02-27-2021, 01:13 PM,
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RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 104
दीदी के आने से पूरे कमरे में परफ्यूम की भीनी भीनी खुश्बू फ़ैल गयी थी. दीदी मेरे सामने खड़ी थी. चटक लाल रंग का रीबॉक का लोअर जिसमें से उनकी पैंटी की इलास्टिक दिख रही थी. ऊपर आसमानी रंग का टीशर्ट. भीगे बाल, हल्के गुलाबी होंठ, मादक आँखें!
“मैं खाना लगा रही हूँ.” कह कर मुस्कुराते हुए कोमल दीदी किचन में चली गयी.
दीदी ने खाना लगाया, दीदी को गोद मे बिठाकर हम दोनों ने खाया, खाना खाते खाते मैं दीदी के सेक्सी बदन को, उनकी चूचियों को ही मसले जा रहा था, दीदी भी मेरी इस हरकत को एन्जॉय कर रही थी.
तभी दीदी का फोन बज उठा, दीदी ने फोन उठा कर देखा और उनकी त्यौरियाँ चढ़ा गई, वो फोन लेकर अंदर चली गई, अब किसी से फ़ोन पर बात कर रही थी, गुस्से में फ़ोन बिस्तर पर पटक कर दीदी बाहर आई और बोली- मेरी सास ने बुलाया है… यहीं शहर में… बोली हैं कि सफ़ेद साड़ी पहन कर आओ.उनके किसी दोस्त के यहा मौत हुई है.
कुछ देर बाद कोमल दीदी दीदी बगल वाले रूम में तैयार होने चली गयी. गुस्से में दीदी कुछ बड़बड़ाती जा रही थी और इसी वजह से कमरे की कुण्डी भी नहीं लगाईं थी. मैं बस अब कोमल दीदी के जवान बदन को बिल्कुल नंगा देखना चाहता था.
मैंने झटके से दरवाज़ा खोल दिया.
मेरे होश उड़ गए…. कोमल दीदी बेड पर अपनी जाँघें फैलाए पड़ी थी, उसने टॉप पहना हुआ था मगर लोअर उतारा हुआ था, पेन्टी नीचे सरकी हुई थी और अपनी चूत में एक उंगली अंदर बाहर कर रही थी.
मुझे देखते ही दीदी बोली- ये क्या रेशु कितना तड़पाते हो? कबसे राह देख रही हु?
अपनी पैंटी ऊपर करते हुए बोली कोमल दीदी .
“सॉरी… वेरी सॉरी…” मैं सकपका गया- दीदी, मैं तो ये कहने आया था कि अगर आपने जाना है तो मैं भी चला जाता हूँ.
कोमल दीदी थोड़ा मुस्कुरा कर बोली- मैं नहीं जा रही कहीं…
कोमल दीदी को मुस्कुराती देख मेरी जान में जान आई मैं कुछ बोल पाता कि वो फिर बोल पड़ी- देखो… अब तरसाओ मत, मुझे आज तुम्हारी जरूरत है… कितने समय से तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ. आज तुम यहाँ हो तो… मैं कही नही जाऊंगी अब चाहे तेरे जीजू का फोन भी आये समझे.
मैंने हाँ में सिर हिलाया.
दीदी ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी बड़ी गांड को मटकाते हुए मुझे बगल वाले कमरे में ले चली. बिस्तर पर नर्म गद्दा था, बिस्तर पे ए सी का रिमोट पड़ा था, दीदी ने रिमोट से ए सी चालू किया और मुझे बिस्तर के ऊपर धक्का दिया. मैं गिरा और पूरी नंगी दीदी मेरे ऊपर आकर चढ़ गई और मेरे होंठों को चूमने लगी.
कुछ देर बाद हम दोनों 69 पोजीशन में आ गए, मैंने पहले दीदी की चूत पर पैंटी के ऊपर से ही किस किया, उसमें से हल्की सी खुशबू आ रही थी जो मुझे उत्तेजित करने के लिए काफी थी.
मैंने अपनी उँगलियों से पेन्टी एक तरफ सरका के अपनी जीभ जैसे ही चूत पर लगाई, कोमल दीदी कराह उठी. उसने मेरी पैन्ट खोल कर मेरा लंड बाहर निकाल लिया और उसे मुख में लेकर कुल्फी की तरह होंठों से चूसने लगी.
इधर मैंने दीदी की चूत में जीभ से चाटा और उधर कोमल दीदी ने मेरा आधा लंड अपने मुख में भर लिया. मैंने दीदी की पैंटी पूरी उतार दी और अपनी एक उंगली कोमल दीदी की गांड के छेद पर रख दी और उसे दबाते हुए चूत को चाटने लगा.
कोमल दीदी ने मेरे आधे लंड को हाथ से पकड़ा हुआ था और बाक़ी का आधा लंड अपने मुंह में लेकर जोर जोर से चूस रही थी.
आनन्द के मारे मेरे तो होश उड़ चुके थे, कोमल दीदी मेरे लंड के चूस रही थी और मैंने दीदी की गोरी चूत को चाट कर लाल कर दिया था. मैंने कोमल दीदी दीदी की गांड में उंगली कर कर के उसे ज्यादा उत्तेजित कर दिया था, अब हम दोनों भाई बहन सेक्स के लिए एकदम तैयार थे.
कोमल दीदी ने मेरे लंड को मुख से निकाला और बोली- चल रेशु, अब दे दे अपनी दीदी को असली चुदाई के स्वर्ग का आनन्द!
मैं उठा अपने पूरे कपडे उतारे, इतनी देर में दीदी ने अपने सारे कपडे उतार दिए थे, दीदी ने बिस्तर पर लेट कर अपनी दोनों टाँगें खोली और चूत का फाटक मेरे सामने खोल के रख दिया.
कोमल दीदी की चूत काफी दिनों के बाद मेरी नज़रों के सामने थी जिसको मैं अभी कुछ पला पहले चाट चाट कर गर्म कर चुका था, मेरे चाटने से पूरी चूत लाल हुई पड़ी थी.
कोमल दीदी ने अपने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर सेट किया.
मैं नीचे झुका और कोमल दीदी के होंठों पर अपने होंठ लगा दिये, कोमल दीदी के होंठ चूसते हुए मैंने अपने कूल्हों से एक झटका दिया तो मेरा लंड बड़ी मुश्किल से दीदी की चूत के अन्दर आधा घुस गया.
कोमल दीदी के मुह से चीख निकल गई थी, चूत में लंड घुसते ही वो मुझे और भी सेक्सी तरीके से चूमने लगी. हम दोनों की जीभ एक दूसरे से लड़ने लगी थी.
