते जिस्म भर थे | रीमा ने पजामा खोलते ही अपने हाथ रोहिणी के पजामे में घुसा दिए और अपनी कोमल उंगलियों से रोहिणी की उस वर्जित इलाके की बनावट कसावट और गर्माहट का अनुभव करने लगी | उसकी उंगलियों की संवेदनाये ही उसे बिना आँखों से देखे रोहिणी के स्त्रीत्व की बनावट के दर्शन कराने में सफल हो रही थी | रीमा के हाथ चूत त्रिकोण से फिसलते हुए उसके निचले हिस्से में चले गए जहाँ रोहिणी की कमसिन चूत अपनी मांसल जांघो के बीच में छिपी हुई थी | रीमा ने उसके खूबसूरत ओंठो की गुलाबी बनावट पर अपनी उंगलियाँ फिराई और फिर उसकी जांघो की सहलाते हुए उसके चुताड़ो की तरफ सगली गयी | रोहिणी मदहोश होने लगी थी, वो दोनों हाथो में रीमा के मांसल चूतड़ भरकर उनकी कसकर मालिश कर रही थी |

रीमा ने रोहिणी की पजामे को नीचे खिसकाना शुरू कर दिया | दोनों के गुलाबी ओंठ आज एक दुसरे को निचोड़ देने को बेताब थे | नीचे दोनों के हाथ और उंगलिया क्या कर रहे है इसकी खबर से पूरी तरह से बेपरवाह उनके गुलाबो ओंठ एक दुसरे में गुथम गुथा थे और बेतहाशा एक दुसरे का रसपान कर रहे थे | रीमा रोहिणी के पजामे को उसके घुटनों तक ले गयी इसके बाद रोहिणी ने अपने पैरो से ही पजामे को नीचे खिसकाकर अपने पैरो से अलग कर दिया | उसकी कसी पैंटी में लिपटे उसके अर्द्ध नंग्न मांसल भरी भरकम चूतड़ बेपर्दा हो गए | रीमा का बदन अभी कपड़ो से ढका हुआ था , उम्र में बड़ी होने और सेक्स का ज्यादा अनुभव भी होने के कारन रोहिणी के अन्दर एक पल को लगा की रीमा तो उससे आगे निकलती जा रही है | उन्होंने अपने अहम् को संतुष्ट करने को रीमा की लेगिंग्स को जबदस्ती नीचे खिसकाना शुरू कर दिया | रीमा ने कोई प्रतिरोध नहीं किया | रीमा बस रोहिणी को चूमने में लगी रही और उसके नाजुक हाथ रोहिणी के कोमल बदन पर फिसलते रहे | रोहिणी ने रीमा की लेगिंग्स खिसकाकर उसके घुटनों तक कर दी और उसके गुलाबी मांसल चुताड़ो एक चपत लगा दी |
रीमा के मुहँ से एक हल्की मीठी सीत्कार भरी चीख निकल गयी - आआऔऊऊऊच |
रीमा ने भी रोहिणी के ओंठो को अपने दांत के नीचे भींच लिया | अब बारी चीखने की रोहिणी की थी - आआआऊऊऊउ |
रीमा द्वारा इतनी तेजी से दी गयी प्रतिक्रिया से रोहिणी हैरान रह गयी |
उसने भी रीमा के चुताड़ो को पूरी ताकत से भींच लिया और कहने लगी - मेरी कट्टो रानी तो बिजली से भी तेज है, मुझे पता था बहुत आग भरी है तेरे इस खूबसूरत बदन में | रोहिणी ने एक हाथ पीछे से निकाल कर उसके स्तन की एक चूंची कसकर मसल दी |
रीमा के मुहँ से फिर से हल्की चीख निकल गयी - आआऔऊऊऊच दिदिदिद प्लीज ................|
रोहिणी - प्लीज क्या........तू न मिर्च से भी तीखी है ये तो मुझे पता चल गया, तुझे तो बस चीखना पड़ेगा, अगर किसी ने खाने की सोची तो अपना मुहँ ही जला लेगा, इतना पक्का है | रीमा ने अपनी तनी हुए उन्नत पहाड़ियों की नुकीली चोटी को मसल रहे रोहिणी की हाथ को वहां से हटा कर फिर से चूतड़ की तरफ बढ़ा दिया | रोहिणी समझ गयी अभी रीमा बस अपने चुताड़ो को मालिश करवाना चाहती है | रोहिणी ने फिर से रीमा की चूतड़ अपनी हथलियो में भींच लिए और उन्हें मसलने लगी | रीमा भी अपने हाथ कसकर रोहिणी की गर्दन के पीछे जमा दिए और उसके चेहरे को अपने चेहरे की तरफ ठेल दिया | नतीजा दोनों के ओंठ एक दुसरे में कसकर चिपक गए | रीमा ने अपनी लम्बी गीली जीभ रोहिणी के मुहँ में ठेल दी | रोहिणी के लिए ये नया नहीं था लेकिन चौकाने वाला जरुर था | कम से कम उसे रीमा से ये उम्मीद नहीं थी | उसे एक पल लगा रीमा की इस हरकत को आत्मसात करने में फिर उसने अपने ओंठो की गुलाबी सुरंग में रीमा की जीभ को जकड लिया और उसके कसकर चूसने लगी और उसके ओंठ रीमा की गीली गुलाबी जीभ पर फिसलने लगे |

