Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
11-17-2020, 12:13 PM,
#81
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )

शाम के वक़्त....

अखिल.... मिश्रा जी आप भी चल रहे हो क्या ये शो देखने...

ड्राइवर.... सर जी, मैं जा कर क्या करूँगा, अब तो बुढ़ापा भी छाया है, मुझे कहाँ ले जा रहे हो...

अखिल.... चलो भी मिश्रा जी, आप भी फिरंगी शो देख लेना...

दोनो वहाँ से राक ऑन शो की जगह तक गये... सारे टिकेट्स के इंतज़ाम पहले से हो चुके थे....

ड्राइवर.... ना सर जी हम ये शो के आधे घंटे पहले यहाँ आ कर क्या कर रहे हैं... आप को नही लगता की आप किसी कॉलेज
स्टूडेंट की तरह चोरी का इंतज़ार कर रहे हो....

अखिल.... कुछ भी बोलते हो मिश्रजी. मैं बस शो के सुरक्षा इंतज़ामात चेक करने आया हूँ..... यहाँ का इंचार्ज कौन है हमे मिलवाइए....

ड्राइवर.... सर जी उस से पोलीस डिपार्टमेंट वाले 3 बार मिल चुके हैं, चौथी बार ना मिलो, साले की कहीं मूत ना निकल जाए.
आप आगे कॉन्सेंट्रेट करो, देखो मेडम आ रही है....

काया, भी वहाँ अपने दोस्तों के साथ पहुँच चुकी थी... पहुँचते ही अखिल को कॉल करने लगी, तभी अखिल ने उसे सामने देखने के लिए कहा....

काया, मुस्कुराती अखिल के पास पहुँची..... "एसपी सर काफ़ी स्मार्ट लग रहे हो... वर्दी काफ़ी जचती है आप पर, ओह बाइ दा
वे मैं मिलवाना भूल गयी..... ये है मेरी दोस्त डिज़ी और ये है मेरा फेओन्से नोमित.

उफ़फ्फ़ काँच टूटने जैसा आवाज़ हुआ दिल मे. मिश्रा जी तो अखिल के चेहरे को ही देख रहे थे... तभी सामने से मनु भी आता नज़र आया...

मिश्रा जी... सर जी आप के दोस्त आ रहे हैं सामने से...

काया.... ओह माइ गॉड, भाई यहाँ क्या कर रहा है...

ड्राइवर.... के हुआ मेडम जी, भाई के साथ ये शो नही देख सकती क्या....

काया तो जैसे मिश्रा जी को कच्चा चबा जाए, ऐसे घुरि.... अखिल सवालिया चेहरों से पूछने लगा ... "ये सब क्या है मिश्रा
जी"... और मिश्रा जी बड़ी मासूमियत से खुद को डिफेंड करते कहे... "पोलिसिया भाषा, निकल जाती है"

मनु को दूर से ही अखिल दिख गया, पर साथ मे काया.... मनु तय नही कर पा रहा था कि काया संयोग वश मिली है अखिल से, या अखिल ने कोई चक्कर चलाया...

मनु, उनके पास पहुँचते ही.... "मुझ से मिलने का वक़्त नही, ना कोई फोन ना कुछ. मुझे पता भी नही कि यहाँ हो या मुंबई
गयी. काया मैं कैसे रिएक्ट करूँ मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा".

काया.... कोई रिएक्ट करने की ज़रूरत भी नही है, पूरे ग्रूप के साथ शो देखने आए हो, और मुझे पूछा तक नही. हुहह ! मैं जा रही हूँ शो देखने गुड बाइ....

"बिहेवियर बदला हुआ, मेरी का जबाव देने के बदले ये आज भाग क्यों रही है. ज़रूर कोई बात सामने ना आए इसलिए भाग रही है"

मनु.... अखिल टिकेट का इंतज़ाम हो गया क्या ?

अखिल.... हां टिकेट हो गया... पर...

मनु.... एक मिनट टिकेट इन्हे दे दो, तुम सब अंदर जाओ हम आते हैं...

श्रेया.... मनु शो शुरू होना वाला है जल्दी आना..

मनु श्रेया की बातों को इग्नोर करता, अखिल को साइड मे ले गया....

अखिल.... ये क्या चक्कर है, तेरी शादी जब स्नेहा से तय हो गयी तो ये लड़की कौन थी जो तुम से इतनी क्लोज़ रिएक्ट कर
रही थी.

मनु.... पागल थी कोई, इग्नोर कर. अब तू मुझे समझाएगा कि काया ऐसे मुझे बाइ बोल कर क्यों भाग गयी.

अखिल.... तेरी बहन है तू जाने. मुझे क्या पता होगा...

मनु.... ह्म ! मैं जानू ना.. तो तू मुझे समझाएगा, वो तेरे साथ शो देखने क्यों आई थी.

अखिल.... तेरा दिमाग़ खिसक गया है. इतना मंद बुद्धि कब से हो गया.... यदि मैं उसके साथ शो देखने आता, तो क्या मैं
तुम्हे हां कहता शो के लिए...

मनु.... क्या पता तुम लोगों का प्रोग्राम मेरे बाद बना हो...

अखिल.... तू कन्फ्यूषन क्रियेट मत कर. एक तो मेरा दिमाग़ पहले से ही घुमा है, उपर से तू और घुमा रहा है...

मनु.... बात कॉंप्लिकेटेड मत कर, और कन्फ्यूषन दूर कर... चल बता अब पहले तू अपनी पूरी बात...

अखिल.... यार मेरे पास कल ही कॉल आया था काया का उसे 3 टिकेट चाहिए थे. और हैरानी मुझे इस बात की है कि, तेरे
घर का दामाद तेरी आँखों के सामने था, फिर भी मुझे कह रहा है मैं काया के साथ शो देखने आया हूँ.

मनु.... नोमित आया हुआ है, पर मुझे तो दिखा ही नही...

अखिल... अबे तेरे सामने ही तो खड़े थे तीनो. उसकी एक फ्रेंड और उसका फेओन्से...

मनु.... रुक एक मिनट दिमाग़ खराब नही कर... काया जब गयी तो दो लोग उसके साथ थे... तू उन्ही मे से एक को उसका
फेओन्से बता रहा है राइट...

