09-04-2021, 12:26 PM,
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desiaks
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RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
गिरधारी से अब रहा नहीं जा रहा था, गिरधारी का जोश अब उतरने को ही था, उसकी कोकीन का असर भी खत्म हो गया था | दो चार मिनट में झड़ जाने वाला गिरधारी आधे घंटे तक रीमा की कसी हुई गांड को चीरता रहा | कोकीन उसे इससे ज्यादा क्या दे सकती थी अब तो उसे झड़ना ही था लेकिन उसके नशे में वह पूरी तरह से उत्तेजित था और उसने रीमा की चुताड़ो को थोड़ा सा ऊपर उठाया और दना दन दना दन पूरा लंड अपना रीमा की गांड में उतार दिया |
इतनी देर से अपनी गांड पर पड़ रही मुसल लंड की भीषण ठोकरों के बाद रीवा की संकरी कसी गांड तो पूरी तरह से खुल गई थी लेकिन लगातार लगाती ठोकरों और लंड पेलाई की वजह से उसमें इतनी तेज जलन दर्द हो रहा था कि अब तक वह उसे उबर नहीं पाई थी इसी बीच इस नए भीषण हमले ने तो जैसे रीवा के पूरे जिस्म को दर्द से नहला दिया | रीमा को भी पता था यह आखरी बार है और इसके बाद में उसे उसकी गुलाबी गांड में निचुड़ जाना है | आखिर में जीतेगी रीमा ही | इसीलिए वह गिरधारी के इस भीषण ठोकरों को भी आंखें बंद करके बर्दाश्त करने लगी | इधर नीचे से जितेश भी रुकने के मूड में नहीं था | उसकी भी कमर तेजी से हिल रही थी लेकिन उसके मुकाबले गिरधारी की ठोकरे ज्यादा ताकतवर और तेज थी | जितेश ने रीमा को कस कसकर खुद से चिपका लिया | जिस्म पर पड़ रही इस तरह की भीषण ठोकरों को और अपनी कोमल गांड का कचूमर बनते वो गर्दन घुमाकर देखने लगी | वह कराह रही थी चीख रही थी लेकिन अब ना तो उसकी चीख से किसी को कोई फर्क पड़ रहा था और ना ही उसके गांड और चूतड़ पर लगने वाले धक्को से |
दर्द के इन आखिरी पलो को उसे बर्दाश्त करना ही होगा | आखिरकार रीमा ने ही तो उन्हें अपना जिस्म सौंपा था अब खुद उन्हें कैसे मना कर सकती थी, वासना के इस चरम पर तो बिलकुल नहीं | अब तो जो करना चाहे वह कर सकते थे | रीमा के जिस्म की यह दुर्गति रीमा की ही खुद की गलती थी | रीमा को उसके जिस्म पर पड़ रही है हर ठोकर रीमा को अपनी गलती का एहसास तो करा रही थी लेकिन उसकी वासना भी अपने अहंकार में अपने जिस्म की दुर्गति को नकार रही थी | आखिरकार रीमा ने ही तो बुलाया था कहा था कि वह आकर उसकी गांड मारे और अब उसकी गांड मार रहा था , ऐसे मार रहा था ऐसे लंड पेल रहा था जैसे उसकी गांड में आज तक किसी ने नहीं पेला| जिस कसी गांड में एक उंगली तक नहीं जाती थी उसमें एक मोटा लंड दनादन किसी पिस्टन की तरह से अंदर बाहर हो रहा था और उसके चूतड़ों पर बेतहाशा ठोकर मार रहा था और दूसरी तरफ से जितेश का लंड रीमा की चूत में धंसा हुआ था | रीमा जाये तो कहां जाए | दोनों के बीच में सैंडविच बन के रह गई | ऐसा लग रहा था जैसे दो पाटों के बीच में किसी ने मक्खन को रख करके और दोनों पाते चला दिए हो | इसी तरह वह दो मर्दों के जिस्मो की चुदाई में पिघल कर रह गयी | यही उसकी किस्मत थी उसकी मक्खन मलाई जैसे चूत और गांड को इसी तरह से पत्थर जैसे कठोर दोनो लंडो से कुचलना लिखा था | वह अपने चरम के उफान पर खड़े दनादन रीमा को चोद रहे थे और वो तन मन से पूरी तरह से चुद रही थी | आखिरी मानेगी तो ऐसी चुदाई ही तो मांगी थी रीमा ने | उसके तपते का हर हिस्सा अब दुखने लगा था | जितेश और गिरधारी की तेज ठोकरों के साथ में रीमा का अस्तित्व तिनके की तरह हवा में उड़ा जा रहा था | रीमा किस मुंह से उन्हें रोकेगी किस मुझसे कहेगी बस करो मेरे जिस्म का बलात्कार करना बंद करो | मेरे जिस्म को इस तरह से नोचना बंद करो | लूटना खसोटना बंद करो लेकिन इसी तरह से तो वो लूटना चाहती कि कोई उसे इसी तरह बेदर्दी से मसले कुचले चोदे और अब इसी तरह से उसे गिरधारी और जितेश मसल रहे थे |
गिरधारी की ठोकरों ने रीमा के न केवल जिस्म को बल्कि उसके अस्तित्व को हिलाकर रख दिया था | गिरधारी की ठोकरें ने रीमा की कमर में वह दर्द पैदा कर दिया जिसमे उसका पूरा जिस्म कहा गया था लेकिन अब इस वासना के चरम पर किस को किस की फिक्र थी | गिरधारी अपनी वासना के ऐसे चरम पर था जहां आदमी को औरत के छोड़ो खुद के जिस्म का ख्याल रहता है नहीं रहता | उसके खुद के लंड की खाल भी छिलने के कगार पर पहुंच गई थी और उसके सुपाडे का बुरा हाल था , वहां वह रीमा की गांड का क्या ख्याल रखता | वासना चीज ही ऐसी है जहां पर जिस्म बेमानी हो जाते हैं बस रह जाती है तो वासना वासना वासना और उसकी आग बुझाने की अंधी ललक | इधर जितेश भी रीमा की चूत की कुटाई लगातार जारी रखें |
कुछ ही देर में गिरधारी फड़फड़ाने लगा और उसकी कोकीन का नशा उतरते ही हुए वो अपने चरम की तरफ जाने लगा | उसकी गोलियां फटने लगी और उनकी गोलियों में भरा हुआ सफेद गाढ़ा गरम लावा उसके जिस्म की आग की तपिश को जलाता हुआ उसकी वासना की झील के बाँध को चीरता हुआ ऊपर की तरफ बह निकला और रीमा की गहरी गुलाबी जलती गांड में छूटने लगा |
