Sex kahani अधूरी हसरतें
04-01-2020, 03:28 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम यहां कोई देख लेगा चल उसने चलते हैं । (वह नजरों से ही बगीचे के बीचों बीच बनी घास फूस की झुग्गी की तरफ इशारा करते हुए बोली,,,, शुभम उसका इशारा समझती ही खुशी के मारे एकदम गदगद हो गया,,,,

चारों तरफ बड़े-बड़े और छोटे-छोटे आम के पेड़ की वजह से बगीचा पूरी तरह से खूबसूरत नजर आता था और बगीचा इतना घना था कि,,, धूप बिल्कुल भी बगीचे में प्रवेश नहीं कर पाती थी इसलिए बगीचे में बहने वाली हवा अपनी शीतलता का एहसास दोनों के बदन पर करा रही थी। शुभम मन-ही-मन बेहद प्रसन्न हो रहा था क्योंकि उसकी मनोकामना पूर्ण होने जा रही थी।,,, दूसरों के सामने रूचि एकदम सती सावित्री होने का बखूबी ढोंग करती थी लेकिन असलियत में वह कितनी बड़ी छिनार है वह इस बात से ही पता चल जा रहा था कि,, झोपड़ी में जाते समय भी उसने शुभम के लंड को अपने हाथ मे ही लिए हुए थी,,। रुचि की हरकत से ही शुभम समझ गया था कि यह बहुत ज्यादा प्यासी औरत है। रूचि झोपड़ी की तरफ आगे बढ़ते हुए चारों तरफ नजर फेर ले रही थी कि कहीं कोई आ ना जाए,,, लेकिन चारों तरफ,, लहलहाते खेत और बह रही शीतल हवा के सिवा कोई भी नहीं था।,,, शुभम के लंड की किस्मत में एक और युग लिखी हुई थी जिसै वह जल्द ही हासिल करने वाला था।
जल्द ही दोनों झोपड़ी में दाखिल हो गए अंदर प्रवेश करते ही चारों तरफ सूखी हुई घास का ढेर नजर आ रहा था।,,, रूचि तुरंत घास का ढेर सारा पुवाल इकट्ठा करके नीचे बिछा दी और बोलि,,,
04-01-2020, 03:28 PM,
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अब आराम से करेंगे,,,
( रुची की यह बात सुनकर शुभम एकदम से उत्तेजना से भर गया,,, और उससे रहा नहीं गया वह एक हाथ आगे बढ़ा कर सीधे रुचि की कमर में वह हाथ डाल दिया और उसे अपनी तरफ खींच कर,अपने बदन से सटाते हुए अपने तरसते होठ को रुचि के गुलाबी होठों पर रखकर उसके होठों का रसपान करने लगा,,,, शुभम की इस तरह के कामुक हरकत की वजह से कुछ ही पल में रुची काम विभोर होकर खुद ही शुभम के बदन से लिपट गई और उसका साथ देते हुए अपने होठों को खोलकर उसकी जीभ को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी।,,, इतने में तो शुभम की दोनों कामोत्तेजना बढ़ाने वाली हथेलियां रुचि के मखमली बदन पर ऊपर से नीचे चारों तरफ घूमने लगी,,, जिस उत्तेजना और जोश के साथ शुभम रुची के बदन से लिपट कर उसके होठों का रसपान कर रहा था रुचिका तन-बदन एकदम से झनझना उठ रहा था। उसने इतना जोश अब तक किसी मर्द में नहीं देखी थी,,, इसलिए तो उसे इस बात का अंदाजा लग गया की आज एक आम की बगिया में उसकी बुर का बाजा बजने वाला है।,,, शुभम पागलों की तरह उसके होंठों को चूसते हुए कभी उसकी बड़ी-बड़ी नितंबों पर हाथ फेरते हुए दबा देता तो कभी उसकी गोल-गोल कसी हुई चुचियों को दबा देता,,,। शुभम रुचि को उत्तेजना के अथाग सागर में खींचे लिए चला जा रहा था,,,, रूचि उत्तेजना के वशीभूत होकर तेरे से शुभम के मोटे खड़े लंड को पकड़ कर हिलाना शुरु कर दी,, मोटी मोटी और गर्म लंड का एहसास रुचि की बुर को और ज्यादा हवा दे रहा था उसमें से नमकीन रस टपकना शुरू हो गया था। कुछ देर तक यूं ही रुचि के होठों का रसपान करते हैं शुभम एकदम से मदहोश हो गया और होठो के रस से मन भर जाने के बाद वह तुरंत उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगा,,,,। रुचि अब शुभम का विरोध बिल्कुल भी नहीं कर रही थी पर कि वह तो शुभम द्वारा किए गए हरकतों का पूरी तरह से मजा ले रहे थे इस झोपड़ी ने किसी बात का डर नहीं था क्योंकि दिन का समय होने के साथ-साथ बेहद गर्मी का समय भी था जिसकी वजह से कोई भी घर से बाहर नहीं निकलता था।,, इसलिए तो जहां किसी के द्वारा देखे जाने का भी डर बिल्कुल भी नहीं था इसलिए तो रूचि शुभम से अपने ब्लाउज खोलने पर किसी भी बात का ऐतराज़ नहीं दर्शा रही थी,,,, शुभम की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी उसकी सांसे फुल रही थी। वैसे भी रुचि बेहद खूबसूरत लगती है उसका अंग-अंग तराशा हुआ था भरे बदन की मालकिन होने के साथ-साथ गोरा रंग उसे और भी ज्यादा खूबसूरत बना रहा था उस के बड़े-बड़े गोल नितंब किसी का भी ध्यान आकर्षित करने मैं सक्षम थे। इसलिए तो गांव आते ही सबसे पहले शुभम की नजर रुचि पर ही थी,,,, क्योंकि जिस तरह का आकर्षण और कमजोरी शुभम की औरतों की बड़ी बड़ी गांड की तरफ थी,,, ठीक वैसे ही गोल गोल बड़ी-बड़ी गांड लिए हुए रूचि शुभम के दिलो-दिमाग पर छाई हुई थी।,, वेसे तो सही मायने में शुभम सबसे पहले रुचि पर ही हूं अपने दांव पर आजमाना चाहता था लेकिन शुरुआत उसकी बड़ी मामी से हो गई थी। बड़ी मामी जितनी आसानी से उसे चोदने के लिए मिल गई थी उससे शुभम की हिम्मत और ज्यादा बढ़ गई थी,,, लेकिन कमरे में जिस तरह से रुचि में उस पर डांट फटकार लगाई थी उसे देखते हुए सुभम का हौसला जवाब दे गया था। उसे लगने लगा था कि वह अपनी छोटी मामी को कभी भी चोद नहीं पाएगा,,, उसे अपनी यह ख्वाहिश अंधेरे में ओझल होती हुई नजर आ रही थी लेकिन,,, कहते हैं ना कि अंधेरा चाहे कितना भी घना हो लेकिन हल्की सी रोशनी जरूर नजर आती है। ठीक वैसा ही शुभम के साथ भी हुआ था,,,। सबसे बड़ा राज़ जो की रूचि सबसे छुपा के रखी हुई थी वह राज शुभम ने अपनी आंखों से देख लिया,,, और उसका नतीजा यह हुआ कि आम के बगीचे में दोपहर के समय झोपड़ी के अंदर शुभम उसके ब्लाउज के बटन खोल रहा था,,,,। शुभम उसके ब्लाउज के बटन खोलते हुए उसके खूबसूरत चेहरा की तरफ देखे जा रहा था,,, रूचि शुभम को इस तरह से उसके ब्लाउज के बटन खोलते हुए देखकर अंदर ही अंदर शर्म महसूस करने लगी क्योंकि उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि शुभम इस तरह का लड़का होगा और उस पर नजरें गड़ाए बैठा था।,,, शुभम की तरफ देखते हुए वहां अपनी नजरें दूसरी तरफ घुमा ली तो शुभम उसके ब्लाउज के बटन खोलते हुए बोला,,।

क्या हुआ ऐसे क्यों नजरें घुमा ली,,,,

मुझे शर्म आ रही है (शुभम की तरफ देखे बिना ही बोली)

अच्छा तो मेरे साथ शर्म आ रही है और उसको खेतों में अपनी साड़ी उठाकर बुर चटवा रही थी तब शर्म नहीं आ रही थी,,,
( शुभम के मौसम अपने बारे में इतनी गंदी बात सुनकर वह एकदम से शर्म से गड़ी जा रही थी,,, क्योंकि उसे इसकी बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि शुभम उसे इतने खुले शब्दों में बोलेगा,,, इसलिए वह कुछ बोल नहीं पाई बस नजरें झुकाए खड़ी रही,,,।)

क्या हुआ मामी इतना क्यों शर्मा रही हो,,,?