अखिल.... जी हां....

मनु.... और तू उसके साथ शो देखने नही आया बस उसने तुझ से टिकेट के लिए कॉंटॅक्ट किया...

अखिल.... साला यहाँ पोलीस वाला मैं हूँ या तू है.... हां उस ने मुझ से कल टिकेट के लिए कॉंटॅक्ट किया था, और मुझ से पूछी भी नही शो के लिए....

मनु..... अब आई बात समझ मे, तुझे कुछ आया समझ मे, या पूरी बातें समझाऊ....

अखिल.... हां समझ गया, यही कि जिसने उसे अपना फेओन्से कह कर मिलवाया वो उसका फेओन्से नही था...

मनु.... मूर्ख है तू... मैं चला शो देखने...

अखिल.... मिश्रा जी, ये ऐसा क्यों बोल कर गया, और आप हंस क्यों रहे हैं...

ड्राइवर.... क्योंकि सच मे आप मूर्ख हैं...

सब लोग अंदर चले गये, अखिल खड़ा हो कर बस सोचने लगा कि आख़िर ये लोग मुझे मूर्ख कह कर क्यों जा रहे हैं.....

"ओह्ह्ह्ह... हूऊ... तो ये बात हैं, यानी मेडम कल से मुझे बस जला रही है. मुझे भड़का कर मेरे दिल का हाल जान'ना चाहती हैं.... उफ़फ्फ़ ये लड़की... सीधे-सीधे अपने दिल का हाल बता कर मेरे दिल का हाल जान'ने के बदले उल्टे रास्ते अपना रही
है... ओके जानेमन अब तो सब उल्टे रास्ते से ही सीधा होगा"
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11-17-2020, 12:13 PM,
#82
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
मनु जब अंदर गया तो, बॅंड की धूम-धाम चल रही थी.... "आऊओ.. आऊओ" कर के वो सिंगर गा रहा था. वहाँ मौजूद सभी ऑडियेन्स हवा मे हाथ लहराते... ज़ोर-ज़ोर से हूटिंग कर रहे थे.

मनु चुप-चाप खड़ा बस वहाँ के महॉल को देखने लग गया. तभी श्रेया उसके पास पहुँची, और ज़बरदस्ती उस से कुछ ज़्यादा ही क्लोज़ होती हुई कहने लगी.... "यू नो मनु, इस से बेहतरीन आर्टिस्ट मैने आज तक नही देखी. मुझे तो अब भी यकीन नही
की.. मैं रकके मार्टिन के शो को लाइव देख रही हूँ"

मनु उखड़ा सा सहमति देते उसके पास से हट गया, और नताली के पास पहुँचा.... नताली, पार्थ के साथ शो को फुल एंजाय
कर रही थी.... मनु को देखते ही.... "थॅंक्स मनु"

मनु.... पर थॅंक्स किसलिए...

नताली.... शो के टिकेट अरेंज करने के लिए...

अखिल.... मिस, इस शो के टिकेट मनु ने नही मैने अरेंज किए थे. से थॅंक्स टू मी.

काया अपनी तिर्छि नज़रों से एक बार अखिल को देखी, और फिर सामने देखने लगी... इस बात को अखिल ने भी नोटीस किया.....

पार्थ..... आप यहाँ है तो शहर के लॉ & ऑर्डर कौन कंट्रोल कर रहा होगा सर...

नताली.... सॉरी सर इसकी बातों को माइंड नही कीजिएगा, इसकी मज़ाक करने की आदत है...

अखिल.... हा हा हा... ये यदि सीरियस्ली भी बोलेगा तो भी मैं कुछ नही कर सकता. आप यहाँ कैसे सर, मुझे नही लगता कि
आप को इस शो मे कोई इंटरेस्ट भी होगा.

पार्थ..... क्यों मज़ाक कर रहे हैं अखिल सर, हम तो आप के रहमो करम पर हैं... बस हमारी इस खूबसूरत दोस्त की इच्छा थी सो यहाँ चला आया....

नताली.... हद है ये मेरी इच्छा थी या तुम मुझे यहाँ ले कर आए पार्थ, और डाइलॉग क्या मारे थे, इस शो के बाद मैं सर्प्राइज़्ड हो जाउन्गी... इट सीम आइ आम सर्प्राइज़्ड नाउ....

मनु.... हा हा हा... लगता है आज कोई झूठ बोलने के चक्कर मे पिटेगा...

पार्थ, मनु का चेहरा देखते हुए... "आप तो मशहूर बिज़्नेस टिकून मिस्टर मनु मूलचंदानी हैं राइट"

मनु.... अब तो सच मे सर कहना पड़ेगा... लगता है बहुत पहुँची हुई चीज़ हैं... है कौन ये अखिल.

अखिल... पेसे से वकील हैं. सुप्रीमे कोर्ट के चीफ जस्टीस मिस्टर. अनंत शर्मा के एकलौते सुपुत्र. हर उलझी जगहों पर पाए जाते हैं और अक्सर पोलीस के केस सॉल्व कर के ही मानते हैं. एक सब से बड़ी खास बात, इनका आक्षन साउत के किसी हीरो से
कम नही, क्या उड़ी-उड़ी मारते हैं.... आप की शान मे कुछ कमी तो नही रह गयी पार्थ सर.

पार्थ.... हा हा हा... अखिल सर बस एक कमी रह गयी... इतने बड़े इंट्रो के बाद एक लाइन जोड़ना तो बनता ही था... इन मी
सूपरहीरो जैसी शख्शियत है... कुछ भी कहते हो आप....

नताली.... लगता है मुझे यहाँ से जाना चाहिए. लोग कहते हैं कि जब लड़कियाँ एक जगह इकट्ठा हो तो इतनी बातें करती हैं पूछो मत. कोई यहाँ आ कर देख ले, लड़कों की हरकत....

अखिल.... उफफफ्फ़ इतनी बड़ी नादानी, आप इधर आइए मिस मेरे पास, इन सब को कदर नही आप की...

नताली अपनी बाल झटकती हुई.... "मैं तो रिक मार्टिन को ही देखूँगी... अभी तो सबसे ज़्यादा स्वीट वही है"....

पार्थ... एक्सक्यूस मी मिस, हम यहाँ किसी काम से आए हैं....

