Maa Sex Kahani माँ का आशिक
10-08-2020, 02:12 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
गाड़ी चलाते हुए शादाब को अपने उपर बहुत गुस्सा अा रहा था कि वो रेशमा के साथ ना चाहते हुए भी बहक गया था। मेरी अम्मी मुझ पर कितना यकीन करती है अगर उन्हें पता चलेगा तो मुझसे हमेशा के लिए रिश्ता खत्म कर लेगी। लेकिन जो सुख आज उसे रेशमा ने दिया था वो अभी तक महसूस कर रहा था, रह रह कर उसे अपने लंड पर रेशमा की जीभ जी की रगड़ याद अा रही थी और उसका पूरा जिस्म एक अजीब सी मस्ती से भरा हुआ था।

कोई शाम को छह के आस पास शादाब घर पहुंच गया और दादा दादी आपके घर वापिस आकर खुशी से फूले नहीं समाए। आखिर अपनी मिट्टी की खुशबू अपनी ही होती हैं, ये बात दोनो अच्छी तरह से महसूस कर रहे थे। शादाब गाड़ी पार्क करने चला गया और दादा दादी दोनो नीचे बैठक में बैठ गई। उन्हें हैरानी हो रही थी कि शहनाज़ अब तक उनके पास क्यों नहीं अाई क्योंकि शहनाज़ तो हमेशा दौड़ती हुई आती थी जब भी दादा जी बाहर से आते थे। उन्हें लगा शायद सो रही होगी इसलिए नहीं अाई। दरअसल शहनाज के पूरे बदन में से हल्दी की खुशबू अा जाती और उसके बदले हुए रूप को अगर दोनो देख लेते तो उन्हें जरूर शक हो जाता। बस ये सब सोचकर शहनाज़ नीचे आने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी। हल्दी की खुशबू तो शादाब के बदन में भी थी लेकिन शादाब ने सुबह ही अपने बदन पर एक तेज गंध वाला परफ्यूम लगा लिया था जिससे वो बच गया था लेकिन शहनाज़ ने तो आज तक परफ्यूम नहीं लगाया था इसलिए वो नहीं लगा सकती थी। शादाब गाड़ी पार्क करके अा गया और दादा बोले:"

" बड़ी जोर से प्यास लगी है बेटा, थोड़ा पानी तो ला से मुझे, शहनाज़ नहीं अाई शायद सोई होगी बेचारी।

शादाब अपने दादा जी की बात सुनकर उपर की तरफ चल दिया तो उपर पहुंचते ही उसे सामने ही शहनाज़ नजर आईं और उसने दौड़कर शादाब को अपने गले लगा लिया। शादाब में भी शहनाज़ को अपनी बांहों में कस लिया। शहनाज़ एक पागल दीवानी की तरह उसका चूम चूमने लगी मानो सदियों के बाद उसे उसका खोया हुआ प्रेमी मिला हो। शादाब ने उसके गाल गुलाबी चूमते हुए कहा:"

" अम्मी दादा जी पानी मांग रहे हैं और आप नीचे नहीं अाई उन्हें अजीब सा लग रहा है।

शहनाज़:" कैसे जाऊ मै उनके सामने ? तूने मुझे इस लायक छोड़ा ही कहां है, मेरे बदन से उठती हुई हल्दी की खुशबू वो एक दम पहचान लेंगे और फिर मेरा चेहरा और स्टाइल पूरी तरह से बदल चुका हैं। वो क्या सोचेंगे।

शादाब:" अम्मी आप अपना मुंह ढक लेना बाकी आप मुझ पर छोड़ दो।

शहनाज़ ने अपने बेटे की बात मानते हुए दो ग्लास में पानी भरा और घूंघट निकाल कर नीचे की तरफ चल पड़ी। जैसे ही वो दादा दादी के पास पहुंच गई तो शादाब पीछे से अपना परफ्यूम का डिब्बा लिए आया और उसको हिलाते हुए कहा:"

," उफ्फ मेरा ये डिब्बा खराब हो गया शायद,

इतना कहकर उसने डिब्बे को जोर से दबा दिया तो उसमें से निकलता हुआ परफ्यूम शहनाज़ के जिस्म पर गिरने लगा और दादा दादी के मुंह से हंसी छूट गई। शहनाज़ ने ट्रे उनके आगे कर दी और दोनो के एक एक ग्लास पानी उठा लिया।

दादा जी:" हा हा हा शादाब, तूने तो डिब्बे को ठीक करने के चक्कर में शहनाज़ पर ही परफ्यूम छिड़क दिया। अरे शहनाज़ तुमने पर्दा क्यों किया हैं आज ?

शहनाज़ कांप उठी लेकिन बात को संभालते हुए बोली:"

"आप मेरे बड़े हैं ना इसलिए मैंने फैसला किया है कि अब आगे से आपसे पर्दा करूंगी।

दादी:" अरे शाहनाज तू तो हमारे लिए बेटी जैसी हैं और पहले ही तुम कौन सा पर्दा करती थी इनसे जो अब कर रही है ?

शाहनाज घबरा गई और मदद के लिए शादाब की तरफ देखा तो शादाब बोला:"

" अम्मी पर्दा इसलिए कर रही हैं क्योंकि आपके जाने के बाद कुछ औरतें अाई थी जो अम्मी को बता रही थी कि असली शर्म ती आंखो की होती हैं। बस शायद इसीलिए कर रही है।

दादा जी:" हान बेटी शहनाज़ हमारे जमाने में तो आंखो की शर्म बहुत बड़ी बात मानी जाती थी, चल अगर तुझे लगता हैं कि तुझे पर्दा करना चाहिए तो हम ज्यादा जबरदस्ती नहीं करेंगे।

दादी:" बस शहनाज हमे तो तेरी ख़ुशी चाहिए जो तुझे अच्छा लगे कर बेटी ।

शादाब:" अम्मी पर्दा करना अच्छी बात हैं लेकिन ध्यान देना कि पर्दे के चककर में कहीं दादा दादी जी की खिदमत पर असर ना पड जाए

शहनाज़ अपनी गर्दन हिलाते हुए:" मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगी कि उनकी खिदमत में कोई कमी ना आए, अगर मुझे लगा कि कोई कमी अा रही हैं तो मैं पर्दा खोल दूंगी।

शहनाज़ ने बड़ी चतुराई से इस बात की भी तसल्ली कर ली कि जब एक दुल्हन का रंग उसके उपर से पूरी तरह से उतर जायेगा तो वो आराम से पर्दा खोल सके।

शादाब:" बिल्कुल अम्मी आपको ऐसा ही करना चाहिए। अब आप खाने का कुछ इंतजाम कीजिए दादा दादी जी को भूख लगी होगी।

दादा जी:" हान बेटी खाना खाकर सो जायेंगे वैसे भी इस उम्र में इतना लंबा सफर पूरी तरह से थका देता है।

शहनाज़ और शादाब दादा जी की बात सुनकर अंदर ही अंदर खुश हो गए। शहनाज़ और शादाब दोनो उपर चले गए तो सीढ़ियों में जाते ही शादाब ने शहनाज़ को अपनी बांहों में उठा लिया तो शहनाज़ भी अपना पर्दा हटाकर उसकी आंखो में देखने लगी और बोली:"

" थैंक्स शादाब मुझे बचाने के लिए, तूने अच्छा बहाना बना दिया नहीं तो आज मै फस जाती

शादाब:" अम्मी आपको मैं कभी फसने नहीं दूंगा आप बेफिक्र रहे और खुश रहे।

शहनाज़ किचेन के पास जाकर उसकी बांहों में से उतर गई और बोली:" सुन शादाब खाना तो मैंने पहले ही बना दिया था बस सब्जी गर्म करके रोटी बना देती हूं।
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10-08-2020, 02:12 PM,
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शादाब:" उफ्फ दिन में ही खाना बना दिया क्यों रात को कुछ जरूरी काम हैं क्या ?

