Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
12-13-2020, 02:53 PM,
#71
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मैंने उन्हें फिर से सभी बाते समझाई, मेरा प्लान सुनकर वो थोडा घबरा रहे थे पर मैंने जब फिर से उन्हें रूबी की जवानी और नाजिर के लंड की याद दिलाई तो उनकी घबराहट थोड़ी कम हुई.
तभी बाहर से आवाज आई "अरे कोई है क्या..." ये नाजिर अंकल की आवाज थी.
मैंने जल्दी से पायजामा पहना और बाहर आया, रूबी मेरे कहे अनुसार टी शर्ट और लॉन्ग स्किर्ट में आई थी.
मैंने उन्हें सोफे पर बिठाया. नजीर अंकल बोले "कहाँ है वो दोनों...क्या तुमने हमारे बारे में उन्हें बताया है क्या..."
"वो दोनों अन्दर हैं, ऋतू के साथ, दरअसल मैं आपको एक बात बताना चाहता हूँ, वो जिन दोस्तों की बात कर रहे थे, वो हम ही हैं, हिना और रेहान हमारे फ्रेंड सर्कल मैं ही हैं, और हम सभी फ्रेंड्स सभी तरह की मस्ती करते हैं" मैंने उन्हें समझाते हुए कहा.
"मस्ती का क्या मतलब...क्या तुमने मेरी हिना के साथ...." रूबी ने मेरी तरफ घूरते हुए देखा और पूछा.
"मस्ती मतलब सब कुछ...और हाँ मैंने आपकी हिना की चूत भी मारी है, पर अब इन बातों का कोई मतलब नहीं है क्योंकि आप दोनों भी तो अपने बच्चो के साथ वही सब करने आये है, वैसे भी वो अब बच्चे नहीं रहे , दोनों जवान हो चुके हैं, और अपनी मर्जी से वो कुछ भी कर सकते हैं, मेरा तो बस यही विचार है की जब आप लोग बाहर के लोगो के साथ सेक्स कर सकते हो और वो दोनों भी बाहर के लोगो के साथ सेक्स करते हैं तो क्यों न कभी-२ आपस में भी ये सब करो, सभी को मजा आएगा..."
"वो तो ठीक है...पर क्या तुमने उन्हें हमारे बारे में बताया है..." नाजिर ने कुछ सोचते हुए कहा.
"नहीं मैंने उन्हें कुछ नहीं बताया...मैंने सिर्फ उन्हें कहा है की हमारे कुछ दोस्त आ रहे हैं थोड़ी ही देर में और हम सभी अपनी आँखों में पट्टी बांधकर सेक्स करेंगे, ताकि कोई तुम्हे न देख पाए और न ही तुम उन्हें देख पो, क्योंकि वो लोग अपनी पहचान गुप्त रखना चाहते हैं.." मेरी बात सुनकर रूबी और रेहान को थोडा सुकून मिला,
"पर अगर हमारी आँखों पर पट्टी हुई तो हम उन्हें कैसे देख पायेंगे...तुमने पैसे लेते हुए ये तो नहीं बताया था की हम लोगो को अपनी आँखें बंद करके उनके साथ सेक्स करने को मिलेगा.." नाजिर ने कहा.
"अरे अंकल..आप लोगो को कोन आँखें बंद करने को कह रहा है, वो तो वो दोनों करेंगे, आप लोग ऐसे ही अन्दर चलो, उन्हें कुछ मालुम नहीं चलेगा, वो तो यही समझेंगे की आपकी आँखों पर भी पट्टी बंधी हुई है..." मैं उन्हें समझाया.
वो पूरी बात समझ गए और मैं उन्हें लेकर अन्दर चल पड़ा.
मेरे कहे अनुसार अन्दर सभी लोग अपने कपडे पहन चुके थे, और रेहान और हिना ने अपनी आँखों पर पट्टी भी बाँध रखी थी.
ऋतू सिर्फ अपनी चड्डी पहन कर खड़ी थी, ऊपर उसने कुछ भी नहि पेहना हुआ था. अन्दर जाते ही अपने बच्चो को देखकर उनके दिल की धड़कने तेज हो गयी.
हिना जींस और टी शर्ट में बेड के किनारे पर बैठी थी, और रेहान ऋतू के पास बैठा हुआ था.
हिना ने ब्रा नहीं पहनी हुई थी, इस वजह से उसके निप्पल्स साफ़ दिखाई दे रहे थे, कमरे में उसे अपने अब्बू के आने का आभास हो चूका था, पर मेरे कहे अनुसार वो दोनों यही दिखा रहे थे की कमरे में आने वाले कोई और हैं.
मैंने कहा "अब हमारे मेहमान आ चुके हैं, यहाँ सभी ने अपनी आँखों पर पट्टी बाँध रखी है, और मैं अब आप लोगो के जोड़े बना रहा हूँ, आप लोग बिना कोई आवाज निकाले अपने साथी के साथ मजे करोगे...ठीक है.." सभी ने सहमति से गर्दन हिलाई..
मैंने रूबी का हाथ पकड़ा और बेड पर बैठे हुए रेहान के पास जाकर उनका हाथ रेहान के हाथों में दे दिया.
रूबी ने कांपते हुए हाथों से अपने लड़के का हाथ पकड़ा..वो बिलकुल ठंडा हो चूका था.. रेहान को जैसे ही अपनी अम्मी के मादक शारीर की महक आई वो उनसे लिपट गया...और अपने कई सालो के इन्तजार का अंत करते हुए उसने अपने मोटे होंठ, अपनी अम्मी के लरजते हुए ठन्डे होंठो पर रख दिए और उन्हें चूसने लगा. म्म्म्मम्म्म्मम्म आआआआअह्ह्ह रूबी के मुंह से हलकी हलकी सिस्कारियां फूटने लगी.
ऋतू भी उठी और हिना को पकड़ते हुए नाजिर के पास लेजाकर छोड़ दिया..नाजिर ने एक झटके से अपनी फुल सी बच्ची को पकड़ा और सीधा उसके मोटे चुचे दबाने लगा..पिछले दो सालो से वो हिना के मोटे होते हुए मुम्मो को देखकर कई बार मुठ मार चूका था और उनके बारे में सोचकर ऑंखें बंद करके रूबी के स्तनों को घूरता रहता था, आज जब उसके सामने अपनी आँखों पर पट्टी बांधे हिना खड़ी थी.
उसके बिना ब्रा के मोटे मुम्मे ऊपर नीचे होकर उसकी भूख को और बड़ा रहे थे तो उससे सहन नहीं हुआ और वो सीधा उनपर टूट पड़ा. अपने चुचे पर अब्बू के हमले का सामना करते हुए हिना बुरी तरह से हिल रही थी, उसके शारीर में अजीब तरह की झुरझुरी हो रही थी, वो कांप रही थी, उसने कई बार अपने अब्बू को अपनी तरफ घूरते हुए देखा था, और उनका लटकता हुआ लंड भी उसे कई बार दिख चूका था, और रातों में अपने अब्बू के कमरे से आती चीखों ने भी उसे उनके लंड के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया था,..आज उसके अब्बू उसके दोनों खरबूजे दबाने में लगे हुए थे..थोड़ी देर तक उन्हें दबाने के बाद नाजिर ने उसकी टी शर्ट को ऊपर खिसकाया और गले से निकल कर जमीन पर गिरा दी..अब हिना सिर्फ जींस में अपनी आँखों पर काली पट्टी बांधे कड़ी थी, हिना के रसीले चूचो को देखकर नाजिर की नज़रों में एक अजीब सी चमक आ गयी, उसने अपना मुंह आगे किया और उसके एक चुचे को अपने मुंह में लेकर अपनी बेटी का दूध पीने लगा, हिना के शरीर में इतनी गुदगुदी हुई की उसका पेशाब निकल गया...
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12-13-2020, 02:53 PM,
#72
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मैं बेड पर बैठ गया और ऋतू मेरे शरीर से चिपक कर वहां का खेल देखने लगी..
मैं अपने हाथों से ऋतू के मोटे चूचो को दबाने लगा और वहां चल रहा शो देखने लगा.
रेहान काफी उत्तेजित हो चूका था, उसने अपनी अम्मी रूबी को होंठो को चूस चूसकर लाल कर दिया था, रूबी भी उसकी बाँहों में मचलती हुई ऑंखें बंद किये पुरे मजे लेने में लगी हुई थी, अचानक वो नीचे जमीन पर बैठ गयी और उसने एक झटके से रेहान का पायजामा उतार दिया, रेहान का उफनता हुआ लंड अब रूबी की आँखों के सामने था, रूबी ने रेहान के मोटे लंड को गोर से देखा, वो सही में नाजिर का बच्चा था, उसका लंड भी उतना हो मोटा, लम्बा पर रंग थोडा सफ़ेद था, जबकि नाज़िर के लंड का रंग बिलकुल काला था. उससे और सहन नहीं हुआ और उसने झट से अपने बेटे का लंड डाल लिया अपने मुंह में और उसे चूसने लगी.
