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RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
बीच बीच में वो आकर हमें अपने फोटो दिखाते कि कैसी आयी. इसी तरह हम वहा घूमते रहे और फोटो सेशन चलते रहे.
बारह बज चुके थे और हमने फैसला लिया कि अब हम यहाँ से अपनी दूसरी मंजिल की तरफ निकलते हैं जो कि थोड़ी दुरी पर हैं तो समय लगेगा. उससे पहले हम बीच में कही लंच के लिए रुकेंगे.
हम लोग अब एक रेस्टॉरेंट में आ गये. मैं वाशरूम में हो आयी. बाकी तीनो ने तब तक खाना आर्डर कर दिया. मैं आकर बैठी और पायल वाशरूम में जाने को निकली.
पति ने भी बोला कि वो बाहर की शॉप से बाद में काम आने लायक कुछ छोटा मोटा सामान खरीद कर गाडी में रखने जा रहे हैं.
अब टेबल पर सिर्फ मैं और डीपू थे. उसने टेबल पर रखे मेरे हाथों पर अपना हाथ रख दिया.
मैंने तुरंत उसका हाथ झटक दिया और उसको गुस्से से देखा.
उसने फिर मुझको समझाना शुरू किया. उसने अपने फ़ोन पर मुझको एक आर्टिकल की दो तीन लाइन भी पढाई.
उसमे लिखा था कि दो पीरियड के एक दम बीच के पांच दिन गर्भधारण के लिए उपयुक्त होते हैं. ये सब तो मुझे भी थोड़ा पता था अपने पहले बच्चे के लिए ट्राय कर चुकी थी.
वैसे भी एक बार चुदने से पिछली बार मुझे कुछ नहीं हुआ था, अगर आपने मेरी पिछली कहानी “समझौता साजिश और सेक्स” पढ़ी हो तो पता होगा कि हमारा पहला शिकार मुझे गर्भवती नहीं कर पाया था.
सान्या खान और उसके सगे भाई के बिच लिखी उनकी इंडियन सेक्स स्टोरीज इन हिन्दी कर मजा लीजिये, सानिया की कहानी उसकी जिबानी.
डीपू मुझे विश्वास दिलाने लगा कि मैं प्रेगनेंट नहीं होउंगी. अगर चाहिए तो वो मेरे लिए इमरजेंसी पिल भी खरीद लेगा.
मैं उसकी तरफ विश्वास भरी नजरो से देखने लगी. उसने दर्द दिया हैं तो दवा भी उसी को देनी होगी. उसने मुझे आगाह भी किया कि इन दवाओं के कभी साइड इफ़ेक्ट भी होते हैं. मेरे लिए वो पिल लाने की बात कर रहा था उसी से मुझे संतुष्टि मिल गयी थी.
तभी सामने से पायल आते हुए दिखाई दी. हम लोग फिर संभल गए और डीपू ने टॉपिक बदल लिया. थोड़ी देर में अशोक भी आ गए और वेटर खाना लगा गया.
हम लोग खाना खाने लगे. खाना खाते वक्त मेरे पेरो पर कोई अपना पैर रगड़ रहा था और मुझे गुदगुदी हो रही थी.
पति मेरे साथ वाली सीट पर बैठे थे, तो सामने की तरफ बैठे पायल और डीपू ही ऐसा कर सकते थे. मैं और डीपू, आमने सामने बैठे थे तो शक उसी पर था, वैसे भी पायल ये नहीं कर सकती थी.
वह अब अपने पाँव ओर भी ऊपर ले कर मेरी जांघो तक ले आया और रगड़ने लगा. मुझे खाना खाते बड़ी मुश्किल से गुदगुदी से होने वाली अपनी हंसी दबा रही थी.
तभी पायल एकदम जोर से खिलखिलाने लगी. गुदगुदी मुझे हो रही थी पर खिलखिला वो रही थी, कही उसे पता तो नहीं चल गया था कि राज मेरे साथ क्या कर रहा हैं.
राज ने भी अपना पैर पीछे खींच लिया और हम दोनों पायल की तरफ देखने लगे. पति को तो कोई फर्क ही नहीं पड़ा और अपना खाना खाते रहे.
पायल बोली कि उसे कोई पुरानी फनी बात याद आ गयी थी.
मुझे फिर शक हुआ, कही अशोक भी तो टेबल के नीचे से पायल की स्कर्ट के अंदर पाँव डाल गुदगुदी नहीं कर रहे थे?
राज ने भी राहत की सांस ली.
मैं, मेरे पति और पायल के ही बारे में सोच रही थी कि मैंने राज का पाँव फिर अपनी टांगो पर फिरते हुए महसूस किया.
मेरी दोनों टाँगे खुली थी तो वो अपना पाँव मेरी दोनों टांगो के बीच चूत तक ले आया और मलने लगा.
मैं उसको सजा देने के लिए दोनों घुटनो की हड्डियों से उसकी टांग को जोर से दबा दिया.
उसके चेहरे को देख कर लगा था कि उसको दर्द तो हुआ होगा. जैसे ही मैंने पकड़ छोड़ी उसने अपना पाँव पीछे खींच लिया.
पुरे खाने के दौरान राज ने फिर मेरे पाँव को छूने की कोशिश नहीं की, पर उस दौरान पायल रह रह कर खिलखिलाती रही.
उसकी इस हंसी से, मेरे दिल पर छुरियां चल रही थी. एक बार तो मन किया चम्मच नीचे गिरा के टेबल के नीचे झाँक ही लू कि क्या चल रहा हैं.
खाना ख़त्म करने के बाद हम लोग वहा से निकले. इस बार अशोक ने कार चलाना शुरू किया और राज उसके साथ में बैठा क्यों कि अशोक ने मैप्स पर रास्ता देखा था.
तक़रीबन एक घंटे का ड्राइव था और जैसे जैसे हम आगे बढ़ रहे थे ट्राफिक कम होता जा रहा था, हम शहर से काफी दूर आ गए थे और जंगल जैसा रास्ता शुरू हो गया था.
