Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
11-17-2020, 12:11 PM,
#61
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
अगली सुबह... कानपुर मे.....

आज फिर से मानस उसी ग्राउंड पर आया था. आज फिर से वही सब रिपीट हुआ, लेकिन आज जब मानस उस बेंच पर बैठा तो दृष्टि उठ कर गयी नही, बल्कि वो मानस के बॉडी लॅंग्वेज को अब्ज़र्व करने लगी. मानस, ड्रस्टी पर बिना कोई ध्यान दिए बेंच से टिका बैठा रहा, और गाने सुनता रहा...

"कमाल है, कल से जहाँ जा रही हूँ, वहीं ये मिल रहा है. हरकतें तो सरीफ़ जैसा ही हैं. दूसरे लड़कों की तरह, यहाँ किसी को घूर भी नही रहा. इत्तिफ़ाक़ है इसका मिलना, या ये कोई नाटक कर रहा है".

ड्रस्टी जब तक ये सब सोच मे लगी थी, तब तक मानस अपनी जगह से उठ कर बिना उसकी ओर देखे चुप-चाप अपना गाना सुनते चला गया.... "कितना अजीब है ये लड़का" ... ड्रस्टी भी उठ कर चली गयी. आज फिर से वही सब हो रहा था...

ड्रस्टी जिस शेरिंग ऑटो मे कॉलेज जाने के लिए बैठी, उसी ऑटो मे मानस भी बैठ गया.... "ये लड़का फिर से आज मेरे ही ऑटो मे. बुरखे मे ये मुझे कैसे जान गया. उस दिन भी बुरखे मे ही मिली थी, तो इसने जब देखा ही नही, तो मेरा पिच्छा कैसे कर रहा.... कुछ तो गड़बड़ है"

आज मानस उसे और परेशान करते हुए, उसके पिछे-पिछे कॉलेज के रास्ते पर चल दिया. ड्रस्टी के समझ से परे था कि मानस उसका पिच्छा कर रहा है या ये महज इत्तफ़ाक़ है. ड्रस्टी जैसे ही गाते से करीब 50 कदम की दूरी पर थी, कि उसे गेट पर पूर्वी दिख गयी.

पीछे मानस था, आगे पूर्वी... ड्रस्टी अपनी जगह पर रुकी और थोड़ी साइड हो कर पूर्वी को कॉल लगाने लगी. तब तक मानस आगे बढ़ गया था....

पूर्वी जैसे ही ड्रस्टी का कॉल देखी वो पिक अप करती एक कदम आगे बढ़ कर बिल्कुल गेट के सामने आ गयी.... और ठीक उसी वक़्त मानस भी उसके सामने कॉलेज के गेट पर पहुँचा...

पूर्वी कॉलेज गेट पर फोन को पिक-अप कर रही थी. उसके ठीक सामने मानस.... और दोनो को आमने सामने देख कर ड्रस्टी के मुँह से ... "या अल्लाह" निकल गया.....

ड्रस्टी के प्राण हलक मे थे. जिस पूर्वी को वो मानस से दूर रखने की कोसिस मे थी, आज उसी की वजह से वो मानस के सामने खड़ी थी. दोनो की नज़रें भी एक दूसरे से मिली, और दोनो ने एक दूसरे को देखा. ये देखने के बाद तो जैसे ड्रस्टी और भी ज़्यादा हैरान रह गयी.

मानस, पूर्वी को ऐसे देखा जैसे कोई अंजान लड़की उसके सामने खड़ी हो, और बिल्कुल वही रिक्षन पूर्वी का भी था. शॉक्ड, ड्रस्टी प्युरे शॉक्ड हो गयी. मानस ने पूर्वी को एक झलक देखा और इग्नोर करता आगे बढ़ गया. मानस जब उस जगह से चला गया, तब ड्रस्टी, पूर्वी के पास पहुँची...

पूर्वी.... हद है ड्रस्टी, मैं कब से यहाँ इंतज़ार कर रही हूँ, 15 मिनट पहले कही थी कि कॉलेज पहुँची और अभी आ रही है. और ये, एक तो तू ना ये काले कव्वे के भेष मे ना आया कर, पास से गुजर भी गयी होगी अभी तो पता ना चला होगा.

ड्रस्टी.... बस भी कर, कितना पटर-पटर करती है. अर्रे बाबा एमर्जेन्सी थी वॉशरूम मे जाना पड़ा, सॉरी बाबा. वैसे वो लड़का कौन था, जो अभी-अभी तुझे देखा और मुस्कुरा कर गया, और बदले मे तू भी सेम रेस्पॉंड की.

पूर्वी.... ये लो मैं किसी को देख कर मुस्कुराइ, ये बात मुझे ही नही पता. तेरा दिमाग़ खराब हो गया है. ज़रा बताएगी किसे देख कर मैं मुस्कुराइ.

ड्रस्टी.... अर्रे जब तू मेरा कॉल पिक करने गेट के सामने आई थी, तभी तो वो लड़का तुम्हारे सामने आया था, और उसे देख कर तुम भी मुस्कुरा रही थी.

पूर्वी.... तू ना थप्पड़ खाएगी. कौन लड़का, किस लड़के की बात कर रही है... यहाँ तो कई आए और गये, मैं क्या यहाँ खड़े हो कर सब को देखने आई थी.... हुहह ! तू बता मुझे यहाँ क्यों बुलाई थी.

ड्रस्टी.... हां छोड़ उसे, चल शॉपिंग करने चलते हैं.....

"ये तो कमाल हो गया, पूर्वी उसे एक बार देखी, और वो ठीक वैसा ही रिक्षन दे रही है जैसे राह चलते किसी को देख कर नोटीस नही करते. मानस ने भी उसे सामने से देखा... और उसने भी उसे अंजानो की तरह ट्रीट किया. आअन्ह्ह्ह्ह ! ये लड़का अब तो मुझे पागल कर देगा".

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11-17-2020, 12:11 PM,
#62
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )

देल्ही की सुबह....

काया अभी आँख खोल कर बिस्तर पर अंगड़ाइयाँ ले ही रही थी, तभी उसके मोबाइल की रिंग बजने लगी. अननोन कॉल, काया फोन पिक अप करती...... "हेलो कौन"

अखिल..... गुड मॉर्निंग मिस काया जी, मैं अखिल बोल रहा हूँ...

काया.... अखिल, अम्म्म्म... कौन अखिल...

अखिल.... मैं, मनु का फ्रेंड अखिल...

काया..... एसपी सर, आप के सुबह सुबह कॉल करने का पर्पस.

"ये तो सीधे पॉइंट पर आ गयी".... अखिल.... बस आज की मॉर्निंग को गुड बना'ने

काया.... व्हाट ????

अखिल.... ऊप्स !! नही जी मेरा मतलब कहने का था, सुबह सुबह पोलीस वाले किसी को याद करे तो उनका दिन बना रहता है. आप से कुछ ज़रूरी डिसकस करना था, इसलिए कॉल किया.

