09-19-2020, 01:18 PM,
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desiaks
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RE: Thriller Sex Kahani - मिस्टर चैलेंज
तुम उस आदेश को मानने के लिए मजबूर क्यों हो ? " चीखकर मैंने पूछा ।
" सोचो राइटर महोदयः सोचो ---- सुना है कल्पनायें करने के मामले में मुल्क के नम्बर वन लेखक हो तुम । कल्पना करो ---- एक शख्स हत्यारे के हुक्म पर अपनी हत्या कैसे कर सकता है ? "
" ये पागलपन छोडो ललिता । फैंक दो रिवाल्वर । खुद को हमारे हवाले कर दो । " विभा कहती चली गई ---- " मैं विश्वास दिलाती हूँ हत्यारा तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता । आत्महत्या पाप है । "
" ठीक कहा तुमने । कोई शख्स जब खुद को गोली मारता है तो उसे आत्महत्या कहते हैं मगर ये आत्महत्या नहीं , हत्या है विभा जिन्दल । ऐसा हत्या जो उसी हत्यारे के द्वारा तुम्हारी आंखों के सामने होगी जिसने सत्या , चन्द्रमोहन , हिमानी और अल्लारक्खा को मारा ।
हाथ मेरे हैं लेकिन समझ लो गोली वहीं चलायेगा । अब बोलो ---- हत्यारे द्वारा की जाने वाली हत्या का ये स्टाइल कैसा लगा तुम्हें ? "
मैंने महसूस किया , जैकी का हाथ धीरे - धीरे अपने होलेस्टर की तरफ बढ़ रहा था । विभा ने ललिता को बातों में उलझाये रखने की गर्ज से कहा ---- " तुम्हारे शब्दों से जाहिर है इस वक्त मुझसे वह कह रही हो जो हत्यारे कहने के लिए कहा है । तुम उसके दवाब में हो । फिर कहूंगी ललिता ---- कोई तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता । मुझे बताओ वह कौन ..... "
हाथ रोक लो इंस्पैक्टर " ललिता गुर्राई ---- " तुम इस हत्या को होने से नहीं रोक सकते और इसी को क्यों , अभी तो और हत्यायें होगी । तुम , विभा जिन्दल और ये राइटर कोई नहीं रोक सकता । " जैकी का हाथ जहां का तहां ठिठक गया । बिभा ने कहा ---- " नगेन्द्र , तुम समझाओ ललिता को । ये बेवकूफी करने वाली है । "
" ल - ललिता ! " नगेन्द्र ने हिम्मत की---- " प्लीज ! ऐसा मत करो । " ललिता हंसी । ठीक पागल सी लगी वह । बोली ---- " मरेगा नगेन्द्र ! तू भी मरेगा । "
" मैं - मैं ! " नगेन्द्र सकपकाया -- " म - मैं भी ? "
" मरने से पहले इस कालिज में चैलेंज की प्रथा पड़ गयी है । और देखो ---- मैं तुम सबके सामने चैलेंज लिखूगी । "
कहने के साथ उसने रिवाल्वर दायें हाथ से बायें हाथ में ट्रान्सफर किया । दांया हाथ ब्लाऊज में डाला । वक्षस्थल से एक चौक निकाला । जहां खड़ी थी , वहीं बैठ गयी वह । वायें हाथ में दबे रिवाल्वर को अपनी कनपटी से सटाये गुर्राई ---- " याद रखना , किसी ने भी इंस्पैक्टर जैसी होशियारी दिखाने की कोशिश की तो वक्त से पहले खुद को गोली मार लूंगी मैं । " सभी हकबकाये से खड़े थे ।
उसने विभा , जैकी और मुझ पर नजरें गड़ाये रखकर चौक से फर्श पर लिखा --- ' C ' फिर ' H ' लिखा ।