हम लोग पहाड़ी के दामन में थे. गाडी पार्क की, वहा सिर्फ दो गाड़िया खड़ी थी. मतलब वहा पिछली जगह की तरह भीड़ नहीं होने वाली थी इसकी हमें ख़ुशी थी. वहा पहाड़ थे और वहा एक छोटी नदी भी थी जो पहाड़ो के साथ चल रही थी.
पत्थरो और कंकरो की मदद से एक कच्चा रास्ता बना था चलने के लिए हम उसी के ऊपर चल रहे थे.
थोड़ा आगे जाकर हमने निर्णय लिया कि हम लोग इस रास्ते को छोड़ कर पेड़ो और घाटियों से होते हुए जाते हैं तो ज्यादा रोमांच होगा.
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RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
हम लोग पहाड़ी के दामन में थे. गाडी पार्क की, वहा सिर्फ दो गाड़िया खड़ी थी. मतलब वहा पिछली जगह की तरह भीड़ नहीं होने वाली थी इसकी हमें ख़ुशी थी. वहा पहाड़ थे और वहा एक छोटी नदी भी थी जो पहाड़ो के साथ चल रही थी.
पत्थरो और कंकरो की मदद से एक कच्चा रास्ता बना था चलने के लिए हम उसी के ऊपर चल रहे थे.
थोड़ा आगे जाकर हमने निर्णय लिया कि हम लोग इस रास्ते को छोड़ कर पेड़ो और घाटियों से होते हुए जाते हैं तो ज्यादा रोमांच होगा.
पायल पिछली बार की तरह रुक रुक कर मेरे पति से अपना फोटो खिचवा रही थी और चिपक चिपक कर सेल्फी भी ले रही थी.
अशोक और पायल आगे आगे चल रहे थे और मैं और राज उनके पीछे.
थोड़ा नीचे हमें पानी दिखाई दिया तो हमने नीचे उतरने का फैसला किया.
अशोक ने पायल को सहारा देते हुए नीचे उतरने में मदद की. उन दोनों ने उतरने के बाद आगे चलना शुरू कर दिया था.
डीपू अब नीचे उतरा और उसने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ाया मुझे सहारा देने को. मैंने इंकार कीया और नीचे उतरना जारी रखा.
नीचे उतर कर देखा पायल और अशोक थोड़ा आगे निकल गए थे. हम दोनों भी अब धीरे धीरे आगे बढ़ने लगे.
चारो तरफ बहुत शांति थी और कुदरत का बहुत खूबसूरत नजारा था.
डीपू ने मेरे साथ फोटो खिचवाने की गुजारिश की.
मैंने बोल दिया अभी नहीं.
वो बोला “अब नाराजगी छोड़ भी दो, क्यों छुट्टिया और अपना मूड ख़राब कर रही हो.”
मैं अनसुना कर आगे बढ़ गयी. वो वही खड़ा रह गया और मुझे जाते देखता रहा.
थोड़ा आगे जाने पर भी मुझे अशोक और पायल दिखाई नहीं दिये. मैं अपनी नजरे इधर उधर घुमा उन्हें ढूंढ रही थी.
तभी मुझे पायल थोड़ी सी दिखाई दी. मुझे कुछ शंका हुई. मैंने अपने आप को पेड़ के पीछे छुपा देखने का प्रयास किया.
पायल और अशोक एक दूसरे से लिपट होठों को चुम रहा थे. अपने दोनों हाथो से उन्होंने एक दूसरे की पीठ को कसकर अपने सीने से चिपका रखा था.
मतलब मेरा जो शक था सच था. रात को जरूर इन दोनों के बीच कुछ हुआ होगा. रेस्टोरेंट में भी वो ही मस्ती कर रहे थे.
मुझे तभी डिपू का ख्याल आया, वो इधर आता ही होगा और अगर उसने अपनी बीवी और मेरे पति को चूमते हुए देख लिया तो यही जंगल में झगड़ा हो जायेगा.
मैंने मुड़ कर देखा डीपू उसी तरफ आ रहा था. खतरे को देखते हुए मैंने उसकी तरफ चलना शुरू कर दिया. मुझे अपनी ओर आते देख डीपू वही रुक गया.
मैंने उसके समीप जाकर कहा “यही रुको, यहाँ तुम मेरे साथ सेल्फी ले सकते हो”.
वो बहुत खुश हो गया. मुझे किसी तरह कुछ मिनट बिताने थे ताकि तब तक पायल और अशोक चूमना बंद कर दे.
डीपू अब मेरे साथ अलग अलग एंगल से सेल्फी लेने लगा, फोटो लेते वक़्त वो जानबूझकर कभी कंधे पर तो कभी मेरी पतली नंगी कमर को पकड़ लेता.
थोड़े फोटो हो जाने के बाद हम फिर आगे बढे. मैं आशा कर रही थी कि अब तक वो लोग अपना काम ख़त्म कर चुके होंगे.
हम उसी जगह पहुंचे पर अब वहा कोई नहीं था. मुझे थोड़ी राहत मिली.
डीपू ने बोला “लगता हैं वो लोग थोड़ा आगे निकल गए हैं”.
मैंने उसकी हां में हां मिलाया. उसने आगे कहना जारी रखा.
डीपू: “यहाँ आस पास कोई नहीं हैं, क्या मैं तुम्हे एक बार गले लगा सकता हूँ”.
मैं: “तुम्हे जो भी करना था वो तो तुम कल रात को ही कर चुके हो. अब उससे ज्यादा क्या हो सकता हैं”.
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RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
उसके लंड के नीचे लटकती थैलिया धड़कते हुए फूल रही थी. उनमे काफी पानी भरा था, ये सोच कर डर भी लगा कि वो ये सारा पानी मेरी चूत के अंदर भर देगा.
उसने अपना लंड मुझे मुँह में लेने को कहा. पर मैं इसके लिए अभी तैयार नहीं थी.
मैंने कहा कि मैं सिर्फ हाथ लगा सकती पर मुंह में नहीं लुंगी.
वो मान गया कि कुछ् तो मिलेगा.
मैंने अब उसका लंड अपने एक हाथ में भर लिया. मेरे हाथों में ही उसका लंड कम्पन करता हुआ धक् धक् कर रहा था.