अपनी अम्मी को अपना लंड चूसता पाकर रेहान के तो मजे हो गए, उसके पट्टी बंधे चेहरे पर आती ख़ुशी साफ़ दिखाई दे रही थी, उसने रूबी के सर के पीछे हाथ रखा और बड़ी ही तेजी से उसके मुंह के अन्दर धक्के मारने लगा... दूसरी तरफ देखा तो नाजिर ने अब हिना की जींस के बटन भी खोल दिए थे, और उसे नीचे उतारने के बाद थोडा पीछे होकर जब नाजिर ने अपनी नंगी बेटी को गोर से देखा तो उसके लंड का बुरा हाल हो गया, उसने सपने में भी नहीं सोचा था की उसे अपनी नंगी बेटी देखने को मिलेगी, पर मेरी वजह से ये सब संभव हो पाया था, उसने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखा और अपना आभार प्रकट किया, और फिर अपने पुरे कपडे उतार कर वो भी नंगा हो गया और अपनी नंगी खड़ी हुई बेटी से जाकर लिपट गया. अपने नंगे शरीर से अपने अब्बू के जिस्म का साथ पाकर हिना के रोयें खड़े हो गए, उसकी गीली चूत, जिसमे से अभी-२ पेशाब निकला था, बुरी तरह से गीली होकर, रस बिखेर रही थी.
नाजिर ने उसे बेड पर लिटाया और उसकी बिना बालों वाली चूत पर अपने होंठ टिका दिए और वहां का माल साफ़ करने लगा..अपने अब्बू को अपनी चूत चूसते हुए देखकर उसके मुंह से अब्बू निकलते-२ बचा...उसने अपने दांतों तले अपनी जीभ दबाकर अपनी आवाज को ब्रेक लगाया..
अब्बब्बब्ब............अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम्मम ........ और वो अब्बू के सर को अपनी चूत पर घिसने लगी. वहां से आती पेशाब की दुर्गन्ध और चूत के रस की सुगंध नाजिर को बड़ी मादक लग रही थी, वो अपनी मोटी और खुरदुरी जीभ से अपनी फुल सी बेटी की चूत बुरी तरह से चाटने में लगा हुआ था..हिना भी अपने अब्बू के लंड से खेलना चाहती थी, उसने नाजिर को बेड पर लिटाया और उनके मुंह पर अपनी चूत टिका कर अपने मुंह में उनका पाइप डाल कर चूसने लगी, पहले तो उसके मुंह में सिर्फ नाजिर का सुपाडा ही आ पाया पर थोड़ी देर कोशिश करने के बाद वो पूरा उसके मुंह के अन्दर तक जाने लगा और वो उसे चूसने लगी..
रेहान ने अपनी अम्मी को उठाया और उनके कपडे एक झटके के साथ उतार डाले और रूबी के मोटे जग से दूध पीने लगा..अपने बेटे को 17 सालो बाद अपनी छाती को चूसते हुए देखकर उसके मन में बेटे के लिए लाड आ गया और वो उसे और जोर से अपना दूध पीने के लिए उकसाते हुए उसके बड़े से मुंह में अपना स्तन ठुसने लगी..
काफी देर तक स्तनपान करने के बाद वो नीचे झुका और रस से सराबोर चूत को अपने मुंह में दबाकर चूसने लगा.
मेरे कहने की वजह से सभी अपनी चीखों और आवाजों पर नियंत्रण करे बैठे थे...इसलिए वहां सिर्फ लम्बी सिस्कारियों की आवाजें ही आ रही थी. स्स्सस्स्स्सस्स्स म्म्म्मम्म्म्मम्म ....
रेहान की लम्बी जीभ अपनी अम्मी की चूत के हर कोने में घुसकर वहां के रस को ढूंढ ढूंढकर पी रही थी, पर चूत की माया भी क्या होती है, वो जितना चूसता, उसकी चूत की दीवारों से और रस रिसने लगता और उसके मुंह में जाने लगता.
अपनी अम्मी की चूत को देखने के लालच में रेहान ने अपनी पट्टी थोड़ी सी खिसका दी और उसकी एक आँख अब थोड़ी सी बाहर की दुनिया को देख पा रही थी, इसलिए उसने अपनी माँ की खुबसूरत चूत को देखा तो उसे चाटने की स्पीड और तेज कर दी. रूबी की आँखें तो मजे लेने के चक्कर में पहले से ही बंद थी. अब दोनों बच्चे अपने अम्मी और अब्बू के लंड और चूत चूसने में लगे हुए थे..
रेहान से अब रुकना मुश्किल हो रहा था, वो उठा और अपने लंड का सुपाडा अपनी अम्मी की चूत से लगाया, अपनी चूत पर रेहान के लंड का एहसास पाकर रूबी की साँसे रुक सी गयी..उसने कुछ निर्णय किया और रेहान की आँखों की पट्टी खोल दी. रेहान के साथ-२ हम दोनों भी हैरान रह गए.
रेहान ने जब देखा की उसकी अम्मी ने उसकी आँखों की पट्टी खोल दी है तो वो उनकी आँखों में अपने लिए उमड़ते हुए प्यार को देखकर emotional सा हो गया और उसने नीचे झुककर अपनी अम्मी की आँखों को चूम लिया. "रेहान, मैं तुम्हारा लंड अपनी चूत में लेना चाहती हूँ और ऐसा करते हुए मैं तुम्हारी आँखों में देखना चाहती थी..." रूबी ने रेहान के कानो में धीरे से कहा.
वहां हिना भी उठ खड़ी हुई और अपने अब्बू के खड़े हुए लंड को अपनी चूत पर घिसने लगी, उसे मोटे लंड को अपनी चूत में घुसाने में काफी दिक्कत महसूस हो रही थी, उसकी आँखों पर पट्टी भी बंधी हुई थी, आखिरकार जब उसने चूत के छेद को लंड के बिलकुल ऊपर किया तभी अचानक उसके अब्बू ने उसके दोनों पैर खींच दिए, जिनपर उसने अपना पूरा भार डाला हुआ था, पैरों तले जमीन निकलते ही उसके शरीर का पूरा बोझ अब्बू के लंड के ऊपर आ गिरा, और उसकी चूत किसी ककड़ी की तरह चीरती चली गयी....वो चिल्ला पड़ी....
अब्ब्बब्ब्ब्बब्ब्बू ......आआआआआह्ह्ह मैं तो गयी.....
नाजिर समझ गया की हिना जानती है की वो अपने अब्बू से चुदवा रही है, उसने हाथ ऊपर करके हिना की आँखों से पट्टी उतार दी, पहली बार दोनों की नजरें टकराई और उन्होंने एक दुसरे को गले लगा लिया...नाजिर का मोटा लंड अपनी बेटी की चूत में फंसा हुआ था, हिना ने अपने अब्बू के होंठो को थोड़ी देर तक चूसा और फिर ऊपर उठकर अपने बाल बांधे और नए जोश के साथ अपने अब्बू के लंड पर चीखें मार मारकर कूदने लगी.
आआआआआह्ह्ह अब्बूऊउ मरो अपनी हिना की चूत....अह्ह्हह्ह्ह्ह कब से मैं आपका लंड लेना चाहती थी..... अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह चोदो अपनी हिना को ,,,,....अह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ .....
उनकी बातें सुनकर रेहान और रूबी भी मुस्कुरा दिए रेहान ने एक झटके से अपनी माँ की चूत में अपना लंड उतार दिया, रूबी की आँखें बाहर की तरफ उबल आई इस तेज हमले से...पर उसे मजा भी काफी आया वो चिल्ला पड़ी..
अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह रहन्न्न्न ......चोद बेटा......चोद अपनी अम्मी को.....चोद अपने मुसल जैसे लंड से ....अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह….
उनकी चुदाई देखकर मेरी आँखों में भी पानी आ गया, मैंने ऋतू की तरफ देखा जो अपनी कच्छी उतार चुकी थी, मेरे देखते ही वो समझ गयी और मेरे पायजामे को नीचे करके वो किसी भूखी बिल्ली की तरह मेरे लंड पर कूद पड़ी और अपनी चूत के अन्दर मेरे लंड को लेकर जोरो से चीखें मारने लगी..आआआआआआअह्ह्ह अशूऊउ मारो मेरी चूत.....अह्ह्ह्हह्ह फाड़ डालो .....अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह
अब कमरे में इतनी चीखे गूंज रही थी की क्या बताऊँ.
सबसे पहले रेहान ने अपनी अम्मी की चूत में अपना लंड खाली किया.. आआआआआआह्ह्ह अम्मीईईईईइ मैं तो गया....ले अपने रेहान का रस....आआआआआअह्ह्ह्ह आआआजाआअ बेटा.....आआआआजाआआआ.......और ये कहते हुए रूबी भी झड़ने लगी.