इसी के साथ जैसे लग रहा था गिरधारी के भी प्राण छूट गए वह बस इसी लाश की तरह से अकड़ गया उसका लंड पूरी तरह से रीमा की गांड में धंसा हुआ था और उसके लंड से लगातार गर्म सफेद लावे की पिचकारियाँ रीमा की गांड की जलती दीवारों को ठंडा करने में लगी थी | गिरधारी की एक्सप्रेस ट्रेन पैसेंजेर हो गयी | वह बस हल्के हल्के से अपनी कमर हिलाने लगा | रीमा की तो जैसे जान वापस आ गई हो उसे लग नहीं रहा था कि वह आज जिंदा बच पायेगी | जब तक लंड की ठोकरे लगती रही ऐसा लगा जैसे उसकी जान उसके हलक में अटकी रही | जैसी उसकी आज दोनों के लंडो से ठुकाई हुई थी उससे लग ही रहा था कि आज उसकी जान निकल जाएगी लेकिन पहली बार उसे एहसास हुआ कि वह अभी जिंदा है और अब मरेगी नहीं आखिर उसकी वासना उसे उस मोड़ पर ले आई थी जहां पर उसे मौत साफ-स साफ दिखाई देने लगी थी | रीमा मौत के मुंह से वापस लौट आई | गिरधारी हिलती कमर बता रही थी कि उसकी पिचकारिया दनादन रीमा की जलती हुई गांड में छूट रही है | ऐसा लगा जैसे किसी ने रीमा की गांड को जलते हुए कोयले की भट्टी के पास से निकालकर पानी के टैंक में डुबो दिया हो | उसकी जलती हुई गांड में गिरधारी के सफ़ेद सफेद लावे ने जैसे बाहर ला दी हो | रीमा उस ठंडक और तृप्ति के अहसास में डूबने लगी | इसी पल के लिए वह इतनी देर तक कराहती रही, बिलखती रही खुद को कुचलवाती मसलवाती रही चुदवाती खुद की कोरी करारी गांड मरवाती रही | गिरधारी के लंड से सफ़ेद लावा रीमा की गांड की कसी दीवारों को भरने के बाद बूंद बूंद कर बाहर रिसने लगा |
इधर गिरधारी को धीमा पड़ता देख जितेश ने भी अपनी ठोकरे बढ़ा दी है और दनादन सीमा की चूत में अपने लंड को पेलने लगा | जाहिर सी बात है उसका चरम भी करीब था | गिरधारी झड़ के बाद वैसे ही बीमा के बदन से चिपक गया और उसका लंड रीमा की गांड की गहराइयों में पूरी तरह से धंसा रहा | इधर जितेश रीमा के चूत पर दनादन ठोकरें मारने लगा | उधर गिरधारी का लंड रीमा की गांड में आराम फरमाने लगा | जितेश को भी ज्यादा देर नहीं लगी और वह भी अपनी जिस्म में इतनी देर से उबल रही वासना की गर्मी को चरम पर पहुंचा गया | बेतहाशा धक्वको की ठोकरों ने उसके लंड में तेज सनसनाहट पैदा कर दी | वह भी अब खुद को संभाल नहीं पाया और उसका लंड भी जवाब दे गया उसकी गोलियों से फिर से सफेद लावे की धार बह निकली और उसके लंड से निकलकर रीमा की चूत की गहराइयो में झरने लगी | रीमा की चूत जितेश के सफेद लावे से भरने लगी गिरधारी ने रीमा की गांड को पहले ही सफेद लावे से पूरी तरह से भर दिया था | जितेश की कमर कुछ देर तक हिलती रही और हिलती कमर के साथ जितेश का रस रीमा की चूत में निकलता रहा |
रीमा तो जैसे जन्नत में पहुंच गई हो उसकी जलती हुई दीवारों पर जितेश की फुहारे, उसकी गाड़ की बिलखती दीवारों पर गिरधारी की फुहारे , रीमा को जैसे नया जीवन मिल गया हो | जैसे मरते हुए को अमृत मिल गया हो रीमा की सुख की कल्पना भी नहीं की जा सकती है | जो चूत घंटे भर से से ज्यादा मुसल लंड से रगड़ी गई हो उसकी दीवारों की हालत उसकी चूत की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है इतनी देर मसली जा रही चूत की दीवारों पर जब जितेश की गरम फुहारे पड़ी तो ऐसा लगा जैसे किसी ने उसकी चूत को नया जीवन दे दिया होगा एक नया जीवनदान मिला हो उसकी चूत की दीवारों में एक नई जान सी आ गई उसकी चूत जो इतनी देर से जितेश के लैंड से रगड़ खाकर जल रही थी उसकी आग पूरी तरह से शांत हो गई | अब वह पूरी तरह से जितेश के उस गुनगुने लावे में गोते लगाने लगी | रीमा को तो जैसे खुशी का ठिकाना ही नहीं था | दो दो लंडो का सफ़ेद गाढ़ा रस उसकी गुलाबी सुरंगों में भरा हुआ था | इसकी अहसास की तृप्ति तो बस रीमा ही महसूस कर सकती थी | उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता | आखिर इतनी देर खुद को दो मर्दो के हवाले करके मुसल लंडो से कुचलवाने और चुदवाने के बाद उसके हाथ में सिर्फ वह गाढ़ा सफेद रस ही तो था जो सिर्फ उसका था | बाकी आदमी तो जितनी देर औरत के अंदर रहता है बस उतनी देर ही वो उसका होता है | रीमा को अच्छे से पता था जब तक मर्द औरत की चूत में रहता है तब तक ही मर्द पूरी तरह से उसका होता है इसीलिए उसे पता था खुद को इस तरह से चुदवाने के बाद उसे सिर्फ कुछ हासिल होगा तो वह है उसके मन के कोनों में दबि वासना की तृप्ति और यह मीठा सफेद रस | इसके अलावा तो उसके हाथ कुछ आना भी नहीं था |
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09-04-2021, 12:27 PM,
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RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
यही तो रीमा को चाहिए था रीमा जानती थी उसने जो किया है वह उसे नहीं करना चाहिए था लेकिन आखिर कब तक हो अपने के अरमानों को कुचलती रहती उसके अंदर जो भी कुंठा होगी शायद चुदाई के बाद कम हो जाए वैसे भी अगर वह अपने मन के दबे अरमानों को पूरा नहीं करती तो अंदर ही अंदर खुद को कोसती रहती अब कम से कम अपने मन में दबी वासनाओं के कारण खुद को नहीं कोसेगी | सही गलत क्या है इसका फैसला करने का यह सही वक्त नहीं था अभी वक्त था बस इसे साथ में डूब जाने का दो दो और उनका सफेद गाढ़ा रस उसकी दोनों सुरंगों को पूरी तरह से लबालब भरे हुए था और उसमे उतराती इठलाती रीमा मन ही मन उस लम्बे दौर के दर्द को बर्दास्त करने के बाद गहरी शांति में थी |