मेरे उसके लंड को पकड़ते ही उसकी सिसकी निकलनी शुरू हो गयी. उसको तड़पाने के लिए मैंने उसके लंड को ऊपर नीचे रगड़ना शुरू कर दिया और वो पागलो की तरह जोर जोर से आवाज निकालते हुए आअह, आअह करने लगा. उसने मुझे उस पर बैठ कर चोदने को कहा.
मैंने अपने पति द्वारा पायल को चोदते हुए दृश्य को याद किया और डीपू के ऊपर चढ़ कर बैठ गयी. मेरे पास ज्यादा समय नहीं था, ये डर था कि उन दोनों का हो चूका होगा तो कही फिर पीछे ना लौट आये हमें ढूंढते हुए.
मैंने उसका लंबा लंड अपने हाथों में पकड़ा और जल्दी से अपनी चूत में गुसा दिया.
डीपू के मुँह से आउच निकला और मैंने ऊपर नीचे हो चोदना शुरू कर दिया. उसका लंबा लंड मेरी चूत में काफी गहराई तक चला गया था.
हम दोनों की ही मजे के मारे सिसकिया निकलने लगी थी.
थोड़ी देर बाद उसने मुझको कहा कि हम जंगल में हैं तो जंगली तरीके से चोदते हैं.
मैं उसका मतलब नहीं समझी, तो उसने मुझे नीचे उतरने को बोला. मैंने उसका लंड चूत से निकाला और उसके ऊपर से हट गयी.
उसने मुझे कहा “हम जंगल में हैं तो जंगली जनवरी की तरह चोदते हैं, बहुत मजा आएगा”.
मैंने कहा “तुम्हारी जैसी इच्छा हैं कर लो, मैं तैयार हूँ”.
वो मुझे डॉगी स्टाइल में चोदना चाहता था. मेरा ऊपर का थोड़ा शरीर चट्टान से ऊपर था और उस ऊंचाई से मैं नीचे देख पा रही थी. मेरे धड़ से नीचे का शरीर चट्टान के पीछे छुपा हुआ था.
उसने मुझे चट्टान की तरफ मुँह रख कर झुका कर खडी कर दिया. मैं झुक कर उसके लंड का इंतज़ार करने लगी.
तभी उसने पीछे से मेरे ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे मना करने के बावजूद मेरी ब्रा और शर्ट पूरी निकाल कर नीचे रख दी.
उसने अपना टी शर्ट भी निकाल कर पूरा नंगा हो गया और बोला “जंगलियो की तरह चोदना हैं तो कपड़ो का क्या काम.”
अब उसने अपना लंड पीछे से मेरी चूत में गुसा दिया. लंड अंदर जाते ही मेरे मुँह से एक लंबी आहह्ह्ह निकली क्यों कि एक जंगली जानवर की तरह उसका लंड भी घोड़े की तरह लंबा था.
उसको अहसास नहीं था कि उसका लंबा लंड मेरे अंदर कितना गहरा जा रहा था. वो तो बिना चिंता के मुझे जोर जोर से चोदे जा रहा था.
दर्द के मारे मेरी हालत खराब हो रही थी. होटल रूम में उसने कल रात को चोदा तो इतना दर्द नहीं दिया था.
काफी देर तक वो ऐसे ही बिना थके और रुके चोदे जा रहा था. नीचे झुके होने से मुझे अब चट्टान के पार दिखाई नहीं दे रहा था.
मैंने अब खड़े हो कर चुदवाने का सोचा, ताकि मैं निगरानी भी रख पाउ. शायद खड़े होने से मेरा थोड़ा दर्द भी थोड़ा कम हो.
मैं अब चट्टान के ऊपर मुँह निकाले खड़ी थी और वो पीछे से मुझे लगातार झटके पे झटके मार चोद रहा था.
खड़े होने से मेरा दर्द कम हो गया था और मैं चुदाई का मजा ले पा रही थी. हम दोनों की ही आह्ह्ह्ह ऊ आह्ह्ह्ह ऊ चालू थी.
मेरा पानी छूटने से फचाक फचाक, फच्च फच्च की आवाज़ आस पास पक्षियों के कलरव के साथ मिल सुनाई दे रही थी.
थोड़ी ही देर में मैं झड़ने के करीब आयी. तभी मैंने देखा दूर से अशोक और पायल आते हुए दिखाई दिए. मैं थोड़ा झुक गयी ताकि सिर्फ मेरा मुँह दिखाई दे वरना उनको पता चल जाता कि मैं टॉपलेस हूँ.
मैंने डीपू को आगाह किया कि वो लोग आ रहे हैं. पर उस पर तो भूत सवार था मुझे पूरा चोदने का.
मुझे जल्दी से कपडे पहनने थे पर वो मुझे चोदने के चक्कर में छोड़ने को ही तैयार नहीं था. तभी उन दोनों की नजर चट्टान से झांकते मेरे चेहरे पर पड़ी.
उन्होंने अपना हाथ हिला मुझे इशारा किया. मैंने भी अपना आधा हाथ ऊपर कर उनको वही रुकने का इशारा किया और कहा कि हम नीचे ही आ रहे हैं.
मेरी आवाज सुन जैसे डीपू की नींद खुली और उसने जल्दी जल्दी झटके मारने शुरू कर दिए. मैंने बड़ी मुश्किल से अपनी चीख पर कण्ट्रोल किया. उसके झटके इतने जबरदस्त थे कि मैं वही झड़ गयी और साथ ही साथ वो भी.
इधर जब मैं झड़ रही थी तो उसी दौरान पायल मुझे पूछ रही थी कि वहा ऊपर से क्या अच्छा देखने का हैं तो वो भी आते हैं.
झड़ते वक़्त मेरे चेहरे के एक्सप्रेशन ऐसे तनाव के थे कि पायल घबरा गयी कि मुझे क्या हो गया हैं जो मैं ऐसा चेहरा बना रही हूँ.
पर झड़ते ही मैंने अपने आप को संभाला और पायल और अशोक को कहा कि यहाँ ऊपर से कुछ ख़ास नहीं दिख रहा, तुम लोग वही ठहरो हम नीचे आ रहे हैं.