पीछे मौजूद राजेश ने बिल्ली की मानिन्द दबे पांव उसकी तरफ बढ़ना शुरू किया । ललिता ने ' A ' लिखा । सब जानते ये वह क्या लिखना चाहती है ।
राजेश को उसकी तरफ बढते देख सबकी धड़कनें रुक गई थी । अभी ललिता ने पहला L लिखा था कि राजेश ने झपटकर उसे दबोच लिया । ललिता छटपटाई । राजेश का एक हाथ उसकी रिवाल्वर वाली कलाई पर था । उसकी मदद के लिए विभा और जैकी ने जम्प लगाई । मगर ।
" घांय । " ललिता के हाथ में दबे रिवाल्चर ने शोला उगला । सबकी कोशिशों पर पानी फेरता ललिता की कनपटी चीर गया वह । ललिता की चीख के साथ वातावरण में अनेक चीखें उभरीं । उस एक पल के लिए जो जहां था वहीं ठिठककर रह गया ।
ललिता की गर्दन लुढ़क चुकी थी । रिवाल्चर हाथ से निकलकर फर्श पर गिर गया । लाश राजेश की बाहों में झूलती रह गयी । खून के छीटे खुद उसके चेहरे पर भी पड़े थे । गर्म खून , भल्ल - भल्ल करके बह चला । जैकी और विभा की मदद से राजेश ने लाश को फर्श पर लिटाया । बहुत देर तक ऐसा सन्नाटा छाया रहा जैसे किसी के मुंह में जुबान न हो ।
" हद हो गयी ! " अन्ततः बंसल कह उठा ---- " कैसा हत्यारा है ये ! जो लोगों को खुद पर गोली चलाने के लिए मजबूर कर देता है ? क्यों पीछे पड़ गया है इस कॉलिज के ? हम सबने क्या बिगाड़ा था उसका ? " विभा सहित किसी पर जवाब न बन पड़ा।
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09-19-2020, 01:19 PM,
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desiaks
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RE: Thriller Sex Kahani - मिस्टर चैलेंज
बंसल ने पुछा --- " यहां कैसे पहुंच गयी ये ?
" जवाब चौकीदार ने दिया --..- " हमने कैम्पस की तरफ से गोलियां चलने की आवाज सुनी सर , लेकिन आपने कह ही रखा है , उधर चाहे जो होता रहे , हमें यहा से नहीं हिलना है । वही किया । तब भी , जब लाइट गई ----
गोलियां चली । लेकिन जब दूसरी बार अब से थोड़ी देर पहले फायरिंग हुई तो चकराये । कॉलिज में आखिर हो क्या रहा है , यह जानने के लिए बरांडे से निकले । मेमसाहब सो रही थीं । हम बगीचे में पहुंचे । चौंके । एक झाड़ी के साये में यह बच्ची पड़ी थी । बुरी तरह बंधी हुई । बेहोश ! मेरा जी थाहा कैम्पस में जाकर आएको खबर दूं । फिर सौचा ---- आपने बंगले के आसपास से हिलने से मना किया है । सो इसे उठाकर अंदर ले आये । मेम साहब को जगाया । इसे देखते मेमसाहब कह उठी ---- ' ये तो चिनी है । वार्डन की बेटी । जल्दी कैम्पस में जाकर अपने साहब को खबर कर । और हम दोड़े - दौड़े आपके पास पहुंचे । "
" तब से मैं इसे होश में लाने की कोशिश कर रही हूं । " निर्मला ने बताया ।
" कमाल की बात है । " जैकी ने कहा ---- " कैम्पस में इतनी गोलियां चलीं - आप सोती रहीं ? "
" मुझे अनिन्द्रा की बीमारी है । नींद की गोलियां लेकर सोती हूं । मैं तो तब उठी जब चौकीदार ने दरवाजे को तोड़ डालने वाले अंदाज से भडभड़ाया । "
