04-29-2020, 01:01 PM,
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hotaks
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RE: Incest Porn Kahani चुदाई घर बार की
मैं... हाँ यार ये तो है लेकिन फिर भी गावँ मैं इस से ज़्यादा क्या होता होगा जो यहाँ कर सकते हैं
सलीम... विकी क्या तूने ने कभी सोचा है की तेरे घरवाले तुमको बहार किसी से मिलने और दोस्ती करने कयूं नहीं देते मैं... यार बस इसलिए की मैं उन का एक ही लड़का हूँ और वो नहीं चाहते की मैं बिगड़ जाओं
सलीम चल, इस बार गावँ जाने के बाद तो अगर कोशिश करके बहार निकल सके तो मेरे पास आ जाना मैं तुम्हे ऐसा काम भी अपने गावँ का बतऊँगा और दिखूंगा की तू तो यक़ीन ही नहीं करेगा
उसके बाद सलीम मेरे पास से उठ के चला गया और मुझे सोच मैं पढ़ गया की आख़िर गावँ मैं ऐसा क्या है जो सलीम मुझे दिखना और बताना चाहता है लेकिन इसके साथ मुझे जो कभी कभार चूत मिल जाती थी पैसों से ही सही अब 2-3महीने तक नहीं मिलेगी, और गावँ में मुठ मरूँगा
कॉलेज के छुट्टियां गो गई तो मैं और सलीम एक ही गांव के रहने वाले थे इसलिए एक साथ ही हॉस्टिल से निकले और बस स्टॉप की तरफ चल पड़े जहाँ से हुमारे गावँ की बस मिलना थी
जब हम बस स्टॉप पहुंचे तो पता चला क अभी बस आने मैं थोडा टाइम बाकी है
और स्टॉप पर भी कोई 2 3 लोग ही बैठे थे बस के इंतज़ार मैं तो हम दोनो भी वहाँ बैठे लोगों से ज़रा हट के बैठ गये और बस का इंतजार करने लगे की तभी सलीम बोला यार विकी अगर हो सके तो शाम को मेरी तरफ आ जाना
मैं....कहा भाई कोई ख़ास बात है जो तो अभी नहीं बता रहा और शाम मैं आने को बोल रहा है
सलीम... हाँ यार मैं सोच रहा हूँ की आज की शाम थोडा अंधेरा होते ही तुझे भी अपने गावँ की चुत का रस चखा ही दूँ
मैं... थोडा हैरानी से सलीम की तरफ देख के बोला क्या मतलब् मैं समझा नहीं,क्या तूने ने पहले ही से किसी को पटा रखा है
सलीम.... यार पटाई तो कई हैं लेकिन आज जिस के साथ तुझे ऐश करवाऊंगा वो कुछ खास है
और उसके साथ करने से तुझे दुनिया मैं होने वाली कई घटनाओ के बारे भी पता चल जाएगा,समझा
मैं... यार ऐसी क्या बात है उस मैं, क्या वो कोई टीचर है जो मुझे चुदाई का ज्ञान सीखने वाली है
सलीम... ऐसा ही समझ ले लेकिन याद से आ जाना कहीं बाद मैं ये ना हो की तेरा बाप तुझे निकालने ही ना दे घर से
मैं... सलीम की बात सुनके चुप हो गया और बोला तो उस ने सच ही था की अबू मुझे फज़ूल बाहिर जाने से मना किया करते थे खैर मैने मन मार के कहा नहीं यार तू फिकर ना कर मैं शाम से भी पहले ही आ जाऊंगा तेरे पास और तेरी टेचर को भी तो देखना है
सलीम... मेरी बात सुनके हंस पड़ा और बोला चल ठीक है लेकिन आते वक़्त 500 पॉककीट मैं दाल के आना कहीं ये ना हो की तेरे सामने आने से भी मना कर दे साली ऐसी ही है