काया.... अच्छा कहीं अपनी पोज़िशन का फ़ायदा तो नही उठा रहे. जो भी बातें करनी है मेरे आड्वोकेट से कर लीजिए, मैं उसे भेज दूँगी.

"बहुत ही होशियार है ये लड़की तो"...

अखिल.... "क्यों काया जी आप के पास 10 मिनट का टाइम भी नही क्या"

काया.... एसस्स, आइ आम बिज़ी गर्ल. यदि मेरा समय चाहिए तो प्रॉपर अपायंटमेंट लेनी होगी...

अखिल.... अच्छा, तो काया मैं, क्या आप के पास आज के दिन का समय है.

काया.... नोप, आज दिन मे मेरा ब्यूटी पार्लर जाने का प्रोग्राम है. वहाँ से फिर मूवी, मूवी के बाद कुछ देर फॅमिली टाइम. फिर मैं अपने एनजीओ के साथ बिज़ी रहूंगी, फिर कुछ वक़्त मनु भैया के साथ आंड फाइनली दिन से ले कर रात तक का टाइट शिडुल.

अखिल.... ओह्ह्ह ! काफ़ी मशगूल हैं आप. कल का कोई भी वक़्त.

काया.... बस ब्यूटी पार्लर की जगह मैं स्पा के लिए जाउन्गी, बाकी का शिडुल सेम है.

अखिल.... और मैं, परसो भी शायद सेम प्रोग्राम होगा, बस स्पा के जगह कुछ और आड हो जाएगा.

काया.... वाहह ! अब लगता है कोई समझदार एस.पी आया है देल्ही मे.

अखिल... तो क्या काया जी, इस समझदार एस.पी के लिए आप के पास समय नही.

काया.... अम्म्म्मम ! फिलहाल तो नही दिख रहा, सोच कर बताउन्गी. शायद नेक्स्ट टाइम जब देल्ही आउ तब. वैसे मुझे एक बात समझ मे नही आ रही, आप इतने बेचैन क्यों हो रहे हैं मिलने के लिए. पहले तो अफीशियली कुछ डिसकस करना था, और अब लगता है कि बस आप को मिलना था मुझ से... क्यों एस.पी सर बात क्या है.

अखिल.... सी.यू काया जी, आप के पास जब भी टाइम हो एक बार कॉल कीजिएगा...

"ऊऊऊऊओ कितना क्यूट है ये, लगता है मायूस हो गया".....

काया.... "अच्छा सुनिए एस.पी सर मैं रात को 11 से 1, 2 घंटे अपने बिस्तर पर किताबें पढ़ती हूँ, उस मे से आप को मैं 15 मिनट दे सकती हूँ"

"हहे, लगता है मेरा टेस्ट ले रही है".....

अखिल.... "ओके काया जी डन, मैं ठीक 11:30 बजे आउन्गा, और 11:45 पर चला जाउन्गा. बस छोटा सा फेवर कर दीजिए, आप का कमरा कौन सा है, वो बता दीजिए"

काया.... जैसे मेरा नंबर पता कर लिया, वैसे आप मेरा कमरा भी पता कर लेंगे, आप के लिए कोई बड़ी डील थोड़े ना है... हां लेकिन किसी ने देख लिया तो मैं सॉफ मुकर जाउन्गी, सोच लीजिए कल को ये खबर ना आए कि देल्ही एस.पी चोरी-छिपे किसी के घर मे घुसते हैं.

अखिल.... डॉन'ट वरी काया जी, हम पोलीस वाले वैसे भी बदनाम हैं कोई और क्या बदनाम करेगा... सी यू देन 11:30पीयेम.

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11-17-2020, 12:11 PM,
#63
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
दिन के समय ऑफीस मीटिंग....

सभी बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स की मीटिंग शुरू होने वाली थी. कंपनी के सेयो और सारे पार्ट्नर अवेलबल थे. कंपनी को फाइनॅन्षियली कैसे स्ट्रॉंग किया जाए, और कंपनी कैसे और भी ज़्यादा प्रॉफिट मे आए इस पर डिसकस करना था. सारे मुद्दे पर डिसक्यूसषन के बाद अंत मे मनु ने सभी बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स और सीओ के पास अपना एक प्रस्ताव रखा....

"क्यों ना इस कंपनी को पब्लिक एंटरप्राइज़स कर दिया जाए, और इसके 40% शेर मार्केट मे डाल दिए जाए"

मनु के इस प्रस्ताव पर कंपनी के सारे पार्ट्नर्स शॉक्ड हो गये. क्योंकि जो प्लान वंश और राजीव मिलकर कर रहे थे, मनु ने उसी बात की घोषणा कर दी. काफ़ी बड़ा फ़ैसला था, वंश और राजीव ने इस पर नकारात्मक प्रतिक्रिया जताते हुए कहा....

"इतने सालों से कंपनी वैसे ही प्रॉफिट मे चल रही है, तो अब ये इतना बड़ा स्टेप क्यों. हमे इस पर सोचने का वक़्त चाहिए".

मनु... ठीक है, नेक्स्ट मीटिंग हम 4 ऑक्टोबर को रखेंगे. 10 दिन का पर्याप्त समय है, अच्छे से विचार कर लीजिएगा....

मीटिंग ख़तम होते ही मनु अपने चेंबेर मे आ गया.... उसके साथ स्नेहा भी थी....

स्नेहा.... मनु, इतने बेस्ट प्लान पर ये लोग इतना नेगेटिव रेस्पॉन्स कैसे दे सकते हैं.

मनु.... छोड़ो उसे, पहले मुझे तुम ये बताओ, क्या तुम इस शादी के लिए सीरीयस हो.

स्नेहा.... अचानक से ऐसे सवाल, क्या हुआ मनु, कोई बात है क्या...

मनु... बस यूँ हे, कब से दिमाग़ मे था अभी वक़्त मिला तो पुच्छ लिया.

स्नेहा.... ह्म ! सब तुम पर डिपेंड करता है मनु, मैं क्या कहूँ....

मनु... मैने तुम्हारी राई पुछि है, और प्लीज़ सीधा आन्सर दो ना.

स्नेहा... सच कहूँ तो हाँ मैं सीरीयस हूँ.

मनु.... देन फाइन, आज रात मैं बात कर लूँगा मानस भाई से. तुम भी अपने घर पर बता दो.

स्नेहा... मैं अपने घर बात करूँ...

मनु.... तुम्हे इतने पसीने क्यों आने लगे एसी मे स्नेहा...

स्नेहा.... कुछ नही मनु, आज रात बात कर लूँगी.
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11-17-2020, 12:11 PM,
#64
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )

ईव्निंग 6 पीयेम... रजत मीटिंग....

सम.... रजत तुम्हारा काम हो गया है, बस तुम्हे कुछ इन्फर्मेशन देनी है.

