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RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन
दोनो ने शांति से खाना खाया. और खाना खाने के बाद आदित्य ने हंसते हुवे कहा, “अब एक स्वीट डिश हो जाए.”
“स्वीट डिश नही बनाई…अभी बना कर लाती हूँ कुछ.”
“नही…नही रूको मैं मज़ाक कर रहा था. वैसे कहते हैं कि चुंबन स्वीट होता है.”
“श्रीमान वो भी उपलब्ध नही है इस समय. थोड़ा वक्त लगेगा.” ज़रीना मुश्कुरा कर वापिस किचन की ओर चल दी.
“कितना वक्त लगेगा तैयार होने में.?” आदित्य ने पूछा.
“क्या स्वीट डिश या…” ज़रीना ने मूड कर पूछा.
“दोनो के बारे में बता दो.”
“स्वीट डिश अभी 10 मिनिट में बना देती हूँ. उसमे कितना टाइम लगेगा पता नही.” ज़रीना हंसते हुवे किचन में घुस गयी.
“ओह ज़रीना कितनी प्यारी हो तुम. ऐसी ही रहना हमेशा. मुझे चुंबन की जल्दी नही है जान. बस मज़ाक कर रहा हूँ तुमसे. तुम मेरी अपनी हो ना इतना मज़ाक तो कर ही सकता हूँ. बुरा मत मान-ना.” आदित्य ने मन ही मन कहा.
“आदित्य मुझे शरम आने लगी है अब तुम्हारे साथ. थोड़ा डर भी लगने लगा है तुमसे. पर सब कुछ अच्छा भी लग रहा है. तुम यू ही रहना हमेशा मेरे लिए. चुंबन अगर बहुत ज़रूरी है तो ले लो. पर नाराज़ मत होना मुझसे. जी नही पाउन्गि तुम्हारे बिना.” ज़रीना की आँखे नम हो गयी सोचते सोचते.
ये भी प्यार का अजीब सा रूप है. बिन कहे बहुत सारी बाते होती हैं और समझी भी जाती हैं. ज़रीना और आदित्य लगभग एक सी बाते सोच रहे थे. दिस ईज़ रियली ग्रेट.
अगले दिन आदित्य और ज़रीना मुंबई के लिए रवाना हो गये. दोपहर 3 बजे पहुँच गये वो मुंबई. कोलाबा में घर था आदित्य के चाचा जी का. इश्लीए वही एक होटेल में रुक गये आदित्य और ज़रीना. कुछ देर आराम करने के बाद आदित्य ने कहा, “जान मैं मिल आता हूँ सिमरन से. तुम यही रूको.”
“हां मिल आओ और शांति से काम लेना. उसकी कोई ग़लती नही है. कुछ भला बुरा मत बोल देना उसे. बहुत सेवा की है उसने तुम्हारी. अपना पत्नी धरम निभाया है. मुझे यकीन है कि तुम सब ठीक करके लोटोगे. काश मैं भी चल पाती तुम्हारे साथ.” ज़रीना ने कहा
“पहले माहॉल देख लूँ वाहा का. फिर तुम्हे भी ले चलूँगा. चाचा चाची से तो तुम्हे मिलवाना ही है.” आदित्य ने कहा.
आदित्य ज़रीना को होटेल में छ्चोड़ कर चाचा जी के घर की तरफ चल दिया. पैदल ही चल दिया वो. बस कोई 15 मिनिट की वॉकिंग डिस्टेन्स पर था उसके चाचा जी का घर. दिल में बहुत सारे सवाल घूम रहे थे. चेहरे पर शिकन सॉफ दीखाई दे रही थी. ज़रीना से ये सब छुपा रखा था उसने, क्योंकि उसे परेशान नही करना चाहता था. मगर अब उसके दिलो-दिमाग़ को चिंता और परेशानी ने घेर लिया था. उसे खुद नही पता था कि कैसे हॅंडल करना है सब कुछ, हां बस वो इतना जानता था की उसे हर हाल में इस समस्या का समाधान करना है.