वो लोग वही रुक गए. मैं नीचे झुकी और अपने कपडे जल्दी जल्दी पहनने लगी.
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RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
डीपू के पास बैकपैक था तो उसने उसमे से निकाल कर नैपकिन दिए जिससे हम दोनों ने अपने अंगो पर लगे पानी को साफ़ किया. डीपू ने भी अपने कपडे पहन लिए.
हम लोग नीचे आये तो पायल ने पूछा तुम आ रहे हैं बोलकर भी पांच मिनट के बाद आये हो, ऐसा क्या कर रहे थे वहा?
मैं उसको क्या बोलती, तुम लोग जो काम खड्डे में उतर कर रहे थे वही हम चट्टान के पीछे कर रहे थे.
डीपू बहाने के साथ तैयार था और बोला “बेग में से लिप बाम ढूंढ रहे थे तो पूरा बेग खाली कर दिया था तो वापिस सामान भरने में टाइम लग गया.”
उन्होंने बताया कि वो लोग हमें पिछले कुछ मिनटों से ढूंढ रहे थे. हमने कहा कि हम भी उनको ढूंढने के लिए चट्टान के ऊपर चढ़े थे.
वैसे भी वहा मोबाइल नेटवर्क ठीक नहीं था, तो हम लोग वापिस कही जंगल में खो न जाये इसके लिए फिर साथ साथ ही घुमते रहे.
शाम को छह बजे हम जंगल से निकले. लौटते में हमने रास्ते में कही डिनर किया और फिर होटल की तरफ लौटने लगे. सभी लोग दिन भर चल चल कर थक गये थे.
पायल ने डीपू को कहा “होटल पहुंच कर प्लीज मेरी मसाज कर देना बहुत दर्द हो रहा हैं. मैं भी तुम्हारी मसाज कर दूंगी”.
डीपू बोला “तुमने सुबह ही मुझको पुरे दिन अपने से दूर रहने को कहा था भूल गयी. उस शर्त के अनुसार अब मैं तुम्हारी मसाज नहीं कर सकता. एक काम करो, तुम अपने दोस्त अशोक को ही बोल दो, जैसे फोटो लिए हैं वैसे मसाज भी कर देगा”.
पायल शरमा गयी.
कल रात को डीपू ने जिस तरह मेरी मसाज की थी, उसकी जरुरत तो मुझे आज थी. मेरे शरीर में भी दिन भर की थकान थी.
मैंने सोचा काश आज भी मुझे कल जैसा मौका मिल जाए.
पायल : “डीपू, तुम मेरी मसाज नहीं करोगे तो मैं मर नहीं जाउंगी. मुझे किस से मसाज करानी हैं, ये तुमसे पूछ कर नहीं कराउंगी. अशोक से मेरी अब अच्छी दोस्ती हो गयी हैं तो वो मेरी मसाज कर भी सकता हैं, समझे. क्यों अशोक सही कहा न?”.
अशोक: “अरे यार, तुम मिया बीवी अपने झगडे में मुझे मत फसाओ प्लीज”.
डीपू: “नहीं, अब तो मैं देखना चाहता हूँ कि पायल ने जो कहा हैं वो कर के दिखाती हैं या नहीं. ये सिर्फ बड़ी बड़ी बातें बोलना जानती हैं”.
पायल: “तुम्हे क्या लगता हैं डीपू, मैं अशोक से मसाज नहीं करवा सकती. पहले तो मैंने यु ही कह दिया था. पर अब तुम देखो. तुम्हारी आँखों के सामने मैं अशोक से मसाज करवाउंगी.”
डीपू: “ठीक हैं, कर के बताओ. फिर मैं भी किसी ओर को मसाज दूंगा.”
पायल: “हा हा, किसे दोगे? प्रतिमा को?”
मैं: “गाइज, तुम क्या बच्चो की तरह झगड़ रहे हो. कैसी बातें कर रहे हो.”
पायल : “नहीं, आई एम सिरियस. ये मर्द लोग पता नहीं क्या समझते हैं अपनी बीवियों को. अशोक, तुम आज मुझे मसाज दे रहे हो बस. चाहिए तो, इसके बदले मैं भी तुम्हे मसाज दे दूंगी. मेरी नाक अब तुम्हारे हाथ में हैं. प्लीज प्लीज प्लीज (दोनों हाथ जोड़ते हुए)”
अशोक : “अच्छा ठीक हैं, देखते हैं.”
पायल : “येस, तुम लोग कपडे चेंज करके हमारे रूम में ही आ जाना. मैं डीपू का चेहरा देखना चाहती हूँ जब अशोक मुझे मसाज देगा”.
अशोक : “पायल, मुझे पहले अपनी होम मिनिस्टर प्रतिमा से इजाजत लेनी होगी”.
पायल : “प्लीज प्रतिमा. अशोक को अलाउ कर दो”.
मैं: “मेरा क्या लेना देना, तुम तीनो को कोई आपत्ति नहीं तो मैं कौन होती हूँ, बीच में बोलने वाली.”
पायल बचे हुए पुरे रास्ते में डीपू को चिढ़ाती रही और वो अपना सा मुँह लेके बैठा रहा.
अब हम होटल पहुंच गए थे. अपने अपने रूम में जाने से पहले पायल ने याद दिलाया कि तुम दोनों तैयार होकर आ जाना हमारे रूम में.
दिन भर की थकान के बाद हम लोग नहाये. अशोक ने अपना नाईट पजामा सूट पहन लिया और मैंने कल रात की तरह ही बटनअप स्लिप शर्ट और शार्ट पहन लिए. आदत के अनुसार मैंने ब्रा नहीं पहना था.
हम लोग पायल-डीपू के रूम पर पहुंचे. दरवाजा डीपू ने खोला. पायल बेड पर आराम से पाँव पसार कर हमारा ही इंतज़ार कर रही थी.
पायल ने नूडल स्ट्रैप वाला टैंक टॉप पहन रखा था. उसके सीने के उभार से टॉप के अंदर तीखे तीखे निप्पल साफ़ नजर आ रहे थे.
