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RE: Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ
उसने धीरे से अपने कमरे का दरवाज़ा खोला और बाथरूम के तरफ देखा। घर पर 2 बाथरूम था। एक उसके रूम में और एक कॉमन। कॉमन बाथरूम तो खुला था, उसने जाना की पापा अभी तक नहाने नहीं गए है।
उसने दाबे पाँव हॉल में झाँका। और जो उसने देखा उसकी आँखें खुली रह गयी।
पापा सोफे पर बैठे हुए थे। उनका शॉर्ट्स पैरों के बीच पड़ा हुआ था। वह पुरे नंगे थे , और उनका पूरा शरीर लाइट के नीचे तेल के कारण चमक रहा था।
और फिर निशा ने अपने पापा के हाथों में पापा का लंड देखा लंड देखते ही वह उसे घूरते रह गयी। इतना मोटा लंड उसने कभी नहीं देखा था। और पुरे लंड पर तेल लगा हुआ था। तेल से वह लंड और भी मुश्टण्डा लग रहा था, किसी गरम लोहे की तरह।
लंड का उपरी भाग पूरा लाल हो गया था और एप्पल की तरह फुला हुआ था। लंड की चमड़ी पूरी नीचे सरक गयी थी। लंड पर बहुत सारा तेल लगा हुआ था। और पापा लंड को धीरे धीरे मल रहे थे।
निशा ने बहुत बार ब्लू फिल्म देखी थी लेकिन उसके मुह में पापा के लंड को देखकर एक अजीब सा नशा चढ गया।
तेल लंड से निकलकर उनके टट्टो (बॉल्स) को भी नहला रही थी। निशा ने देखा की पापा के बॉल्स भी बहुत बड़े है। वह लटके हुये थे।
पापा कुछ बड़बड़ा रहे थे पर वह सुन नहीं पायी।
अचानक पापा का हाथ तेज़ चलना शुरू हुआ। हॉल से "पच पच फच" की आवाज़ आ रही थी। निशा समझी की लंड और तेल की रगड का नतीजा है।
और तभी पापा जोर जोर से लंड हिलाने लगे और कुछ गुर्राती रहे। और फिर उसके पापा जोर से चिल्लाये।
पापा: निशा आआआआआआ आएह… आह…
उसने पापा के लंड से सफ़ेद मलाई की छिंटें उडती देखि और फिर ढेर सारा सफ़ेद पानी, पापा के हाथों से लगकर सीधें फर्श पर गिर रहा था।
निशा दंग रह गयी। वह तुरंत भागकर अपने रूम में घुस गयी और रूम का दरवाज़ा ज़ोर से बंद कर दिया। दरवाज़े ने ज़ोर का आवाज़ बनाया।
निशा को अपनी गलती का अंदर आते ही एहसास हुआ।
वहाँ जगदीश राय अपने हाथों में लंड लेके वीर्य की आखरी बूंद निकालने का प्रयत्न कर रहा था।
अचानक हुई दरवाज़े की आवाज़ से वह चौक पडा। उसे लगा शायद आशा और सशा आ गई। वह झटके से उठ कर अपना पायजामा और शॉर्ट्स चढा लिया।
फिर उसने जाना की वह निशा का दरवाज़ा था।
जगदीश राय (मन ही मन): क्या निशा ने देख लिया मुझे। ओह गोड़, यह क्या हो गया। मुझे लगा की वह नहाने गयी होगी। वह क्या सोचेगी अब मेरे बारे में।
जगदीश राय वहां से जल्दी से सीडी चढ़कर कॉमन बाथरूम में घूस गया, शायद यह सोचकर कर की पानी से अपना सोच को साफ़ करे।
अपने कमरे में निशा , हॉल में देखे हुए सीन से बहुत गरम हो चुकी थी। उसने खुद को सम्भाला और बेड पर बेठकर ठन्डे दिमाग से सोचना शुरू किया।
निशा (मन में): "यह बात तो पक्का हुआ की पापा मुझे सोचकर मुठ मार रहे थे, नाम तो मेरा ही लिया था। पर क्यु। क्या मैं इतनी खूबसूरत हूँ।
या फिर पापा माँ को मिस कर रहे है। हा, शायद यही बात है। पापा माँ को मिस कर रहे है। एक आदमी कब तक औरत के बिना रह सकता है। और पापा ने हमारे लिए दूसरी शादी भी नहीं कि, हम तीन लड़कियों के लिये।
मेरी पेंटी और गिली चूत देखकर शायद वह आज अपने आप को कण्ट्रोल नहीं कर पाये होंगे। बेचारे।
पापा है तो बड़े भोले। कभी दूसरी औरत के ऊपर मुह उठाकर भी नहीं देखते। और अगर वह किसी दूसरी औरत के पास गए तो कितनी बदनामी होगी हमारी।