तू बातें ही ऐसी कर रहा है तो क्या शर्म नहीं आएगी,,,

रात को छुप-छुपकर चुद़वाने में शर्म नहीं आती,,,।

वह तो मेरी मजबूरी है।

कैसी मजबूरी (ब्लाउज की आखिरी बटन खोलते हुए बोला)

तेरे मामा इस लायक नहीं है कि वह मुझे खुशी दे सके,
( रुचि की बात सुनकर शुभम थोड़ा सा झेंप गया लेकिन उसका पूरा ध्यान रुचि की बड़ी-बड़ी और कठोर चुचियों पर ही थी जोकी ब्रा के अंदर होने के बावजूद भी ऐसा लग रहा था कि बाहर है।। शुभम प्यासी नजरों से रुचि की चुचियों को घूरे जा रहा था,,, और यह देख कर रुची मन ही मन प्रसन्न हो रही थी।,,, रुचि की बड़ी-बड़ी और गोल चुचियों को ब्रा में देखकर शुभम कुछ पल के लिए रुची की बात को अनसुना कर दिया,,,, और ब्रा के ऊपर से ही अपनी हथेलियां फेरते हुए चूचियों के कठोरपन को महसूस करते हुए बोला,,,

ब्रा के अंदर होने के बावजूद भी तुम्हारी चुचिया इतनी खूबसूरत लग रही है अगर यह ब्रा के बाहर आ जाएंगी तब तो जान ही ले लेंगी,,,
( रूचि शुभम के इस तरह की बातें सुंदर एकदम से भाव विभोर हो गई,,, उसकी हथेली में अभी भी सुभम का लंड था। वह तुरंत मुस्कुराते हुए शुभम के लंड को छोड़कर,, घूम गई उसकी पीठ शुभम की तरफ हो गई और वह शुभम की तरफ नजरें घुमा कर अपनी साड़ी के पल्लू को पूरी तरह स नीचे गिराकर मुस्कुराते हुए बोली,,,।

तो देर किस बात की है,,,लो आजाद कर दो ईन्हे।
04-01-2020, 03:28 PM,
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रूचि जिस अंदाज में शुभम की तरफ पीठ करके खड़ी हो गई थी उसका अंदाज देखते हो शुभम की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ जाना लाजमी था।,, अक्सर मर्द को उस वक्त का बेहद बेसब्री से इंतजार रहता है जब ऐसे ही किसी अतरंग समय पर औरत अपनी तरफ से बेहद लुभावना और उत्तेजनात्मक हरकत करती है जिसकी वजह से मर्द की उत्तेजना मैं बेहद वृद्धि होने लगती है और यही शुभम के साथ भी हो रहा था जिस अंदाज से रुचि ने अपनी साड़ी का पल्लू नीचे गिराई थी,,, उसे देखते हुए शुभम के मुंह में पानी आ गया था और खास करके एक झोपड़ी में एक खूबसूरत औरत के साथ शुभम को और भी ज्यादा कामोंतेजना का अनुभव हो रहा था। शुभम एक कदम आगे बढ़ाकर रुचि के बदन से सट गया और हल्के से अपने दोनों हाथों को उसके कंधों पर रखकर बड़े ही गर्मजोशी से अपनी हथेलियों में दबोचे हुए अपनी हथेली को नीचे की तरफ लेकर आया और उसकी नंगी गर्दन पर अपने होंठ रख कर चूमना शुरू कर दिया एक औरत के लिए मर्द के द्वारा उसकी गर्दन पर चुंबन लेना उसकी उत्तेजना को परम शिखर पर पहुंचाने में सहायक होता है इसी वजह से शुभम की चुंबन लेते ही रुचि के मुंह से गर्म सिसकारी निकल गई,,

सससससस,,,, आहहहहहहहह,,,, शुभम,,,,,,
( रुचि की यह सिसकारी शुभम की उत्तेजना का पारा बढ़ाने लगी,, वहां और ज्यादा रुचि के खूबसूरत कोमल बदन को अपनी हथेली में दबोच लिया एक मजबूत शरीर के मालिक द्वारा अपने नाजुक बदन को दबाए जाने की वजह से रुचि की बुर से पानी टपकने लगा,,, शुभम पागलों की तरह उसकी नंगी पीठ पर जगह-जगह पर चुंबनों की बौछार करने लगा शुभम का लंड अभी भी पेंट के बाहर था जिसको वह रुचि के नितंबों से सटाया हुआ था,,, और तने हुए मोटे लंबे लंड की रगड़ को अपनी बड़ी बड़ी गांड पर महसुस करके रुची के बदन मे सुरसुराहट सी खेल रही थी वह बार-बार अपने बदन को कसमसाते हुए अपनी बड़ी बड़ी लचीली गांड को दाएं-बाएं हिलाकर लंड की रगड़ का मजा ले रही थी।,, शुभम की सांसे तेज चल रही थी बगिया में चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था केवल हवा चलने की वजह से सूखे पत्तों के फड़फड़ाने की आवाज और पंछियों की चहकने की आवाज से बगीए का वातावरण खुशनुमा लग रहा था और उससे भी ज्यादा तो खुशनुमा वातावरण के साथ साथ उत्तेजनात्मक वातावरण तो झोपड़ी के अंदर का था जिसमे रुचि की गर्म सांसे और उसकी गरम सिसकारी से,,, ऐसा लग रहा था कि कहीं सूखे हुए पुआल में आग न लग जाए,,,, वैसे तो रुची की गर्म जवानी ने शुभम के बदन में आग लगा ही दी थी।,,,
रुचि बेसब्री से,,, अपने खुले हुए ब्लाउज को अपनी बाहों से निकलने का इंतजार कर रहे थे इसलिए दोनों चूचियां किसी कबूतर की तरह शुभम के हाथों में आने के लिए फड़फड़ा रहे थे। लेकिन सुभम था की दोनों फड़फड़ाते हुए कबूतर को छोड़कर रुचि की मक्खन जैसी मखमली चिकनी पीठ को चाटने में लगा हुआ था,,, रुचि बेसब थ्री लेकिन जिस तरह से सुभम अपनी हरकतों से उसके बदन की गर्मी बढ़ा रहा था उसे बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी। इसलिए वहां भी अपने ब्लाउज को उतरवाने में बिल्कुल भी उतावलापन नहीं दिखा रही थी। कुछ देर तक रुचि की चिकनी पीठ से खेलने के बाद आखिरकार शुभम अपने दोनों हथेलियों को रुचि के कंधों पर रखकर उसकी ब्लाउज के छोर को कंधों से पकड़कर नीचे की तरफ सरका कर उसकी बाहों से निकालने लगा रूचि भी तुरंत अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ सीधा कर दी ताकि आराम से उसका ब्लाउज़ निकल सके और अगले ही पल शुभम रुची के ब्लाउज को निकालकर सूखी हुई घास पर फेंक दिया।
और उसकी बांह पकड़ कर फिर से अपने सीने से चिपका कर अपने दोनों हाथों को आगे की तरफ ले अाया और ब्रा के ऊपर से ही उसकी चुचियों को दबाना शुरु कर दिया। सुभम अपनी मजबूत हथेलियों में रूचि की नरम नरम लेकिन कठोर चूचियों को दबा रहा था,,, जिसकी वजह से रूची के मुख से लगातार सिसकारियां निकलना शुरू हो गई। शुभम का तना हुआ लंड रुचि की मखमली गांड पर दस्तक दे रही थी। शुभम ब्रा के ऊपर से ही रुचि की गोल गोल चूचियों को हथेली में भरकर दबा रहा था।,,, शुभम की हरकत से रुचि एकदम मदमस्त हुए जा रही थी उसके मुंह से लगातार सिसकारी की आवाज गूंज रही थी।

सससहहहहह,,,, शुभम तेरे हाथों में तो जादू है रे,,,,,

जादू मेरे हाथों में नहीं तुम्हारी इन चुचीयों में है तभी तो मेरी उंगलियां अपने आप ही इस पर कसती चली जा रही है,,,।,,,( इतना कहने के साथ ही शुभम ने उंगलियों का सहारा लेकर चूचियों के नीचे की पट्टी को दोनों हाथों से पकड़ कर ऊपर की तरफ उठा दिया,,,, जिससे रुचि की दोनों नारंगिया ब्रा से बाहर आ गई,,, जैसे ही रुचि की दोनों चूचियां बाहर आई शुभम ने झट से उन्हें लपक लिया और जोर जोर से दबाना शुरु कर दिया,,,, नंगी चूचियों को हथेली में भरकर दबाने का अपना अलग ही मजा है। इस बात को सुभम अच्छी तरह से जानता था इसलिए तो चूचियों को दबाने और मसलने का कोई भी मौका वह अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था।,,, रुचि की हालत पल-पल खराब हुए जा रही थी आज उसे अपनी चूची दबवाने और मसलवाने में बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी। रुचि को इस बात की जरा भी उम्मीद नहीं थी कि शुभम जैसा जवान लड़का बेहद इत्मिनान से आगे बढ़ेगा उसे तो ऐसा ही लग रहा था कि झोपड़ी में जाते ही वह उसकी साड़ी उठाकर बस अपने मोटे लंड को ऊसकी बुर में डालकर चोेदना शुरु कर देगा,,,, लेकिन जिस तरह से शुभम धीरे-धीरे आगे की तरफ बढ़ रहा था उसने रूचि को बहुत ही ज्यादा मज़ा आ रहा था।,, जितने प्यार और मजबूती से उसने रुचि के चुचियों से खिलवाड़ कर रहा था उस तरह से आज तक किसी ने भी नहीं खेला था।,,,, इसलिए रुचि भी शुभम का पूरा साथ देते हुए उसकी हर हरकत का मजा ले रही थी,। वह मन में अभी यह सब सोच ही रही थी कि तभी अचानक सुभम एक झटके से रूचि की बांह पकड़ कर उसे अपनी तरफ घुमा दिया और पागलों की तरह उसके गुलाबी होठों को अपने मुंह में भर कर चुसना शुरु कर दिया,,,, रुचिका शुभम के ऐसे दीवाने पन से एकदम मदहोश हुए जा रहे थे,,, शुभम एकदम जोश में आकर उसके गुलाबी होठों का रसपान करते हुए अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले गया और ब्रा की हुक को खोल दिया,,, अगले ही पल रूचि की ब्रा घास के सुखे ढेर में पड़ी हुई थी,,, रूचि के दोनों कबूतर ब्रा की कैद से आजाद होते हीैं हवा में फड़फड़ाने लगे,,,, और उन फड़फड़ाते हुए कबूतर को अगले ही पल शुभम ने अपनी हथेलियों में दबोच लिया,,,, ऐसा लग रहा था कि शुभम ने किसी खूबसूरत पंछी के गले को अपनी हथेली से दबोच लिया हो इस तरह से दोनों सूचियों का रंग सुर्ख लाल हो गया,,, गोल गोल नारंगी के समान लेकिन बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचियों को अपनी हथेली से दबाता हुआ शुभम मस्त हुए जा रहा था।,,, रुचि का चेहरा शर्म और उत्तेजना के कारण लाल टमाटर की तरह हो गया था। वह शुभम को बड़े गौर से देख रही थी और उसके चेहरे के मासूम को देखते हुए इस बात का अंदाजा लगाना मुश्किल था कि इस मासूम से दिखने वाले चेहरे के पीछे,,, कितना शातिर और वासना मई इंसान छुपा हुआ है। उसे बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था कि,,, उस का भांजा उसके खूबसूरत स्तनों से खेल रहा है। शुभम जी उसकी चूचियों को दबाता हुआ रुचि की तरफ देखते हुए अपने मुंह से गर्म
सीईईई,,, सीईईई,,,,, की आवाजे निकाल कर मज़ा ले रहा था।,,, कुछ देर तक यूं ही स्तनों से खेलते खेलते शुभम ने कब दोनो चुचियों को बारी-बारी से अपने मुंह में भर कर पीने लगा इस बात का पता रुची को बिल्कुल नहीं चला। उसे इस बात का एहसास तब हुआ जब उत्तेजना वस सुभम नै जोर से उसकी चॉकलेटी निप्पल में अपने दांत गड़ा दिए,,,, एकाएक निप्पल में दांत धंसाने की वजह से रुचि के मुंह से चीख निकल गई,,।

आहहहहहहहह,,,, क्या कर रहा है,,,,?

