08-02-2019, 12:38 PM,
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RE: Desi Sex Kahani निदा के कारनामे
बाबाजी का हुकुम सुनकर एक खिदमतगार नीचे लेट गया और फिर उसने मुझे अपने ऊपर लिटाया और अपना लण्ड मेरी गाण्ड में घुसा दिया फिर दूसरा खिदमतगार मेरे ऊपर लेट गया और उसने अपना लण्ड मेरी चूत में घुसाकर मेरी दोनों चूचियां को भी पकड़ लिया। बाबाजी के इन दोनों खिदमतगारों के लण्ड भी कम नहीं थे, फिर दोनों ने एक साथ झटके मारने शुरू कर दिए।
अब दोनों के लण्ड तेजी के साथ मेरे दोनों सुराखों में अंदर बाहर हो रहे थे। एक साथ दो मर्दो से चुदवाने का ये मेरा पहला मोका नहीं था, इसलिए मुझे एक साथ दो मर्दो से चुदवाने में बहुत मजा आ रहा था और मैं खूब सिसकारियां ले रही थी और मजे में पूरी तरह से डूबी हुई थी। पहले उन दोनों ने थोड़ी देर तक मुझे इसी तरह चोदा फिर वो दोनों मुझे लेकर खड़े हो गये और फिर एक ने मुझे अपनी गोद में उठाकर अपना लण्ड मेरी चूत में डाला और दूसरे ने पीछे से आकर अपना लण्ड मेरी गाण्ड में घुसा दिया और फिर दोनों मुझे तेजी के साथ चोदने लगे।
मैं उन दोनों की गोद में थी और अपनी चुदाई का मजा ले रही थी। इतनी देर में बाबाजी का लण्ड भी पहले की तरह खड़ा हो चुका था और किसी गुस्सैले नाग की तरह फनकारियां मार रहा था। दोनों खिदमतगारों ने जो अपने उस्ताद का लण्ड खड़ा देखा तो उन्होंने मेरी चुदाई रोक दी और फिर उन्होंने मुझे नीचे उतार दिया। अब बाबाजी भी हमारे करीब आ गये, फिर बाबाजी नीचे लेट गये जबकी एक खिदमतगार ने मुझे बाबाजी के ऊपर लिटाया और बाबाजी ने अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया। फिर एक खिदमतगार मेरे पीछे आया और अपना
लण्ड मेरी गाण्ड में घुसाकर मुझपर सवार हो गया, दूसरा खिदमतगार मेरे और बाबाजी के चेहरे की तरह आकर खड़ा हो गया।
मैंने अपने दोनों हाथ जमीन पर टिकाये और थोड़ा ऊपर उठ गई, फिर दूसरे खिदमतगार ने अपना लण्ड मेरे मुँह में घुसा दिया। अब मेरी चूत, मेरी गाण्ड और मेरे मुँह में तीनों के लण्ड थे। फिर उन तीनों ने एक साथ झटके मारने शुरू कर दिए और मैं चुदाई के एक और नये मजे से आशना हो गई। अब एक साथ तीन मर्द मुझे चोद रहे थे और मेरी लज़्ज़त भरी गग्ग्घूऊऊ गग्ग्घूऊऊऊ पूरे स्थान में गूंज रही थी।
वो स्थान जो लोगों की नजरों में निहायत ही काबिल-ए-एहतेराम था, मेरे लिए रंडी खाना बन चुका था और उस स्थान में स्थान का पीर अपने दोनों खिदमतगारों के साथ मिलकर मुझे रंडी बनाकर कुत्तों की तरह चोद रहा था।
बाबाजी ने अम्मी को अपने अमल के लिए 4 घंटे का वक्त दिया था और अब 4 घंटे गुजरने वाले थे इसलिए वो तीनों तेजी के साथ मुझे चोद रहे थे और फिर एक के बाद एक वो तीनों झड़ गये। बाबाजी ने मुझे अपना हुलिया ठीक करने को बोला। क्योंकी अब अम्मी के आने का वक़्त हो चुका था। बाबाजी के दोनों खिदमतगार जल्दी से अपने-अपने कपड़े पहनकर बाबाजी के हुजरे से निकल गये। बाबाजी ने मेरी ब्रा और पैंटी अपने पास रख ली थी और अपनी अंडरवेर मुझे दे दी थी। मैंने अपनी पैंटी की जगह बाबाजी की अंडरवेर पहन ली और बिना ब्रा के ही कमीज पहन ली।