तभी मैंने एक और झटका मारा और इस दूसरे झटके में मेरा लंड पूरा मेरी दीदी कोमल दीदी की चूत में था.दिदी की चुत बहुत कसी हुई थी जीजू ज्यादातर बाहर ही रहते थे इसलिए ज्यादा चोद नही पाते थे इसलिये चुत अब भी बहुत टाइट थी
मैंने एक मिनट तक लंड को चूत के अंदर ऐसे ही रहने दिया, और दिदी के स्तन मुह में लेकर चूसने चाटने लगा जोरसे दबाने लगा आह क्या मम्मे थे दिदी के बहुत ठोस जैसे किसीने हाथ भी ना लगाया हो ऐसा करने से मुझे बड़ा मजा आ रहा था, नीचे दीदी की गर्म चूत मेरे लंड को दबा रही थी.
अब मैं धीरे धीरे लंड को दीदी की चूत में अन्दर बाहर करने लगा. कोमल दीदी की गीली चूत में लंड हिलाना बड़ा मजेदार था.
कोमल दीदी सिसकारियाँ भर रही थी, कराह रही थी- चोद रेशु… जोर जोर से मेरी प्यासी चूत को चोद! उम्म्ह… अहह… हय… याह… जोर जोर से! बहुत मजा आ रहा है.
“ये लो… ये लो… पूरा मजा लो दीदी, ये ले लो अपने भाई का लंड अन्दर तक!” मैं भी कस कस के अपना लंड दीदी की चूत में ठोक रहा था.भाई बहन की जांघों के आपस में टकराने से कमरे में फच फच पट पट की आवाजें कोमल दीदी और मेरी चुदासी आवाजों से मिक्स हो रही थी.
“अह्ह्ह ऊऊऊह अह्ह्ह ह्ह…’ दीदी की चुदास, कामुकता बढ़ रही थी.
मैंने कोमल दीदी के मांसल कंधों को अपने दोनों हाथों से जकड़ लिया और दीदी को जोर से चोदने लगा. कोमल दीदी की साँसें उखड़ चुकी थी. और दीदी ने तभी मेरे लंड पर चूत के होंठों का दबाव बना दिया.
दीदी झड़ने को थी, एक लम्बी सांस के साथ मैंने भी अपना पानी दीदी की झड़ रही चूत में निकाल दिया. कोमल दीदी की चूत ने मेरे लंड पर जकड़ बनाये रखी और वो भी मेरे साथ झड़ गई!
मेरे वीर्य की एक एक बूंद की दीदी की गर्म चूत में निकल गयी और तब दीदी ने मेरे लंड को अपनी चूत की गिरफ्त से आजाद किया. मैंने लंड बाहर निकाला और दीदी के चेहरे को देखा, उनकी आँखों में संतुष्टि के भाव थे और मैं तो खुश था ही अपनी दीदी को चोद कर!
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02-27-2021, 01:16 PM,
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RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 105
कुछ देर ऐसे ही बिस्तर पर लेटे रहने के बाद कोमल दीदी बोली- यार, बहुत दिन बाद असली चुदाई की आज… मजा आ गया… तुझे भी मजा आया ना?जबसे तूने चोदा है तेरे जीजू से चुदने में वह मजा नही आता अब जब भी वक्त मिलेगा मुझे जरूर चोदना मेरे भाई क्यों चोदेगा ना मुझे
मैंने हाँ में सर हिला कर दीदी की बात का जवाब दिया फिर हम बाथरूम से फ्रेश होकर आये और फिर मैंने दीदी को अपनी गोद में उठा कर बिस्तर पर लेटा दिया और जानवरों की तरह दीदी को चाटने चूमने लगा. दीदी के मम्मे अपने मुँह में लेकर काटने लगा तो दीदी ने बोला- आह धीरे करो... मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ.
पर मैं तो वासना की भूख में पागल सा हो गया था.. तो मैंने कुछ नहीं सुना और बस दीदी के मम्मों को काटता रहा.
फिर मैंने दीदी की चुत को चाटना शुरू किया, तो दीदी ने कहा- मेरे राजा.. .. आज जी भर के चाट लो मेरी चुत को.. मैं अब सिर्फ़ तेरी हूँ और मैं हमेशा के लिए तेरी ही रहना चाहती हूँ.. अहह.. ओह… आईईई.. ओह रेशु.. अब नहीं रहा जाता, जल्दी से डाल दे अपना लंड मेरी चुत में.. आहह..
मैं अभी भी दीदी की चुत चाट रहा था. मैंने फिर अपने लंड का सुपारा दीदी की चुत पर लगाया. दीदी की चुत पहले से ही गीली हो चुकी थी. मेरा सुपारा सट से अन्दर चला गया, लेकिन मेरा लंड था मोटा और दीदी की चुत का मुँह बंद था.
तो जब मैंने अपना पूरा लंड अन्दर घुसाने के लिए धक्का लगाया तो दीदी ज़ोर से चिल्लाईं- ओह रेशु मार दिया तूने तो.. अहह.. ओह मम्ममी..
मैंने फिर एक ज़ोर का झटका लगाकर पूरा लंड अन्दर घुसा दिया, तो दीदी ने मेरी पीठ पर अपने नाखून रगड़ दिए.
दीदी तड़फ कर बोलीं- आह रेशु निकाल ले अपना मूसल लंड.. नहीं तो मेरी चुत फट जाएगी..
पर मैं कहा मानने वाला था, मैं थोड़ा रुक गया और दीदी को किस करने लगा. उनके मम्मों को अपने हाथों में ले लिया और फिर एक निप्पल चूसने लगा.
थोड़ी देर बाद दीदी ने बोला- आह.. अब लगा धक्के..
तो मैं शुरू हो गया और दीदी को चोदने लगा.
दीदी ने कहा- आह.. मजा आ रहा है रेशु और तेज़ी से चोदो..
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.
अब दीदी ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रही थीं- ओह.. माय ब्रदर फक मी.. अहह.. कहाँ थे तुम इतने दिन से.. आह.. मुझे पूरी ज़िंदगी ऐसे ही चोदते रहना.. मेरे रेशु.. ओह माँहह आहह.. क्या लंड है तेरा..
मैं अपना लंड अन्दर बाहर करता हुआ दीदी के मम्मे दबा रहा था. फिर उन्होंने मुझे जकड़ लिया, मुझे लगा कि वो झड़ने वाली हैं.