मनु.... इस शो की टिकेट किसी काम के लिए लिया था, मतलब तुम दोनो शो देखने नही आए थे...

पार्थ... बेचारी को छोटी सी उम्र मे इतना बड़ा प्रॉजेक्ट दे दिया, उसके बोझ तले दबी यहाँ भी काम ही करने आई है....

मनु.... मुझे नही पता था नताली यहाँ प्रॉजेक्ट के काम से आई है. मैने आज तक किसी को नही कहा कि वो अपनी छुट्टी के समय मे कोई काम करे.

पार्थ.... मनु भाई मैं किसी के काम के लिए हां नही कहता, पर ये नताली का जुनून है इस काम के प्रति जिसे देख कर मैने
इसे कुछ रास्ता दिखाने का सोचा.... एक्सक्यूस अस, मैं थोड़ा नताली को ये अरीना घुमा कर ला दूं.

अखिल.... यार ये कहाँ आ गये, ऐसा लग रहा है मेरे सर मे ड्रम बज रहे हैं...

मनु... हां यार मेरा भी यही हाल है... चल चलते हैं, आज अपने देसी अड्डे पर... कॉलेज की कुछ पुरानी यादें ताज़ा हो जाए....

मनु, श्रेया को बाइ कहता हुआ वहाँ से चला गया. बाइ कहते वक़्त भी वो कुछ ज़्यादा ही क्लोज़ बनती उस से सवाल करने लगी, और अपनी नाराज़गी दिखाने लगी... मनु उसे सॉरी कहता हुआ आगे बढ़ गया. अखिल ने जाते वक़्त गौर किया काया
बस उसे ही देख रही थी.

अखिल, मनु को ले कर अपने क्वाटर पहुँचा, फटाफट चेंज कर के सीधा कंट्री बार निकल गया. दोनो वहाँ पर देसी दारू का मज़ा उठाते हुए पॅक पर पॅक लगाने लगे. दारू पीते हुए मनु को पुराने दिन याद आ गये, और उन दिनो को याद कर के
उसकी आँखों से आँसू आ गये...

अखिल.... हेयययी यार !!! तू रो क्यों रहा है...

मनु.... कुछ नही यार, बीते दिन याद आ गये. ज़ख़्म हरे हो गये हो जैसे. वो हसरत भरी निगाहें याद आ गयी, और वो निर्दयी समय... खैर चल बाइ... चलता हूँ मैं....
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11-17-2020, 12:13 PM,
#83
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
अगले दिन....

पार्थ से मिले इन्फर्मेशन के हिसाब से नताली एक दलाल से मिलने चल दी, जो इन सारे मामलों मे डील करता था. यही दलाल हवाला के ज़रिए मंत्री जी का सारा पैसा बाहर भी करवाता था... इसलिए जितने भी मंत्री जी से जुड़े मामले थे उस पर
इस के अप्रूवल के बिना काम नही होता था.

नताली.... सुरेश जी आप को मेरे आने का पर्पस तो पता ही होगा...

सुरेश.... सुनिए मेडम आप को यहाँ किसने क्या कह कर भेजा है, मुझे सच मे नही पता... लेकिन एक बात मैं अभी क्लियर कर दूं, हम नये लोगों से कोई डील नही करते.

नताली.... बट मेरी बात तो सुनिए. कभी ना कभी सब नया ही होता हैं.

सुरेश.... हां होता है, पर वो आप की तरह इंडिपेंडेंट नही आता, किसी के साथ आता है...

नताली.... एक बार हमसे हाथ मिला कर तो देखिए, आप को नुकसान नही होगा...

सुरेश.... ह्म ! मैं सोचूँगा इस पर, अब आप जा सकती हैं...

नताली, खाली हाथ सुरेश के पास से चली आई, लेकिन उसे भरोसा था कि वो सुरेश से अपना काम निकलवा लेगी.

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कानपुर की सुबह....

आज की सुबह खुश्मयि थी, ड्रस्टी और मानस एक साथ जॉगिंग कर रहे थे. इधर-उधर की बातें चल रही थी, किस को कौन सा खाना पसंद है, क्या पह्न'ना पसंद है... वायग्रा-वायग्रा....

दोनो ने साथ जॉगिंग करते हुए एक अच्छा समय बिताए. ऐसा लग रहा था जैसे ड्रस्टी की सारी ग़लतफहमी मिटने के बाद वो मानस की ओर आकर्षित हो रही थी. वो मानस मे काफ़ी इंटरेस्ट ले रही थी. मानस उस से आराम से बातें कर रहा था और
बातों के दौरान ये जान'ने की कोशिस भी कर रहा था कि दीवान किधर है.

लेकिन पूरे बातों के दौरान कहीं भी पूर्वी और दीवान की कोई चर्चा नही हुई. ड्रस्टी को बाइ बोल कर जब मानस लौट रहा था
तो खुद पर ही गुस्सा था..... "हट यार.... आज भी पता ना लगा सका, वन मोर डे लॉस"

मानस इरिटेट हो कर मनु को कॉल लगाया....

मनु.... भाई कैसे हो...

मानस.... मनु, मैं हार रहा हूँ. हर बीत'ता हुआ दिन मुझे बेचैन करता है... मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा. खुद को नपुंसक
की तरह महसूस करता हूँ.... भाई, मैं खुद को हारा हुआ महसूस कर रहा हूँ....

मनु.... तुम ये सब बकवास सोचना बंद करो भाई, मैं कल आ रहा हूँ कानपुर.

मानस.... नही, मैं अपना हारा हुआ चेहरा किसी को नही दिखा सकता....

मनु.... भाई इसमे हार जीत वाली बात कहाँ से आ गयी. आप कुछ भी फालतू नही सोचो, मैं कल ही आ रहा हूँ कानपुर.

मानस.... तू मेरी खुशी चाहता है ना...

मनु.... कम ऑन भाई, अब प्लीज़ कोई फिल्मी सीन क्रियेट मत करो. तुझे मेरी कसम, ये और वो... वैसे भी पता नही तब से
कितने बड़े बड़े डाइलॉग बोल रहे हो.... बस बहुत हुआ मैं आ रहा हूँ, और ये फाइनल है.