शहनाज़ शर्मा गई और उसकी छाती में हल्के हल्के मारते हुए बोली:" जब देखो मुझे परेशान करता है तू, थोड़ी देर और रुक जा फिर देखना तेरा क्या हाल करूंगी ?

शादाब अपने लंड को पेंट के उपर से ही सहलाते हुए:"

" अम्मी तरबूज चाहे चाकू पर गिरे या चाकू तरबूज पर, अंजाम एक ही होता हैं तरबूज का कटना, फटना।

शहनाज़ उसे पीछे से पकड़ लेती है और अपनी चूची उसकी पीठ से रगड़ते हुए बोली:"

" बड़ा समझदार हो गया है तू तो, अच्छा बात सुन, आज तेरे दादा जी अा गए हैं तो कल से उन्हें कूटे हुए मसाले कि सब्जी चाहिए होगी

शादाब ने अपने हाथ पीछे ले जाकर शहनाज की गांड़ पर रख दिए और हल्का सा दबाते हुए बोला:"

" शहनाज़ मेरी जान, आज औखली तैयार रखना, सारी रात मसाला कूटेंगे दोनो,

इतना कहकर हुए शादाब ने हाथ को शहनाज़ की चूत पर रख दिया और जोर से दबोच लिया तो शहनाज़ के मुंह से आह निकल पड़ी और शादाब की गर्दन चाटते हुए बोली:"

" आह राजा, उफ्फ पूरी जोर जोर से मसाला कूटना, बहुत अच्छा लगता है जब तू तेजी से जोर जोर से कूटता हैं,

इतना कहकर शहनाज़ ने शादाब के लंड को पेंट के उपर से ही पकड़ लिया और दबाते हुए बोली:"

" उफ्फ तेरा मूसल तो आज बहुत ज्यादा टाईट हो गरम हो रहा हैं शादाब, आज तो मेरी औखली गई काम से मेरे राजा

शादाब भी एक एक हाथ को शहनाज की सलवार के अन्दर घुसा कर उसकी चूत को मुट्ठी में भर लिया तो शहनाज़ की गीली चूत का रस उसके हाथ में लग गया तो शहनाज़ कसमसा उठी और शादाब उसकी चूत पर उंगली फेरते हुए बोला:"

" आह अम्मी ये ती अभी से पूरी गीली हो रही है, मजा आ जाएगा आज तो उफ्फ मेरी शहनाज़

इतना कहकर शादाब ने एक उंगली उसकी चूत में घुसा तो शहनाज़ मस्ती से सिसक उठी और उससे दूर हो गई और बोली:"

" आह बस कर शादाब, उफ्फ पहले दादा दादी जी को खाना खिला दे फिर जी भर कर मुझे प्यार करना।

शादाब भी नहीं चाहता था कि बीच में चुदाई को अधूरा छोड़ना पड़े इसलिए वो मान गया। शहनाज़ रोटी बनाने में जुट गई और शादाब बाथरूम में घुस गया। शादाब ने बुरी तरह से अकड़े हुए लंड को बाहर निकाला तो उसकी गांड़ फट गई क्योंकि लंड पर अभी तक रेशमा की लिपस्टिक के निशान पड़े हुए थे। बाल बाल बच गया आज तो उफ्फ अगर शहनाज़ गलती से भी लंड देख लेती तो कयामत ही अा जाती।

शादाब ने लंड को पूरी तरह से पानी से साफ किया और और बाहर अा गया तब तक शहनाज़ रोटी बना चुकी थी तो दोनो मा बेटे खाना लेकर नीचे की तरफ चल पड़े।
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10-08-2020, 02:12 PM,
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दादा दादी खाना खाने लगे तो दादा जी एकदम समझ गए कि सब्जी में कूटे हुए मसाले नहीं पड़े हुए हैं इसलिए वो बोले:

" बेटी कोशिश करना कि कल से घर के कूटे हुए मसाले सब्जी में डालो क्योंकि उनसे खाने का टेस्ट बढ़ जाता हैं।

शहनाज़ ने अपना सिर हिला दिया तो उसके ठीक सामने बैठे शादाब ने अपना पैर नीचे से ही उसकी जांघ पर रख दिया और सहलाते हुए बोला:"

" दादा जी आप फिक्र ना करे, मैं आपके लिए मसाला खुद कूट दूंगा।

इतना कहकर शादाब ने अपने पैर को शहनाज़ की चूत पर टिका दिया तो शहनाज़ का जिस्म कांप उठा। दादा जी बोले:

" बेटा थोड़ा ज्यादा बारीक कूटना मुझे वो ज्यादा पसंद हैं।

शहनाज़ की चूत में चिंगारी सी उठ रही थी क्योंकि वो जानती थी कि दोनो दादा पोते उसकी चूत कूटने की बात कर रहे हैं।

दादी :" बेटा शादाब, ज्यादा बारीक पीसने के चक्कर में कहीं औखली मत फोड़ देना

दादा जी:" अरे शहनाज़ बेटी ये तो ठहरा जवान लड़का, तुम एक काम करना औखली में अच्छे से तेल लगाकर इसे देना ताकि फूटने से बच जाए।

दादा जी की तेल वाली बात सुनकर शादाब ने जोश में आकर अपने अंगूठे को जोर से शहनाज़ की चूत पर दबा दिया तो शहनाज़ के मुंह से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी जिसने उसने बड़ी मुश्किल से दबाया।

शादाब अंगूठे को चूत पर रगड़ते हुए:" अम्मी खूब अच्छे से चिकनी करके मुझे औखली तब देना कहीं बाद मैं शिकायत करो।

शहनाज़ का जिस्म अब पूरी तरह से सुलग उठा और बोली;"

" तुम औखली की फिक्र मत करो, मैं उसे अच्छे से चिकनी करके तुम्हे दूंगी बस तुम मसाला ठीक से बारीक कूट देना।

इतना कहकर शहनाज़ ने अपनी एक अंगुली को अपनी गीली हो चुकी चूत में घुसा दिया और पूरी तरह से चिकनी करके शादाब के अंगूठे पर लगा दिया मानो उसे दिखा रही हो कि चूत कितनी गीली होकर तड़प रही है।