मजा ले रहा हूं मेरी जान,,,,,
( शुभम एकदम खुले तौर पर रुचि को पुकारने लगा था रूचि को पहले तो थोड़ा अजीब लगा लेकिन जिस तरह का मजा वहां उसे दे रहा था उसे देखते हुए रुचि को भी शुभम के द्वारा उसे जान कहे जाने पर अच्छा लगने लगा,,, वह यह देखकर एकदम हैरान थी कि शुभम कैसे जल्दी जल्दी उसकी दोनों चूचियों के साथ खेल रहा था कभी एक चूची को मुंह में भरकर तीता तो कभी दूसरी चूची को,,, कभी-कभी जितना हो सकता था उतना पूरा का पूरा उसकी चूची को मुंह में भर कर पीना शुरु कर देता था और दांत गड़ाकर आनंद ले रहा था। भले ही बड़ी बेरहमी से वह रुचि के बदन से खेल रहा था लेकिन इस बहरेहमीपन में ही रुचि को बेहद मजा मिल रहा था। पहली बार स्तन चुसाई का आनंद रूचि प्राप्त कर रही थी वरना दो-तीन मिनट दबाकर मजे लेने के बाद लंड उसकी बुर की गहराई नाप रहा होता इसलिए आज पूरी तरह से वह शुभम को अपने बदन से खेलने की इजाजत दे दी थी। सुभम भी पागलों की तरह उसकी चूची को चूस चूस कर लाल टमाटर बना दिया था। कामोत्तेजना मे तप रहे अपने बदन पर खुद रुचि का काबू बिल्कुल भी नहीं था शुभम जिस तरह से और जिस तरफ से खेलना चाह रहा था उसी तरह से खेल रहा था। कमर के ऊपर का बदन पूरी तरह से निर्वस्त्र हो चुका था। बुर काम रुपी रस छोड़ते हुए और भी प्यासी हुए जा रही थी। बुर का दाना अपने आप ही फुदकने लगा था। शुभम रुचि की चूची को दोनों हाथों से खींच खींच कर पी रहा था मानो कि जैसे वह चुची न हाें पका हुआ आम हो,,,, और रुची गरम सिसकारी लेते हुए शुभम को और ज्यादा उकसा रही थी।
04-01-2020, 03:28 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
ओहहहहहह,,,,, शुभम,,,,,, यह सब कहां से सीखा। तूने तो मेरी हालत ही खराब कर दिया है मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि तू सीधा-साधा सुभम है।,,,

मेरी जान मुझे भी कहां यकीन होता है कि तुम वही मेरी सीधी सादी रूचि मामी हो,,,,,

तो क्या लगता है तुझे,,,

सच कहूं तो मुझे इस समय ऐसा लग रहा है कि मैं अपनी खूबसूरत माल के साथ इस बगीचे में मजे कर रहा है एकदम रंडी लग रही हो तुम,,,( एक चूची को कस के दबा कर दूसरी को मुंह में भरते हुए बोला)

छी,,,, कितना गंदा बोलता है तू मेरे बारे में क्या मैं तुझे सच में रंडी लगती हुं।

रुचि को इस तरह से नाराजगी दर्शाते हुए देखकर शुभम बोला,,,

मेरा यह कहने का मतलब नहीं था मैं तो यह कह रहा हूं कि तुम इतनी ज्यादा खूबसूरत हो कि मन करता है कि तुम्हें अपनी प्रेमिका बना लूं और इस समय जिस तरह का खूबसूरत बदन लिए हुए हो मेरी तो जान ही निकाल दोगी मैंने आज तक तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत नहीं देखा,,,( शुभम रुची की आंखों में झांकते हुए उसकी चूची को जोर-जोर से दबाते हुए बोला,,।)

क्या मैं तुझे इतनी अच्छी लगती हुं।

तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो मेरी जान अभी तो मैं सिर्फ तुम्हारी कमर के ऊपर का ही नजारा देखकर मरा जा रहा हूं अगर मैं तुम्हारी कमर के नीचे का खूबसूरत बदन देखूंगा तो ना जाने क्या हो जाएगा,,, सच बताओ मेरी जान क्या तुम्हें यह सब अच्छा लग रहा है?

बहुत अच्छा लग रहा है शुभम सच बताऊं तो तूने जिस तरह से मेरी चूचियों को दबा दबा कर उसे मुंह में भर कर पी पी कर मुझे जो मजा दिया है मैंने ऐसा मज़ा आज तक नहीं ले पाई हूं।

ओह,,,, मेरी रानी यही तो मैं चाहता हूं कि मैं जो भी करूं तुम्हें अच्छा लगे तुम्हें ऐसा सुख देना चाहता हूं कि तुम जिंदगी भर मुझे याद रखो,,,( इतना कहते हुए शुभम अपनी हथेली को रुचि के चिकने पेट पर फिराने लगा,,, और पेट पर फिराते फिराते अपनी हथेली को पेट के नीचे की तरफ ले जाकर साड़ी के ऊपर से ही बुर वाली जगह को दबाते हुए बोला,,,,।) मेरी जान सच-सच बताना तुम्हें तुम्हारी खूबसूरत बुर की कसम,,, क्या इस समय तुम्हारी बुर पानी छोड़ रही है,,,।
( शुभम के मस्त बातों से रुचि एकदम मदहोश होने लगी थी उसकी हालत कामोतेजना की वजह से नाजुक होते जा रहे थे उसकी आंखों में खुमारी जा रही थी,,, शुभम के इस तरह के मस्त सवाल सुनकर रोजी की आंखों में चुदाई का नशा साफ झलकने लगा,,, और वह मस्ती भरे अंदाज में बोली,,,,।