रोहिणी के हाथ रीमाँ के मांसल चुताड़ो पर फिसल रहे थे और रीमा ने रोहिणी के चेहरे को थाम रखा था | और दोनों के गीली गुलाबी जीभे एक दुसरे के मुहँ में सरपट फिसल रही थी | रोहिणी के जीभ अपनी गुलाबी गुफा से निकल कर रीमा के ओंठो को चीरते हुए उसकी गुलाबी गुफा में जा रही थी और रीमा की गुलाबी जीभ रोहिणी की गुफा में | रोहिणी को अब तक समझ आ गया था, रीमा क्यों बाकि दुनिया से अलग है | जीभ और ओंठ के ऐसे खेल उसने भी खेले है लेकिन ये बस चंद पल के होते है | आज तो उसे ऐसा लग रहा था जैसे कोई किसी गहरी झील की गुफा की लहरों में उसकी नाव नुमा जीभ हिलकोरे लेते हुए आगे तक फिसलती जा रही है | उसके ऊपर सुहागा ये की दोनों इतनी करीब थी की एक दूसरे की सांसे को न केवल महसूस कर सकती थी बल्कि उन्हें पीकर अपने अन्दर समाहित कर सकती थी | दोनों की भाप बनकर निकलने वाली सांसे उनके चेहरे और ओंठो की तपिश और बढ़ा रही थी | हर पल हर स्पर्श हर साँस का अहसास उसे आज बस रीमा के साथ हुआ | कमरे और मन में इतनी शांति थी की आज न केवल वो अपनी धड़कने सुन पा रही थी बल्कि अपनी गरम सांसे भी गिन पा रही थी | वो इन खेलो में बहुत एक्सपर्ट थी लेकिन ये स्पर्श ये अहसास उसे सायद आजतक नहीं महसूस हुआ था | रीमा की गीली जीभ अपनी गीली जीभ को नुरा कुश्ती करने का गीला रोमांचकारी अहसास | वासना की कितने रूप है और किन किन रूपों में इसे वो भोग सकती है शायद उसे भी नहीं पता था | दोनों एक दुसरे से चिपके हुए एक दुसरे के मुहँ में अपनी अपनी गरम भाप भरी सांसे समाते हुए काफी देर तक ऐसे ही अपनी अपनी जीभो से एक दुसरे के मुहँ में खेलती रही |

रोहिणी रीमा से अलग हुई | रीमा अलग नहीं होना चाहती थी लेकिन कुछ कर न सकी | रोहिणी ने रीमा की आँखों में झाँका | दोनों की आँखों में वासना के सुर्ख डोरे तैर रहे थे | रोहिणी के अलग होने से रीमा को अपने होने का अहसास हुआ | जब उसे अहसास हुआ वो रोहिणी जीजी के साथ तो शर्म से झेंप गयी लेकिन इससे पहले उसके अन्दर की ग्लानी और शर्म उसे आकर घेर ले रोहिणी उसके ऊपर छा गयी | रोहिणी नहीं चाहती थी जो माहौल बना है वो यू की दकियानुकुसी में खराब हो जाये | वो नहीं चाहती थी की रीमा शर्म हया और ग्लानी के जाल में फंसकर फिर से अपनी एकाकी दुनिया में चली जाये | रीमा रोहिणी के साथ सहज रहती थी बोलती थी बाते करती थी लेकिन उसका ये पहलू उसने कभी जाहिर नहीं होने दिया | रोहिणी इस रीमा को नहीं खोना चाहती थी | ये उसके लिए थोड़ा आश्चर्य चकित करने वाला था लेकिन रीमा का ये रूप उसे पसंद था, बिंदास उन्मुक्त रीमा | उसके जिस्म में एक जादू था और इसका अहसास बस उसी को हो सकता था जो उसके करीब हो, न केवल शरीर से बल्कि मन से भी | अगर वो इन्सान मन से करीब नहीं तो रीमा के भेद खोल पाना मुश्किल है, रीमा को बस उसका विश्वास चाहिए था, जैसे ही उसने वो महसूस कर लिया फिर वो जादू की परी बन जाती थी ऐसी परी जो सिर्फ स्वर्ग की सैर कराती है | वो थोड़ा बहुत तो रीमा का मन पढ़ ही पा रही थी | रीमा के ऊपर जाते ही उसके अपने पैरो से रीमा की जांघे फैला दी और अपनी जांघो को उसकी जांघो के बीच में भर दिया | उसके चेहरे को कसकर अपने हाथो में थाम लिया और उसे बेतहाशा चूमने लगी | वो किसी भी हाल रीमा के दिल के कोने तक जाना चाहती थी, उसकी सारी बाते जानना चाहती थी जो आज तक उसने नहीं बताई, उसके मन में क्या है उसे जानना था भले ही ओंठो से न सही लेकिन रीमा बोलती तो है, वो भले ही अपने ओंठ सिल ले लेकिन वो अपने जिस्म को नहीं रोक पाती, वो बोलने लगता है बस उसको समझने वाला चाहिए | रीमा भी खुद को रोक नहीं पाई और रोहिणी के साथ बहती चली गयी | उसके ओंठ भी रोहिणी के ओंठो के साथ चिपकते चले गए | दोनों के गुलाबी ओंठो में नुरा कुस्ती फिर से शुरू हो गयी | दोनों कमर के नीचे बस पैंटी में अपने गोर बदन को ढकने की नाकाम कोशिश कर रही थी | दोनों के भारी भरकम मांसल बड़े बड़े चूतड़ कमरे की रोशनी में अलग ही दमक रहे थे | दोनों एक दुसरे से चिपकी एक दूसरे में गुथमगुथा एक दुसरे को बेहताशा चूम रही थी |
Reply
09-02-2021, 04:03 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
दोनों के गुलाबी ओंठो में नुरा कुस्ती फिर से शुरू हो गयी | दोनों कमर के नीचे बस पैंटी में अपने गोर बदन को ढकने की नाकाम कोशिश कर रही थी | दोनों के भारी भरकम मांसल बड़े बड़े चूतड़ कमरे की रोशनी में अलग ही दमक रहे थे | दोनों एक दुसरे से चिपकी एक दूसरे में गुथमगुथा एक दुसरे को बेहताशा चूम रही थी |