आदित्य घर पहुँचा और बेल बजाई तो उसकी चाची ने दरवाजा खोला.
“नमस्ते चाची जी” आदित्य ने पाँव छूते हुवे कहा.
“नमस्ते तो ठीक…तुम ये बताओ समझते क्या हो तुम खुद को. बिना बताए भाग गये थे यहा से…कान खींचने पड़ेंगे तुम्हारे लगता है?” चाची बहुत गुस्से में दिख रही थी.
“चाची जी मुझे माफ़ कर दीजिए…मेरी कुछ मजबूरी थी.” आदित्य गिड़गिदाया.
“आओ अंदर..देखती हूँ क्या मजबूरी थी तुम्हारी.” चाची ने कहा.
आदित्य अंदर आ गया चुपचाप. चाची ने कुण्डी लगा कर आवाज़ दी, “अजी सुनते हो आदित्य आ गया है.”
उस वक्त सिमरन कमरे में सोई हुई थी. चाची की आवाज़ सुनते ही उठ गयी, “आप आ गये…”
सिमरन के साथ निशा भी थी कमरे में. सिमरन ने निशा को कंधे पर हाथ रख कर हिलाया, “उठो तुम्हारे भैया आ गये हैं.”
“आदित्य भैया आ गये?” निशा ने आँखे मलते हुवे कहा.
“हां आ गये हैं. जाओ मिल लो जाकर?” सिमरन ने कहा.
“अरे सबसे पहले आपको मिलना चाहिए…चलिए अभी मिल्वाति हूँ आप दोनो को. बल्कि आप यही रुकिये मैं भैया को खींच कर लाती हूँ यही.” निशा ने कहा.
“नही रूको मिल लेंगे…इतनी जल्दी क्या है?”
“कैसी बाते करती हो भाभी…ज़्यादा नाटक मत किया करो.” निशा कह कर कमरे से बाहर आ गयी.
आदित्य चुपचाप चाचा चाची के साथ सोफे पर बैठा था. चाची डाँट पे डाँट पीलाए जा रही थी उसे, घर से चले जाने की बात को लेकर.
“मम्मी क्यों डाँट रही हो भैया को…आओ भैया भाभी इंतेज़ार कर रही है तुम्हारा.” निशा ने कहा.
आदित्य से कुछ भी कहे नही बना. उसके तो जैसे पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गयी ये सुन कर.
“निशा तुम जाओ. आदित्य अभी आएगा थोड़ी देर में” रघु नाथ ने गंभीर आवाज़ में कहा.
“पापा बात क्या है…आप सब लोग गुमशुम क्यों हैं. भैया आपने मुझसे ठीक से बात भी नही की. सब ठीक तो है ना.”
“तुमसे कहा ना आदित्य आ रहा है. जाओ यहा से.” रघु नाथ ने निशा को डाँट दिया.
निशा मूह लटका कर वाहा से चली गयी.
क्रमशः...............................
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RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन
एक अनोखा बंधन--22
गतान्क से आगे.....................
निशा के जाने के बाद चाची ने कहा, “बेटा क्या ये सच है कि तुम गोना नही करना चाहते. सिमरन को छ्चोड़ देना चाहते हो.”
“चाची जी मैने चाचा जी को सब बता दिया है.”
“हां इन्होने बताया है मुझे…मगर मैं तुमसे सुन-ना चाहती हूँ.”
“हां ये सच है. मैं ये बाल-विवाह नही निभा सकता. मैने कभी इस शादी को शादी नही माना.”
“मतलब हम सब बडो की कोई परवाह नही तुम्हे. तुम्हारे मम्मी, पापा जींदा होते तो पता नही क्या हाल होता उनका ये सब सुन कर. क्या तुम्हे अंदाज़ा भी है कि क्या ठुकराने जा रहे हो तुम. अरे हीरा है सिमरन हीरा. लाखो में एक है वो.”