हाथ कंगन को आरसी क्या मैं तुम्हारे सामने हूं मेरा खूबसूरत बदन तुम्हारे हाथों में तुम्हारा सवाल खुद जवाब भी है देखना चाहो तो देख सकते हो तुम्हें ना तो मै रोकुंगी और ना ही मेरा वजुद।,,,,( इतना कहते हुए वह शुभम की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए अपने लाल-लाल होठों को अपने ही दांत से काटकर शुभम को उकसाने लगी,,,, शुभम रुचि का यह रुप और उसकी अदाएं देखकर एकदम कामविभोर हो गया,,, और तुरंत अपने हाथ को पेट के नीचे की तरफ से ही बीचोबीच ठुंसी हुई साड़ी के घाट का पकड़ कर खोलने लगा,, शुभम के अगले कदम से रूचि समझ गई कि कुछ ही देर में बात संपूर्ण रूप से महंगी हो जाएगी और उसकी मदमस्त जवानी को सुभम अपना मुंह लगाकर पीना शुरु कर देगा,,, यह सब सोचते हैं उसका पूरा बदन उत्तेजना के मारने झनझना गया,,, और उत्तेजना बस उसकी बुर से मदन रस की बूंदे टपकने लगी।
04-01-2020, 03:29 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
रुचि का संपूर्ण बदन अद्भुत सुख को महसूस करके कसमसा रहा था। शुभम जो कि पक्का औरत बाज हो चुका था वह रुचि की साड़ी की गांठ को अपने हाथों से
पेटीकोट के अंदर से बाहर की तरफ निकाल रहा था,,, सूरन की आंखों की चमक देखकर इतना साफ नजर आ रहा था कि उसे भी रुचि की बुर देखने में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी थी। उसकी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी तभी तो उसकी हर हरकत के साथ ही उसके मुंह से सीईईईई,,,,,, सीईईीई की मादक सिसकारी नीकल रही थी। और शुभम के मुख से निकलने वाली ऐसी उत्तेजक आवाज को सुनकर रुची के काम भावना और भी ज्यादा तीव्र होती जा रही थी। और कुछ ही सेकंड में पलक झपकते ही शुभम ने रुचि के बदन से उसकी साड़ी को अलग करके घास के ढेर में फेंक दिया और इस वक्त रुचि के खूबसूरत मखमली बदन पर केवल पेटीकोट ही नजर आ रही थी,,,, रूचि शुभम की तरफ से ऐसी नजरों से देख रही थी और उसकी आंखों में मदहोशी की खुमारी भरी हुई थी वह आंखों से ही उसकी पेटीकोट को उतारने का प्रलोभन दे रही थी। क्योंकि,,, उन दोनों के बीच मात्र पेटिकोट का पतला पर्दा ही रह गया था। रुचि भी जल्द से जल्द शुभम की आंखों के सामने एकदम नंगी होने के लिए मचल रही थी तभी तो शुभम भी उसके उतावलेपन को समझते हुए अपना हाथ आगे बढ़ा कर पेटीकोट की रेसमी डोरी को थाम लिया, शुभम पूरी तरह से कामोत्तेजना के ज्वऱ में तप रहा था,,, पेटिकोट की डोरी को थामे हुए अपनी तीन ऊंगलियों को पेटीकोट के उस हिस्से में डाल दिया जहां पर पेटीकोट का वह हिस्सा जो हल्का सा फटा हुआ नज़र आता है जबकि वह फटा हुआ नहीं बल्कि उसी तरह के डिजाइन का बना होता है शुभम अपनी तीनों उंगलियों को उस में प्रवेश करा कर,, रुचि के मखमली बदन का एहसास अपने बदन में उतारने लगा,,, रूचि जो कि यही सोच रही थी कि वह शुभम पेटीकोट की डोरी को पकड़कर उसे खींचकर खोल देगा लेकिन उसके इस तरह से पेटिकोट के छेद में से उस के नंगे बदन पर ऊंगलिया फिराने की वजह से उसका तन बदन थरथराने लगा उसके चिकने नंगे पेट पर उत्तेजना की थरथराहट साफ महसूस हो रही थी। उसके थरथराते हुए पेट को देखकर उत्तेजना के मारे सुभम का लंड ठुनकि मारने लगा। शुभम उसी मदहोशी के साथ अपनी उंगलियों को पेटीकोट के उसी छेंद से चारों तरफ घुमाने लगा,,, शुभम की ऊंगलिया पेट के नीचे वाले भाग पर चारों तरफ घूम रही थी। और जल्द ही उसे इस बात का एहसास हो गया कि रुचि ने पेटीकोट के अंदर पेंटी नहीं पहनी है और इस बात को लेकर शुभम और भी ज्यादा कामोत्तेजित हाे गया।,,, अब रुचि को पूरी तरह से नंगी देखने की उसकी भी उत्सुकता कुछ ज्यादा ही जोर मारने लगी,, दूसरी तरफ रुचि शुभम की हरकतों से एकदम पानी पानी हुए जा रही थी रह-रहकर घुटि-घुटि सी सिसकारी उसके मुख से निकल जा रही थी जितनी ज्यादा उत्तेजना का एहसास शुभम करा रहा था।।ईस तरह की ऊत्तेजना का एहसास रुचि को कभी भी ना तो हुआ था और ना ही किसी ने कराया था। इतने मात्र से ही रोजी शुभम की दीवानी हुई जा रही थी अभी तो शुभम का असली खेल बाकी था। शुभम धीरे से पेटिकोट के छेद में से ऊंगलियों को बाहर निकाल लिया,,, और रुची की तरफ देखने लगा,,, इस बार रुची की नजरें जैसे ही सुभम की नज़रों से टकराई शर्म के मारे वह अपनी नजरों को फेर ली, शुभम को रुचिका इस तरह से शर्माना बहुत अच्छा लगा,,,, शुभम और रुचि की नजरों के बीच,,,, एक और चीज नजर आ रही थी जो कि बेहद आकर्षक ढंग से अपना परिचय करा रही थी,,,ओर।वह थी रुची की बड़ी बड़ी गोल चुचीयां जो की उसकी गहरी चल रही सांसो कि लय के साथ ऊपर नीचे हो रही थी,,। और यही चूचियों का उठना बैठना शुभम की उत्तेजना बढ़ा रहा था,,, । रुचि आज पूरी तरह से सुभम के हवाले थी,, इसलिए शुभम भी बेहद सब्र से काम ले रहा था,,,। चूचियों को पकड़कर पीने का लालच उसके मन को फिर से झकझोरने लगा,,, उसके मन में आ रहा था कि एक बार फिर से रुचि की बड़ी-बड़ी चूचियों को थाम कर जी भर के पिए,,, लेकिन इस समय उसके हाथों में रुचि के बेशकीमती खजाने के परदे की डोरी थी,, जिसे खींचते ही बेशकीमती खजाने पर से पर्दा हट जाता और रुची के वग बेशकीमती खजाना शुभम को नजर आने लगता जिस खजाने को देखने के लिए और उसे अपनी हथेली में पकड़कर दबोचने के लिए शुभम ईस समय व्याकुल हुए जा रहा था। और इसी वजह से उसने स्तन मर्दन और स्तन चूसन की लालच को एक तरफ करके बुर दबोचन के लालच की तरफ बढ़ने लगा,,,, कसमसाहट भऱी रुचि क्या खूबसूरत बदन थरथरा रहा था,,,,, उत्तेजना के मारे से शुभम का गला सूख रहा था उसके हाथों में पेटिकोट की रेशमी डोरी थी जिसे वह धीरे-धीरे खींचने लगा था,,, रूचि की नजरें शुभम की उंगलियों में फसी हुई पेटीकोट की डोरी पर ही थी उसे मालूम था कि अगले ही पल वह पूरी तरह से नंगी हो जाएगी इस वजह से उसकी सांसो की गति तेज हो गई थी,,, उसके मन में इस बात से शर्म और उत्तेजना दोनों का मिला जुला असर हो रहा था कि वह अपने से छोटे लगभग उसके बेटे समान ही भांजे के सामने उसके ही हाथों से नंगी होने जा रही थी और अपने से ही छोटे उम्र के लड़के के साथ,,, संभोगरत होने की कल्पना से ही उसके तन-बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी शुभम धीरे-धीरे पेटिकोट की डोरी को खींच रहा था,,, वह चाहता तो एक झटके से ही पेटिकोट की डोरी खोल कर पेटिकोट को नीचे कदमों में गिरा देता लेकिन आहीस्ता आहीस्ता वह जानबूझकर ऐसा कर रहा था क्योंकि धीरे धीरे उत्तेजना बढ़ाने में उसे मजा भी आ रहा था और रुचि की हालत देखने लायक होती जा रही थी क्योंकि निरंतर उसकी सांसो की गति में वृद्धि होती जा रही थी। अगले ही पल शुभम ने पेटीकोट की डोरी को पूरी तरह से खींच कर खोल दिया पेटीकोट पूरी तरह से ढीली हो चुकी थी,,, वह किसी भी वक्त कमर से सरक कर उसके कदमों में गिर सकती थी बस शुभम को पेटिकोट की डोरी अपनी नाजुक उंगलियों से छोड़ने की डेरी थी।,,, कुछ सेकंड के लिए वह खुली हुई डोरी को अपनी उंगलियों में फसाए हुए रुचि की तरफ देखने लगा,,, जो कि इस समय पूरी तरह से मदहोशी में लिप्त हो चुकी थी। शुभम अगले ही पल पेटिकोट की डोरी को अपने हाथों से छोड़ दिया और,,, रूचि के बेश कीमती खजाने पर से पेटीकोट नुमा पर्दा सरकता हुआ रुची के कदमों में जा गिरा,,, अगले ही पल आम के बगीचे में बनी झोपड़ी के अंदर शुभम की आंखों के सामने उसकी छोटी मामी रूचि संपूर्णता पूरी तरह से नंगी खड़ी थी और अपनी छोटी मामी को संपूर्ण रुप से नंगी देखकर उत्तेजना के मारे शुभम का दिल उछलने लगा था। अपलक वह रुचि को देखता ही रह गया उसका गोरा बदन शुभम के ततनबदन में ऊष्मा प्रदान कर रहा था। रूचि को ईस समय बेहद लज्जा का आभास हो रहा है। इस समय वहं शुभम से ठीक से नजरें भी नहीं मिला पा रही थी,,,,। संगमरमर सा बदन झोपड़ी के अंदर अपनी आभा बिखेर रहा था। शुभम रुचि के चेहरे से धीरे-धीरे नजरों को नीचे की तरफ लाकर अपनी नजरों से ही रुचि के खूबसूरत मधुर रस को पी रहा था।रुची के बदन पर कही भी चर्बी का थर जमा हुआ नहीं था। उसके संपूर्ण बदन में चर्बी का माप समतोल आकार में ही था। चिकनी पेट के नीचे त्रिकोण आकार में बना हुआ बदन का आकार बेहद खूबसूरत लग रहा था जिसके बीचो-बीच बुर की पतली दरार नजर आ रहे थीे और उस के बीचो-बीच निकली हुई गुलाब की गुलाबी पंखुड़ियां,,,, बुर की खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे। सबसे ज्यादा उत्तेजना प्रदान करने वाली बात यह थी कि रुचि ने पेटीकोट के अंदर कुछ भी नहीं पहनी थी।,,,, शुभम वासना भरी आंखों से रुचि के रूप यौवन का दर्शन कर रहा था और रुची थी की शर्म के मारे अपनी नजरें दूसरी तरफ फैर ली थी,,, शुभम प्यासा था और रुची की तनरुपी गगरी मधुर रस से भरी हुई थी,, और जिसे पीकर शुभम अपनी प्यास बुझाना चाहता था।,, रुचि के मधरुपी मधुर रस को पीने के लिए उसके तनरुपी गगरी के छेंद में बिना होंठ लगाएं उसके मधुर रस का स्वाद नहीं चखा जा सकता था,,,, अगर मधुर रस का स्वाद चखना है तो ऊसे रुचि के गुलाबी छेद में मुंह लगाना ही था और इस बात से ऊसको बिल्कुल भी इनकार भी नहीं था,,,वह तो ऐसे भीं तड़प रहा ऊसकी बुर पर मुंह लगाकर ऊसके मधुर रस को पीने के लिेए।
04-01-2020, 03:30 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
इसलिए सुभम अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर उसकी गोद आज चिकनी जांघो को पकड़ लिया,,, रूचि एकदम से गनगना गई,,,, शुभम लंबी लंबी सांसे भरते हुए रुचि की रसीली बुर को देख रहा था जिस पर बाल का रेशा तक नहीं था ऐसा लग रहा था कि अभी हाल में ही वह पूरी तरह से साफ की हो,,,, शुभम बुर की पतली दरार पर हल्के से अपनी उंगली रखकर उसकी गर्माहट को महसूस करने लगा,,, और जैसे ही शुभम ने उसके बेशकीमती खजाने पर उंगली रखा वैसे ही तुरंत उत्तेजना के मारे रुचि ने अपने दोनों जांघों को आपस में सिकोड़ ली ओर ऊसके मुख से गर्म सिसकारी निकल गई।
ससससहहहहह,,,, शुभम,,,,, आहहहहहहहहह,,,,
( गरम सिसकारी छोड़ते हुए वह शुभम के हाथ को पकड़ ली,,, उसके हाथ पकड़े होने के बावजूद भी से बम हल्के-हल्के अपनी उंगलियों को फूली हुई बुर पर फिरा रहा था।,,, शुभम औरतों को काबू में करना सीख गया था और उन्हें उनके कौन से अंग को छेड़ने से उन्हें ज्यादा उत्तेजना का अनुभव होता है या अभी वह अच्छी तरह से जानता था,,, इसीलिए तो वहां अपने बीच वाली उंगली को बुर की पतली दरार के बीचो-बीच हल्के हल्के रगड़ते हुए घुमा रहा था,,, रूचि शुभम की हरकत से एकदम चुदवासी हो चुकी थी उसका बदन बुरी तरह से थरथरा रहा था। शुभम के सामने वह पूरी तरह से नंगी खड़ी थी,,, रूचि आज तक अपने नंगे बदन पर किसी मर्द के द्वारा इस तरह की हरकत का सामना नहीं की थी यह सब उसके साथ पहली बार हो रहा था पहली बार ही कोई था जो उसके अंगों से इतना ज्यादा प्यार कर रहा था उसे दुलार रहा था।,,,,, शुभम की भी सांसे बड़ी तेज चल रही थी वह बुर की दरार पर हल्के हल्के अंगुलियों को घुमाता हुआ रुचि से बोला,,,,।