इधर मैं तो लगातार दीदी को चोदने में लगा रहा. दीदी झड़ गई और कुछ देर बाद फिर चुदवाने लगीं. इस बीच मैंने दीदी की चुत से लंड निकाला ही नहीं था.. बस कुछ पल के लिए रुक कर दीदी की चुत के गर्म रस का मजा अपने लंड को दिलाता रहा.
करीब एक घंटे के बाद मैं बोला- दीदी अब मैं झड़ने वाला हूँ.
दीदी बोलीं- मेरे मुँह में झड़ जाओ.
मैंने झट से अपना लंड निकाल कर दीदी के मुँह में डाल दिया. दीदी मेरा सारा माल पी गईं.. और उन्होंने मेरा लंड चाट चाट के साफ कर दिया.
पर मेरा लंड अभी भी कड़क था. तो मैंने दीदी को पीछे मुड़ने के लिए कहा और उनकी गांड पर एक ज़ोर का थप्पड़ लगाया.
तो दीदी ने बोला- रेशु, मेरी गांड मारने के बारे में मत सोचना, मैं तुम्हें गांड नहीं मारने दूँगी, तेरे जीजा जी भी मेरी गांड मारना चाहते हैं, पर मैंने उनको भी मना कर दिया.
मैंने बोला- क्यों दिदी मैं पहले भी तुम्हारी गांड मार चुका हूं तो अब क्यों नही, आज गांड तो क्या तुम्हारे शरीर के हर एक छेद में अपना लंड पेलूँगा, मुझे तूम नहीं मना कर सकती मेरी कोमल डार्लिंग.
वो घबरा गईं..
तो मैंने बोला- शुरू शुरू में दर्द होगा, पर बाद में अच्छा लगेगा.
दीदी ने बोला- रेशु एक तो तेरा लंड ही इतना बड़ा है कि मेरी चुत में अभी दर्द हो रहा है और तू मेरी गांड में भी घुसाना चाहता है. मैं मर जाऊंगी.
मैंने बोला- अरे मेरी प्यारी दीदी , माय डार्लिंग.. कुछ नहीं होगा.
मेरे मनाने पर वो मान गईं. मैंने उनकी गांड के छेद पर बहुत सारा तेल लगाया साथ ही अपने लंड पर भी लगा लिया. फिर मैंने उन्हें कुतिया बनने को कहा, वो कुतिया बन गईं. मैंने फिर उनकी कमर पकड़ कर उनकी गांड के छेद पर अपना सुपारा रख कर एक ज़ोर का झटका मारा. मेरा सुपारा सटाक से अन्दर चला गया. दीदी दर्द के मार आगे को भागने की कोशिश करने लगीं, लेकिन मैंने दीदी को कमर से जकड़ रखा था और मेरी पकड़ मजबूत थी. फिर मैंने एकदम से मेरी पूरी ताक़त लगाई और ज़ोर का एक झटका दे मारा, मेरा लंड पूरा का पूरा दीदी की गांड के अन्दर हो गया. दीदी बहुत ही ज़ोर से चिल्लाईं- ओह.. भैनचोद.. कुत्ते.. निकाल अपना लंड, तेरी माँ की चुत.. भोसड़ी के निकाल जल्दी.. नहीं तो मेरी गांड फट जाएगी.
मैंने कहा- मेरी रंडी दिदी.. चल साली अब मज़े ले.. अपने सैंया बने भैया के लंड का..
मैं थोड़ी देर रुका, दीदी की आँखों में आंसू आ गए थे.
फिर कुछ देर बाद दीदी का दर्द कम हुआ तो मैंने झटके मारने शुरू किए. दीदी भी अब उछल उछल कर अपनी गांड मरवा रही थीं, उनकी भी मज़ा आ रहा था.
दीदी प्यार से बोलीं- ओह माय डियर ब्रदर फक मी हार्ड.. ऐसे ही पूरे दिन भर चोदते रहना.. ओह आहह रेशु.. फक मी..
करीब एक घंटे तक दीदी की गांड मारी इसके बाद मेरा माल निकल गया. दीदी ने सारा माल आपने मुँह में ले लिया. फिर हम दोनों बांहों में बाँहें डाल कर सो गए.
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03-02-2021, 02:39 PM,
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RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 107
मैं दोपहर जो मा की पेन्टी पर अपना वीर्य गिराकर गया था वह अब तक वो सुख गया था और मैंने जो इतना सारा वीर्य उडेला था वो अब हल्का भी हो गया था
फिर शाम के ८ बाजे और वो लोग वापस लौट, बड़ी देर लग गयी थी. दोनों थक गये थे, लेकिन जब घर में आये तो पता चला की दोनों शॉपिंग करके आई थी, औरत सच में औरत ही होती हे, बिमार को देखने जाये फिर भी शॉपिंग का मौका मिल जाये तो छोडेगी नही. लेकिन माँ आ के सोफ़े पे बैठी और उनके मुँह से आह निकली.मुझे लगा की शायद थक जाने की वजह से ऐसा हो रहा था पर फिर चाची ने एक गिलास पाणी और एक पेनकिलर की गोली माँ को दी और माँ ने खायी तो बाद में चाची ने माँ से कहा
“अब कैसा लग रहा हे शीतल.?
“ठीक हे, दीदी”.
“क्या हुआ माँ”.?
“कुछ नहीं रेशु, तेरी माँ को चोट लग गयी हे”..
“कैसे क्या हुआ...?
“अरे जिस हॉस्पिटल में गए थे, वहा एक चेअर शायद टूटी हुई रक्खी थी और ग़लती से तेरी माँ उस पे बैठ गयी, और जैसे ही बैठी तो वो वैसे के वैसे ही गिर गयी..
मैने माँ की और देख, माँ का हाथ अपने आप उनकी गांड पे था मैं समझ गया की माँ को कहाँ चोट लगी हे.
“माँ ज्यादा तो नहीं लगी, क्या.? मेरी आवाज़ में एक परेशानी सी थी.
“अरे तेरी चाची ने अब प्रैक्टिस छोड़ दी तो क्या हुआ, अभी भी सब जानती हे, अंदरूनी चोट हे, कल तक ठीक हो जाएगी, चिंता मत कर.शीतल तेरा बेटा सच में बड़ा परेशान हो जाता हे, मैंने एक बार घर साफ़ करने निकला था और में भी गिर गयी थी, वैसे चोट आई थी, जैसे तुझे आई हे, तो इतना परेशान हो गया था और कहने लगा की लाओ चाची में मसाज कर के देता हू, मैंने मन किया पर नहीं माना, और मसाज कर के ही शांत हुआ.. चाची ने पूरी राम कहानी सुना दी. माँ ने मेरी और देखा और स्माइल किया मैंने भी माँ की और देखा और शर्म आ गयी.