मुझे आज के वाक्यात का बुरा नहीं मानना चहिये। एक तरह से जो हुआ ठीक हुआ, खास कर बेचारे पापा के लिये। वह कहते है न आल फॉर द बेस। "
निशा के चेहरे पर मुसकान थी। वह ऐसा समझ रही थी की उसने अपने पापा की हेल्प की है।
वह अपने कमरे से, सर उठा कर, मुसकान लेकर बाहर आ गयी। वह अपने पापा को फेस करने के लिए तैयार थी।
पर जगदीश राय तो बाथरूम में था। बाथरूम में आकर वह गहरी सोच में पड़ गया। शावर चालु था और पानी सर और शरीर पर पडते ही सुकून आ रहा था।
वह समझ नहीं पा रहा था की कैसे निशा से आँख मिलाये। और निशा को कैसे ओर्गास्म आया उसे छुकर, एक 50 साल उम्र के इंसान को।
और तब उसे अपने दूसरी गलती का एहसास हुआ। उसका वीर्य(कम) वही फर्श पर पड़ा हुआ है।
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RE: Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ
जगदीश राय (मन में): अगर निशा ने फर्श पर पड़ी वीर्य को देख लिया तो बवाल खड़ा कर देगी। शायद मुझसे बात ही न करे।
उसने जल्द अपना तौलिया(टॉवल) लिया और अपने आप को पोछ लिया और अपने कमरे में घूस गया।
कमरे में घूस कर उसने एक लूँगी उठाई और पहन लिया। अपने तौलिए को उसने कंधे पर डाल दिया। उसने प्लान बनाया था की हॉल में जाकर, टॉवल फर्श पर गिराकर सारा वीर्य साफ़ कर दूंगा।
अपने रूम से बाहर आकर देखा तो निशा का रूम खुला है और किचन से आवाज़े आ रही है।
जगदीश राय: शायद निशा किचन में है, ओह गॉड़। जल्दी कर जगदीश।।
वह हॉल में आ गया और सीधे सोफे की तरफ गया।
और टॉवल नीचे फर्श पर फेकने ही वाला था, की देख कर चौक गया। फ़र्श एक दम साफ़ था। सोफा भी ठीक से रखा हुआ था।
जगदीश राय: यह कैसे हो गया। मैंने तो साफ़ नहीं किया। तो क्या निशा!!। ओह नो…क्या उसने अपने हाथो से…मेरा वीर्य।
उसमे शर्म के साथ साथ एक अजीब सा कामुक उत्साह भी आ गया।
वहाँ निशा अपने आँख के कोने से अपने पापा को देख रही थी। उसे हँसी आ रही थी, अपने पापा पर। उसने कचरे के डब्बे पर पड़ा हुआ पेपर का टुकड़ा देखा, जिस पर सफ़ेद पानी लगा हुआ था और पेपर के अंदर से धीरे धीरे बह रहा था।
निशा (मन में): कितना सारा वीर्य था। उफ्फ्फ्, साफ़ करते हाथ दर्द हो रहे थे। इतना मोटा और लम्बा लंड से तो इतना वीर्य तो निकलता होगा शायद। ब्लू फिल्म्स में भी लोगों का इतना निकलता न हो। पापा को कोई ब्लू फ़िल्म में एक्टिंग करना चाहिये।
यह सोच कर वह हँस पडी। जगदीश राय अपनी बेटी की हंसी सुना, और शर्मा कर चुप चाप टीवी के सामने बैठ गया।उसे लगा निशा उस पर हँस रही है।
दोनो बाप बेटी एक दूसरे के बारे में सोच रहे थे।
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RE: Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ
जगदीश राय टीवी पर दौड रहे अनगिनत न्यूज़ चैनल से रिमोट दौड़ा रहा था।
पर उनका ध्यान वहां नहीं था, वह निशा के बारे में सोच रहा था। की कैसे उसकी लड़की ने बिना कुछ कहे उसका सारा वीर्य साफ़ कर दिया।और अब हँस भी रही है। क्या उसने इसके पहले किसी और के वीर्य को छुआ होगा? हो तो नहीं सकता, वह जानता था की निशा कितनी सुशील है। पर सुशील होती तो फर्श पर पड़े वीर्य देखकर साफ़ नहीं करती, पिता को मसाज देते उसे ओर्गास्म नहीं आती।
क्या यह सिर्फ , उसके चरित्र पर , उम्र का एक धब्बा तो नहीं?