नाजिर सही में कसाई हो गया था अपनी बेटी की चूत पाकर, वो बड़ी तेजी से धक्के मार रहा था, उन धक्को में हिना दो बार झड चुकी थी...नाजिर ने हिना के उछलते हुए चुचे अपने मोटे हाथों में पकडे और नीचे से तेजी से धक्के मारने लगा..जल्दी ही उसका ज्वालामुखी भी फूटने लगा और उसने करीब आधा गिलास रस अपनी बेटी की चूत में खाली कर दिया.
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ग्रर्र्र्रर्र्र्र बड़ी तेज आवाजों के साथ वो गहरी साँसे लेने लगा.
मुझसे भी रुका नहीं गया और मैंने अपनी प्यारी बहन की चूत में अपना रस छोड दिया.
अब चारों तरफ गहरी साँसों की आवाजें आ रही थी, सभी अलग हुए और अपने पार्टनर के लंड को चूस कर साफ़ करने के बाद वहीँ लेट कर सुस्ताने लगे.
ये सब करते हुए दो घंटे हो चुके थे, हमारे मम्मी पापा के आने का टाइम हो चूका था. वो किसी भी वक़्त आ सकते थे.
रूबी ने उठ कर कहा की उसे तो बड़ी तेज भूख लगी है और वो उठकर कपडे पहनने लगी, हिना भी साथ ही उठ खड़ी हुई और उनके साथ वो भी जाने के लिए तैयार होने लगी.
नाजिर अपनी मोटी आँखों से अपनी फूल सी बेटी को कपडे पहनते हुए देख रहा था, उसका मन अभी अपनी बेटी की चूत मार कर भरा नहीं था, पर वो जानता था की उसके मोटे लंड का प्रहार उसकी बेटी ज्यादा नहीं झेल पाएगी इसलिए उसने उसे रोका नहीं और वो ये भी जानता था की अब तो उसका रास्ता खुल ही गया है, घर पर वो कभी भी उसकी चूत की चटनी बना कर पी सकता है. उसकी नजर मेरी बगल में लेटी ऋतू की तरफ गयी जो अपनी चूत को अपनी उँगलियों से मसल कर साफ़ कर रही थी और अन्दर से मेरा गिरा हुआ माल निकाल कर अपने मुंह में ले रही थी.
उसने जब नाजिर को अपनी तरफ देखते हुए पाया तो वो मुस्कुरा दी, नाज़िर वैसे तो कसाई की तरह चोदता था पर उसके मोटे लंड का एहसास वो अभी तक नहीं भूली थी, उसका तो फेवरेट लंड हो चूका था नाजिर का.
नाजिर अपनी बीबी रूबी से बोला, "तुम दोनों जा कर कुछ खा लो ...मैं बाद में आता हूँ..." रूबी समझ गयी की उस कसाई का मन अभी नहीं भरा है, वो मुस्कुरा दी और अपनी बेटी के साथ बाहर निकल गयी.
नाजिर ने ऋतू को इशारे से अपने पास बुलाया, ऋतू झट से उठ कर नंगी उसकी गोद में बैठ गयी...नाजिर ने अपना मुंह सीधा उसके नर्म होंठो पर टिका दिया और उन्हें चूसने लगा, वैसे तो उसके पान वाले, मोटे और भद्दे मुंह से बड़ी ही गन्दी बदबू आ रही थी, पर उसके मोटे लंड को अपनी चूत में लेने के चक्कर में उसने उस बदबू को भी नरअंदाज कर दिया और अपनी लम्बी जीभ उसके मुंह में डाल कर और मजे देने लगी, साथ ही साथ वो अपनी फैली हुई गांड उसके बैठे हुए लंड पर घिस भी रही थी, ताकि वो जल्दी से तैयार हो जाए और उसकी चूत को बजा डाले.
रेहान भी उठ कर ऋतू के पास आ गया और उसने अपने हाथ आगे करके उसके उभारों को थाम लिया, ऋतू ने उसकी तरफ देखा और उसे भी अपने पास खींच लिया, नाजिर ने भी अपने बेटे को थोड़ी जगह दी और अब ऋतू नाजिर और रेहान के बीच बैठी हुई उनके लंड मसल रही थी.
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12-13-2020, 02:53 PM,
#73
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मेरे लंड में भी तनाव आना शुरू हो गया, अपनी बहन को दो वेह्शियों के बीच देखकर, मैं अपनी जगह से उठा और ऋतू के सर के पास जाकर खड़ा हो गया, उसने मेरा लटकता हुआ लंड अपने मुंह के पास देखा तो झट से उसे अपने मुंह में लेकर चूसने लगी.
अब वो एक साथ तीन -२ मर्दों के बीच बैठी हुई उनका मनोरंजन कर रही थी, मैंने मन ही मन में सोचा, ऋतू की बच्ची आज तो तू गयी....
रेहान से अब रहा नहीं गया उसने नीचे झुककर ऋतू की चूत पर अपना मुंह लगा दिया और उसकी फैली हुई चूत की पलकों के बीच अपनी पेनी जीभ डाल कर कुरेदने लगा..ऋतू सिसक उठी..
आआआआआआआआअह्ह्ह्ह रेहाआआआआआआन्न म्मम्मम्मम
और वो रेहान को बड़े ही प्यार से देखते हुए उसके सर के ऊपर हाथ फेरने लगी, जैसे वो उसका पालतू कुत्ता हो....

नाजिर का मोटा लंड अपने पुरे शबाब में आने लगा था..उसने ऋतू के सर को एक झटके से अपनी गोद में खींचा और वो उसके लंड के ऊपर जा गिरी..आँखों के सामने काला नाग था, उसने आँखें बंद की और उसे मुंह में डाल कर चूसने लगी..
"हाआआन्न ऐसे ही चुसो....आआआआआआअह्ह्ह "
नाजिर ने कहा और अपना सर पीछे करके अपने लंड को चुस्वाने के मजे लेने लगा..
मैं ऋतू के ऊपर खड़ा हुआ उसे बाप बेटे के बीच पिसता हुआ देख रहा था, मेरे सामने ऋतू के झूलते हुए चुचे थे, मेरे मन में कुछ अलग करने का विचार आया, जो काफी दिनों से मैं सोच रहा था, उसके चुचे चोदने का....मैंने अपनी दोनों टाँगे उसके पेट के दोनों तरफ रखी और नीचे बैठ गया और अपना लंड उसके लटकते हुए चूचो के बीच फंसा कर उन्हें पकड़ लिया और इस तरह से उसके मखमली उभारों का दबाव मेरे तने हुए लंड पर पड़ने लगा, मैंने धीरे -२ धक्के देने शुरू कर दिए...
नीचे से रेहान ने ऋतू की क्लिट को अचानक अपने मुंह में भर लिया और दांतों से दबा दिया... वो चिल्ला पड़ी...
"आआआआआआअह्ह्ह ओयय भोंसडीके साले मार डालेगा क्या....धीरे कर...." उसकी टाँगे कांप रही थी उसके इस प्रहार से...रेहान ने सॉरी बोला और फिर से उसकी चूत में कुछ ढूँढने लग गया..
नाजिर ने भी अपने बेटे को समझाया..."अरे बेटा...जिस चीज से तुम्हे इतने मजे मिलते हैं उसे इस तरह से तकलीफ नहीं दिया करते...समझे..."
मैंने मन ही मन में कहा...साला कसाई, अपनी चुदाई के समय इन बातों का ख्याल नहीं रहता क्या..
मैंने अपने दोनों हाथों से ऋतू के उभारों को थाम रखा था, उसके दोनों पिंक कलर के निप्पल्स मैंने अपनी उँगलियों से पकड़ रखे थे और उन्हें दबा भी रहा था, जिस वजह से ऋतू की सिस्कारियां बड़े ही मीठे स्वर में बाहर आ रही थी...
आआआआआअह्ह्ह्ह म्मम्मम औयीईईइ ........अह्ह्ह्हह्ह ऊऊह्ह्ह ..............
ऋतू नाजिर के लंड को बड़े प्यार से चाट रही थी, उसने नीचे मुंह करके उसकी गोलियां भी अपने मुंह में भर ली और चूसने लगी...नाजिर की दोनों टाँगे हवा में उठ गयी ऋतू की इस हरकत से ...आज तक उसकी गोटियाँ किसी ने अपने मुंह में नहीं ली थी....नाजिर नीचे लेट गया और ऋतू को अपनी गोटियाँ चाटने के काम में लगा दिया...
और अचानक ऋतू और नीचे हुई और नाजिर की भद्दी सी बालों वाली गांड के छेद पर अपनी जीभ फिरने लगी...मुझे तो बड़ी ही घिन्न आई की ऋतू ऐसा क्यों कर रही है...पर शायद उत्तेजना के नशे में उसे कुछ भी नहीं सूझ रहा था, वो तो बस नाजिर को ज्यादा से ज्यादा मजे देने के चक्कर में गंदे से गन्दा काम करने में लगी हुई थी...नाजिर को ज्यादा मजे देगी तभी तो उसे नाजिर ज्यादा मजे देगा..