रजत.... काम कब तक होगा.

सम... वो तुम्हारे इन्फर्मेशन पर डिपेंड करता है. क्योंकि मनु के बारे मे सब पता लग गया है. बुलेटप्रूफ कार मे घर से ऑफीस और ऑफीस से घर. चारो ओर टाइट सेक़ुरिटी... नज़र भी नही रखा जा सकता. कोई रूटीन भी नही फॉलो करता. सो हमे कोई सेफ प्लेस चाहिए, जहाँ आसानी से उसका काम तमाम किया जा सके.

रजत.... समझ गया. थोड़ा इंतज़ार करो, हमारी फॅमिली किसी जगह हॉलिडे पर जाने वाली है, मैं तुम्हे इनफॉर्म कर दूँगा... तुम वहीं काम तमाम कर देना.

सम... ये तो गुड न्यूज़ है ब्रो... कब और कहाँ निकल रहे हैं सब...

रजत... वो मैं जल्द ही बताता हूँ. एक काम और करना, मनु के साथ काया का भी काम तमाम कर देना... बस मैं ही अकेला रहूँगा.

सम... क्या, काया... तुम्हारी सिस्टर...

रजत.... ज़्यादा शॉक्ड होने की ज़रूरत नही. और मैं उसे बहाँ नही मानता. ना तो उस को मुझ से, और ना ही मुझ को उस से कोई लेना देना है... तुम बस ये बताओ काम होगा कि नही.

सम.... काम तो हो ही जाएगा, पर रजत पैसे और लगेंगे....

रजत.... पैसे की कोई चिंता नही है, बस काम हो जाना चाहिए.

सम... ठीक है कल मिल कर बताता हूँ....

सम से बात कर के रजत वापस लौट आया... ऐसा लग रहा था जैसे विजयी मुस्कान मुस्कुरा रहा हो.... "थॅंक्स मनु, तुम्हारी नफ़रत ने मुझे पूरा मालिक बनने का क्या आइडिया दिया है... थॅंक्स आ लॉट. अब सिर्फ़ मैं ही रहूँगा एकलौता, और कोई दूसरा नही".

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रात के 11 बजे....

अखिल अपने ड्राइवर के साथ बंग्लॉ के पिछे गाड़ी लगाए खड़ा-खड़ा सोच रहा था...

ड्राइवर.... सर, जी सोच क्या रहे हो, भगवान का नाम लो और चढ़ जाओ.... नौकरी और छोकरी दोनो के लिए मेहाँत करनी पड़ती है.

अखिल.... यार थोड़ा अजीब लग रहा है मिश्रा जी, मैं पोलीस वाला हो कर किसी के घर चोरी से कैसे घुस जाऊ.

ड्राइवर.... ठीक है आप सोचते रहिए, तब तक मेडम की शादी किसी और से हो जाएगी.... मेरा क्या है, तब मैं दारू की बॉटल सर्व किया करूँगा...

अखिल.... शुभ-शुभ बोलो मिश्रा जी, बात बन'ने से पहले ही बिगाड़ने की बात कर रहे हो...

ड्राइवर.... सर जी एक तो छोकरी, वो भी करोड़पती, मैं आप की जगह होता तो अब तक चढ़ भी गया होता. सोचते-सोचते ही 11:10 हो गये...

अखिल... अच्छा ठीक है मैं जाता हूँ, आप अलर्ट रहना, पी कर टल्ली मत हो जाना...

ड्राइवर.... बेस्ट ऑफ लक सर, जाओ फ़तह हासिल कर आओ...

अखिल एक बार नीचे से ले कर उपर तक की उचाई देखा, और फिर चढ़ गया पाइप.... पाइप चढ़ कर वो गॅलरी मे आया और छिप्ते छिपते वो काया का कमरा ढूँढने लगा.... "हद है, साला रहते यहाँ चार लोग हैं और कमरे 100 बनवा रखे हैं"....

उपर की लॉबी से वो हर कमरे मे झाँकता हुआ जा रहा था.... जब उसने दूसरे कमरे मे झाँका तो उसे रंजीत दिखा... आज शाम की हुई मीटिंग के बाद तो जैसे उसने दुनिया जीत ली हो... सराब पी रहा था और खूब झूम रहा था..... अखिल की होल से उसे देखने लगा ....

"ये बेवडा खुद ही पी कर खुद ही झूम रहा है.... ये अमीर लोग कुछ मेंटल होते हैं क्या... हां होते ही होंगे, इतना पैसा जो होता है उड़ाने के लिए"

अखिल आगे बढ़ गया.... एक कमरे के की होल से देखा तो पता चला, अंदर किसी की रास लीला चल रही है.... "हा हा हा.... अब ये कौन शौकीन है... कहीं मनु के पापा तो नही... तौबा-तौबा, पता नही जिन्हे नही देखना था वही सब दिख रहे हैं, पता नही मेरी जानेमन किधर है"

दो कमरे खाली थे, उसके बाद की रो का आखरी कमरा.... "आहह ! हियर शी ईज़.... उफ़फ्फ़ क्या सेक्सी लुक मे है, जान ना ले ले".....
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11-17-2020, 12:11 PM,
#65
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
दो कमरे खाली थे, उसके बाद की रो का आखरी कमरा.... "आहह ! हियर शी ईज़.... उफ़फ्फ़ क्या सेक्सी लुक मे है, जान ना ले ले".....

अखिल ने डोर नॉक किया... डोर नॉक होते ही काया मुस्कुराने लगी... अपने बिस्तर पे पड़ी गाउन से खुद को कवर की और दरवाजा खोलने चली आई.... जैसे ही दरवाजा खुला, अखिल झट से अंदर घुस गया....

काया.... काफ़ी कूल लग रहे हैं एस.पी सर.... बताइए किस बेचैनी ने आप को यहाँ तक खींच लिया...

अखिल.... थोड़ा सांस तो लेने दो... बहुत मेहाँत कर के आया हूँ काया जी....

काया.... हां-हां सांस लीजिए, बिस्तर पर लेटिये, उधर जूस रखा है उसे भी पी सकते हैं. फ्रिड्ज मे सॉफ्ट ड्रिंक है वो भी ले सकते हैं... 11:45 तक का टाइम आप का है... और बस 5 मिनट बचे हैं...

अखिल.... क्या मतलब 5 मिनट ही बचे हैं.... ये तो चीटिंग है, अभी तो आया हूँ...

काया.... सॉरी सर, आप अभी आएँ या 11:30 पर एंट्री कीजिए. टाइम ईज़ टाइम. मैने भी तो रिस्क लिया है ना...

अखिल.... आप ने कैसा रिस्क काया जी...

काया.... ऊहह.. हूऊ.. बड़े भोले बन रहे हैं... देर रात किसी को अपने कमरे मे बुलाया, और दरवाजा लॉक... सारा रिस्क और बदनामी तो मेरी ही है ना.. आप का क्या जाएगा...

