06-06-2017, 11:27 AM,
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RE: चूतो का समुंदर
जहाँ एक तरफ धर्मेश और सरिता अपने-अपने काम के लिए आकाश को यूज़ करने का सोच कर खुश थे...वही दूसरी तरफ आज़ाद भी बहुत खुश था...
आज़ाद की खुशी की वजह ये थी कि एक तरफ उसकी बड़ी बेटी को घर बैठे अच्छा रिस्ता मिल गया था और आज उसे अपने चहेते बेटे आकाश के लिए भी सामने से रिस्ता मिल गया.....
लेकिन आज़ाद ने अभी ये बात किसी को नही बताई...वो सोच रहा था कि जिस दिन उसकी बेटी की शादी पक्की होगी ...तभी वो सबको आकाश के रिस्ते की बात बातायगा...
कुछ दिन यूँ ही निकल गये और फिर वो दिन आ गया जब सुभाष अपनी मामी के साथ आकृति को देखने आने वाला था....
आज़ाद के घर मे बहुत चहल- पहल थी...सारे लोग महमानो के इंतज़ार मे थे और उनकी खातिरदारी की तैयारिया हो रही थी....
आज़ाद ने अपने नौकरों को भी खेतो और फॅक्टरी से बुला लिया था....वो सब घर को सजाने के काम मे लगे हुए थे...
मदन ने पहले ही आज़ाद को बोल दिया था कि आज लड़का-लड़की के हाँ बोलते ही सगाई की रसम पूरी कर लेगे...
आकाश भी घर आ चुका था..और पूरे परिवार के लिए गिफ्ट लाया था...
उसके गिफ्ट ने सबका दिल जीत लिया और सब बेहद खुश थे...
आरती भी अपने भैया के आने से बहुत खुश थी...
धर्मेश भी अपने दोस्त का हाथ बताने आ चुका था....साथ मे उसकी दीदी, और माँ भी आई हुई थी...
अली की फॅमिली भी आज़ाद के घर पर थी...
सब औरते मेहमानो के लिए पकवान बनाने मे बिज़ी थी...
आरती और रिचा , आकृति को सज़ा रही थी...आमिर भी आकाश और धर्मेश के साथ काम मे हाथ बता रहा था..
आज़ाद, अली के साथ बैठा हुआ मेहमानो का वेट कर रहा था और साथ मे सगाई की रसम की प्लॅनिंग भी हो रही थी...
दोपहर तक मदन , सरिता, सुभाष और सुभाष की फॅमिली आज़ाद के घर पहुच गई...
सुभाष के साथ उसकी मामी और उसकी बहेन थी....
मदन- लो आज़ाद ...ले आया तेरे मेहमानो को ....
आज़ाद- अरे..हाहाहा ....आइए- आइए...
आज़ाद ने सबका स्वागत किया...रुक्मणी भी बाहर आ गई और सुभाष की मामी का स्वागत किया...
आकाश भी सुभाष से गर्मजोशी से मिला...उसे भी सुभाष पसंद आ गया....
यहाँ एक तरफ सरिता , आकाश को देख कर उसे उकसा रही थी तो दूसरी तरफ रागिनी( धर्मेश की दीदी) भी आकाश को हसरत भरी निगाहों से देख रही थी..
पर आकाश , सरिता से दूरी बनाए हुए था...वो नही चाहता था कि उनके बीच का रिश्ता फिर से बन जाए....
फिर चाइ-नाश्ता होने के बाद आकृति को नीचे बुलाया गया....
आकृति सज-सबर कर नीचे आ रही थी और सब की निगाहे उसे देख कर खुश हो रही थी....
आकृति के साथ आरती भी थी...उसने अपने भैया की लाई हुई ड्रेस पहनी थी...एक लाइट ब्लू सूट...
आकाश की निगाहे अपनी छोटी बेहन को देख कर उस पर ठहर गई थी...
आकाश को आज अपनी छोटी बेहन अचानक से बड़ी लगने लगी थी ..
आरती के खुले हुए बाल...चमकते इयररिंग...गले मे डिज़ाइनर हार...होंठो पर लिपस्टिक...