“अरे हा, शीतल एक बार तू भी मसाज करवा ले, इससे बड़ा अच्छा लगेगा, अच्छा हाथ है इसका और अभी अभी सीखा हे, इसीलिए अच्छा कर रहा हे.. मैं तो खुश हो गया और मेरी नज़र माँ की गांड पे ही अटक गयी.
“नही..दीदि, अभी ठीक हे, इतना शॉपिंग किया, और इतना चल के आये है, अब सब ठीक हे..
“सच मे...?
“हाँ दीदी..सच में. और माँ ने डिस्कशन का एन्ड किया और चाचाजी भी आ गये, फिर सब ने डिनर निपटाये और चाची ने माँ को कमरे में आराम करने को कहा, और में चाची की किचन में मदद करने लगा. जैसे ही में सब प्लेट्स डाइनिंग टेबल से ले के किचन में एंटर किया तो चाची नल के निचे सब बर्तन ढो रही थी, और मैंने सारी प्लेट्स रख दी और बाहर जाने लगा, तो चाची ने बिना मेरी और देखे, कहा
“देख, मैंने बड़ा ट्राय किया, पर तेरी माँ नहीं मान रही, अब तू कुछ कर सके,. तो कर..
मैने चाची की और देखा और उन्होंने भी बर्तन ढोते ढोते मेरी और देखा, फिर कहा
“मैंने रूम में एंटर करते वक़्त ही देख लिया था की वो चेयर टूटी हे, तो मैंने ऐसा कुछ सोचा नहीं था की वो गिर पडेगि, पर वो जब गिरि तो मेरे दिमाग में ख्याल आया की तेरे मसाज के बारे में बात करूंग़ी, पर तेरी माँ नहीं मानि.. चाची ने सब बता दिया.
“थैंक्स..चाचि”.
“पता नही, तेरी मदद करने को दिल क्यों करता हे, जब की ये गलत हे, पर...
“अरे चाची पर वर छोडो आप, में अभी माँ को पटाने की ट्राय करता हू.. और चाची के गाल पे किस करके में अपने रूम की और भागा. माँ की मसाज...ये सोच ही मुझे एक्सट्रीम एक्साइट कर रही थी, चाची भी ना कब अपने रंग बदलती हे, कुछ समझ में ही नहीं आता, माँ के सामने उन्होंने मसाज के बारे में, इतने अच्छे से बयान किया की अब तो में माँ को मनाने मे हार जाऊं ऐसा होने नहीं दूंगा, मैंने कहा था ना..की थोड़ा सा दिमाग, थोडीसी एक्टिंग, काम बन जायेगा..हालाँकि मुझे माँ के दर्द के बारे में भी फ़िक्र थी, एक पल के लिए जब मैंने माँ की चोट के बारे में सुना, तो सच में मुझे एक झटका सा लगा, पर जब मसाज की बात आयी, तब मज़ा आ गया और लगा की अच्छा हुआ, की माँ को चोट लग गयी.
मै फुल्ली प्रेपर हो क़र, अपने रूम में एंटर हुआ, माँ को देखा तो वो नार्मल तरीके से, अपने पाँव को फैला के बेड पे लेट के बुक पढ़ रही थी, मैंने माँ को ऐसे नार्मल देख, समझ गया की भै, थोड़ा ज्यादा एफर्ट लगाना पड़ेगा, माँ शायद ठीक लग रही हे, लेकिन खुद को स्ट्रांग कर के में माँ के पास गया जैसे माँ पाँव फैला के बैठी थी, वैसे ही में भी माँ के साइड में बैठ गया. माँ को पता था की में आ चुक्का हूँ पर उन्होंने मेरी और देखा नहीं और वो अपनी बुक पड़ती रही, में थोड़ा सा झिझक रहा था पर माँ से पूछ्ना तो बनता था माँ शायद अपनी बुक में व्यस्त थी. लेकिन में जैसे ही आराम से आ के माँ के पास में बैठा फिर माँ ने थोड़ी देर बाद मेरी और देखा, में माँ की ही और देख रहा था मैंने माँ की और स्माइल किया और माँ ने भी रिटर्न में क्याजुअल स्माइल किया, और फिर से अपने बुक में खो गयी,
पर में ये मौका नहीं जाने देना चाहता था तो मैंने माँ से कहा
“मोम...
“हम्म्म”. बड़ी शान्ति से माँ ने मेरी और देखे बिना ही जवाब दिया. माँ का पोज़ भी बढ़िया था एक हाथ में किताब थी और दूसरा हाथ माँ ने अपने सर पे रखा था और वो बुक पढ़ रही थी.
“एक बात पुछू.?
एक टाइप की धीमि सी और सिडक्टिव आवाज़ होती हे, वैसे ही में आराम से अपने हर लब्ज़ को टाइम दे के बात कर रहा था
“ह्म्मम्... फिर से वही जवाब..इसका मतलब माँ को मेरी बात से ज्यादा अपनी बुक में इंटरेस्ट था ये साफ़ इशारा था की माँ से ये बात करने का सही टाइम नही, एक तो में जो रिक्वेस्ट करने वाला था वो ऐसे तो सोशली गलत, और ऊपर से गलत टाइम, तब तो रिजल्ट नेगेटिव होना था मुझे ये पता चल चुक्का था पर, फिर भी जब दिल में ऐसे सनसनी होती हे, और एक आईडिया आता हे, तो दिल बेचैन हो जाता हे..वईसा ही मेरे साथ था
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03-02-2021, 02:39 PM,
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RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 108
माँ को मेरी बात से ज्यादा अपनी बुक में इंटरेस्ट था ये साफ़ इशारा था की माँ से ये बात करने का सही टाइम नही, एक तो में जो रिक्वेस्ट करने वाला था वो ऐसे तो सोशली गलत, और ऊपर से गलत टाइम, तब तो रिजल्ट नेगेटिव होना था मुझे ये पता चल चुक्का था पर, फिर भी जब दिल में ऐसे सनसनी होती हे, और एक आईडिया आता हे, तो दिल बेचैन हो जाता हे..वईसा ही मेरे साथ था
“आपको दर्द हो रहा होगा ना.. अंदरूनी चोट हे, काफी तेज़ लगा होगा”..