अखिल... ये क्या बात हुई... सुपरिटेंडेंट ऑफ पोलीस की कोई रेप्पो नही क्या... क्या मैं बदनाम नही होऊँगा...

काया.... अच्छा जी, बड़े जल्दी आप के विचार बडाल गये एस.पी सर... कहाँ आज सुबह कह रहे थे पोलीस वैसे भी बदनाम है, और अब कह रहे हैं मैं बदनाम हो जाउन्गा.... थोड़े कन्फ्यूज़ लगते हैं...

अखिल.... हां कह सकती है... चलो ये 5 मिनट भी होने को है.... बाइ बाइ मिस... पर हां एक बात साची कहूँगा... आप को देख कर ही कन्फ्यूज़ हो जाता हूँ.... दिमाग़ के कनेक्षन टूट जाते हैं.... शायद दिल का मामला है... गौर कीजिएगा.... चलता हूँ...

अखिल के जाते ही काया ने दरवाजा बंद किया, और खुद को दरवाजे से टिका कर अखिल का आना, और उसकी बातों को याद कर के मुस्कुराने लगी.... "दम तो है आप मे एस.पी सर, देखते हैं आगे क्या होता है."

इधर अखिल नीचे उतरा तो मिश्रा जी गाड़ी मे बैठ कर पॅक पर पॅक लगाए जा रहे थे...

अखिल.... मिश्रा जी, कहा था अलर्ट रहो और आप हैं कि यहाँ बैठ कर पी रहे हैं...

ड्राइवर.... अर्रे सर पीने के बाद ही तो ज़्यादा अलर्ट होता हूँ.... वैसे आप को देख कर लगता है, मेडम ने भगा दिया... एक पॅक आप भी मारो... आओ गम भुला लो सर जी..

अखिल.... मिश्रा जी....... मैं भी कहाँ किस से किस बारे मे बात करने जा रहा था... रहने दो आप गाड़ी चलाओ...

ड्राइवर.... सर जी, उपर 45 हो गयी तो क्या हमे इश्क़ और माशुका से मिलने की फीलिंग पता ना होगी... जाने दो सर जी, आप तो अभी समझना शुरू किए हैं... और मैं तो गोते लगाए बैठा हूँ...

अखिल.... वाहह ! क्या बात है मिश्रा जी. पहले तो मुझे मंफ़ कीजिए और अब ज़रा उस गोते की कहानी हमे भी सुनाएए...

फिर क्या था.. कुछ मिश्रा जी फरमाते, और कुछ एस.पी साहब अपनी सुनाते.. और जुगलबंदी बनती चली गयी.....
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कानपुर की सुबह....

ड्रस्टी आज जॉगिंग पर निकलने से पहले अपने अम्मी-अब्बू के कमरे गयी... दोनो ही बैठ कर आपस मे कुछ बातें कर रहे थे... ड्रस्टी को देख कर दोनो मुस्कुराते अपने पास बुलाने लगे...

ड्रस्टी... अब्बू एक बात बहुत दिनो से पुच्छना चाह रही थी...

नवाब... हाँ बेटा पुछो ना..

ड्रस्टी... अब्बू वो लड़का जो उस दिन आया था, उस की कहानी क्या है...

इतने मे ड्रस्टी की अम्मी उसे आँखें दिखाती बोलने लगी.... "जिन मामलों का तुम से कोई लेना देना नही, उसे जान कर क्या करोगी".

नवाब... बेगम, ऐसे बात नही करते... बताता हूँ बेटा. ये कोई मामूली लड़का नही है, ये बहुत बड़े इंडस्ट्राइलिस्ट का बेटा है. कई साल पहले दीवान साहब इसके यहाँ काम करते थे. यूँ समझ लो कि वो उस घर के सब से खास आदमी थे...

ड्रस्टी.... ह्म ! फिर क्या हुआ अब्बू, और ये दीवान अंकल को क्यों ढूंड रहा है...

नबाब.... मुझे भी नही पता बेटा. बस दीवान साहब जब शिमला से यहाँ शिफ्ट हुए तो उन्होने बताया पूर्वी और इस लड़के के बीच का कोई मसला था, और उन्होने इनके यहाँ का काम छोड़ दिया.

ड्रस्टी... ओह्ह्ह ! थॅंक्स अब्बू, अब मैं चलती हूँ....

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11-17-2020, 12:11 PM,
#66
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )

ड्रस्टी जॉगिंग के लिए निकल आई पर सारी बातें उसके दिमाग़ मे नाच रही थी.... वो जॉगिंग करती हुई भी सारी बातों को ही सोच रही थी.... और फिर से आज दोनो एक साथ उसी बेंच पर बैठे थे.....

"अब्बू ने कहा, पूर्वी और इस लड़के का मसला है, तो फिर इन दोनो ने एक दूसरे को पहचाना क्यों नही. और कितनी पुरानी बात है... क्या दोनो किड थे... और दोनो यदि किड होंगे तो दोनो के बीच कैसा मसला हो सकता है... क्या कोई खिलोने को ले कर झगड़ा हुआ था. या बच्चो का कोई झगड़ा... अन्न्ह्ह्ह कुछ समझ मे नही आ रहा. और बात इतनी पुरानी होती तो अब्बू क्यों उस दिन कहे कि ये लड़का पूर्वी के पिछे आया... नही बात उतनी भी पुरानी नही... पर बात है क्या... इसी से पुच्छ लूँ... पूरी कहानी... बगल मे ही तो बैठा है"...

ड्रस्टी के दिमाग़ मे जैसे सारी बातें स्ट्राइक कर रही हो... उसने मानस की ओर देखते हुए धीमे से "हाई" कही... मानस ने सुना भी लेकिन ड्रस्टी की बात को अनसुना कर वो बेंच से टिका रहा... एक-दो बार फिर से वो "हाई" बोली.. इस बार बोलने का वॉल्यूम भी थोडा तेज था, फिर भी मानस ने उसे अनसुना कर दिया...

ड्रस्टी को गुस्सा आया... वो अपने जगह से उठी, और उसके कान का हेड फोन अपने हाथों से उतार कर फेक दी और चिल्ला कर कहने लगी.... "इतनी देर से चिल्ला रही हूँ, हेड फोन लगा कर क्या बहरे ही हो जाते हो"

मानस.... एक्सक्यूस मी, आप है कौन...

ड्रस्टी और भी ज़्यादा गुस्सा दिखाती.... "कोई नही हूँ... पर तुम आज के बाद मेरा पिच्छा किए तो मैं भी तुम्हे दिखा दूँगी"

मानस.... एक्सक्यूस मी...

ड्रस्टी.... एक्सक्यूस मी, एक्सक्यूस मी... क्या दो ही वर्ड्स आता है... हुहह ! कान खोल कर सुन लो मेरा पिच्छा छोड़ दो....