अब नाजिर ने से ज्यादा सेहन नहीं हुआ उसने ऋतू को अपने ऊपर खींच लिया और उसके होंठों को चूसने लगा...उसके विशाल से शरीर के ऊपर ऋतू किसी छोटे बच्चे जैसी लग रही थी, काले रंग पर गोरी लड़की..
ऋतू के बाल खुल चुके थे और उसके चेहरे को ढक कर उसे और भी कामुक बना रहे थे, ऋतू तो बस अपनी आँखें बंद करे नाजिर के होंठों को चूसने में ऐसी लगी हुई थी की उसे बाकी के दोनों लोगो का ध्यान ही नहीं रहा जैसे...मैंने उसे ध्यान दिलाने के लिए उसके सर के ऊपर आया और अपना लंड उसके मुंह के पास लेजाकर खड़ा हो गया..उसके बाल खींचे और उसके मुंह में अपना लंड डाल कर हिलाने लगा...
नाजिर ने अपने खड़े हुए खम्बे को नीचे से अपने हाथों से अडजस्ट किया और ऋतू को उसपर बिठा दिया..ऐसा लग रहा था की ऋतू नाजिर के लंड पर नहीं किसी कुर्सी पर बैठी हुई है..क्योंकि वो एक तरह से हवा में लटकी हुई थी और फिर नाजिर ने ऋतू के दोनों कंधो को पकड़ कर उसे नीचे की तरफ दबाया...ऋतू चिल्लाती हुई नीचे आने लगी..
आआआआआआआआअह अयीईईईईईईईईइ मरररर गयीईईईई .......अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह अह्ह्हह्ह्ह्ह ...
और अंत में उसके चुतड नाजिर के शरीर से जा टकराए और उसका पूरा लंड ऋतू की चूत में धंस सा गया...वो हिल भी नहीं पा रही थी, ये पहली बार नहीं था की वो नाजिर के लंड को अपनी नन्ही सी चूत में ले रही थी पर इस बार भी उसका लंड बड़ी ही तकलीफ दे रहा था...और यही तकलीफ ऋतू को मजा भी दे रही थी..
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12-13-2020, 02:53 PM,
#74
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
थोड़ी देर ऐसे ही बैठे रहने के बाद ऋतू ने हिलना शुरू किया और अब उसके मुंह से मीठी - २ सिस्कारियां निकलने लगी...
"आह्ह्ह्हह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ म्मम्म और तेज चोदो मुझे अंकल....अह्ह्ह्ह बड़ा ही मजेदार है आपका मोटा लंड.....और तेज चोदो न.....अह्ह्हह्ह्ह्ह" वो चिल्लाने लग गयी थी..
पीछे बैठे रेहान से भी अब रहा नहीं गया और वो उठ कर ऋतू के पीछे आया और उसे अपने बाप के ऊपर लिटा दिया..ऋतू कुछ समझ पाती उससे पहले ही उसने अपना मोटा लंड उसकी गांड के छेद पर टिका दिया और एक तेज धक्का मारा.....
"आआआआआह्ह्ह ....साले मोटे गेंडे...निकाल वहां से.....मैं साथ एक दोनों का नहीं कर पाउंगी....."
वो पहले भी डबल पेनेट्रेशन करवा चुकी थी पर इतने मोटे लंडो से नहीं....पर रेहान नहीं रुका और उसने एक दो और तेज धक्के मारकर अपना पठानी लंड उतार दिया उस बेचारी ऋतू की गांड में....
नीचे से उसके बाप नाजिर ने और तेजी से धक्के मारने शुरू कर दिए...अब उसने ऋतू को अपने बाहों में जकड रखा था और नीचे से धक्को पर धक्के मार रहा था...ऊपर से रेहान ने भी अपने धक्को की गति बड़ा दी और ऋतू की गांड के छेद को और खुला करने में लग गया...
मैं नीचे अपने पंजो के बल बैठ गया और उसके मुंह में अपना लंड दोबारा डाल दिया...
रेहान ने ऋतू के गोल चुतड पकडे और अपनी राजधानी एक्सप्रेस चला दी ...उसके हर झटके से ऋतू चिल्ला पड़ती थी, नीचे लेटा उसका बाप नाजिर अपने मोटे लंड को सिर्फ उसकी कमसिन सी चूत में डाल कर लेटा हुआ था, क्योंकि बाकी का काम ऋतू खुद ही कर रही थी अपने आप आगे पीछे होकर...
मैंने ऋतू के चेहरे पर इतना संतोष पहले कभी नहीं देखा था, वो सही में चुदाई में एक्सपर्ट हो चुकी थी, लंड खाने वाली, मैं सोचने लग गया की अभी पिछले महीने तक वो सिर्फ अपनी चूत में एक डिल्डो लेकर मजे कर लेती थी और आज उसके चारों तरफ लंडो की भरमार है, वो भी नहीं जानती होगी की पिछले महीने से अब तक वो कितनी बार चुद चुकी है..
अचानक नाजिर को भी थोडा जोश आया, उसने भी नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिए, ऋतू को लगा जैसे उसकी चूत का कबाड़ा बन जाएगा आज तो..
वो चिल्लाने लगी...
आआआआआह्ह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ्फ़ मर्रर्रर्र गयीईईई अह्ह्हह्ह्ह्ह........
उसने मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया और उसपर थूक फेंककर उसे मसलने लगी, मैंने भी अपनी आँखें बंद कर ली और मजे लेने लगा, जल्दी ही मेरा ओर्गास्म अपने चरम सीमा पर पहुंचकर वीर्य के रूप में बाहर निकल पड़ा और मैंने अपनी पिचकारियों से ऋतू के चेहरे को भिगो डाला, कई बूंदे तो नीचे लेटे नाजिर के चेहरे पर भी पड़ी जिसे ऋतू ने अपनी गुलाबी जीभ से चाटकर साफ़ कर दिया...
मैं झड़ने के बाद साइड में बैठ गया, अब मैं ऋतू को उन दोनों बाप बेटे के बीच चुदता हुआ देख रहा था.
नाजिर के मन में अलग तरीके से चोदने का विचार आया उसने रेहान को अपना लंड ऋतू की गांड में से निकालने को कहा और खुद भी ऋतू को अपने लंड से सटाए हुए खड़ा हो गया, उसका लंड अभी भी ऋतू की चूत में फंसा हुआ था, ऋतू उसकी गोद में चढ़ कर अपनी टांगो को उसकी कमर में लपेटी और अपनी बाँहों को उसकी गर्दन में लपेटी गहरी साँसे ले रही थी, खड़े होने के बाद नाजिर ने रेहान को इशारा किया और रेहान ने पीछे से आकर ऋतू की गांड में फिर से अपना लंड डाल दिया और इस तरह ऋतू हवा में ही दोनों का लंड लिए चुद रही थी, ये बिलकुल वैसा ही था जैसे पापा और चाचू ने ऋतू को चोदा था, पर यहाँ लंड के साइज़ थोड़े बड़े थे.
ऋतू ने अपना मुंह पीछे किया और रेहान के मुंह को पकड़ कर उसके मोटे होंठ चूसने लगी, उसके शरीर की लचकता देखते ही बनती थी, हवा में लटक कर वो कलाबाजी दिखा रही थी, रेहान ने अपने हाथ आगे करके ऋतू के चुचे अपने हाथों में पकडे और तेजी से दबाने लगा, नाजिर और रेहान दोनों ऋतू की कमर को पकड़ कर उसे ऊपर नीचे कर रहे थे..
कमरे में सेक्स का म्यूजिक चल रहा था.
अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह ओफ्फो ओफ्फ्फ उफ ओफ्फ्फ ऑफ़ ओफ्फ्फ ऊऊऊऊआआ याआआ ऐसे ही अआः म्मम्मम्मम्म और तेज चोदो न मुझे.....अह्ह्ह्ह रेहान.....अंकल....मजा आ गया.......अह्ह्हह्ह....
और तेज आवाजें निकलती हुई वो झड़ने लगी, उसकी चूत में से सेलाब की तरह उसका जूस निकलते हुए नीचे जमीं पर गिरने लगा.... पर रेहान और नाजिर तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे, ऋतू झड़ने के बाद ढीली होकर हवा में लटक सी गयी पर नाजिर ने उसे अपने लंड से ऐसा जकड़ा हुआ था की वो सिर्फ हवे में उछालने के सिवाय कुछ नहीं कर पा रही थी, रेहान और नाजिर ने तो जैसे ऋतू की चूत की चटनी बनाने की कसम ही खा ली थी, ऋतू की चूत बड़ी सेंसेटिव हो चुकी थी पर उसका ख्याल कोई नहीं कर रहा था..वो दर्द के मारे चिल्लाने लगी...