मानस.... तू आया तो मैं फिर कभी कभी नही मिलूँगा, अब बता तू मेरी खुशी चाहता है कि नही.

मनु.... क्यों रुलाते हो यार, मैं यहाँ कैसे जीता हूँ तुम्हे पता भी है. घुट गयी है ज़िंदगी. कैसे पागलों की तरह ढूँढा था तुम्हे
भूल गये.... तुम मे कोई एमोशन्स है कि नही, क्यों मुझे परेशान करते हो बोलो क्या करूँ जो तुम ही खुश रहोगे...

मानस.... सॉरी यार डाइप्रेस था मुँह से निकल गया, अब तू मुझे क्यों रुला रहा है... चुप हो जा भाई. थोड़ी देर के लिए मैं
केवल अपना ही सोच रहा था... चुप हो जा...

मनु.... नही अब बताओ पहले बात क्या है... कौन सी बात पर ख़ुसी मिलेगी आप को. क्या इच्छा है बोलो...

मानस.... नही रहने दे, फिर कभी कहूँगा.... बट प्लीज़ अब रोना बंद कर. बहुत दिन हो गये तुझे देखे, चिढ़ गया था मैं अपनी नाकामयाबी से. मैं जितना जल्दी सब ख़तम कर के लौटना चाहता हूँ उतना ही देर हो रहा है... मुझे चोट करती हैं ये सारी
बातें. अब बर्दास्त नही होता जब लगता हैं यही सारे लोग होंगे जो हमे तबाह कर के फल फूल रहे हैं.... मैं बस उन्हे मरता देखना चाहता हूँ.

मनु.... बस इतना ही ना... आ जाओ वापस, अब ग़लत तो ग़लत ही सही..... नो मोरल. इनोसेंट है कोई या अक्क्यूस्ड अब सब पिसेंगे. काउंट-डाउन बिगेन.....

मानस.... हां... हां... हन... तू उधर शुरू कर, मैं इधर का काम ख़तम कर के आता हूँ.

मनु.... ये हुई ना बात, अब थोड़ा अच्छा लग रहा है. ये भागने वाला बात नही करो यार, तू ही तो मेरा सब कुछ है.

मानस.... मैं बड़ा हूँ या तू बड़ा. तू मेरी दुनिया है, तू मेरा सब कुछ. रोना बंद किया या अब भी रो रहा है. पागला खुद भी रोता है मुझे भी रुलाता है....

मनु की बात सुन कर जैसे मानस को अंदर से हिम्मत मिली हो. खुद पर विस्वास किया. काम को अगले मोड़ पर लाने के लिए ड्रस्टी के कॉलेज पहुँच गया... ड्रस्टी अपना एग्ज़ॅम ख़तम कर के निकली....

ड्रस्टी.... हाई, आज भी अपने दोस्त की मदद करने आए हैं....

मानस.... नही, बिल्कुल नही... आज तो मैं यहाँ तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ...

ड्रस्टी.... क्या ?????

मानस.... हां सच, मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था.... लेकिन मैं वहाँ बैठ कर तुम्हे जाते देखता, कुछ भी ऐसा नही करता जिस से तुम्हे लगता की मैं तुम्हे परेशान कर रहा हूँ.

ड्रस्टी... धीमे बोलो ना, कॉलेज है बाबा. चलो चलते हुए बात करते हैं.

मानस और ड्रस्टी साथ-साथ चलने लगे. कभी-कभी जब दोनो की नज़रें मिलती तो ड्रस्टी मुस्कुरा देती और मानस बस उलझ कर रह जाता.

ड्रस्टी.... अच्छा आप ने बताया नही कि मेरा इंतज़ार क्यों कर रहे थे...

मानस.... बस मुझे कुछ खाली-खाली जैसे लग रहा था. आइ थॉट, आइ आम मिस्सिंग समथिंग.... सोचा यहाँ तो कोई मुझे
जान'ने वाला नही, इसलिए तुम से ही मिल लेता हूँ. तुम से बात कर के अच्छा लग रहा है.

ड्रस्टी.... थॅंक्स आ लॉट जो आप ने मुझे इस लायक समझा.... आज भी कॉफी पिला रहे हो क्या.

मानस और ड्रस्टी दोनो केफे पहुँचे, ड्रस्टी कॉफी की एक सीप ली, हल्की सी एक मुस्कान.... "मानस बताया नही तुम ने, तुम यहाँ किस काम से आए हो"

मानस.... क्या करोगी जान कर ड्रस्टी. मैं जिस काम के लिए आया हूँ वो काम जान गयी तो शायद तुम कन्फ्यूज़ हो जाओ...

ड्रस्टी... कैसा कन्फ्यूषन मानस...

मानस.... यही कि मैं अच्छा हूँ या बुरा. हालाँकि तुम मुझे जानती हो तो मेरी बातों पर ही यकीन करोगी, और उन्हे बुरा मनोगी जिसके बारे मे मैं कहूँगा. और मैं नही चाहता कि तुम किसी को बुरा या अच्छा समझो एक तरफ़ा की बात सुन कर.
मेरा वादा है जब हम आमने-सामने होंगे तो तुम्हे ज़रूर मैं बुलाउंगा... और तब तुम डिसाइड कर लेना कौन अच्छा है और कौन बुरा... आहह ! चुभन सी है दिल मे ड्रस्टी. सॉरी, चलता हूँ कुछ पुरानी बातें याद आ गयी....

मानस, मायूस सा उतरा चेहरा ड्रस्टी के सामने से ले कर गया. उसके चेहरे को देख कर ड्रस्टी के दिल मे कसक सी पैदा हुई.
ऐसा लगा जैसे कुछ दर्द सा वो खुद मे महसूस कर रही है... बड़ी ही खामोश वो अपने घर लौटी.

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11-17-2020, 12:13 PM,
#84
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )

दिन के वक़्त.... देल्ही

जिया खाली बैठी सोच रही थी, तभी उसे ख्याल आया वो तो श्रमण को भूल ही गयी. जल्दी ही कॉल लगा कर उसे मिलने बुलाई. श्रमण तो पगलाए-पगलाए, उछल्ते, कूद'ते निकला जिया से मिलने.... जब पहुँचा तो जिया, श्रमण को देखते ही उस के गले लग गयी. उफफफ्फ़ श्रमण के लिए ये अनमोल पल थे.