धीरे धीरे दोनों का एक एक हाथ एक दूसरे के चूतड़ पर फिसलने लगा दोनों एक-दूसरे के बड़े मांसल चूतड़ों को अपनी हथेली में भरकर के मालिश कर रही थी उसे रगड़ रही थी उसे सहला रही थी और एक दूसरे के होठों को चिपकाए हुए एक दूसरे के होठों का रस पी रही थी दोनों की आंखों में इस समय हवस का नशा पूरी तरह नजर आ रहा था और दोनों अपने रिश्ते की मर्यादा को टाक पर रखकर एक दूसरे की बाहों में समाकर एक दूसरे के बदन को आपस में रगड़ रही थी और अपनी जवानी को और ज्यादा भड़का रही थी दोनों के अन्दर की दबी हुई वासना अब उफान मारने लगी थी | रोहिणी की जांघे रीमा की जांघो के बीच धंसी उसकी जांघो से रगड़ खा रही थी | एक दुसरे से रगड़ते बदन से दोनो के बदनो में गर्मी बढ़ने लगी थी | छाती से छाती रगड़ रही थी पेट से और पैंटी से पैंटी रगड़ खा रही थी | दोनों की पैंटी में कैद उनके स्त्रीत्व का अभिमान उनकी गुलाबी कसी हुई चूत में हलचल होने लगी थी | उसकी चूत की सुरंग में होने वाली हलचल की तरंगे अब दोनों के दिलो दिमाग तक पंहुचने लगी थी | दोनों आपस में इस कदर वासना में डूब चुकी थी की उन्हें अहसास ही नहीं था की उन्ही से चंद कदम दूर कोई और इन्सान भी है जो उनकी इस नुरा कुश्ती की सिसकारियां सुनकर जाग सकता है | रोहिणी ने रीमा की स्तनों पर अपने हाथ जमा दिया |
मेरिउसकी आँखों में एकटक देखते हुए रोहिणी - बता मेरी कट्टो रानी, कैसा लग रहा है | रीमा ने आत्मीयता से आंखे से इशारा किया |
रोहिणी ने उसकी चुन्ची को जोर से मसलते हुए - बोल न मेरी कट्टो रानी, मजा आ रहा है और जोर से रगडू |
रीमा इस मीठे दर्द से हलके से चीख उठी - आआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह |
रोहिणी - मजा आ रहा है मेरी परी को और जोर से मसलू | इतना कहकर उन्होंने और जोर से निप्पल मसल दिया |
रीमा की इस बार चीख निकल गयी - आआआआऐईईईई दीदी दिद्द्दद्द्द |
रीमा ने भी अपने हाथो में रोहिणी के स्तनों को भर लिया और मसलने लगी | रीमा और रोहिणी के गरम बदन में अब हलचल बढ़ने लगी थी | लगातार एक दुसरे का मर्दन करने से उसकी चूत में गीलापन आना शुरू हो गया था | रीमा ने रोहिणी के बड़े बड़े सुडौल स्तनों पर से हाथ हटाया और उसके टॉप में उंगली फंसाकर उसे ऊपर को खीचने लगी | कमरे के बाहर अंधेरा था और कमरे के अंदर रोशनी भरपूर थी इसलिए कमरे के बाहर से अगर कोई देखता तो कमरे के अंदर का वह वासना का नंगा नाच का नजारा साफ-साफ देख सकता था रीमा और रोहिणी एक दूसरे की बाहों में समाए हुए थी | दोनों की जुल्फे बिखरी हुई थी, दोनों एक दुसरे से चिपकी हुई थी, दोनों एक दुसरे को चूम रही थी |