मेरी तरह उसको भी शायद रात को ब्रा पहनने की आदत नहीं थी.
पायल: “अशोक, जरा डीपू से पूछो तो उसकी तबियत तो ठीक हैं न”
अशोक: “कम ऑन गाइज, तुम लोग अभी भी वही अटके हो. मुझे लगा वो सब मजाक था.”
पायल: “नहीं मैं सीरियस हूँ, चलो इधर आओ”.
अशोक: “अरे डीपू, आ जाओ ना, कर दो पायल की मसाज. ख़त्म करो.”
डीपू: “मैं ठीक हूँ, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं अगर तुम पायल को मसाज दोगे तो. मैं भी तो पास में बैठा हूँ, आगे बढ़ो.”
अशोक: “वो तो ठीक हैं पर मुझे मसाज करना नहीं आता. अगर कुछ गलत नस दब गयी तो लेने के देने पड़ जायेंगे.”
पायल: “डीपू को बहुत अच्छी मसाज करनी आती हैं, वो बता देगा तुम्हे कहा से और कैसे पकड़ना हैं.”
डीपू: “मगर मैं तो तुम्हे हाथ भी नहीं लगा सकता फिर कैसे बताऊ कि कैसे मसाज करते हैं.”
पायल: “अरे मुझे हाथ नहीं लगा सकते तो क्या हुआ, प्रतिमा तो है. तुम उसको मसाज करके बताओ और अशोक वैसे ही तुम्हे फॉलो करेगा.”
मैं: “मुझे बीच में खींचने की कोशिश भी मत करो. तुम आपस में निपटाओ.”
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डीपू: “फिर मैं डेमो दे नहीं सकता, अशोक कर नहीं पायेगा, तो प्रोग्राम कैंसिल”
पायल: “अरे मेरा शरीर दर्द से फटा जा रहा हैं. कुछ तो रहम करो. प्रतिमा प्लीज मान जाओ ना. मसाज ही तो हैं. स्पा में जाकर भी तो लोग अनजाने लोगो से मसाज लेते ही हैं.”
मैं: “पर वहा तो लड़किया भी होती हैं मसाज देने के लिए”.
पायल : “इसका मतलब तुम्हे डीपू पर भरोसा नहीं. अरे यार हम सब दोस्त हैं, कम ऑन.”
मैं: “अरे यार, बात भरोसे की नही हैं. बस मुझे ठीक नहीं लगता”.
पायल : “डीपू बहुत अच्छी मसाज करता हैं, तुम्हारे दिन भर की थकान मिट जाएगी. लगता हैं अशोक यहाँ हैं इस वजह से तुम शरमा रही हो.”
अशोक: “प्रतिमा तुम मेरी वजह से मत हिचकिचाओ. तुम अभी हमारे रूम में बोल रही थी कि तुम थक गयी हो और तुम्हारी बॉडी में दर्द हो रहा हैं. इसमें कोई बुराई नहीं हैं. मैं बोल रहा हूँ, इट्स ओके. बाकी तुम्हारी मर्जी.”
पायल : “चलो अब इतना नाटक मत करो, इधर आके लेट जाओ.”
उन सब के दबाव में आके मैं तैयार हो गयी.
दिल से तो मैं भी यही चाहती थी, थकान के बाद डीपू के हाथ की मसाज, ओर क्या चाहिए.
मैं पायल के पास जाकर बेड पर लेट गयी. अशोक पायल के पाँवों के पास जाकर बैठ गया और डीपू मेरे पाँवों के पास.
डीपू ने कल रात की तरह मेरे पंजो को अपने हाथों में लिया और अशोक को बताने लगा कैसे करना हैं.
जैसे ही उसने मेरा पाँव दबाया मेरी तो सिसकी निकल गयी. मुझे बहुत आराम मिला.
डीपू समझाता जा रहा था और दोनों साथ साथ एक दूसरे की बीवियों को पाँव की मसाज दे रहे थे.
मसाज के दौरान पायल और मैं दोनों मजे लेते हुए सिसकिया निकाल रहे थे. पायल तो कुछ ज्यादा ही जोर से बोल रही थी “आह ह हा हा हा , मजा आ गया अशोक, क्या मसाज हैं सब दर्द निकल रहा हैं. तुम तो डीपू से भी ज्यादा अच्छा करते हो”.
कैसे एक बेटी में अपने बाप से चूत चुदाई करवा कर, अपने पिता का दर्द कम किया. पढ़िए अर्श दीप की इंडियन सेक्स कहानी में उसी की जुबानी!
मैं मन ही मन हसने लगी, मझे पता था मसाज हो या चूदाई दोनों में डीपू ज्यादा अच्छा था. शायद बाहर का खाना घर के खाने से स्वादिष्ट ही लगता हैं.
पायल: “पाँव अब ठीक लग रहे हैं, चलो अब कमर और पीठ की भी मसाज भी कर दो.”
अशोक ने पाँव छोड़ा और पायल पलट कर सो गयी और गर्दन मेरी तरफ मोड़ कर मुझे देखने लगी. पायल की मोटी गांड का उभार उसके पाजामे में साफ़ दिख रहा था. मैं हेड रेस्ट के सहारे पीठ लगा कर बैठ गयी.
पायल : “अरे प्रतिमा उल्टी लेटो ना मेरी तरह”.
मैं: “पांव की मसाज तक ठीक था पर कमर और पीठ कुछ ज्यादा नहीं हो जाएगा?”
पायल : “अरे कुछ ज्यादा नहीं हो जायेगा, मेरी पीठ और कमर में बहुत दर्द हैं. जैसे पाँव हैं वैसे पीठ और कमर भी हैं. चल आजा लेट जा. अशोक तूम बोलो ना. ये सिर्फ तुम्हारी बात ही मानती हैं”.
अशोक: “प्रतिमा, तुम्हारी पीठ में दर्द हैं तो लेट जाओ, इस बहाने मैं भी सीख जाऊंगा कैसे मसाज करते हैं. आगे कभी काम आएगा.”
