Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
12-13-2020, 02:55 PM,
#91
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
ऋतू तो जैसे मरने के कगार पर पहुँच गयी....अयान का कद काफी लम्बा था, 6 फुट से भी ज्यादा का होगा वो.. इसलिए ऋतू उसके कंधे तक ही आ पा रही थी...इसलिए उसने ऋतू को अपनी गोद में उठाने के लिए उसकी गांड को पकड़ा और ऋतू उचल कर अपनी टाँगे लपेट कर चढ़ गयी उसके घोड़े पर... और अपनी चूत के नीचे ठोकर मार रहे लंड को निशाना बनाकर बैठ गयी उसके लम्बे और पतले लंड पर.... घप्प से वो लम्बा लंड ऋतू की रसीली चूत के अन्दर सरकते हुए उसके गर्भाशय से जा टकराया..
स्स्सस्स्स्सस्स्स म्म्मम्म्म्मम्म आःह्ह्ह अयाआआआन हम्मम्मम्म क्या लंड है तुम्हारा.......मजा आ गया...
इतना अन्दर तो आज तक कोई भी नहीं गया....और उसने अपनी बाहें लपेट दी अयान के गले में और उछल कर घुड़सवारी करने लगी....
"अह्ह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह ओफ्फ्फ ऑफ ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फ म्मम्म और तेज मारो अयान.... अह्ह्ह्ह हां ऐसे ही....म्म्मम्म्म्मम्म हाआन्न्न फुक्क्क्क मीई हार्ड.........अह्ह्हह्ह्ह्ह " उसने अपना मुंह आगे करके अयान के होंठों पर कब्ज़ा किया और उन्हें चूसने लगी...
अयान ने ऋतू की गांड के छेद में अपनी ऊँगली डाली और उसे अन्दर बाहर करने लगा....
ऋतू के तो जैसे कुत्ते फेल हो गए अयान की इस हरकत से, उसकी रसीली चूत में लम्बे लंड की थिरकन से और अपनी गांड में उसकी लम्बी ऊँगली की चुभन से वो झड़ने लगी हवा में ही......
उसने अपना सर पीछे हवा में लटका दिया और झूल गयी अयान की बाँहों में....और उसके गोल मटोल से चुचे हवा में तन से गए और जैसे अयान को कह रहे हो...आओ न ..पी लो मुझमे से मेरा दूध........
और अयान ने किया भी ऐसा ही...अपना सर नीचे किया और मुंह लगा कर मेरी बहन का दूध पीना लगा...चपर चपर...करके...
ऋतू झड चुकी थी अयान के लंड के ऊपर ही...पर अयान था की उसे जैसे कोई शक्ति मिली हुई थी जल्दी ना झड़ने की... वो तो लगा हुआ था और धपा धप मार रहा था ऋतू की चूत को हवा में ही...
मैं भी उसकी इच्छा शक्ति देखकर दंग रह गया....जल्दी ही वो थक गया और उसने ऋतू को नीचे उतारा और उसे बेड पर लिटा दिया....अपनी बहन सुरभि के साथ, सुरभि तो घोड़े बेचकर, नींद की गोली लेकर सो रही थी....बेसुध सी..उसने टी शर्ट और स्किर्ट पहना हुआ था...जो उसकी जाँघों के ऊपर चड़ा हुआ था और टी शर्ट भी उसके पेट को नंगा करे ऊपर चड़ी हुई थी... अपनी अर्धनग्न बहन को उसी बिस्तर पर लेटे देखकर अयान के लंड ने एक दो और झटके मारे और ऋतू की चूत में फिर से घुसने के बाद वो चल पड़ा फिर से एक नयी राह पर...

ऋतू का ओर्गास्म हो चूका था...उसका पूरा शरीर पसीने से लथपथ हुआ पड़ा था अयान के सामने.. पर अयान की ताक़त के आगे और अपनी चूत में होती लगातार घिसाई के द्वारा उसका ओर्गास्म फिर से बनने लगा और वो जोर से चिल्लाने लगी...
हाआन्न्न्न मारो मेरी चूत अयान.....इसी तरह...बड़ा लम्बा लंड है तुम्हारा.....मजा आ गया...हा ..... ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़.......चोदो मुझे ....अपने लम्बे और प्यारे लंड से.....अह्ह्ह्ह अह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ....म्मम्मम और तेज...भाई...हननं ऐसे..ही....अह्ह्हह्ह ..... ओह्ह्ह्ह अयांन्न...मैं तो गयी रे.......अह्ह्हह्ह्ह्ह ....
अपने सामने जवानी के ज्वर भाटे में तड़पती ऋतू को देखकर अब अयान के लंड का पारा भी अपने चरम स्तर पर पहुँच गया...और उसके अन्दर से गरमा गर्म रस निकलने लगा ऋतू की चूत में.....
अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ऋतू....दीदी......मैं तो गया.....अह्ह्हह्ह .............और वो हुंकारता हुआ ऋतू के पसीने से भीगे मुम्मो पर लुडक गया...
दीपा आंटी की चूत में से मानो बरसात हो रही थी अपने बेटे का लंड देखकर और उसकी जबरदस्त चुदाई को देखकर....
उन्होंने मेरी तरफ देखा....और फिर बेड पर लेटे मम्मी और पापा की तरफ...और बोली....मैं जा रही हूँ....अपने बेटे का लंड लेने... और वो निकल गयी मेरे कमरे से ऋतू के कमरे की तरफ...
मैं और मम्मी पापा दोनों भी दीपा आंटी की हिम्मत देखकर हैरान रह गए..कहाँ तो वो डर रही थी की उनके बच्चे क्या सोचेंगे उनके बारे में और कहाँ ये अब खुद ही चुदने के लिए चल पड़ी है अपने बेटे के लम्बे लंड से..
मैंने मम्मी पापा की तरफ देखा और मुस्कुरा दिया और फिर से देखने लगा छेद से की क्या होता है दुसरे कमरे में.. अयान और ऋतू एक दुसरे को चूम रहे थे.
ऋतू : "वाह अयान कमाल का लंड है तुम्हारा...झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था..साला...." और उसने नीचे झुककर उसके लम्बे लटके हुए लंड को चूम लिया..
अयान : "मैंने भी इतनी सुन्दर लड़की की चूत आज तक नहीं मारी...मेरी क्लास में एक लड़की है जिसके साथ मैंने सेक्स किया है... पर जितना मजा तुम्हारे साथ आया है उतना आज तक नहीं आया...
सच में ऋतू तुम मजे लेना भी जानती हो और देना भी.." और ये कहकर वो दोनों फिर से एक दुसरे के होंठों को चूसने लगे.. तभी बाहर का दरवाजा खुला और दीपा आंटी नंगी अन्दर आई.
उन्हें देखते ही अयान चोंक गया..ऋतू बड़े आराम से लेटी हुई उन्हें देखने लगी.
अयान : "मम्मी......आप....यहाँ....क्या कर रही है...."
दीपा : "मैंने सब देख लिया है अयान...और तुमने भी नीचे लगभग सब कुछ देख लिया था...इसलिए अब मुझे नहीं लगता की हमें एक दुसरे के सामने कोई पर्दा रखना चाहिए..." ये कहते हुए वो मटकते हुए आगे आने लगी.. जैसे जैसे वो पास आ रही थी, उसके मोटे चुचे ज्यादा साफ़ दिखाई देने लग रहे थे..
अयान ऋतू के सामने अपने घुटनों के बल बैठा था बेड पर, और उसका लंड लटक रहा था, उसके सामने, उसकी नजर अपनी माँ के मोटे उरोजों पर टिकी हुई थी, अपनी माँ के मोटे चुचों की थिरकन को देखकर उसके लटके हुए लंड में फिर से जान आने लगी...
ऋतू उसके लंड के नीचे बैठी हुई हैरत से देख रही थी की कैसे उसका लंड हवा में उठता चला जा रहा है...अपनी नंगी माँ को देखकर...यही तो सच्चा प्यार होता है माँ बेटे का.
दीपा : "बेटा मुझे गलत मत समझना...मुझे माफ़ कर दो...पर परिस्थितियां कुछ ऐसी बनती चली गयी की मैं नीचे वो सब....कर रही थी...." और उन्होंने अपनी आँखें झुका ली.
अयान आगे आया और अपनी माँ के कंधे को पकड़कर बोला : "अरे ....नहीं माँ...आप ऐसा क्यों बोल रही है....मैं सब समझता हूँ .... मैंने कई बार आपके और पापा के कमरे से छुप कर आप दोनों की बातें सुनी है...और मैं जानता हूँ की आप कैसे रातों में तड़पती रहती हैं...और पापा आपको पूरा सुख नहीं दे पाते..."
उसकी बात सुनकर दीपा आंटी के साथ-२ मैं भी अचरज में आ गया...यानी उसका लोडू पति न सिर्फ लंड के मामले में छोटा है बल्कि ...चूत मारने में भी ढीला है.
दीपा : "अगर तुम्हे वो सब पता ही है तो तू अब अच्छी तरह समझ सकता है न ..... "
अयान : "हाँ मा....मैं समझता हूँ...और मैं वादा करता हूँ की मैं अब आपको कभी दुखी नहीं होने दूंगा..." और उसने आगे बढकर अपनी नंगी माँ को गले लगा लिया.
दीपा आंटी उसके निप्पल तक आ रही थी, थोड़ी छोटे कद की थी वो..और अयान का लंड लगभग उनके लटके हुए स्तनों को छु रहा था.. दीपा आंटी ने भी अपनी बाहें अपने बेटे की कमर में लपेट दी और उसकी छाती को चूम लिया.
Reply
12-13-2020, 02:55 PM,
#92
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
अयान ने सोचा भी नहीं होगा की उसकी किस्मत ऐसे चमकेगी...दुनिया की सबसे सेक्सी लड़की ऋतू की चूत मारने के बाद अब उसकी अपनी माँ, जिसके बारे में सोचकर ना जाने उसने कितनी बार मुठ मारी होगी, अपने आप उसके पास आई थी, चुदने के लिए, और आगे के लिए चुदाई का रास्ता खोलने के लिए..
वो ये सोच ही रहा था की तभी दीपा आंटी, जो काफी देर से अपने बेटे के लंड को दूर से देखकर भूखी लोमड़ी की तरह लार टपका रही थी, नीचे झुकी और पंजो के बल बैठकर अपने बेटे के लंड को पकड़ लिया.
अयान का लंड अभी -२ झड़ा था, पर जैसे ही उसकी माँ ने उसका लंड पकड़ा, उसे लगा की अभी बरसात हो जायेगी, उसके लंड में से...उसके शरीर में एक झुरझुरी सी दौड़ गयी.
मम्मी और पापा भी उठ कर आगे आये और मुझसे पूछा... "क्या हो रहा है वहां...हम भी तो देखे..." और मम्मी ने जब देखा की दुसरे कमरे में उनकी बहन नीचे बैठकर अपने बेटे का लंड पकड़े बैठी है तो वो बड़ी खुश हुई और बोली....चलो वहीँ चलकर देखते हैं अब...." और हम सभी वहां से निकल कर दुसरे कमरे में आ गए.
अयान ने जब हम सभी को आते देखा तो उसने एक स्माईल पास की हमें ...मैं पीछे आकर कुर्सी बार बैठ गया और मम्मी पापा सोफे पर..ऋतू भी उठी और नंगी उठकर मेरी गोद में आ गयी..
दीपा के हाथ कांप रहे थे अपने बेटे के लंड को पकड़कर...वो बड़े गौर से उसकी बनावट देख रही थी, उसने सपने में भी नहीं सोचा था की उसके बेटे का लंड इतना लम्बा होगा, वो तो सोचती थी की ये सब वंशानुगत होता है, यानी छोटे लंड वाले का बेटा छोटे लंड वाला...पर आज वो समझ गयी थी के ये सब गलत है.
उसको सोचता पाकर मम्मी ने दीपा आंटी से कहा "अरे दीपा सोच क्या रही है....अब तो तेरा बेटा लंड लटकाए खड़ा है तेरे सामने, चल शुरू हो जा..और ले ले अपने बेटे का लंड अपने मुंह में..."
दीपा आंटी ने अपनी बहन की बात मानी और अयान के लंड को एक चुम्मा दिया और अगले ही पल अपने मोटे होंठों से ढक लिया उसके लम्बे लंड को..
अयान की आँखें बंद होने लगी, अपनी माँ के लाल होंठों को देखकर.. वो पहले से ही मरता था, पर आज उन्ही होंठों ने जब उसके लंड को चूमा तो वो मानो हवा में उड़ने लगा..
उसने बड़े प्यार से अपनी माँ के बालों को पीछे किया और उनकी आँखों में देखकर बोला "माँ...तुम सच में बहुत सेक्सी हो..." अपनी तारीफ़ सुनकर दीपा में जैसे जोश आ गया और उसने जल्दी से अपने मुंह को अयान के लंड पर घिसना शुरू कर दिया.