शादाब ने अपने पैर को वापिस खींच लिया और एक बार दादा दादी की तरफ देखा और एक उंगली को अपने अंगूठे पर फेरकर अपने मुंह में घुसा दिया तो शहनाज़ का जिस्म जोर से कांप उठा। शहनाज़ के पसीने छूट गए और वो पूरी तरह से मदहोश होकर अपनी जांघो को आपस में रगड़ने लगी।

दादा दादी दोनो खाना खा चुके थे इसलिए शहनाज़ बरतन उठाने लगी और उपर की तरफ चली गई। शादाब बोला:"

" दादा जी मैं भी चलता हूं और कुछ चाहिए तो बता देना।

दादा जी:" नहीं बेटे कुछ नहीं बस, थक गया हूं तो आराम से सो जाऊंगा अब।

शादाब उपर चला गया तो उसने देखा कि शहनाज़ आंखे बंद किए हुए अपने कमरे में बेड पर पड़ी हुई थी और गहरी गहरी सांस लेने के कारण चूचियां उछल रही थी। शहनाज़ कपड़ों के ऊपर से ही अपनी चूत सहला रही थी और मस्ती में डूबी हुई थी। शहनाज़ का बेडरूम अब तक सजा हुआ था और अभी भी बेड पर फूल पड़े हुए थे। शादाब ने अपने सारे कपड़े उतार फेंके और शहनाज़ के उपर चढ़ गया तो शहनाज़ ने आंखे खोलते हुए शादाब को कस लिया तो उसे उसके नंगे होने का एहसास हुआ तो शहनाज़ मस्ती से सिसक उठी

" आह शादाब, बहुत तड़प रही हूं मैं सुबह से, उफ्फ मुझे प्यार कर बेटा, नहीं तो मर जाएगी तेरी शहनाज़ हाय उफ्फ।

शहनाज़ ने शादाब के होंठो को चूसना शुरू कर दिया तो शादाब ने शहनाज़ की सलवार के साथ साथ पेंटी भी एक झटके के साथ उतार कर फेंक दी और शहनाज़ लंड अपने आप शहनाज़ की चूत पर जा लगा तो शहनाज़ ने किस तोड़कर शादाब की आंखो में देखते हुए लंड को अपनी चूत के छेद पर टिका दिया और शादाब को स्माइल दी तो शादाब ने जोश में आकर एक जोरदार धक्का लगाया तो लंड एक तेज झटके के साथ शहनाज़ की चूत में उतरता चला गया। शहनाज़ को तेज दर्द का एहसास हुआ और उसके मुंह से एक जोरदार मस्ती भरी आह निकल पड़ी और उसने जोर से शादाब को अपनी बांहों में कस लिया

" आहहहह सीई आइआइआइ हाय मा री उफ्फ।

शहनाज़ भूल गई थी कि नीचे उसके सास ससुर हैं और खुले दरवाजे में से उसकी सिसकी नीचे दादा जी को सुनाई पड़ी तो उनकी आवाज आई

" क्या हुआ शहनाज़ बेटी ? सब ठीक तो है

शहनाज़ और शादाब दोनो ही एक पल के लिए कांप उठे और फिर शहनाज़ अपने आपको संभालते हुए शादाब की आंखो में देखते हुए बोली"

" अब्बा जी वो मुझे छिपकली दिख गई थी

दादा जी के हंसने की आवाज सुनाई दी और बोले:"

" इतनी बड़ी हो गई हो तुम और किसी छोटे बच्चे की तरह डरती हो छिपकली से। ध्यान रखो अपना।
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10-08-2020, 02:12 PM,
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दोनो ने राहत की सांस ली और शादाब ने लंड घुसे घुसे ही शहनाज़ को उठा लिया और शहनाज़ शादाब के होंठो को चूसने लगी। शादाब शहनाज़ को लिए हुए पहली सीढ़ियों का गेट बंद कर दिया और फिर शहनाज़ ने कमरे के गेट को अच्छे से बंद कर दिया और सभी खिड़कियां बंद हो गई तो शादाब ने शहनाज़ को बेड पर लेकर लेट गया और शहनाज़ ने अपने दोनो हाथ उसकी गर्दन में लपेट दिए। शादाब ने लंड को बाहर की तरफ खींचा और जोर से धक्का मारकर अंदर घुसा दिया तो शहनाज़ मस्ती से उछल पड़ी और शादाब ने शहनाज़ की चूत में धक्के लगाने शुरू कर दिए और सूट के उपर से उसकी चूचियां दबाने लगा तो शहनाज़ ने अपने सूट के साथ साथ आपनी ब्रा को भी उतार दिया और शादाब ने उसकी नंगी चूचियों को जोर जोर से मसलते हुए उसे चोदना शुरु किया तो शहनाज़ का जिस्म उत्तेजना के मारे उछलने लगा और उसकी गांड़ मस्ती से अपने आप उपर नीचे होने लगी

" आह्हह शादाब, उफ्फ मेरे राजा, चोद ऐसे ही मुझे, घुसा दे जड़ तक लोला, उफ्फ देख तो अपनी मा चोद रहा हैं शादाब

शादाब शहनाज़ की सिसकियां सुनकर जोश में अा गया और पूरा दम लगाकर शहनाज़ को चूत में धक्के लगाने लगा।

दोनो मा बेटे सुबह से ही तड़प रहे थे इसलिए दोनो पूरी ताकत से चुदाई में लगे हुए थे। शहनाज अब पूरी मस्ती से सिसकियां भर रही थी और शादाब को जोश दिला रही थी। शादाब के ताकतवर धक्कों के सामने शहनाज़ की चूत ज्यादा देर तक नहीं टिक गई और शहनाज़ का पूरा जिस्म बुरी तरह से कांप उठा और उसने कसकर शादाब को भींच लिया और जोर जोर से आंहे भरते हुए झड़ गई

" आह्ह् उफ्फ गई मेरी चूत, हाय शदाब चुद गई तेरी मा।

शहनाज़ की चूत पूरी तरह से चिकनी हो गई तो लंड फटाफट अंदर बाहर होने लगा। शहनाज़ की चूत अब जोर जोर से रगड़ी जा रही थी। शहनाज़ पागलों की तरह शादाब को चूम रही थी, चाट रही थी। शादाब भी शहनाज़ को पूरी ताकत से कस लिया और एक जोरदार धक्का लगाया और लंड को पूरा अंदर घुसा दिया तो शहनाज़ किसी अमर बेल की तरह कांपती हुई उससे लिपट गई और शादाब के लंड ने शहनाज की चूत को भरना शुरू कर दिया। जैसे ही लंड से पिचकारी निकलना बंद हुई तो लंड अपने आप सिकुड़ कर बाहर निकल गया।

शहनाज़ ने शादाब को एक तरफ को धक्का दिया और बाथरूम में घुस गई। शहनाज अच्छे से मल मल कर नहाई और अपनी चूत को साफ किया और एक टॉवेल अपने बदन पर लपेटकर बाहर अा गई और शादाब को डांटते हुए बोली:_

" जा जल्दी नहा कर आजा, मुझे भूख लगी हैं,

शादाब शहनाज़ की तरफ आंख मारते हुए बोला:"

" कौन सी भूख लगी हैं जिस्म की या पेट की ?