आज पहली बार आरती इतनी सजी हुई थी...जिसे देख कर आकाश खो सा गया था ....
आकाश की आँखो के अलावा भी चार आँखे थी जो आरती की खूबसूरती मे खो गई थी....
जहाँ आकाश की आँखो मे अपनी बहेन के लिए भाई-बेहन वाला प्यार था वही बाकी दो लोग उसे प्रेमी की नज़र से देख रहे थे...
आकृति और आरती नीचे आकर सबके साथ बैठ गई...
फिर सब लड़का-लड़की की तारीफ़ कर रहे थे और सुभाष तो बस आकृति मे खोया हुआ था. ...
थोड़ी देर बाद मदन ने सुभाष से और सरिता ने आकृति से उनकी मर्ज़ी पूछ ली....
दोनो ने एक-दूसरे को पसंद कर लिया और सब इस बात से बेहद खुश थे...खास कर सरिता...
फिर आज़ाद ने पंडित जी से सगाई की बात की और तय हुआ कि कल का मुहूरत सगाई के लिए बढ़िया था...
फिर खाना-पीना हुआ और सुभाष अपनी मामी के साथ सरिता के घर चला गया....
जबकि सुभाष की बेहन धर्मेश की दीदी के साथ धर्मेश के घर चली गई ......
( धर्मेश की दीदी और सुभाष की बहेन की दोस्ती सरिता के ज़रिए हुई थी...क्योकि जिस शहर मे सुभाष रहता था वही पर रागिनी भी पढ़ाई करती थी...दोनो पड़ोसी थी और फिर सरिता की वजह से वो दोनो अच्छी फ्रेंड बन गई....और अब तो दोनो ज़्यादा ही क्लोज़ थी. .)
मेहमानों के जाने के बाद मदन,अली और आज़ाद बैठ के ड्रिंक करने लगे और दूसरी तरफ आकाश और धर्मेश भी बैठ कर गप्पे करने लगे....
आमिर भी आरती और आकृति के साथ बाते कर रहा था...
यहाँ कोई किसी के प्यार के ख्यालो मे डूबा था तो कोई जल कर खाक हुआ जा रहा था....
यहाँ आज़ाद ने अपने दोस्तो से आकाश के लिए आए रिस्ते के बारे मे बताया...जिसे सुनकर मदन और अली खुश हो गये...
पर दोनो ने आज़ाद को बोला कि आकृति की शादी तक चुप रहो फिर सबको बताना...ताकि अभी सब लोग सिर्फ़ आकृति की शादी की तैयारी मे लगे रहे...और आकाश भी पढ़ाई पर ध्यान दे पाए....
आज़ाद को भी अपने दोस्तो की बात ठीक लगी और तय हुआ की आकृति की शादी के बाद ही आकाश की शादी के बारे मे सोचेगे...
फिर सभी ने कल के फंक्षन की प्लॅनिंग की और अपने-2 घर चले गये ...
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RE: चूतो का समुंदर
आज आज़ाद की बेटी की सगाई होने वाली थी...
सुबह से ही आज़ाद के घर उसके दोस्त और रिस्तेदार आने लगे थे...
आज़ाद ने अपने आदमियों से कह कर कल ही पूरे गईं मे और आस-पास के इलाक़े मे अपने खास लोगो को निमंत्रण भिजवा दिया था....
अली और धर्मेश का परिवार सुबह से ही आज़ाद के घर पर आ गया था....
आकाश खाने-पीने का काम देख रहा था...अरविंद का ज़िम्मा आने वेल मेहमानो की खातिरदारी करना था...
आयेमिर को टेंट का काम दिया गया था...और धर्मेश का काम था घर के सभी कमरो मे मेहमानो के रुकने की व्यवस्था करना और साथ ही साथ घर की सजावट की ज़िम्मेदारी थी....
रिचा, आरती, रागिनी...सभी आकृति के साथ थी....उनका काम था आकृति को अच्छे से तैयार करना...
अली की बीवी, धर्मेश की माँ ....मिलकर के रुक्मणी की हेल्प कर रही थी...इनके साथ मे आज रखी भी थी...