मेरा दुपट्टा काफी बड़ा नहीं था फिर भी मैंने अपने दुपट्टे से अपना सीना चुपा लिया वरना मेरी टाइट कमीज से मेरे चूचियां और उनके निपल्स साफ नजर आ रहे थे। फिर जब दिए गये वक़्त पर अम्मी बाबाजी के कमरे में बड़ी अकीदत से दाखिल हुईं, तो मैं दुपट्टे को अच्छी तरह से लपेटे हुये बड़े एहतेराम में बाबाजी के सामने डोजानों होकर बैठी हुई थी। और बाबाजी आँखें बंद किए पता नहीं क्या पढ़ने लगे थे। वहां अगरबत्तियां भी जला दी गई थी, जिसकी वजह से कोई देखकर ये नहीं कह सकता था की अभी कुछ देर पहले ये जाली पीर मेरे साथ अपने दोनों खिदमतगारों के साथ मिलकर किस तरह का अमल कर रहा था। अम्मी बड़े अकीदत और एहतेराम के साथ एक तरफ बैठ गई।
थोड़ी देर बाद बाबाजी ने अपनी पढ़ाई बंद कर दी और आँखें खोलकर अम्मी की तरफ देखा तो अम्मी ने एहतेरामन अपनी नजरें झुका ली। ये देखकर मेरे होंठों पर मुश्कुराहट आ गई।
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08-02-2019, 12:40 PM,
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RE: Desi Sex Kahani निदा के कारनामे
07 पहलवान था वो
मेरी साथ ये खुशगवार इत्तेफाक़ एक हादसे के तौर पर हो गया था। मेरी एक सहेली की छोटी बहन की मंगनी की रश्म थी, जिसमें शरीक होने के लिए मैं अपने आप को बना संवार रही थी। मेरा 15 साल का एक छोटा भाई था। मैं अपने छोटे भाई के लिए किचन में जाकर कुछ बनाने लगी थी की ऊपरी शेल्फ पर रखा हवा बेलन लुढ़कता हुवा नीचे की तरफ आया और सीधा मेरी दायें घुटने पर इतनी जोर से लगा की मेरी तो चीखें निकल गईं।
मेरी इतनी बुलंद चीखें सुनकर मेरा भाई और मेरी साथ वाली हुंसाई दौड़ती हुई मेरी पास आईं। मुझे रोते हुये । देखकर मुझसे रोने की वजह पूछी, तो मैंने बतला दिया की बेलन मेरे घुटने पर लगा है, लगता है मेरी घुटने की हड्डी टूट गई है।
फंक्सन में जाने की तैयारी तो धरी की धरी रह गई। मेरी हँसाई ने मेरे घर को संभाला और मैं छोटे भाई के । साथ बाजार में बैठे हुये एक पहलवान के पास आ गए जो टूटी हड्डियों को ठीक करता है। ये भी अच्छा ही हुवा की हम समय से वहाँ पहुँच गए थे, वर्ना उनकी दुकान के वकफी का समय शुरू होनी वाला था। पहलवान की। दुकान पर उस समय सिर्फ एक बूढ़ी औरत अपने हाथ की पट्टी करवाने आई हुई थी। उसने मुझे रोते हुये देखा तो वजह पूछी। मैंने वजह बटलाई।
तो वो मेरे कपड़ों को देखकर कहने लगी- “बेटी, तुम्हारे घुटने पर चोट आई है, तो लाजमी बात है की घुटने की मालिश भी होगी, यहाँ पट्टी भी बाँधी जाएगी। मगर तुम्हारी शलवार का पायंचा इतना छोटा सा है की ये तो तुम्हारी पिंडलियों के ऊपर भी नहीं जाएगा, घुटना क्रॉस करना तो दूर की बात। बेहतर होगा की तुम पहलवान के कमरे में जाने से पहले अपनी शलवार का पायंचा उधेड़ लो, ताकी ये आसानी से ऊपर हो सके...”