दोनों के भारी भारी गोरे गोरे गुलाबी मांसल चूतड़ बस एक पतली सी पैंटी से ढके हुए थे बाकी सब कुछ उसका साफ साफ दिख रहा था ऊपर उसने टॉप पहनी हुई थी | दोनों अब मदहोश होने लगी थी रीमा को तो पहले से होशो हवास नहीं था वह अपनी वासना में इस कदर खो गई थी कि आसपास का उसे होश ही नहीं रहा था वह बेतहाशा रोहिणी को चूम रही थी उसका यह किसी औरत के साथ पहला अनुभव था और इसीलिए उसके अंदर की उत्तेजना अब लगातार उफान मार रही थी वह बेतहाशा उन्हीं को चूमे जा रही थी और उसके उसके चूतड़ों को सहला रही थी उसके बाद रोहिणी ने अपने हाथो को उठाते हुए रीमा के चूतड़ों पर जमा दिया और उसको अपनी जांघों की गिरफ्त में ले लिया | रीमा भी रोहिणी की गिरफ्त में समाती चली गई | धीरे-धीरे रोहिणी बिस्तर पर लेट गई और रीमा उसके ऊपर आ गई थी रोहिणी ने अपनी दोनों जांघों को कसकर रीमा की कमर के ऊपर सटा दिया था जिससे कि रीमा रोहिणी की जांघों की सख्त गिरफ्त में पूरी तरह से बंध गयी हालांकि दोनों के होंठ एक दूसरे से अभी भी चिपके हुए थे और लगातार दोनों एक दूसरे को चूम रही थी

अब रीमा धीरे-धीरे अपने शरीर को झटके देकर रोहिणी को चूम रही थी रोहिणी भी रीमा की गर्दन पर हाथ रख कर के उसको तेजी से अपनी ठेल रही थी और रीमा के लगने वाले झटकों से दोनों एक दूसरे से कस के रगड़ खा रहे थे और दोनों के बदन की गर्मी अब पसीने में बदलने लगी थी | दोनों की सांसो में तेजी थी, धड़कने धक धक कर रही थी और नाक से निकलने वाली गरम भाप एक दुसरे के चेहरे को तपा रही थी | दोनों की उत्तेजना अपने अपने उफान पर की तरफ बढ़ने लगी थी दोनों गर्म गर्म सांसे एक दूसरे में घुलने लगी थी उनके बदन की गर्मी से निकलने वाला पसीना उसके जिस्उमो को गीला करने लगा | रीमा की जुल्चाफे चारों तरफ बिखरी हुई थी और रोहिणी बार-बार उन्हें संभालती लेकिन रीमा की उत्तेजना कुछ ज्यादा ही थी और वह रोहिणी पर ऐसे टूटे पड़ रही थी जैसे कई दिन की भूखी शेरनी खाने पर टूट पड़ती है | रीमा लगातार अपनी कर हिलाकर अपने चूत वर्जित चूत त्रिकोण को रोहिनई के चूत त्रिकोण पर रगड़ रही थी | पैंटी के ऊपर सी ही दोनों की खूबसूरत चूत की घाटी आपस में रगड़ खा रही थी | रोहिणी भी लगातार रीमा के होठों से को चूम रही थी उसके चेहरे को चाट रही थी और उसके बदन को सहला रही थी | उसके बाद रोहिणी रीमा को बांहों में भरे भरे उलटा हो गयी | अब रीमा नीचे थी और रोहिणी ऊपर | उसने रीमा को चूमना शुरू किया था रोहिणी का हाथ रीमा की कमर पर उसको पकड़ के अच्छे से उसे अपने जिस्म की तरफ ठेल रहा था | इसी बीच रोहिणी ने रीमा को बिस्तर पर उलटा लिटा दिया | उसकी छातियाँ बिस्तर में धंस गयी और उसके मांसल भारी भरकम चूतड़ ऊपर को हवा में उठ गए | रोहिणी अब तक रीमा के हाथो में खेल रही थी उसे लगा अब उसे भी तेजी दिखानी चाहिए और रीमा के जिस्म में उफान मरती उसकी वासना की आग को ठंडा करने का कुछ इंतजाम करना चाहिए | उसने रीमा के चुताड़ो को मसलते हुए उसकी पैंटी को नीचे खिसका दिया | रीमा की वर्जित गुलाबी चूत घाटी बेपर्दा हो गयी | हमेशा की तरह खूबसूरत दमकती चमकती उसकी गुलाबी चूत अपनी ओंठो की सख्त जकड़न से पूरी तरह बंद थी | उसकी चूत पर नजर डालते ही रोहिणी के अन्दर इर्ष्या और खुसी दोनों एक साथ दौड़ गयी | वो रीमा की चूत की खूबसूरत बनावट से जलन खा रही थी लेकिन उसकी अपनी सगी भौजाई इतनी खूबसूरत है ये सोचकर ख़ुशी के मारे फूले नहीं समां रही थी और उसे उसकी खूबसूरती न केवल देखने को मिल रही है बल्कि भोगने को भी मिल रही है | उसके हाथ की उंगलिया रीमा की उस वर्जित घाटी में उतर चुकी थी | रीमा की अन्दर उमड़ रहे वासना के तूफ़ान को अब चूर चूर करने का टाइम आ गया था और रोहिणी जानती थी अब रीमा को क्या चाहिए | अब उसे न कोमल स्पर्श की जरुरत है न जादुई चुम्बन की | रीमा वो दौर लांघकर आगे आ चुकी थी | उसके तपते बदन की गर्मी ये बताने की लिए काफी थी की रीमा अब उत्तेजना से पूरी तरह से नहा चुकी है | उसकी चूत से निकलने वाले चूत रस ने उसके ओंठो को भिगो दिया था | रोहिणी ने अपनी सारी उंगलियों को उससे गीला किया | रोहिणी ने अपनी कोमल उंगलियों का स्पर्श एक दो बार रीमा के चूत के ओंठो पर किया और फिर उसकी चूत की दरार पर एक गीली उंगली फिराई | रीमा वासना में सिसक उठी | रोहिणी समझ गयी रीमा को क्या चाहिए | रोहिणी से कसकर रीमाकी चूत को मसलना चालू कर दिया, जीतनी तेज जीतनी ताकत से मसल सकती थी वो अपना हाथ रीमा की चूत घाटी में हिलाने लगी | रीमा के मुहँ से सिसकारियो की बौछार फुट पड़ी | रीमा ने मुठ्उठिया भींच ली और कसकर बेड की चादर को जकड लिया | रीमा के मुहँ से निकलने वाली तेज सिसकारियो से कमरा गुजने लगा | रोहिणी सतर्क हो गयी उसे लगा ऐसे तो रीमा पुरे घर को जगा कर रख देगी | उसने झट से अपना एक हाथ से रीमा के मुहँ को दबा लिया | अब उसकी चूत के ओंठो और दाने के तेज रगड़न से उसकी चूत में उठने वाली वासना की तरंगो के दिलो दिमाग तक तक पंहुचने से निकलाने वाली सिसकारियां मुहँ में ही घुटकर रह जा रही थी | रीमा कराह रही थी तड़प रही और अपने अन्दर ही उस तड़प को घोटे ले रही थी | रोहिणी ने अपने हाथ की तेजी बरक़रार रखी, उसके दूसरे हाथ ने सख्ती से रीमा का मुहँ बंद कर रखा था | रोहिणी रीमा के कान में कुछ बडबडा रही थी जो रीमा के बिलकुल भी समझ नहीं आ रहा था | बेताह्सा गुलाबी चूत रगड़े जाने से उसके अन्दर उठने वाली तरंगो ने उसके तन बदन में आग लगा दी और वो उसे मुहँ की सिकरियो के जरिये बाहर भी नहीं निकाल पा रही थी जब उससे रहा नहीं गया तो उसने रोहिणी का हाथ खीच लिया | रोहिणी ने उसके मुहँ पर से पकड़ ढीली कर दी, रीमा तेजी से हांफते हुए लम्बी साँस लेने लगी और खुद को नियंत्रित करने लगी |