मैंने मम्मी की तरफ देखा, वो अपनी चूत को घिस रही थी...और पापा को देखा तो पाया उनका ध्यान दीपा और अयान पर नहीं बल्कि बेड पर सो रही सुरभि की तरफ था...मैं समझ गया की चोदु पापा का लंड इस नयी चूत को देखकर मचल रहा है..
उन्होंने भी मुझे अपनी तरफ देखते हुए पाया तो मैंने उनसे कहा...."पापा बड़ी मस्त है सुरभि भी...ट्राई करो..."
पापा ने मम्मी की तरफ देखा और फिर दीपा की तरफ...और फिर बेड पर आकर बैठ गए.. दीपा आंटी समझ गयी की उनका जीजा अब उनकी बेटी की चूत भी मारेगा...माँ का दिल ये सोचकर डर गया की उनके मोटे लंड से कमसिन सुरभि का क्या हाल होगा...
मैंने उनका डर ख़त्म करते हुए कहा..."दीपा आंटी...आप चिंता मत करो....सुरभि अब उतनी भी बच्ची नहीं रही जितना आप समझ रही हो... वो मेरा लंड ले चुकी है...और काफी मजे भी कर चुकी है..."
दीपा आंटी चोंक गयी, वो तो समझती थी की उनकी बेटी वर्जिन है...उसके चुचे भी नहीं निकले अभी तक... पर चुचों का चूत से क्या लेना देना...वो तो जवान हो चुकी होगी न...कोई बात नहीं...कर लेने दो इन्हें भी मजे...अभी तो उन्हें अपने बेटे के लंड से ज्यादा कुछ नहीं दिखाई दे रहा था.. और वो फिर से अयान के लंड को चूसने में व्यस्त हो गयी.
पापा ने बेड पर जाकर सुरभि की टी शर्ट के ऊपर से ही उसके निप्पल्स को पकड़ा और उन्हें दबाने लगे...उभार तो ना के बराबर थे उसके...पर निप्पल बड़े ही ग़जब के थे... पापा ने उसकी टी शर्ट को गले तक ऊपर उठा दिया और नीचे झुककर उसके निप्पल पर अपनी जीभ फेरने लगे.
अपने शरीर से छेड़खानी पाकर वो भी कुनमुनाने लगी...वो गहरी नींद में थी, दवा का असर काफी हुआ था उसपर...पर नींद में भी उसका शरीर अपने साथ होते नए खेल को समझ रहा था...
उसके दोनों अंगुरदाने ऊपर उठ कर लगभग कंचे जैसे बड़े हो गए...पापा ने अपने दांतों से उसे काटना शुरू कर दिया...अह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम ...सुरभि नींद में भी सिस्कारियां ले रही थी.
अयान ने अपनी माँ को खड़ा किया और उनके होंठों को चूसने लगा..और अपने हाथों से उनके मोटे मुम्मों को दबाया और उनसे खेलने लगा. और फिर उसने नीचे झुककर अपनी माँ के मुम्मे को अपने मुंह में डाला और चूसने लगा.
दीपा आंटी खड़े खड़े चीखने सी लगी....
अह्ह्हह्ह्ह्ह हां बेटा...चूस इन्हें....आज कितने सालों के बाद तुने इन्हें चूसा है....अह्ह्ह्हह्ह पी ले अपनी माँ का दूध.....अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ले बेटा.....इसे भी पी....ना प्लीज़......अह्ह्हह्ह्ह्ह शाबाश....म्मम्मम्मम ओफ्फ्फ ओह्ह्ह्ह मार डाला.......म्मम्मम्म.......क्या कर रहा है...अह्ह्ह्हह्ह अयाआआअन .....कुछ कर बेटा......मुझे कुछ हो रहा है.......हन्न्नन्न्न्न ......ओह्ह्हह्ह म्मम्मम्म...."
दीपा आंटी खड़ी हुई डांस सी कर रही थी..
ऋतू मेरी गोद में बैठी हुई थी और अपनी मोटी गांड को घिस रही थी मेरी जांघ पर... मैं उसके मोटे चुचे को मसल रहा था..बैठे हुए.. मम्मी अपनी चूत को घिस रही थी....जोर जोर से.
पापा ने सुरभि की स्कर्ट नीचे खींच दी और उसकी ब्लेक कलर की कच्छी भी उतार दी...अपने सामने उन्होंने जब कसी हुई चूत देखी तो उनकी जीभ बाहर निकल आई और उन्होंने उसकी गीली चूत को साफ़ करना शुरू कर दिया.
अह्ह्हह्ह्ह्ह म्मम्मम.....अफ्फ्फफ्फ्फ़ ओह्ह्ह्ह...... और ये कहते हुए अचानक वो उठ बैठी...
कमरे में चारों तरफ नंगे लोग बैठे थे..
वो समझी की वो कोई सपना देख रही है...उसने अपनी आँखें मली और फिर से चारों तरफ देखा...अपने हाथ पर चुटकी काटी और तब समझी की ये तो सच में हो रहा है...
उसकी मौसी सोफे पर आधी लेटी हुई अपनी चूत में ऊँगली मार रही है. ऋतू मेरी गोद में बैठी अपना शरीर मुझसे घिस रही है...और सामने ही उसका सगा भाई उसकी माँ के साथ.....उसने फिर से अपनी आँखों को मला और देखा.... उसका भाई माँ के साथ नंगा खड़ा हुआ है और वो दोनों एक दुसरे को बुरी तरह से चूम रहे हैं....और ये कौन है...उसकी चूत जो चाट रहा हो....और अचानक पापा ने ऊपर मुंह करके उसे देखा और बोले...."उठ गयी सुरभि बेटा ..लेट जा...और मजे ले..."
वो सब समझ गयी ...की अब सभी लोग एक दुसरे से खुल चुके हैं...इसलिए उसने भी शर्माना उचित नहीं समझा और अपने भाई और माँ के सामने होने की परवाह किये बिना उसने अपने गले से टी शर्ट उतारी और पूरी नंगी हो गयी और पापा के सर को जोर से पकड़ा और दबा दिया अपनी चूत पर और जोर से चिल्लाई....
अह्ह्हह्ह्ह्ह मोसा जी......चुसे इसे.....बड़ा मजा आ रहा है.....अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह
साली कितना चीखती है ये....बड़े जोर से चीख मारती है....पर अब कोई डर नहीं था हमें...किसी के भी आने का...क्योंकि सभी लोग तो थे यहाँ पर... और मैं अपने खड़े हुए लंड को घुमाकर ऋतू की चूत के पास ले गया...वो थोडा ऊपर हुई और मेरे लंड को अपनी चूत पर टिकाया और बैठ गयी उस पर...
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह .....पर उसकी नजर अभी भी अयान और मौसी पर थी.
अयान ने अपनी माँ को उठाया और बेड पर ले जाकर लिटा दिया...दीपा आंटी ने अपनी टाँगे हवा में उठाई और अपने सामने खड़े हुए अयान से बोली " बेटा अब सहन नहीं होता...चोद डाल आज अपनी माँ को अपने इस शानदार लंड से...."
Reply
12-13-2020, 02:56 PM,
#93
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
अयान बोला : "हाँ माँ...आज मैं तुझे ऐसा चोदुंगा की तू अपनी सारी परेशानी भूल जायेगी...और आज के बाद मैं तुझे कभी दुखी नहीं रहने दूंगा..." और ये कहते हुए वो नीचे झुका और अपना लंड टिका दिया अपनी माँ की चूत पर.
पापा ने भी सुरभि को लिटाया और बेड के दूसरी तरफ जाकर खड़े हो गए उसकी टांगों के बीच..
एक तरफ अयान खड़ा हुआ था और दूसरी तरफ पापा, बीच में दीपा आंटी और उनकी बेटी सुरभि थी,...दोनों के सर एक दुसरे के कूल्हों को छु रहे थे....
अयान ने जब देखा की उसकी बहन सुरभि भी पापा के लंड को लेने को तैयार है...वो कई बार अपनी बहन के बारे में सोचकर भी मुठ मार चूका था...आज वो उसके सामने नंगी पड़ी हुई चुदवा रही थी... पर आज उसका ध्यान अपनी माँ की तरफ ज्यादा था...सुरभि को फिर कभी चोदुंगा....और ये सोचते हुए उसने अपना लंड घुसा दिया अपनी माँ के अन्दर... और दूसरी तरफ से पापा ने भी डाल दिया अपना मोटा लंड सुरभि की चूत में...ऋतू तो पहले से ही ले चुकी थी मेरे लंड को अपने अन्दर...और मम्मी की उँगलियाँ ही काफी थी उनके लिए अभी तो...
और फिर जो कमरे में चीखों का सिलसिला चला....मानो गाँव में डकेती पड़ रही हो...इतना शोर आ रहा था...सबसे ज्यादा सुरभि चीख रही थी..
सुरभि : "अह्ह्हह्ह्ह्ह अंकल......और अन्दर.....डालो......वाह.....कितना मोटा लंड है आपका.....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह चोदो मुझे........और तेज मारो.....मुन्ह्ह्हह्ह्ह्ह ......ओगग्ग्ग्ग ओफ्फफ्फ्फ़ ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फ्फ़ ओह्ह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्ह......अ और तेज ......अह्ह्हह्ह .....म्मम्मम ...... ओग्ग्ग्ग......मैं तो गयी.....अह्ह्हह्ह....."
उसके झड़ते ही पापा ने भी अपना बीज बो दिया उसकी चूत में..
दीपा आंटी : "हाँ बेटा...ऐसे ही चोद....अह्ह्हह्ह आज्ज्ज मुझे पता चला की....अह्ह्ह्ह मेरे बेटे का लंड.....कितना लम्बा है.....अब तो मैं रोज चुदुंगी....अह्ह्ह्ह...मेरे राजा ....बेटा......अझ्ह्ह्हह्ह चोद मुझे...अपनी माँ को...अपनी रंडी माँ.को.....अह्ह्ह...."
अयान : "हाँ....ले मेरा लंड.....हनन....तू मेरी रंडी है....आज से.....अह्ह्ह ओग्ग्ग ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फ ओ.....मैं जब चाहूँगा...तेरी चूत मारूंगा....मा.....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह रोज मारूंगा......अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह .....म्मम्मम्म...मैं आया माँ........." और ये कहते हुए उसने अपना वीर्य अपनी माँ की चूत में छोड़ दिया...दीपा आंटी भी झड़ने लगी साथ ही.
ऋतू सिर्फ सिस्कारिया ले रही थी...वो घूम गयी और मेरी कमर के चारों तरफ अपनी टाँगे लपेट ली..मैं कुर्सी पर बैठे हुए ही उसके मोटे मुम्मों में मुंह छुपाये उसकी चूत मारने लगा....
अह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्हह्ह हाँ आशु,....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह और तेज....मारो....अह्ह्हह्ह मैं तो गयी.....मर्र्र्रर्र्र गयी रे...... और उसने अपना नल मेरे लंड के ऊपर खोल दिया और मेरा लंड उसके रस के साथ साथ अपने रस को भी बीच में मिला कर नहाने लगा.
मम्मी भी अपना रस निकल चुकी थी सोफे पर..
उसके बाद तो पूरी रात कमरे में सेक्स का ऐसा खेल चला की क्या बताऊँ...
मम्मी ने भी अयान का लंड लिया...दीपा आंटी ने मुझसे और पापा से एक साथ चूत और गांड मरवाई ...
सुरभि ने भी अपने भाई से चूत मरवाई और मैंने मम्मी के साथ साथ सुरभि को भी खूब चोदा... सुबह कब हुई पता ही नहीं चला.
सुबह मेरे कानो में मम्मी की आवाज आई.."अरे...उठ जाओ सब लोग...जीजू आने ही वाले होंगे..."
उनकी बात सुनते ही जैसे कमरे में भूचाल सा आ गया...मैंने घडी में देखा दस बजने वाले थे...दीपा मौसी नंगी पड़ी हुई थी पापा के ऊपर और अयान और सुरभि लिपटे हुए थे एक दुसरे के नंगे जिस्मों से ..
ऋतू मेरी जांघों के बीच फंसी हुई थी...सब लोग नंगे थे..मम्मी की बात सुनते ही दीपा मौसी जल्दी से उठी और नंगी ही भागी बाथरूम में..पापा भी पानी बचाने के चक्कर में अपनी साली के साथ ही नहाने के लिए चल पड़े..
सुरभि और अयान ने जल्दी से अपने कपडे पहने..सुरभि के चेहरे पर ना जाने किस किसका वीर्य लगा हुआ था...सो उसने अपना मुंह धोया और साफ़ सुथरी होकर बैठ गयी..
ऋतू पर कोई असर नहीं हो रहा था..वो तो बेसुध पड़ी हुई थी..
मैंने रात के बारे में सोचा तो पाया की सबसे ज्यादा बार ऋतू ही चूदी थी कल रात, इसलिए बेचारी थक गयी है..मैंने उसे उठाना उचित नहीं समझा और मैं भी नहाने के लिए अपने कमरे में चल दिया.