शहनाज़ के होंठो पर स्माइल अा गई और उसका हाथ पकड़ कर बाथरूम के अंदर धकेल दिया और बोली;"

"चल जल्दी नहाकर अा जा, मैं तेरा इंतज़ार कर रही हूं।

शादाब नहाकर अा गया तो उसने देखा कि शहनाज़ ने सिर्फ एक पतले से कपडे की नाइटी पहनी हुई थी और बहुत खूबसूरत लग रही थी। शहनाज ने खाना लगा दिया था इसलिए शादाब जिसने की अपने जिस्म पर सिर्फ एक चादर लपेट रखी थी वो शहनाज के सामने बैठ गया और और दोनो मा बेटे एक दूसरे को प्यार से खाना खिलाने लगे।

जल्दी ही दोनो खाना खा चुके तो शहनाज मूसल और औखली में मसाला लेकर अा गई, उसका चेहरा पूरी तरह से लाल हो चुका था और चूत सोच सोच कर गीली हो रही थी कि आज वो उसी हालत में चुदने जा रही हैं जहां से उसके रिश्ते की शुरुवात हुई थी। शहनाज़ ने कुछ मोटा सख्त मसाला औखली में डाल दिया और नीचे जमीन पर बिछे गद्दे पर बैठ गई तो शादाब ने अपनी चादर को जिस्म से उतार दिया और पूरी तरह से नंगा हो गया और शहनाज़ के सामने आकर खड़ा हो गया तो शहनाज़ की सांसे लंड को खौफनाक रूप से हिलता देख कर तेज तेज चलने लगी।

शहनाज़: अा जा मेरे राजा, मसाला तैयार हैं कूटने के लिए

इतना कहकर शहनाज ने अपनी जांघो को हल्का सा खोलकर शादाब का लन्ड सहला दिया तो शादाब शहनाज़ के पीछे बैठ गया और उसकी नाइटी को उतार कर उसे पूरी तरह से नंगा कर दिया। शहनाज़ गद्दे पर बैठी हुई थी और शादाब ने एक हाथ आगे बढ़ाते हुए अपना मुंह शहनाज़ के कंधे पर टिका दिया और लंड अपने आप शहनाज़ की कमर पर जा लगा तो शहनाज़ के मुंह से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी। शहनाज़ के हाथ में मूसल था और उस हाथ को शादाब ने पकड़ लिया और जैसे ही उसने जोर से मूसल औखली में मारा तो शहनाज़ आगे को झुक गई और मूसल औखली में धम्म की आवाज करता हुआ घुस गया और शादाब का लंड जोर से शहनाज़ की कमर में लगा तो शहनाज़ का पूरा जिस्म मस्ती से भर उठा और कमरे में शहनाज़ के साथ साथ उसकी चूड़ियों की खनक भी गूंज उठी।

शादाब ने स्पीड बढ़ा दी और मूसल तेजी से औखली में अंदर बाहर होने लगा और लंड शहनाज़ की कमर में जोर जोर से लगने लगा और शहनाज़ की चूचियां बेलगाम होकर उछलने लगी और उसकी चूत से रस टपकना शुरू हो गया।

शहनाज़ ने अपनी कमर को पूरी तरह से शादाब के जिस्म से सटा दिया और थोड़ा सा आगे को झुकने गई तो लंड का सुपाड़ा चूत पर दस्तक देने लगा और अगली बार जैसे ही शादाब ने मूसल पूरा बाहर निकाल कर जोर से अन्दर घुसाया तो शहनाज़ जान बूझकर आगे को गिर पड़ी और शादाब उसकी कमर पर छाता चला गया और उसका सूखा हुआ लंड एक झटके के साथ शहनाज़ की चूत में जड़ तक घुसता चला गया।

" आह्हह शादाब, मेरी चूत फट गई, उफ्फ मार दिया तूने मुझे, हाय एसआईयूआईआई एक बार में ही पूरा घुस गया।

लंड पहली बार इस पोजिशन में घुसा था और चूत को पूरी तरह से फैला दिया था। शहनाज़ ने एक बार गर्दन झुका कर शादाब की तरफ मुस्कुरा कर देखा और तो शादाब ने लंड को बाहर निकाला और फिर से घुसा दिया तो शहनाज़ की आंखे मस्ती से बंद हो गई। शहनाज़ के हाथ में मूसल था जो हर धक्के पर औखली में घुस रहा था और शादाब जितनी जोर से चूत में लंड घुसा रहा था उतनी ही जोर से मूसल औखली में घुस रहा था। शहनाज़ की चूड़ियों की आवाज गूंज रही थी और शहनाज़ की चूत अभी पूरी तरह से गीली नहीं हुई थी जिस कारण उसे दर्द हो रहा था।

शादाब ने पूरे लंड को बाहर निकाला और पूरा एक ही धक्के में घुसा दिया तो लंड शहनाज़ की चूत की फांकों को पूरी कठोरता से रगड़ता हुआ घुस गया तो शहनाज़ दर्द और मस्ती से तड़प उठी और उसका मुंह खुल गया

" आह शादाब उफ्फ अभी औखली पूरी चिकनी नहीं हुई है मेरे राजा, दर्द होता हैं

शादाब उसकी गर्दन चाटते हुए बोला:" दादी ने आपको पहली ही कहा था कि पूरी तरह से चिकनी कर लेना ताकि अच्छे से कुटाई हो सके आह शहनाज़ मेरी जान

शहनाज़:" आह राजा गलती हो गई, उफ्फ मैं तेल ले आती हूं, रुक जा आह

शादाब ने शहनाज़ की बात पूरी होने से पहले ही धक्का लगाया तो शहनाज़ की उसकी चूत फटती हुई नजर आईं तो शहनाज़ ने अपनी सिसकी दबाने के लिए गद्दे में अपना मुंह छिपा लिया और जोर जोर से सिसकने लगी।

शादाब:" आह्ह शहनाज़ मेरी जान, उफ्फ कितनी टाइट चूत हैं तेरी, उफ्फ मजा आ रहा है

मसाला पूरी तरह से कूट चुका था इसलिए शादाब ने औखली को एक तरफ कर दिया जोर से धक्के मारते हुए बोला:"

" आह शहनाज़ ये मसाला तो पिस गया अब तेरी चूत का मसाला अच्छे से कूटता हूं।
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10-08-2020, 02:13 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शादाब ने अपने मुंह से थूक निकाल कर अपने लंड को पूरी तरह से गीला कर दिया और शहनाज़ की चूत पर झुक कर किस किया तो शहनाज़ का पूरा जिस्म मस्ती से लहरा गया और सिसक उठी

" आह शादाब , मेरी चूत चूस रहा है तू, कितना गन्दा हो गया है मेरा बेटा हाय अल्लाह

शादाब ने शहनाज़ की चूत को चूस कर पूरी तरह से चिकना बना दिया और लंड के सुपाड़े को चूत के मुंह पर रख कर धक्का लगाया तो लंड पुरा अंदर घुस गया और जैसे कमाल हो गया। शहनाज़ के मुंह से अब दर्द की जगह मस्ती भरी सिसकारियां निकलने लगी

" आह शादाब, उफ्फ मेरी जान हैं तू, बहुत मजा आया, मार अपनी मां की चूत राजा, घुसा दे पूरा लोला

शादाब ने शहनाज़ के दोनो कंधे पकड़ लिए और जोर जोर से उसे चोदने लगा और हर धक्के पर लंड शहनाज़ की बच्चेदानी से टकरा रहा था जिससे शहनाज़ मस्ती से उछल रही थी

" हाय मेरे राजा उफ्फ ऐसे ही चोद, हाय मुझे कुछ हो रहा है उफ्फ शादाब का लोला, हाय तेरा लोला मेरी चूत में घुस गया!!