“मैं किसी और से प्यार करता हूँ और उसे अपनी पत्नी मानता हूँ. मैं ये गुड्डे-गुडियों का खेल नही निभा सकता.” आदित्य ने कहा.
“ये सुनते ही चाचा और चाची की आँखे फटी रह गयी.”
“मुझे तो पहले से ही शक था इस बात का. बहुत बढ़िया बेटा.” चाचा ने कहा.
“कौन है वो करम जली जो हमारी सिमरन का घर उजाड़ने पर तुली है.” चाची ने कहा.
चाची बहुत गुस्से में थी इश्लीए आदित्य ने चुप रहना ही सही समझा.
“मतलब की तुम्हारा फ़ैसला अटल है.” चाचा ने कहा.
“जी हां…मैं शादी करूँगा तो अपनी मर्ज़ी से और वो भी उस से जिसे मैं बहुत प्यार करता हूँ.इस बाल-विवाह को मैं नही मानता.” आदित्य ने कहा.
“जाओ बेटा ये सब खुद ही कहो सिमरन से जाकर. हम ये सब नही बोल पाएँगे.” रघु नाथ ने कहा और निशा को आवाज़ दी ज़ोर से “निशा!”
निशा मूह लटकाए वापिस आई वाहा और बोली, “जी पापा.”
“आदित्य को ले जाओ सिमरन के पास. ये कुछ ज़रूरी बात करना चाहता है उस से.”
“आओ भैया…” निशा ने कहा.
आदित्य चुपचाप उठ कर चल दिया वाहा से.
“भैया कौन सी ज़रूरी बात है?” निशा ने पूछा.
“छ्चोड़ वो सब…तेरी पढ़ाई कैसी चल रही है.”
“अच्छी चल रही है. लीजिए आ गया भाभी का कमरा. आप दोनो बात करो मैं मम्मी, पापा के पास बैठती हूँ.” निशा कह कर चली गयी.
आदित्य कमरे में दबे पाँव दाखिल हुवा. उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था. सिमरन बेड के पास खड़ी थी नज़रे झुकाए. अंजाने में ही आदित्य की निगाह सिमरन के चेहरे पर पड़ी. वो देखता ही रह गया उसे. एक आकर्षक नयन नक्स पाया था सिमरन ने. चेहरे पर प्यारी सी मासूमियत थी.
आदित्य ने उसके कदमो की तरफ देखा और बोला, “कैसी हैं आप.”
“मैं ठीक हूँ. आप कैसे हैं.” सिमरन भी आदित्य के कदमो को ही देख रही थी.
“क्या खेल खेला ना किस्मत ने. कितनी जल्दी हम दोनो की शादी हो गयी थी. उस उमर में हमें शादी का मतलब भी नही पता था. बहुत रो रही थी आप, याद है मुझे. पता नही क्या ज़रूरत थी इतनी जल्दी ये सब करने की.” आदित्य ने अपनी बात कहने के लिए भूमिका तैयार की.
“हां हमारे अपनो ने बचपन में ही हमें इस रिश्ते में बाँध दिया.”
“आप ही बतायें बाल-विवाह कहा तक जायज़ है. गैर क़ानूनी है ये. फिर भी हम लोग नही मानते.”
“बाल-विवाह बिल्कुल जायज़ नही है.”
“तो आप मानती हैं कि हम लोगो के साथ ग़लत हुवा. देखिए अब हम बड़े हो चुके हैं. और हमें अपना जीवन साथी चुन-ने का हक़ होना चाहिए. मैं अब घुमा फिरा कर नही कहूँगा. मैं ये बाल-विवाह नही निभा सकता हूँ. आप भी इस बंधन से खुद को आज़ाद समझिए.”