आधे घंटे बाद सभी लोग नीचे नाश्ते की टेबल पर इकठ्ठा हुए..आज दीपा मौसी को वापिस जाना था पर उनका और बच्चों का मन नहीं था अभी जाने का, सभी यही सोच रहे थे की कैसे कुछ दिन और रुका जाए यहाँ...तभी मम्मी के दिमाग में एक आईडिया आया और वो बोली..."मैं जानती हूँ की इन्हें कैसे और रोक सकते हैं..." उनके चेहरे पर कुटिल मुस्कान थी..
"कैसे...बताओ ना दीदी...." दीपा मौसी ने मचलते हुए पूछा..
"इस तरह से..." और ये कहते हुए मम्मी ने अपनी साडी का पल्लू गिरा दिया नीचे..और उनके 36 साइज़ के मुम्मे ब्लाउस से झांकते दिखे सभी को..
दीपा मौसी ने निराश होते हुए अपने मुम्मो की तरफ इशारा करते हुए कहा "अरे रहने दो दीदी ...वो इन्हें नहीं देखते तो तुम्हारे क्या देखेंगे..उन्हें सेक्स में कुछ ज्यादा इंटरेस्ट नहीं है..."
बीच में ही ऋतू बोल पड़ी.."अगर नहीं है तो करवा देंगे...अगर मम्मी कम पड़ गयी तो मैं भी तो हूँ न..." उसने अपने गोल मटोल चुचों को मसलते हुए कहा.. "और मैं भी तो हूँ न..." सुरभि भी बोल पड़ी..
दीपा मौसी ने हैरानी से अपनी बेटी की तरफ देखा पर कुछ न बोली..वो जान चुकी थी की उनकी बेटी अब बड़ी हो चुकी है..उसकी चूत में भी वही आग लगती है जो उनकी चूत में लगती है..
आखिर उनकी ही बेटी है...और इस खुजली को मिटाने के लिए उसे अपने बाप से ही क्यों न चुदना पड़े अब.. पर दीपा आंटी कुछ और दिन यहाँ रहना चाहती थी...अपने स्वार्थ के लिए..मजे के लिए..मेरे, अयान और पापा के मोटे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए.. और इसके लिए वो अपने पति को अपनी बहन , बेटी और भांजी के साथ भी शेयर करने के लिए तैयार थी..और वैसे भी वो सेक्स में कुछ ज्यादा रूचि नहीं लेता था..वो देखना चाहती थी की इनके हुस्न का जादू चलता भी है उनपर या नहीं..
लगभग एक घंटे बाद हरीश अंकल मेरठ से वापिस आ गए..वो नहा धोकर नाश्ता करने बैठ गए, मम्मी उनको खाना परोस रही थी..
Reply
12-13-2020, 02:56 PM,
#94
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
पापा को ऑफिस में जरुरी काम से जाना था सो वो चले गए., दीपा आंटी दुसरे कमरे में बैठी हुई टीवी देख रही थी, और मैं सोफे पर बैठा हुआ मोबाइल गेम खेल रहा था और सुरभि मुझसे चिपकी बैठी हुई थी, अयान और ऋतू ऊपर अपने कमरे में ना जाने क्या कर रहे थे..
मम्मी ने अपने जीजू को बड़े प्यार से नाश्ता कराया..बीच-२ में मैं उन दोनों को तिरछी निगाहों से देख भी रहा था..आखिर मम्मी ने अपने हुस्न का जादू अपने जीजू पर चलाना शुरू कर ही दिया..
"अरे जीजू...आप ये एक और परांठा लो न..." मम्मी ने जबरदस्ती उनकी प्लेट में परांठा डाला..
"नहीं पूर्णिमा...दीदी...और नहीं...रहने दो...पूरा पेट भर गया है..." उन्होंने मना किया.
पर मम्मी ने जबरदस्ती उनके हाथ को पकड़ा और परांठा डाल दिया..और ये सब करते हुए उनकी साडी का पल्लू नीचे गिर गया..
हरीश अंकल की आँखों के सामने मम्मी के दुधिया कलश उजागर हो गए..मम्मी ने उन्हें पहले से ज्यादा बाहर निकाल रखा था... सिर्फ उनके एरोहोल का दिखना बाकी था..पर उन्होंने ऐसा जताया की कुछ हुआ ही न हो...और जिद्द करती रही उनसे परांठा खाने की..बिना अपना पल्लू ठीक किये.. और हरीश अंकल अपनी फटी हुई आँखों से इधर उधर देखते हुए, की कोई और तो नहीं देख रहा उन्हें और उनकी साली को, वो परांठा खाने लगे जबरदस्ती.. अपनी साली को नाराज नहीं करना चाहते थे..नहीं तो शो ख़त्म होने का डर था.
.मम्मी ने भी अपने जीजू को भूखी नजरों से अपनी छाती की तरफ घूरते हुए पाया तो उन्होंने मन में सोचा...कौन कहता है की इन्हें सेक्स में रूचि नहीं है... और ये सोचते हुए उन्होंने अपने जीजू के लंड की तरफ देखा...जहाँ उनकी पेंट में होती हलचल देखकर उनके रोंगटे खड़े हो गए..
मम्मी को हरीश अंकल हमेशा से ही अच्छे लगते थे...पर ज्यादा काम की वजह से, कम कमाई और छोटा शहर होने की वजह से उनपर बुढ़ापा जल्दी असर कर गया था... वो थोड़े कमजोर से दिखते थे, कानो के ऊपर बाल भी सफ़ेद थे, चेहरा दुबला पतला सा था, बिना दाढ़ी और मूंछ के वो काफी स्मार्ट लगते थे.
मम्मी को पापा की मूंछों से भी काफी ऐतराज रहता था, उन्हें हमेशा से क्लीन शेव वाले लोग ही पसंद आते थे...और अपने जीजू भी मम्मी को इसी वजह से काफी पसंद थे..
जल्दी ही उन्होंने नाश्ता ख़त्म कर दिया , मम्मी ने उनसे कहा..आप जाकर थोडा आराम कर लो, मैं चाय भिजवाती हूँ..अभी.." और ये कहकर उन्होंने ऋतू को आवाज लगायी..अंकल गेस्ट रूम में चले गए..
ऋतू दोड़ती हुई आई, मैंने देखा की उसने कसी हुई टी शर्ट पहनी हुई है...और नीचे सफ़ेद रंग की छोटी सी निक्कर ..बड़ी दिलकश और सेक्सी लग रही थी वो..
मम्मी ने उसे कुछ समझाया और चाय लेकर अंकल के पास भेजा और खुद अपनी बहन दीपा के पास जाकर बैठ गयी और उन्हें अभी तक की बात बताने लगी.. मैं छुप कर ऋतू के पीछे गया और देखने लगा..
ऋतू चाय लेकर हरीश अंकल के पास गयी और उनसे इधर उधर की बातें करने लगी.. अपनी साली के हुस्न को देखकर उनका लंड अभी तक तना हुआ था और उनकी बेटी को ऐसी ड्रेस में देखकर तो उनका छोटा सिपाही झटके ही मारने लगा...
उन्होंने अपने लंड वाले हिस्से को न्यूज़ पेपर से ढका और चाय पीने लगे बड़ी मुश्किल से.. मेरे पीछे सुरभि भी खड़ी होकर अन्दर कमरे का नजारा देख रही थी, खिड़की से...
ऋतू अपनी टाँगे मोड़कर ऊपर बैठ गयी और उसकी मोटी जांघे हरीश अंकल की आँखों के सामने चमकने लगी.. और उसके बीच कपडे के ऊपर से ही ऋतू की चूत का ताजमहल देखकर हरीश अंकल के होश ही उड गए..और उनका चेहरा पसीने से नहा गया.
ऋतू ने उन्हें ऐसी हालत में देखा और पूछा.."अरे अंकल...क्या हुआ..आप को इतना पसीना क्यों आ रहा है..."
अंकल : "पसीना...कुछ..नहीं...ऐसे ही..गर्मी है न..." उन्होंने हडबडाते हुए कहा..
ऋतू : "गर्मी ...आज तो बिलकुल भी नहीं है...रात को तो हम सभी रजाई में सोये थे..आप को क्यों गर्मी लग रही है.." उसने मुस्कुराते हुए उनकी आँखों में देखकर कहा.
उनसे कुछ कहते नहीं बना..
ऋतू उठकर उनकी गोद में आकर बैठ गयी और अपनी बाहें डाल दी उनकी गर्दन में..और बोली "क्या हुआ अंकल...आपकी तबियत तो ठीक है न..." ऋतू का दांया चुचा उनके चेहरे से टकरा रहा था..
अंकल : "हाँ...हाँ..मैं ठीक हूँ...तुम ठीक से बैठो न...यहाँ.." उन्होंने बेड की तरफ इशारा किया , वो घबरा रहे थे की कोई कमरे में ना आ जाए..
ऋतू : "मैं ठीक हूँ...अंकल..आप भूल गए..जब मैं बचपन में आपके घर आती थी तो आपकी गोद में बैठकर ही खाना खाती थी..और कहानियां भी सुनती थी.."
अंकल : "बेटा ऋतू...अब तुम बच्ची नहीं रही हो...अब तुम.. जवान हो गयी हो.." उन्होंने हकलाते हुए कहा..
उनकी हालत देखने लायक थी..एक जवान लड़की छोटी सी निक्कर में उनकी गोद में बैठी हुई थी और उसके चुचे उनके कंधे और मुंह को छु रहे थे.
ऋतू : "अच्छा...मैं जवान हो गयी हूँ...सच में...मैं भी सब को यही कहती हूँ...पर मम्मी पापा अब तक मुझे बच्ची समझते हैं... आप ही बताओ की मैं आप को कहीं से बच्ची लगती हूँ क्या..." और उसने अपने होंठों पर जीभ फेरते हुए अंकल के कान के ऊपर उँगलियाँ फैरानी शुरू कर दी..हरीश अंकल का चेहरा उत्तेजना के मारे लाल हो चूका था..पर वो डर रहे थे की बाहर सभी लोग बैठे हैं, उनकी बीबी भी और बच्चे भी, ऐसे हालत में वो कोई गलत काम नहीं करना चाहते थे..पर लंड के आगे सभी मजबूर हो जाते हैं..
उन्होंने कहा.."कोन कहता है..तुम बच्ची हो...लगती तो पूरी जवान हो...मैं चेक करता हूँ...तुम दरवाजा बंद कर आओ..नहीं तो कोई आ जाएगा.."
ऋतू झट से उठी और अपनी मोटी गांड उछालती हुई दरवाजा बंद करके वापिस आ गयी और वापिस अपने अंकल की गोद में बैठ गयी.
"अब बताओ...मैं जवान हूँ या नहीं..." उसने अपनी गांड को अंकल की गोद में मसलते हुए कहा..
अंकल ने इस बीच अपना लंड अडजस्ट कर लिया था..पर ऋतू की गांड का मुलायमपन पाकर उनके लंड ने फिर से बगावत कर दी और वो उछलने लगा..
अंकल ने ऋतू के चेहरे पर हाथ रखा और धीरे -२ उसे नीचे ले जाकर उसकी गर्दन तक ले आये और थोडा और नीचे ले जाकर उसके उभारों के ठीक ऊपर ले आये.. ऋतू की साँसे तेज होने लगी थी...मेरे पीछे खड़ी हुई सुरभि की साँसे भी दौड़ने लगी..अपने पापा की हरकतों को देखकर..
हरीश : "तुम्हारी...चेस्ट..मतलब...ब्रेस्ट...का साइज़..क्या है..." उन्होंने धीरे से पूछा.
ऋतू ने शान से अपनी छाती बाहर निकाली और बोली "34b .."
"ह्म्म्म......" उन्होंने कुछ सोचते हुए कहा.."पर लगता तो नहीं है..की ये इतने बड़े हैं..
ऋतू ने नाराज होने का नाटक किया और बोली "क्या मतलब...मैं झूठ बोल रही हूँ क्या...एक मिनट रुको..." और उसने झट से अपनी टी शर्ट उतार दी.. अन्दर उसने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी नेट वाली...और उसके अन्दर से उसके उफनते हुए अर्धनग्न स्तन, बिलकुल सफ़ेद रंग के, मानो चिल्ला कर अंकल को बुला रहे हो...
अंकल के तो होश ही उड़ गए ...इतने पास से अपनी साली की बेटी के चुचे देखकर..नेट के बीच से उसके गुलाबी निप्पल्स झाँक रहे थे, जो तन कर ब्रा की जाली फाड़ कर बाहर आने को तैयार थे..
"अब बोलो...अंकल...क्या कहते हो...अब भी विश्वास नहीं हुआ ..." वो किसी बच्चे जैसा बर्ताव कर रही थी...