चिन्नी के चेहरे पर बार - बार पानी के छींटे मारकर अंततः होश में लाया गया । होश में आते ही वह रोने लगी । बार - बार अपनी मम्मी को पूछने लगी । बहला - फुसलाकर सवाल किये तो वह कहानी सामने आई जिसकी आशंका थी । उसने बताया ---- “ मुझे एक हेलमेट वाले ने पकड़ लिया था । जैसे ही मम्मी कमरे में आई ---- उसने मेरे सिर पर रिवाल्वर रखकर कहा --- ' चीखने या चिल्लाने की कोशिश की तो इसे मार डालूंगा ।
' मम्मी डर गयीं ---- ' बोली तुम हत्यारे हो न ? मुझसे क्या चाहते हो ? '
हेलमेट वाले ने कहा --- ' तेरे हाथों से तेरा मर्डर ।
' मम्मी ने कहा ---- " मैं समझी नहीं । वह बोला -- ' समझाता हूँ । और तभी उसने बहुत जोर से अपना रिवाल्वर मेरे सिर पर मारा । मेरे मुंह से चीख् निकली मगर उसका दूसरा हाथ मेरे मुंह पर था । उसके बाद मुझे कुछ पता नहीं क्या हुआ ! "
सब समझ रहे थे क्या हुआ होगा ? जाहिर था ---- " बेटी को बचाने के लिए ललिता ने केवल वह कहा और किया जो हत्यारा चाहता था बल्कि अपनी जान तक दे दी । " सबकुछ बताने के बाद चिन्नी हिचकियां ले लेकर मम्मी के बारे में पूछती रही । बेचारी को कौन क्या जवाब देता ? एकाएक विभा ने निर्मला से कहा --- " आपकी नथ बहुत सुन्दर है । "
" न - नथ ? "
निर्मला का हाथ स्वतः अपनी नाक पर पहुंच गया । " और शायद कीमती भी डायमंड की है क्या ?
हाँ।
विभा का टापिक हैरतअंगेज था ।
हमें लगा ---- दिमाग तो नहीं फिर गया है उसका ?
कहां हत्यारे द्वारा किये जा रहे मर्डर ? कहां निर्मला की नथ ? इस वक्त हमें पेचीदगियों से भरी घटनाओं पर विचार करना चाहिए था या किसी के गहनों पर ? सवका नेतृत्व करते हुए अंततः मैंने कह ही दिया ---- ' विभा ,ये वक्त किसी के गहनों की तारीफ करने का है या .... जबकि "
प्लीज बेद ! मुझे अपना काम करने दो । " ये शब्द विभा ने ऐसे अंदाज में कहे कि मैं तो मैं , कोई कुछ नहीं बोला।
विभा ने निर्मला की तरफ पलटते हुए कहा ---- " कब खरीदी ? "
" मेरिज ऐनीवर्सरी पर इन्होंने प्रजेण्ट की थी । उसने बंसल की तरफ इशारा किया ।
विभा बंसल की तरफ घूमी । आंखें , उसके चेहरे पर गड़ा दी उसने । हकबकाकर बंसल को पूछना पड़ा ---- " प -पत्नी को प्रजेण्ट देना गुनाह है क्या ? "
" कोई गुनाह नहीं है । " कहने के साथ एकाएक विभा मुस्कराकर बोली ---- " मैं आपके कमरे की तलाशी लेना चाहती हूं । "
" त - तलाशी ? " बंसल उछल पड़ा ---- " क - क्यों ? "
" बताऊंगी , लेकिन तलाशी के बाद । "
" म - मगर । "
" ऑबजेक्शन हो तो बताइए । " बंसल हकला उठा ---- " म - मुझे क्या ऑब्जेक्शन हो सकता है ।
किसी की समझ में कुछ नहीं आ रहा था । मैं भी सब में शामिल था मगर तलाशी में जुट गया । जैकी ने भी सामान को इधर - उधर करना शुरू कर दिया । बंसल और निर्मला सहित सब हकबकाये से खड़े थे ।
विभा एक तिजोरी पर ठिठकी ।
वह वार्डरोब पर रखी थी । लगभग वैसी ही थी जैसी सर्राफों के यहां होती है ।
निर्मला से पूछा ---- " इसकी चाबी ? " "
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