ये सुनते ही सिमरन के पैरो के नीचे से जैसे ज़मीन निकल गयी. बहुत कुछ कहना चाहती थी वो मगर कुछ नही बोल पाई. होन्ट जैसे सिल गये थे उसके. आदित्य का दिल भी बहुत ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था. वो फ़ौरन वाहा से भाग जाना चाहता था.
“मुझसे कोई भूल हुई हो तो मुझे माफ़ कर दीजिएगा प्लीज़. चलता हूँ मैं.” आदित्य मूड कर जाने लगा
“सुनिए…” सिमरन ने हिम्मत करके आवाज़ दी.
आदित्य वापिस मुड़ा और बोला, “कहिए…मैं आपकी बात सुने बिना नही जाउन्गा यहा से.”
“बेशक बाल-विवाह ग़लत है और रहेगा. उस वक्त मैने भी वो खेल एंजाय नही किया. मगर मेरी परवरिश कुछ इस तरह की गयी कि आपको एक देवता बना कर मेरे दिल में बैठा दिया गया. बचपन से यही सिखाया गया कि पति परमेस्वर होता है इश्लीए आदित्य तुम्हारा परमेश्वर है. मैं सब कुछ स्वीकार करती गयी खुले मन से. कब आपसे प्यार हो गया…पता ही नही चला. और इतना प्यार कर बैठी आपसे कि अपने पेरेंट्स से लड़ बैठी आपके लिए. वो नही चाहते थे कि मैं आपके लिए मुंबई आउ. मगर मैं अपनी ज़िद पर आडी रही और उन्हे मुझे भेजना पड़ा आपके पास. मुझे एक मोका तो दे दीजिए प्लीज़. बाल-विवाह तो ग़लत है मगर मेरा प्यार ग़लत नही है. शादी चाहे जैसे भी हुई हो मगर मैं आपको तन,मन धन से अपना पति मानती हूँ.”
“ये सब कह कर तो गुनहगार बना दिया आपने मुझे. काश ये धरती फॅट जाए और मैं इसमें समा जाउ.” आदित्य सर पकड़ कर बैठ गया बिस्तर पर.
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RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन
एक अनोखा बंधन--23
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ज़रीना बेसब्री से इंतेज़ार कर रही थी आदित्य के लौटने का. बार बार यही दुवा कर रही थी कि सब ठीक ठाक रहे. जब रूम की बेल बजी तो तुरंत भाग कर दरवाजा खोला उसने.
“आदित्य तुम आ गये…सब ठीक है ना.” ज़रीना ने एक साँस में पूछा.
“हां लग तो सब ठीक ही रहा है. चलो तुम्हे लेने आया हूँ मैं. सब तुमसे मिलना चाहते हैं.” आदित्य ने कहा.
ज़रीना थोड़ा परेशान सा हो गयी ये सुन कर. “मुझसे मिलना चाहते हैं…पर क्यों?”
“अरे मम्मी पापा के बाद अब चाचा, चाची ही मेरे सब कुछ हैं. उनसे तो मिलना ही पड़ेगा ना. हां थोड़ा गुस्से में हैं सभी. पर थोड़ा गुस्सा तो सहना ही पड़ेगा हमें. दिल के आछे हैं वैसे मेरे चाचा चाची. मुझे उम्मीद है कि वो हमारे प्यार को समझेंगे.” आदित्य ने कहा.
“आदित्य वो तो ठीक है…पर मुझे डर सा लग रहा है.”
“अरे डरने की क्या बात है, मैं हूँ ना. मेरे होते हुवे काहे का डर.”
“ठीक है मैं थोड़ा बाल-वाल संवार लू. तुम 5 मिनिट वेट करो.” ज़रीना ने कहा.
5 मिनिट बाद ज़रीना आदित्य के साथ उसकी चाची के घर की तरफ जा रही थी.
“तुमने क्या बताया मेरे बारे में उन्हे.” ज़रीना ने कहा.