आज़ाद ने सलोनी और सविता को भी बुलवा लिया था ...वो लोग भी अंदर के काम देख रही थी...
आज़ाद , अली के साथ आने वेल मेहमानों का स्वागत करने बाहर बैठा था....
मदन और सरिता अभी भी अपने घर पर थे...वो सुभाष की तरफ से आने वालो का इंतज़ाम देख रहे थे....
आज़ाद के घर पर सगाई की सारी तैयारी हो गई थी...बस खाना बन रहा था और पंडित जी के आने की देर थी.....
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वहाँ सरिता के घर...
सुभाष ने सरिता को इशारे से अकेले मे बुलाया...
सरिता जैसे ही सुभाष के रूम मे आई...
सरिता- क्या हुआ...??
सुभाष- आपने जो समान मँगाया था ..वो आ गया...
सरिता- वाह...कहाँ है..??
सुभाष ने एक बेग सरिता को पकड़ा दिया...
सुभाष- सब इसमे है...
सरिता- ह्म्म..लाओ ...
सरिता ने सुभाष से बेग लिया और जाने लगी...
सुभाष- आपको ये इस्तेमाल करना आता है...??
सरिता- नही तो...
सुभाष- तो मगवाया क्यो...???
सरिता- अरे बेवकूफ़...मेरे पास ऐसा इंसान है जो इसके बारे मे सब जानता है...वही सब करेगा...
सुभाष- ओह्ह..तब ठीक...पर....
सरिता- अब क्या...??
सुभाष- आप जानती है ना कि आप क्या कर रही है...??
सरिता- बिल्कुल...तुम्हे कोई शक...
सुभाष- नही...पर ध्यान रखना...कुछ भी गड़बड़ हुई तो आपके साथ मैं भी मरूगा...
सरिता- टेन्षन मत लो...तुम्हे कुछ नही होगा...मरेगा तो बस आकाश और बर्बाद होगा उसका परिवार....
सरिता रूम से निकल जाती है और सुभाष अपने माथे पर आया पसीना पोछता है...
सरिता फिर मदन को ये बोलकर निकलती है कि वो आज़ाद के घर जा रही है....पर पहुच जाती है सीधे धर्मेश के घर...
धर्मेश के घर सिर्फ़ धर्मेश की मौसी और सूमी थी...
सरिता के साथ एक लड़का भी आया हुआ था..
सरिता , धमेश की मौसी को चाइ बनाने भेजती है और सूमी को समझा देती है कि आगे क्या करना है....
चाइ पीने के बाद सरिता, धर्मेश की मौसी को किसी बहाने से उपेर वाले कमरे मे ले आती है और नीचे सूमी उस लड़के के साथ काम पूरा करने लगते है...
जब काम पूरा हो गया तो सूमी सरिता को बुलाने गई और सरिता समझ गई कि काम निपट गया...
फिर सरिता उस लड़के के साथ निकल गई और लड़के को बीच मे ड्रॉप करके आज़ाद के घर पहुच गई....
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आज़ाद के घर.....
आकृति के कमरे मे लड़किया आकृति को सजाने मे लगी हुई थी और साथ मे गॅप-शॅप भी हो रही थी...
आरती- नही दीदी..ये वाली चूड़ियाँ पहनो...ये मैने पसंद की है...
आरती अपने हाथ मे चूड़ियाँ दिखाते हुए बोली.....
रिचा- नही दीदी ये वाली...ये ज़्यादा अच्छी लगेगी....
रिचा ने भी सबको चूड़िया दिखा दी...
आरती- नही...मेरी पसंद की पहनो दीदी...
रिचा- अरे इसमे पसंद की बात नही है....मेरी वाली ज़्यादा मॅच करेगी दीदी की शादी के साथ...
आरती- मैं कुछ नही जानती...दीदी यही पहनेगी...
रागिनी- बस...अब चुप हो जाओ...आकृति खुद बताएगी....
आकृति कुछ बोलती उससे पहले ही उसकी नज़र गेट पर खड़े आकाश पर पड़ी....वो किसी काम से आया हुआ था....