शहनाज़ से इतना मजा बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने अपनी गरदन उठा कर शादाब की तरफ देखा तो शादाब उसके मुंह पर झुक गया और दोनों के होंठ आपस में मिल गए और एक दूसरे का रस चूसने लगे।

तभी शादाब ने एक जोरदार धक्का लगाया तो शहनाज़ की चूत ये धक्का नहीं झेल पाई और उसकी चूत से रस छूट गया और शहनाज़ ने अपनी जीभ शादाब के मुंह में घुसा दी और उसकी जीभ चूसने लगी। शादाब बिना रुके धक्के लगाने लगा तो शहनाज़ की चूत में अब हल्का हल्का दर्द होने लगा तो उसके मुंह से दर्द भरी सिसकारियां निकलने लगीं और शादाब को और जोश अा गया क्योंकि मर्द का सपना होता है कि वो औरत को बिस्तर पर मसल कर रख दे और शादाब अब यही कर रहा था। शहनाज़ की चूत से फच फच की आवाज गूंज रही थी और उसकी सिसकियां तेज होती जा रही है। शहनाज़ की अब हालात खराब होने लगी तो वो शादाब को अपने उपर से हटाने लगीं क्योंकि उसकी चूत में जलन होने लगी थी।

" आह शादाब, हट जा मेरे राजा, उफ्फ दर्द हो रहा हैं तेरी शहनाज़ की चूत में अब !!

शादाब ने दोनो हाथो में शहनाज़ की गांड़ को पकड़ा हुआ था और उसकी गांड़ को जोर जोर से दबाते हुए धक्के पर धक्के लगा रहा था और शहनाज़ का जिस्म पूरी रफ्तार से उछल रहा था और उसके काले बाल हवा में लहरा रहे थे और शहनाज़ ने अपने आपको संभालने के लिए दोनो हाथो से बेड शीट को दबोच रखा था

शादाब अब पूरी ताकत से उसकी गांड़ मसलते हुए किसी पागल सांड की तरह धक्के लगाने लगा। हर धक्के में पूरा लंड बाहर आता और घप से अंदर घुस जाता। शहनाज़ का जिस्म पूरी तरह से हिल रहा था हर धक्के पर और उसकी दर्द भरी मादक सिसकियां पूरे कमरे में गूंज रही थी।

" आह्हह नहीं ही शादाब, मार ही डालेगा क्या मुझे, छोड़ दे मुझे नहीं कुट्वाना मसाला तुझसे,

शादाब पूरी ताकत से चोदता रहा और शहनाज़ ने दर्द के मारे अपनी टांगे बंद कर ली तो लंड पूरी तरह से फस कर अंदर बाहर होने लगा और शादाब का धैर्य जवाब दे गया और उसने एक आखिरी धक्का पूरी ताकत से लगाया और शहनाज़ की चूत में अपने लंड को किसी मूसल की तरह ठोक दिया तो शहनाज पूरी जोर से सिसक उठी क्योंकि लंड उसकी बच्चेदानी में घुस सा गया था। शादाब के लंड से वीर्य की पिचकारी निकलने लगी और शहनाज़ की जलती हुई चूत को ठंडक मिल गई। शादाब शेर की तरह दहाड़ मारता हुआ अपनी मा की पीठ पर ढेर हो गया
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10-08-2020, 02:13 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
जैसे ही लंड से वीर्य की पिचकारी निकलनी बंद हुई थी तो लंड बेजान सा होकर चूत से बाहर निकल गया। शाहनाज अभी तक पूरी तरह पसीने से भीगी हुई थी और लंबी लंबी सांस ले रही थी। उसे सपने में भी उम्मीद नहीं थी कि ये चॉकलेटी सा दिखने वाला उसका अपना बेटा उसकी ऐसी हालत कर देगा। शहनाज़ के जिस्म को आज उसने ऐसा रगड़ दिया था कि नस नस अच्छे से मटक गई थी। उपर चढकर उसने शहनाज़ की गांड़ को आज इतनी जोर जोर से मसल दिया था कि उसकी गोरी गांड़ लाल सुर्ख टमाटर जैसी हो रही थीं। उसकी गर्दन पर कंधो पर शादाब के प्यार से काटे जाने और मसलने के निशान पड़ गए थे। शहनाज़ की चूत का आज सबसे ज्यादा बुरा हाल हुआ था और वो इस दमदार चुदाई के बाद आराम से शहनाज की टांगो के बीच में सिमटी हुई पड़ी थी। चूत की दीवारों को आज लंड ने पूरी ताकत से रगड़ा था जिस कारण शहनाज़ ने आज मस्ती का नया अनुभव किया था और चूत की सारी तड़प और आग अब ठंडी सी पड़ गई थी।

शादाब ने अपनी जीभ निकाल कर शहनाज़ की गर्दन को चुन लिया और बोला:"

" शहनाज मेरी शहनाज़

शहनाज़ धीरे से बोली मानो उसकी आवाज किसी गहरे कुवे से निकल रही हो

" हम्म शादाब मेरे राजा,

शादाब:" कैसा लगा मेरा प्यार ?

शहनाज़ ने अपनी बन्द आंखो को खोला और प्यार से शादाब की तरफ देखा और स्माइल करते हुए बोली:"

" शादाब ऐसा लग रहा था कि तू आज मेरी जान ही ले लेगा

शादाब उसकी गांड़ को अपनी जांघो से दबाते हुए:"

" मेरी जान हैं तू शहनाज, मजा आया या नहीं ?

शहनाज़ के होंठो पर स्माइल अा गई और शर्म से पलके झुक गई तो शादाब बोला:"

" अब बता भी दो मेरी जान, जो जिस्म से बोल रही हो मुंह से भी बोल दो मेरी जान

शहनाज़ की गांड़ पर जैसे ही शादाब की जांघो का दबाव पड़ा तो उसने शादाब के हाथ को पकड़ कर जोर से दबा दिया और बोली:"

" आह राजा, बहुत मजा आया आज, चुदाई में इतना मजा भी अा सकता है आज महसूस किया
लेकिन दर्द बहुत हुआ शादाब।

शादाब उसके कंधे मसलते हुए बोला :" दर्द ज्यादा था या मजा मेरी जान?