तभी उसकी सोच को चीरते हुआ बेल बजी। निशा ने जाके दरवाज़ा खोला। सशा और आशा घर में घूसे।
निशा: आ गई राजकुमारीया। क्या लिया वैलेंटाइन के लिये।
सशा: जो लिया आशा ने लिये। मेरे स्कूल में क्या वलेन्टाइन।
आशा (दीदी से): तुम से मतलब। यह मेरे और मेरे फ्रेंड्स के बीच की बात है।
निशा(आशा के कान में): ज्यादा बकवास मत कर। मैं अच्छी तरह जानती हु तेरे कैसे फ्रेंड्स है। तू पापा को बेवकूफ बना सकती है। मुझे नही, समझी क्या।
आशा (थोड़ी डरी हुई): वह दीदी …। मैं तो ऐसे ही…ऐसा कुछ भी नहीं है।
निशा: चुप चाप पढाई में ध्यान दे, यह साल बारहवी का मेजर साल है। चल जा अब।
फिर सशा और आशा दोनों अपने कमरे में चलि गयी। जगदीश राय ने कुछ बेटियों के बीच ख़ुसर-पुसार सूनी पर कुछ समझ नहीं पाया।
करीब 8:30 बजे निशा ने आवाज़ लगाई" चलो सब आ जाओ, खाना लग गया है"
निशा (मुस्कुराते): पापा , आप भी आइए।
जगदीश राय बिना कुछ कहे डाइनिंग टेबल पर बैठ गया, सशा सामने थी, आशा और निशा दाए बाए। वह निशा के आँखों में देख नहीं पा रहा था। पर निशा को अपने पापा से कोई शर्म नहीं आ रही थी, बल्कि उसको पापा की शर्मन्दिगी पर प्यार और हँसी आ रही थी।
आशा : निशा दीदी, क्या हम एक रैबिट (खरगोश) ले सकती है।
निशा : क्यु।
आशा: मुझे रैब्बिटस बहुत पसंद है। लवीना के पास एक ख़रगोश है, उसकी टेल बहुत प्यारी है।
सशा: अगर तुझे उसकी टेल इतनी पसंद है, तो सिर्फ टेल काटकर ले आ। पुरी रैबिट की क्या ज़रुरत है।
आशा: तू चुप कर। दीदी, बोलो न।
निशा: शार्ट एंड स्ट्रैट आंसर देती हु , नही।
आशा: लेकिन, मुझे उसकी टेल बहुत प्यारी लगती है।
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RE: Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ
तभी जगदीश राय के हाथ से दाल की कटोरी फिसल गयी और थोड़ी सी दाल फर्श पर गिरी।
जगदीश राय: ओह न, सोर्री। मैं साफ कर दूंगा। तुम लोग खाओ।
निशा: पापा आप रुकिये। मैं साफ़ कर देती हूँ।
फिर निशा किचन से एक पोछा ले आई।
निशा: पापा, आज कल आप फर्श बहुत गन्दा कर रहे है। क्या बात है?