आकृति- भैया...
आकृति की आवाज़ सुनते ही सब आकाश को देखने लगे...
आरती- भैया...क्या हुआ...कुछ काम था क्या...
आकाश- हाँ..वो...मुझे ड्रवैिंग कलर चाहिए...मैं गेट पर कुछ ड्रॉयिंग होनी है...
आरती- अभी देती हुँ...
आरती ने जल्दी से अपने ड्रॉयिंग कलर आकाश को दे दिए...और आकाश जाने लगा
आरती- भैया...एक मिनट...
आकाश- क्या..???
आरती- भैया यहाँ आइए...और बताइए कि कौन सी चूड़ियाँ दीदी के हाथ पर अच्छी लगेगी....ये मैने सेलेक्ट की और ये रिचा ने...
आरती का सवाल सुनकर आकाश सोच मे पड़ गया....एक तरफ उसकी प्यारी बहेन की पसंद और एक तरफ बहेन की सहेली की पसंद...
रिचा- हाँ भैया...आप ही बता दो...वही फाइनल होगी...
आकाश धर्म संकट सा महसूस कर रहा था...कि किसका साथ दे...
ना आरती को गुस्सा कर सकता है और ना उसकी सहेली को...वरना सब कहेगे कि भाई ने बेहन का साथ दिया...
आरती- भैया...जल्दी बोलिए..दीदी इंतज़ार कर रही है...
आकाश कुछ देर सोचता रहा और फिर उसने दोनो की चूड़ियों को मिक्स कर के आकृति को दे दी...दोनो का मिक्सर ज़्यादा अच्छा लग रहा था....
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06-06-2017, 11:28 AM,
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RE: चूतो का समुंदर
जब आरती ने डॅन्स किया तो आमिर तो जैसे दूसरी दुनियाँ मे पहुच गया...जहा सिर्फ़ आरती ही आरती थी...
आमिर के अलावा भी कोई था जो आरती के सपने देखने लगा था...
ऐसे ही नाच-गाने मे रागिनी ने आकाश का हाथ पकड़ा और डॅन्स करने लगी...
डॅन्स करते हुए रागिनी बार-बार आकाश जगह-जगह टच कर रही थी...और आकाश को भी उसका स्पर्श अच्छा लग रहा था...
ऐसे ही खुशी-ख़ुसी नाच-गाना समाप्त हुआ और फिर खाना पीना करके सब बैठ गये...
फिर सुभाष और उसके रिलेटिव मदन और सरिता के साथ उसके घर चले गये...सिर्फ़ सूमी रुक गई रागिनी के साथ...
आज़ाद के सभी मेहमान भी सोने चले गये...अली भी अपने घर निकल गया...
रुक्मणी ने धर्मेश की फॅमिली को भी घर पर रोके लिया...
पर रागिनी ने घर खाली होने का बहाना किया...
फिर रागिनी ने सबको ऐसे पटाया कि तय हुआ कि रागिनी, सूमी और धर्मेश की मौसी के साथ आकाश भी धर्मेश के घर रुकेगा...
आकाश ने धर्मेश को चलने को कहा..पर उसने यहाँ मेहमानो का ख्याल रखने का बहाना कर दिया...
फिर आकाश , रागिनी ,सूमी और धर्मेश की मौसी, धर्मेश के घर निकल गये...
यहा मदन के घर...
सरिता अपने रूम मे आईने के सामने अपना मेक-अप निकाल रही थी कि तभी उसे अपने और रिचा के बीच हुई घटना याद आ गई....
आज दोपहर को आज़ाद के घर पर....
सरिता ने रिचा को रंगे हाथो पकड़ लिया था और अब सरिता , रिचा को ले कर घर की छत पर आ गई...
रिचा अभी भी सहमी हुई थी...वो रिचा के कहने पर उसके साथ तो आ गई थी...पर अभी तक एक शब्द भी नही बोली थी....
सरिता- ह्म..तुम चुप क्यो हो...कुछ बोलो भी...
रिचा- (नज़रे झुकाय खड़ी रही...)
सरिता- अरे...अब बोलो भी...