शहनाज़:" उफ्फ जब तूने चिकनी कर दी थी मेरी औखली फिर मजा आ गया, पहले तो बिल्कुल मूसल की तरह लग रहा था

शादाब:" उफ्फ अम्मी जब आप मूसल चिकना नहीं कर सकती तो फिर से दर्द होगा ही

शहनाज़ उसका मतलब समझ गई कि उसका बेटा उसे लंड चूस कर चिकना करने के लिए बोल रहा हैं तो उसकी सांसे तेज हो गई और पूरा जिस्म कांपने लगा। उसने शादाब की तरफ गुस्से से देखा और बोली:"

" उफ्फ मैं तेरी तरह कितनी गंदी नहीं हू, पता नहीं कहां से सीखता हैं ये सब ? मेरी उसको नहीं चूम रहा था और फिर मेरे होंठ चूसता हैं तू । शर्म किया कर

शादाब:" उफ्फ अम्मी मेरी जान, तुम्हारे नीचे वाले होंठ ज्यादा रसीले और टेस्टी हैं।

शहनाज़ शर्मा गई और मुंह नीचे किए हुए ही बोली:"

" उफ्फ समझाऊं तुझे राजा, वो नहीं चूसते मेरे बेटे।

शादाब:" अम्मी एक बात बताओ कैसा लगता है तब मैं वहां किस करता हूं।

शहनाज़ का रोम रोम कांप उठा और उसकी चूत के होंठ शादाब की जीभ के एहसास को सोच कर तड़प उठे और शहनाज़ बोली:"

"उफ्फ शादाब, मुझे बहुत ज्यादा गुदगुदी सी होती हैं, लगता हैं जैसे चीटियां सी चल रही हों।
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10-08-2020, 02:13 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शादाब:" इसका मतलब आपको अच्छा लगता हैं अम्मी?

शहनाज़ पहले तो शर्मा गई और फिर उसके होंठो पर स्माइल फैल गई जो शहनाज़ का मुंह झुका होने के बाद भी शादाब ने देख ली और उसकी कमर को अपनी छाती से रगड़ते हुए बोला:"

" आपकी हंसी बता रही हैं कि आपको बहुत अच्छा लगता हैं अम्मी जब मैं चूत पर किस करता हूं आपको।

शहनाज़ मचलते हुए अदा के साथ बोली:"

" कमीना कहीं का, अपनी मा से कैसी गंदी गंदी बाते करता है।

शादाब:" उफ्फ अब तुम मेरी जान मेरी बीवी बन गई हो शहनाज़, तुम्हे वो रेहाना और उसका बेटा याद है ?

शहनाज़:" उस कमीनी कूतिया को मैं कैसे भूल सकती हूं शादाब ?

शादाब:" अम्मी देखा था आपने वो कैसे अपने बेटे के लंड को चूस रही थी।

शहनाज़:" हान देखा था उसके बेटे का वो मरीयल सा लंड, जैसी वो ऐसा उसका बेटा

शादाब:" और जैसी मेरी मा शहनाज़ वैसा उसका बेटा शादाब। वैसे मेरा लन्ड मरियल तो लगा तुम्हे ?

शहनाज़ की आंखो में खुमारी छाने लगी और बोली:"

" उफ्फ मेरे राजा ये तो मुझे पसंद हैं, बस मोटा हैं इसलिए दर्द थोड़ा ज्यादा देता हैं।

शादाब उसकी गांड़ मसल देता है तो शहनाज़ जोर से कराह उठी और शादाब बोला:"

" मोटा हैं तभी तो इतना मजा देता हैं शहनाज़, दर्द तो झेलना पड़ेगा मजे के लिए।

शहनाज़:" उफ्फ शादाब तू मुझे ये दर्द रोज दिया करना, उफ्फ बहुत अच्छा लगता हैं जब ये अंदर घुसता हैं।

शादाब फिर से बात घुमा कर बोला:" उफ्फ अगर दर्द से बचना है तो गीला कर दिया करो इसे।

शहनाज़:" उफ्फ तू भी ना, अरे मुझसे नहीं चूसा जाएगा लंड शादाब, मुझे अच्छा नहीं लगेगा।

शादाब:" अम्मी आपको लंड अच्छा लगता है क्या ?

शहनाज़:" उफ्फ ये तो अब मेरी जान बन गया हैं राजा!

इतना कहकर शादाब अपनी गांड़ को उपर को उठाते हुए लंड पर दबाव डालती है तो शादाब मस्ती से बोला:"

" आह शहनाज़ जब इतना पसंद हैं तो एक किस तो कर दे मेरी जान बस एक किस।

शहनाज़ के होंठो पर स्माइल अा गई और बोली:"

" उफ्फ ये लड़का, मुझे बिगाड़ देगा ऐसे तो, तू समझता क्यों नहीं शादाब?

शादाब:" अम्मी बस एक किस कर दो मुझे बहुत अच्छा लगेगा,

इतना कहकर शहनाज़ लंड को शहनाज़ की जांघो में घुसा देता हैं और हल्के हल्के धक्के मारने लगता हैं तो शहनाज़ फिर से बहकने लगी और बोली:"

" उफ्फ शादाब, बस एक छोटा सा करूंगी वो भी तेरी खुशी की खातिर।

शादाब शहनाज़ की बात सुनकर खुश हो गया और मुंह उपर की तरफ उठाता है और उसके होंठो पर अपने होंठ रख देता और दोनो एक दूसरे के होठों को चूसने लगे। शादाब ने अपनी जीभ शहनाज़ के मुंह में घुसा दी और शहनाज उसकी जीभ आइस क्रीम की तरह चूसने लगी। दोनो की आंखे मस्ती से बंद हो गई थी और शादाब ने शहनाज़ की चूचियों को हाथ में भर कर जोर से दबा दिया तो किस अपने आप टूट गई और शहनाज़ जोर से सिसक उठी

" आह थोड़ा प्यार से दबा मा मेरे राजा, उफ्फ तेरी मा की चूचियां हैं शादाब। इनके दूध की ताकत इनपर ही दिखा रहा हैं।
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10-08-2020, 02:13 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शादाब उसकी चूची के निप्पल मसलते हुए:"

" अाहहह शहनाज़ मेरी जान मैं तो तेरी इन चुचियों का कर्ज चुका रहा हूं मेरी अम्मी!!

शादाब की ये बात सुनकर शहनाज़ पूरी तरह से मदहोश हो गई और बोली:'

" राजा थोड़ा प्यार से मसल मेरी चूची, उफ्फ दुखती है

शादाब धीरे धीरे उसकी चूचियों को सहलाता है और शहनाज़ की चूत पूरी तरह से चुदने के लिए चिकनी हो गई थी तो उसने शादाब को अपने उपर से उतरने का इशारा किया और शादाब नीचे उतर गया तो शहनाज़ उसके उपर चढ़ गई और उसके होंठ चूसने लगी। शादाब ने अपने दोनो हाथों में उसकी गांड़ को भर लिया और जोर जोर से दबाने लगा तो शहनाज़ का पूरा जिस्म कांपने लगा और वो अपनी चूचियों को शादाब के सीने पर रगड़ने लगीं तो निप्पल शादाब के सीने में अपनी अकड़ दिखाने लगे। शहनाज़ की चूत अब दबाए जाने से हल्का हल्का दर्द कर रही थी इसलिए शहनाज़ के मुंह से मस्ती भरी सिसकारियां निकलने लगी और वो नीचे की तरफ झुकने लगी और जल्दी ही शादाब की जांघो में पहुंच गई। शहनाज़ की आंखे मस्ती से बंद थी इसलिए जैसे ही वो झुकी तो शादाब का एक लोहे के मूसल की तरह सख्त ही चुका लंड उसके माथे से जा टकराया तो शहनाज़ के मुंह से एक दर्द भरी आह निकल गई