मैंने अभी हाँ या ना कुछ भी नहीं कहा था।की वो खुद ही बोली- “बेटी, लेकिन अगर तुमने अपना पायंचा फाड़ लिया, तो तुम्हें बाजार से गुजरकर वापिस जाने में काफी शर्मिंदगी सी उठानी पड़ेगी। दुकान के बाहर तो रिक्सा आने की जगह भी नहीं है। रिक्सा लेने के लिए भी तुम्हें कम से कम आधा बाजार पैदल गुजरकर जाना होगा..."
उस बूढ़ी औरत ने मुझे एक नई उलझन में डाल दिया था। मैं अभी किसी नतीजे पर भी नहीं पहुँची थी की जिस केबिन पर ड्रेसिंग रूम लिखा हुवा था, पहले एक जवान लड़की बाहर निकली, उसकी हथेली पर पट्टी बँधी हुई थी। वो लड़की उस बूढ़ी औरत के साथ दुकान से चली गई। तो कुछ देर बाद उसी ड्रेसिंग रूम से एक 30-31 साल का काफी सेहतमंद जवान निकला। मेरा पहले कभी किसी पहलवान से वास्ता नहीं पड़ा था, ना मैं उसे जानती थी।
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RE: Desi Sex Kahani निदा के कारनामे
वो मेरी तरफ देखकर बोला- “हाँ बीबी जी, तुम्हारा क्या मसला है...”
मैंने अपनी चोट का बतलाया।
फिर वो मेरे छोटे भाई से पूछने लगा तो मैंने कहा की- “ये तो मेरे साथ है.”
उसने कहा- “अच्छा...” और फिर दुकान के ग्लास दरवाजे पर वकफी का बोर्ड लगाकर, दरवाजे को चिटखनी लगा दी। वापिस हमारी तरफ आते हुये बोला- “तुम पट्टी करवाकर उस छोटे दरवाजे से निकल जाना...” उसने एक दरवाजे की तरफ इशारा करते हुये कहा। मुझे उसने ड्रेसिंग रूम में आने को कहा। मेरे छोटी भाई ने मुझे सहारा देकर ड्रेसिंग रूम में लाकर ड्रेसिंग बेड पर बिठा दिया तो पहलवान ने मेरे भाई को बाहर जाकर बैठने को कहा। वो तो बच्चा था, वो फौरन उस कमरे से निकलकर बाहर चला गया।
तब पहलवान मेरे करीब आया और कहने लगा- “बीबी तुम्हारे घुटने पर चोट आई है। इसकी मालिश करनी होगी, फिर पट्टी भी करने होगी। अपने घुटने को कैसे नंगा करना चाहोगी। मैं तुम्हारी शलवार का पायंचा फाड़ हूँ...”
मुझे उस बूढ़ी औरत की बात याद आ गई और झट से बोली- “नहीं नहीं, फिर मैं बाजार से गुजरकर कैसे जाऊँगी। मैं तो तमाशा बन जाऊँगी...”
हन ये बात तो है, चलो फिर अपनी शलवार को नीचे की तरफ करो...”
एक गैर आदमी के सामने, मैंने अपनी चूतड़ थोड़ी सी ऊपर उठाकर अपनी शलवार का इलास्टिक नीचे की तरफ कर दिया। तब पहलवान ने मेरी शलवार को पकड़कर मेरे घुटने से भी काफी नीचे कर दिया, और हल्का हल्का हाथ फेरते हुये, मेरे घुटने की हड्डी को चेक करने लगा।
कुछ देर बाद बोला- “बीबी शुकर करो तुम्हारे घुटने की हड्डी तो महफूज है। मगर इसपर दबाव काफी पड़ा था, इसलिये मालिश करते हुये तुम्हें दर्द तो काफी होगा, मगर ये सिर्फ 1-2 मिनट के लिए होगा। अगर मैंने हड्डी को इसकी सही जगह पर अड्जस्ट ना किया, और वैसे ही पट्टी बाँध दी, तो दर्द तो तुम्हारा 1-2 दिन बाद । खतम हो जाएगा, मगर तुम सारी जिंदगी लंगड़ा कर ही चला करोगी। इसलिये तुम्हें पहले से कह रहा हूँ, की दर्द को बर्दाश्त कर लेना, ज्यादा चीखने चिल्लानी की जरूरत नहीं है...”