“कुछ नही बस इतना ही के तुम्हे बहुत प्यार करता हूँ. ज़्यादा कुछ बताने का वक्त ही नही मिला. चाचा चाची गुस्से में हैं. हो सकता है कुछ उल्टा सीधा बोल दे. तुम शांत रहना. चुपचाप सब सुन लेना. ज़्यादा देर गुस्सा नही रहेंगे वो.” आदित्य ने कहा.
“वैसे मुझे गुस्सा आ जाता है बहुत जल्दी अगर कोई मुझे कुछ कहे तो. पर तुम्हारे लिए और इस प्यार के लिए सब सह लूँगी.” ज़रीना ने कहा.
“दट’स लाइक माइ ज़रीना. देखो जान वक्त हमें बहुत बुरी तरह आजमा रहा हैं. लेकिन ये वक्त बेकार नही जाएगा. कहते हैं की शांत समुंदर में नाव चला कर कोई अच्छा नाविक नही बन सकता. अछा नाविक बन-ने के लिए अशांत समुंदर की ज़रूरत होती है. जोखिम रहता है मानता हूँ मगर जोखिम के बिना इंसान जीना नही सीख पाएगा. भगवान किश्मत वालो को ही आजमाते हैं."
“वो तो ठीक है…इतना भी ना आजमाया जाए हमें कि टूट कर बिखर जायें हम.”
बाते करते-करते जल्दी ही पहुँच गये दोनो घर. चाची ने ही दरवाजा खोला इस बार भी.
“ह्म्म…तो तुम हो ज़रीना. सुंदर हो. बल्कि बहुत सुंदर हो. लगता है अपने चेहरे को ही हथियार बनाया है तुमने हमारे आदित्य को जाल में फँसाने के लिए.” चाची ने कटाक्ष किया.
ज़रीना ने आदित्य की तरफ देखा. आदित्य ने ज़रीना को पाँव छूने का इशारा किया.
ज़रीना पाँव छूने के लिए झुकी ही थी कि चाची दो कदम पीछे हट गयी और बोली, “बस-बस नाटक मत करो … आओ अंदर.”
ज़रीना अंदर आ गयी चुपचाप आदित्य के साथ. आदित्य के चाचा सोफे पर बैठे थे.
“ज़रीना ये हैं मेरे चाचा जी” आदित्य ने चाचा की तरफ हाथ से इशारा करके कहा.
ज़रीना उनके पाँव छूने के लिए उनकी तरफ बढ़ी पर उन्होने उसे हाथ का इशारा करके पीछे ही रोक दिया, “इसकी कोई ज़रूरत नही है.”
“चाचा जी ऐसा क्यों कह रहे हैं?” आदित्य ने मायूसी भरे भाव में कहा.
“आदित्य तुम अपने चाचा जी के पास बैठो हमे ज़रीना से अकेले में कुछ बात करनी है.” चाची ने कहा.
“चाची जी जो बात करनी है मेरे सामने कीजिए. ये कही नही जाएगी. मैं यहा ज़रीना को आप लोगो से मिलवाने लाया हूँ पर ये देख कर दुख हो रहा है कि आप लोग अपमान कर रहे हैं मेरे प्यार का. मेरे सामने ही इतना कुछ हो रहा है तो अकेले में तो सितम ढा देंगे आप लोग. चलो ज़रीना वापिस चलते हैं. किसी से कोई बात करने की ज़रूरत नही है.” आदित्य ने कहा.
“भैया हमें बात तो करने दीजिए. हम कोई राक्षस नही हैं जो कि खा जाएँगे इन्हे. यू गुस्सा होने से बात नही बनेगी. किसी समस्या का हाल बात चीत से ही निकलता है.” निशा ने कहा.
“तो बात चीत मेरे सामने कीजिए ना. अकेले में क्या कोई सीक्रेट बात करनी है.” आदित्य ने कहा.