और अंकल बेचारे सोच रहे थे की ऋतू सच में अपने बचपने में है और वो क्या कर रही है उसे भी पता नहीं है... पर ये बात तो हम सब लोग जानते थे की वो कितनी बड़ी चुद्दक्कड़ है और वो उन्हें लुभाने के लिए ये सब नाटक कर रही हैं यहाँ... ताकि मैं कुछ और दिन नयी चूतों का मजा ले सकू..और वो लंडो का..
अंकल ने हडबडाते हुए कहा..."हाँ...हाँ..सच में ये तो मुझे अब 36 के आस पास लग रही है..." ये बोलते हुए उनके मुंह से लार टपककर ऋतू की जांघ पर जा गिरी... साफ़ जाहिर था की इतने मोटे चुचे देखकर उनके मुंह में पानी आ गया था..
ऋतू की चिकनी जांघ पर उनकी लार गिरी तो उसके पुरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गयी...जैसे गर्म तवे पर किसी ने पानी की बूँद डाल दी हो.. और उसके मुंह से एक सिसकारी निकली... अह्ह्ह्हह्ह ....ये क्या है... अंकल....आपके मुंह से तो पानी निकल रहा है.." अब ऋतू की आँखों में गुलाबी डोरे तैरने लगे थे..
हरीश : "ये..ये...मैंने इतने सुन्दर...चुचे.... कभी नहीं देखे...इसलिए...इन्हें देखकर मुंह में पानी आ गया..." वो धीरे से बोले.
ऋतू सनसना उठी अपने अंकल की बात सुनकर...और बोली "आप मेरे सबसे अच्छे वाले अंकल हैं...बचपन से ही आप मुझे सबसे ज्यादा प्यार करते हैं... और मुझे भी आप काफी अच्छे लगते हैं...
आज मैंने आपको अपने जवान शरीर को दिखाया है..क्या आज आप इन्हें प्यार नहीं करेंगे..." और ये कहते हुए उसने अपनी ब्रा के स्ट्रेप को नीचे गिरा दिया और उसके दोनों ब्रेस्ट उछल कर बाहर आ गए ..अंकल के चेहरे के सामने.. उन्हें बिलकुल विशवास नहीं हुआ की ऋतू ने ऐसा किया..वो कुछ कहना चाहते थे पर ऋतू ने उनके सर के पीछे हाथ रखा और उनका चेहरा दबा दिया अपनी छाती पर..और चिल्ला पड़ी... "चुसो....इन्हें...अंकल...मेरे जवान जिस्म को देखो और प्यार करो इससे... चाटो...और मुझे भी अपने प्यार का एहसास करवाओ और बताओ की मैं जवान हो चुकी हूँ.....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह......"
अंकल के मोटे होंठ ऋतू के मखमली और मुलायम मुम्मे पर फिसलने लगे..उनके मुंह में जैसी पानी की टंकी लगी हुई थी...इतनी लार निकल रही थी उसके से...एक ही मिनट में उसके दोनों स्तन थूक से गीले होकर चमकने लगे...
अंकल ने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों चुचों को पकड़ा और एक एक करके उसके निप्पल्स को चूसा...मसला...चाटा ...और अपनी जीभ से अपनी ही लार को साफ़ करते हुए जल्दी ही उसके दोनों स्तनों को चमका डाला...
लगभग 15 मिनट तक वो उसको चाटते रहे और जब वहां पूरा सूखा पड गया तब अचानक ऋतू ने उनके मुंह को अपनी तरफ खींचा और उनकी सूख चुकी जीभ को फिर से अपने मुंह से गीला करने लगी...चूस चूसकर....
"कोई आ जाएगा....."अंकल ने कहा..
"कोई नहीं आएगा...आप बस मुझे प्यार करो..." ऋतू ने ये कहते हुए उनके सारे कपडे उतार डाले... अब वो बिलकुल नंगे थे..उनका लंड लगभग चार इंच का था...पर आज नयी और जवान चूत पाकर वो थोडा ज्यादा लम्बा होने का नाटक कर रहा था. अब मेरा और मेरे पीछे खड़ी हुई सुरभि का ध्यान सिर्फ अंकल के लंड पर था..
उनके लंड के चारों तरफ काफी बाल थे..और बीच में खड़ा हुआ लंड काफी ठुमक रहा था..
ऋतू के मुंह से निकला.."सो क्यूट.." जैसे कोई छोटा बच्चा देखकर कहता है और उसे चूमने के लिए आगे आता है..उसने भी ऐसा ही किया और नीचे बैठकर उसने अंकल के लंड को चूमा..और मुंह में लेकर चूसने लगी.
अंकल की आँखें बंद हो गयी ऋतू के ऐसा करते ही...शायद दीपा आंटी ने आज तक उनका लंड नहीं चूसा था..सुड़प-२ की आवाजें निकालते हुए ऋतू उन्हें मजे देने में लगी हुई थी..
उसकी चूसने की स्पीड और उत्तेजक तरीके से जल्दी ही अंकल के लंड का बुरा हाल हो गया पर जब तक वो अपना लंड बाहर निकाल पाते उन्होंने ऋतू के मुंह में ही झड़ना शुरू कर दिया...
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ऋतू बेटा......मैं तो गया.....अह्ह्हह्ह....हैईईई.......ओह्ह्ह्हह्ह भाग्वान्न्नन्न....अह्ह्ह्हह्ह ...स्सस्सस्सस
उन्हें बड़ी शर्मिंदगी हो रही थी की वो अपनी उत्तेजना को कण्ट्रोल नहीं कर पाए और झड गए. शायद ऋतू की जवानी का असर था. मेरे पीछे खड़ी हुई सुरभि भी अपने बाप का लंड देखकर काफी उत्तेजित हो चुकी थी..लड़की चाहे जितने भी लंड ले चुकी हो...पर जब वो अपने बाप या भाई का लंड देखती है तो उसकी चूत में एक अलग तरह की ही खुजली होती है और आज वोही खुजली सुरभि की चूत में भी हो रही थी..उसने मेरी पेंट के अन्दर हाथ डाला और मेरा लंड बाहर निकाल कर उसे आगे पीछे करने लगी.
थोड़ी देर बाद अंकल ने ऋतू को उठाया और फिर से उसके चुचे दबाते हुए चूसते हुए उसे बेड तक ले आये..और उसे नीचे लिटाकर उसकी निक्कर के साथ-२ काले रंग की पेंटी भी उतार डाली...
और ऋतू की फैली हुई गांड की बनावट देखकर और उसके बीच में लम्बी दरार जिसके अन्दर से पानी की धार निकल रही थी..
उसकी फूली हुई चूत की लाल रंग की फांके उन्हें स्ट्रोबेरी जैसी लग रही थी..जिसमे से निकलता हुआ खट्टा मीठा रस उन्हें अपनी तरफ खींच रहा था और जल्दी ही उन्होंने अपनी जीभ निकली और बैठ गए ऋतू की चूत की डायनिंग टेबल पर उसके रस का स्वाद लेने के लिए..
अपनी चूत पर अंकल की जीभ का स्पर्श पाते ही ऋतू के शरीर में एक करंट सा लगा और वो उठ कर बैठ गयी..और उसने अपनी दोनों टाँगे चड़ा दी अंकल के कंधो पर और उन्हें अपनी तरफ भींच लिया और उनके सर के ऊपर हाथ रखकर दबाव बनाने लगी अपनी चूत के ऊपर.. अंकल के सर के साथ-२ ऋतू भी अपनी गांड को हिला रही थी..वो थोडा ऊपर नीचे होकर अपनी स्ट्राबेरी को अंकल के होंठों से घिस रही थी..और फलस्वरूप उसका मीठा रस सीधा अंकल के मुंह में जा रहा था..
Reply
12-13-2020, 02:56 PM,
#95
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
नीचे बैठे अंकल अपने लंड को भी मसल रहे थे और अपने छोटे सिपाही को फिर से मैदान में लाने की तय्यारी कर रहे थे..ताकि ऋतू की चूत भी मार सके... ऋतू की आँखें बाहर की तरफ निकलने लगी अंकल इस तरह से चूस रहे थे,
उसके चेहरे के भाव से पता चल रहा था की आज तक उसकी चूत को इतनी अच्छी तरह से किसी ने नहीं चाटा..यानी उनका लंड छोटा ही सही..जीभ काफी बड़ी है.. और जल्दी ही अंकल की मेहनत रंग लायी
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह अंकल.......यहान्न्नन्न ऐसे ही...येस्स....... ओह बहुत बढ़िया.....अह्ह्हह्ह्ह्ह मजा आ गया......म्मम्मम्म....ई ओग्ग्ग ओग्ग्ग ओफ्फ्फ ऑफ ऑफ ऑफ ओफ्फफ्फ्फ़.......मर्र्र गयी रे........अह्ह्ह्ह स्सस्सस्स.... और उनके मुंह के अन्दर ही ऋतू ने जल की वर्षा करनी शुरू कर दी..और उनकी चूत के पुजारी बने बैठे अंकल ने वो सारा प्रसाद हड़प कर डाला..
तब तक अंकल का लंड भी खड़ा हो चूका था...ऋतू हांफ रही थी अपने ओर्गास्म के बाद और अंकल ने अपना लंड आगे किया और उसकी चूत के छेद पर रखा...तभी बाहर से ऋतू की मम्मी की आवाज आई...
"ऋतू.....ओ ऋतू.....कहाँ है....जल्दी से किचन में आ..."
अंकल हडबडा गए....ऋतू के चेहरे पर भी निराशा सी आ गयी...उसकी चूत में अभी तक आग लगी हुई थी...पर मम्मी ने ना जाने क्या सोचकर एन मौके पर उसको बुलाया ...
उन दोनों ने जल्दी से कपडे पहने और ऋतू बाहर की और भागी..अंकल अपने दिल को थामे वहीं कमरे में बैठे थे..वो शायद अपनी किस्मत को धन्यवाद दे रहे थे की आज ऋतू जैसी जवान लड़की के साथ उन्होंने मजे लिए..बस चूत नहीं मार पाए...
मेरा लंड तन कर पूरा खड़ा हो चूका था...सुरभि के कोमल हाथों ने उसे और भी उकसा दिया था...हम घर के पीछे खड़े थे जहाँ छोटा सा बगीचा था..और ऊपर की तरफ काफी घने पेड़ थे..और पीछे की तरफ एक पानी की टंकी थी जहाँ से पोधों को पानी दिया जाता था..
नीचे की जमीन काफी मुलायम थी और कहीं-२ पर गीली भी..सुरभि ने मारे उत्तेजना के मुझे अपनी तरफ खींचा और नीचे गिर पड़ी..कीचड में..पर उसे अपने कपडे गंदे होने की कोई परवाह नहीं थी..
वो मेरे सामने नीचे जमीन पर पड़ी हुई थी और अपनी लॉन्ग स्कर्ट को ऊपर करके नीचे से अपनी नंगी चूत को सहला रही थी..वो काफी गर्म हो चुकी थी... मैंने उसकी आँखों में देखते हुए अपनी जींस को उतारा और अपना लंड बाहर निकाल कर सीधा कूद गया उसकी जाँघों के बीच..निशाना बिलकुल सही लगा..और मेरा लंड घप्प से सीधा उसकी चूत के अन्दर चला गया...
उसके ऊपर के कपडे मैंने उतारने की कोई जहमत नहीं उठाई...वहां कुछ था ही नहीं..सपाट मैदान था...मैंने उसके होंठों को चूसा और गीली मिटटी पर पड़ी हुई सुरभि की चूत का बैंड बजाने लगा..
किसी को अंदाजा भी नहीं होगा अन्दर की मैं और सुरभि बाहर खुले में चुदाई कर रहे है...कोई आ भी जाता तो हमें डर नहीं था...सभी लोगों को चुदाई का चस्का लग चूका था..
सिर्फ सुरभि के पापा के आने का ही डर था...पर वो तो अन्दर अपने ही सपनो में खोए हुए थे..सुरभि काफी तेज चीखती थी इसलिए मैंने उसके मुंह पर पूरी तरह से कब्ज़ा किया हुआ था ताकि अन्दर बैठे उसके पापा को उसकी आवाज न सुनाई दे.. पर फिर भी वो कुनकुना रही थी..अन्दर ही अन्दर..
ग्न्नन्न म्मम्मम्म आआह्ह्ह्ह म्म्मम्म्म्माह्ह्हह्ह अम्मम्मम्मा अम्म्म अग्ग्ग्गग्न्नन्न ,,,,.....
और मैंने जल्दी ही अपने लंड का सारा पानी उसकी चूत की बाल्टी में डाल दिया...और तभी उसके मुंह से अपना मुंह हटाया...वो हाँफते हुए बोली..."इतनी बुरी तरह से और इतनी गन्दी तरह से मैं पहली बार चुदी हूँ...भाई....थेंक यू..." और फिर वो मुझे चूमने लगी..
मेरे भी सारे कपडे गंदे हो चुके थे कीचड में...हम दोनों उठे और अन्दर की तरफ जाने लगे तभी कमरे में मम्मी आई, जहाँ अंकल अभी तक बैठे हुए थे...मैं और सुरभि फिर से अन्दर देखने लगे..