मेरे पति ने आगे हाथ बढ़ाया, और मेरा हाथ पकड़ खिंच कर लेटने को कहा. मैं भी वैसे चाहती थी पीठ की मसाज हो जाये तो मजा आ जाये पर भाव नहीं खाती तो पति को अहसास कैसे दिलाती कि मैं पतिव्रता हूँ.
मैं लेटने वाली थी कि डीपू ने रोका.
डीपू: “तुम्हारा बटन वाला शर्ट हैं तो ऊपर आसानी से खिसकेगा नहीं. हो सके तो बटन खोल कर शर्ट ढीला कर दो.
मैंने भोली बनने का नाटक करते हुए पूछा “एक बटन खोल दूं?”
पायल : “अरे सारे बटन खोल दो, वैसे भी उलटी ही तो लेटना हैं. इतना क्या शर्माती हो तुम”.
मैं शर्ट के नीचे के सिर्फ दो बटन खोल कर लेट गयी. पर पायल के टोकने पर मैंने हाथ नीचे डाल कर बाकी के दो बटन भी खोल कर शर्ट नीचे से पूरा खोल दिया. अब मेरे मम्मे बिना कपड़ो के नीचे दबे थे.
दोनों मर्द अब एक ही बिस्तर पर एक दूसरे की बीवियों की नंगी पीठ और कमर की मसाज कर रहे थे.
थोड़ी देर बाद पायल बोली “थोड़ा ओर जोर लगाओ अशोक, दर्द पूरा नहीं जा रहा”.
डीपू: “अशोक एक काम करो, पायल की जांघो पर बैठ कर पीठ की मसाज करो, ज्यादा अच्छे से जोर लगेगा”.
अशोक: “मगर पायल मेरा वजन सहन कर पाएगी?”
डीपू: “अरे जांघो में वैसे भी ज्यादा जान होती हैं. पायल हट्टी कट्टी हैं. वैसे प्रतिमा जैसी दुबली पतली भी जांघो पर वजन सह सकती हैं.”
अशोक: “तुम पायल पर बैठ कर बताओ, किस जगह, कैसे बैठना हैं, कि उसको वजन ना लगे”.
पायल: “मुझे छूना भी मत, आज के दिन की कसम हैं.”
अशोक: “अरे तुम प्रतिमा पर बैठ कर बताओ”.
डीपू अब मेरी जांघो पर आकर बैठ बताने लगा कि अशोक को क्या करना हैं.
अशोक बताये अनुसार पायल की जांघो पर बैठ जाता है. पायल और मुझे दोनों को जांघो के दबने की मसाज से बहुत सुकून मिला.
मैंने डीपू के नरम पड़े लंड को अपनी गांड पर महसूस किया.
पायल :”अरे तेल के साथ मसाज करो, हाथ ओर अच्छे से चलेंगे”.
डीपू मेरे ऊपर से उतर कर तेल ले आया और अशोक को थमा दिया.
डीपू: “पायल, इस तेल के दाग तुम्हारे नए टैंक टॉप को लग जायेंगे, इसलिए पहले उसे उतार दो.”
पायल: “मैं लेटी हुई हूँ, तुम उतार दो.”
डीपू : “मुझे तो कसम हैं न, तुम्हे हाथ नहीं लगा सकता.”
पायल: “मैंने तुम्हे नहीं, अशोक को बोला हैं, समझे.”
अशोक थोड़ा झिझका और मेरी तरफ देखने लगा. पायल ने मेरी तरफ वाला शरीर का हिस्सा थोड़ा ऊपर उठाया. मैंने ही अपना हाथ लंबा करते हुए उसके टॉप को उसके मम्मे से ऊपर कर दिया.
इससे उसका एक मोटा गोरा मम्मा बाहर आ गया. पहली बार उसका मम्मा मैंने इतने करीब से देखा. जरूर बाकी दोनों लोगो ने भी देख ही लिया होगा.
मैंने उसका टॉप उस तरफ से उठा कर उसके सर से निकाल दिया. पायल ने दूसरी तरफ से भी अपना शरीर ऊपर उठाया तो अशोक ने आगे झुकते हुए उसके दूसरे हाथ से भी टॉप निकाल दिया.
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12-27-2021, 01:16 PM,
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desiaks
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RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
अशोक को जरूर दूसरा मम्मा भी दिखा होगा. उसने टॉप बिस्तर के साइड में रख दिया. पायल ने मुंह मेरी तरफ घुमाया, मैं अब भी उसकी बेशर्मी पर उसे घूर रही थी.
पायल: “तुम क्या देख रही हो, निकालो ना अपनी शर्ट, तुम्हे तेल से मालिश नहीं करवानी क्या?”
मैं: “मेरी जितनी मालिश हुई काफी हैं, मुझे तेल नहीं लगवाना.”
पायल: “अरे ऐसे कैसे, चलो उतारो इसे.”
ये कहते हुए उसने लेटे लेटे ही अपना हाथ लम्बा कर मेरी शर्ट का कालर पकड़ मेरे एक कंधे से नीचे उतार दिया. उस तरफ से मेरी पीठ और कन्धा थोड़ा बहुत नंगा हो गया. डीपू ने उसको रोका.
डीपू : “ये क्या खींचा तानी कर रहे हो तुम. चलो छोडो शर्ट.”
ये कहते हुए डीपू ने मेरा कालर पकड़ा, मुझे लगा वो फिर से सीधा कर रहा होगा पर उसने दोनों तरफ से मेरा शर्ट नीचे खिसकाना शुरू कर दिया और मैं उसको रुकने को कहने लगी, पर तब तक उसने मेरा पूरा शर्ट निकाल कर बिस्तर के साइड में रख दिया. मैं भी अब पायल की तरह टॉपलेस उल्टी बिस्तर पर लेटी थी.
अशोक ने पायल की पीठ पर तेल डाला और तेल डीपू को पास किया. उसने भी तेल की बुँदे मेरी पीठ पर डाली.
वो शायद स्पेशल मालिश का तेल था तो उसकी बूंदें पड़ते ही ऐसा लगा जैसे आइस क्यूब रख दी हो. दोनों मर्द अब पीठ और कमर की तेल मालिश करने लगे.