जगदीश राय यह सुनकर दंग रह गया। उसने निशा की तरफ देखा, उसके चेहरे पर एक हलकी सी मुस्कान थी।
जगदीश राय: मैं…।नही तो…क्यूं
निशा: कोई बात नही। मैं तो साफ़ कर ही लूंग़ी। अआप बस गिराते रहिये।
जगदीश राय कुछ नहीं बोला। वह चुप चाप प्लेट की तरफ देखकर खाने लगा। सशा और आशा कुछ समझ नहीं पा रही थी।
जगदीश राय जल्द से खाना ख़तम करके वहां से चला गया। और सीधे रूम पर जाके लेट गया।
वह पुरे दिन की घटनाओ को सोच रहा था और अपने सब सवालो पर सवाल कर रहा था। जवाबो की उससे कोई उम्मीद नहीं थी, बल्कि जवाबो से उसे थोड़ा डर लग रहा था।
निशा की चूत और आशा की गाण्ड उसके ऑंखों के सामने बार बार आ रहे थे। उसका लंड अब लोहे ही तरह तना हुआ था।
तभी, डोर पर एक नॉक सुनाई दी। इसके पहले वह कुछ बोले, दरवाज़ा खुल गया और निशा खड़ी थी। वह एक मैक्सी पहनी हुई थी और जगदीश राय ने जाना की वह उसकी स्वर्गवासी पत्नी की मैक्सी थी।
जगदीश राय : निशा बेटी तुम।
निशा: हाँ , मैं हु आपके लिए दूध लेके आयी हूँ।
जगदीश राय : लेकिन मैं तो दूध नहीं पिता रात को
निशा: लेकिन आज से आप पिएँगे, सोने से पहले। 10।30 हो गयी है, लो पी लो। इसमें काजू और पिस्ता भी डाला हुआ है, आपके सेहत के लिये।
जगदीश राय : पर यह सब मेरे लिए…क्यों…
निशा: क्यों की आज से आपका ख्याल मैं रखूँगी। अब ज्यादा सवाल मत कीजिये।
जगदीश राय कापते हाथो से गिलास लेकर होटों पर लगा दिया। निशा की नज़र अपने पापा के शरीर पर गुज़र रही थी। और जाकर रुकि उनकी पायजामें पर। उसे अपने पापा का मोटा और खड़ा लंड साफ़ दिखाई दे रहा था। और बिना किसी शर्म के उसे घूरे जा रही थी।
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जगदीश राय दूध पीकर गिलास निशा को दे दिया, जो उसके तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी।
निशा मुडी और दरवाज़ा के तरफ बढी। जगदीश राय पीछे से निशा की मटकती बड़ी गांड को देख रहा था। वह अब मैक्सी में और भी सेक्सी लग रही थी।
जगदीश राय: बेटी , यह मैक्सी तो माँ की है न।
निशा: हाँ पापा, मुझे आज मैक्सी पहनने का मन किया। क्यों कैसी लग रही हूँ।
जगदीश राय: अच्छी लग रही हो।
निशा: हाँ थोड़ी टाइट है मेरे लिये, यहाँ चेस्ट और हिप्स पर। बाकि सब ठीक है।
जगदीश राय निशा की चूचियों को देखा जो मैक्सी में समां नहीं रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे दो फुटबॉल घुसा दिया हो। जगदीश राय के मुह में पानी आ गया।
निशा अपने पापा की यह हालत समझ गयी। और मुसकुराकर बोली।
निशा: अब सो जाइए। फ़िज़ूल की बातें सोचकर जागकर रात मत काटिये।, हा हा।
और अपने गाण्ड को मटकाकर चल दी।
जगदीश राय के लंड को उनके हाथ का स्पर्श जानते हुआ देर नहीं लगी।
कमरे से निकलकर निशा अपने रूम में चलि गयी। जाते जाते आशा और सशा को आवाज़ दी।