जिया... श्रमण जी, भला कोई किसी को इतना तड़पाता है क्या...

श्रमण.... जिया जी, मैने क्या कर दिया. मैने कैसे तडपाया आप को.

जिया.... बुद्धू हो श्रमण, नही समझोगे. बाबा एक कॉल कर के बात ही कर लिया करो ना अच्छा लगेगा.

श्रमण.... सच कहूँ तो मेरी हिम्मत नही होती आप को कॉल लगाने की. सोचता हूँ कहीं आप काम मे बिज़ी हो और मैने
डिस्ट्रब कर दिया तो कहीं आप नाराज़ ना हो जाए.

जिया... खबरदार जो ऐसी बातें सोचे तो. और हां मुझे अच्छा लगेगा यदि तुम मुझे परेशान करोगे तो, वो भी रात मे खास कर.

श्रमण.... ठीक है जिया जी, अब से रोज कॉल करूँगा, आप प्लीज़ नाराज़ ना हो...

जिया... अब ये जिया जी कहना बंद करो श्रमण. तुम मेरे लिए सब से स्पेशल हो... कॉल मी ओन्ली जिया

श्रमण.... आप भी मेरे लिए जिया जी... ओह्ह्ह सॉरी जिया....

जिया.... श्रमण, आज कल तुम्हारे बॉस कहाँ हैं, दिखते नही...

श्रमण... पहले भी वो नही दिखते होंगे जिया. वो तो घर और घर से ऑफीस. बस काया बहन आती हैं तो ही मनु भाई बाहर का प्लान बनाते हैं, वरना तो उनकी मर्ज़ी है... किसी का ऑफर अच्छा लगा तो बाहर निकले नही तो नही निकले.

जिया.... हां वो तो जानती हूँ. अजीब ही है वो तो बिल्कुल. जब से आंटी मरी हैं, तब से मैने उसे फिर दिल से कभी हँसते नही देखा.

श्रमण.... हां सच कही आप जिया. कई बार रात को तो पी कर उन्हे रोते सुना है.. अभी आज की ही बात ले लो, मानस भाई से बात करते-करते रोने लगे...

जिया... ऐसा क्या हो गया था, मनु ठीक तो है ना....

श्रमण.... हां मनु भाई ठीक हैं, आप चिंता ना कीजिए... वो तो इतना ठीक है कि अब सब को सबक सिखाने वाले हैं... क्या
आक्षन मे कहे काउंट डाउन बिगेन...

जिया... हा हा हा... मनु की यदि अदा तो निराली है.... वैसे डियर आप भी तो अपनी कुछ अदा दिखाओ...

श्रमण... मैं क्या दिखाऊ

जिया..... डॅन्स के दो स्टेप श्रमण....

श्रमण.... जिय्ाआ... यहाँ भीड़ है, मुझे शर्म आएगी...

जिया.... हुहह !!! मुझ से कहते तो मैं अभी कर देती .... हां तुम क्यों मेरी बात मनोगे, मैं तुम्हारे पिछे आई थी ना इसलिए.
अब नही आउन्गि गुड बाइ....

"आउच".... कुछ बुरा सा और कुछ दर्द जैसा महसूस हुआ श्रमण के दिल मे, जिया नाराज़ हो कर जा रही थी और श्रमण को कुछ भी समझ मे नही आ रहा था..... इधर जिया भी गहरी सोच मे डूबी चल रही थी... "सब को सबक सिखाने का क्या मतलब हो सकता है, मनु कॉर्पोरेट रिवल्स के बारे मे सोच रहा था या कोई फॅमिली मॅटर है दोनो का".
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11-17-2020, 12:13 PM,
#85
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )

मनु इन ऑफीस

कितनी परेशानी होती है जब स्नेहा नही रहती, पता ही नही चलता कौन सा काम पहले ख़तम करना है और कौन सा काम बाद मे... अब ये घोषाल वालों की कांट्रॅक्ट फाइल किधर रखी है....

मनु, स्नेहा को कॉल लगाता है....

स्नेहा.... हाई, मनु... कौन सी फाइल नही मिल रही...

मनु.... तुम्हे कैसे पता मैं फाइल को ले कर फोन कर रहा हूँ.

स्नेहा.... क्योंकि बात ऐसी है बॉस, मिस्टर. मनु अपने ऑफीस टाइम मे केवल काम ही करते हैं उसके अलावा कुछ नही...

मनु... हा हा हा, इतना नोटीस. अच्छा स्नेहा वो घोसल वालों की कांट्रॅक्ट फाइल किधर है...

स्नेहा... लेकिन मनु उनलोगों ने तो कांट्रॅक्ट किसी और को दे दिया ना, तो अब उस फाइल का क्या मतलब.

मनु..... बस मैं देखना चाहता हूँ कि इतने लंबे समय से हमारे साथ डील करने वाली कंपनी ने हमारा साथ क्यों छोड़ दिया. फाइल हाथ मे होगी तो रीज़न पूछने मे मज़ा आएगा. वो क्या है ना अब मैं उनको नंगा करने की सोच रहा हूँ, जिसने मेरे
इतने बड़े कांट्रॅक्ट मे सेंध लगाई, वो भी घोसल वालों की ज़ुबानी.

स्नेहा.... रॉंग अटेंप्ट मनु. किसी से ऐसे बदला थोड़े ना लिया जाता है. मैने उस पर काम शुरू कर दिया है, तुम वो अश्यूर इंडिया वालों की फाइल चेक करो, सब समझ जाओगे. सेंध किसी ने भी मारी, घोसल वाले तो बिज़्नेस करते हैं ना, वो क्यों
किसी की बात मे आ गये. पहली चोट घोसल वालों को दो, बाकी सारे चूहे अपने आप बिल से बाहर आएँगे....

मनु.... ठीक है मैं चेक करता हूँ....

मनु कुछ देर शांत रहा, खामोश फोन को देखता रहा.... स्नेहा भी खामोश.....

मनु.... मिस यू यू आ लॉट स्नेहा... लव यू...

स्नेहा का चेहरा जैसे खिल गया हो..... उसे ऐसा लगा जैसे उसका दिल धड़का हो... कुछ पल वो और खामोश हो गयी.....