इतना सुना कर ड्रस्टी वापस अपने घर को चल दी... मानस अपना हेड फोन उठा कर फिर से अपने कानो मे लगाया और आँखें मूंद काए खुद से कहने लगा.... "अब मंज़िल दूर नही, अब तो बातें शुरू हो गयी... जल्द ही अब ये मुझे तुम सब तक भी पहुँचा देगी"...

मानस भी बिना ये जाने सोच रहा था कि कल ही उसकी मज़िल उसके सामने थी, और वो उसे पहचान तक नही पाया.
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मनु एमडी तो बन गया था, लेकिन अब उसे खुद को प्रूफ करने की ज़रूरत थी. राह मे काँटे बहुत थे, लेकिन इरादे फौलादी. एक सब से अच्छी बात जो उसके पास थी वो थी मॅन पवर. कंपनी के लगभग हर एम्प्लोयि उसे दिल से चाहते थे, और जब से मनु ने एमडी की पोस्ट संभाली थी, सब की उम्मीदें काफ़ी बढ़ गयी थी.

मनु कंपनी के प्रॉस्पेक्ट मे अपनी पहली सब से बड़ी प्रॉजेक्ट की मीटिंग लेने जा रहा था. सरकार. जो गूड्स एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट करती है उसके शिप्पिंग का कांट्रॅक्ट एस.एस शिप्पिंग कॉर्पोशन को मिले. एस.एस ग्रूप से कई बार इस कांट्रॅक्ट को पाने के लिए कोसिस की जा चुकी थी, लेकिन आज तक ये कांट्रॅक्ट नही मिला.

मीटिंग हॉल ... और मनु अपना व्यूस देते हुए....

"कंपनी शिप्पिंग कॉर्पोरेशन वैसे तो पहले से काफ़ी स्ट्रॉंग है, लेकिन बात यदि की जाए सरकार. के इस कांट्रॅक्ट की, तो यदि हमे ये मिलता है तो हमारे शिप्पिंग कॉर्पोरेशन को एक नयी उचाई मिलेगी... आप सब के क्या व्यूस हैं"

सभी लोग अपने-अपने विचार एक-एक कर के देने लगे..... लेकिन सभी लोग प्रॉजेक्ट को बढ़िया कहते, पर इस कांट्रॅक्ट को हासिल करना नामुमकिन... क्योंकि हर बार ये कांट्रॅक्ट अग्रॉ इंटरनॅशन ऑफ शिप्पिंग ग्रूप को ही मिलती थी.

नताली (वंश डॉटर).... नतिंग ईज़ इंपॉसिबल. मनु आइ वॉंट टू हॅंडेल दिस प्रॉजेक्ट.

अर्जुन (सेयो) .... इतना बड़ा प्रॉजेक्ट तुम कैसे हॅंडल कर सकती हो. यहाँ मौजूद एक्सपीरियेन्स्ड लोगों से हॅंडल नही हुआ ये प्रॉजेक्ट, फिर तुम अन-एक्सपीरियेन्स्ड कैसे हॅंडल कर लोगि. ये कॉलेज का कोई फंक्षन नही जिसमे जोश के साथ भीड़ जुटाना है.

नताली.... सॉरी, ऐज यू पीपल डिसाइड.... मैं तो बस अपना व्यूस दे रही थी....

मनु.... ह्म ! और किसी को कुछ कहना है....

नेगी (शिप्पिंग कार्पोरेशन का डाइरेक्टर)... सर, हम इस प्रॉजेक्ट के लिए पूरी मेहाँत करेंगे. पूरी शिप्पिंग टीम इस कांट्रॅक्ट को पाने के लिए दिन रात एक कर देगी.

मनु.... थॅंक्स नेगी जी. अर्जुन जी मैं आप की बात से सहमत हूँ, लेकिन जहाँ एक्सपीरियेन्स्ड लोग इतने सालों से नाकामयाब रहे हैं, आज एक फ्रेशर को भी चान्स दे कर देख लीजिए. नताली, दिस प्रॉजेक्ट ईज़ युवर्ज़. नेगी जी की पूरी टीम आज से तुम्हारी. कोई नयी रेक्रूटमेंट चाहिए तो उसके लिए भी तुम फ्री हो... गो अहेड...
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11-17-2020, 12:11 PM,
#67
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )

ऑफीस मे 4/5 ही दिन और नताली को इतना बरा प्रॉजेक्ट मिल गया. सब लोग बहुत खुश थे, सिवाय एक के वो था अर्जुन. उससे ज़रा भी पसंद नही आया कि किसी नये को ये प्रॉजेक्ट मिले... जब कि अर्जुन को ये उम्मीद थी कि मनु उसे ही ये प्रॉजेक्ट हॅंडेल करने के लिए सामने से ऑफर करेगा.....

"कोई बात नही मनु सर, जैसे आप की कंपनी डूबी थी ठीक वैसे ही आप का ये प्रॉजेक्ट भी डूब जाएगा. सो सॉरी बॉस, अब तो दो साल बाद ही इस प्रॉजेक्ट के मिलने के चान्सस बन पाएँगे... फिलहाल तो मैं ही सेंध लगाउन्गा".

जहाँ अर्जुन की ख़टकती आँख नताली के इस प्रॉजेक्ट फेल्यूर पर लगी थी, वहीं स्नेहा मनु को इशारों मे अकेले आने के लिए कहने लगी..... मनु मीटिंग को उसी वक़्त ख़तम कर के सीधा अपने कॅबिन मे पहुँचा.....

मनु.... हाँ स्नेहा कोई खास बात...

स्नेहा, मनु का कॉलर पकड़ कर अपनी ओर खींच ली, और अपने होंठ से मनु के चेहरे को स्पर्श करती हुई कहने लगी.... "क्यों जी, जब मैं सिर्फ़ पीए थी तब तो बहुत रोमॅन्स करते थे, और जब से शादी की अफीशियल अनाउन्स्मेंट हुई है मेरी ओर देखते भी नही.

मनु.... ओह्ह्ह्ह, तो ऐसी बात है... मतलब शादी हो रही है इसलिए तुम्हे मुझ पर हक़ जताना है...

स्नेहा, मनु का मूड देख कर, उस से अलग हो गयी, और एक कदम पीछे हट कर कहने लगी.... "सॉरी मनु"

मनु, अब स्नेहा के गले मे हाथ डाल कर कहने लगा..... "अच्छा जी, जब तक मैं आप का बॉस था, मेरी हर सीरीयस बात को भी मज़ाक बना दिया करती थी, और हक़ से अपनी बात मनवाती थी. जब से शादी की अफीशियल अनाउन्स्मेंट हुई है तो अब मेरा मज़ाक भी सीरीयस लगने लगा".

दोनो ही इस बात पर ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे.... मनु, स्नेहा की आखों मे देखकर कहने लगा.... "एक बात सच-सच कहता हूँ स्नेहा... मेरे दिल मे ना तुम्हारे लिए कोई प्यार नही, लेकिन हाँ तुम्हारा होना अच्छा लगता है".