अह्ह्ह्हह्ह छोड़ दो न प्लीस .....मुझसे और नहीं होगा.......अह्ह्ह्हह्ह हैईईईइ ......अह्ह्ह्हह्ह प्लीस मत करो....न.......अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओयीईए......मम्मी........मर्रर्रर्र गयी रे..........अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ...इसी बीच अपनी चूत को लगातार घिसने की वजह से उसके अन्दर एक और ओर्गास्म बनने लगा था, जिसकी वजह से उसे दर्द में भी मजा आने लगा....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह म्मम्मम्मम ऐसे ही.....करो.......अह्ह्हह्ह्ह्ह
उसके बदले हुए रूप को देखकर मुझे भी हंसी आ गयी और मेरे मुंह से निकला...साली चुद्दक्कड़....

रेहान के शरीर से पसीने निकलने लगे थे, और जल्दी ही वो भी अपने चरम स्तर पर पहुँच गया और उसने पीछे से अपनी राईफल से दनादन कई गोलियां उसकी गांड की गुफा में दाग दी...और जोर से चिल्लाने लगा...
अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ले साली.......ले मेरा माल अपनी गांड में.......अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह .......
और उसने अपने लंड वापिस खींच लिया उसकी गांड में से, लंड के पीछे -२ उसका सारा रस भी बाहर आकर नीचे गिरने लगा.... रेहान हाँफते हुए नीचे लेट गया.
अब मैच सिर्फ ऋतू और नाजिर के बीच हो रहा था....
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12-13-2020, 02:53 PM,
#75
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
नज़िर ने अपना बेट ऋतू की गीली पिच में डाल रखा था और उसकी बाल्स को अपने हाथों में लेकर चोके छक्के मार रहा था.... तकरीबन दस मिनट के बाद उसने भी अपना लंड ऋतू की चूत में खाली करना शुरू कर दिया....
अपनी चूत में आयी बाड़ को महसूस करते ही ऋतू ने भी दूसरी बार हवा में लटके हुए झड़ना शुरू किया और नाजिर के गले में अपनी पकड़ को और मजबूत बनाते हुए चिल्लाने लगी....
हन्न्न्नन्न्न्न .......म्मम्मम्मम मजा आ गया.......आआआह्ह्ह अंकल .....अह्ह्हह्ह्ह्ह ओफ्फफ्फ्फ़ .....
मैं नीचे बैठे हुए देखा की नाजिर का लंड धीरे से फिसलकर ऋतू की चूत से बाहर निकल गया और नाजिर ने ऋतू को नीचे उतार दिया, वो तो निढाल सी होकर नीचे गिले फर्श पर बैठ गयी और नाजिर के लटकते हुए लंड को अपने मुंह में भरकर उसे साफ़ करने लगी....दुसरे हाथ से वो अपनी फूली हुई चूत और गांड को मसल रही थी...

हम सभी ने अपने कपडे पहने और बाहर आकर बाकि लोगो के साथ खाना खाने लगे, ऋतू से ठीक से चला भी नहीं जा रहा था, पर खाना भी जरुरी था..
उसकी हालत देखकर रूबी और हिना मुस्कुरा दी, वो समझ गयी की रेहान और नाजिर ने आज ऋतू की काफी बजायी है. हम सभी ने एक साथ खाना खाया और वापिस अपने काटेज में आ गए..
*****
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12-13-2020, 02:54 PM,
#76
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
अगले तीन दिनों तक हम सभी ने हर तरीके से एक दुसरे को कितनी बार चोदा बता नहीं सकता..
और अंत में वो दिन भी आ गया जब हमें वापिस जाना था..
मैंने हिना और सोनी-मोनी का नंबर ले लिया ताकि कभी जरुरत पड़ने पर उनसे मिल सकूँ.
मुझे इतना मजा आज तक नहीं आया था, मैंने इस टूर पर ना जाने कितनी चुते चोदी थी, मैं गिनती भी नहीं कर पा रहा था. वापिस जाते हुए मैं कार मैं बैठा सोच रहा था की कैसे विशाल और सन्नी को ऋतू की चूत दिलाई जाए और इसके लिए कितना चार्ज किया जाए....मैं तो ये भी सोच रहा था की मम्मी को भी इसमें शामिल कर लेना चाहिए...देखते है.
तभी मम्मी के फोन की घंटी बज उठी और उन्होंने कहा "अरे...दीपा का फोन है..." और ये कहते हुए उन्होंने फोन उठा लिया और बाते करने लगी.
दीपा मम्मी की छोटी बहन है, यानी हमारी मौसी ...वो मुम्मी की तरह ही गोरी चिट्टी है, बाल कटे हुए, दुबली-पतली , पर उनके चुचे देखकर मेरे मुंह में हमेशा से पानी आ जाता था, वो इंदौर में रहती है और उनके पति सरकारी जॉब करते हैं, उनके दो बच्चे हैं अयान और सुरभि दोनों लगभग हमारी ही उम्र के हैं.
मैं गोर से उनकी बाते सुनने लगा.
बात ख़तम होने के बाद मम्मी ने खुश होते हुए कहा "अरे सुनो..दीपा आ रही है अपने परिवार के साथ, वो लोग भी छुट्टियों में घुमने के लिए शिमला गए थे और वापसी में वो लोग कुछ दिन हमारे पास रुकना चाहते हैं और दिल्ली देखना चाहते हैं...."
मुम्मी की बात सुनकर पापा बड़े खुश हुए, उनकी नजर हमेशा अपनी साली पर रहती थी, ये मैंने कई बार नोट किया था, पर दीपा मौसी बड़े नक्चाड़े सव्भाव की थी, वो पापा की हरकतों पर उन्हें डांट भी देती थी, इसलिए पापा की ज्यादा हिम्मत नहीं होती थी...पर अब बात कुछ और थी, मम्मी पापा हमारे साथ खुल चुके थे इसलिए वो खुल कर बात कर रहे थे हमारे सामने..
पापा बोले "इस बार तो मैं इस दीपा की बच्ची की चूत मार कर रहूँगा...बड़े सालों से ट्राई कर रहा हूँ...भाव ही नहीं देती साली..."
मम्मी ने कहा "अजी सुनो...तुम ऐसा कुछ मत करना...वो पहले भी कई बार मुझसे तुम्हारे बारे में बोल चुकी है और इस बार तो उसके साथ सभी होंगे, उसके बच्चे और उसका पति गिरीश भी....तुम ऐसी कोई हरकत मत करना जिससे उसे कोई परेशानी हो...समझे..."
देखेंगे.... पापा ने कहा और ड्राइव करने लगे..
जल्दी ही हम सभी घर पहुँच गए और सीधे अपने कमरे में जाकर बेसुध होकर सो गए, ऋतू मेरे साथ मेरे कमरे में ही सो रही थी, नंगी, पर हमारे में इतनी भी हिम्मत नहीं थी की चुदाई कर सके, सफ़र में काफी थक चुके थे.
मैं नंगा अपने बिस्तर पर ऋतू के साथ बेसुध सो रहा था.
*****
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12-13-2020, 02:54 PM,
#77
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
सुबह करीब 9 बजे के आस पास मेरी आँख खुली, ऋतू उल्टी लेती हुई थी और उसने अपनी एक टांग मोड़ कर अपने पेट से चिपका रखी थी, जिसकी वजह से फैली हुई मोटी गांड की फेलावट काफी सुन्दर लग रही थी जिसे मेरा लंड खड़ा हो चूका था, मैंने अपने लंड पर हाथ फेरना शुरू कर दिया , मैं अब सुबह-२ ऋतू की गांड मारना चाहता था.
तभी मम्मी की आवाज आई, "ऋतू... आशु ...उठ जाओ ...देखो कितना टाइम हो गया है..." और ये कहती हुई वो अन्दर आ गयी, वैसे तो अब उनके सामने भी मैं ऋतू की चूत मार सकता था पर ना जाने मुझमे कैसी झिझक सी आ गयी और मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और सोने का नाटक करने लगा.
मम्मी अन्दर आई तो उन्होंने देखा की ऋतू तो बेसुध नंगी पड़ी हुई है और मैंने अपने लंड पर चादर डालकर उसे ढक सा लिया था, जिसकी वजह से उन्हें मेरा खड़ा हुआ लंड न दिखाई दे जाए...