अपने चूत दाने और चूत के ओंठो होठों पर खेलती फिसलती हुई तेज उंगलियों के कारण रीमा से जैसे पागल सी हो गई थी लेकिन रोहिणी को पता था कि क्या करना है उसने लगातार रीमां की चूत के चूत दाने को कसकर मसलना जारी रखा रीमा के अंदर से उठाने वाली कामुक तरंगो की मादक सिसकारियां उसके मुहँ में आकर घुट जा रही थी रीमा ने कसकर अपने ओंठ भींच रहे थे ताकि उसकी दबी वासना की कामुक आवाज कमरे के बाहर के बाहर न जा पाए |

रीमा तो अपनी चूत के इस तरह से रगड़े जाने के कारण जैसे पागल सी हो गई थी उसे लगा कि अब उससे रहा नहीं जाएगा इसलिए उसने झट से अपने आप को पलट लिया और रोहिणी के गुलाबी ओंठो से अपने गुलाबी ओंठ सटा दिए |

उसने अपनी लंबी जुबान निकाली और रोहिणी के मुहँ में ठेल दी | रोहिणी अपने मुहँ में उसकी गीली जीभ लेकर उसके चूसने लगी | दोनों ने एक दुसरे के गले में बाँहे डाल दी और एक दुसरे के ओंठो से फिर से अपने ओंठ सटा दिए | अब दोनों एक दुसरे के आगोश में थी | दोनों की बिखरी हुई जुल्फे उन्ही के पसीने से नहाये बदन पर चारो तरफ बिखरी हुई थी | दोनों की गुलाबी जवानी एक दूसरे से टकरा रही थी दोनों की गरम पसीने से नहाये बदन एक दूसरे से चिपके हुए थे | दोनों की गर्म सांसे एक दूसरे में घुल रही थी दोनों के गुलाबी जीभे एक दूसरे के गुलाबी ओंठो को चीर कर एक दुसरे के मुहँ में समां जाने को आतुर थी | दोनों के नरम बदन एक दूसरे का जादुई स्पर्श पाकर के आनंद में डूबे जा रहे थे | दोनों के अंदर की अनछुई वासना, एक औरत का दूसरी को स्पर्श, एक दूसरे की गहराई में इस तरह जाना | दोनों के आनंद की कोई सीमा नहीं थी |
Reply
09-02-2021, 04:03 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
इसी बीच धीरे से रीमा ने रोशनी को पीछे से अपनी बाहों में भर लिया और उसकी पैंटी में हाथ घुसेड़कर उसके चूत को रगड़ने लगी | रोहिणी की सिसकारियां छुटने लगी क्योंकि रीमा का हाथ बहुत तेजी से उसके चूत के ओंठो और उसके चूत दाने पर फिसल रहा था | रोहिणी को लगा रीमा तो बहुत ही अनुभवी खिलाडी की तरह उसके साथ खेल रही है, कहाँ वो खुद रीमा को एन्जॉय करना सिखाने आई थी लेकिन यहाँ तो रीमा ने ही समा बांध दिया | रीमा की उंगलियों का जादू वासना की तरंग बनकर रोहिणी के बदन में उतारने लगा | उसका जादुई स्पर्श, रोहिणी को पागल बनाने लगा | रीमा की उंगलियों का जड़ी न केवल रोहिणी के जवान जिस्म में वासना की आग भड़का रहा था बल्कि उसके स्पर्श के आनंद का जादू सीधे रोहिणी के दिलो दिमाग में उतरता चला जा रहा था | रीमा की नाजुक नरम उंगलियाँ उसके पैंटी के अंदर घुसकर उसकी वासना के सेण्चुटर पॉइंट चूत दाने पर फिसल रही थी और रीमा के जादुई स्पर्श के साथ में रोहिणी के शरीर में एक तरंग दौड़ जाती, वो रीमा के साथ आनंद में झूम जाती और अपने चूतड़ उससे सटा करके अपनी कमर हिलाने लगती दोनों एक दूसरे के जिस्म से काफी देर से खेल रही थी और अब वक्त था अपने उस खेल को आगे बढ़ाने का |
रोहिणी ने झटके से रीमा को नीचे खिसका दिया और उसकी टॉप खिसकाकर उसकी तनी हुई गोरी नरम सुडौल उन्नत पहाड़ियों की चोटियों पर अपने गुलाबी रस से भरे कांपते होठों को सटा दिया | रीमा तो जैसे आनंद से सराबोर हो गई वह बस एकटक रोहिणी हुए आंखों की तरफ देखती रही लेकिन रोहिणी बस उसके तने हुए नरम नरम गोरे गोरे सुडोल स्तनों की चोटियों का रसपान करने में इस तरह से खो गई है कि उसने रीमाकी तरफ देखा तक नहीं | रीमा भी इस आनंद के एहसास से मदहोशी होती चली गयी