स्नेहा.... ये तो मुझे पता है, कोई नयी बात तो बताओ मनु...

मनु.... नयी बात ये है की आज मेरा मूड हो रहा है.... चलो आज मज़े किए जाए...

स्नेहा.... नोप, बिल्कुल नही मनु... अब जो भी मज़े होंगे वो शादी के बाद... तब तक कंट्रोल करो बेबी.

मनु.... ये भी कोई बात हुई... आज तो मूड नॉटी हुआ जा रहा है... और तुम मना कर रही हो.

स्नेहा... जी नही, कुछ नॉटी और होट नही होने वाला, सो कंट्रोल युवर एमोशन्स... मेरे इनोसेंट हब्बी..... अभी तुम यहाँ का काम देखो, और मैं कुछ दिन की छुट्टी पर जाना चाहती हूँ...

मनु.... छुट्टी किस लिए स्नेहा...

स्नेहा.... मैं चाहती हूँ घर जा कर ही सब को शादी की बात बताऊं....

मनु.... ह्म ठीक है चली जाना...

स्नेहा.... नही, अभी ही जा रही हूँ... मैने सारा काम कर दिया है... अपायंट्मेंट्स और मीटिंग की पूरी डीटेल रिसेप्षनिस्ट के पास है, बाकी फोन तो है ही....

मनु.... ह्म ! ठीक है... सुनो मेरी कार लेती जाओ.... और किसी भी चीज़ की ज़रूरत हो तो कॉल करना ...

स्नेहा.... अच्छा जी समझ गयी... अब जाने भी तो दो...

मनु.... हाँ बाबा जाओ ना....

स्नेहा.... क्या, ऐसे कैसे चली जाऊं .... एक किस तो दे दो... हद है सब कुछ मुझे ही सामने से कहना पड़ रहा है... तुम तो ज़रा भी रोमॅंटिक नही मनु...

मनु, स्नेहा के कमर मे हाथ डाल कर उससे अपनी तरफ खींचा और उसके होंठ से होंठ लगा कर एक जोरदार किस किया.... "सॉरी जी मैं रोमॅंटिक तो नही हूँ, पर आप मुझे सिखाएँगी तो ज़रूर सीख जाउन्गा".

स्नेहा खिल कर मुस्कुराती, मनु से कहने लगी .... "ब्यएबयए स्वीटहार्ट, अपना ख्याल रखना ".

स्नेहा ऐसे प्यार से मुस्कुराइ की मनु का चेहरा भी खिल गया... ऐसा लग रहा था जैसे आज पहली बार मनु ने स्नेहा के अंदर झाँक कर देखा हो.
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11-17-2020, 12:11 PM,
#68
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
श्रेया, सुकन्या की बेटी. एक बला की खूबसूरत बिगड़ी हुई रहीश्जादी. देर रात तक पार्टी करना, खूब पैसे उड़ाना उसका शौक. देल्ही के एक मशहूर बॅंड की डाइरेक्टर थी और एक दिन अपनी माँ जैसा बन'ना उसका सपना था. जब से उसने सुना था उसकी माँ ने अपने सारे शेर्स मनु के नाम कर दिए हैं, उससे भी बरा झटका लगा था.

वो अपने क्र्यू के साथ बैठी बस इसी बात पर सोच रही थी, आख़िर उसकी माँ ऐसा कैसे कर सकती है. तभी उसके क्र्यू के दो-तीन मेंबर उसके पास आए, और उसने श्रेया से कुछ कहा... श्रेया अपने ख्यालों मे इस कदर खोई थी की उसकी बातों को अनसुना कर गयी.

एक दो बार और उन लोगों ने टोका, श्रेया का ध्यान टूटा और वो अचानक से उन पर चिढ़ गयी और चिल्ला कर कहने लगी...... "भागो यहाँ से, मुझे डिस्टर्ब मत करो"

सभी क्र्यू मेंबर मुँह लटकाए वहाँ से वापस लौट आए... और जा कर बॅंड के मुख्य संचालक मॅडी के पास अपना रोना रोने लगे. श्रेया से मिलने से पहले मॅडी का कोई अस्तित्व नही था, एक गली का परफॉर्मर था.

श्रेया ने उसे एक दिन परफॉर्म करते देखा, और वो ऐसी फिदा हुई मॅडी पर की रातों रात पूरा बॅंड तैयार कर दी, और मॅडी को वहीं से पहचान मिल गयी. हाँ बदले मे मॅडी को श्रेया की नखरे भी उठाने पड़े लेकिन कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है.

मॅडी.... उफफफ्फ़ सो सेक्सी गर्ल इन अपसेट मूड... क्या हुआ श्रेया मैं म...

श्रेया.... मॅडी, आज रात कहाँ की बुकिंग है... बॅंड परफॉर्म करने कहाँ जाएगी...

मॅडी.... आज रात मॅडी-श्रेया प्रेसोनल पर्फोम्स, क्योंकि मालकिन को एंटरटेन करना ही मेरा पहला काम.

श्रेया.... हा, हा, हा.... और मुझे कैसे एंटरटेन करेगा मॅडी, ज़रा मैं भी सुनू...

मॅडी.... पोल डॅन्स कर के मेडम... और आप मुझ पर पैसे लुटाएँगी खुश हो कर...

श्रेया.... स्ट्रीप भी करोगे क्या...

मॅडी.... मैं नही करूँगा तो आप ही कर देना मेडम... हम तो गुलाम है...

श्रेया.... व्हाट... फिर तो आज रात मेरे लिए एंटरटेनमेंट शो का अरेंजमेंट किया जाए.... मैं आज काफ़ी क्रुयेल मूड मे हूँ... बीडीएसएम करूँगी तुम्हारा....

मॅडी.... हा हा हा.... ये हुई ना बात. अब मैं मुद्दे की बात पर आते हैं... मूड क्यों ऑफ है मेडम का.

श्रेया.... मोंम ने अपसेट किया है मॅडी. मेरा ड्रीम मोंम जैसा बन'ना था... और मेरी मोंम ने अपना पूरा शेयर उस कमीने मनु के नाम कर दिया... अब मैं क्या करूँ...

मॅडी कुछ सोचते हुए कहने लगा.... "जानती हो मैने कल पवन कल्याण की एक मूवी देखी. उसमे समानता भी थी"...

श्रेया.... फक ऑफ ! रास्कल.... मैं यहाँ इतनी सीरीयस प्राब्लम बता रही थी, और तुम्हे मूवी की पड़ी है. गेट लॉस्ट.

मॅडी.... हा हा हा... अर्रे हर बात पर गुस्सा... यार मूवी थी ही इतनी मस्त की मैं बताए बिना नही रह पाया. तुम पहले सुन तो लो फिर यदि मेरी बात बकवास लगे तो गोली मार देना...

श्रेया.... जल्दी बको...