वो बेड के पास आई और मेरे सर पर हाथ फेरकर धीरे से बोली "उठ जा मेरे राजकुमार...सुबह हो गयी है..." और उन्होंने नीचे झुककर मेरे माथे को चूम लिया, उनके झुकते ही उनकी साडी का पल्लू नीचे गिर गया और उनके गिले बाल मेरे चेहरे से आ टकराए, वो सीधा नहाकर आ रही थी, और उनमे से बड़ी ही मादक सी महक आ रही थी, मेरे चेहरे पर गीलापन आते ही मैंने उठने का नाटक किया और बोला "मम्मी...प्लीस सोने दो न..." पर तभी मैंने उनके ब्लाउस से बाहर निकलते गोरे -२ चुचों को देखा तो मेरी आँखें झट से खुल गयी, मम्मी ने भी जब मुझे अपनी छाती की तरफ घूरते हुए पाया तो उनके होंठों पर भी एक गहरी मुस्कान तेर गयी..
वो बोली "ओये बदमाश क्या देख रहा है...कल रात को ऋतू के साथ तेरा मन नहीं भरा क्या.." उन्होंने साथ लेटी नंगी ऋतू की तरफ इशारा करते हुए कहा.
"अरे नहीं मम्मी, रात को तो हम इतने थक गए थे की कुछ करने की हिम्मत ही नहीं थी, बस कपडे उतारे और सो गए..." मैंने मासूमियत से कहा.
"अच्छा जी...तभी आपको सुबह - सुबह शरारत सूझ रही है.." और ये कहते हुए उन्होंने चादर के अन्दर हाथ डालकर मेरा फनफनाता हुआ लंड पकड़कर जोर से दबा दिया..
"आआआह्ह्ह मम्मी...." मेरे मुंह से करह निकल गयी उनके ठन्डे हाथों का स्पर्श अपने गर्म लंड पर पाकर.
मैंने उनकी कमर में हाथ डाला और उनको अपने ऊपर खींच लिया...उनके ब्लाउस से आधे बाहर निकले हुए चुचे सीधे मेरे मुंह के ऊपर आ टकराए...और मैं उन्हें चाटने लगा.
"ओह्ह्ह...बेटा.....छोड़ो ना...इतनी सुबह नहीं...." वो बोल कुछ रही थी पर उनका शरीर कुछ और हरकतें कर रहा था उन्होंने अपनी आँखें बंद करी और मेरे बालों को पकड़कर अपनी छाती से मेरा सर कुचल सा दिया.
इतनी नशीली वो आज तक नहीं लगी थी, सुबह -२ वो जैसे मेरे लिए ही नहाकर तैयार हो कर आई थी, उनके मोटे मुम्मो को मैंने चाट चाटकर पूरा गिला कर दिया, और जल्दी ही मैंने उनके ब्लाउस के हूक खोल डाले और उनकी सफ़ेद रंग की ब्रा मेरे सामने थी, मैंने इनकी ब्रा के स्ट्रेप कंधो से उतार दिए और दोनों छातियाँ उछल कर बाहर आई और मैंने उनके उभरे हुए दानो को एक एक करके चुसना शुरू कर दिया...
मम्मी की हालत बड़ी अजीब हो रही थी, उन्होंने शायद सोचा भी नहीं था की मैं सुबह -२ उनके साथ ऐसी हरकत करूँगा जिसकी वजह से चुदाई के रास्ते बनते चले जायेंगे..
अब उनसे भी सहन नहीं हो रहा था.. उन्होंने अपनी साडी पेटीकोट समेत अपने घुटनों तक मोड़ी और उछल कर मेरे ऊपर बैठ गयी, उन्होंने नीचे पेंटी नहीं पहनी हुई थी, मैंने अपना लंड सीधा किया और उन्होंने आग उगलती हुई चूत सीधा मेरे लंड के ऊपर रख दी और धम्म से नीचे बैठ गयी..
"अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह म्म्मम्म्म्मम्मsssssssssss...." उन्होंने अपनी आँखें बंद की और आनंद के सागर में गोते लगाने लगी.
चुदने की इतनी उत्सुकता मैंने आज तक किसी में नहीं देखी थी..उन्होंने अपने कपडे भी ढंग से नहीं उतारे थे.उनके ब्लाउस से बटन खुले हुए थे पर ब्रा अभी तक बंधी हुई थी, पर उनके उभार बाहर निकल कर उछल कूद मचा रहे थे, उनकी कॉटन की साडी को भी उन्होंने उतारने की जहमत नहीं उठाई थी..पिछले कई दिनों की चुदाई के बावजूद भी उनमे चुदने की कितनी आग थी वो देखते ही बनती थी.
वो जोर से चिल्ला रही थी..."ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ आः अह्ह्ह अहह अहह अह ह अह हा अह्ह्ह्ह अहहह ..." और तेजी से हांफ भी रही थी.
साथ लेटी ऋतू की तरफ मैंने देखा तो पाया की वो अभी भी बेसुध होकर सो रही है, उसे बेड पर हो रही चुदाई से कुछ फर्क नहीं पड़ रहा था.
मैंने हाथ आगे करके ऋतू की चोडी गांड पर हाथ फेरना शुरू कर दिया..और दुसरे हाथ से मम्मी के उछलते हुए चुचे को पकड कर जोर से दबाने लगा.
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12-13-2020, 02:54 PM,
#78
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मम्मी भी मेरे दुसरे हाथ को ऋतू की गांड के ऊपर थिरकता देखकर मुस्कुरा दी..फिर उनके मन में ना जाने क्या आया की वो एकदम से मेरे लंड से उतर गयी और घोड़ी बन कर अपनी गांड उठा कर लेट गयी, मैं उठा और उनके पीछे जाकर अपने गिले लंड को उनकी रसीली चूत में फिर से डाल कर जोर से धक्के देने लगा और उनकी गांड के गुदाज मांस को अपने हाथों से दबाने लगा.
मम्मी ने ऋतू की टांगो को खोला और उसकी चूत पर अपना मुंह लगा दिया और उसे चूसने लगी.
मैं भी उनकी इस हरकत से हैरान रह गया.
शायद उन्हें प्यास लगी थी और वो ऋतू की चूत का रस पीकर अपनी प्यास बुझाना चाहती थी..
ऋतू को जैसे ही अपनी चूत पर मम्मी के होंठो का गीला आभास हुआ वो हडबडा कर उठ गयी उसकी नजरें सीधा अपनी चूत को चाटती मम्मी पर गयी और उनके पीछे खड़े होकर चूत मारते हुए मुझपर. उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी, उसने सोचा भी नहीं था की इतनी सुबह चुदाई का खेल शुरू हो गया है, और मैं मम्मी की चूत तो मार ही रहा हूँ, मम्मी भी उसकी चूत को चूसकर उसे अपने साथ चुदाई के इस खेल में शामिल होने को उकसा रही है..
पर उसमे भी सोचने समझने की शक्ति ख़त्म होने लगी, क्योंकि मम्मी द्वारा उसकी चूत को चाटने की वजह से उसके शरीर में भी उत्तेजना की तरंगे उठने लगी थी और उसने अपने एक निप्पल को उमेठते हुए दुसरे हाथ से मम्मी के सर को अपनी चूत पर और तेजी से दबा दिया और उन्हें और जोर से अपनी चूत को चाटने के लिए उकसाने लगी.
येस्स्स्स.ममीईईइ....चतूऊऊओ अह्ह्ह्हह्ह म्म्म्मम्म्म्मम्म .......
बड़ा ही कामुक दृश्य था, ऋतू का नंगा शरीर नीचे पड़ा हुआ मचल रहा था और मम्मी उसकी चूत में से अमृत रूपी रस को चाटने में लगी हुई थी, कमरे में सिर्फ ऋतू की सिस्कारियां और मम्मी के मुंह से निकलती सड़प - २ की आवाजें निकल रही थी.
मैंने भी अपनी स्पीड तेज कर दी और मम्मी के मोटे कूल्हों को पकड़कर अपनी गाडी दौड़ा दी उनकी चूत के हाईवे पर...
ऋतू के चेहरे को देखकर लगता था की वो जल्दी ही झड़ने वाली है, वो अपना सर ऊपर करके बैठ गयी और मम्मी के सर को अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपनी चूत पर घिसने लगी, उसने अपने दोनों हाथ नीचे लेजाकर मम्मी के दोनों मुम्मे पकड़ लिए और उन्हें जोर से दबाने लगी, उसके अपने चुचे मम्मी के सर के ऊपर थे.
अपनी चूत में मेरे लंड की घिसाई और अपने चुचों पर अपनी बेटी के हाथों की सिकाई ने जल्दी ही रंग दिखाया और वो चिल्ला चिल्लाकर झड़ने लगी...
स्स्सस्स्स्सस्स्स अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फफ्फ्फ़ मरररर गयीईईई अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ....
उनकी चीख सुनकर ऋतू की चूत ने भी उनका साथ दिया और वो भी अपनी माँ के साथ साथ अपनी चूत से गर्म रस के फुव्वारे निकलने लगी..मैंने भी आज्ञाकारी बेटे की तरह अपनी माँ की चूत के रस की गर्मी को अपने लंड पर पाते ही अपने लंड का दूध उनकी चूत में अर्पण कर दिया.