रीमा का किसी औरत के साथ ये पहला एक्सपीरियंस था एक पुरुष के स्पर्श और स्त्री के स्पर्श का अंतर उसे साफ साफ नजर आ रहा था स्त्री के स्पर्श में नजाकत होती है नफासत होती है और वह संवेदना होती है जिसकी चाहत थी हर औरत रखती है यहाँ पुरुष वाली कठोरता नहीं थी लेकिन इस स्पर्श में एक मखमली एहसास था जो एक औरत ही औरत को दे सकती है और इसी मखमली अहसास में दो जवान जिस्म अपने आप को डुबोये हुए वासना के सागर में तैर रहे थे | उधर रोहिणी आंख बंद करके रीमा के दोनों स्तनों को बारी-बारी से जी भर के पी रही थी उसके अंदर का सारा रस निचोड़ ले रही थी दोनों ही वासना की वासना के भंवर में डूबे हुए थे दोनों की मासूम आंखों में वासना का सुर्ख काजल भरपूर लगा हुआ था | वासना और हवस के सुर्ख डोरे दोनों की आँखों में तैर रहे थे | उनकी गरम सांसे उनके तपते जिस्म में उमड़ रहे जवानी के तूफान की गवाही दे रही थी | उनकी तेज धड़कने उनके जिस्म में लगी हवस की आग के उबाल की गवाही दे रही थी | दोनों जवान जिस्म बस एक दुसरे से चिपककर एक दुसरे में समां जाने को आतुर थे |

दोनों काफी देर से एक दुसरे के जिस्म से खेल रही थी | रीमा को बाथरूम जाना था | रीमा और रोहिणी के सब्र का बांध अब टूटने लगा था दोनों ने केले की तरह तेजी से बचे हुए कपड़े अपने जिस्म से निकाल फेंके | अब दोनों पूरी तरह से नंगी हो गयी थी | पूरी तरह से मतलब पूरी तरह से | दोनों के गोरे दमकते बदनों पर कपड़े के रेशे का एक भी टुकड़ा नहीं था | अभी न कोई लाज थी न कोई शर्म थी न कोई हया थी न कोई चिंता थी न किसी का डर था | दोनों कौन है दोनों का रिश्ता क्या है सब बेईमानी था | अब बस वासना की आग थी उसमे जलते दो बदन थे जो अपने अपने तरीके से पुरजोर कोशिश में लगे थे अपने जिस्मो की आग बुझाने में | इससे पहले रीमा को रोहिणी अपने बांहों में समां लेती रीमा ने उंगली से बाथरूम जाने का इशारा किया | उसने तेजी से अपना गाउन पहना और कमरे से निकल गयी | उसकी अलमारी खुली हुई थी और जाने से पहले वो एक गाउन निकाल कर रोहिणी को दे गयी | रोहिणी भी पूरी तरह से नंगी थी रीमा के जाने के बाद उसने भी गाउन पहन लिया | गाउन के नीचे दोनों बिलकुल प्राकृतिक अवस्था में थी | बाथरूम से जल्दी ही रीमा बाहर आ गयी | वो फ्रिज से पानी पीकर बस वापस जाने को मुड़ी ही थी की रोहिणी के आकर उसे पकड़ लिया |