हर चीज का अंत होता है इस चुदाई का भी अंत हुआ इस भीषण चुदाई का रीमा के जीवन की अब तक की सबसे खतरनाक सबसे रोमांचक सबसे दुसह्सिक चुदाई ऐसी चुदाई जिसमें रीमा ने अपने मन के कोने में दबे हुए सारे अरमान खोल दिए अपने जिस्म के सारी सुरंगे खोल दी और उन सुरंगों के दरवाजों में मोटे मोटे मुसल लंडो को आने-जाने की बेरोकटोक इजाजत दे दी | ऐसी चुदाई जब उसके जिस्म में हाहाकारी लंड बेधड़क अंदर बाहर हुए और वह बिना किसी ना नुकुर के पूरी तरह से इन दोनों के लंडो से मिले दर्द को पूरी तरह उसने बर्दास्त किया | जी भर के जी दोनों लंडो के अहसास को दिलो दिमाग में उतारा | इसका अहसास उसके अन्तर्मन में सालों तक जिंदा रहेगा | इस एहसास को वह अपने अंदर सालों तक जिंदा रखेगी वह तकलीफ देह था, बर्दास्त न कर पाने वाले दर्द से गुजरने वाला था लेकिन एक ऐसा एहसास था तो शायद औरत को बिना तकलीफ के मिल भी नहीं सकता था इस तरह से दो दो लंड उसके जिस्म को चीर रहे थे यह कैसा एहसास था जो औरत के नसीब में तभी होगा जब वह अपने जिस्म में दो लंडो को घुसने देगी | उसने अपने जिस्म में दोनों लंडो को घुसने दिया, एक बेहद तकलीफ भरा लेकिन बहुत ही खास चुदाई का अनुभव जो वो कभी नहीं भूलेगी | उसने भी सपने में नहीं सोचा था ऐसे भी मर्द होते हैं, जो औरत की चोद चोद कर जान निकाल देते है | रीमा के परपराते दोनों गुलाबी छेद उसको उसकी चुदाई का मीठा दर्द भरा अहसास करा रहे थे |
लेकिन कुछ तो गड़बड़ है इतनी देर तक चुदाई करने का स्टैमिना कहां से आ गया कहीं कुछ तो ऐसा था, तभी उन दोनों के नरम होते लंड बाहर की तरह खिसकने लगे | रीमा जितेश के सीने से चिपकी अपनी सांसे काबू करने लगी उसके शरीर में तो जान थी ही नहीं इसीलिए पूरी तरह से जितेश पर निढाल पसर गयी | इधर दोनों ने अपने अपने लंड रीमा की सुरंगों से बाहर खींच लिया और उनके लंडो का बाहर आना था कि रीमा की सूरंगों में भरा हुआ सफेद लावा भरभरा कर बह निकला
जो लावा अब तक रीमा के अंतरों से रिस रहा था अब वह धार बनकर बहने लगा और उसकी जांघ और चूतड़ों को भिगोने लगा था | जितेश और गिरधारी दोनों के लंड पूरी तरह से लंड रस से सने हुए थे रीमा की चूत का पूरा इलाका भी उनसे सन गया था | रीमा की गांड से और चूत से निकलता हुआ लंड रीमा की जांघों को भी भिगो रहा था | इधर लंड निकालते ही गिरधारी ने रीमा को देखा और बोला - मां कसम से जान निकल गई |
रीमा सर घुमा कर पीछे देखने लगी |
गिरधारी - हां मैडम क्या चुदाई हुई है |
रीमा उसका आशय समझने की कोशिश कर रही थी |
गिरधारी - क्या मैडम क्या जिस्म की मालकिन हो आप..... क्या कसी कसी गांड थी | आपकी कसी गांड ने मेरे लंड का तेल निकाल दिया | गांड आपकी मार रहा था और पसीना मेरी गांड से छूट रहा था | एक ही बार में पूरा का पूरा लंड ही चूस लिया | मन तो था एक बार और आपकी गांड मारू लेकिन आपकी गांड ने एक ही बार में सारा दम निकाल लिया |
रीमा सर घुमा कर पीछे देखने लगी है - क्या बकवास कर रहा है, एक बार और गांड मारू, तेरे घर की खेती है मादरचोद |
रीमा को गाली देते देख सकपका गया - अरे मैडम गुस्सा मत होइए , आपकी गांड को खोलने में पूछिए मत इतनी ताकत लगाई है इतनी ताकत में १० औरतो को चोद डालता |
रीमा जितेश से - इसको भगाओ यहाँ से नहीं तो अब मेरे हाथो पिटेगा |
गिरधारी को रीमा से कोई मतलब ही नहीं था वो तो अपनी धुन में ही रमा हुआ था - अरे मैडम आप जैसी खूबसूरत कमसिन मक्खन मलाई जैसा औरत को एक बार चोद के जी कहां भरेगा| एक बार और आपकी गांड मारने का मन था लेकिन आपने तो एक ही बार में बेदम कर दिया है अब तो दुबारा लंड भी नहीं खड़ा होगा ऐसा चूस कर निचोड़ दिया है आपने |
रीमा - जितेश तुम कुछ कहते क्यों नहीं |
जितेश रीमा के चूतड़ सहला रहा था और रीमा पीछे की तरफ जितेश गिरधारी को देख रही थी |
गिरधारी - क्या मैडम इसको देख रही हो इसीलिए आपकी गांड की कसकर ठुकाई करी है |
अब तक तीनों की वासना का नशा उतर चुका था लेकिन रीमा के हुस्न का जादू अब पूरी तरह से गिरधारी के ऊपर चढ़ चुका था और दिमाग अपने पूरे होशो हवास में धीरे-धीरे वापस आ गई थी उसे गिरधारी की बातें बहुत ही वाहियात और शर्मनाक लग रही थी हालांकि वह इस बात से अनजान नहीं थी कि गिरधारी ने ही उसकी गांड को चीरकर फालूदा बना दिया है लेकिन फिर भी वह वासना का दौर खत्म हो चुका था और वो अब भी वैसी ही गंदी गंदी बातें कर रहा है | रीमा ब अपने असली मोड में वापस आ गई थी|
इधर गिरधारी अपने लंड को जड़ से पकड़कर हिलाता हुआ बोला - एक बार चाटो ना मैडम |
रीमा जितेश की तरफ देखती हुई बोली - क्या बकवास कर रहा है
गिरधारी हैरान सा - बकवास नहीं मेरा लंड चूसने के लिए तो कह रहा हूं |
रीमा - अब ये मेरा दिमाग ख़राब कर रहा है |
गिरधारी - मैडम बस चुम्मी ही दे दो |
रीमा जितेश की तरफ देखती हुई - इससे बोलो जितेश अपने होश में तो है ना .......क्या क्या बक रहा है |
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09-04-2021, 12:27 PM,
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RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
इधर गिरधारी रीमा की जिस्म पर एक निगाह डालता हुआ तेजी से कपड़े पहन कर के रंग से छिपकर पीछे की तरफ से निकल कर भाग गया |