एक ही लाइन में मैंने सवाल इसी तरह से पुछा की माँ को कहना ही पड़े की हाँ उन्हें दर्द हो रहा हे, फिर दुसरे सेंटेंस में मैंने रीज़न और तीसरे सेंटेंस में मैंने माँ के लिए अपनी कंसर्न भी दिखा दी. एक लाइन में तीन टॉपिक मस्त यूज किये थे तो फिर माँ को हाँ ही कहना था
“हा..रेशु, दर्द तो हो रहा हे, पर कोई चिंता की बात नही, तुम्हारी चाची ने उसी टाइम पैन किलर दे दी थी और अभी दूसरी दवाई भी ली हे, कल सुबह तक ठीक हो जाऊंगी.. माँ ने भी बड़े आराम से सेम मेरी तरह तीन बात कह दी. एक तो की हाँ दर्द हो रहा हे, ऊपर से कहा की चिंता की कोई बात नहीं क्यूँकि उन्होंने अपनेआप अच्छे से इलाज कर लिया हे, और तीसरा की मुझे चिंता न हो इसीलिए उन्होंने कहा की कल तक वो ठीक भी हो जाएगी. सच में माँ से ऐसे सडक्शन की लड़ाई में मुझे अब मज़ा आ रहा था छोटी चाची से क्या था की उन्हें पता चल गया था की में उनसे सेक्स करना चाहता हू, पर फिर भी वो अपने आप को बचा रही थी, बड़ा इंतज़ार करवाया पर हार तो गयी ओ. लेकिन ये सच में बड़ी इंटरेस्टिंग जंग थी, माँ के साथ. माँ को अन्देशा हो रहा था की में उन पे फ़िदा हू, और उन्हें बार बार एक टक देखता रहता हू, पर साफ़ नहीं था और मुझे ऐसे माँ को पाना था मस्त जंग थी. माँ भी इतनी ही इंटेलीजेंट की में जिस टोन में, जैसे बात करता था वैसे ही वो भी रिप्लाई करती थी पर उनका एन्ड पंच मेरी सारी गेम को उलटा कर देता था लेकिन अभी तो खेल शुरू हुआ हे, आगे देखते हे, कब तक माँ तडपती हे. खैर आज.., माँ ने फिर ऐसे कहा तो मैंने कैजुअली रिप्लाई किया.
“मोम..अगर आप कहें तो में मसाज कर दू क्य...?
मेरी आवाज़ में माँ की गांड को चोदने की बेक़रारी साफ़ थी. मों ने मेरी और देख, उनकी आँखों से साफ़ दिख रहा था की वो समझ चुकी हे मेरी बेक़रारी, पर फिर उन्होंने फिर से बुक में ध्यान लगा के मुझसे कहा
“नही..रेशु, ऐसी कोई जरूरत नहीं हे, दर्द नहीं हो रहा”.. .
“मगर मोम, अभी अभी तो आपने कहा की दर्द हो रहा हे..
मैंने एक बच्चे की तरह माँ की बात पकड़ने की कोशिश की. और माँ के लिए मेरा ये जवाब एक्सपेक्टेड था तो माँ ने कहा
“रेशु, बात मत पकडो, ऐसा लगेगा, तो में कह दूंगी, तुम आराम से सो जाओ..
माँ की आवाज़ में थोड़ी सी इर्रिटेशन थी, और जब ऐसे इशू पे कोई पकने लगे तो फिर आगे बात बन ही नहीं सकती, और मैंने भी माँ से फिर ज्यादा जिद करना ठीक नहीं समझा और अपना कम्बल ओढ़ के सो गया. लेकिन सोने में भी नींद नहीं आ रही थी, माँ के ही ख्याल आ रहे थे, और कम्बल में से भी माँ को ही देख रहा था,मॉ को ऐसे चुप चुप के देखने में भी सच में मज़ा हे, एक अजीब सी बेक़रारी हो रही थी, मन में और नींद तो आँखों से बिलकुल ही ग़ायब थी, समझ में नहीं आ रहा था की क्या करू की माँ मान जाए, पर माँ से आज तो बात करना ठीक नहीं था मैं बार बार करवटें बदल रहा था और माँ ने भी एक दो बार मेरी और देखा उन्हें भी लग रहा था की मुझे नींद नहीं आ रही हे, पर उन्होंने मुझसे कुछ नहीं कहा. और सच में अच्छा लगा, माँ को एक तरह की झीझक हो रही थी. और अब वो झिझक ही थी जो मेरे और माँ के बीच में थी, अगर वो झिझक ख़त्म हो जाए, तो फिर जा के माँ के बारे में कुछ कहा जा सकता था
और, ऐसे ही करवट बदलते बदलते रात बीत गयी, और में सुबह उठा माँ मेरे पास में ही अब तक सो रही थी, वैसे में आज जल्दी उठ गया था अभी ७ बज रहे थे, पर माँ तो हमेशा से ६ बजे ही उठ जाती थी, में उठा और बाथरूम हो के आया, माँ मेरी और पीठ कर के सो रही थू, और उनका एक पैर मूड़ा हुआ था माँ को देख के फिर से वो ही सेक्स के ख्याल आने लगे और मेरा दिमाग ना चाहते हुए भी उसी तरफ दौडने लगा.
मैं आराम से फिर से बेड पे आ के सो गया और थोडा, सा माँ के पास जा के सो गया, माँ शायद दवाई के वजह से सो रही थी, पर उठने का टाइम तो हो गया था मुझे एक इच्छा हो रही थी की माँ को एक बार छूलु, पर डर भी लग रहा था एक दो बार मैंने अपना हाथ माँ की कमर की और बढाया पर फिर वापस ले भी लिया, क्यूँकि एक डर ये भी था की बचपन से पता था की माँ की नींद बड़ी कच्ची थी, तो ये भी सोचना था पर फिर मैंने आराम से अपना हाथ बेड पे सरकाते हुए धीरे धीरे माँ की गांड के पास ले गया, और बस ऐसे हल्का सा मेरी ऊँगली माँ को छुऐ, ऐसे अपना हाथ बेड पे रख्खा, फिर भी चेन नहीं पडा, तो मैंने माँ की और हाथ फिर से सरका दिया, और फिर एक आईडिया आया, और मैंने सोने के बहाने, माँ की गांड पे माँ की और करवट बदलने के बहाने से माँ की और करवट ली और माँ की और घूम गया. माँ पहले से मेरी और पीठ कर के सो रही थी और वो भी अपना एक पैर मोड़ के, तो मैंने भी ठीक वैसे ही पैर मोड़ के माँ की गांड पे रख दिया, और करवट ले के माँ से और भी सट गया. लेकिन मेरा अंदाज़ा सही निकला, मेरी नीज जैसे ही माँ की गांड से लगी की माँ की नींद टूट गयी, और वो जग गयी, वो एकदम से मेरी और मूङी, पर में इसके लिए रेडी था मैंने सोने का नाटक किया, माँ ने मेरी और देखा, फिर मेरी नीज को देखा, और फिर अपने पाँव को ठीक करते हुए, मेरे पाँव को अपने से अलग किया, और मेरी और फिर से देखने लगी, ऐसे शॉक से ऊठने में उनका पल्लो सरक गया था तो उन्होंने अपना पल्लु अपने शोल्डर पे ठीक से रख्ख, अपना बाल भी बन्धे, वैसे ही बेड पे बैठे बैठे, अपनी साड़ी ठीक कि, फिर वो उठने के लिये, खड़ी हो रही थी की मेरी और पल्टी और मेरी और देखा, में माँ को समझ गया था की माँ कभी भी कुछ भी कर सकती हे, तो में ऐसे ही सोया रहा, और माँ फिर मेरी नजदीक आई और प्यार से मेरे सर पे हाथ फेर के मेरे गाल पे एक किस दिया और फिर बाथरूम में चलि गयी. मैं भी खुश हो गया, क्यूँकि ये कोई सिडक्टिव किस नहीं था बस एक प्यार भरा चुम्बन था,मुझे माँ के दिल में अपने लिये, प्यार होने पर ख़ुशी हुई. फिर माँ आधे घंटे में बाहर आयी, और बाहर आते ही मेरी और देखा, में सोया ही था में समझ गया की कल की हरकत से माँ को गुस्सा आ गया हे, लेकिन में सो रहा था और माँ नराज़ हो के बाहर चलि गयी, में जानता था की बाहर किसी से अगर वो बात करले तो फिर शायद उनका गुस्सा शांत हो जायेगा.