निशा: तुम दोनों सो जाओ अब। मोबाइल पर खेलना बंद करो।
रूम में से: ठीक है मैडम हिटलर।
निशा समझ गयी की यह तो आशा ही है जो इतनी बदतमीज़ी कर सकती है।
अपने रूम में जाकर लेट गयी। उसके माँ को गुज़री 6 महीने हो चुके थे। आज पहली बार उसे एक अजीब सी ख़ुशी और आश्वासन मिला था। वह समझ गयी की आज तक वह अपने पिता के लिए चिन्तित थि, आज उसे जवाब मिल गया था। वह मुस्करायी।
अपने पापा के लम्बे लंड के बारे में सोचते सोचते कब आँख लग गयी पता नहीं चला।
दूसरे दिन, निशा फिर रोज़ के काम में लग गयी। पापा को चाय दे दिया, सबका खाना बना दिया। खुद कॉलेज चली गयी और सारा दिन गुज़ार गया। पापा भी थोड़े लेट आए ऑफिस से। और सीधे खाना खाके रूम में चल दिए।
निशा ने देखा की उसके पापा उसको अवॉयड कर रहे है। आँख नहीं मिला रहे है। बात भी खुलकर नहीं कर रहे है। उसे अब अपने बरताव पर थोड़ा पछ्तावा होने लगा था। उसे डर लग गया की कहीं उसका और पापा का फ़ासला बढ़ तो नहीं गया, बल्कि कम होने के बदले।
वह पापा को अपना प्यारे दोस्त के रूप में देखना चाहती थी।
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आज फिर वह वही मैक्सी पहनकर पापा के रूम में चल दी। हाथ में दूध भी था।
उसने बिना नॉक किये रूम खोला। उसके पापा प्रेमचंद की एक किताब पढ़ रहे थे।
जगदीश राय अचानक से हुई एंट्री से चौक गया। और जब निशा को मैक्सी में देखा तो पिघल गया।
उसके मम्मे नाइटी में कल से भी ज्यादा प्यारे लग रहे थे।
जगदीश राय बेड के किनारे पर पिलो टीकाकार लेटा हुआ था।
निशा उसके एकदम पास आ गयी। निशा ने अपनी टाँग पापा के टाँग से लगा दी और बोली।
निशा: पापा यह लो दूध।
जगदीश राय निशा को देखते देखते गिलास हाथ में ले लिया।
निशा: थोड़ा हटिये, मुझे बैठना है।
यह कहकर निशा सीधे बेड के किनारे पर बैठ गयी। जगदीश राय को हटने या हिलने का मौका भी नहीं दिया। और इससे निशा की आधी से ज्यादा गाण्ड जगदीश राय के दाए पैर के ऊपर थी। और निशा की गाण्ड उसके मम्मो की तरह बड़ी थी।
जगदीश राय को एक बहुत मुलायम गाण्ड का स्पर्श हुआ, और उसे इस स्पर्श से एक करंट सी लग गयी।
उसका लंड तुरंत अपने ज़ोर दीखाने लगा। उसने धीरे से अपना पैर निशा की गाण्ड के निचे से हटाया।
निशा ने हँस्ते हुआ पूछा: क्यू, क्या मैं बहुत भारी हूँ।
जगदीश राय: नही तो। सब ठीक है
निशा (थोडा उदास होकर): आप दूध पीजिये।
जगदीश राय ने तिरन्त गिलास ख़तम कर दी , इस उम्मीद में की निशा यहाँ से चलि जाए।
उसके मन में अजीब कश्मकश थी।
निशा (गिलास लेते हुए): पापा, आप क्या मुझसे नाराज़ है।
जगदीश राय: नहीं तो बेटी।
निशा: फिर आप मुझसे बात भी नहीं कर रहे है, सीधे मुह। आँख भी नहीं मिला रहे है। क्या मुझसे कोई गलती हुई है क्या।
जगदीश राय: नहीं बेटी बिलकुल नही।