रोहिणी - मै भी प्यासी हूँ मेरी कट्टो रानी, इन सूखे ओंठो की भी प्यास नहीं बुझाओगी |
रोहिणी के अचानक से किचन में आने से रीमा एक दम चौक गयी थी - आपने तो मुझे डरा ही दिया था दीदी |
रोहिणी फिर कामुक आवाज में - बहुत प्यासी हूँ मेरी रानी |
रीमा भी उसी कामुकता भरी आवाज में - तो बुझा लो न प्यास |
रोहिणी - कैसे बुझाऊ, झरना तो तुमने छिपा रखा है |
रीमा रोहिणी की तरफ पानी की बोतल बढ़ाती हुई - तो बोतल से पीकर बुझा लो, हमेशा झरने से प्यास नहीं बुझाई जाती |
रोहिणी - जब प्यास झरने की हो तो बोतल से कैसे बुझेगी |
रीमा पसोपेश - अब झरना कहाँ से लाऊ |
रोहिणी - जरना तो तेरे अन्दर ही है बस टी उसे छिपाकर रखी | रीमा ने रोहिणी के पानी पीने के बाद बोतल फ्रिज में रखी और कमरे की तरफ चलने को हुई | तभी रोहिणी के रीमा को पीछे थाम लिया और उसकी पतली गोरी गर्दन पर अपने गरम ओंठो को चिपका दिया | उसके कान के नीचे चूमने लगी | रीमा का वो सेक्स पॉइंट था, रीमा मदहोश होने लगी | रोहिणी की गरम गरम सांसे रीमा के कानो में घुसने लगी | रीमा ने अपने हाथ पीछे करके रोहिणी के चूतड़ों को थाम लिया और मसलने लगी | रोहिणी ने एक हाथ रीमा की गर्दन पर रखकर उसके गर्दन को चूमने लगी | उसने हलके से रीमा के गाउन को ढीला करके कंधे से खिसका दिया | उसके बगाउन वैसे भी बस अटका ही रखा था | रोहिणी के हाथ लगाते ही आधा गाउन खुल गया | रीमा की छाती की उठी हुई उन्नत पहाड़ी साफ़ साफ़ बाहर झाँकने लगी | रोहिणी ने उसे हाथो में भर लिया और उसके स्तन को मसलने लगी थी

रीमा रोहिणी के चूतड़ों को मसल रही थी और रोहिणी रीमा के स्तन को मसल रही थी उसकी गर्दन और कान के बीच में रोहिणी के जादुई गुलाबी ओंठो का गीला गीला गुलाबी स्पर्श रीमा को पागल बनाये दे रहा था | वह वासना में पूरी तरह से नहाई डूबी हुई जा रही थी उसके मुंह से निकलने वाली मादक कराहे बता रही थी कि अब वह वासना में पूरी तरह से डूब चुकी है इसी बीच में रोहिणी ने रीमा को दीवार से सटा दिया और उसके आगे आकर उसको बाहों में भर लिया और उसको चूमने लगी रीमा ने भी रोहिणी के बालों को पकड़ कर उसको अपने मुंह से सटा लिया रोहिणी के हाथ हाथ रीमा के कमर पर थे और रीमा के साथ रोहिणी की कमर पर पर से फिसलते हुए उसके चुताड़ो की मालिश करने जा रहे थे | धीरे से रीमा ने रोहिणी का नाइट गाउन नीचे गिरा दिया उसके बड़े बड़े स्तन नुमाया हो गए उसका गाउन उसके हाथों में फंस करके उसकी कमर पर लटकने लगा था रोहिणी अपनी कमर के ऊपर पूरी तरह से नंगी हो गई थी उसकी गोरी चिकनी पीठ उसके बड़ी बड़ी छातियों सब कुछ साफ-साफ नुमाया हो रहा था रीमा का हाथ रोहिणी के बड़े-बड़े चूतड़ों पर फिसल रहा था और रोहिणी के गुलाबी मदमस्अत अधर रीमा के गुलाबी होठों का रसपान कर रहे थे दोनों के अंदर वासना की जबरदस्त गर्मी छाई हुई थी इसी बीच में दोनों ने कुछ खेल में मस्ती करने की सूझी और रोहिणी ने रीमा की जीभ से जीभ टकरानी शुरू कर दी रीमा जल्दी ही समझ गई कि रोहिणी क्या करना चाह रही है उसने भी रोहिणी की जीभ से जीभ लड़ानी शुरू कर दी | दोनों मुंह खोल कर एक दूसरे से जीभ लड़ा रही थी इधर ही रीमा के हाथ रोहिणी के बड़े-बड़े भारी भरकम मांसल चुताड़ो की मालिश कर रहे थे | उधर रोहिणी रीमा की पीठ पर अपने हाथ जमाये हुए थी | और उसकी नाजुक नरम गोरी पीठ को सहला रही थी | उनकी जवानी आपस में कबड्डी खेल रही थी और दोनों एक दूसरे की हरकतें देखकर अंदर ही अंदर गदगद हो रही थी, खिलखिला रही थी | दोनों एक दूसरे से जीभ लड़ाते लड़ाते एक दूसरे के मुंह में अपनी जीभ घुसेड़ने लगी |