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03-02-2021, 02:40 PM,
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desiaks
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RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 109
मै फिर आराम से ९ बजे रेडी हो के बाहर आया, माँ से नजरें ही नहीं मिला पा रहा था, मुझे पता नहीं था की माँ को मेरे मूठ मारने से गुस्सा आ जायेगा. लेकिन अभी तो में ये शुअर नहीं था की माँ नाराज़ हे भी या नहीं? फिर हम नाश्ता करने बैठे और माँ को मुझसे बात करने का मौका नहीं मिला, और अगर सिचुएशन आई भी तो में माँ से टकराया ही नही, फिर माँ के जाने का वक़्त हो गया, और वो सब को बाई कह के निकल गयी, और कार में बैठते टाइम वो मेरी और नज़र कर के बैठी, और में इशारा समझ गया की माँ नाराज़ तो हुई हे, पर वो बस बैठ के कार स्टार्ट कर के चल दी.इतने में चाचिने आवाज़ देके माँ को रोका और कहा
“अरे शीतल, रुक्. .
ओर वो कार के पास जा के माँ से बात करने लगी, में दूर खड़ा था और अब भी माँ को देख रहा था माँ और चाची शायद बिमार रिलेटिव के बारे में बात कर रही थी. फिर उनकी बातें ख़त्म हुई और माँ निकल गयी, में देख रहा था माँ ने अपना हाथ विंडो से बाहर निकला और मिरर एडजस्ट कर के मेरी और देखा. मैं फिर अंदर आ गया और टीवी देखने लगा, में एक तरह खुश था की मैंने माँ को अपने बारे में सोचने के लिए मजबूर कर दिया था ख़ैर, जो हो गया वो हो गया,मैने उस बारे में ज्यादा सोचना ठीक नहीं समझा, जब माँ से मिलेंगे, तब देखेंगे, ये सोच के में टीवी देखने में खो गया, फिर १५-२०मिनट बाद मुझे लगा की चाची कहा, खो गयी हे, तो मैंने बाहर जा के देखा तो चाची सामने वाली आंटी से बातें कर रही थी, और जैसे ही में बाहर आया की सामने वाली आंटी ने मुझे देखा, वो मेरे सामने थी और वो दोनों हंस रही थी तो वो मुझे देखते ही हँसते हँसते थोड़ी सी फ़ीकी पड़ गयी और मुझसे नजरें चुरने लगी. और में भी उनको देख के वापस घर में चला आया. अब पता था की कम्प्लेन आयेगी, पर कोई ज्यादा चिंता की बात नहीं थी, क्यूँकि चाची मुझे अच्छे से समझ सकती थी. फिर दोनों की बातें ख़त्म हुई, और चाची अंदर आयी, और किचन में अपना काम करने चलि गयी, में थोड़ा सा सोच में पड़ गया की शीकायत आंटी ने चाची से की या नही, फिर मैंने उसे भी छोड़ दिया कि, अच्छा हे अगर नहीं की तो. फिर चाची मेरे पास आयी, और कहा
“अरे रेशु, मुझे अभी एक फंक्शन में जाना हे, तो तुम अपने आप लंच कर लेना, मुझे आने में शाम हो जायगी, तुम्हारे चाचा भी अब नाईट को ही आयेंगे, शाम को आ के अच्छे से बात करते हे.. और बड़ी चाची भी स्माइल देते हुए निकल गयी, में भी अपने में खो गया. अपने रूम में गया और लैपटॉप खोल के ब्लू फिल्म देखने लगा, मॉम सन का एक क्लिप देखा तो माँ के बारे में फिर से ख्याल आया. माँ से मेल करने के बारे में सोचा, पिछली बार जब माँ ने पुछा की हु आर यू? तो मैंने थैंक्स कर के रिप्लाई किया था और माँ का रिप्लाई आया था व्हाटट? तो मैंने कोई रिप्लाई ही नहीं किया था और उस बात को तीन दिन हो गए थे, तो मैंने माँ के ईमेल में फिर से एक स्टोरी सेंड कर दी.
मेरे कॉलेज को छुट्टिया चल रही थी तो सोचा क्यों ना बड़ोदा जाकर पायल और टीना से मिलकर आउ पायल ने कहा था कि वह अपने मामा के यहा है और कल बताया कि टीना भी आनेवाली है तो क्यों ना उनसे मिलकर आऊ चाची से बात करता हु शाम को चाची आगई तो मैंने चाची से कहा- मुझे बड़ोदा जाना है.
चाची ने कहा क्यों
मैंने कहा मेरे कुछ दोस्त है वहा पर उनसे मिलने जाना है और मेरी छुट्टीयां भी चल रही है
तो चाची ने कहा- अकेले कैसे जाएगा?
मैंने कहा- मैं चला जाऊँगा..
थोड़ा मनाने पर चाची मान भी गईं.