मैने सलीम की बात के जवाब मैं अपना सर हन मैं हिला दिया और फिर उसके बाद हमारे बीच कोई बात के नहीं हुयी और हम बस आने क बाद बस मैं बैठे और गावँ की तरफ चल पड़े और गावँ मैं पहुच के सलीम ने बस इतना कहा विकी याद से आ जाना शाम को मेरी तरफ और अपने घर की तरफ निकल गया और मैं वहाँ से अपने घर की तरफ चल दिया
मैं जैसे ही घर मैं दाखिल हुआ तो 11 बाज रहे थे दिन के और मुझे घर मैं कोई भी नज़र नही आया तो जैसे ही मैं थोडा सा आगे हुआ तो
मुझे फ़रज़ाना नज़र आ गई जो की बैठी बर्तन धो रही थी और जैसे ही उस की नज़र मेरे पर पड़ी वो बर्तन छोड़ के चिल्लाती हुयी मेरे तरफ लपकी और भाई आ गया की आवाज़ भी निकलती मेरे सीने से लगगई
काफ़ी ज़ोर से फ़रज़ाना के यूँ सीने से लगने की वजा से उसके चूची जो की बिना ब्रा के ही थे (जो मुझे लगा ) मेरे सीने से पर टच हो रहे थे और फिर फ़रज़ाना ने मुझे पूरी तरह से अपने गले लगा लिया तो मने ने भी अपनी बहिन के गले मैं अपने बाज़ू लपेट लिए.
जिस से फ़रज़ाना की चूचियां पुरो तरह मेरे सीने से रगड़ खाने लगी
कुछ तो सारे रास्ते सलीम की बातों ने और आज मिलने वाली चूत ने पागल किया रखा था ऊपर से जब फ़रज़ाना इस तरह से मेरे सीने से लगी तो मेरा लण्ड जो की खड़ा होने के लिए बस इशारा ही माँग रहा था खड़ा होने लगा
और जैसे ही मेरे लण्ड ने अपना सर उठाके ,फ़रज़ाना मेरी बहिन की जांघों को छुआ तो, मैने झटके से फ़रज़ाना को खुद से अलग किया और बोला की बताओ चुड़ैल बाकी घरवाले कहाँ हैं
तो तभी मुझे फरीह बाजी रूम से बहार आती दिखाई दी और मुझे देख के बोली आ गया मेरा भाई चल आ जा अंदर कब तक यहाँ बहार धूप मैं खड़ा रहेगा
बाजी की बात सुन के मैं आगे बढ़ा तो फ़रज़ाना, जो की मेरे पास ही खड़ी थी झट से मेरे हाथ से बैग पकड़ते हो बोली लाओ भाई ये मुझे पकड़ा दो आप काफ़ी तक गये होगे
बाजी.... विकी पकड़ा दे इसे अपना बेग नहीं तो ये फाड़ देगी. इसमैं इसके डाइजेस्ट और नॉवल हैं जिनके लिए पागल हो रही है
मैं... हाँ बाजी ये तो है और इतना बोलते ही अपना बेग फ़रज़ाना को पकड़ा दिया और खुद बाजी और फ़रज़ाना के साथ रूम मैं आ गया
रूम मैं आते ही मैं चारपाई पे बैठ गया तो फ़रज़ाना ने मेरा बेग. दूसरी चारपाई पे रख दिया और खुद बेग पे झुक गई और खोलने लगी तो तब पहली बार मेरी नज़र फ़रज़ाना की गांड पे गई जिस पे से क़मीज़ हटी हुई थी और उस की सलवार की आस उसकी गांड की लाइन मैं फाँसी हुयी थी
जिसका फ़रज़ाना को भी होश नहीं था कि वो जब बर्तन धोने बैठी होगी तो उस ने अपनी क़मीज़ को साइड मैं कर दिया और सलवार मैं अटका दिया होगा की नीचे गिर के खराब ना हो कयुँकि घर मैं 3नो बहनो के अलावा और तो कोई था नहीं
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