स्नेहा.... बहुत प्यारा था ये. थॅंक यू. रखती हूँ फोन मुझ से अब बात नही किया जाएगा...

स्नेहा फोन को सीने से लगाए, आँसू बहाने लगी.... "लव यू टू, मनु"

मनु इधर वो फाइल उठा कर चेक करने लगा. फाइल देख कर उसे सारी बात समझ मे आ गयी..... "यू आर सिंपली आउटस्टॅंडिंग स्नेहा"

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11-17-2020, 12:13 PM,
#86
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )

रात के वक़्त....

शिप्पिंग कांट्रॅक्ट को ले कर नताली जिस दलाल सुरेश से मिली, उसका कॉल रात के करीब 8:30 बजे नताली के पास आया. सुरेश ने उसे मिलने के लिए बुलाया और कहा "मंत्री जी भी होंगे, आमने सामने बैठ कर आप अपने सारे ऑफर्स बता देना".

नताली जब उस फ्लॅट मे पहुँची तो सुरेश, मंत्री जी और उसका पीए तीनो साथ मे थे.

मंत्री जी.... सुरेश बता रहा था, तुम्हे शिप्पिंग कांट्रॅक्ट मे इंटरेस्ट है और तुम्हे वो कांट्रॅक्ट चाहिए.

नताली.... हां, मैं इस मामले मे आप के पीए से भी मिली थी.

मंत्री जी... पर तुम कंपनी की एम्पॉलय हो, बड़े डिसीजन कैसे ले पाओगी.

नताली.... सर जी, आप हमारी कंपनी के एमडी को नही जानते, मेरा प्रॉजेक्ट यानी मेरा डिसीजन.

मंत्री जी.... ह्म ! दो बातें हैं यहाँ... पहली बात ये कि हम पार्ट्नरशिप पर काम करते हैं, और दूसरी बात ये कि पुराने संबंध
खराब कर के नये रीलेशन से हमे क्या फ़ायदा मिलना है, अमाउंट तो हमे सेम ही मिलना है....

नताली.... मंत्री जी, आप कौन सा फोन यूज़ करते हो अभी..

मंत्री जी.... आइफ़ोन यूज़ करता हूँ...

नताली.... और 10 साल पहले कौन सा फोन यूज़ करते थे...

मंत्री जी... नोकिया का...

नताली.... आइफ़ोन क्यों लिया, जब कि आप तो नोकिया यूज़र्स थे. कॉल तो उस से भी लगेगा, इस से भी लगेगा. इंटरनेट उस पर भी चलेगा और इस पर भी. जितने काम आइफ़ोन से होंगे, सारे काम नोकिया से भी, फिर भी चेंज.... सेम केस हमारा भी
मान लीजिए. वर्ल्ड क्लास ब्रांड से जूडीए और किसी नये मे क्या फीचर्स हैं जब तक उसे यूज़ नही करेंगे पता कैसे चलेगा....

मंत्री जी.... छोरी के पास दिमाग़ है... अच्छा ऑफर बताओ अपना....

नताली.... प्रॉफिट का 30% वो भी सब एक साथ एडवांस कांट्रॅक्ट मिलते ही.

मंत्री जी..... प्रॉफिट का 50% बदले मे मैं हाइयर रेट कोट अप्रूव्ड करूँगा. प्रेज़ेंट रेट से जो 30% देने के बाद तुम्हारा प्रॉफिट
रहेगा... वो नये रेट के साथ 10% और बढ़ जाएगा....

नताली.... अप्रूव्ड...

मंत्री जी... अभी डील पूरी नही हुई.... इसके अलावा तुम्हे अपनी सर्विस देनी होगी. सीधी बात करूँगा, तुम्हारी सेक्स सर्विस, एग्ज़ोटिक नाइट्स हमारे साथ जब जहाँ कहे.....

नताली.... व्हाट

मंत्री जी... क्या हुआ, इसमे शॉकिंग जैसा क्या था... कांट्रॅक्ट पाने के लिए तो लोग कुछ भी करते हैं...

नताली.... छ्हि, घिन आती है आप जैसे लोगों से. लड़की क्या कोई ऑब्जेक्ट है जिसे हर वक़्त भोगने का सोचते हो. किसी की
कमज़ोरी का फ़ायदा उठाना ग़लत है.

मंत्री जी.... छ्हि जैसा क्या था, और क्या फ़ायदा उठाया तुम्हारी कमज़ोरी का. तुम मेरे पास इल्लीगल प्रपोज़ल ले कर आई तो मैने भी अपना प्रपोज़ल रखा. क्या मैने कोई फोर्स किया क्या. चाय्स ईज़ युवर'स.... आराम से सोचना, और कांट्रॅक्ट चाहिए तो कल बिना बुलाए यहीं आ जाना, रात 11 के बाद.
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11-17-2020, 12:14 PM,
#87
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
सुबह-सुबह मनु के घर...

"दिल ये बेकरार क्यों है, तुझ पर धुन सवार क्यों है".......

श्रमण.... मनु भाई बड़े रोमॅंटिक मूड मे लग रहे हो बात क्या है...

मनु... डिस्ट्रब मत कर कॉफी रख दे और जा...

श्रमण कॉफी रख कर जाने लगा.... "अच्छा सुन एक बात"

श्रमण.... हां मनु भाई....

मनु.... तू ये बता वो राजीव की बीवी तनु, वो कैसी औरत है...

श्रमण... लो, आप का दिमाग़ भी ना. अब मुझे क्या पता वो कैसी औरत हैं. मैं तो मिला भी नही...

मनु.... ओह्ह्ह्ह हां, तभी मैं कहूँ क्या मिस्सिंग है. जब मैं तनु से मिला ही नही तो जान कैसे जाउन्गा कैसी औरत है... चलो चल कर आज थोड़ी जान-पहचान करते हैं....

मनु निकल गया तनु से मिलने...

"ये पता नही आज कल मनु भाई को क्या हो गया है"....

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11-17-2020, 12:14 PM,
#88
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
मनु, राजीव के घर... हाथों मे ब्यूटिफुल बूके लिए हुए...

दरवाजा खुला.... "घर के मालिक घर मे हो तो कहना मनु आया है"

नौकर.... अंदर आइए ना सर, बाहर क्यों खड़े हो...