अभी उनसे बात कर ही रहा था कि इतने में उनका फ़ोन बजा और चाची बात करने लगीं. फ़ोन के कटने पर चाची ने बताया कि मुझे मौसी ने बुलाया है.मौसी चाची की बड़ी बहन है जो गांधीनगर में रहती है जो मुझे बहुत प्यार करती है मैं हमेशा उनके यहा आता जाता हूं उनका एक बेटा है जिसकी शादी हो चुकी है उसे एक बेबी है
मैंने चाची से पूछा- क्यों कोई काम है क्या?
चाची बोलीं- हाँ.. वो तेरे भय्या और भाभी बड़ोदा गए हैं.. किसी रिश्तेदार की शादी में.. और 2 हफ्ते में आएंगे.. इसलिए तुझे वहाँ रहने के लिए बुलाया है.तेरी एक महीना और छुट्टिया भी है तो दो हफ्ते के लिये तुझे बुलाया है और तुझे वहा गये काफी समय भी हुआ है तो तू कल गांधीनगर चला जा
अब मेरा मूड ख़राब हुआ कि बड़ोदा जाने का मन मेरा था और चले गए भैय्या-भाभी.. पर क्या कर सकते हैं.
मैं अगले दिन मौसी के घर चला गया.
अप्रैल का महीना था तो ज्यादा गर्मी नहीं थी.
आपको बता दूँ कि मेरी मौसी एक फ्लैट में रहती थीं, मौसी के घर में मौसा-मौसी और भय्या-भाभी और उनका एक बेबी था.
मैं भुनभुनाता हुआ जा रहा था.. ऊपर से चाची ने पता नहीं मौसी को देने के लिए कोई बॉक्स सा दे दिया था. एक हाथ में बैग और दूसरे हाथ में बॉक्स पकड़ रखा था. सीढ़ी से चढ़ कर जाना था क्योंकि मौसी का घर तीसरे फ्लोर पर था.
जैसे ही में तीसरे फ्लोर पर पहुँचने वाला था.. तो मेरी टक्कर हो गई.. और मेरा बॉक्स जमीन पर गिर गया.
मैं बस इतना बोलने जा रहा था कि ‘दिखाई नहीं देता..’ तभी मैंने सामने देखा.. तो जो बोलने जा रहा था.. वो ही भूल गया.
सामने देखा.. एक पंजाबी भाभी थी जिसने नीले रंग की जीन्स पहनी हुई थी.. पिंक रंग का टॉप पहना हुआ था और खुले बालों को एक साईड कर रखा था.
जब चेहरे पर नजर गई.. तो देखता ही रह गया.
वो मुझे ‘सॉरी’ बोल रही थी और मैंने तो उसको देखते ही अपने होश खो दिया था.
वो मुझसे करीब 1 या 2 इंच ही बड़ी होगी.. यानि उसकी 5.8 हाइट होगी. उसके प्यारे कोमल होंठों पर गुलाबी रंग की लिपस्टिक लगी हुई थी.. देख कर मन किया कि अभी इन होंठों को अपने होंठों में दबा लूँ और सारा रस पी जाऊँ.
उसके चूचे ना ज्यादा बड़े ना छोटे थे.. एकदम गोल से थे.. चाँद सा चेहरा और गुलाबी गाल और एकदम गोरी-चिट्टी बॉस, मैं तो एक नजर में ही उस पर फ़िदा हो गया था.
इतने में भाभी ने मुझे पकड़ कर हिला कर बोला- सॉरी.. गलती हो गई.
मैंने कहा- कोई बात नहीं जी.
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03-02-2021, 02:40 PM,
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RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 112
मैंने भी कसके जस्सी को पकड़ लिया और फिर उसके होंठों को अपने होंठों से दबा लिया और जोर-जोर से चूसने लगा. मैं एक हाथ जस्सी की पीठ को सूट के ऊपर से ही सहला रहा था और दूसरे हाथ से उसके गोल-गोल चूचों को दबा रहा था.
क्या पल थे बॉस.. उसके लब इतने मुलायम थे कि मन ही नहीं हो रहा था कि उसके अधरों को अपने अधरों से अलग करूँ.
मुझे तो यह कोई सपना सा लग रहा था. अब मैं उसके होंठों को कभी-कभी काट भी लेता था.. तो वो छटपटाने लगती. होंठों को चूमने के साथ ही साथ मैं उसकी जीभ को अपनी जीभ से मिला रहा था.
करीब 15 मिनट तो उसको मैंने लिप्स को खूब चूमा.. मेरा मन तो कर ही नहीं रहा था कि उसे अपने से अलग करूँ.
अब मैंने जस्सी के कमीज़ को उतार दिया और देखा कि उसने गुलाबी रंग की ब्रा पहनी हुई है.
मैं एकदम उसकी गर्दन और सीने पर चुम्बन करने लगा.
जस्सी सिसकारियाँ लेने लगी- ऊऊहह ऊह्ह..
फिर जस्सी ने अपना हाथ बढ़ा कर मेरी जीन्स की चेन को खोला और अब मेरी जींस निकाल दी. अब उसने मेरे अंडरवियर में हाथ डाल कर मेरे लंड को निकाला और फिर मेरे लंड को आगे-पीछे करने लगी.
मैंने अब जस्सी की पजामी भी निकाल दी उसने पैंटी भी गुलाबी रंग की पहनी हुई थी.
जस्सी बस ब्रा-पैंटी में थी.
मैंने जस्सी को नजर भर कर देखा तो जस्सी शर्मा रही थी और उसका चेहरा शर्म के मारे लाल हो गया था. इस वक्त जस्सी किसी गुलाब की तरह लग रही थी.
अब जस्सी ने भी मेरी शर्ट को निकाल दिया, मैं अब जस्सी को उठा कर उसके बेडरूम में ले गया और बेड पर पीठ के बल लेटा दिया.
मैं बड़े ध्यान से उसकी पूरी बॉडी को देखने लगा.. तो जस्सी बोली- क्या हुआ?
मैंने कहा- तुम इतनी खूबसूरत हो कि मैं बयान भी नहीं कर पा रहा हूँ.. मेरे मुँह से कोई शब्द ही नहीं निकल रहे हैं.
जस्सी मुस्कुरा दी.
मैं जस्सी के ऊपर पेट के बल लेट गया और उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचों को जोर-जोर से दबाने लगा. मैंने उसके लिप्स पर अपने लिप्स रख दिए और जोर-जोर से चूसने लगा और जस्सी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी.
कुछ पलों के बाद मैंने जस्सी की ब्रा को खोल दिया और देखा एकदम सफ़ेद और चिकने चूचे खुली हवा में खिलने लगे.
मैंने देर न करते हुए उसके चूचों को अपने मुँह में ले लिया और जोर-जोर से चूसने लगा.