हम सभी हाँफते हुए बेड पर लेट गेर और एक दुसरे के शरीर से खेलने लगे.
मम्मी ने टाइम देखा तो जल्दी से खड़ी हो गयी और बोली "तुम्हारे चक्कर में तो काफी देर हो गयी..आशु चलो तैयार हो जाओ, तुम्हे पापा के साथ रेलवे स्टेशन जाना है, मोसी को लेने.."
मैंने ऋतू की तरफ देखा, वो अपनी चूत में उँगलियाँ डाले ना जाने किस दुनिया में खोयी हुई थी, मम्मी ने अपने कपडे ठीक किये और बाहर निकल गयी, मैं भी उठा और सीधा बाथरूम में जाकर अपने सारे काम निपटाए और तैयार होकर नीचे चला गया, ऋतू भी अपने कमरे में जा चुकी थी नहाने के लिए.
मैंने और पापा नाश्ता करने के बाद स्टेशन की तरफ निकल गए.
मौसी लगभग ३ सालों के बाद दिल्ली आ रही थी, मेरे जहन में उनके बच्चों की तस्वीर थोड़ी धुंदली सी थी, उनका बेटा बिलकुल काला था, अपने पापा जैसा, और बेटी भी मरियल सी थी, वो दोनों देखने में अपनी मम्मी जैसे बिलकुल भी नहीं लगते थे अब उनके बच्चे भी बड़े हो चुके होंगे..ये सोचते -२ कब उनकी ट्रेन आई पता ही नहीं चला.
ट्रेन प्लेटफार्म पर आकर रुक गयी
मैं और पापा उनके डब्बे के पास जाकर उनके बाहर आने का इन्तजार करने लगे.
सबसे पहले मौसी बाहर निकली, उन्हें देखकर तो मैं दंग रह गया, उन्हें मौसी कहना गलत होगा क्योंकि वो किसी कॉलेज की लड़की जैसी लग रही थी, उतनी ही सुन्दर, पतली, टी शर्ट से उभरते उनके गोल गप्पे और टाईट जींस पहनने के कारण उनके चूतड़ों की गोलाई साफ़ देखी जा सकती थी, ऊपर से नीचे तक वो लेटेस्ट फेशन से लबालब थी. पापा भी हैरानी से अपनी प्यारी साली को देखकर पलके झपकाना भूल से गए, दीपा जब पास आई तो उन्होंने पापा की आँखों के सामने चुटकी बजायी और उन्हें निंद्रा से जगाया और हंसने लगी.
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12-13-2020, 02:54 PM,
#79
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
पापा ने दीपा से हाथ मिलाया और उन्हें अपने गले लगा लिया, दीपा इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं थी, उसके एक हाथ में हेंड बेग था और दुसरे में पानी की बोतल, इसलिए उसके उभरे हुए उभार सीधा पापा के सीने से जा टकराए और पापा ने भी मौके का फायदा उठाते हुए उन्हें जोर से अपनी छाती से दबा लिया.
पीछे से मौसी के पति हरीश अंकल बाहर आये और उनके पीछे -२ उनके दोनों बच्चे भी.
दोनों काफी बदल चुके थे, खासकर उनकी बेटी सुरभि जो अपनी माँ की तरह ही फेशन में डूबी हुई सी थी, उसने भी जींस पहन राखी थी और उसके ऊपर टी शर्ट, उसके उभार नाम मात्र के थे पर उसके कुलहो की चोडाई देखकर उसकी जवानी का अंदाजा लगाया जा सकता था, नहीं तो उसकी लगभग सपाट छाती को देखकर तो येही लगता था की वो शायद 10th में ही होगी..पर वो असल में कॉलेज के दुसरे साल में थी.
उसका भाई अयान काफी बदल गया था, और मोटा भी हो गया था..उसने मुझे देखते ही "यो ब्रथर..." कहते हुए गले लगा लिया.
सुरभि ने भी मुझसे हंस कर हाथ मिलाया और मैंने हरीश अंकल के पैर छुए और मौसी की तरफ बड़ा उनके पैर छूने के लिए तो उन्होंने मुझे गले से लगा लिया..उनके नर्म मुलायम गोले मेरी गर्दन से मिल कर फुले नहीं समाये..मैंने मोसी पीछे खड़े पापा को आँख मारी और पापा मेरे साथ गहरी हंसी हंस दिए.
हम सभी ने सारा सामान उठाया और बाहर आकर कार में बैठ गए और घर की तरफ चल दिए.
घर पहुंचकर मम्मी ने दरवाजा खोला और अपनी बहन को देखते ही उस से लिपट गयी.
"अरे दीपा...तू तो बिलकुल नहीं बदली...पहले जैसी ही सुन्दर है..लगभग १ साल के बाद देख रही हूँ मैं तुझे.." मम्मी ने कहा.
और फिर मम्मी ने अपने जीजाजी और दोनों बच्चो को भी मिलकर उन्हें अन्दर लेजाकर बिठाया और चाय बनाकर ले आई.
सभी लोग बैठ कर बातें कर रहे थे, तभी ऊपर से ऋतू भी नीचे आ गयी और सबसे मिलने के बाद वो भी वहीँ बैठ गयी.
मैंने नोट किया की अयान ऋतू के मोटे चुचे देखकर बार -2 अपनी नजरें उधर ही ले जा रहा था. ऋतू भी उसे अपनी तरफ बार बार देखते पाकर समझ गयी की उसके एटम बोम्ब कुछ कमाल दिखा रहे हैं..
****
शाम को सभी बाहर घुमने गए और एक अच्छे से रेस्तरा में खाना खाया और अगले दिन कहाँ -२ जाना है इसका प्लान भी बनाया. हरीश अंकल ने कहा की उन्हें अपने चाचा को मिलने के लिए मेरठ जाना है इसलिए वो कल घुमने नहीं जा पायेंगे, मौसी और बच्चो ने उनके साथ जाने के लिए पहले से ही मना कर दिया था सो उन्होंने कहा की वो सुबह -२ चले जायेंगे और शाम तक वापिस आ जायेंगे.
रेस्तरां से वापिस आते - आते 11 बज चुके थे, वो लोग लम्बे सफ़र से आये थे और थक चुके थे, मम्मी ने कहा की सुरभि ऋतू के साथ और अयान मेरे साथ सो जाएगा, दीपा मौसी और हरीश अंकल गेस्ट रूम में जाकर सो गए.
रात को मुझे सोते हुए नींद नहीं आ रही थी, मैंने देखा की अयान सो चूका है तो मैं चुपके से उठा और छेद से ऋतू के कमरे में झाँका, वो दोनों सो चुकी थी, मैं सुबह से उसकी चूत मारने के चक्कर में था, पर मौका नहीं मिला था, मेरा लंड अकड़ कर डंडे जैसा हो चूका था, मैं दबे पाँव बाहर आया और ऋतू के कमरे में दाखिल हो गया.
उसके बेड के पास आकर मैंने देखा की दोनों गहरी नींद में सो रही हैं..
मैंने ऋतू को हलके से हिलाया और वो जाग गयी, उसने मेरी तरफ हैरानी से देखा और बोली "भाई...तुम यहाँ क्या कर रहे हो..किसी ने देख लिया तो.."
"कोई नहीं देखेगा..." मैंने कहा और ऋतू के ऊपर झुककर उसके होंठों को चूम लिया.
मैंने देखा की साईड में लेती हुई सुरभि गहरी नींद में सो रही है, मैंने पहली बार उसका चेहरा इतने पास से और गोर से देखा, उसके होंठ बड़े ही मोटे थे, जो उसके पतले शरीर से बिलकुल मेच नहीं करते थे, उसके चेहरे का कटाव बड़ा ही दिलकश था, उसने टी शर्ट पहन रखी थी और शायद अन्दर ब्रा नहीं पहनी हुई थी, क्योंकि उसके ना के बराबर स्तनों के ऊपर लगे छोटे-छोटे निप्पल्स टी शर्ट के अन्दर से भी साफ दिखाई दे रहे थे.
ऋतू ने मेरा चेहरा अपनी तरफ खींचा और बोली "अपनी आँखों से ही चोद डालोगे क्या इसे भाई...." और हंसने लगी.
मैंने अपना ध्यान वापिस ऋतू की तरफ किया और उसे चूसने और चाटने लगा.
ऋतू बोली "भाई..हमें ये सब अभी नहीं करना चाहिए...अगर सुरभि उठ गयी तो क्या होगा..."
"ये नहीं उठेगी, ये सब काफी थके हुए हैं, सुबह से पहले नहीं उठेंगे...मैं सुबह से तड़प रहा हूँ तुम्हारी चूत मारने के लिए...मुझे और मत तडपाओ...मुझसे और सब्र नहीं होता.." और ये कहते हुए मैंने ऋतू की टी शर्ट को ऊपर किया और उसके मोटे ताजे गुब्बारों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा.