रीमा और जितेश दोनों किर्त्व्यविमुध वही बिस्तर पर बैठे रहे | रीमा की वासना की तृप्ति की ख़ुशी धुएंकी तरह गायब हो गयी | बाहर अच्छा खासा उजाला हो गया था और सूरज भी अब ऊपर की तरफ चढ़ने लगा था हालांकि कमरे में बस दराजो से ही हल्की-फुल्की रोशनी आ रही थी | रीमा और रितेश दोनों ही बुरी तरह से पस्त हो चुके थे रीमा गिरधारी बातें सुनकर सोच में पड़ गई हे भगवान यह उसने क्या कर दिया उसने वास्तव में अपने ही शरीर की दुर्गति करा दी अपनी शक्ल आईने में कैसे देख पाएगी अब खुद से आईने में नज़ारे कैसे मिला पायेगी | रीमा यही सब सोच सोच कर गहरे सदमे में चली गयी |
जितेश को ऐसे खा जाने वाली नजरों से देख रही थी जैसे जितेश ने उसका बलात्कार कर दिया हो | जितेश जानता था गलती उसे हो गई है और इसका एक ही तरीका था कि उसे रीमा को खुद की बांहों में ले लेना चाहिए वह जानता था कि रीमा नाराज होगी लेकिन उसे यह भी पता था वह उसे मना लेगा | जितेश रीमा के पास चला गया और उसे बाहों में लेने की कोशिश करने लगा लेकिन रीमा ने उसे झटक दिया इस बार जितेश ने थोड़ा सा ताकत से उसे अपनी तरफ खींच लिया रीमा के जिस्म में इतनी ताकत नहीं थी कि अभी वह प्रतिरोध कर सके उसके ऊपर से वह गहरे अवसाद में भी चली गई आखिर अब क्या करें | किसी तरह से जितेश की बाहों की तरफ खिसकती हुई चली गई |
इधर जितेश उठा और उसने तौलिया उठा कर के रीमा के जिस्म को पोंचना शुरू कर दिया | उसे पता था रीमा की हालत अभी ठीक नहीं है | इतनी बेदर्दी से चुदने के बाद में उसके गुलाबी छेदों में तकलीफ हो रही होगी इधर रीमा चुपचाप बैठी रही और अपने किए पर पछता रही थी |
जितेश रीमा को साफ करता रहा और रीमा बुत बनी बैठी रही | उसे समझ में नहीं आ रहा था, उसने क्या कर डाला वह क्या करें क्या ना करें कैसे खुद से नजरे मिलाये | उसे जितेश पर बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन उसे सबसे ज्यादा गुस्सा खुद पर आ रहा था आखिर उसने खुद को ही तबाह करने का फैसला किया् क्यों | उसकी वासना उसे कहीं का नहीं छोड़ेगी उसकी जिंदगी को नरक कर देगी | आज उसने खुद को अपनी नजरों में ही गिरा दिया | वो आज खुद की नजरो में वासना की भूखी रंडी बन गयी | जितेश रीमा की हालत थोड़ी थोड़ी समझ रहा था उसने रीमा को बाहों में ले लिया और बिस्तर पर लेट गया उसकी पीठ सहलाने लगा | रीमा उसकी बांहों में सिमटती चली गयी | लेकिन उसका वह सदमा उसे अंदर से पूरी तरह से खाए जा रहा था हाय यह मैंने क्या कर दिया कहां खुद को सड़क पर चलती नजरों से बचाती थी कहां खुद के पल्लू को पल-पल से खींच के ऊपर चढ़ाटी थी और आज कहां दो अजनबी के एक साथ दो दो लंड ले लिये अपने जिस्म में | जितेश भी बुरी तरह थक गया था और जल्दी ही सो गया | रीमा भी उसकी बांहों में सोचती विचरती आखिरकार सो गयी |
रीमा और जितेश दोनों ही बुरी तरह से थककर गहरी नीद में चले गए लेकिन कोई हा जिसकी दिन और रात दोनों की नीद उडी हुई थी वो था सूर्यदेव | मंत्री जी से बात करने के बाद उसकी रातो की नीद भी उड़ गयी थी | उसे समझ नहीं आ रहा था आखिर रीमा गायब कहाँ हो गयी | उसे जमीन निगल गयी या आसमान खा गया | उसका दाव उसे ही उल्टा पड़ जायेगा ये उसने नहीं सोचा था | जिस शूटर को उसने जग्गू को मारने बेजा था, उसे जग्गू की लाश भी ठिकाने लगा देनी थी | जिससे किसी को कुछ पता न चले | अपने बेटे के गम में विलास खुद ही पागल हो जाता | जब लाश नहीं मिलती तो दिन रात पागलों की तरह अपने बेटे को खोजता रहता | वो मंत्री जी के साथ बिज़नस में आगे निकल जाता | लेकिन रीमा की वजह से सब गड़बड़ हो गया | अब विलास का सीधा शक सूर्यदेव पर था और उसके पास ये आखिरी मौका था उसके कहर से बचने का | लेकिन वो रीमा को लाये कहाँ से, उस गार्ड के चुतियापे से वो इतनी गहरी मुसीबत में फंस जायेगा ये उसे पता नहीं था | पागलो की तरह छटपटाता अपने घर में घूम रहा था | फिर उसे अपने सारे खास आदमियों को बुलावा बेजा | जो आ सके उनको लेकर एक कमरे में चला गया बाकि को फ़ोन पर ले लिया |
सूर्यदेव - देखो भाई लोगो बात बहुत सीधी है | मेरी कल रात मंत्री जी से बात हुई थी | उन्होंने हाथ खड़े कर दिए है |
उसका सबसे खास आदमी था कालू | उसका नाम कालू पड़ा ही इसलिए था क्योंकि भालू जैसा उसका शरीर और उसका रंग भी भालू जैसा ही था | लोग उसे भालू है या कालू है कहकर चिढाते थे | धीरे धीरे लोग उसे कालू कहने लगे |
कालू - बॉस मंत्री जी क्या बोले |
सूर्यदेव - मंत्री जी बोले है जान बचानी है तो उस छिनार रंडी कुतिया को ढूंढो और विलास के हवाले कर दो | बाकि मंत्री जी संभाल लेगें |
कालू - बॉस हम पूरी कोशिश कर रहे है |
सूर्यदेव - कोशिश से काम नहीं चलेगा हरामजादो | विलास हम सबको कुत्तो की मौत मरेगा | मुझे मारने से पहले तुम सबको मरेगा |
तुम सब के सब सालों किसी काम के नहीं हो एक औरत को नहीं ढूंढ पा रहे हो तुम सब कुत्तों की मौत मारे जाओगे विलास किसी को नहीं छोड़ेगा अपनी जान प्यारी है तो उस साली रंडी को ढूंढो |
कालू - बॉस विलास को कैसे पता चला कि जग्गू को हमने मारा है |
सूर्यदेव - उसे शक है मंत्री जी बोले है तुमारे इलाके में उसका बेटा मारा गया है इसलिए पहला निशाना वो हम पर ही सधेगा |
कालू - बॉस हम ढूंढ रहे है उस औरत को |
सूर्यदेव - लकीर पीटने से काम नहीं चलेगा | जमीन खोदो या आसमान चीर डालो मुझे वो औरत चाहिए | चाहे उसे पाताल से ढूंढ कर लावो | चौबीस घंटे में उसे जिन्दा ढूंढ के लाना है | समझे तुम सब के सब , नहीं तो कुत्ते की मौत मरोगे |
कालू - 24 घन्टे में ही क्या ?