उसकी बातें सुनकर तो मेरी और भी जान निकल गई थी। मैं सारी जिंदगी लंगड़ी बनकर नहीं रहना चाहती थी, इसलिए अपना दिल मजबूत करते कहा- “नहीं आप जैसा बेहतर समझते हों वो करें, मैं दर्द बर्दाश्त करने की पूरी
कोशिश करूँगी।
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RE: Desi Sex Kahani निदा के कारनामे
फिर उसने एक तेल की शीशी से मेरी घुटने पर थोड़ा सा तेल गिराया, मेरी टाँग को सीधा करते हुये जैसे ही उसने मेरे घुटने पर हाथ रखा, दर्द की वजह से बे-इख्तियारी तौर पर मैंने अपने दोनों हाथों से बेड या किसी और चीज को पकड़ने के बजाय, पहलवान की ही दोनों टांगों को मजबूती से पकड़ लिया। वो पहले धीरे-धीरे मेरे घुटने के इर्द गिर्द मालिश करता रहा, उसका हाथ मेरी रान पर काफी ऊपर तक जा रहा था, मगर उस समय मुझे। इतना होश कहाँ था।
कुछ ही देर में उसने मेरे घुटने को एक झटका दिया, तो दर्द से मैं बिलबला उठी। मेरा दायां हाथ अचानक ही उछला और जब वापिस किसी चीज को टकराया तो मैंने उसे बहुत जोर से भींच दिया। मुझे तो तब होश आई,
जब पहलवान की चीख मुझे सुनाई दी। मैंने आँखें खोलकर देखा की मेरा दायां हाथ उसके लण्ड को काफी । मजबूती से दबोचे हुये था। मैं शर्म से पानी पानी हो गई। अपना हाथ तो मैंने उसके लण्ड से हटा लिया था, मगर उसकी शलवार में एक तंबू सा खड़ा हुवा देख रही थी।
अब तो पहलवान ने मेरे घुटने के साथ साथ मेरी पिंडली और रान की भी अच्छी तरह मालिश शुरू कर दी थी और मुझे भी मजा आने लगा था पर दर्द की वजह से मैं कुछ कर नहीं पा रही थी। पहलवान मुझे लगातार । मालिश करता रहा कुछ ही देर बाद मेरा दर्द धीरे-धीरे कम होना शुरू हो गया और आखिर में बिलकुल खतम हो गया। पहलवान मुसलसल अपने खुरदरे हाथों से मेरी नाजुक और बालों से पाक टांग से भरपूर इंसाफ कर रहा था। तकलीफ का असर गायब होने के बाद मैं अपने हवास में लौटी लेकिन पहलवान के इस तरह मालिश करने से मेरे अंदर की छुपी हुई सेक्सी ओरत ने सर उठाना शुरू कर दिया था। पहलवान बहुत प्यार से मालिश कर रहा था।
वो मेरे पाँव से शुरू करता और फिर पिंडली और रान को इन्वॉल्व करता हुवा अपने हाथ 0 नुकीले से कुछ दूर तक ले आता। पहलवान का अकड़ा हुवा लण्ड ऐसे दिख रहा था जैसे अभी शलवार को फाड़ते हुये बाहर निकल आएगा। मेरी निगाहों ने फौरन भाँप लिया की पहलवान का लण्ड काफी तगड़ा है। पहलवान के चेहरे पा मुख़्तलिफ रंग आ जा रहे थे और खुद मेरी हालत भी नागुफ्ता (बेचैन, बीमार) थी।
लेकिन मैं इस समय मज़ा के मूड मैं कतई ना थी। हालांकी पहलवान ने मुझे काफी गरम कर दिया था और मेरी पैंटी भी भीग गई थी। लेकिन मुझे अपने छोटे भाई की भी फिकर थी जो अपनी बहन के इंतजार में घुल रहा था। तो मैंने जल्दी से कहा की पहलवानजी मेरा दर्द खतम हो गया है आपसे ईलतजा है की पट्टी कर दें अब। पहलवान के हाथ, मेरी गोरी रान पर चलते चलते रुक गये। उसने इस बात में सर हिलाया और पट्टी करने लगा। पहले उसने मेरे घुटने के नीचे एक तख़्ती नुमा लकड़ी की बनी हुई मुराबी शकल की स्लेट रखी। फिर पट्टी उठाई और बाँधने लगा। थोड़ी देर में पट्टी हो गई। फिर उसने मुझे शलवार पहनाई।
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