रुंची मेरी जान सच में तुम बहुत खूबसूरत है तुम्हारा संगमरमरी बदन बेहद खूबसूरत है। मैंने आज तक तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत नहीं देखा (शुभम के द्वारा अपनी तारीफ सुनकर रूचि मन ही मन प्रसन्न होते हुए शर्मा भी रही थी)

चल झूठी तारीफ मत कर,,,,

मैं सच कह रहा हूं मामी,,, मुझे अब भी यकीन नहीं हो रहा है कि तुम मेरी आंखो के सामने नंगी खड़ी हो,,, ( इस बार शुभम की बात सुनकर फिर से वह शर्माती हुई अपनी जांघों को सिकोड़ ली,,, और नजरे दूसरी तरफ फेर कर बोली,,,।)

तूने ही तो किया है मुझे नंगी,,,,।

तो क्या करता मामी तुम्हारे खूबसूरत बदन को देखने के लिए मे कब से तड़प रहा था।( उत्तेजना के मारे बुर को अपनी हथेली में दबोचते हुए बोला जिसकी वजह से रुचि की सिसकारी निकल गई,,,।)

ओहहहहहहहह,,,, शुभम यह मामी मामी क्या लगा रखा है।,,,

तो क्या बोलूं मामी तुम्हें,,,,

कुछ भी बोल लेकिन इस समय मुझे माम़ी मत बोल,,,,
( रुचि भी पूरी तरह से शुभम की हरकतों की दीवानी हो चुकी थी वह भी मामी भांजे के रिश्ते को पूरी तरह से भूल चुकी थी,,, वह शुभम के मुख से और सुनना चाहती थी जो कि एक मर्द औरत से प्यार करते समय बोलता है एक प्रेमी अपनी प्रेमिका को ऐसी स्थिति में पुकारता है शुभम भी जल्दी समझ गया कि वह क्या चाहती है इसलिए उसकी बुर से खेलता हुआ बोला,,,।)

रुचि मेरी जान,,, तेरा जवान बदन मेरे होश उड़ा रहा है। मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि मैं इस समय तेरी खूबसूरत बदन से खेल रहा हूं।,,, सच रूचि मैं कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि तुम्हारी बुर इतनी साफ-सुथरी होगी,,,।

क्या मतलब,,,,? ( रुचि आश्चर्य के साथ बोली)

मेरा मतलब है कि मैं कभी सोचा नहीं था कि तुम अपनी बुर को साफ रखती होगी बाल का रेशा तक नहीं है,,, सच बताना मामी मेरा मतलब है रूचि,,, यह साफ करने के लिए उसी ने बोला था ना तुम्हारा दीवाना,,,,
( रुचि शुभम की यह बात सुनकर थोड़ा सकपका गई लेकिन उसे मालूम था कि सुभम से छुपाने जैसा कुछ भी नहीं इसलिए वह बोली,,,।)

तू ठीक है समझ रहा है बालों वाली बुर को चाटने से इंकार कर देता था इसलिए मुझे इसे साफ करना ही पड़ता था,,।( रूचि भी शुभम के सामने बेशर्म बनते हुए बोली।)

सच कहूं तो रानी बिना बाल वाली चिकनी बुर को चाटने का मजा ही कुछ और है,,, मुझे भी चिकनी बुर ही पसंद है,,,( इतना कहते हुए शुभम बुर पर से हाथ हटा कर फिर से उसकी मोटी मोटी जांघों को थाम लिया और थोड़ा सा जांघों को पकड़े हुए ही उसके बदन को अपनी तरफ खींचते हुए बोला,,,।)

देख कैसे कचोरी जैसी फूली हुई है और इसमें से मधुररस टपक रहा है,,,। यही तो मेरी सबसे बड़ी कमजोरी है जब तक तुम्हें जी भर के औरत की दूर करना जीभ लगाकर चाट ना जाऊ तब तक उन्हें चोदने में मजा नहीं आता,,,
( रुचि शुभम की ऐसी गंदी और खुली हुई बातें सुनकर एकदम से उत्तेजना से भर गई उसे शुभम की बातों से बेहद आनंद मिल रहा था। और वह बोली,,,।)

पक्का हरामी है रे तू कितना भोला भाला तू लगता है उतना ही शैतान है।

क्या करूं मेरी जान तेरी जैसी औरतो ने हीं मुझे हरामी बना दिया।,,,,,, ( इतना कहते हुए शुभम ने उसकी दूर को फैलाते फैलाते अपने बीच वाली उंगली को उस की रसीली बुर के अंदर उतार दिया,, उसकी बुर उसके ही नमकीन पानी से पूरी तरह से गीली हो चुकी थी इसलिए एक झटके से पूरी की पूरी उंगली बुर की गहराई तक समा गई,,,, एकाएक शुभम की ऐसी हरकत की वजह से रुचि की लगभग चीख निकल गई,,,,,।


आहहहहहहहहह,,,,,, हरामी यह क्या कर रहा है रे,,,

वही कर रहा हूं मेरी जान जो एक आदमी को एक औरत के साथ करना चाहिए मैं तेरी बुर की गहराई नाप रहा हुं। मैं अपने लंड के लिए रास्ता बना रहा हूं,,,।

तो ऐसे कोई रास्ता बनाता है कितना दर्द करने लगा,,,,

दर्द में ही तो मजा है मेरी रानी अभी तो सिर्फ उंगली गई है जब मेरा बुरा लग जाएगा तब पता नहीं तु कैसे,, सहेगी,,,,( शुभम अपनी उंगली कौ ऊसकी बुर के अंदर बाहर करते हुए बोला,,,)