सूर्यदेव - क्योंकि कल जग्गू की तेरहँवी कर रहा विलास, उसके बाद हमारी करेगा |
कालू - बॉस हमने अपना पूरा दम लगा रखा है और आपको यकीन से कह सकता हूँ वो यहाँ से भाग नहीं पाई है | स्कूटर से लड़ने के बाद कोई चलने फिरने की हालत में ही नहीं रहेगा | हो सकता है वो जंगल में कही छुप गयी हो, उसे कोई जानवर उठा ले गया हो या फिर वो नदी के दोनों तरफ बनी बस्ती में कही छुपी हो |
सूर्यदेव - तुम कर क्या रहे हो | पता लगावो कहाँ है वो और घसीट के यहाँ ले आवो | मुझे वो जिन्दा चाहिए कान खोलकर सुन लो |
कालू - हमने चप्पा चप्पा छान मारा है जंगल भी एक बार छान मारा है | मुझे लगता है वो कही छिपी हुई है | जब तक वो इधर उधर निकलेगी नहीं हमारी नजर में कैसे आएगी | अपने आदमी हर गली के मोड़ पर खड़े है | पान वाला ठेले वाला रिक्शा वाला सबको खबर है | जैसे ही किसी को कुछ पता चलता है तुरंत हमें इतल्ला करेगे |
सूर्यदेव - तुमने उसकी फोटो दिखाई है सबको, उसको पहचाने कैसे |
कालू - फोटो तो नहीं है हमारे पास बॉस |
सूर्यदेव - तो सालो क्या गांड मरा रहे हो | उसे कोई पहचानेगा जैसे गधो |
कालू - फोटो कहाँ से लाऊ बॉस |
सूर्यदेव - इस गेंडे जैसे शरीर में दिमाग भगवान् ने मेढक का लगा दिया है | अबे न्यूज़ चैनल खोल उसकी फोटो जब टीवी पर आये तो खीच और किसी दुकान पर जा उसकी फोटो निकलवा, उसके पोस्टर छपवा और हर जगह बटवा |
बॉस - सही कहाँ आपने, मै तुरंत जाकर करता हूँ |
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RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
सभी जाने लगे | सूर्यदेव कुछ सोचता हुआ - कालू तू रुक ये काम तो कोई भी कर सकता है |
कालू एक आदमी को ये काम सौंप दिया |
बाकियों के जाते ही सूर्यदेव ने उससे दरवाजा बंद करने को कहा |
सूर्यदेव - देख कालू तू मेरे साथ पिछले 9 साल से काम कर रहा है | अगर वो औरत नहीं मिली तो पिछले १० साल की सारी मेहनत बेकार जाएगी ऊपर से जान से हाथ धो बैठेगे सो अलग |
कालू - बॉस मै और बाकि सब जी जान लगा देगें उसको ढूढ़ने में |
सूर्यदेव - सुन ये बता वो पांचो कहाँ है |
कालू - मुझे उनकी कोई खबर नहीं |
सूर्यदेव - तो पता लगा, जरुरत पड़े तो उनसे मदद मांग | अभी उनकी जरुरत है हमारे अकेले के बस का नहीं | माफ़ी मांग लेगें सालो से | जिन्दा रहेंगे तो इनसे भी निपट लेगे |
असल में सूर्यदेव अपने साथ पहले काम करने वाले उन खास पांच आदमियों की बात कर रहा था जो अपने अपने काम में परफेक्ट थे लेकिन उन्हें सूर्यदेव के कमीनेपन पर ऐतराज था इसलिए एक एक करके उससे अलग हो गए | उनमे से एक जितेश भी था | सारे के सारे बेहरतीन शूटर और खतरों के खिलाड़ी थे | कोई भी काम ऐसे अंजाम देते थे जैसे भूत करके निगल गया हो | आस पास किसी को कानो कान खबर नहीं होती थी | सब को सूर्यदेव के काम करने के तरीके और सूर्यदेव द्वारा उन पर भरोसा न करने के कारन वो सब छोड़ कर चले गए | एक ने अपनी प्राइवेट जासूसी की एजेंसी खोल ली | दो लोग पुलिस के लिए काम करने लगे | एक आदमी ने अपना लकड़ी का कारोबार शुरू कर दिया | जितेश पुलिस और प्राइवेट दोनों तरह की कॉन्ट्रैक्ट किल्लिंग का ठेका लेने लगा | भले ही उनमे से कुछ ने बन्दुखे रख दी लेकिन उनके निशाने आज भी अचूक थे | उनके काम करने के तरीके भी, भूसे में से सुई ढूढ़ना उन्हें आता था | यही बात सूर्यदेव को चुभती थी वो उनसे असुरक्षित महसूस करता था | इसीलिए सूर्यदेव ने उनमे से सभी को जान से मारने की कोशिश की लेकिन उन सब की किस्मत अच्छी थी की सब के सब बच गए |
सूर्यदेव - सुनो जो भी अगले 48 घंटे में रीमा का पता बताएगा या उसे ढूढ़ कर लायेगा उसको १० लाख का इनाम मिलेगा | ये खबर पुरे कस्बे में फैला दो |
कालू ने अपने आदमियों को फ़ोन किया और उन पांचो का पता लगाने को बेजा | सूर्यदेव के लिए टिक टिक करता घडी का एक एक सेकेण्ड भारी था |
सूर्यदेव के आदमी नए सिरे से कस्बे और जंगल का चप्पा चप्पा टटोलने लगे | सूर्यदेव के आदमियों के एक टुकड़ी नदी किनारे जंगल में भी रीमा को खोज रही थी दूसरी तरफ कस्बे की पुलिस भी रीमा को खोजने में लग गई थी |
इधर रोहित भी रीमा को लेकर बहुत बेचैन था | उसके सब्र का प्याला छलक रहा था | आखिर कब तक इस नाकारा पुलिस के भरोसे बैठा रहे | उसे अब रीमा की चिंता होने लगी थी, उसके अन्दर ये दहसत भरने लगी थी कही कुछ अनहोनी तो नहीं हो गयी | पता नहीं रीमा कहाँ हो तुम, जिन्दा हो सही सलामत हो | बस एक खबर मिल जाती तुम जहाँ भी हो जैसी भी ही ठीक हो | आखिर कार इस बार रोहित ने अकेले फिर से उसी कस्बे जाने का फैसला किया | वो चाहता था अनिल पुलिस के साथ रहे | अनिल मान गए | रोहित उसी कस्बे की तरफ अपनी कार से निकल पड़ा | रोहित भी अपने शहर से उस कसबे में आ गया था उसे पता था रीमा यहीं कहीं है और कहीं नहीं गई | अगर वह जिंदा है तो यहीं मिलेगी इसीलिए उसने हाथ पर हाथ धरकर पुलिस के भरोसे बैठने की बजाय खुद अपने स्तर पर रीमा कोढूंढना शुरू कर दिया था |