रिचा(हिम्मत कर के)- क्क़..क्या..??
सरिता- क्या..??...हहहे...अच्छा-अच्छा..ये बताओ कि ये सब कब्से चल रहा है...
रिचा- क्या..??
सरिता- ज़्यादा भोली मत बनो...तुम जानती हो मैं क्या पूछ रही हूँ...
रिचा- मैं समझी नही आंटी...
सरिता- चुप कर रंडी...मैं ये पूछ रही हूँ कि तू कब्से आज़ाद की रंडी बन गई...और उसका लौडा खा रही है...अब समझ आया...बोल अब...
रिचा(सहमते हुए)- वो..वो..2-3 बार ही हुआ आंटी...
सरिता(स्माइल करके)- ह्म्म..तो नई-नई रंडी बनी है..हा...
रिचा- सॉरी आंटी
सरिता- अरे सॉरी किस बात की..ये तो सब करते है...लड़की चूत नही मरवाएगी तो लड़के लौडे का क्या करेंगे...हाँ
रिचा(सुबक्ते हुए)- सॉरी आंटी...अब नही करूगि...
सरिता- नही...तू करेगी...पर..
रिचा , सरिता की तरफ देखने लगी...
सरिता- हाँ सही सुना...तुम आगे भी ये करोगी पर मेरे हिसाब से...
रिचा(आँखे मिला कर)- मतलब..
सरिता- देखो...मैं चाहती हूँ कि तुम मेरा साथ दो...फ़ायदा दोनो का होगा...
रिचा- क्या...आपके मन मे क्या चल रहा है...पहले बताओ...फिर मैं साथ दूगी...
सरिता- मेरे प्लान इतना ही है कि मैं तुम्हारे ज़रिए आज़ाद को रंगे हाथ पकड़ लूँ और फिर उसे बर्बाद कर दूं...
रिचा- आज़ाद अंकल की बर्बादी..हाँ..
सरिता- ठीक सुना...अब बोलो..
रिचा(गुस्से के साथ)- चुप कर साली ..तेरी हिम्मत कैसे हुई ऐसा सोचने की...
सरिता(गुस्से मे)- तू चुप कर...मैं अभी सबको बता दूगी फिर तू भी गई और आज़ाद भी...
रिचा- तो जा...बता दे...फिर खुद ही देख लेना कि तेरा क्या हाल होगा...कोई नही मानेगा...तेरा पति भी नही...समझी..
सरिता- चुप कर ...अभी तो रंडी की तरह चुद रही थी और अब ऐसे तेवेर...
रिचा- हाँ हूँ मैं रंडी...आज़ाद की रखेल...तो तुझे क्या ..तू क्यो जलती है...तुझे भी चुदना है तो बता..मैं तुझे भी चुदवा दूगी...
सरिता- चुप्प्प्प्प्प...तेरी हिम्मत कैसे हुई..
सरिता ने रिचा को मारने के लिए हाथ उठाया तो रिचा ने हाथ पकड़ लिया....
रिचा- ओये...मैं चुप हूँ तो मुझे कमजोर मत समझ...समझी...
रिचा ने सरिता का हाथ झटका और जाने लगी ...फिर पलट कर बोली...
रिचा- तुझे जो करना है कर ले...मैं तो आज़ाद अंकल से रोज चुदुगि...और हाँ...उनके खिलाफ कुछ करने से पहले सोच लेना...वरना तुझे पूरे गाओं की रंडी बना देगे वो...समझी...साली कुतिया...हहातटत्त..
सरिता सोच रही थी कि वो रिचा का इस्तेमाल करके आज़ाद को फसा देगी..पर रिचा तो उसकी बिना लंड के गान्ड मार कर चली गई....
सरिता वहाँ ऐसे खड़ी थी जैसे कोई किसी रंडी को चोद कर नंगा छोड़ गया हो और वो भी बिना पैसे दिए....हाहाहा
सरिता इस बात को याद करते ही गुस्से से लाल हो गई...और उसने सोच लिया कि एक दिन इस रिचा से हिसाब बराबर कर के रहेगी....और फिर उठकर बाथरूम मे घुस गई......
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