सह लूंगी तू डाल के तो देख तुझे भी पूरा का पूरा अंदर ले लूंगी,,,( रुचि एकदम बदहवास होकर मदहोशी के आलम मे बोले जा रही थी। वह एकदम से चुदवासी हो चुकी थी उसकी बुर लंबे मोटे लंड के लिए तड़पने लगी थी,,,, शुभम को रूची का इस तरह से ललकारना और उसे चोदने के लिए उकसाना बेहद प्रभावित कर गया था रुची चाह रही थी कि शुभम ऊसकी बुर में अपना लंड डाल कर उसे चोदना शुरू कर दें,,,, क्योंकि वह पूरी तरह से चुदवाने के लिए तड़प रही थी लेकिन यही तो शुभम की खासियत थी वह कभी भी जोश में होश नहीं खोता था। औरतों को पूरी तरह से चुदवासी बनाकर उसे चोदता था तभी तो चोदने का आनंद और भी ज्यादा बढ़ जाता था,,। रुचि पूरी तरह से गहरी गहरी सांसे ले रही थी, उत्तेजना के मारे ऊसकी बुर फुल पीचक रही थी।,,,, रुचि की यह हालत शुभम से भी देखी नहीं जा रही थी जिस तरह से उसकी गुरु उत्तेजना के मारे फुल रही थी और पीचक रही थी उसे देखते हुए किसी भी समय, उसकी बुर अपना मलाई बाहर झटक सकती थी,,,। और सुभम उसकी बुर से निकली हुई मलाई को अपनी जीभ से चाट कर इसका स्वाद चखना चाहता था,, इसलिए एक पल की भी देरी किए बिना वह झट से अपना मुंह बुर पर लगा दिया और अपनी जीभ को तुरंत उसकी बुर की पतली दरार में घुसा कर चाटना शुरु कर दिया,,,, शुभम की इस हरकत पर रुचि पूरी तरह से गनगना गई, उसका पूरा वजूद कांप गया उसे यकीन नहीं हो रहा था कि यह सब हकीकत है,, उसे यह सब सपना ही लग रहा था क्योंकि,,, शुभम को खुद ही वह उसकी हरकत पर डांट फटकार चुकी थी,, वह अपना तन बदन शुभम को सोंपने के लिए कभी भी तैयार नहीं थी,,, लेकिन इस समय नजारा कुछ और ही था आम की बगिया में वह खुद शुभम से अपनी बुर चटवा रही थी। युवा जोश में आकर शुभम के बाल को दोनों हाथों से अपनी मुट्ठी में भींच ली थी,,, सुभम भी पूरे जोश के साथ अपनी जीभ के कोर को उसकी बुर की दरार में डालकर जीभ से ऊसकी बुक के दाने पर चोट कर रहा था,,, और शुभम की यह हरकत रुचि की उत्तेजना को तीव्र गति से बढ़ा रहीे थी,,,। जिस गर्मजोशी के साथ शुभम उसकी बुर को चाट रहा था रूचि अपने आप पर बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं कर पाई और भलभलाकर झड़ना शुरु कर दी,,, शुभम भी प्यासे की तरह रुचि की बूर से निकल रहे मदन रस की बुंदो को जीभ से चाट चाट कर अपने गले के नीचे उतारने लगा,,,, शुभम के हाथों पहली बार रुचि झढ़ चुकी थी,, और जिस तरह से शुभम मे बिना चोदे ही उसे झाड़ा था रुचि पूरी तरह से शुभम की दीवानी हो चुकी थी वह यह सोच कर और भी ज्यादा रोमांचित हो रही थी कि जब यह केवल अपनी जीभ से ही उसका पानी निकाल दिया जब यह अपना मोटा लंड उसकी बुर में डालकर चोदेगा तब क्या होगा,,, यह सोचकर उसके मन में उथल पुथल मची हुई थी शुभम रूचि के झड़ जाने के बाद भी,,, लगातार उसकी बुर को चाटे जा रहा था,,, क्योंकि वह रुची के साथ पूरी तरह से मजा लेना चाहता था और उसे भी मजा देना चाहता था।
04-02-2020, 04:53 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम यह जानता था कि रूचि झड़ चुकी है लेकिन फिर भी वह उसकी बुर को अपने होंठ लगाकर जीभ से चाटे जा रहा था,, क्योंकि उसे मालूम था कि झड़ने के बाद रुचि की उत्तेजना शिथिल पड़ने लगेगी जो कि वह बिल्कुल भी नहीं चाहता था,,, क्योंकि अगर ऐसा हो गया तो इस समय झड़ने के तुरंत बाद उसे चोदने में उतना मजा नहीं आएगा जितना कि वह पूरी तरह से जोश से भरी हो तब आता,,,, इसलिए शुभम रुचि की उत्तेजना को जरा सा भी कम नहीं होने देना चाहता था,, और वह अपनी जीभ को बुर की गुलाबी पत्तियों में डालकर उसके बुर के दाने को चाट रहा था,,,, इसका असर जल्द ही शिथिल पड़ रही रुचि पर होने लगा,,, एक बार पानी फेंक देने के कुछ मिनट बाद ही रुचि के मुख से फिर से सिसकारी की आवाज गूंजने लगी,,, और शुभम की हालत भी पल-पल खराब हुए जा रही थी शुभम लगातार उसकी बुर के गुलाबी दाने को जीभ से चोट करते हुए उसे चाटने का आनंद ले भी रहा था और रुची को मदमस्त भी किए जा रहा था,। रुचि के भजन में जिस तरह की उत्तेजना की थरथराहट हो रही थी उसने आज तक कभी भी इस तरह की थरथराहट को महसूस नहीं की थी और ना ही इतनी जल्दी तुरंत ही दूसरी बार उत्तेजना की परम शिखर पर पहुंची थी,,,। इसलिए तो वह आज अपनी हालत पर एकदम हैरान थी और शुभम के लाजवाब हरकतों का वह सिर्फ गरम सिसकारियों के साथ ही जवाब दे पा रही थी। समझ गई थी कि शुभम पहुंचा हुआ खिलाड़ी है वरना अब तक तो दूसरा कोई होता है तो काम खत्म करके अपने काम पर लग गया होता लेकिन यह शुभम डँटा हुआ है। रुचि की सांसे फिर से गहरी होती जा रही थी आज उसे बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी उसे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर उसके बदन में आज अजीब अजीब सी हलचल क्यों हो रही है आखिर इससे पहले भी तो उसने बूर चटवाने का मजा लूट चुकी है,,, फिर आज क्यों पहले से भी अधिक आनंद की अनुभूति उसे हो रही है,,,, क्या पहले जो चाटता था उसे ठीक से आता नहीं था या वह औरत को खुश करने का तरीका नहीं जानता था,,,, यही सब सोचकर वह हैरान हुए जा रही थी,,, की जिसके साथ भी वह संबंध बनाई थी, वह लोग परिपक्व होने के बावजूद भी औरत को खुश करने के मामले में नादान ही थे,,, और सुभम नादानियातं से भरी उम्र में भी औरत को खुश करने के मामले में पूरी तरह से परिपक्व और काबिले तारीफ था।,,,,
संपूर्ण रूप से नग्नावस्था में खड़ी होकर शुभम के द्वारा बुर चटाई का रुचि पूरी तरह से आनंद लूट रही थी वह उत्तेजना के मारे अपनी बुर को गोल-गोल घुमाकर उसके चेहरे पर रगड़ भी रही थी,,,,,

सससहहहह,,,, शुभम तूने तो मुझे पागल कर दिया है आज तक मुझे ऐसा मजा कभी नहीं आया,,, तो औरतों को खुश करने में एकदम माहिर है।( इतना ही कही थी कि तुरंत उसके मुंह से हल्की सी चीख निकल गई क्योंकि रुचि की बातें सुनकर शुभम एकदम से जोश में आ गया था और बुर की गुलाबी पत्ती को दांतो तलेें दबा दिया था,,।)
आहहहहहहहह,,,,, शुभम,,,, क्या कर रहा है हरामी ऐसे भी कोई करता है क्या,,,।

कोई करे ना करे लेकिन मैं तो जरूर करता हूं क्या करूं जानेमन तेरी बुर है ही इतनी खूबसूरत कि मुझ से रहा नहीं जा रहा है।( एक पल के लिए शुभम अपने होठों को उसकी रसीली बुर से हटा कर बोला और वापस बुर में जुट गया,,, और शुभम की बात सुनकर रूचि प्रसन्नता के साथ साथ लज्जित हो गई,,,। और फिर से वह बुर चुसाई का मजा लेने लगी। घर पर शादी की तैयारी कर रहे लोग इस बात से बिल्कुल अनजान थे कि एक मां समान मामी एक बेटी समान भांजे के साथ एकदम नंगी होकर के उससे अपना बूर चटवा रही होगी,,, कामप्यासी औरत का बहक जाना लाजिमी होता है।,,
शुभम अपने दोनों हाथों से उसकी बड़ी-बड़ी नितंबों की फांकों को पकड़कर अपनी जीभ से लपालप उसकी बुर की मलाई चाट रहा था।,,,रुची पुरी तरह से चुदवासी हो गई थी।ऊसके मुख से गर्म सिसकारी लगातार छुट रही थी।