निशा: तो फिर क्या हुआ।
जगदीश राय (सर झुका कर): वह बेटी …। कल जो हुआ…। वह…।उसकी वजह…मेरा मतलब है…
निशा (सर झुका कर): कल जो हुआ, सो हुआ। पर उसे क्या मैं आपकी निशा नहीं रही। क्या आप मेरे पापा नहीं रहे।
जगदीश राय : नहीं बेटी। तुम तो हर वक़्त मेरी प्यारी निशा हो।
जगदीश राय को अपने बरताव पर ग़ुस्सा आने लगा था।
निशा: और आप मेंरे प्यारे पापा है।
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यह कहकर निशा अपने पापा के सीने पर सर रख दिया। उसके बड़े मम्मे मैक्सी के ऊपर से जगदीश राय के पेट और जांघ से दब्ब गये।
जगदीश राय का लंड जो निशा के सवाल जवाब से सो गया था, फिर अचानक से खड़ा हो गया।
निशा सीने पर सर रख कर अपने पापा के लंड को देख रही थी। उसने देखा की पायजामा धीरे धीरे ऊपर उठ रहा है।
जगदीश राय को हाथ से अपना लंड ठीक करना था, पर निशा के सामने करना मुश्किल हो रहा था। वह जान गया था की निशा को उठता लंड साफ़ दिख रहा है।
वही निशा की हालत भी ख़राब होने लगी थी। उसके निप्पल्स मैक्सी के ऊपर से पापा के पेट और जांघ से दब्ब कर रगड खा रही थी। दोनों निप्पल्स खडे हो गए थे।
निशा: पता है पापा। जब लड़की बड़ी हो जाती है, तब उसके पापा पापा नहीं रहते। उसकी दोस्त बन जाते है। मैं भी आप में वह दोस्त देखना चाहती हूँ।
जगदीश राय चुप रहा। निशा जो कहना चाह रही थी वह वह समझ गया था।
फिर निशा उठि और कहा:
निशा: पापा कल मेरे एग्जाम की फीस भरना है, यूनिवर्सिटी जाना है। क्या आप मेरे साथ चलेंगे। बहुत दूर है।
जगदीश राय जो अभी भी निशा की फेकी हुई गूगली पर सोच रहा था, जवाब नहीं दे पाया।
निशा: पापा, बोलो न। चलेंगे।
जगदीश राय: हाँ हाँ ठीक है। चलेंगे।
निशा: मेरे प्यारे पापा।
यह कहकर निशा ने पापा के माथे पर एक चुम्मी दे दी।
माथे पर चुम्मी देते वक़्त, उसके दोनों मम्मे जगदीश राय के मुह से टकरा गए।जगदीश राय हड़बड़ा सा गया। इतने बड़े मुलायम चूचे उसने कभी नहीं छुये थे।
सब कुछ चंद सेकण्डस में हो गया।
निशा : कल ठीक सुबह 10 बजे निकलना है ठीक। चलो गुड नाईट, स्वीट ड्रीम्स। सो जाओ अब।
जगदीश राय: हाँ हाँ गुड नाईट।
जगदीश राय बावला हो गया था। वह पूरा गरम हो गया था। निशा के जाते ही उसने अपना पायजामा नीचे कर दिया और मुठ मारने लगा। लंड पर लग रहे हर ज़ोर पर निशा का नाम लिखा हुआ था।
बाजू के कमरे में निशा कमरे में घुसते ही अपनी मैक्सी उतार फेकी। ऑंखे बंद करके उसे अपने पापा के लम्बे और मोटे लंड का आकार दिखाई दिया।
निशा की उँगलियाँ उसके चूत को मसलने लगी।
और कुछ ही वक़्त में ढेर सारा पानी बेड को गिला कर दिया। उसी वक़्त जगदीश राय को भी ओर्गास्म आ गया।
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अगले दिन जगदीश राय , नहा धोकर हॉल में आकर पेपर के साथ बैठ गया । निशा उसे चाय देने आ गई।