मनु... नही तुम उन्हे तुम बता दो मनु आया है....

थोड़ी देर मे तनु दरवाजे पर आती.... "मनु व्हाट आ प्लीज़ेंट सर्प्राइज़, आओ अंदर आओ".

मनु, बूके देते हुए.... "फ्लवर्स फॉर दा मोस्ट सेक्सी लेडी ओं दिस अर्त"

तनु.... ओह्ह्ह थॅंक यू सो मच. वैसे एमडी साहब, यूँ तो कभी ज़्यादा बात नही हुई अपनी, और आज इतने फ्रेंड्ली, बात क्या है...

मनु.... सॉरी आंटी पैरी पांवा.... अब तो खुल कर बात करना भी गुनाह हो गया.

तनु... हा हा हा.... मनु तुम मज़ाक भी करते हो... मैने कभी सोचा भी ना था...

मनु.... सोचने को तो बहुत कुछ सब सोच के रखे हैं, और तो और दिन भर मेरे बारे मे ही सोचते हैं... पर क्या करें मैं क्या हूँ वो कभी नही सोचते बस सोचते हैं तो इतना.... कैसे, कैसे आख़िर कैसे मनु को हटाया जाए.

तनु.... ये कैसी बातें कर रहे हो मनु.

मनु.... सच मे तनु आंटी, पता नही क्यों लोग मुझ से नफ़रत करते हैं.....

तनु... अर्रे तनु आंटी तो ना बोलो, बूढ़ी फील करती हूँ यार...

मनु..... तो आज आप को जवान फील करवाते हैं, इसमे कौन सी बड़ी बात है... सेक्सी से आउटफिट अपने इस मेंटेंड खूबसूरत
से बदन पर आज रात डाले रखिएगा... डिस्को मे हम साथ थिरकेंगे....

मनु इतना कह कर चला गया, और तनु बस उसकी बातों को सोचती ही रही.... "क्यों आख़िर मनु आया, और ऐसे बिहेव क्यों कर रहा था"

तनु से मिल कर मनु सीधा अपने ऑफीस निकल गया.... "ह्म्‍म्म्म ! दिस टारगेट ईज़ हाइली टफ... मुझे हटाने और नफ़रत की बात को नज़रअंदाज़ करना.... लगता है ये खिलाड़ी पर ज़्यादा मेहनत करना होगा". ऑफीस जाते वक़्त तभी श्रेया का भी कॉल
आया.... "हां आओ तुम भी, अब तो मुझे सब से मिलना ही है"

मनु.... हां श्रेया, कहो...

श्रेया... मनु कुछ काम से मिलना है, कहाँ हो अभी.

मनु.... 10 मिनट मे ऑफीस पहचूँगा.

श्रेया.... ठीक है मैं ऑफीस मे ही मिलती हूँ...

"मिलो-मिलो... अब तो खैर मैं सब से मिल रहा हूँ.... पूअर गर्ल डॉन'ट नो हर फ्यूचर"

मनु ऑफीस पहुँच कर सब से पहले अश्यूर इंडिया की फाइल निकाला और तत्कालिक कंपनी के आला अधिकारियों से मीटिंग
करते, इस डील को अगले दो दिन मे सेट करने के लिए लगा दिया.

मीटिंग जैसे ही ओवर हुई, रिसेप्षन से कॉल गया... मनु ने श्रेया को बुला लिया...

मनु.... क्या हुआ मिस, आप इतनी बेचैन हो कर कॉल क्यों की.

श्रेया.... मनु चलो मेरे साथ...

मनु.... पर ये मेरा ऑफीस टाइम है श्रेया, मैं अभी कहीं नही आ सकता...

श्रेया.... आग लगा दो ऑफीस को. तुम ओनर हो स्टाफ नही मनु. काम चलता रहेगा ऑफीस का तुम चलो.

मनु... ये भी ठीक है... चलो फिर चलते हैं...

श्रेया के साथ मनु निकल गया. थोड़ी देर बाद दोनो श्रेया के फ्लॅट मे थे. मनु बस श्रेया के हर मूव को अब्ज़र्व कर रहा था,
और चुप-चाप सब देख रहा था....

श्रेया.... अच्छा बताओ मैं तुम्हे यहाँ क्यों लाई हूँ...

मनु... मुझे क्या पता होगा तुम ने मुझे यहाँ क्यों लाया है...

श्रेया... मूवी देखने और क्या....

मनु.... ओह्ह्ह, ऐसी बात है क्या... चलो फिर देखते हैं...

"रूको दो मिनट" कहती हुई श्रेया गयी और शॉर्ट्स और स्लेवलेशस टॉप पहन कर बाहर आ गयी.... मनु जितनी देर रहा बस श्रेया की बातें सुनते उसे बस अब्ज़र्व करने मे लगा था.

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11-17-2020, 12:14 PM,
#89
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
काया-अखिल...

दो दिन पूरे हो गये थे, अखिल और काया की इस दौरान कोई बात नही हुई. काया फोन को हाथ मे ले खुद ही सोचने लगी.... "कहीं फेओन्से की बात से अखिल का दिल टूट तो नही गया, या भाई ने उसे सच बता दिया, जो भी हो पर एक बार कॉल तो करना चाहिए था... क्या करूँ... एक बार कॉल लगाती हूँ"

काया, अखिल को कॉल लगाई, लेकिन कोई रेस्पॉंड नही. "लगता है काम मे होगा.... बाद मे कॉल लगाती हूँ"

काया ने फिर 15 मिनट बाद कॉल लगाई, फिर कोई रेस्पॉंड नही.... "कमाल है पोलीस हो कर पब्लिक के कॉल का कोई रेस्पॉंड नही"

काया फिर उसे लगातार कॉल लगाने लगी, लेकिन अब भी कोई रेस्पॉंड नही. काया को आया गुस्सा और वो एसपी ऑफीस के
लिए निकल गयी. काया, अखिल के चेंबर की तरफ बढ़ ही रही थी कि एक एसआइ उसे रोक कर पूछने लगा "क्या काम है"

काया.... काम की ऐसी की तैसी, बड़ा साहब बना फिर रहा है, कहाँ है अखिल...