ओहहहह शुभम मुझसे रहा नहीं जा रहा है मेरी बुर में आग लगी हुई है मुझे तेरे लंड की जरूरत है,,, अब बस कर मेरी बुर में लंड डालकर चोद मुझे,,, ( रूचि एकदम से चुदवासी होकर अपनी बुर को उसके चेहरे पर रगड़ते हुए बोल रही थी। उत्तेजनावश अपनी कमर को हल्के हल्के आगे पीछे करते हुए शुभम के चेहरे पर धक्के भी लगा रही थी। रूचि कि मदहोशी देखकर शुभम समझ गया कि अब बिल्कुल भी देर करना उचित नहीं है,,,, इसलिए वह भी जल्दी से अपने होठों को ऊसकी बुर पर से हटा दिया क्योंकि उसका लंड भी पूरी तरह से फुल चुका था और उसमे दर्द हो रहा था,,,, शुभम जल्दी से खड़ा हुआ और अपने भी कपड़े निकाल कर एकदम नंगा हो गया,,, रूचि शुभम का नंगा बदन देखकर एकदम से रोमांचित हो गई चौड़ी छाती गठीला बदन,,, देखकर रुची पूरी तरह से शुभम के प्रति आकर्षित हो गई,,, उससे रहा नहीं गया और वह तुरंत सुभम से लिपट गई,, उसकी नंगी छातियों पर अपने होठों के निशान छोड़ने लगी साथ ही साथ ऊत्तेजना के मारे वह उसकी छातियों को अपने दांतो से काट भी ले रही थी,,, रुचि पूरी तरह से कामातुर होकर उसकी छातियों से खेल रही थी और साथ ही एक हाथ नीचे ले जा कर उसके मोटे टनटनाए लंड को थामकर हिलाना शुरू कर दि,, शुभम के साथ साथ में रुची को इतना ज्यादा मजा आ रहा था कि,,, ऊसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें,,, इसलिए वह तुरंत सूखी घास पर घुटनों के बल बैठ गई शुभम समझ गया कि अब वह क्या करने वाली है,,, इसके लिए सुभम ऊसे कहने ही वाला था,,, लेकिन उसके कहने से पहले ही रुचि अपने लाल-लाल होठों को खोलकर शुभम के मोेंटो लंड के सुपाड़ें को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरु कर दी।,,, रुचि को इस बार कुछ नया ही एहसास हो रहा है क्योंकि अब तक उसने इतना मोटा लंड अपने मुंह में लेकर चुसी नहीं थी। इसलिए उसे एक नया अनुभव और उसके तन बदन को नया एहसास हो रहा था,,,, शुभम भी उत्तेजना के मारे उसके मुंह में ही धक्के लगाना शुरु कर दिया था,,,। कुछ देर तक ऐसे ही अपनी कमर हिलाने पर शुभम को लगने लगा कि अगर कुछ देर और उसके मुंह में लंड को रहने दिया तो उसका लंड पानी छोड़ देगा,,,, इसलिए वह तुरंत अपने लंड को रुचि के मुंह से बाहर निकाल लिया,,,दोनो की सांसे बड़ी तेज चल रही थी।,, रुचि अभी भी ललचाई आंखों से उसके लंड की तरफ देख रही थी। और उसे ईस तरह से ललचाई आंखों से देखता हुआ पाकर शुभम बोला,,,।
04-02-2020, 04:53 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम यह जानता था कि रूचि झड़ चुकी है लेकिन फिर भी वह उसकी बुर को अपने होंठ लगाकर जीभ से चाटे जा रहा था,, क्योंकि उसे मालूम था कि झड़ने के बाद रुचि की उत्तेजना शिथिल पड़ने लगेगी जो कि वह बिल्कुल भी नहीं चाहता था,,, क्योंकि अगर ऐसा हो गया तो इस समय झड़ने के तुरंत बाद उसे चोदने में उतना मजा नहीं आएगा जितना कि वह पूरी तरह से जोश से भरी हो तब आता,,,, इसलिए शुभम रुचि की उत्तेजना को जरा सा भी कम नहीं होने देना चाहता था,, और वह अपनी जीभ को बुर की गुलाबी पत्तियों में डालकर उसके बुर के दाने को चाट रहा था,,,, इसका असर जल्द ही शिथिल पड़ रही रुचि पर होने लगा,,, एक बार पानी फेंक देने के कुछ मिनट बाद ही रुचि के मुख से फिर से सिसकारी की आवाज गूंजने लगी,,, और शुभम की हालत भी पल-पल खराब हुए जा रही थी शुभम लगातार उसकी बुर के गुलाबी दाने को जीभ से चोट करते हुए उसे चाटने का आनंद ले भी रहा था और रुची को मदमस्त भी किए जा रहा था,। रुचि के भजन में जिस तरह की उत्तेजना की थरथराहट हो रही थी उसने आज तक कभी भी इस तरह की थरथराहट को महसूस नहीं की थी और ना ही इतनी जल्दी तुरंत ही दूसरी बार उत्तेजना की परम शिखर पर पहुंची थी,,,। इसलिए तो वह आज अपनी हालत पर एकदम हैरान थी और शुभम के लाजवाब हरकतों का वह सिर्फ गरम सिसकारियों के साथ ही जवाब दे पा रही थी। समझ गई थी कि शुभम पहुंचा हुआ खिलाड़ी है वरना अब तक तो दूसरा कोई होता है तो काम खत्म करके अपने काम पर लग गया होता लेकिन यह शुभम डँटा हुआ है। रुचि की सांसे फिर से गहरी होती जा रही थी आज उसे बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी उसे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर उसके बदन में आज अजीब अजीब सी हलचल क्यों हो रही है आखिर इससे पहले भी तो उसने बूर चटवाने का मजा लूट चुकी है,,, फिर आज क्यों पहले से भी अधिक आनंद की अनुभूति उसे हो रही है,,,, क्या पहले जो चाटता था उसे ठीक से आता नहीं था या वह औरत को खुश करने का तरीका नहीं जानता था,,,, यही सब सोचकर वह हैरान हुए जा रही थी,,, की जिसके साथ भी वह संबंध बनाई थी, वह लोग परिपक्व होने के बावजूद भी औरत को खुश करने के मामले में नादान ही थे,,, और सुभम नादानियातं से भरी उम्र में भी औरत को खुश करने के मामले में पूरी तरह से परिपक्व और काबिले तारीफ था।,,,,
संपूर्ण रूप से नग्नावस्था में खड़ी होकर शुभम के द्वारा बुर चटाई का रुचि पूरी तरह से आनंद लूट रही थी वह उत्तेजना के मारे अपनी बुर को गोल-गोल घुमाकर उसके चेहरे पर रगड़ भी रही थी,,,,,

सससहहहह,,,, शुभम तूने तो मुझे पागल कर दिया है आज तक मुझे ऐसा मजा कभी नहीं आया,,, तो औरतों को खुश करने में एकदम माहिर है।( इतना ही कही थी कि तुरंत उसके मुंह से हल्की सी चीख निकल गई क्योंकि रुचि की बातें सुनकर शुभम एकदम से जोश में आ गया था और बुर की गुलाबी पत्ती को दांतो तलेें दबा दिया था,,।)
आहहहहहहहह,,,,, शुभम,,,, क्या कर रहा है हरामी ऐसे भी कोई करता है क्या,,,।

कोई करे ना करे लेकिन मैं तो जरूर करता हूं क्या करूं जानेमन तेरी बुर है ही इतनी खूबसूरत कि मुझ से रहा नहीं जा रहा है।( एक पल के लिए शुभम अपने होठों को उसकी रसीली बुर से हटा कर बोला और वापस बुर में जुट गया,,, और शुभम की बात सुनकर रूचि प्रसन्नता के साथ साथ लज्जित हो गई,,,। और फिर से वह बुर चुसाई का मजा लेने लगी। घर पर शादी की तैयारी कर रहे लोग इस बात से बिल्कुल अनजान थे कि एक मां समान मामी एक बेटी समान भांजे के साथ एकदम नंगी होकर के उससे अपना बूर चटवा रही होगी,,, कामप्यासी औरत का बहक जाना लाजिमी होता है।,,
शुभम अपने दोनों हाथों से उसकी बड़ी-बड़ी नितंबों की फांकों को पकड़कर अपनी जीभ से लपालप उसकी बुर की मलाई चाट रहा था।,,,रुची पुरी तरह से चुदवासी हो गई थी।ऊसके मुख से गर्म सिसकारी लगातार छुट रही थी।

ओहहहह शुभम मुझसे रहा नहीं जा रहा है मेरी बुर में आग लगी हुई है मुझे तेरे लंड की जरूरत है,,, अब बस कर मेरी बुर में लंड डालकर चोद मुझे,,, ( रूचि एकदम से चुदवासी होकर अपनी बुर को उसके चेहरे पर रगड़ते हुए बोल रही थी। उत्तेजनावश अपनी कमर को हल्के हल्के आगे पीछे करते हुए शुभम के चेहरे पर धक्के भी लगा रही थी। रूचि कि मदहोशी देखकर शुभम समझ गया कि अब बिल्कुल भी देर करना उचित नहीं है,,,, इसलिए वह भी जल्दी से अपने होठों को ऊसकी बुर पर से हटा दिया क्योंकि उसका लंड भी पूरी तरह से फुल चुका था और उसमे दर्द हो रहा था,,,, शुभम जल्दी से खड़ा हुआ और अपने भी कपड़े निकाल कर एकदम नंगा हो गया,,, रूचि शुभम का नंगा बदन देखकर एकदम से रोमांचित हो गई चौड़ी छाती गठीला बदन,,, देखकर रुची पूरी तरह से शुभम के प्रति आकर्षित हो गई,,, उससे रहा नहीं गया और वह तुरंत सुभम से लिपट गई,, उसकी नंगी छातियों पर अपने होठों के निशान छोड़ने लगी साथ ही साथ ऊत्तेजना के मारे वह उसकी छातियों को अपने दांतो से काट भी ले रही थी,,, रुचि पूरी तरह से कामातुर होकर उसकी छातियों से खेल रही थी और साथ ही एक हाथ नीचे ले जा कर उसके मोटे टनटनाए लंड को थामकर हिलाना शुरू कर दि,, शुभम के साथ साथ में रुची को इतना ज्यादा मजा आ रहा था कि,,, ऊसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें,,, इसलिए वह तुरंत सूखी घास पर घुटनों के बल बैठ गई शुभम समझ गया कि अब वह क्या करने वाली है,,, इसके लिए सुभम ऊसे कहने ही वाला था,,, लेकिन उसके कहने से पहले ही रुचि अपने लाल-लाल होठों को खोलकर शुभम के मोेंटो लंड के सुपाड़ें को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरु कर दी।,,, रुचि को इस बार कुछ नया ही एहसास हो रहा है क्योंकि अब तक उसने इतना मोटा लंड अपने मुंह में लेकर चुसी नहीं थी। इसलिए उसे एक नया अनुभव और उसके तन बदन को नया एहसास हो रहा था,,,, शुभम भी उत्तेजना के मारे उसके मुंह में ही धक्के लगाना शुरु कर दिया था,,,। कुछ देर तक ऐसे ही अपनी कमर हिलाने पर शुभम को लगने लगा कि अगर कुछ देर और उसके मुंह में लंड को रहने दिया तो उसका लंड पानी छोड़ देगा,,,, इसलिए वह तुरंत अपने लंड को रुचि के मुंह से बाहर निकाल लिया,,,दोनो की सांसे बड़ी तेज चल रही थी।,, रुचि अभी भी ललचाई आंखों से उसके लंड की तरफ देख रही थी। और उसे ईस तरह से ललचाई आंखों से देखता हुआ पाकर शुभम बोला,,,।
04-02-2020, 04:53 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
ऐसे क्या देख रही है मेरी जान,, यह तेरा ही है। ( अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए बोला,,,)

अगर मेरा ही है तो अब तक बाहर क्यों है मेरी बुर के अंदर क्यों नहीं,,,?