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12-13-2020, 02:54 PM,
#80
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
ऋतू ने भी अब विरोध करना छोड दिया और मेरे सर को पकड़कर अपनी छाती से दबा लिया और दुसरे हाथ से मेरे लंड को मेरे पायजामे से बाहर निकालकर दबाने लगी. जल्दी ही हम दोनों नंगे होकर एक दुसरे के शरीर को चूस और दबा रहे थे.
वो उठ कर खड़ी हुई और 69 की पोसिशन में आकर मेरे लंड को निगल गयी और अपनी महकती हुई चूत को मेरे मुंह पर दे मारा. हम दोनों ने बड़ी मुश्किल से अपनी सिस्कारियां अपने मुंह में दबाई.
मैंने उसकी चूत के अन्दर अपनी जीभ डाली और अपनी दो उँगलियाँ उसकी गांड के छेद में डाल दी और मजे से उसका रस पीने लगा..
ऋतू भी बड़ी उत्तेजित होकर मेरे लंड को बड़ी तेजी से अपने मुंह की थूक से भिगोकर चूस रही थी..उसने थोडा और पीछे होकर मेरी गांड के छेद पर भी अपनी जीभ फेरी और अपने होंठों से उस छेद को भी चूसने लगी, ऋतू पहली बार मेरी गांड के छेद को चूस रही थी, उसके ठन्डे होंठों के स्पर्श से मेरी कंपकंपी चूत गयी और मैंने और तेजी से ऋतू की चूत को चाटना शुरू कर दिया.
अब हम दोनों हल्की हल्की सिस्कारियां भी ले रहे थे.
ऋतू उठ खड़ी हुई और घूमकर मेरे ऊपर आई और अपने होंठ मेरे होंठो से जोड़कर उन्हें चूसने लगी, उसके मुंह में काफी गीलापन था और उसके होंठों में काफी नमी थी..मैंने उसके दोनों मोटे चुचों को अपने हाथ में पकड़ा और उसके निप्पल्स को दबाते हुए उसके दोनों जग्स को मसलने लगा.
ऋतू ने एक हाथ नीचे किया और मेरे लंड को अपनी चूत से सटाया और उसपर बैठती चली गयी.
हमारे दोनों में मुंह से एक लम्बी सिसकारी निकल गयी एक दुसरे के मुंह में. मैंने अपने दोनों हाथ उसके चूतड़ों पर रखे और नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिए.
मैंने पास लेटी सुरभि की तरफ देखा और मेरे मन में एक शरारत करने की सूझी, मैंने हाथ आगे किये और सुरभि के छोटे से निप्पल्स को अपनी उँगलियों में भर लिया..अपनी हथेली उसके छोटे से उभारों पर रखी और उन्हें दबाने लगा..मैंने इतने छोटे स्तन आज तक नहीं दबाये थे, पर उनकी कठोरता महसूस करके मुझे काफी मजा आया. वो मोटे चुचों की तरह मुलायम नहीं थे, बल्कि किसी कसरती शरीर की तरह कठोर थे.
ऋतू ने जब मुझे ऐसी हरकत करते देखा तो वो घबरा गयी की कहीं सुरभि की नींद न खुल जाए पर मैंने उसे समझाया की ऐसा नहीं होगा और वो फिर से अपने काम में लग गयी.
मेरे लंड से पिचकारियाँ छुटने वाली थी.. मेरे साथ -२ ऋतू भी झड़ने के काफी करीब थी..सबसे पहले मेरे लंड ने पिचकारियाँ मारनी शुरू की..मेरा एक हाथ ऋतू के चुचे पर था और दूसरा सुरभि के., उत्तेजना के मारे मैंने उन दोनों को काफी तेजी से दबा डाला..
मैंने इतनी तेज दबाया की ऋतू की चीख ही निकल गयी और साथ ही साथ सुरभि की भी और वो नींद से जागकर हडबडा कर बैठ गयी...
सुरभि ने कुछ देर अपनी ऑंखें मद्धम बल्ब में देखने के लायक करी और अपनी आँखें मलते हुए हमारी तरफ देखा..
मैं और ऋतू अपना मुंह फाड़े उसकी तरफ देख रहे थे. उसने जब देखा की ऋतू नंगी मेरे ऊपर सवार है तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी.
"ये...ये ..क्या कर रहे हो तुम दोनों.." उसने हकलाते हुए पूछा ?
हमारे मुंह से कुछ नहीं फूटा.
वो समझ चुकी थी की कमरे में हमारे बीच क्या चल रहा था..पर उसे इस बात का बड़ा ही अचम्ब्भा था की हम भाई बहन एक दुसरे की चुदाई कर रहे हैं.
"तुम दोनों ये गन्दा काम कैसे कर सकते हो ..तुम तो भाई बहन हो" उसने हम दोनों को हैरानी भरी नजरों से देखते हुए कहा.
ऋतू जो अपने चरम स्तर पर थी और झड़ने ही वाली थी उसने अपनी स्पीड कम नहीं की..और हल्की चीख मारकर वो मेरे लंड पर अपना रस छोड़ने लगी.
आआआआआआअह्ह्ह म्मम्मम ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ओ गोड.... अह्ह्ह और हांफती हुई मेरे सीने पर गिर गयी. मैंने अपनी तेज नजरों से देखा की सुरभि अब हमारी चुदाई को देखकर हैरान नहीं बल्कि उत्तेजित हो रही है..और ये बात उसके टी शर्ट में उभरते हुए दानों के द्वारा मुझे पता चली. झड़ने के बाद ऋतू ने अपनी आँखें खोली और सुरभि से कहा

"तुम ठीक कहती हो सुरभि...ये सब भाई बहन के बीच नहीं होना चाहिए...लेकिन हम क्या करें ...न तो मेरा कोई बॉय फ्रेंड है और ना ही इसकी कोई गर्लफ्रेंड .. और हमें एक दुसरे की कई बातें अच्छी लगती है जिसकी वजह से हमने एक दुसरे को ही अपना बॉय फ्रेंड और गर्लफ्रेंड मान लिया है और ये सब करते हैं...और हमारे घर पर इस तरह की कोई रोक टोक भी नहीं है, तुम ही बताओ, आज के जमाने में कोई बिना सेक्स के रह सकता है क्या...बोलो"
सुरभि कुछ समझ नहीं पा रही थी की ऋतू ऐसा तर्क क्यों दे रही है..पर जब ऋतू ने सेक्स के बारे में अपनी राय रखी तो उसे भी लगा की शायद ये कुछ गलत नहीं है..
ऋतू ने आगे कहा "क्या तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड है ? तुमने कभी सेक्स किया है या नहीं..." और ऋतू ये कहती हुई मेरे लंड से उतर गयी और सुरभि का हाथ पकड़ लिया.
सुरभि कुछ देर के लिए सकुचाई और फिर एक गहरी सांस लेकर बोली "तुम शायद ठीक कह रही हो दीदी..हाँ मेरा एक बॉय फ्रेंड है वो मेरे ही कालेज का लड़का है और उसका नाम रजत है पर सभी उसे राईडर के नाम से बुलाते हैं, क्योंकि उसकी बायक पर हमेशा कोई न कोई लड़की राईड करती रहती है, और मैंने पिछले 6 महीनो में उसके साथ कई बार सेक्स भी किया है..और सच कहूँ तो जब भी वो मुझे छूता है मुझे एक नशा सा हो जाता है और जब भी मैं उसका "वो" देखती हूँ तो मैं बेबस सी हो जाती हूँ और और...." ये कहते हुए उसकी आँखों में गुलाबी डोरे तेरने लगे और उसकी सांस फूलने लगी...वो पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी..उसकी चूत में से रिसते रस की खुशबु मेरे नथुनों तक आ रही थी.
उसकी हालत देखकर मेरे मुरझाये हुए लंड में फिर से कढ़कपन आने लगा, मौके का फायदा उठाकर ऋतू ने सुरभि का हाथ पकड़कर मेरे गीले लंड पर रख दिया.
सुरभि के साथ -२ मुझे भी एक झटका सा लगा, पर उसके मुलायम और पतले हाथ अपने लंड पर पाकर मुझे बड़ा ही मजा आया.
वो पिछले दस दिनों से अपने बॉय फ्रेंड से दूर थी और सेक्स की लत की वजह से उसकी हालत भी काफी पतली हो चुकी थी, मेरे और ऋतू के बीच चलती चुदाई को देखकर पहले ही उसकी चूत से पानी निकल रहा था पर ऋतू ने जब उसका हाथ मेरे लंड पर रखा तो उसकी चूत में जैसे आग सी लग गयी और उसने मेरे लंड को अपनी पतली उँगलियों के बीच कस कर दबा दिया.
"वोंव...तुम्हारा ये कितना बड़ा है..." और वो मेरे लंड पर अपने हाथ को ऊपर नीचे करने लगी.
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