जब रीमा अपनी जीभ रोहिणी के मुहँ में घुसेद्ती तो रोहिणी उसका रस पान करती और जब रोहिणी अपनी जीभ रीमा के मुहँ में घुसेद्ती तो रीमा उसका रस पान करती | रीमा ने अपनी पूरी जीभ बाहर निकाल कर रोहिणी के मुंह में घुसा दी उधर रोहिणी ने रीमा की पूरी जीभ को अपने मुंह में भर लिया और चूसती चली गई | कुछ देर बाद रोहिणी ने भी ऐसा किया उसने भी अपनी पूरी जीभ को रीमा के मुंह में घुसा दी और रीमा उसकी जीभ को अपने होंठों के सख्त गिरफ्त में लेकर चूसती चली गयी | दोनों के दुसरे में गुथाम्गुत्था होकर अपने बेडरूम की तरफ बढ़ चली | दोनों ने न एक दुसरे को चूमना बंद किया न सहलाना बंद किया | ग़जब की वासना थी गजब का जिस्मानी खेल था | ऐसा लग रहा था जैसे दोनों वर्षो से एक दुसरे के प्यार में हो और आज मिलन हुआ हो | दोनों एक पल को भी एक दुसरे से अलग होने को तैयार नहीं थी | रोहिणी भी मर्दों से बहुत बार चुदी थी इसलिए उसे अब उस चुदाई में बोरियत महसूस होती थी |

रोहिणी का औरतो के साथ भी अनुभव था लेकिन ये कुछ लगा ही हटकर था | ये जादुई था उर इसके सम्मोहन में रोहिणी पूरी तरह से बांध चुकी थी | दोनों एक दुसरे को छेड़ते, चिकोटी काटते बेडरूम पहुंचे | रोहिणी ने दरवाजा लॉक किया और खिड़की भी बंद कर दी | तेजी से आकर फिर से रीमा से लिपट गयी | दोनों के गाउन छिलके की तरह से बदन से उतर गए | अब बस दो वासना की गर्मी में झुलसते दो नंगे बदन थे, उनके बीच कुछ नहीं था कपडे का एक रेशा तक नहीं था | दोनों के नंगे पसीने के गीलेपन की चमक बिखेरते बदन फिर से एक दुसरे से चिपक गए | दोनों गुथाम्गुत्था हो गयी, एक दुसरे को चूमने लगी |

कुछ देर तक चूमा चाटी होती रही फिर रीमा का रोहिणी की पीठ पर फिसलता हाथ रोहिणी के चूतड़ पर फिसलने लगा | चूतड़ पर फिसलते फिसलते उसकी उंगलिया रोहिणी के गांड के छेद पर तैरने लगी | रोहिणी के मुहँ से आह निकल गयी | रीमा चौक गयी | उसे नहीं समझ आया ये क्या था | उसने कुछ अप्ररत्याशित ना हो इस डर से जल्दी से अपने हाथ को नीचे की ओर बढ़ा दिया | रीमा की उंगलिया अब रोहिणी की चूत घाटी में थी | बिलकुल अनावृत चूत घाटी | उसके मोटे मोटे गुलाबी कसे हुए ओंठ और उसकी पतली सी चूत दरार , उसका मोटा सा चूत दाना | सब कुछ अलग था रोहिणी का | रीमा उसकी चूत के ओंठो पर अपनी उंगलिया फिराने लगी | उसके स्तन को मुहँ में भरकर उसका रस पान करने लगी | रोहिणी तो रीमा के उन्नत छातियों का रस पी चुकी थी लेकिन रोहिणी का स्वाद अभी तक रीमा ने नहीं चखा था | रीमा ने रोहिणी के ओंठो का रसपान बंदकर उसकी गर्दन को चूमती हुई नीचे खिसक गयी और रोहिणी की सुडौल बड़ी बड़ी छातियों से खेलने लगी | उसने एक हाथ से रोहिणी के स्तन को थम और उसकी चूची पर अपनी गीली जीभ फिराने लगी | आह क्या स्पर्श था | तपता बदन, उन्नत तनी हुई चोटियाँ उस पर किसी का खुरदुरा गीला रसीला स्पर्श | रोहिणी आनंद से सरोबर हो गयी | रीमा उसके निप्पल को मुहँ में लेकर चूसती, उसे अपनी जीभ से सहलाती उसकी मालिश करती और फिर मुहँ में लेकर छोटे बच्चे की तरह चूसने लगती | रोहिणी के स्तन बड़े थे और उनमें उम्र के हिसाब से लटकन भी थी | लेकिन रीमा की गुलाबी गीली जीभ और उसके गुलाबी तो जादू ही किये हुई थी | वो रोहिणी के अन्दर का सारा रस जैसे आज ही निचोड़ लेना चाहते हो |
रोहिणी के बस में सिसकारियां निकालने के अलवा कुछ और नहीं था | वो सिसकारियां निकल रही थी | रीमा अपनी पूरी सआत्मा तन मन से लगी हुई थी रोहिणी के स्तनों का मर्दन चूषण करने में | वो बार रोहिणी के स्तन को अपने मुंह में भर चुस्ती, उन्हें सहलाती, उनकी घुंडियो को मसलती और रोहिणी की मदहोश आँखों में झांककर देखती की उसे मजा आ रहा है या नहीं |
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,518,977 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 546,318 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,239,527 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 937,141 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,663,933 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,089,907 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,965,898 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,103,873 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,051,100 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 286,575 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 8 Guest(s)