गिरधारी वहां से चला गया था लेकिन उसके दिमाग से रीमा नहीं निकली थी उसके दिलो-दिमाग पर बस रीमा का गोरा गुलाबी जिस्म ही घूम रहा था | उसके वह उठे हुए मोटे-मोटे चौड़े चुताड़ो के पठारों की गुलाबी ढलान, उसके रस टपकाते गुलाबी रसीले ओठ, चिकना गोरा गुलाबी महकता बदन, उसकी गुलाबी कसी हुई गांड और गीली गुलाबी मखमली चूत .................आआआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह् रीमा तो जैसे औरत नहीं थी कयामत थी उसके लिए | उसके लिए तो आज का दिन ऐसा था जैसे रोज नमक रोटी तोड़ रहे इंसान को आज किसी ने रसमलाई और खीर खिला दी हो
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RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
गिरधारी वहां से चला गया था लेकिन उसके दिमाग से रीमा नहीं निकली थी उसके दिलो-दिमाग पर बस रीमा का गोरा गुलाबी जिस्म ही घूम रहा था | उसके वह उठे हुए मोटे-मोटे चौड़े चुताड़ो के पठारों की गुलाबी ढलान, उसके रस टपकाते गुलाबी रसीले ओठ, चिकना गोरा गुलाबी महकता बदन, उसकी गुलाबी कसी हुई गांड और गीली गुलाबी मखमली चूत .................आआआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह् रीमा तो जैसे औरत नहीं थी कयामत थी उसके लिए | उसके लिए तो आज का दिन ऐसा था जैसे रोज नमक रोटी तोड़ रहे इंसान को आज किसी ने रसमलाई और खीर खिला दी हो |
वो जितेश के यहाँ से दुत्कारे जाने के बाद, अपनी कुटिया में आकर लेता हुआ था | सुबह सुबह इतनी जोरदार मेहनत करने के बाद थक गया था | लेकिन रीमा के कारन उसे नीद नहीं आ रही थी | एक हाथ अपने पजामे में घुसेड़कर अपने लंड को सहला रहा था और अपने सुन्दर सपनो में खोया हुआ था | तभी किसी से उसकी झोपड़ी के बाहर आवाज लगायी | गिरधारी को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसक सपना तोड़ दिया हो |
बाहर एक आदमी था गिरधारी उसे जानता था | वो सूर्यदेव के लिए काम करता था |
उसे देखते ही गिरधारी का हाथ अपने आप अपनी कमर में घुसाई हुई पिस्टल पर चला गया | उसने दरवाजा खोलकर उस आदमी पर गन तान दी |
आदमी - अरे अरे इसकी कोई जरुरत नहीं है |
गिरधारी - क्यों आया है यहाँ |
आदमी - खबर देने |
गिरधारी - किसकी |
आदमी - कालू बॉस का संदेसा है | बड़े बॉस तुमारे बॉस से मिलना चाहते है |
गिरधारी - क्यों |
आदमी - पता नहीं |
गिरधारी - तो फुट ले यहाँ से, जब पता चल जाये तब आना | वर्ना इतनी गोली मरूँगा पिछवाड़े में साले कंफ्यूज हो जायेगा असली छेद कौन सा था |
गिरधारी के तेवर देखकर वो वहां से खिसक लिया | इधर गिरधारी बस फिर से लेता ही था वो फिर आकर बाहर आवाज देने लगा |
गिरधारी इस बार पिस्तौल तानकर ही निकला | इससे पहले गिरधारी कुछ बोलता वो बोल पड़ा - कालू बॉस से बात कर लो |
गिरधारी उसे घूरता रहा फिर उसने उसके हाथ से मोबाईल छीन लिया |
गिरधारी - हाँ हेलो बोल कालू |
कालू - मेरे बॉस तेरे बॉस से मिलना चाहते है |
गिरधारी - क्यों |
कालू - देख गिरधारी पुराणी बाते भुलाने का समय है ये | मेरे बॉस किसी मैडम को ढूंढ रहे है और उसमे तुम लोगो की मदद चाहिए | बॉस को हर हाल में वो मैडम अगले अड़तालीस घंटे में चाहिए | इसके लिए बॉस १० लाख तक पैसे भी देने को तैयार है |
गिरधारी - १० लाख , ऐसा क्या अर्जेंट है और वो मैडम क्यों चाहिए |
कालू - देख भाई अपना काम कर और पैसे ले, बात ख़तम |
गिरधारी - मुझे नहीं लगता मेरे बॉस मानेगे |
कालू - देख पीछे जो कुछ भी हुआ उसके लिए मेरे बॉस माफ़ी भी मांगना चाहते है एक बार कह दो बस जितेश बॉस आकार मेरे बॉस से मिल ले | तू बस उन तक संदेसा पंहुचा दे |
गिरधारी - ठीक है बता दूंगा |
कालू - अर्जेंट है |
गिरधारी - ठीक है गिरधारी ने जबान दे दी मतलब दे दी | तुमारे जैसे झूठे धोखेबाज नहीं है |
गिरधारी ने उसका फ़ोन वापस कर दिया | वो चला गया | गिरधारी फिर से बिसतर पर आकर लेट गया | उसे पता था कालू और उसके बॉस को कौन सी मैडम चाहिए | उसे अच्छे से पता था वो रीमा मैडम को ढूंढ रहे है और रीमा मैडम तो अपने बॉस के कब्जे में है | अब आएगा मजा | सालो से चुन चुन कर पिछला हिसाब चुकता किया जायेगा | ऊपर से मोटी रकम भी वसूली जाएगी मैडम के बदले | अभी तो बहुत टाइम है ऊपर से अभी वो जितेश के पास नहीं जाना चाहता था | उसे पता था बॉस गुस्सा होंगे | वैसे भी शाम होने वाली थी | कल सुबह जायेगा | यही सोचकर फिर से अपनी सपनीली दुनिया में खोकर अपने लंड को सहलाने लगा |
पूरी दुनिया की रीमा के लिए परेशान थी लेकिन रीमा तो किसी और चीज के लिए यही परेशान थी रीमा के जिंदगी को पल पल हर पल वहां खतरा था लेकिन जितेश की बाहों में सिमटने के बाद वह दुनिया की सबसे सुरक्षित जगह रह रही हो वह अपनी ही चिंता में डूबती उतराती हुई उस कमरे के चारदीवारी में बंद थी | उसे अपनी वासना से मिले दुख तकलीफ, संतुष्टि तृप्ति, आनंद से ही फुर्सत नहीं थी जो वो समझ सके कि उसकी जान पर किस तरह से बन आई है और इस समय उसकी गर्दन पर तलवार लटक रही है |
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09-04-2021, 12:28 PM,
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RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