मालिश के वक्त मजे में पायल इस तरह चीख रही थी जैसे मालिश नहीं करवा रही, चुदवा रही हो. “आ अ ह हा हा, जोर से करो अशोक, ओर जोर से , मजा आ रहा हैं. आ हा, ऐसे , वाह, आ हा हा , उम्म उम्म , आ हा हा”.
उसकी आवाजे सुन कर वहा का माहौल गरम होने लगा था, क्यों कि डीपू का नरम पड़ा लंड अब कड़क हो चूका था और उसके आगे पीछे होने के साथ ही मेरी गांड में कपड़ो सहित घुस रहा था और मुझे चोद रहा था.
मुझे पूरा यकीन था पायल का भी यही हाल होगा. उसकी तो गांड की दरार भी चौड़ी थी तो वो ओर भी अच्छे से चुदवा रही होगी.
अपने पति और भाई से एक साथ चुदवाते हुए, ना चाहते हुए भी मैं आनंद सागर में हिचकोले खा रही थी। पति मेरी गांड में ही झड़ चुके थे। उधर भाभी उत्साह में अपना मास्क निकाले संजू का लंड चूस रही थी।
पति का हो चूका तो उन्होंने कहाँ “मेरा हो गया, मुझे नीचे से निकलने दो, फिर तुम दोनों करते रहना”।
अमित ने अपना लंड मेरी चुत से बाहर निकाला और पीछे हटा। मैं पति के ऊपर से नीचे उतरी। पति के लंड से निकला हुआ पानी मेरी गांड में जमा था जो लंड के बाहर आते ही रिसने लगा।
पति को पूरा लंड पानी से तरबतर हो गंदा हो चुका था। पति बोले मैं वाशरूम जाकर साफ़ करके आता हूँ।
अमित ने मुझको बोला “अब बिस्तर पर करते हैं।” मुझे ले जाकर संजू के पास लेटा दिया।
मैंने देखा भाभी ने मास्क नहीं लगा रखा हैं और उनका चेहरा थोड़ा दिख रहा हैं, अमित के मेरे पास आते ही उसको भाभी का चेहरा दिख सकता हैं, पर भाभी तो चूसने में इतनी मगन थी कि उनको कोई अहसास ही नहीं था इस बात का।
संजू ने समय रहते एक हाथ से भाभी का चेहरा ढक लिया और दूसरे हाथ से मास्क उठा कर भाभी के चेहरे के साइड में लगा दिया। अमित ने मेरी टाँगे चौड़ी कर फोल्ड कर दी और झुक कर अपने मुँह से मेरी चुत चाटने लगा।
थोड़ी देर चाटने के बाद अमित मुझसे बोला “ये पास वाली अपना मास्क हटा के लंड मुँह में ले रही हैं, तू भी ऐसा ही कर।”
अमित ने अपना कंडोम निकाल कर फेंक दिया। मेरी तरफ टाँगे कर सीधा लेट गया और मुझे उस पर लेट कर 69 पोजीशन बनाने को कहा। मैं उसके कहे अनुसार उस पर लेट गयी। उसके होंठ एक बार फिर मेरी चुत पर चलने लगे। उसका लंड मेरे मास्क के नीचे था।
अमित ने मुझे उसका लंड भी मुंह में लेने को कहा। मैंने डरते हुए उसका लंड अपने हाथ में पकड़ा और एक अजीब सी घबराहट हुई और उसे छोड़ दिया।
उसने थोड़ा जोर से फिर मुझे मुँह में लेने को कहा। मुझे लगा कही वो आकर मेरा मास्क ही ना हटा दे। उसका लंड रह रह कर फडफडा रहा था और ऊपर नीचे हो रहा था।
मैंने एक बार फिर उसका लंड अपने हाथ में लिया। पति बाहर गए थे और भाभी दूसरी तरफ मुँह कर संजू का लंड चूसने में लगी थी।
मैंने अपना मास्क थोड़ा ऊपर उठा कर ललाट पर कर दिया और आँखें बंद कर ये सोचते हुए मुंह में लेने लगी, कि ये लंड पति का हैं।
मुंह में लंड जाते ही मुझे गिन्न आने लगी। मैं फिर निकालना चाहती थी पर अमित नीचे से ही झटके मारते हुए मेरे मुंह को चोदने लगा।
थोड़ी देर मुंह में रखने के बाद मुझे वो भी दूसरे लंडो की तरह ही लगा और मैं ऐसे ही उसे चूसने लगी।
नीचे से अमित ने अब अपनी जबान से मेरी चुत को चाटना और चोदना शुरू कर दिया। अमित की खुरदरी गीली जबान मेरी चुत में चल रही थी और मैं पागल हुई जा रही थी।
तभी पति कमरे में आये। मैंने तुरंत अपने खुले बालो को बिखेर कर अपने चेहरे को ढक लिया और एक हाथ से साइड फेस को छुपाने लगी।
दोनों लड़कियों को लंड चूसते देख पति का भी मूड खुश हो गया। मैंने उंगलियों के झरोखे से देखा वो अपना नरम पड़ा लंड अपने हाथों से रगड़ते हुए कड़क करने लगे।
मैं अपनी जबान को अमित के लंड की टोपी के चारो तरफ फेरते हुए रगड़ रही थी। थोड़ी थोड़ी देर में उसका एक बून्द पानी लंड से निकलता और मैं उसको अपनी जबान से चाट कर साफ़ कर देती।
पति का लंड अब कड़क हो चूका था और वो कंडोम पहन कर उलटी लेती भाभी के ऊपर चढ़ गए।
उनका चेहरा भी अब दूसरी तरफ था तो मैंने अपना हाथ जो चेहरे को ढका था हटा लिया और इत्मीनान से अमित की टोपी को आइसक्रीम की तरह चाटती रही।
मैं अब तक अमित का बून्द बून्द पानी चाट रही थी, अब मैंने उसका पूरा लंड मुँह में घुसा कर अंदर ही रखे घुमाने लगी। उसका नमकीन मीठा गुनगुना पानी मेरे मुँह से होते हुए गले में जाने लगा।
थोड़ी देर के लिए मैं भूल गयी कि मैं किसके साथ कर रही हूँ और इस ग्रुप सेक्स में मुझे भी मजा रहा था और मदहोशी में मेरा भी पानी छूटने लगा था।