“भैया हम सब आपका भला चाहते हैं. प्लीज़ हमें बात करने दीजिए इनसे. और इनका और सिमरन का मिलना ज़रूरी है. ये दोनो मिल कर इस बात का हल निकाले तो ज़्यादा अछा रहेगा.” निशा ने कहा.
“हां आदित्य आओ तुम यहा बैठो मेरे पास. ये लोग इस से कुछ बात करना चाहते हैं तो तुम्हे क्या दिक्कत है. ऐसे बच्चो की तरह बिहेव नही किया करते.” रघु नाथ ने कहा.
“ठीक है कर लो बात चीत. मगर मेरे प्यार का अपमान मत करना. मेरी जींदगी है ये और अगर इश्कि आँखो में आँसू आए तो मेरा दम निकल जाएगा.” आदित्य ने कहा.
ज़रीना के चेहरे पर अजीब कसम्कश थी. आदित्य उसकी ओर देख कर उसकी हालत समझ गया और उसके चेहरे पर हाथ रख कर बोला, “सुन लो क्या कहते हैं ये लोग. हम हर हाल में एक हैं और एक रहेंगे.किसी बात की चिंता मत करना.”
ज़रीना, निशा और चाची के साथ उस कमरे में आ गयी जिस मे सिमरन थी. सिमरन बिस्तर पर टांगे सिकोड कर घुटनो पर सर रख कर बैठी थी जब वो लोग अंदर आए.
“ये है सिमरन, मेरी प्यारी भाभी. भाभी ये है ज़रीना.” निशा ने दोनो को इंट्रोड्यूस करवाया.
ज़रीना और सिमरन ने एक दूसरे को देखा मगर कुछ बोले नही. निशा ने एक कुर्सी दे दी ज़रीना को बैठने के लिए.
“थॅंक यू.” ज़रीना ने कुर्सी पर बैठते हुवे कहा. निशा भी ज़रीना के साथ ही एक दूसरी कुर्सी खींच कर बैठ गयी. चाची बिस्तर पर टाँग लटका कर बैठ गयी.
“क्या तुम मुस्लिम हो?” चाची ने पूछा.
“जी हां” ज़रीना ने जवाब दिया.
“एक तो खून ख़राबा मचा रखा है तुम लोगो ने देश में. कभी भी कही भी बॉम्ब लगा देते हो. अब हमारे रिश्तो में भी दरार डालने लग गये तुम लोग. चाहती क्या हो तुम.” चाची ने कटाक्ष किया.
ज़रीना को बहुत गुस्सा आया ये सुन कर. चेहरा गुस्से से लाल हो गया उसका. गुस्सा स्वाभाविक भी था क्योंकि उसके अस्तित्व पर चोट की गयी थी. मगर वो चुप रही. कुछ नही कहा. वादा जो किया था आदित्य से सब कुछ शांति से सुन ने का. प्यार में क्या कुछ नही सहना पड़ता.
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05-07-2020, 02:42 PM,
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RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन
“सिमरन!” आदित्य ने आवाज़ दी.
सिमरन चोंक कर रुक गयी और पीछे मूड कर देखा. ज़रीना और आदित्य उसकी तरफ बढ़े आ रहे थे.
“सिमरन…क्या थोड़ी देर रुक सकती हो, ज़रीना तुमसे कुछ बात करना चाहती है.” आदित्य ने कहा
सिमरन ने ज़रीना की तरफ देखा. दोनो ने आँखो ही आँखो में कुछ कहा. ज़रीना की आँखो में रिक्वेस्ट थी और सिमरन की आँखों में उस रिक्वेस्ट के लिए मंज़ूरी.
“हां शुवर…” सिमरन ने कहा.
ज़रीना ने आदित्य को वाहा से दूर जाने का इशारा किया. आदित्य बात समझ कर वाहा से हट गया.