मम्मी : "जीजू...ये मैं क्या सुन रही हूँ....आप लोग आज रात की ट्रेन से जा रहे हैं...?" उनके स्वर में नाराजगी थी..
अंकल : "हाँ....मैंने तो आपको परसों भी कहा था की हमारी टिकट बुक हैं आज के लिए..."
मम्मी : "वो मैं कुछ नहीं सुनना चाहती....आप अभी सन्डे तक यहीं रहिये...अभी बच्चों के कॉलेज खुलने में भी टाइम है..सिर्फ तीन दिनों की ही तो बात है..."
अंकल : "नहीं दीदी...आप समझा करो...मैं पिछले 15 दिनों से छुट्टी पर हूँ...मुझे ऑफिस में रिपोर्ट भी करनी है कल ...मैं नहीं रुक सकता..."
मम्मी : "मैं कुछ नहीं जानती...आप को मेरी कसम ...आप नहीं जायेंगे...बस..." मम्मी ने जिद्द करी.
अंकल : "ये आप क्या कह रही हैं...इसमें कसम देने वाली क्या बात है...आप समझा.....करो......."
और ये बोलते हुए अंकल एक दम से रुक गए...क्योंकि..मम्मी का वो सरकता हुआ पल्लू फिर से गिर गया था...और अंकल के सामने फिर से उनके तरबूज दिखने लगे थे...थोड़ी देर तक कमरे में कोई कुछ नहीं बोला..
और फिर मम्मी ने कहा.."मैं सब जानती हूँ....आप क्या देख रहे हैं..."
वो घबरा गए जैसे मम्मी ने उनकी चोरी पकड़ ली हो.. पर जब उन्होंने देखा की मम्मी ने अपना पल्लू ठीक नहीं किया है तो उनकी भी हिम्मत थोड़ी बढ़ गयी...
उन्होंने मम्मी की आँखों में देखकर कहा "अच्छा...बताओ फिर...मैं क्या देख रहा हूँ..." और ये कहते हुए वो मम्मी की तरफ बढ़े..
मम्मी उन्हें अपनी तरफ आते देखकर दीवार से जा सटी...और उनकी साँसे तेजी से चलने लगी...वो नाटक कर रही थी या सच में उत्तेजना के मारे ऐसा कर रही थी...पता नहीं.
उनके जीजू पास आये और फिर से बोले..."बोलो न दीदी...क्या देख रहा हूँ मैं..."
मम्मी : वही....जो मैं दिखा रही हूँ....पर आप तो कुछ समझते ही नहीं....लल्लू कहीं के..." और वो धीरे से हंसने लगी...
अंकल सब समझ गए की मम्मी उन्हें खुली लाइन दे रही है...अभी थोड़ी देर पहले ही उन्होंने उनकी बेटी से मजे लिए थे...और अब माँ भी...जिनके हुस्न को उन्होंने हमेशा से चाहा था...और आज उनकी किस्मत पर जैसे भगवान् ने मेहरबानी की वर्षा सी कर दी हो...
उन्होंने अपने कांपते हाथों से मम्मी के अर्धनग्न मुम्मों को पकड़ा....मम्मी ने सीईईईईईए की आवाज निकालते हुए अपनी आँखें बंद कर ली...और अंकल के हाथ के ऊपर अपना हाथ रखकर अपनी ही चुचों का मर्दन करने लगी...
अंकल के हाथों के नीचे इतने बड़े और मुलायम चुचे आज तक नहीं आए थे... उन्होंने उनके उभरे हुए चुचे को ऊपर से चाटना शुरू किया और जैसे ही उन्होंने ब्लाउस खोलने की कोशिश की.
मम्मी ने उन्हें रोक दिया और बोली "नहीं ...जीजू...अभी नहीं...बाहर सभी लोग बैठे हैं....मैं रात को आउंगी...आपके पास...बस आप सन्डे तक यहीं रुक जाओ न प्लीस..." और उन्होंने अपने जीजू के होंठों को चूम लिया...अब इस बात को तो कोई पागल ही मन करेगा...उन्होंने झट से हाँ कर दी...और मम्मी किसी छोटे बच्चे की तरह से ख़ुशी के मारे उनसे लिपट गयी...और फिर वो दोनों बाहर की और चल दिए..
हम दोनों भी अन्दर चल पड़े...अन्दर मम्मी सभी को ये खुशखबरी दे रही थी की अब सभी लोग सन्डे तक वहीँ रुकेंगे...ये सुनते ही दीपा आंटी के साथ-२ अयान और ऋतू भी ख़ुशी से झूम उठे...
तभी अंकल ने हमें कीचड वाले गंदे कपड़ों में देखा और बोले..."तुम बच्चे अभी तक मिटटी में खेल रहे हो....पता नहीं कब बड़े होगे तुम लोग..." उन्हें क्या मालुम था की हम क्या खेल खेलकर आये हैं. वो ख़ास कर अपनी बेटी सुरभि की तरफ देखकर बात कर रहे थे..
तभी बीच में ही दीपा मौसी बोली..." चलो सुरभि तुम ऋतू के साथ ऊपर जाओ और नहा लो...चेंज करके नीचे आना... और आशु तुम भी ऊपर जाओ...नहाने..." उन्होंने जब मेरी तरफ रहस्यमयी हंसी में देखा तो मैं समझ गया की मौसी को सब पता चल चूका है की ये कपडे कैसे गंदे हुए.
मैं, ऋतू और सुरभि ऊपर की तरफ चल पड़े...और पीछे -२ अयान भी आ गया...
मैं और सुरभि एक साथ बाथरूम में घुस गए...और मेरे पीछे -२ अयान और ऋतू भी आ गए वहीँ पर...
Reply
12-13-2020, 02:57 PM,
#96
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
बाथरूम में घुसते ही मैंने अपने कपडे उतार कर साइड में रख दिए और जब मैंने सुरभि की तरफ देखा तो वो भी अपना आखिरी वस्त्र यानी ब्रा उतार रही थी...पता नहीं वो ब्रा क्यों पहनती है...कुछ है तो नहीं उसके पास सिवाए बड़े-२ निप्पल्स के.. शायद वो न दिखें चमकते हुए इसलिए वो ब्रा पहनती थी..खैर..जैसे ही मैंने सुरभि की गांड देखी तो मेरे मुंह में पानी आ गया...काफी दिनों से मैंने गांड नहीं मारी थी..

चूत मार मारकर बोर सा हो गया था..आज इसकी गांड मारी जाए..मैंने ये सोचकर उसकी गांड पर हाथ रखा ही था की ऋतू और अयान भी घुस आये बाथरूम में..
ऋतू : "भाई...क्या इरादा है तुम्हारा...बड़े प्यार से सहला रहे हो सुरभि की गांड.."
मैं : "इरादा खतरनाक है ऋतू...आज तो मैं इसकी गांड मारूंगा.." और ये कहते हुए मैंने उसकी गांड के अन्दर अपनी ऊँगली घुसा दी.
"अह्ह्हह्ह्ह्हह्हsssssssss निकालो इस्ससेsssssssssssss.........अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह " वो जोर से चिल्लाई...
मैं उसकी चीख सुनकर घबरा गया... उसकी चीख हमेशा की तरह काफी तेज थी..और किसी का तो कुछ नहीं पर उसके पापा के आने का डर था..इसलिए मैं घबरा गया..और अपनी ऊँगली निकाल ली.
ऋतू बोली : "वैसे तो मैंने बाहर का दरवाजा बंद कर दिया है और यहाँ का दरवाजा भी बंद है...इसलिए आवाज नीचे तक नहीं जायेगी... पर सुरभि थोडा धीरे चीखो..नीचे से तुम्हारे पापा के आने का डर है ..." वो समझ गयी और उसने हाँ में सर हिलाया.
अयान और ऋतू भी एक दुसरे को चुमते हुए अपने कपडे उतारने लगे..और कुछ ही देर में वहां बाथरूम में हम चारों नंगे खड़े हुए थे. मैंने सुरभि को अपनी तरफ खींचा और उसके तपते हुए होंठों पर अपने होंठ रख दिए...
उसके गीले होंठों ने मुझे मदहोश सा कर दिया था...बड़ा रस टपक रहा था उनमे से...शायद उसे अपनी गांड मरवाने का काफी उत्साह था.
दूसरी तरफ अयान ने ऋतू को वहीँ जमीन पर लिटाया और उसकी चूत की फांके खोलकर अन्दर की बनावट को गौर से देखने लगा..
ऋतू : "क्या देख रहे हो भाई..."
अयान : "मैंने आज तक किसी चूत की बनावट नहीं देखी..आज मौका मिला है आराम से तुम्हारी चूत को देखने का..."
ऋतू (मचलते हुए) : "जब किसी की चूत में आग लगी हो तो उसे दूर से देखकर मजे नहीं लिए जाते...आओ और अपने पानी से मेरी चूत की आग बुझाओ..." और ये कहकर उसने अयान को बड़ी ही प्यासी निगाहों से देखा..
अयान ने उसकी आँखों में देखते हुए अपनी जीभ निकाली और नीचे झुककर उसकी चूत के अन्दर डाल दी...
"अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम्मम्म स्सस्सस्स ओह अयान्न्न्नन्न क्यों तडपा रहे हो.....अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह लंड डालो यहान्न्न्नन्न जीभ से कुछ नहीं होगा.... अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह "
अयान ने उसकी कोई परवाह नहीं की और उसकी चूत को चाटना जारी रखा, शायद वो जानता था की लड़की को ज्यादा मजा देने के लिए पहले उसकी चूत चाटना जरुरी है...और फिर जब लंड डालोगे तो ऐसे मजे देगी की लंड भी सोचेगा...आज हुआ क्या है इसको..
मैंने भी सुरभि को वहीँ लिटा दिया जमीन पर.. बाथरूम थोडा छोटा था..इसलिए उसका शरीर ऋतू के शरीर से छु रहा था...और सुरभि का चेहरा अपने भाई अयान की तरफ था..
मैं उसकी टांगो को ऊपर उठाया और उसकी गांड के छेद पर अपनी जीभ लगायी...बड़ी गन्दी से स्मेल आ रही थी...मैं पास पड़े पानी से उसकी गांड को अच्छी तरह से साफ़ किया और फिर से उसको चाटा...अब ठीक था.
मैं अपनी जीभ उसकी गांड से घुमा कर चूत तक ले जाकर वापिस गांड तक ले आता था...उसकी चीख निकल रही थी...पर उसनी अपने भाई का एक हाथ पकड़कर अपने मुंह में ठूस लिया...और चूसने लगी, ताकि उसकी आवाज बाहर तक ना जाए...
अयान ने ऋतू की क्लिट को अपने होंठों में दबाया और उसे लोलीपोप की तरह से चूसने लगा..ऋतू तो मजे के मारे दोहरी सी हो गयी और उसने अपने दांयी तरफ मुड़कर मुझे पकड़ लिया और मेरे कंधे पर अपने दांत गड़ा दिए..
"अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह अयान्न्न्नन्न .......धीएरे.......अह्ह्हह्ह्ह्ह म्म्मम्म्म्मम्म अऊऊह ऊह्ह्ह्ह ये क्या कर रहे हो....... अह्ह्ह्हह्ह ह्न्नन्न्न्नन्न्न्न ऐसे ही......चुसो......इसे........अह्ह्हह्ह म्म्मम्म्म्मम्म ऑफ ओफ्फफ्फ्फ़ ओफ्फ्फ ओह गोड....."
मैंने अपनी जीभ को पेना किया और उसे घुसा दिया सुरभि की गांड में....मेरी नाक उसकी चूत के बिलकुल ऊपर थी ...जिसमे से निकलता हुआ रसीला पानी उसे भिगो रहा था...और नीचे आते हुए मेरे होंठों से होता हुआ उसकी गांड को और भी चिकना बना रहा था,
कुल मिलकर मेरे मुंह से निकलती लार के साथ साथ उसकी चूत से निकलता पानी दोनों मिलकर उसकी गांड को सींच रहे थे...और आने वाली चुदाई के लिए तैयार कर रहे थे...
ऋतू अब मेरे कंधे को चूसने और चाटने भी लग गयी थी और वहां दूसरी तरफ सुरभि भी अपने भाई के हाथ के साथ साथ उसके पेट और कंधे को चूमने में लगी हुई थी...
कुल मिलकर वहां सेक्स का दंगल सा चल रहा था, सभी एक दुसरे से गुथम गुथा होकर मजे ले रहे थे और दे भी रहे थे..
मैंने अपना हाथ ऊपर किया और सुरभि के मोटे कंचे जैसे बड़े और कठोर निप्पल्स को अपनी उँगलियों से उमेठना शुरू कर दिया...वो चिल्लाने लग गयी मेरी इस हरकत से..
"अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह आशु.......भाई........अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ...... म्मम्मम्मम .....नन्न्न्नान्न अ ........ ओफ्फ्फ्फ़.......मर्र्र गयी...... अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओह या....... येस्स्स्स....... ऐसे.ही....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह म्मम्मम्म....चाटो मेरी गांड.....दबाओ मेरे निप्पल्स......अह्ह्ह्ह...दबाओ इन्हें....और बड़ी कर दो मेरी छाती को भी.....अह्ह्ह्हह्ह......."
मैं समझ गया की वो अपनी सपाट छाती को लेकर काफी दुखी रहती होगी...हर लड़की का अरमान होता है की उसकी ब्रेस्ट बड़ी हो, जिसे वो दुनिया को दिखा सके, उसकी सुन्दरता में चार चाँद लगा सके, जिन्हें दबा कर और दबवा कर वो मजे ले सके, सभी लडको और अंकल लोगो की नजरें हमेशा से मोटे चुचे वाली लड़कियों को ढूंढती हैं...वो भी शायद यही चाहती थी की उसके भी चुचे मोटे हो और वो भी उनका इस्तेमाल करके पुरे मजे ले सके और दे भी सके..
मैंने पास में पड़ा हुआ साबुन उठाया और अपने हाथों में मलकर झाग बना ली, और सुरभि को उठा कर बिठा दिया और खुद उसके पीछे जाकर बैठ गया, मैंने अपनी टाँगे आगे करके अपना लंड सटा दिया उसकी गांड से और मेरी टाँगे उसकी टांगो के साथ आगे की तरफ फ़ैल गयी..
Reply
12-13-2020, 02:57 PM,
#97
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मैंने पास में पड़ा हुआ साबुन उठाया और अपने हाथों में मलकर झाग बना ली, और सुरभि को उठा कर बिठा दिया और खुद उसके पीछे जाकर बैठ गया, मैंने अपनी टाँगे आगे करके अपना लंड सटा दिया उसकी गांड से और मेरी टाँगे उसकी टांगो के साथ आगे की तरफ फ़ैल गयी..
वो कुछ समझ नहीं पा रही थी की मैं क्या करना चाह रहा हूँ...फिर मैंने अपने हाथ आगे किये और साबुन वाले हाथों से उसकी प्लेन ब्रेस्ट को मसाज देना शुरू कर दिया...
म्मम्मम्मम्म स्सस्सस्स अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह कहती हुई उसने अपना सर पीछे किया और उसे मेरे कंधे पर टिका दिया,
मैंने अपने झाग वाले हाथों से उसके निप्पल्स को पकड़ा उसके चारों तरफ वाले हलके गुदाज हिस्से को सहलाया और हलके से दबाना शुरू कर दिया, और अपना हाथ घुमा घुमा कर मैंने उन्हें मालिश देनी शुरू कर दी...
और उसके कानो में कहा..."ऐसे ही रोज किसी न किसी से मालिश करवाया करो...जल्दी ही निकल आयेंगे...इनमे से रसीले आम ......." और मैंने उसके कानो को अपने मुंह में लेकर ऐसे चूसा जैसे वो उसके होंठ हो....
उसकी तो हालत खराब हो गयी मेरा ऐसे करते ही..
मेरी देखा देखी ऋतू ने भी अयान से कहा की वो उसकी ब्रेस्ट की भी ऐसे ही मालिश करे...और वो भी बिलकुल सुरभि के सामने आकर बैठ गयी, जगह छोटी थी, इसलिए उसने अपनी टाँगे सुरभि और मेरी जाँघों के ऊपर चड़ा दी और अयान को अपने पीछे आने को कहा.. अब उसके मोटे झूलते हुए चुचे सुरभि की छाती से टकरा रहे थे, और मेरे हाथों के पीछे वाले हिस्से से भी. मैंने उसकी मालिश करना जारी रखा..ऋतू थोडा और आगे खिसकी और अब उसकी चूत बलकुल सुरभि की चूत के साथ लगाकर उसकी घिसाई कर रही थी, ऋतू ने जैसे ही सुरभि की चूत से उठती आग को महसूस किया उसने आगे बढकर उसके होंठों को चूम लिया..
सुरभि के लिए ये पहला अवसर था जब किसी लड़की ने उसे चूमा था...पर ऋतू के कोमल और ठन्डे होंठों का स्पर्श उसे काफी अच्छा लगा और उसने भी उसका साथ देते हुए उसे चूमना और चुसना शुरू कर दिया...
पीछे से अयान ने ऋतू के मोटे लहराते हुए चुचों को अपने झाग वाले हाथों से पकड़ा और उन्हें मसलना शुरू कर दिया...
बीच-२ में मैं भी अपने हाथ आगे करके ऋतू के मुम्मों को थाम लेता और अयान अपनी बहन सुरभि के मोटे निप्पल्स को... वो जानता था की वापिस जाकर अब उसे ही अपनी बहन की मालिश करनी पड़ेगी...और अब ये उसका दायित्व था की वो अपनी बहन के चुचे उगाये रोज मालिश करके.. इसीलिए थोड़ी सी प्रेक्टिस वो यहीं पर कर रहा था...उन दोनो का शरीर साबुन के झाग की वजह से काफी फिसलन भरा हो चूका था...
नीचे फर्श पर भी काफी झाग इकठ्ठा हो चुकी थी...मैं सोच रहा था की काश हमारे बाथरूम में बाथटब होता तो उसमे ये सब करने में कितना मजा आता...पर कोई बात नहीं ये मजा भी निराला है...
ऋतू ने अपनी चूत को सुरभि की चूत से घिसना भी शुरू कर दिया था...और उनके होंठ तो पहले से ही एक दुसरे की थूक को निगलने में लगे हुए थे...
मैंने सोचा अब ये सही मौका है...और मैंने थोडा जोर लगाकर सुरभि को ऊपर उठाया और अपना तना हुआ लंड उसकी गांड के नीचे लगा दिया... सुरभि समझ गयी की अब समय आ गया है... जब उसकी गांड का उदघाटन होगा...
मैंने काफी झाग लगा कर उसकी गांड और अपने लंड को चिकना बना लिया और उसकी गांड के छेद पर लंड को टीकाकर मैंने अपने हाथ उसके कंधे पर रखे और उसे नीचे की तरफ धकेल दिया...
उसकी गांड को चाटने की वजह से और झाग लगाने की वजह से जो चिकनाई आई थी वो काफी काम आई...और मेरा लंड किसी रोकेट की तरह उसकी गांड में ऊपर की तरफ घुसता हुआ उसकी गांड के उपग्रह की जमीन से जा टकराया....
वो चिल्ला पड़ी.... "अह्ह्ह्हह्ह अयीईईईईईइ ओफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ मार डाला...... अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ....... ओह गोड.....मेरी गांड फट गयी..........अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ....." वो काफी तेज चीख रही थी...
ऋतू ने आगे होकर उसके मुंह को अपने मुंह में जकड़ा और उसे चूसने लगी...और उसकी छाती को भी मसलने लगी. और साथ ही साथ उसने भी अपनी गांड उठाई और अयान को आगे आने का इशारा किया..
वो थोडा आगे खिसका और उसने भी अपना खड़ा हुआ लम्बाआआ लंड उसकी गांड के छेद पर टिकाया और बाकी काम ऋतू ने किया... उसके लंड नुमा कुर्सी पर बैठ गयी वो धम्म से...और छम्म से वो लौड़ा उसकी गांड की सुरंग के अन्दर घुसता चला गया...
"म्मम्मम्मम्म अह्ह्ह्हह्ह अयान......सच में....तुम्हारे लंड की जितनी तारीफ़ करूँ कम है.....अह्ह्ह्हह्ह......मजा आ गया........." मजे तो अयान के भी आ गए थे...उसकी मोटी गांड के अन्दर अपना लंड घुसाकर..
और फिर मैंने और अयान ने उन दोनों की कमर को पकड़ा और उन्हें अपने अपने लंड के ऊपर नीचे करना शुरू किया...काफी मेहनत वाला काम था...पर मजा भी काफी आ रहा था...
मेरा लंड तो जैसे किसी आग की भट्टी में झुलस सा रहा था...उसकी गांड में से काफी गर्मी निकल रही थी...पर मजा भी आ रहा था... वो दोनों अपने चूतें भी रगड़ रही थी एक दुसरे के साथ और मेरे और अयान के हाथ बारी-२ से उनकी मालिश भी कर रहे थे साबुन वाले हाथों से....
पुरे बाथरूम में उनकी आंहें गूंज रही थी...
वो सुरभि तो काफी तेज चीख रही थी.. "अह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम्मम अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह आशु भाई....अब मजा आ रहा है.....मुझे नहीं मालुम था...गांड मरवाने में इतना मजा है.....अह्ह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ फ़ूओफ़्फ़्फ़ फ फुक्क में हार्डड..........अह्ह्ह्हह्ह और तेज.....हां ऐसे ही.....ओह येस्स्स्स.....ओह येस्स्स्स......म्मम्मम्म..."
ऋतू भी बडबडा रही थी......
"अह्ह्ह्हह्ह अयान्न्न्न फाड़ डालो मेरी गाडं अपने लम्बे लंड से......अह्ह्ह्हह्ह हन्न्न्न ऐसे ही.....तेज मारो......घुसा दो......और अन्दर.......तेज....और तेज......अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम्मम....."
पीछे से गांड की घिसाई और आगे से चूत की...दोनों की हालत देखने लायक थी....और साथ ही साथ मेरी और अयान की भी.... जल्दी ही ऋतू और सुरभि की चूतों ने गले मिलते हुए एक दुसरे पर थूकना शुरू कर दिया....और उन दोनों की चूत से गर्म पानी की बोछारें निकलकर एक दुसरे को भिगोने लगी...
मैंने और अयान ने भी अपने-२ लंड का गुबार उन दोनों की गांड में उतार दिया...और अपने सफ़ेद और गाड़े वीर्य से उनकी गांड के छेद को भर दिया...
अच्छी तरह नहाने के बाद हम सभी तैयार होकर अच्छे बच्चों की तरह नीचे आकर बैठ गए.
दीपा आंटी सोफे पर बैठी टीवी देख रही थी....और शायद मन ही मन अगली चुदाई की योजना भी बना रही थी.
मम्मी किचन में सभी के लिए खाना बना रही थी, ऋतू भी उनकी मदद के लिए वहां चली गयी, हरीश अंकल वहां खड़े हुए उनसे बात कर रहे थे, मम्मी ने साडी पहनी हुई थी और उनका काटन का ब्लाउस पसीने में बिलकुल भीग चूका था और अन्दर से उनकी ब्रा बिलकुल साफ़ देखी जा सकती थी..
अंकल की भूखी निगाहें उन्हें चोदने में लगी हुई थी..मम्मी को भी मालुम था की अंकल की नजरें उनके पसीने से भीगे जिस्म को भेद रही है...इसका पूरा मजा लेते हुए वो उनसे बात करने में लगी हुई थी..

जैसे ही ऋतू किचन में आई, अंकल का चेहरा खिल उठा, उसके चुचों का स्पर्श अभी भी उनके मुंह में था, मम्मी का चेहरा दूसरी तरफ था, इसका फायदा उठाकर अंकल ने ऋतू की गांड पर हाथ रखकर उसे दबा दिया,
बदले में ऋतू उनकी तरफ घूमी और पेंट में से उनका लंड पकड़कर उसे मसल दिया..वो चिल्ला पड़े..अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह मम्मी (घूमकर उनकी तरफ आई और बोली) "क्या हुआ...?"
अंकल : "कुछ नहीं...ये ऋतू का पैर मेरे पैर के ऊपर आ गया..." और वो ऋतू को घूरकर देखने लगे जैसे कह रहे हो..ये क्या बदतमीजी है..
ऋतू ने बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी दबाई और बोली "सॉरी अंकल...मेरा ध्यान कहीं और था..."
मम्मी फिर से अपना काम करने लगी, ऋतू अंकल के पास आई और झटके से उनके होंठों को चूम लिया और बिना आवाज के, कान पकड़ कर "सॉरी.." बोली.
अंकल उसके सॉरी बोलने के ढंग से खुश हो गए.
अंकल :"दीदी...आपने हमें रोक तो लिया है तीन दिनों के लिए...पर कुछ प्लान भी है या नहीं...हम करेंगे क्या..."
मम्मी : "करना क्या है...मौज मस्ती करेंगे....और क्या." और ये कहते हुए उन्होंने अपनी साडी के पल्लू से अपना पसीना साफ़ किया.
अंकल का पूरा ध्यान उनके लगभग भीगे हुए शरीर पर था..वो बोले "कल से कुछ ज्यादा ही गर्मी हो रही है...अब तो सर्दियाँ गयी ही समझो..आप को तो साडी पहन कर काम करने में काफी तकलीफ होती होगी."
मम्मी : "हाँ होती तो है...पर मैं अक्सर सिर्फ गाउन पहन कर ही काम करती हूँ, अन्दर भी कुछ नहीं पहनती..." और ये कहते हुए वो अपने जीजू को देखकर मुस्कुराने लगी..