" उफ्फ मा री कितना कठोर हैं शादाब ये, ऐसा लगता है जैसे लोहे का कोई टुकड़ा हो

शादाब:" आह शहनाज मेरी अम्मी तुम्हारे होंठो के लिए तड़प रहा है इसलिए इतना इतनी अकड़ दिखा रहा हैं।

शहनाज़ की नजरे शर्म के मारे नीचे ही झुकी हुई थी। उसने लंड को आंखे खोलकर ध्यान से देखा तो एक बार फिर से उसका जिस्म कांप उठा, ऐसा नहीं था कि वो लंड को पहली बार देख रही थीं लेकिन सच में अब लंड उसे सबसे ज्यादा खतरनाक लग रहा था, खून के दबाव के कारण नसे साफ चमक रही थी और लंड बेचैनी से इधर उधर लहरा रहा था। लंड का ये रूप देखकर शहनाज़ की चूत इस बार डरने की बजाय गीली होने लगी मानो अपने आपको जंग के लिए तैयार कर रही हो। शहनाज़ ने लंड को हाथ में पकड़ लिया और बोली:

"तेरे ये मूसल तो तेरे से भी बेताब नजर आ रहा हैं,अभी इसकी सारी अकड़ दूर करती हूं।

शहनाज़ ने लंड को हल्का सा दबा दिया तो शादाब के मुंह से आह निकल पड़ी और शहनाज मस्ती से उसे अपनी हाथ से सहलाने लगी और वो बोली:'

" उफ्फ शादाब ये तो बहुत गर्म हो रहा हैं, उफ्फ डर लगता हैं मुझे

शादाब ने अपने एक हाथ से शहनाज का सिर लंड पर हल्का सा झुकाया तो उसका मुंह बिल्कुल लंड के करीब चला गया और शहनाज़ की चूत से रस बुरी तरह से टपक रहा था। शहनाज़ ने आंखे खोलकर लंड को देखा तो लंड उसे बेहद खूबसूरत नजर आया क्योंकि वो पहली बार लंड को इतने करीब से देख रही थी, शादाब का पूरा बदन मस्ती से भर गया था क्योंकि शहनाज़ उसकी शहजादी, उसकी मा आज अपने नाजुक होंठो से लंड को चूमने जा रही थी। शहनाज़ ने हिम्मत करके एक बार अपने होंठ लंड के सुपाड़े पर टिका दिए और शर्म और डर के मारे अगले ही पल अपने आप इसके होंठ हट गए। शहनाज़ के होंठो का लंड पर ये पहला छोटा सा स्पर्श महसूस करके शादाब मस्ती से तड़प उठा और बोला :

" आह मेरी अम्मी उफ्फ तेरे होठ कितने गर्म है, मेरी जान हैं तू, उफ्फ अब और मत तड़पा मुझे, मार ही देगी क्या ?

शहनाज़ अपने बेटे के होंठो से सिसकी सुनकर मदहोश हो गई और लंड के सुपाड़े पर होंठ टिका दिए और चूमने लगी।

शादाब की आंखे मस्ती से बंद हो गई और उसके मुंह से एक आह निकल पड़ी

" आहउह शहनाज, उफ्फ हाय अम्मी, उफ्फ साी सिई आई री उफ्फ

शादाब का जिस्म पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया और उसका जिस्म अपने आप झटके खाने लगा जिससे लंड का दबाव शहनाज़ के होंठो पर पड़ने लगा और अपने बेटे के मुंह से निकली मस्ती भरी सिसकियां सुनकर शहनाज़ को अच्छा लगा। लंड से निकलती हुई मादक खुशबू उसके होशो हवास उड़ाती चली गई और अपने आप ही उसका मुंह खुल गया और लंड अंदर की तरफ घुसने लगा तो शहनाज़ की जीभ अपने आप लंड पर रगड़ खाने लगी और शादाब से ये उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हुई और लंड का एक हल्का से झटका शहनाज़ के मुंह पर लगा दिया तो लंड का मोटा सुपाड़ा शहनाज़ के मुंह को पूरी चौड़ाई में खोलते हुए अंदर दाखिल हो गया और और शादाब के मुंह से जोरदार मस्ती भरी सिसकारियां निकलने लगी
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10-08-2020, 02:13 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
" आह शहनाज़, उफ्फ ओह मेरी मा, कितनी अच्छी हैं तू शहनाज़ मेरी शहनाज,

शहनाज़ के मुंह में हल्का सा दर्द हो रहा था लेकिन उसने लंड के सुपाड़े को चूसना शुरू कर दिया
शहनाज के जलते हुए गर्म होंठो को अपने लंड पर महसूस करके शादाब मस्ती के सातवे आसमान पर पहुंच गया और उसने हाथ आगे बढा कर शहनाज की चूत को हथेली में भर लिया और जोर से भींच दिया तो शहनाज़ की आंखे खुल गई और उसने एक आखिरी जोरदार किस लंड पर किया।

शादाब ने जोश में आकर एक उंगली शहनाज़ की चूत में घुसा दी और शहनाज़ के जिस्म तो एक झटका लगा और लंड का सुपाड़ा अपने आप मुंह से बाहर निकल गया और शादाब ने शहनाज को अपने उपर खींच लिया और एक दीवाने की तरह से उसका चेहरा चूमने लगा। शहनाज अपने बेटे के इस प्यार से गदगद हो उठी और अपनी चूत उसके लंड पर रगड़ने लगी तो शादाब ने एक पलटा खाया और शहनाज के उपर चढकर लंड को चूत पर टिका दिया तो शहनाज़ ने उसके गले में अपने दोनो हाथ लपेट दिए और मचलते हुए सिसकी:"

" आह शादाब, मार ले मेरी चूत, घुसा दे अपना लोला शहनाज़ की चूत में मेरे लाल

शादाब ने शहनाज़ की आंखो में देखते हुए एक झटका लगाया और सुपाड़ा अंदर घुस गया तो शहनाज़ दर्द और मस्ती से सिसक उठी:"

" हाय शादाब, उफ्फ पूरा घुसा, पूरा घुसा दे मेरे राजा सीईईई

शादाब ने शहनाज़ की आंखो में देखते हुए एक तगड़ा धक्का लगाया और शहनाज़ ने भी अपनी गांड़ उपर की तरफ उठाई जिससे लंड एक ही बार में उसकी चूत में जड़ तक उतरता चला गया और शहनाज़ को दर्द का एहसास हुआ और उसके मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी

" आह शादाब, उफ्फ मार दी मेरी चूत तूने, घुस गया मेरे शादाब का लोला मेरी चूत में।

शादाब ने बिना रुके धक्के लगाने शुरू कर दिए तो शहनाज़ के मुंह से मस्ती भरी सिसकारियां निकलने लगी और उसने अपनी दोनो टांगे पूरी तरह से खोल कर शादाब की कमर पर लपेट दी नीचे से अपनी चूत लंड पर उछालने लगी और सिसकी:"

" उई मा, उफ्फ शादाब, तेरा लोला मेरे बेटे, हाय कैसे मेरी चूत को रगड़ रहा है, कहां था टी अब तक मेरी जान !!