काया इतनी ज़ोर से चिल्लाई कि पूरे पोलीस स्टेशन मे गूँज गयी उसकी आवाज़.

"लो आप के आक्षन का रियेक्शन आ गया, संभलो".....

अखिल.... बड़े गुसे मे लग रही है, आप जाओ उसे यहाँ ले आओ. बाकी आज तो मेरा ड्रामा शुरू होगा ही...

मिश्रा जी उसे लाने बाहर क्या जाते, सारे पोलीस वाले खुद ही सरॅनडर हो गये और काया को अखिल के चेंबर का रास्ता बता दिया..... "क्या है ये मेरा फोन क्यों इग्नोर किया जा रहा है"

अखिल.... आराम से बैठ जाइए काया जी, सॉरी मैं ज़रा काम मे था... बैठ जाइए सभी लोग देख रहे हैं...

काया.... देखते हैं तो देखने दो, मेरा फोन इग्नोर क्यों किया...

अखिल... बताया ना मैं मीटिंग मे था. और मेडम मैं एक रेस्पोसिब्ल पोस्ट पर हूँ, मुझे बहुत से काम होते हैं... बताइए फोन क्यों की थी.

काया... कहने का क्या मतलब है अखिल, मेरे पास कोई काम नही... फाइन, आइ आम सॉरी मुझ से भूल हुई जो मैने कॉल किया. अब से नही करूँगी...

अखिल.... आप पॅनिक हो रही हैं काया जी, फोन क्यों लगाई थी वो तो बताइए...

काया... मेरी मति मारी गयी थी इसलिए लगाया... पागल हो गयी थी मैं. आप काम करो सर, आप तो रेस्पॉन्सिबल पोस्ट पर
हो ना.. सॉरी आप का कीमती वक़्त लिया और आप को डिस्ट्रब किया.

काया बड़े गुस्से मे निकली, और उसे जाते देख अखिल कहने लगा.... "मिश्रा जी ज़्यादा तो नही हो गया ना, मेडम काफ़ी गुस्से मे गयी है"

ड्राइवर... अर्रे सर टेन्षन क्यों लेते हो, बिल्कुल सही जा रहे हो... बस एक बार और पाइप चढ़ने की तैयारी करो, मामला सेट हो जाएगा...

अखिल... साची मिश्रा जी...

ड्राइवर.... साची, मूची, कूची-कूची... चलो इसी बात पर गला तर करवाओ...

अखिल... बेवडा कहीं के ... चलो आज रात घर पर ही पार्टी करेंगे...

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11-17-2020, 12:14 PM,
#90
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )

रात के वक़्त... नताली....

अपनी सोच और दृढ़ संकल्प को और मजबूत बना कर अपने कदम बढ़ा दी उस गेस्ट हाउस की तरफ. नताली तकरीबन 12:00 बजे वहाँ पहुँची.....

मंत्री..... सही फ़ैसला किया है तुमने, वैसे भी हम से जुड़ने वालों को हम काफ़ी उपर तक ले कर जाते हैं.

नताली.... ह्म ! सो तो है सर, लेकिन अपने जमीर को मार कर आना पड़ा. तो डील की बात कर ले पहले... कैसे मुझे ज़्यादा
रेट कोट पर टेंडर मिलेगा, और अग्रॉ वाले इस बात पर कोई आपत्ति नही करेंगे.

मंत्री... क्योंकि वो डिक्लरेशन देना मेरा काम है. तुम उसकी चिंता क्यों करती हो... सो तुम्हारी हमारी डील फाइनल, अब कपड़े निकालो भी, क्यों शर्मा रही हो.

नताली.... लेकिन मेरे लिए अभी ये पार्टी टाइम नही है, मैं ये कंप्लीट डील नही मानती.

मंत्री.... मतलब...

नताली.... मतलब ये है मंत्री जी, कि दो साल पहले भी बहुत पैसे लगे थे इस प्रॉजेक्ट पर, और ऐन वक़्त पर टेंडर अग्रॉ वालों के नाम खुल गया था.

मंत्री.... मैं यहाँ कोई भी बात प्रूफ करने के लिए नही हूँ... तुम्हे मेरी बात पर यकीन नही तो तुम जा सकती हो...

नताली.... गुस्सा क्यों होते हो मंत्री जी, आप की बातों पर मुझे यकीन है... पर मैं आप को इस से भी मस्त डील देती हूँ आप
मना नही कर पाओगे....

मंत्री.... जो भी डील हो एक बात याद रखना इस डील का हिस्सा तुम भी होगी...

नताली... आप तो बड़े उतावले हो रहे हैं मंत्री जी, कहीं मेरे कपड़े फाड़ने के इरादे तो नही...

मंत्री... उफ़फ्फ़ ये बोल्ड अदा... मजबूर ना कर दे तुम्हारे कपड़े फाड़ने पर.... हालाँकि ऐसा कोई इरादा नही, मुझे अपना पोस्ट प्यारा है, कोई स्कंडले नही चाहिए.

नताली... तो डील सुनिए... 50% अमाउंट टेंडर खुलने के 2 दिन पहले दूँगी, और आप मुझे सारे शिप्पिंग कंपनी के कोट दोगे साथ मे मुझे अग्रॉ वालों का भी कोटेशन चाहिए.

मंत्री... और.. और..

नताली... ओह्ह्ह ये आप के ये मचलते अरमान... 50% डील डन होगा उस रात, इसलिए मैं उस रात आप को 50% सर्विस दूँगी यानी ब्लोवजोब... वो भी मस्त वाली, पर मेरे साथ कोई ज़बरदस्ती ना होगी....

मंत्री.... उफफफ्फ़ तुम्हारे ये बड़े नखुनो वाले गोरे हाथ और तुम्हारे इस गोरे मुँह मे मेरा लिंग... कोई ज़बरदस्ती नही, डील डन...

नताली के वहाँ से निकलते ही, उसका दलाल सुरेश कहने लगा.... "मंत्री जी, फिसल तो नही गये"

मंत्री.... 50% डील का अमाउंट, और ब्लोवजोब क्या बुरा है... एक बार ये लड़की फँसी तो जाएगी कहाँ, बाकी होगा तो वही
इस बार भी जो पिच्छली बार इनकी कंपनी के साथ हुआ था.

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