मॅडी.... उस मूवी मे ना पवन कल्याण कई हज़ार करोड़ का मालिक रहता है, और किसी फॅमिली मिसडरस्टॅंडिंग की वजह से उसकी बुआ अपनी फॅमिली... यानी पवन कल्याण के डॅड और दादा को छोड़ कर चली जाती है. जानती हो उसकी बुआ का भी एक हिस्सा उस कंपनी मे रहता है जिस पर वो थूकने तक नही जाती...

श्रेया.... ह्म ! इंटरेस्टिंग... फिर क्या हुआ...

मॅडी.... होना क्या था श्रेया... पवन कल्याण अपनी बुआ के यहाँ ड्राइवर बन कर जाता है... उसकी छोटी बेटी को पटाता है... और फॅमिली मॅटर सेटल कर के अपनी बुआ को मना लेता है... और तो और एंडिंग तो उस से भी ज़्यादा मस्त थी...

श्रेया.... हाँ-हाँ बताओ.... क्या थी एंडिंग...

मॅडी.... एंड मे पवन कल्याण के दादा उसे पूरे ग्रूप का एमडी बनाने का प्रपोज़ल रखते हैं, तो बाकी के पार्ट्नर्स और असोसीयेट नही राज़ी होते. और कंपनी मे मेजोरिटी से ही वो एमडी बन सकता था. मेजोरिटी पाने के लिए पवन कल्याण को एक मेजर शेर होल्डर यानी की अपनी बुआ के वोट की ज़रूरत थी जो कई सालों से ऑफीस मे कदम भी नही रखी थी.... पर अचानक से ही बुआ उस मीटिंग मे एंट्री लेती है... अब भला बुआ क्यों ना बनाए पवन कल्याण को एमडी...... पूरे परिवार को मिलाया, उसका होने वाला जमाई भी था... बना दिया उसी को एमडी.

श्रेया..... ह्म ! थॅंक्स मॅडी समझ गयी जो तुम समझाना चाह रहे थे. सिचुयेशन थोड़ी सी डिफ़्फरेंट है पर कंडीशन एक जैसी है". लेकिन तुरंत ही श्रेया अपना छोटा सा मुँह किए...... "पर मनु की तो शादी होने वाली है स्नेहा से"

मॅडी.... भगवान आप के साथ है मैंम... शादी होने वाली है हुई तो नही है.... अभी तो कुछ भी हो सकता है. और देखो तो कहाँ तुम एक कोने की मालकिन बन'ने वाली थी... और अब पूरा ग्रूप तुम्हारे कदमों मे है... अब सोचना तुम्हे है की कैसे तुम स्नेहा को आउट करती हो....

श्रेया खुश होती हुई... मॅडी के गले लग जाती है... और उसे थॅंक्स कहने लगती है.... मॅडी भी हँसते हुए कहता है.... "श्रेया मैंम... सुना है आप बड़े लोग अड्वाइज़ लेने के लिए भी लोगों को हायर करती हैं.... मुझे भी कुछ मेहनताना मिलेगा क्या".

श्रेया.... तुम्हे क्यों दूं मेहनताना. पूरा आइडिया कॉपी था पवन कल्याण का... लेकिन जाओ तुम भी क्या याद करोगे मॅडी किस दिलदार ओनर से पाला पड़ा था.... इस आइडिया को सुनाने के लिए ये बॅंड तुम्हारा हुआ.... कल पेपर वर्क पूरा कल लेना... हाँ लेकिन इसके दो कंडीशन्स है...

मॅडी.... कौन-कौन सी मैंम वो भी ज़रा बताने का कष्ट कीजिए...

श्रेया.... पहले ये की मैने जितने पैसे लगाए हैं, धीरे-धीरे कर के वापस कर दोगे. आंड सेकेंड कंडीशन इस, जब भी मेरा मूड होगा तो मुझे एंटरटेन करने चले आओगे, सारा बुकिंग छोड़ कर...

मॅडी.... मैं सारी कंडीशन्स पर सहमति... वैसे भी मैं तो हमेशा रेडी हूँ आप की सर्विस मे... उफ़फ्फ़ आप को एंटरटेन करना तो इस जहाँ का सब से मज़ेदार काम है...

श्रेया.... हा हा हा... बस-बस.. जाओ अपना काम देखो... आंड थॅंक्स फॉर अड्वाइज़...

श्रेया को अपना बेस्ट वे मिल चुका था. उसने तो अब तय कर ही लिया.... "लेट दा ड्रीम कम ट्रू, एनी हाउ"

दिन के वक़्त एस.पी साहब अपने ऑफीस मे आराम फरमाते, अपने ड्राइवर से पुच्छने लगे.... "मिश्रा जी, क्या काया को भी मुझ मे कोई इंटरेस्ट है. क्या वो भी मुझ मे उतना हे इंटरेस्ट ले रही है, जितना मैं ले रहा हूँ"...

ड्राइवर.... सर आप तो बावरे हुए जा रहे हैं. रात से ले कर अब तक ना जाने कितनी बार यही सवाल पुच्छ चुके हैं. मुझे लगता है आप को एक बार राउंड पर जाना चाहिए.

अखिल.... मैं भला राउंड पर क्यों जाऊ...

ड्राइवर.... तो क्या यहाँ बैठे रहने से काया मेडम आप से मिलने ऑफीस आएगी...

अखिल..... वॉववव मिश्रा जी क्या बात कही है... व्हाट एन आइडिया सर जी... ज़रा फोन की लोकेशन तो ट्रेस करवाओ...

एस.पी की जीप, सायरन बजाती रोड पर निकल गयी.... और सीधा पहुँची उसी शॉपिंग माल मे जहाँ से काया का लोकेशन आ रहा था...

अखिल.... पहुँच गये मिश्रा जी महबूबा की गली...

ड्राइवर... हाँ सर पहुँच ही गये...
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11-17-2020, 12:11 PM,
#69
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
जैसे ही दोनो शॉपिंग माल के अंदर घुसे बाहर का गार्ड उसे सलाम ठोका और तुरंत माल के मॅनेजर को कॉल लगाया....

मॅनेजर दौड़ता हुआ आया... "सर कोई बात हो गयी जो यहाँ आए हैं"...

ड्राइवर.... तू पसीने-पसीने क्यों हो रहा है बे मॅनेजर... साहब यहाँ रेग्युलर विज़िट पर आए हैं... लॉ आंड ऑर्डर क्या ऑफीस मे बैठ कर मेनटेन होगा, इसलिए राउंड पर निकले हैं. वैसे साला इस माल मे समान इतने महँगे क्यों होते हैं... कल मैं वाइफ के साथ आया था, और वो दाम देख कर ही कुछ खरीद नही पाई.

अखिल.... मिश्रा जी छोड़ो भी उसे...

ड्राइवर.... ओह्ह्ह्ह ! हाँ... तू जा अपना काम कर ... और हमे अपना काम करने दे....