ज़रीना सिमरन के करीब आई और बोली, “मुझे माफ़ कर दो सिमरन. तुम्हारा हक़ अंजाने में छीन लिया मैने. अगर कोई सज़ा देना चाहो तो दे दो मुझे. ख़ुसी-ख़ुसी सह लूँगी. अपने प्यार की कसम खा कर कहती हूँ कि मरने के लिए निकली थी वाहा से. पर पता नही क्यों मर नही पाई. ये जींदगी आदित्य ने दी है मुझे. उसे ही हक़ है इसे लेने का. हां पर एक हक़ तुम्हे भी है. मुझे जो सज़ा देना चाहे दे दो. पर प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.
मुझे सच में नही पता था कि आदित्य पहले से शादी शुदा है वरना मैं हरगिज़ दिल नही लगाती आदित्य से. और सिमरन मैं किसी लालच के कारण आदित्य के साथ नही हूँ. बस एक ही लालच है, वो है अपनी जींदगी का. जी नही सकती आदित्य के बिना. इसलिए आज मरने जा रही थी. अब तुम बताओ मेरी क्या सज़ा है”
सिमरन ने ज़रीना के चेहरे पर हाथ रखा और बोली, “तुम्हे आज इतना कुछ सुन-ना पड़ा वाहा उस कमरे में. वो सज़ा क्या कम थी जो और माँग रही हो. तुम जब आदित्य को थप्पड़ मार कर वाहा से गयी तो मुझे रीयलाइज़ हुवा की हम लोग क्या पाप कर रहे थे. कितना गिर गये थे हम सब. मुझे खुद ना जाने क्या हो गया था. शायद चाची जी और निशा की बातों का असर था मुझ पर. माफी तो मुझे माँगनी चाहिए तुमसे. मेरे कारण तुम्हे इतना अपमान सहना पड़ा. क्या कुछ नही सुना तुमने आज. थ्री विमन वर डेस्ट्रायिंग दा कॅरक्टर ऑफ वन विमन, नतिंग कॅन बी मोर पैंफुल्ल दॅन दिस.”
“सिमरन तुम्हे मेरे दुख का अहसास हुवा और मुझे क्या चाहिए. मगर इस से मेरा गुनाह कम नही हो जाता. अंजाने में ही सही पर गुनाह तो हुवा है मुझसे. पता नही मैं कैसे माफ़ करूँगी खुद को.” ज़रीना ने कहा.
“प्यार करती हो ना आदित्य से…तो खुद को गुनहगार मत मानो तुम. प्यार खुदा की देन है और ये किसी भी हालत में गुनाह नही हो सकता. तुम अपने दिल से ये बात निकाल दो कि मेरा कुछ छीन लिया तुमने. हां पहले-पहले मुझे भी यही लग रहा था. मगर आज जब तुम दोनो का प्यार देखा तो समझ में आया कि असल में प्यार क्या है. मैं तो आदित्य से एक तरफ़ा प्यार करती हूँ. आदित्य की आँखो में मैने अपने लिए कुछ नही देखा. बल्कि मेरे लिए उतनी क्न्सर्न भी नही देखी जितनी तुम्हारी आँखो में है. ऐसे में मैं उनके गले में पड़ जाउ 7 साल पहले हुई शादी का वास्ता दे कर तो बिल्कुल ग़लत होगा. ज़बरदस्ती रिश्ते निभाए जा सकते हैं ज़रीना कोई बड़ी बात नही है. ऐसा बहुत लोग कर रहे हैं दुनिया में. मगर ज़बरदस्ती बनाया हुवा रिश्ता कभी प्यार का वो फूल नही खिला पाएगा जिसकी कि एक पति पत्नी के रिश्ते में संभावना होती है. आदित्य की नज़रो में तुम्हारे लिए बेन्तेहा प्यार देखा है मैने. तुम दोनो का साथ लिखा है भगवान ने. जाओ दोनो खुश रहो. भगवान मेरी सारी ख़ुसीया तुम दोनो को दे दे.” आँखे टपक गयी सिमरन की ये आखरी कुछ लाइन्स बोलते हुवे.