निशा: गुड मॉर्निंग पापा, यह लो। चलो हमें जल्दी निकलना है। मुझे यूनिवर्सिटी होकर कॉलेज भी जाना है और आपको ओफिस।
निशा नहाकर आयी थी। अपनी गीले बालों को टॉवल में बाँध रखा था। उसने एक फ्रॉक पहना हुआ था, जो घुटने तक का था।
जगदीश राय को निशा बहुत प्यारी और सुन्दर लगी। गोरा भरा हुआ बदन, बड़ी बड़ी चूचे, भरा हुआ गाँड। जब वह चलती तो उसके हिप्स फ्रॉक के अंदर मटकते हुये साफ़ दिख रहे थे। इतनी सेक्सी होने पर भी उसके चेहरे में एक मासूमियत और सुशीलता थी।
जगदीश राय: क्या मेरा जाना ज़रूरी है।
निशा (नाराज़ होते हुए): पापा, अब आप अपनी प्रॉमिस से मुकर रहे है।
जगदीश राय: ओके ओके ठीक है चलता हूँ। मैं तैयार हो जाता हूँ।
जगदीश राय चाय पीकर जब सीडी चढ़ रहा था, तब आशा और निशा स्कूल ड्रेस में निचे उतर रहे थे।
करीब 9:15 में जगदीश राय हॉल में अपना कॉटन शर्ट और कॉटन पेंट में आकर बैठ गया। वह सोफे पर बैठकर गुज़रे हुए कुछ दिन की वाक्या सोच रहा था।
जगदीश राय(मन में): पिछले कितनो दिनों से मैंने सीमा के बारे में सोचा ही नही। जो आदमी हर रात सोते वक़्त सीमा के बारे में सोचकर रोता हो, वह आज पिछली 3 रातो से खुश है। और यह सब निशा के वजह से है।
तभी निशा पीछे से आयी।
निशा: पापा, चलें?
जगदीश राय पीछे मुडा और निशा को देखते रह गया। निशा ने अपनी बाल पोनीटेल में बांध रखा था।
गोरा चेहरा बहुत सुन्दर लग रहा था। उसने ऊपर एक ग्रीन कलर की शार्ट कुर्ती पहनी थी और नीचे रेड कलर की टाइट लेगीन्स। कुर्ती का कट पुरे उसके साइड हिप्स तक आ रहा था, जिसे उसकी बड़ी जांघे लेग्गिंग्स में साफ़ दिख रहे थे। निशा ने आज थोंग्स पहन रखी थी , इसलिए गाण्ड टाइटस में पूरा खुला दिख रही थी।
उसके मम्मे भी कुर्ती में उभरकर आ रहे थे।
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RE: Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ
निशा ने अपने पापा को उसे घूरते देखा और वह खुश हो गयी। उसने बिना कुछ कहें मुस्कुराते हुए , अपनी अन्दाज़ में मुडी और मटकती हुआ चल दी।
जगदीश राय उसके पीछे अपने खडे लंड को सम्भालते हुआ चल रहा था।
जगदीश राय बाहर आकर अपनी मारुती ८०० के तरफ चलने लगा।
निशा: पापा हम बस में जाएंगे।
जगदीश राय: क्यों बेटी, कार हैं न। इसमे चलते है।
निशा: नहीं पापा, मैं इस खटारे में नहीं आउंगी। आप तो नयी कार लेते नही। मेरे सब फ्रेंड्स के पापा के पास कम से कम नई गाड़ी तो है ही। और वैसे भी बस स्टोप तो यही है।
जगदीश राय, हर वक़्त की तरह , हार मान गया।
जगदीश राय: ठीक है चलो बस में।
निशा को सभी लोग रोड पर देख रहे थे, जगदीश राय ने देखा। जब बस आ गयी, तो बस में बेठने की कोई जगह नहीं थी।
निशा: शायद आगे के स्टॉप्स में खाली जो जाए। चलें?