सुबह-सुबह दो बड़े बड़े मुसल लंडो की हाहाकारी चौतरफा चुदाई के बाद में रीमा पूरी तरह से निचुड़ गई थी | भारी थकावट से गहरी नींद में सो रही थी लेकिन एक गहरी नीद लेने के बाद जितेश की आंख खुल गई | कोकीन के नशे का सुरूर उतर चूका था | उसका सर भारी हो रहा था | रीमा उसके पड़ोस में उल्टा लेटी हुई थी | उसका सर बिस्तर में धंसा हुआ था और उसके हाथ भी बिस्तर में ही फंसे हुए थे पेट के बल बिस्तर से चिपकी हुई बहुत गहरी नीद में सो रही थी | चेहरे और पीठ पर बिखरे बाल, गोरी चिकनी पीठ और उठे हुए चौड़े मांसल चूतड़, गोरी चिकनी जांघे, रीमा अभी भी उसे उतनी ही मादक और कामुक लग रही थी जितना उसने सोने से पहले लग रही थी |
उसकी मांसल गुदाज गोरी जांघो और चौड़े मांसल चुताड़ो की दो गुलाबी उठान अपनी दरार घाटी में रीमा के जिस्म के करिश्माई सुरंगे छिपा रखी थी |
जितेश उठा फ्रेश हुआ और फिर आकर बिस्तर पर लेट गया | उसका हाथ अनायास ही रीमा की पीठ पर चला गया | और उसकी पीठ सहलाते सहलाते उसके चुताड़ो को सहलाने लगा | उसके दिमाग में जमकर कूटी गयी रीमा की गांड को देखने की दिलचस्पी होने लगी |
उसने गिरधारी को रीमा की कसी गुलाबी गांड का जबरदस्त तरीके से बाजा बजाते देखा था | तभी से उसके मन में एक भावना जग गयी थी जैसे गिरधारी ने एक ऐसा अनमोल खजाना लूट लिए जिस पर पहला हक़ शायद उसका था सिर्फ उसका | वो अन्दर ही अन्दर इस बात के लिए अभी भी कुढ़ रहा था कि वो दो टके का नीच आदमी गिरधारी रीमा जैसी अप्सरा जैसे हुस्न और जिस्म की मालकिन औरत की गांड का सारा मजा लूट ले गया | उससे ये बात बर्दाश्त नहीं हो रही थी |
पिछले कुछ दिन से उसने रीमा को संभाला है, उसके जख्मो की उसने मरहम पट्टी करी है, उसने उसे नहलाया है खिलाया है, उसका दिल बहलाया है, उसका हर ख्याल रखा है | इसीलिए उसने भी उसे अपना सब कुछ सौंप दिया | उसका हक़ बनता है रीमा के जिस्म को भोगने का क्योंकि वो ही तो उसका ख्याल रख रहा है | उसी ने उसके लिए खतरा उठाया है | ये गिरधारी भोसड़ी वाला मौके पर आकर सीधे छक्का मार गया | न लेना एक था न देना दो और फ्री में रीमा की गुलाबी गांड की मलाई चाट गया | नहीं रीमा सिर्फ उसकी है सिर्फ उसकी, जो हुआ सो हुआ लेकिन गिरधारी को वो इस तरह से जीतने नहीं देगा | साला जिंदगी भर गिरधारी उसे चिढ़ायेगा की उसकी बजाय रीमा ने उसे अपनी गांड मारने को दी | वो लीचड़ तो मेरा दिमाग खा जायेगा, उस लीचड़ को औकात में रखना ही होगा | साला रीमा की गांड मार कर उसकी जुबान कितनी कैची की तरह चलने लगी | साला मेरा कुत्ता मुझे ही आँख दिखाने लगा | वो साला मुझे क्या आंख दिखायेगा, उसे मै इस लायक छोडूंगा ही नहीं | जिस चीज के लिए वो उछाल रहा है वो चीज मै भी हासिल करूंगा ताकि उसको जवाब दे सकू | साला अकेला रीमा की कसी गुलाबी गांड के मजे नहीं ले सकता |
गिरधारी की इर्ष्या में जितेश को न जाने कौन सा नशा चढ़ गया | जब से उसने गिरधारी को रीमा की गांड मारते हुए देखा था तब से अंदर ही अन्दर कुढा जा रहा था | उसे गिरधारी से तो हर हाल में आगे ही रहना था हर मामले में इसीलिए उसका मन भी मचलने लगा था उसे शायद लग रहा था गिरधारी जो खजाना लूट ले गया है उसे लूटने से वह वंचित रह गया है | वो रीमा के चूतड़ सहला रहा था | और उसकी गुलाबी गांड के उस कसे हुए छल्ले को देख रहा था, जो सुबह ही अपने जीवन के सबसे मोटा लंड से चीरा गया था | उसे रीमा की गांड में बहुत दिलचस्पी होने लगी थी | आखिर कुछ देर तक हो यही सब सोचकर लेटा रहा |
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09-04-2021, 12:28 PM,
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RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
फिर उसने सीधे होते तनते लंड की तरफ देखा उसके अंदर शायद यही ख्वाहिश थी जो उसके मन में चल रहा था | आखिरकार उसने हिम्मत करके धीरे से रीमा को अपनी बाहों में जकड़ के बाएं दाएं करवट लिटा दिया अब वह ठीक रीमा के पीछे आ गया था | उसने अपने जिस्म को रीमा के जिस्म से चिपका लिया था उसने रीमा के घुटने थोड़े से मोड दिए थे | अब उसके भारी-भरकम ऊंचे ऊंचे चूतड़ों के उठान उसके बिल्कुल लंड के करीब आ गई थी वह पीछे से ही रीमा को बाहों में भर कर उसके बड़े बड़े मांसल उठे हुए उरोजों को मसलने लगा था | रीमा बहुत गहरी नींद में सो रही थी और उसे कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था | जितेश ने गौर से रीमा के जिस्म को देखा | बड़े बड़े ऊंचे ऊंचे चौड़े चूतड़ों की घाटी में छिपा हुआ उसका गुलाबी गांड का छेद की कसावट में वो सख्ती नहीं बची थी बल्कि उंगली तो आराम से घुस रही थी | इससे पहले रीमा ने कभी दो लंडो की तो छोड़ो एक लंड से भी कभी ढंग से चुदाई नहीं करी थी | आज जितेश उसे दो बार बेतहाशा चोद चुका था | ऊपर से गिरधारी के साथ में मिलकर उसने रीमा की गुलाबी संकरी सुरंगों को जो चौड़ा किया है | रीमा के देह में न तो जान बची थी न ताकत | उसका शरीर गहरी थकावट से चूर होकर गहरी नींद में सो रहा था | जोश में आकर के वासना की हवस में डूब कर के कुछ भी कर डालना एक अलग बात है लेकिन हर चीज का एक साइड इफेक्ट होता है उसमें जोश में वासना में डूब कर 2 लंडो को से चुदने के लिए हामी तो भर दी | लेकिन उसकी तो एक लंड से ही चीखे उबल पड़ती थी यहाँ तो दो दो मोटे तगड़े मुसल लंड, रीमा का बदन न तो ऐसी चुदाई का अभ्यस्त था न ऐसी ठोकरे बर्दास्त करने के काबिल | ऐसी चुदाई के लिए धीरे धीरे जिस्म को उसका आदी बनाना पड़ता है | यहाँ दो लंडो की चुदाई तो छोड़ो रीमा को नियमित रूप से रोज चुदने की आदत नहीं थी | यहां पर तो दो दो मुसल लंडो की भीषण ठोकरें थी जिसकी वजह से उसका पूरा बदन सर से लेकर कमर तक सब कुछ झटको से हिल गया था | वह उसका शरीर बहुत ही गहरी थकान में से भर गया था और इसीलिए वह बहुत गहरी नींद में सो गई थी लेकिन उसकी चूत और गांड के छेद को देखकर लग रहा था जैसे कि उन पर किसी ने बड़े-बड़े लंड उसे काफी घनघोर ठुकाई करी हो |