ज़रीना ने फ़ौरन सिमरन के होंटो पर हाथ रख दिया, “बस…तुम्हारी और कोई ख़ुसी नही चाहिए हमें. जितना लिया है…वही बहुत ज़्यादा हो गया है. दुवा तो मैं करती हूँ कि मेरे हिस्से की सारी ख़ुसीया अल्लाह तुम्हे दे दे.”
“बस-बस अब और मत रुलाओ मुझे. जाओ अपने आदित्य के पास. और तुम दोनो मुझे भूल मत जाना. मिलते रहना मुझसे. तुम दोनो से कोई गिला शिकवा नही है अब. बल्कि प्यार है तुम दोनो से. जाओ अब मैं बहुत भावुक हो रही हूँ.”
ज़रीना ने सिमरन को गले लगा लिया और बोली, “काश दंगो में मर जाती मैं तो तुम्हे कोई भी तकलीफ़ नही होती.”
“बस थप्पड़ मारूँगी तुम्हे मैं अब. दुबारा मत कहना ऐसा.”
आदित्य ये सब देख कर रोक नही पाया खुद को और आ गया दोनो के पास.
आदित्य को देख कर सिमरन बोली, “आप ज़रीना का ख्याल रखना. पता नही कैसा नाता जुड़ गया है इसके साथ. इसे हमेशा खुश रखना. ये खुश रहेगी तो मैं भी खुश रहूंगी. कोई तकलीफ़ नही होनी चाहिए मेरी ज़रीना को.”
ये सुन कर आदित्य की आँखे नम हो गयी और वो भावुक आवाज़ में बोला, “थॅंक यू सिमरन. थॅंक यू वेरी मच…कुछ नही सूझ रहा कि क्या कहूँ तुम्हे.”
“कुछ कहने की ज़रूरत नही है. ये बताओ की शादी कर चुके हो या करने वाले हो?”
ज़रीना, सिमरन से अलग हुई और बोली, “ये तुम तैय करोगी अब कि हम कब शादी करें.”
“मेरी तरफ से तो आज कर लो…”
“सिमरन तुम्हारे पेरेंट्स तो कोई समस्या नही करेंगे ना. कोई क़ानूनी उलझन तो पैदा नही करेंगे ना.”
“वो सब मुझ पर छ्चोड़ दो. और क़ानूनी अड़चन कोई नही है तुम्हारे सामने. बाल-विवाह को कोर्ट नही मानता. सिर्फ़ एक अप्लिकेशन से अन्नुलमेंट हो जाएगा. तुम दोनो बिना किसी चिंता के शादी करो. कोई दिक्कत नही आने दूँगी मैं. बाल-विवाह का कोई लीगल स्टेटस नही है.”
“बहुत जानकारी है लॉ की तुम्हे?” आदित्य ने कहा.
“लॉ स्टूडेंट हूँ ना. इश्लीए” सिमरन ने हंसते हुवे कहा.
“चाचा, चाची छोड़ने नही आए?”
“नही वो लोग आ रहे थे पर मैने ही मना कर दिया. अच्छा मैं लेट हो रही हूँ. कही फ्लाइट मिस ना हो जाए.” सिमरन ने कहा
“हां-हां तुम निकलो…हम मिलते रहेंगे.” ज़रीना ने कहा.
सिमरन ने ज़रीना के माथे को चूमा और बोली, “गॉड ब्लेस्स यू. हमेशा खुश रहना. किसी बात की चिंता मत करना.”
सिमरन ने आदित्य की तरफ देखा और बोली, “आप भी अपना और ज़रीना दोनो का ख़याल रखना.”
“बिल्कुल आपका हुकुम सर आँखो पर.” आदित्य ने हंसते हुवे कहा.
सिमरन चल पड़ी दोनो को वही छ्चोड़ कर. आदित्य और ज़रीना दोनो उसे जाते हुवे देखते रहे.
क्रमशः...............................
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