अंकल : "अच्छा...तो आप आज इतना तक्कलुफ़ क्यों कर रहे हो...जाओ और चेंज करके अपना गाउन पहन लो..देखो कितना पसीना निकल रहा है.."
मम्मी कुछ न बोली और रोटियां बेलने में लगी रही और मंद मंद मुस्कुराती रही..
ऋतू : "चलो अंकल मैं आपको अपना कमरा दिखाती हूँ...पहली तारीख को मुझे अपना प्रोजेक्ट सबमिट करना है, मैं आपको दिखाती हूँ की कैसा बना है..."
मम्मी : "ऋतू खाने का समय है...बाद में दिखा देना.."
Reply
12-13-2020, 02:57 PM,
#98
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
अंकल : "अरे...कोई बात नहीं...खाना अभी बना लो , सभी साथ में खायेंगे...तब तक मैं इसका प्रोजेक्ट देख लेता हूँ...चलो ऋतू..." और ये कहते हुए वो ऊपर की तरफ चल दिए.
मैं समझ गया की ऋतू की चूत में खुजली हो रही है और वो अंकल का लंड लेने जा रही है ऊपर..समझ तो मम्मी भी गयी थी, इसलिए वो मुझे देखकर होले से मुस्कुराने लगी..
मैं जल्दी से उनके पीछे चल दिया और अपने कमरे में जाकर छेद से दुसरे कमरे का प्रोग्राम देखने लगा.
अपने कमरे में जाते ही ऋतू ने दरवाजा बंद किया और उछल कर अंकल की गोद में चढ़ गयी...और फिर से सॉरी...कहते हुए उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए..
अंकल लगभग पांच मिनट तक उसे हवा में लिए खड़े रहे और उसके कोमल गुलाबी होंठों का रस पीते रहे. अंकल ने उसे किसी फुल की तरह से उठा रखा था..उसने अभी भी वही छोटी सी निक्कर पहनी हुई थी, जिसमे से उसकी मोटी जांघे फंसी हुई सी चमक कर उन्हें अपनी तरफ खींच रही थी,
उन्होंने अपना हाथ उसकी नंगी टांगो में फंसाया और उसे सहारा देते हुए चूमने लगे..
ऋतू : "मैंने ज्यादा तेज दबा दिया न..." और ये कहकर वो नीचे उतरी और उनकी पेंट की जिप खोल दी..और उनके छोटे सिपाही को बाहर निकला..और उसे भी चूम कर सॉरी बोला...जो किसी लड़ाई के मैदान में जाने के लिए बिलकुल तैयार था..
अब वो उसे चूसकर अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहती थी...उसने झट से अपनी निक्कर उतारी, टी शर्ट को सर से घुमा कर फेंका और अपनी ब्रा खोलकर नंगी हो गयी..
अंकल उसकी फुर्ती देखकर हैरान रह गए...उन्होंने उसकी चूत को देखा जो रस से नहाकर चमक रही थी...उसने शायद आज ही शेव करी थी अपनी चूत की ...
वो कुछ कहने वाले थे इससे पहले ही ऋतू ने उन्हें बेड की तरफ धक्का दिया और उन्हें पीठ के बल लिटा दिया..और उछल कर उनके ऊपर सवार हो गयी...
अंकल : "ऋतू...रुको...क्या तुमने पहले कभी किया है...? " उन्हें शायद उसके चीखने या चूत में से खून निकलने का डर था..
ऋतू : "अंकल....ये तो आप जल्दी ही जान जायेंगे..." और ये कहकर उसने उनके लंड को अपनी चूत पर टिकाया ...
अंकल की साँसे वहीँ अटक कर रह गयी...
"ओह...अंकल....मैंने आपको पहले कभी बताया है या नहीं....पर आप मुझे हमेशा से ही अच्छे लगते थे....और मैं हमेशा आपको इस तरह से प्यार करना चाहती थी.." ऋतू की आँखों में वासना के लाल डोरे तेर रहे थे.
अंकल ने उसकी बाते सुनी और उन्हें ऋतू पर बड़ा प्यार आ गया...वो कुछ बोलने ही वाले थे की ऋतू ने अपनी चूत को उनके लंड पर ढीला छोड़ दिया...और वो उनके लंड के टॉप फ्लोर से फिसलती हुई ग्राउंड फ्लोर तक आ गयी एक ही सेकंड में.... "ओफ्फ्फफ्फ्फ़ फुक्क......म्मम्मम.....स्स्सस्स्स्सस्स्स "
उनका लंड बिना किसी बाधा के उसकी चूत के अन्दर तक चला गया था.. अंकल समझ गए की लड़की खायी पीई हुई है...अब उन्हें भी कोई डर नहीं था.. उन्होंने उसके लटकते हुए मुम्मे अपनी हथेली में समेटे और उन्हें मसलने लगे...
आज तक उन्होंने इतने सुन्दर मुम्मे नहीं देखे थे...बिलकुल सही आकार में और दूध जैसे सफ़ेद, भरे हुए, मोटे दाने, जिन्हें मसलने से लड़की के पुरे शरीर में तरंगे उठने लगे...
उन्होंने अपने लंड से उसी चूत में नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिए और अपना मुंह ऊपर करके ऋतू के निप्पल्स को एक एक करके चूसने और काटने लगे... नीचे चूत पर लंड का प्रहार और ऊपर निप्पल्स पर अंकल के दांतों का हमला ऋतू के लिए असहनीय हो गया और वो जोरों से चीख मारकर अपनी मोटी गांड को अंकल के लंड के ऊपर पटकने लगी...
"अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह अंकल......ये क्या........कर्र्रर्र्र रहे हूऊऊऊऊ......अह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ओह गोड.....फुक्क में...अंकल.......फुक्क में हार्डरssssssssssssss....अह्ह्ह्हह्ह ओहssssssssssssssss येस....हंन्न्न्न.....अह......अ......अंकल........तेज चोदो ना.....अपनी ऋतू को........अपना लंड डाल दो.....मेरी चूत में....अह्ह्हह्ह हांन्न......ऐसे ही....ओफ्फ्फ्फ़....मैं तो गयी......अह्ह्ह......."
और ये कहते हुए उसने अंकल के छोटे से सिपाही को अपनी चूत के रस से नहलाना शुरू कर दिया....और गहरी साँसे लेती हुई उनकी छाती के ऊपर गिर पड़ी..अपने मुम्मो के बल.
ऋतू की चूत के मसल्स अंकल के लंड के चारों तरफ अपनी पकड़ बना रहे थे...और ढीले पड़ रहे थे..
अंकल ने थोड़ी देर तक उसकी कमर को सहलाया और जब वो शांत हो गयी तो उसने मुस्कुराते हुए अंकल को चूमा और नीचे उतर कर घोड़ी बन कर लेट गयी... अंकल जल्दी से नीचे उतरे और रस से सना हुआ लंड पीछे से उसकी चूत में डाला...और धक्के मारने लगे...
उन्होंने पीछे से ऋतू की फैली हुई गांड की बनावट देखी जो उन्हें किसी बड़े दिल के आकार की लग रही थी...और उन्होंने उसे मसलना और कचोटना शुरू कर दिया....और साथ ही साथ उसकी चूत भी मारने लगे..
ऋतू एक बार में हमेशा दो या तीन बार तक ओर्गास्म कर लेती थी...और जब अंकल ने उसकी गांड से छेड़छाड़ करनी शुरू की तो उसके अन्दर एक और ओर्गास्म बनने लगा और उसने तकिये के अन्दर मुंह घुसाए सिसकना शुरू कर दिया... अह्ह्हह्ह अंकल.....मजा आ रहा है.....हान्न्न्नन्न ऐसे ही मसलो...मेरी गांड...को...अह्ह्ह्हह्ह आप बहुत अच्छे है ... अह्ह्ह्ह चोदो मुझे.....जोर से...और जोर ...से अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह
अंकल ने भी बुदबुदाना शुरू कर दिया....
"अह्ह्हह्ह्ह्ह ऋतू.....क्या चूत है......तेरी.....अह्ह्ह्ह मजा आ गया..........ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फ्फ़...."
अंकल आगे की तरफ धक्का मार रहे थे और ऋतू पीछे की तरफ, और उन दोनों के झटके बीच में आकर एक दुसरे से टकरा रहे थे और ऋतू की चूत के अन्दर तरंगे पैदा कर रहे थे...
जल्दी ही अंकल भी अपने आखिरी पड़ाव पर पहुँच गए...और वो चिल्लाये....मेरा निकलने वाला है....आह्ह्हह्ह्ह्ह.....कहाँ निकालूं....... मेरे अन्दर ही.......अह्ह्हह्ह्ह्ह मैं आपको महसूस करना चाहती हूँ......
अंकल ने ये सुना तो हैरान रह गए...उन्हें क्या मालुम था की वो पिछले एक महीने से गोलियां ले रही है...और साथ ही साथ अलग-२ तरह के लंड से अपनी चुत की सिंचाई भी करवा रही है......
पर अंकल के लिए अब और कण्ट्रोल करना मुश्किल हो गया और उन्होंने अपने लंड का झरना खोल दिया...और उनके लंड से सफ़ेद पानी ऋतू की झील में जाकर गिरने लगा....
"अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह म्मम्मम्मम्म......मजा आ गया......अह्ह्हह्ह्ह्ह......." ऋतू के चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे...
अंकल नीचे उतारे और ऋतू के साथ लेटकर हांफने लगे...ऋतू ने अपनी चूत से उनका रस इकठ्ठा किया और चाट गयी और यम्मी कहकर और रस निकला और चाटने लगी.... और फिर उनके लंड पर झुककर उसे चूसने लगी और उसे भी चमका डाला...
अंकल अपनी आँखे बंद किये अपनी किस्मत को सराहने में लगे हुए थे और मजे ले रहे थे..
अंकल और ऋतू चुदाई के बाद नंगे एक दुसरे को सहलाने लगे.
तभी नीचे से मम्मी की आवाज आई..."ऋतू ...ओ ऋतू...नीचे आ जा..खाना तैयार है..."
अंकल और ऋतू जल्दी से उठे और अपने कपडे पहन कर नीचे की तरफ चल दिए. मैंने भी अपने अकड़े हुए लंड को मसला और नीचे की और चल दिया.
Reply
12-13-2020, 02:57 PM,
#99
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
ऋतू की चुदाई देखकर मेरा भी चूत मारने का मन कर रहा था. अगर अंकल ना होते तो किसी को भी पकड़ लेता और चोद देता घर में...पर अभी के लिए ये मुमकिन नहीं था.
मम्मी ने ऋतू की हालत देखी और वो समझ गयी की उनकी बेटी चुद चुकी है उनके प्यारे जीजू से. ये देखकर अब उनकी बुर में भी खुजली होने लगी थी. सभी ने टेबल पर बैठ कर खाना खाया और सुस्ताने लगे.
मैंने देखा की मम्मी दीपा आंटी से कुछ खुसर फुसर कर रही है, वो शायद अंकल से चुदने की योजना बना रही थी.अभी दोपहर के चार बजे थे, पापा लगभग 6 बजे तक आते थे ऑफिस से, अभी उन्हें आने में टाइम था.
मम्मी किचन में बर्तन समेटने लगी. अंकल ने उन्हें कहा "दीदी...आप कितना काम करती हैं...आप घर में नौकरानी क्यों नहीं रख लेती.."
मम्मी : "हाँ...मैं भी यही सोच रही थी..पर आजकल ढंग की नौकरानी मिलती कहाँ है."
दीपा : "अरे.दीदी..मेरी एक सहेली रहती है यहाँ दिल्ली में.....जो डोमेस्टिक हेल्पर्स प्रोवाईड करवाते हैं...मैं उससे बात करती हूँ.."
मम्मी : "हाँ...ठीक है..."
दीपा आंटी फ़ोन पर अपनी सहेली से बात करने लगी और अंकल ने मौका देखकर उनसे बात करना शुरू कर दिया
अंकल : "दीदी सच में...आप की तो जवानी ढलने सी लगी है किचन में...आप को तो किसी रानी जैसे रहना चाहिए अपने कमरे में..और बाकी लोग आपके इर्द गिर्द नौकरों जैसे ..." अंकल उनकी कुछ ज्यादा ही चापलूसी कर रहे थे.
ये सुनकर मम्मी मुस्कुराने लगी और बोली "क्या बात है छोटे जीजाजी...बड़ा माखन लगा रहे हो...क्या चाहते हो आखिर.." और उनकी आँखों में झांककर देखने लगी..
अंकल की नजर मम्मी से मिली और फिर फिसलकर नीचे उनके क्लीवेज पर जाकर रुक गयी...और फिर ऊपर नजर करके बोले..."जो चाहिए मिलेगा क्या...."
मम्मी उनकी बात सुनकर चोंक गयी, उन्होंने उम्मीद नहीं की थी की उनके भोले भाले छोटे जीजाजी ऐसे जवाब भी दे सकते हैं.. पर वो भी तो यही चाहती थी..उन्होंने अपनी छाती निकाल कर कहा "हाँ...आप हुक्म करो...क्या चाहिए...आखिर आप मेरे प्यारे से छोटे जीजा जो हो..." और ये कहकर वो हंसने लगी..