जगदीश राय और निशा दोनों चढ़ गये। बस में खडे होने के लिये, बीच में, थोड़ी सी जगह बनायीं थी। जगदीश राय ने देखा की बस में ज्यादातर स्टूडेंट्स थे।
निशा (उदास चेहरे से): शायद सब युनिवरसिटी जा रहे है। तो सीट्स मिलना मुश्किल होगा।
जगदीश राय: कोई बात नही, आधे घन्टे में आ ही जाएगा।
निशा और जगदीश राय एक दूसरे को फेस करके खडे थे। निशा के पीछे एक कॉलेज का जवान लड़का खड़ा था।
बस में अगले स्टोप पर और स्टूडेंट्स चढ़ गये। अब बस पूरा पैक हो चूका था।
निशा के पीछे खड़ा जवान लड़का निशा के पीछे पूरा चिपका हुआ था। और निशा आगे से अपने पापा से चिपकी हुई थी, एक सैंडविच की तरह। जगदीश राय ने देखा की लड़का अपना पेंट के आगे का हिस्सा निशा की गाण्ड पर चिपका रखा है। निशा के चूचे पूरी तरह से जगदीश राय के शरीर पर दबी हुई है। जगदीश राय का लंड पुरे आकार में था।
निशा: ओह न, हमें कार में ही आना चाहिए था…।शीट…। बहुत उनकंफर्टबल है यहाँ…।।
जगदीश राय:क्या मैं… थोड़ा पीछे हो जाऊँ।
निशा: नहीं पापा, आप ठीक है। पर यह पीछे वाला…।उफ्फ्।
जगदीश राय समझ गया की निशा को उस जवान लड़के का लंड महसूस हो रहा है। और यह उसे पसंद नहीं आ रहा। जगदीश राय, ने जाना की निशा ,भले ही सेक्सी है और सेक्सी कपडे पहनती है, पर है सुशिल और समझदार।
निशा: मैं एक काम करती हूँ, घूम जाती हूँ।
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03-06-2019, 10:17 PM,
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RE: Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ
निशा (पीछे वाले लड़के से): भैया एक मिनट, थोड़ा जगह देना।
जवान लड़का चुपचाप थोड़ा पीछे सरक गया।और निशा टर्न हो गायी। निशा ने टर्न होते ही, अपना हैंडबैग अपने छाती पर लगा दिया। उसी समय जगदीश राय ने भी नीचे हाथ डाल कर अपने लंड को पेंट के ऊपर से सेट कर दिया।
निशा की गाण्ड अब अपने पापा पर टीका हुआ था और सामने से उसने बैग से अपने मम्मो को मसलने से बचा रखा था।
अब बस , पूरी भरी हुई, बहुत धीरे धीरे चल रही थी। उसमे हर स्टॉप पर लोग चढ़ते जा रहे थे।
जगदीश राय का लंड निशा की गाण्ड के दरार के बिलकुल ऊपर था। निशा ने अपने गाण्ड पर अपने पापा का गरम लंड महसूस किया। वह मन ही मन मुस्करायी। उसे अपने पापा के लंड से चिपके रहने में कोई दिक्कत नहीं थी।
करीब 5 मिनट इस पोजीशन में रहने के बाद, जगदीश राय का पूरा शरीर गरम हो चूका था। उसे लग रहा था की उसका लंड मानो फट जाएगा।
निशा की हालत भी कुछ सामान ही थी। उसकी चूत पूरी गिली हो चुकी थी। निशा अपने पापा के गरम लौड़े को अपन गाण्ड के दरार पर चिपका रखा था। पर लंड अभी तक दरार के अंदर घूस नहीं पाई थी। निशा की टाईट लेग्गि, पापा के लंड की ज़ोर की वजह से , गाण्ड की दरार में घूस चूका था।
निशा ने अपने गाण्ड को थोड़ा दायी तरफ मुडा दिया और फिर तुरंत उसने गाण्ड को बायीं तरफ मोड़ दिया। वह अपने पापा के लंड को अपनी गांड से सहला रही थी।
जगदीश राय अपनी बेटी के इस हरकत से पागल सा हो गया। उसकी सासे तेज़ हो रही थी।
निशा बार बार ऐसे करती गयी। थोड़ी मदद उसकी बस भी कर रहा था, जो ख़राब रास्तो की वजह से डोल रहा था।
तभी अचानक से, पापा का लंड , निशा की गांड की दरार के अन्दर घूस गया, निशा वही रुक गयी। अब उसने अपने पापा का मोटा लंड अपनी बडी, गरम और मुलायम गाण्ड की दरार में कपडे के उपर से फसा रखा था।
निशा: आह…
निशा के मुह से आह निकली।
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