जितेश से रहा नहीं जा रहा था, धीरे धीरे उसके विवेक को उसकी वासना और इर्ष्या हरे ले रही थी |
वो रीमा के पीछे आकर उससे बिलकुल वैसे ही सट गया जैसे गिरधारी सट था | रीमा का नरम गुलाबी बदन का कोमल स्पर्श उसे पागल बनाने लगा | रीमा के जिस्म की गुलाबी गंध उसकी वासना की आग में घी डाल उसे और भड़काने लगी | रीमा के जिस्म का स्पर्श होते ही उसका लंड झटके लेकर सीधा होने लगा | जितेश रीमा के उरोजों को हलके हाथो से सहला रहा था | उसकी छाती रीमा की पीठ से सटी थी और उसकी कमर रीमा की कमर से सटी थी | उसका लंड रीमा के चौड़े मांसल नरम चुताड़ो की दो पहाड़ियों के बीच झटके खा रहा था | जितेश के अन्दर की दुविधा धीरे धीरे एकतरफा वासना से घिर कर खतम होती जा रही थी | उसके अन्दर का सही गलत का फर्क रीमा के जिस्म को फिर से भोगने की चाहत में ख़त्म होता जा रहा था | वैसे भी उसे ज्यादा सोचने की आदत थी नहीं | पहली बात रीमा को लेकर वो हिचकिचा रहा था | आखिर क्यों वो इतना सोच रहा है, जब रीमा ने अपनी गांड में लंड लेने से पहले नहीं सोचा | जो होगा देखा जायेगा | वैसे भी मैडम कौन सी दूध की धूलि है एक नंबर की चुद्दकड़ है | गिरधारी से खुजली मितवा रही थी फिर मुझसे क्या हर्ज है | इतने कसे चिकने उठान लिए मांसल चूतड़, चोदो जितेश देखा जायेगा | थोड़ा रोना धोना होगा और क्या | सब औरतो के यही नखरे होते है, जो ख्याल रखता है उसी को दुनिया भर का लेक्चर पिलाती है बताया क्यों नहीं पुछा क्यों नहीं, बिना मेरी मर्जी के कैसे छुआ कैसे अन्दर डाला, कैसे चोदा | बाहर किसी अनजान के खूटे से फाड़वा के आ जाएगी तब कुछ नहीं | चोदो साला देखा जायेगा, जानबूझकर वैसे भी रीमा तुम्हे अपनी गांड तो नहीं मारने देगी | अभी मौका है चौका मार दो, एक बार लंड घुस जायेगा फिर तो बिना माल छोड़े बाहर थोड़े आएगा | भला कोई औरत पूछ के अपनी गांड मारने देगी जितेश, चल अपने अरमान पुरे कर ले, फिर बाद में थोडा रोना धोना होगा, हाथ पैर पटकना होगा और थोड़ा गुस्सा थोड़ी नाराजगी ये सब तो हर मर्द औरत में चलता ही रहता है | आखिर उसने अपना मन मजबूत किया |
उसने अपने कमर को रीमा के चुताड़ो से और कसकर सटा लिया | फिर उसे कुछ याद आया | उसने लपक कर सिराहने से वैसलीन की डिबिया उठाई और ढेर सारी वैसलीन रीमा की गुलाबी गांड के मुहाने पर उड़ेल दी | फिर अपने तने हुए लंड पर वैसलीन मलने लगा | फिर उसने रीमा के चुताड़ो को थोड़ा फैलाकर उसकी गांड की सुरंग के कसे मुहाने पर अपना फूला मोटा सुपाडा सटा दिया |
उसने एक लम्बी साँस ली और अपनी कमर का जोर आगे की तरफ बढ़ा दिया | भले ही रीमा की गांड सुबह सुबह ही मोटे लंड से चीरी गयी हो लेकिन उसकी गांड का छल्ला अब तक पुराने शेप में आ चूका | वो नरम था लेकिन खुला हुआ नहीं था | जितेश को उसे फ़ैलाने के लिए जोर लगाना पड़ा | पहली कोशिश में जितेश असफल रहा | वो जल्दबाजी भी नहीं करना चाहता था | वो जब तक हो सके रीमा को सोते हुए ही उसको चोदना चाहता था | उसे पता था आंख खुलते ही रीमा दुनिया भर के नखरे शुरू कर देगी | इसलिए जल्दबाजी करके उसे अपना काम ख़राब नहीं करना था | उसने अपने लंड को कसकर मसला और धीरे से रीमा की चूत में घुसा दिया | रीमा की नरम चूत में उसके लंड का मोटा सुपाडा फिसलता चला गया | जितेश ने आइस्ते से कमर हिलानी शुरू की | चार पांच धक्को में ही रीमा की चूत गीली होनी शुरू गयी | उसने लंड को चिकना और गीला करना शुरू कर दिया | रीमा की चूत के गीलपन से जितेश का सुपाडा भीग गया | जितेश ने रीमा की गुलाबी चूत से अपना सुपाडा बाहर खीचा और रीमा की गुलाबी कसी गांड के मुहाने पर फिर लगा दिया | उसने अपने लंड को सख्ती से पकड़ा और रीमा की पिछली सुरंग पर सटाकर अन्दर घुसेड़ने लगा | कमर और हाथ का कसकर जोर लगाते ही उसके लंड का सुपाडा रीमा की पिछली सुरंग के कसे छल्ले को फ़ैलाने लगा और जितेश का लंड रीमा के गहरे गुलाबी गांड में धसने लगा | रीमा की गांड का कसा छल्ला नरम था आसानी से फैलाता चला गया | जितेश के लंड का फूला सुपाडा रीमा के जिस्म में घुसकर गायब हो गया | रीमा गहरी नीद में थी लेकिन उसका अचेतन मन उसके शरीर में हो रही हरकतों पर प्रतिक्रिया दे रहा था | इसलिए उसकी चूत में लंड घुसाते ही उसकी चूत गीली होकर जितेश के लंड को भिगोने लगी थी | जितेश का लंड रीमा की गहरी गुलाबी संकरी गांड की मुहाने को चीर कर उसके जिस्म में धंस गया था | जितेश वही थम गया, रीमा थोड़ा सा कसमसाई लेकिन फिर शांत हो गयी | जितेश ने एक लम्बी राहत की साँस ली | वो वैसे ही पड़ा रहा | कुछ देर के लिए जैसे सोने का नाटक करने लगा |
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