तभी दीपा आंटी ने आकर कहा "दीदी..मैंने बात कर ली है...कल वो कुछ लड़कियों को भेजेंगे...आप बात कर लेना अपने हिसाब से.."
थोड़ी देर बाते करने के बाद दीपा आंटी और हरीश अंकल गेस्ट रूम में चले गए, अंकल और आंटी को देखकर लगता था की आज कुछ करके रहेंगे वो.., अयान और सुरभि ऋतू के साथ ऊपर की तरफ चल दिए.
मैं बाहर निकल गया और गेस्ट रूम की खिड़की से अन्दर का नजारा देखने लगा.
आंटी : "बड़े मजे ले रहे हो आप इस बार दीदी से...क्या बात है...इरादे तो ठीक हैं न...."
अंकल ने आंटी को अपनी बाहों में भरकर कहा : "अरे मेरी जलेबी...मेरी रसमलाई...तुम दोनों बहने हो ही इतनी खुबसूरत की किसी का भी ईमान डोल जाए..." और उन्होंने दीपा आंटी को चूम लिया.
"आप तो रहने ही दो...मेरे पास आने का तो टाइम ही नहीं है आपके पास...और अभी भी पूर्णिमा दीदी के बारे में ही बात कर रहे हो.. अगर ज्यादा ही पसंद आ गयी है तो बुला लाती हूँ उन्हें अभी..." उन्होंने बाहर जाने का नाटक किया.
अंकल ने उनका हाथ पकड़ा और फिर से अपनी तरफ खींच लिया और उनके मोटे चुचे दबाकर बोले "बड़ा शौक आ रहा है तुम्हे अपनी बहन को अपने पति से चुदवाने का...हूँ..." और उन्होंने दीपा आंटी के होंठों को चूसना शुरू कर दिया..
आंटी की हालत खराब हो गयी...उन्होंने खड़े हुए ही मचलना शुरू कर दिया...और बोली "अरे...मेरे राजा...अभी तो तू मुझे चोद दे...और दीदी को चोदने का मन है तो उन्हें भी चोद लेना...."
मैं दीपा आंटी की बात सुनकर हैरान रह गया...पर तभी अंकल बोले... "और तू किससे चुदना चाहती है...ये भी तो बता...अपने जीजू से क्या...बोल साली...रंडी...अपने जीजा के ऊपर नजर है न तेरी... " और उन्होंने दीपा आंटी के सूट को सामने से पकड़ा और फाड़ दिया..
मैं समझ गया की वो दोनों एक दुसरे से गन्दी-२ बाते करके एक दुसरे को उत्तेजित कर रहे हैं...और अपनी फेन्तासी एक दुसरे को बता कर सेक्स की गेम को रोचक बना रहे हैं...
दीपा आंटी का सूट आगे से पूरा फट गया था...आंटी ने शायद सोचा नहीं था की अंकल इतने ज्यादा उत्तेजित हो जायेंगे बाते करते हुए की वो उनके कपडे फाड़ने शुरू कर देंगे... पर अब जो हो गया सो हो गया..उनके ब्रा में फंसे हुए चुचे बाहर निकलने को तेय्यार थे..
आंटी ने अंकल को बेड की तरफ धक्का दिया और उनके ऊपर चढ़ गयी...और उनके होंठों को किसी पागल की तरह से चूसने लगी...उनके मुंह से लम्बी-२ लार निकल रही थी..जो अंकल के मुंह और गले पर गिर रही थी...
वो बोली "हां....चुदना है मुझे भी अपने जीजू से....और चुदना है मुझे आशु से....और चुदना है मुझे अयान से...."
उन्होंने एक तरह से इकबालिया जुर्म कबूल लिया था...पर अंकल सोच रहे थे की आंटी सेक्स को बढ़ाने के लिए ऐसी बाते कर रही है या शायद अपने दिल की बात कह रही है...सो उन्होंने भी गन्दी बातों को आगे बढ़ाते हुए कहना शुरू किया...
"बड़ी आग लगी हुई है तेरी चूत में साली...हरामजादी..अपने जीजे के साथ -२ अपने भांजे और बेटे का लंड भी लेने को तैयार है..बड़ी भेन की लोडी है तू तो..."
आंटी : "आप भी तो कल से ऋतू के साथ कुछ ज्यादा ही मजे ले रहे हो..मुझे सब मालुम है..उसके मोटे चुचे चुसना चाहते हो आप....आपका बस चले तो आप सुरभि की चूत भी मार लो.... "
उनकी बात सुनकर जैसे अंकल के अन्दर का जानवर जाग उठा, अपनी बेटी को चोदने के ख़याल से ही उनके रोंगटे खड़े हो गए ..
अंकल ने झटके से उनकी ब्रा भी फाड़ दी और अपने पैने दांत गाड़ दिए उनके गोरे मुम्मों पर..वहां गहरा लाल निशान पड़ गया.
अंकल की इस वेह्शी हरकत को देखकर आंटी और जोर से तड़पने लगी और उनका मुंह पकड़कर अपने स्तन को उनके मुंह में ठूस दिया और चिल्लाई....
"अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह चुसे इन्हें...मेरे राजा...निचोड़ डालो...आज खा जाओ इन्हें..आआआज "
Reply
12-13-2020, 02:57 PM,
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
पति-पत्नी का इतना गहरा प्यार मैंने आज तक नहीं देखा था. जो एक दुसरे से चुदाई के समय इस तरह की बात कर रहे थे, शायद इससे उनके अन्दर सेक्स करने के लिए उत्तेजना की भावना कुछ ज्यादा ही आ जाती थी..जिससे दोनों को ही मजा मिलने वाला था..
आंटी ने अपने फटे हुए कपडे उतार डाले और ऊपर से नंगी हो गयी...उन्होंने अंकल की पेंट और शर्ट को उतारा और उन्हें बेड पर लिटा दिया..
उन्होंने अपनी फटी हुई ब्रा उठाई और उसके स्ट्रेप से अंकल के हाथ बाँधने लगी बेड की रोड के साथ सर के ऊपर की तरफ...अंकल के साथ-२ मैं भी नहीं समझ पाया की आंटी ऐसा क्यों कर रही है..फिर सोचा शायद इसी तरह के खेल खेलने में इन्हें ज्यादा मजा आता होगा.. और फिर उन्होंने अंकल के पैर भी बाँध दिए..अंकल भी अपने हाथ पैर बंधवाकर मजे ले रहे थे..
आज तक शायद आंटी ने उन्हें इस तरह से मजे नहीं दिए थे, कुछ नया करने से सेक्स करने का मजा दोगुना हो जाता है..शायद यही वो भी कर रहे थे उस समय.
अंकल अब बेड पर नंगे बंधे लेटे थे और भूखी निगाहों से आंटी की तरफ देख रहे थे..आंटी ने अपनी सलवार उतारी..अन्दर उन्होंने चड्डी नहीं पहनी थी..और आज उनकी चूत देखकर लग रहा था की जैसे वहां किसी ने तेल से मालिश की हो, इतनी चमक रही थी, अपने ही रस में नहाकर वो.
आंटी उछल कर बेड पर चढ़ गयी..उन्होंने अंकल के पैरों को चूमना शुरू किया और धीरे-२ ऊपर आते हुए उनके लंड तक आई...पर उसे चूमा या चूसा नहीं..और फिर उनके पेट, छाती, निप्पलस और गर्दन को चूसते और चुमते हुए उनके होंठों के ऊपर अपनी जीभ फेरने लगी...
अंकल : "साली..कुतिया...क्यों तडपा रही है... तेरी चूत से भी पानी निकल रहा है...भेन की लोडी...बैठ जा मेरे लंड पर....जल्दी कर..."
"अभी नहीं मेरे राजा....जल्दी किस बात की है...पहले मेरी चूत के पानी को तो चखो..." और ये कहकर वो खड़ी हो गयी..और उनके सर के दोनों तरफ पैर रखकर धीरे-२ नीचे आने लगी...
उनकी फैली हुई गांड पीछे से देखकर मेरा मन कर रहा था की अभी जाऊं और साली आंटी की गांड में लंड ठूस दू.. आंटी की चूत से इतना रस निकल रहा था की जब तक आंटी की चूत अंकल के मुंह से टकराई, अंकल के मुंह में करीब तीन-चार बूंदे पहले ही गिर चुकी थी...उनके गाड़े रस की. और जैसे ही अंकल की लालायित सी जीभ ने आंटी की चूत को छुआ...आंटी की चीख ही निकल गयी...
"अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओह मेरे राजा........अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह.......मजा आ गया......ओफ्फ्फ्फ़......" और उन्होंने अपनी चूत के किवाड़ अपने हाथों से खोले और अंकल की जीभ को अन्दर का रसीला रास्ता दिखाया ..अंकल बड़े मजे से उनकी चूत को सुखाने में लग गए.
पर ये औरत की चूत भी बड़ी अजीब सी चीज है...जितना चुसो उतना ही रस निकालती है...इतना पानी आता कहाँ से है औरतों की चूत में. खेर...उनकी चुदाई देखकर मेरा लंड फटने को तैयार हो गया...
आंटी ने अपनी चूत को बड़ी ही बेदर्दी से अंकल के मुंह पर खुरचना शुरू कर दिया..उन्होंने बेड की रेलिंग पकड़ी हुई थी और अपनी चूत की रेलगाड़ी, अंकल की जीभ वाली पटरी पर दौड़ा रही थी...और उनके मुंह से आँहों का धुआं निकल रहा था..
"ओह्ह्ह्हह ...फक्क......मेरे राजा.....तुमसे अच्छा कोई भी इस दुनिया में चूत नहीं चाटता.....अह्ह्ह्ह और चुसो....सारा रस पी जाओ....और अन्दर डालो....अपनी जीभ ...हाँ यहाँ....काटो इसे...हां हाआआन हाआआअ...ओफ्फ्फ्फ़ फुचक्क्क्क अह्ह्हह्ह्ह्ह....." और ये कहते हुए उन्होंने अपने पेट के अन्दर का सारा रस निकाल कर अंकल के मुंह को धो दिया.. और नीचे लेटकर हांफने लगी.
अंकल का लंड अभी तक खड़ा हुआ था.
आंटी ने अपना फटा हुआ सूट उठाया और उसकी पट्टी बनाकर अंकल की आँखों पर बाँध दी...
"साली...ये क्या कर रही है....जल्दी से मेरे लंड पर बैठ जा....मुझे तेरी चूत मारते हुए तुझे देखना है...खोलो इस पट्टी को..." पर आंटी ने कुछ जवाब नहीं दिया और बेड से उतर गयी...और जल्दी से दरवाजे के पास पहुँच कर उसे खोल दिया.. मैं हैरान रह गया....बाहर मम्मी खड़ी थी..
आंटी ने उन्हें आराम से अन्दर खींचा और दरवाजा बंद कर दिया...वो जल्दी से अन्दर आई और उन्होंने अपने कपडे एक झटके में उतार फेंके. मैं हैरान था की ये हो क्या रहा है..पर फिर समझा की शायद इसी बात की योजना बना रही थी ये दोनों बहने खाने के बाद...
अंकल : "साली...हरामजादी....कहाँ है तू.....जल्दी से आ और बैठ जा मेरे लंड पर....जल्दी कर..."
वो बेड पर लेटे हुए , बंधे हुए, तड़प रहे थे, आंटी को चोदने के लिए...पर उन्हें क्या मालुम था की उनकी किस्मत में आज उनकी बड़ी साली की चूत भी लिखी है...
वो दोनों नंगी बहने पलंग के पास आई और ऊपर चढ़ गयी...मम्मी ने जैसे ही अंकल के खड़े हुए लंड को देखा तो उनके मुंह में पानी आ गया वो झुकी और उन्होंने अंकल के लंड को अपने मुंह में ले लिया...
अंकल के मुंह से ठंडी सिसकारी निकल गयी...."स्स्सस्स्स्सस्स्स अह्ह्हह्ह्ह्ह ....साली.....कुतिया.....और जोर से चूस इसे....
ऐसे चूस जैसे अपने जीजे का लंड चूस रही हो....मैं भी अपने लंड पर तेरी दीदी के होंठों को महसूस करना चाहता हूँ.....चूस मेरे लंड को...भेन चोद...तुम साली दोनों बहनों को एक साथ नंगा करके....चोदुंगा किसी दिन....चीखे मारोगी...देखना.." उनकी जुबान पर ********** बैठी थी शायद...सच निकल रहा था, पर ऐसा सच जो उन्हें अभी मालुम नहीं था.
आंटी आगे आई और उन्होंने अंकल की आँखों की पट्टी खोल दी..
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,558,701 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 550,915 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,257,545 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 950,624 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,687,053 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,109,018 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,999,234 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,216,670 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,090,148 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 290,522 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 5 Guest(s)