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12-27-2021, 01:16 PM,
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RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
अमित को जैसे ही मेरे पानी का स्वाद लगा, थोड़ी देर तो उसने चाटा फिर उसने चाटना छोड़ दिया और मुझको बोला “मुंह से बहुत चोद लिया अब लंड से चोदने की बारी है।”
उसने मुझे अपने ऊपर से हटा लिया और मैंने तुरंत अपना मास्क नीचे खिसका कर चेहरे को फिर ढक लिया। अमित ने बिस्तर से उतर कर नया कंडोम पहन लिया।
उधर संजू जोर जोर से सिसकारियां मारने लगा और उसने अपना सारा पानी भाभी के मुंह में छोड़ दिया। उसने अभी भी हाथ और मास्क से भाभी का चेहरा छुपा रखा था।
भाभी अब संजू के लंड पर लगे पानी को चाट कर साफ़ करने लगी। फिर संजू ने सावधानी से फिर उनको मास्क पहना दिया।
संजू अब भाभी के सामने से हटा, भाभी वही लेटे लेटे मेरे पति से पीछे से चुदवा रही थी। संजू अब बिस्तर से नीचे उतर आया, उसका लंड तो भाभी ने चाट कर वैसे ही साफ़ कर दिया था।
अमित अब बिस्तर पर लेट गया और मुझको उस पर बैठने के बोला। मैं उसका सामना नहीं करना चाहती थी तो उसकी तरफ पीठ करके उसके लंड पर बैठ गयी।
मैंने उसका लंड पकड़ा और अपनी चुत में घुसा कर उसके पैरो की तरफ झुक गयी। मैं अब अपने कूल्हों को ऊपर नीचे करते हुए उसके लंड को अपनी चुत के अंदर बाहर कर रगड़ने लगी।
अमित अपने लंड को मेरी चुत से अंदर बाहर होते हुए देख पा रहा था। वो वहां का दृश्य देख पागल हो गया और बोला “क्या मस्त गांड हैं, और गुलाबी खुली चुत में मेरा लंड मस्त अंदर बाहर हो रहा हैं”।
उसकी तारीफ़ सुन मैं भी जोर जोर से उसको चोदने लगी। अमित की सिसकारियां निकलने लगी।
उधर पति भाभी को पीछे से जम के जोर जोर से चोद रहे थे, जिससे थाप थाप की आवाजे आ रही थी। संजू मेरे सामने आया और मेरे मास्क को ऊपर कर दिया।
संजू को पता था बाकी तीनो लोग मेरी पीठ की तरफ थे, तो मेरा चेहरा देख नहीं पाएंगे। संजू ने अपना लटकता हुआ लंड मेरे मुंह में डाल दिया।
संजू का लंड अभी भी पानी की वजह से थोड़ा चिकना था। मुझे उसका स्वाद अमित के जैसा स्वादिष्ट नहीं लगा। मैं उसका लंड मुँह से निकालना चाहती थी पर संजू ने मेरा मुँह पकड़ कर उसको निकलने नहीं दिया।
अमित ने मेरी गांड के दोनों पाटो को चौड़ा कर अपनी ऊँगली मेरे पीछे के छेद में डाल दी और ऊँगली अंदर बाहर करने लगा। मेरे तीनो छेद भर चुके थे।
वो अब एक हाथ से ऊँगली कर रहा था तो दूसरे हाथ से पिछवाड़े पर चमाट मारने लगा।
मैं अब झड़ने वाली थी, तो मैंने अपने झटके जोर से मारने शुरू कर दिए। अमित ओर जोर से सिसकारियां मारने लगा।
मेरे मुँह में संजू का लंड था जो धीरे धीरे फिर कड़क हो बड़ा होने लगा था। मैं ढंग से अपनी ख़ुशी भी नहीं बता पा रही थी और मुँह से दबी हुई आहें निकल रही थी।
मैं झड़ने को हुई और मैंने अपना पूरा मुंह खोल कर आवाज निकलते हुए आहें भरने लगी, उसी बीच अमित भी बच्चो की तरह आ आ आ उई उई आ आ ओह माय गॉड.. ओह माय गॉड करता हुआ मेरे साथ ही झड़ गया।
संजू ने अपना लंड मेरे मुँह से निकाल मेरा मास्क फिर चेहरे पर ढक दिया। मैं अमित के ऊपर से हट गयी।
मुझे वाशरूम जाना था पर अमित वाशरूम की तरफ चला गया। संजू मुझे बोला वाशरूम खाली हो तब तक ला मैं भी तुम्हारा चख लेता हूँ।
संजू बिस्तर पर लेट गया और अपना सर बिस्तर के किनारे पर ले आया। मैंने अपने पाँव चौड़े कर अपनी गीली चुत उसके होठों पर रख दी। वो अब आराम से मेरी चुत पर जबान फेर चाटने लगा।
थोड़ी देर में अमित वापस आ गया। संजू ने चाटना छोड़ कर मुझे वाशरूम जाने को कहाँ। मैं जब वापिस आयी तो देखा, उन्होंने भाभी को नंगी खडी कर रखा था और मेरे पति उसकी टांगो के बीच घुसकर नीचे से चाट रहे थे, जब कि संजू भाभी के मम्मे मुँह में भर काट रहा था। भाभी रह रह कर कभी दर्द तो कभी मजे से कराह रही थी।
अमित कुर्सी भी बैठा अपनी पत्नी को मजे लेता देख रहा था, और उसको अहसास भी ना था वो लोग उसकी बीवी के साथ ही कर रहे थे।
मुझे अंदर आया देख अमित बोला इसको भी ऐसे ही खड़ा करते हैं और मैं इसके मोटे मम्मे काटूंगा। संजू ने मुझको बोला “तुम अब घर जाओ।”
मैंने अपने बिखरे कपडे उठाये और वो मुझे दूसरे कमरे में ले आया जहा, मैंने सुबह कपडे चेंज किये थे। आते वक़्त उसने उन लोगो को बैडरूम में बाहर से बंद कर दिया था।
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