शादाब ने शहनाज़ को पूरी तरह से अपने नीचे दबा दिया और और उसकी गर्दन चाटते हुए कस कर धक्के लगाने लगा तो शहनाज़ का जिस्म पूरी तरह से कांप उठा और शहनाज़ अपनी को उपर उठाकर अपनी खुशी जाहिर करने लगी। पूरे कमरे में शहनाज़ की मस्ती भरी सिसकारियां गूंज रही थी और शादाब बहुत प्यार से उसकी सूजी हुई चूत को और सूजा रहा था। हर धक्के पर शहनाज़ का बदन उपर की तरफ उठता और उसकी चूचियां शादाब के सीने में घुस जाती। शहनाज़ की चूत लंड के धक्के ज्यादा देर नहीं झेल पाई और उसकी चूत ने अपना रस छोड़ दिया और एक झटके के साथ शहनाज का पूरा जिस्म कांप उठा और वो शादाब से लिपट गई।

" आह शादाब, उफ्फ मार दी मेरी चूत, उफ्फ हाय मेरे राजा,

शहनाज मस्ती से सादाब का चेहरा चूमने लगी और उसकी कमर पर हाथ फेरने लगी। शहनाज़ की चूत उसके रस से पूरी तरह से चिकनी हो गई तो शादाब ने पूरे लंड को जोर देते हुए बाहर की और निकालने लगा तो शहनाज की झड़ती हुई चूत की दीवारें झनझना उठी और उसने उसने निकलते हुए लंड को बाहर जाने से रोकने के लिए अपनी चूत को भींच लिया लेकिन जब तक लंड पूरी तरह से बाहर निकल चुका था इसलिए शहनाज़ को हल्की सी निराशा हुई लेकिन अगले ही पल शादाब ने पूरी ताकत से एक जोरदार धक्का लगाया जो शहनाज़ की पूरी तरह से कस चुकी चूत को एक झटके में खोलते हुए अंदर घुस गया और शहनाज़ को बहुत दर्द का एहसास हुआ और वो दर्द से सिसक उठी

" आहउह मार डाला मुझे, उफ्फ ये क्या कर दिया शादाब, फट गई मेरी चूत बेटा।

शादाब को शहनाज़ की पीड़ा का एहसास हुआ और वो बहुत धीरे से लंड अंडर बाहर करते हुए उसका मुंह चूमने लगा और शहनाज की चूचियों को प्यार से सहलाने लगा तो शहनाज की आंखे मस्ती से बंद हो गई और गांड़ अपने आप लंड पर उछलने लगी। शहनाज़ की टांगे पूरी तरह से खुल गई थी और शादाब आराम से उसकी कमर को थामे धक्के लगा रहा था। हर धक्के पर शादाब लंड को जोर से दबाता जिससे शहनाज़ की चूत की फांके पूरी तरह से रगड़ी जा रही थी और शहनाज इस एहसास को पूरी तरह से महसूस करके मस्त हो रही थी।
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10-08-2020, 02:13 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शहनाज़ की चूचिया एक लय में उछल रही थी और शादाब ने उसे आवाज लगाई:"

" आह शहनाज़, उफ्फ मेरी तरफ देखो ना मेरी अम्मी मेरी जान

शहनाज़ बंद आंखो के साथ ही बोली:" उफ्फ शादाब, बस ऐसे ही चोदता रह, मुंह से नहीं लोले से बोल मेरे राजा।

शादाब ने शहनाज को जोर से कस लिया और पहले से तेज धक्के लगाने लगा तो शहनाज़ पूरी तरह से मस्त हो गई और उसके मुंह से मादक सिसकिया निकलने लगी

शहनाज़ पूरी तरह से एक बार फिर से गर्म हो चुकी थी और उसने अपने दोनो हाथो में बेड शीट को दबोच रखा था और शादाब अब थोड़ी ज्यादा ताकत से उसे चोद रहा था। शहनाज का खूबसूरत चेहरा उसे पूरी तरह से जोश दिला रहा था और चुदती रह हुई शहनाज़ के चेहरे पर एक असीम सुख का एहसास हो रही था और हर धक्के पर चूत के साथ साथ उसके होठ खुल और बंद हो रहे थे। शादाब ने शहनाज के होंठो को चूम लिया और शहनाज़ ने अपनी जीभ उसके मुंह में घुसा दी और उसकी जीभ पकड़ कर चूसने लगी तो शादाब का धैर्य जवाब दे गया और लंड ने अब अपना असली जौहर दिखाना शुरु कर दिया तो शाहनाज का जिस्म पूरी तरह से हिलने लगा और चूत से फच फच की मधुर आवाज गूंज रही थी। शादाब ने लंड को बाहर निकाला और पूरी ताकत से अंदर घुसा दी थी शाहनाज को उसकी चूत की धज्जियां उड़ती महसूस हो और लंड सीधे बच्चेदानी में घुस गया तो किस अपने आप टू गई और शहनाज की सिसकियां पूरे कमरे में गूंज उठी

" आह शादाब, बच्चेदानी में घुस गया लोला, उफ्फ कितना मस्त चोदता हैं, घुसा ऐसे ही जोर जोर

शादाब के लंड में भी उबाल आने लगा तो उसके धक्के बिजली की स्पीड से पड़ने लगे और शहनाज़ की बच्चेदानी हर साल पर सिकुड़ रही थी। वो उत्तेजना से कराह रही थी और अपने दोनो हाथों को शादाब की गर्दन में लपेट लिया और अपने टांगे उसकी कमर पर रख कर नीचे को दबाने लगी। शादाब एक पागल सांड की तरह अब उसकी चूत में धक्के मार रहा था।

हर धक्का पहले से तेज पड़ रहा था और शहनाज़ की चूत लंड के तगड़े धक्कों के सामने एक बार फिर से जवाब दे गई और शहनाज़ जोर से सिसकते हुए झड़ गई

" आह मेरे बेटे, मेरी चूत गई, उफ्फ क्या चोदता हैं तू, मेरी चूत तेरे लोले की दीवानी।

शादाब भी शहनाज़ की चूत की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाया और अपने जिस्म की सारी ताकत समेटकर एक आखिरी धक्का लगाया और उसके साथ ही लंड चूत में जड़ तक घुस गया। शहनाज़ इस धक्के से मस्ती से बिफर गई और बोली:"

" आह शादाब, तेरी मा की चूत भोसडी के, उफ्फ मेरी चूत।

शादाब ने शहनाज़ को पूरी ताकत से कस लिया और लंड उसकी चूत को भरने लगा। शहनाज़ की आंखे मस्ती से बंद थी और वो पूरी तरह से इस एहसास को महसूस कर रही थी।
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