बस अब जाने ही वाला है,,,,।( इतना कहने के साथ ही वह घास पर झुकने लगा,,,, रूचि समझ गई कि आप उसे क्या करना है इसलिए वह गहरी सांस लेते हुए सूखी हुई घास पर पीठ के बल लेट गई,,,, शुभम जल्द ही उसकी जांघों को फैलाकर अपने लिए जगह बना लिया और तुरंत अपने लंड के सुपाड़े को उसकी गीली बुर पर रखकर एक जोरदार धक्का लगाया लंड का सुपाड़ा तुरंत सरकते हुए रुचि की रसीली बुर में समा गया,,, रुची की बुर में अब तक ईतना मोटा लंड कभी नहीं गया था,,, इसलिए शुभम के इस वार पर उसके मुंह से चीख निकल गई,,,, और उसकी चीख सुनकर उसकी जांघो को अपनी हथेली में दबेचते हुए बोला,,,,

क्या हुआ मेरी जान बस इतने से चिल्लाने लगी तुम तो कहती थी कि मैं तुमको पूरा अपने अंदर ले लूंगी,,,,

थोड़ा संभलने का मौका तो दिया होता यु एकाएक हमला करेगा तो किसी के पास भी बचने का समय नहीं रहेगा,,,,।,,,

मेरी जान प्यार में और वार में मौका नहीं दिया जाता तभी तो मजा आता है (इतना कहने के साथ फिर से एक करारा झटका मारा और इस बार उसका मोटा लंड सब कुछ चीरता हुआ बुर की गहराई में समा गया,,,, रुचि अपने आपको संभाल नहीं पाई और उसके मुख से जोरों की चीख निकल गई,,, वह तो अच्छा हुआ कि बगीचे में और दूर-दूर तक कोई नहीं था वरना लोग इकट्ठा होने लगते वह दर्द से कराहते हुए बोली,,,।)

हरामजादे मैं कहीं भागी चली जा रही थी क्या जो इस तरह से जानवरों की तरह डाल दिया,,,।

कुछ नहीं मेरी जान मैं तेरा दम देखना चाहता था,,,।

साले कुत्ते जान निकालकर दम देखना चाहता है,,,।

क्या करूं मेरी रानी प्यार से चोदने लायक तू नहीं है तुझे देखते ही आंखों में दस बोतलों का नशा चढ़ जाता है,,,। बहुत नशा भरा है तेरे इस नशीले बदन में,,,, देख तेरी गुलाबी बुर कैसे फैल गई है,,,,( शुभम अपने लंड को उसकी बुर के अंदर बाहर करते हुए बोला रुचि भी सौतन की बात सुनकर अपनी नजरें उठाकर अपनी टांगों के बीच में देखने लगी तो वह भी हैरान रह गई,,, सच में उसकी बुर की गुलाबी पत्तियां एकदम से चोड़ी हो गई थी,,, जोंकि अब तक किसी ने भी नहीं कर पाया था,, रूचि को इस तरह से हैरान होकर देखते हुए देखकर सुभम मुस्कुराते हुए बोला।,,,,

देख मेरी जान इस तरह से तेरी बुर को उसने भी नहीं फैलाया होगा जो कल रात को तेरी चुदाई कर रहा था।
( ऐसा कहते हुए शुभम जोर-जोर से अपने लंड को उसकी बुर में पेल रहा था,,, हर धक्के के साथ रुची गरम सिसकारियां निकल जा रही थी,,,

आहहहहहहहह,,,,,, आहहहहहहहह,,,,, शुभम थोड़ा धीरे तेरा धक्का मुझसे सहा नहीं जा रहा है सच में तेरा लंड बहुत दमदार है,,,,।

मेरी जान मेरा लंड दमदार है तभी तो तू मेरे नीचे लेटी हुई है वरना मुझे भाव भी नहीं दे रही थी,,,।

सच रे शुभम मुझे पहले पता होता तो मैं खुद ही तेरे पास आ गई होती,,,,

चल कोई बात नहीं मेरी जान देर से ही सही लेकिन आई तो,,, देख मैं तुझे इतना मस्त चुदाई का मजा दूंगा की तु जिंदगी भर मुझे और मेरे लंड को याद रखेगी,,,, (इतना कहते हुए शुभम ताबड़तोड़ लंड का वार ऊसकी रसीली बुर के अंदर करने लगा,,, शुभम इतनी तेज अपनी कमर चला रहा था की रुूची को बिल्कुल भी संभलने का मौका नहीं मिल रहा था। लेकिन आज चुदवाने का जो मजा उसे मिल रहा था ऐसा मजा उसे आज तक नहीं मिल पाया,,,, शुभम रुचि को अपनी बाहों में भर कर अपनी कमर हिला रहा था जिससे उसकी बड़ी बड़ी चूचियां उसकी नंगी छातियों से चिपकी हुई थी,,, और दोनों का बदन चुदास भरी गर्मी से तप रहा था। शुभम रुची को अपनी बाहों में भरकर धक्के पर धक्के लगा रहा था।
जिससे दोनों का मजा दुगना हो रहा था। झोपड़ी के अंदर रुचि की गरम सिस्कारियां गूंज रही थी,,,। शुभम का मोटा लंड पूरे का पूरा रुचि की बुर की गहराइयों में डूब जा रहा था। शुभम जल्दी-जल्दी उसे चोदते हुए अपने दोनों हाथों से उसकी दोनो चुचियों को पकड़कर मसलने लगा,,, जिससे रुचि को थोड़ा दर्द का एहसास भी हो रहा था लेकिन मज़ा भी उतना आ रहा था,,,। रुचि भी रह-रहकर नीचे से अपनी कमर को ऊपर उठाने की कोशिश कर रही थी लेकिन शुभम के धक्के इतने ताकतवर थे की रूचि पूरी तरह से नीचे से धक्के लगा ही नहीं पा रही थी शुभम पूरी तरह से उस पर छा चुका था तभी उसकी चूचियों को दवाता तो कभी उसकी पतली कमर को अपनी हथेली में भरकर मसलने लगता,,, जिस दर्द के साथ शुभम रुचि से संभोग कर रहा था रुचि हवा में उड़ रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि शुभम जैसा भोला भाला लड़का ऊसकी जबरदस्त चुदाई कर लेगा । लेकिन यह हकीकत ही था इसमें कोई दो राय नहीं थी,,, कि शुभम अपनी ताकत से और अपने दमदार लंड से रुचि को झूला झूला रहा था।
04-02-2020, 04:53 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
रुचि पूरी तरह से उसके तन बदन से लिपट चुकी थी, थोड़ी देर तक ऐसे चोदने के बाद शुभम तुरंत अपना लंड ऊसकी बूर से बाहर निकाला और उसकी पतली कमर पकड़ कर उसे घोड़ी बनने को कहा,,, रुूची भी समय की नजाकत को समझ कर तुरंत घोड़ी बन गई,,, लेकिन उसके मन में शंका था कि क्या पीछे से सुभम उसकी बुर में अच्छी तरह से लंड डाल लेगा। क्योंकि अभी तक उसने इस तरह से कभी भी मजा नहीं ले पाई थी और उसके आशिक द्वारा दो तीन बार कोशिश करने पर ही सफल हो पाता था इसलिए शुभम के प्रति उसे थोड़ा बहुत शंका था लेकिन मन में अजीब सी हलचल मची हुई थी,,, पर वह यह नहीं जानती थी कि सुभम किसी भी औरत को किसी भी तरह से झूला झुलाने में पूरी तरह से सक्षम है। और शुभम अपनी सछमता को साबित करते हुए पहली बार में ही अपने मोटे लंबे लंड को उसकी बुर की गहराई में उतार दिया,,,, रुचि तो एकदम से हैरान हो गई उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जो कुछ भी हुआ वह एकदम वास्तविक है क्योंकि वह जानती थी कि उसकी वहां का उधर कुछ ज्यादा ही बाहर की तरफ निकला हुआ है जिसकी वजह से पीछे से लंड डालने में तकलीफ होती है,,,,, लेकिन वास्तविकता नहीं थी कि सुभम में पहली बार में ही उसकी बुर की गहराई में पीछे से अपने लंड को उतार दिया था,,, शुभम पहले से ही औरतों को पीछे से चोदने े में माहीर था। बड़ी बड़ी गांड को अपने हाथों में लेकर चोदने में शुभम को बड़ा मजा आता था और वह इस समय यही कर रहा था रुचि भी एकदम पागलों की तरह अपनी बड़ी बड़ी गांड को पीछे की तरफ ठेल कर शुभम के लंड को लेने मैं मस्त हो गई थी। रुचि के मन में सुभम के प्रति अब किसी भी प्रकार का कोई भी संदेह नहीं रह गया था। रूचि अच्छी तरह से समझ गई थी कि शुभम संपूर्ण रूप से पूरा मर्द था जिससे चुदवाने के बाद कोई भी औरत उसकी गुलाम बनना पसंद करती,, रुचि खुद उसकी गुलाम हो चुकी थी। मन ही मन वह शुभम को ढेर सारी दुआएं दे रही थी,,,, क्योंकि जितनी देर से शुभम टिका हुआ था वह कभी सपने में भी नहीं सोच पाई थी कि कोई इतनी देर तक उसकी चुदाई कर पाएगा,,, करीब 40 मिनट गुजर गया था इतनी देर में रुचि एक बार और झड़ गई थी और दूसरी बार झड़ने की कगार पर थी। शुभम का भी पानी निकलने वाला था इसलिए उसने अपने ्धक्को की गति तेज कर दिया था। और कुछ ही देर में दोनों एक साथ अपना अपना पानी फेंककर झड़ने लगे।,,,,
रूचि जिस सुख का अनुभव आज की थी,,, खुशी के मारे उसकी आंखों से आंसू आ गए थे वह मन ही मन शुभम को दुआएं दे रही थी और यह काम ना करके मन मसोसकर रह जा रही थी कि शुभम जैसा उसका आदमी कोई नहीं है जिंदगी भर ऊसे इस तरह की चुदाई का सुख देता रहे।
कुछ देर तक दोनों संपूर्ण नग्नावस्था में एक दूसरे से लिपटे हुए वही सूखी घास पर लेटे रहे,,, शुभम उसकी चूचियों से खेलता रहा और रुचि उसके ढीले लंड से खेलते खेलते फिर से उसे खड़ा कर दी,,, इस बार रुचि खुद शुभम के ऊपर सवार हो गई हो उसके लंड को अपनी बुर की गहराई में उतार कर शुभम को चोदने का आनंद लुटने लगी,,,,

रुच चाहती तो शाम ढलने से पहले ही घर की तरफ जा सकती थी,,, लेकिन जब तक अंधेरा नहीं जाने लगा तब तक वह उसी झोपड़ी में शुभम से चुदती रही क्योंकि वह जानती थी कि आज जो मौका मिला है ऐसा मौका फिर कभी नहीं मिलने वाला था वह पूरी तरह से तृप्त हो चुकी थी। और अंधेरा ढलने के साथ ही दोनों घर की तरफ रवाना हो गए।


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