दोनो काया को ढूँढने मे लग गये. अखिल जहाँ-जहाँ जाता, पब्लिक पहले से ही साइड हो जाती.... "ये माल तो किसी ज़िले से कम नही, पता नही यहाँ आ कर आदमी कहाँ गुम हो जाता है"....

अखिल 3र्ड फ्लोर के सेंटर मे खड़ा हो कर चारो ओर देख ही रहा था की पीछे से आवाज़ आई.... "एस.पी सर शॉपिंग करने आए हैं क्या".?

अखिल पीछे मूड कर देखा तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी.... "नही यहाँ तो बस कुछ अफीशियल काम से आया था.

काया.... ओह्ह्ह्ह ! मतलब आप काम पर हो ... सॉरी आप को डिस्टर्ब किया... आप अपना काम करो सर जी...

अखिल.... नही काम तो ख़तम हो गया, बस निकलने ही वाला था...

काया.... ओह्ह्ह्ह ! जा रहे हैं, ओके ... हॅव आ सेफ जर्नी एस.पी सर.

("हद है, समझती भी नही कि इस से ही मिलने आया हूँ... तब से मुझे भगा ही रही है")... अखिल... लगता है मैं आप को पसंद नही, इसलिए आप आधी बात सुन कर रिएक्ट कर रही हैं... मैं यहाँ काम से आया था, काम हो गया है... अब बस निकलने ही वाला था तो सोचा एक कप कॉफी पीता जाऊ"

काया.... ओह्ह्ह सॉरी... तो यहाँ तब से खड़े हो कर आप कॉफी शॉप ढूँढ रहे थे... कॅफेटीरिया इस रो के लास्ट शॉप के पिछे है....

अखिल.... थॅंक्स.... अर्रे पता बता कर आप कहाँ चली...

काया.... क्या हुआ एस.पी सर...

अखिल..... अब आप को मैं जानता हूँ, और मैं अकेले कॉफी पियूं अच्छा नही लगता ना... आप भी आइए ना..

काया.... कोफ़ी के लिए पूछना है तो सीधा पूछिए ना, ऐसे बहाने क्यों बना रहे हैं सर...

अखिल.... जो समझिए मैं.... ठीक है सीधे पूछता हूँ.... क्या आप मेरे साथ कॉफी पिएंगी...

काया... नो

अखिल.... अब पूछा तो मना कर दी आप.

काया.... आप ने पूछा और मैने मना कर दिया, इसमे अपसेट होने वाली कौन सी बात है....

इतना कह कर काया मूड गयी और हँसने लगी... अखिल उसे जाते हुए देखता रहा. जब वो एक फ्लोर नीचे पहुँची तो पिछे मूडी... अखिल अब भी उसे देख ही रहा था.... काया उसे देख कर हँसने लगी और उंगलियों के इशारों से कॉल करने का इशारा कर के चली गयी....
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11-17-2020, 12:12 PM,
#70
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
सम और रजत की मुलाकात....

सम.... रजत काम हो जाएगा, टोटल 50 लाख लगेंगे... 30 पहले 20 बाद मे....

रजत.... ये लो 50 लाख का चेक. टोटल अमाउंट अभी ही दे रहा हूँ, लेकिन काम हो जाना चाहिए.

सम.... समझो काम हो गया. बस इधर तुम सब फॅमिली हॉलिडे पर निकले और उधर रास्ते मे ही मनु और काया का काम तमाम.

रजत.... ये हुई ना यारों वाली बात... सुन जब ये सारी प्रॉपर्टी मेरी हो जाएगी, तो मैं तुम्हे अपनी कंपनी मे सब से उँची पोस्ट दूँगा...

सम... थॅंक्स यार ... तेरे लिए कुछ भी..... आज रात क्या कर रहा है, बड़े दिन हो गये पार्टी किए...

रजत.... पार्टी आज नही.... सेलेब्रेशन अब तो चौथे के बाद ही होगी... चलता हूँ....

रजत के जाते ही... दीप्ति भी पिछे से निकल आई.... "लूट लिया 50 लाख की लॉटरी... अब क्या इरादे हैं... कतल तो 10लाख मे ही हो जाएगा जो उस रात उसने अड्वान्स किया था.... ये तो तू पूरे प्रॉफिट मे आ गया"

सम.... हां सो तो है, प्रॉफिट तो जोरदार हुआ है लेकिन तेरे से बहुत कम.... एक रात के जलवे मे तूने तो 12 करोड़ का फ्लॅट पचा ली...

दीप्ति.... पर तूने उसका मर्डर करवाया तो सोच ले, एक तो बड़ा मुर्गा हाथ से जाएगा, और फसेगा वो अलग...

सम.... पागल है क्या... मैं क्यों इन मामलों मे फसु... जब तक लूट सकते हो लूटो, फिर खिसक लो...

दीप्ति.... ये तो फाइनल सेटल्मेंट था, अब तू लूटेगा कैसे...

सम.... अर्रे जो मर्डरर है वो क्या कभी जैल नही जाएगा... रोज 3 रुपया खर्च करूँगा न्यूसपेपर पढ़ुंगा........

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मूलचंदानी विला...

हर्षवर्धन.... कोई काम ही नही बचा अमृता तुम्हारे इस फालतू से प्रपोज़ल के बाद...

अमृता.... तुम भी ना हर्ष बहुत ही जल्दी अपना धैर्य खो देते हो... शांति से तमाशा देखते जाओ...

हर्षवर्धन.... कुछ पता भी है, मनु वो शिप्पिंग कांट्रॅक्ट पर पूरा ध्यान लगा रहा है....

अमृता.... हां पता है, और उस प्रॉजेक्ट को नताली हॅंडल कर रही है... डॉन'ट वरी हर्ष... अभी तो हफ्ते भी नही बीते और तुम उतावले हो रहे हो. थोड़ा शांत बैठ जाओ... हमे अभी थोड़े ना कुछ करना है... अभी तो जो भी करेंगे वो राजीव और तनु करेंगे... हम तो बस साइलेंट प्लेयर हैं ....

हर्षवर्धन.... अमृता सेफ खेलने और ज़्यादा लालच के चक्कर मे कहीं ये ना हो कि जो भी है वो भी चला जाए. मनु को तुमअंडरस्टिमेट कर रही हो....

अमृता..... नही, हर्ष तुम मुझे अंडरस्टिमेट कर रहे हो... मनु की क़ाबलियत को देख कर ही ये कदम मैने उठाया है... अब बस दूर बैठ कर तमाशा देखो .....

हर्षवर्धन.... दूर बैठ कर तमाशा क्या देखना है, अब तो सोच रहा हूँ कि एक वकेशन प्लान ही कर लूँ... तुम चल रही हो क्या....

अमृता.... तुम घूम आओ हर्ष मैं तुम्हारे नही आ सकती. सारा खेल शुरू किया हुआ मेरा है, इसलिए मेरा अभी कहीं भी जाना संभव नही....
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