जस्सी सिस्कारिया लेने लगी- अअअअ.. आआआअ.. ह्ह्ह्ह्ह्.. ऊऊ..ओह्ह्ह्ह.. रेशु बेबी.. और जोर-जोर से चूसो.. ऊओ..ह.. बहुत अच्छा लग रहा है.
एक चूचा चूसने के साथ ही मैं उसके दूसरे चूचे को जोर-जोर से दबाए भी जा रहा था.
जस्सी अब गर्म हो चली थी.. पर मैं उसे और गर्म करना चाहता था. मैं अब जस्सी की टाँगों के बीच में आ गया और उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को चाटने लगा.
कुछ देर यूँ ही ऊपर से चूत को चाटने के बाद मैंने उसकी पैंटी को भी उतार दिया.. और अपना अंडरवियर भी उतार दिया.
अब मैं उसकी टाँगों को चुम्बन कर रहा था. मैं हल्का सा ऊपर को हुआ और उसकी नाभि पर अपनी जीभ को गोल-गोल घुमाने लगा.
जस्सी की मादक सीत्कारें ‘ऊओह्हह्ह ऊओह्हह्ह आअह्ह्ह.. आहह्ह्ह आहह्ह्ह.. आआह्ह्ह्..’ माहौल को कामुक बनाने लगी थीं.
साथ ही उसकी पूरी बॉडी पर मैं अपना हाथ चला रहा था.
अभी इतना हुआ ही था कि जस्सी बोली- रेशु, हुन् वाड़ वी द्यो ना अपना लंड.. मेरी फ़ुद्दी विच.. (रेशु अब डाल भी दो ना.. अपना लंड.. मेरी चूत में..)
अब मैं दुबारा उसकी टाँगों के बीच आ गया और उसकी चूत के दाने को चाटने लगा और जस्सी सिसियाने लगी- आअह्ह्ह.. ऊओह्हह्हह ऊओह्ह्ह आआह्ह्ह्ह और चाटो.. और जोर-जोर से चाटो.. आहह्ह्ह..
मैं जोर-जोर से उसके चूत के दाने को चाटने लगा. मैंने देखा कि उसकी चूत बहुत गीली हो गई है.. तो अब उसकी चूत को चाटने लगा.
चूत पर जीभ के लगते ही जस्सी जोर-जोर से सांस लेने लगी और भी जोर से सिसकारियाँ लेने लगी थी- ऊऊह्ह्ह्ह्.. रेशु.. मैन्नू मार के छड्डोगे? आह्हह.. ऊओह्ह्हा.. ह्ह्ह्हूऊऊऊ.. आह्ह्ह्ह्ह्..
मैंने जस्सी की चूत चाटना जारी रखा.
करीब 5 मिनट जस्सी की चूत चाटने पर मैंने जस्सी को अपने ऊपर लेटा लिया.
जस्सी मेरे ऊपर पेट के बल लेटी हुई थी मैंने 69 पोज़ किया हुआ था.. जिससे जस्सी मेरे लंड को चूस रही थी और मैंने जस्सी की चूत को चाट-चाट कर लाल कर दिया था.
करीब 10 मिनट हम दोनों हम एक-दूसरे के मुँह में पानी निकाल दिया.
इसके बाद 5 मिनट तक हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे.
जस्सी बोली- यार तुम तो काफी अच्छे खिलाड़ी हो.
मैंने कहा- अभी खेल बाकी है जानेमन.
अब मैं फिर से जस्सी को होंठों पर चुम्बन करने लगा और मैंने जस्सी से पूछा- कोई क्रीम मिलेगी डार्लिंग..
तो वो बिस्तर से उठी और क्रीम लेने ड्रेसिंग तक गई, मुझे उसके मटकते हुए नंगे चूतड़ दिख रहे थे पीछे से… उत्तेजना के मारे जैसे मेरी जान निकल गई…
उसने मुझे क्रीम दी.. मैंने जस्सी को पीठ के बल फिर से लेटा दिया, मैं दो उंगली में क्रीम ले कर जस्सी की चूत में डालने लगा.. उसकी चूत काफी टाइट थी.
फिर मैंने एक उंगली जैसे ही उसकी चूत में डाली.. जस्सी की आवाज निकल गई- ओहह्ह्ह..
अब मैंने उंगली को अन्दर-बाहर करना शुरू किया.. फिर जल्दी ही मैंने दो उंगली डालीं.. फिर से जस्सी ‘ओओहह्ह्ह..’ करने लगी.
अब मैं जोर-जोर से उसकी चूत में उंगली करने लगा.. जस्सी मस्ती में आवाज निकालने लगी- ऊऊह्ह ह्ह्.. आह्.. ह्ह्ह्हा.. ऊओह्ह्ह..
करीब 5 मिनट तक मैं ऐसे ही उंगली अन्दर-बाहर करता रहा.
अब मैंने देखा कि जस्सी की चूत फिर से गीली हो गई है. मैंने उसकी चूत में ढेर सारी क्रीम उसकी चूत पर और अपने लंड पर लगा ली और लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा.
कुछ देर रगड़ने पर जस्सी बोली- रेशु अब डाल भी दो.. कितना तरसाते हो तुम..
मैंने जस्सी की चूत पर अपना लंड रखा और जोर से धक्का मारा.
एक आवाज हुई ‘ओओओ… ओहह्ह्ह आआहह्हह..’
मेरा आधा लंड जस्सी की चूत में चला गया.
अब मैंने देर ना की.. और हल्का सा लंड बाहर निकाल कर पूरी जान से धक्का लगा दिया, जस्सी की लम्बी चीख निकल गई और आँखों से आंसू निकलने लगे.
मैं 2 मिनट ऐसे ही उसके चूचों को चूसने लगा.. कुछ ही पलों में जस्सी अपनी गांड हिलाने लगी थी.. तो मैंने भी धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू कर दिए, साथ ही मैं उसके चूचों को भी दबा रहा था.
जस्सी ‘ऊओह्हह्ह आअह्ह्ह ऊओईई..’ की जोर-जोर से सिसकारियाँ ले रही थी.
मैंने अपनी स्पीड थोड़ी तेज कर दी और जोर-जोर से जस्सी की चुदाई करने लगा, जस्सी तो बस ‘ह्हह्हाआ ह्ह्ह.. ऊओह्हह्ह..’ की आवाजें निकाले जा रही थी.
जब वो ऐसी आवाज निकालती तो मैं और जोर-जोर से उसकी चुदाई करने लगता.
करीब 10 मिनट ऐसे ही चुदाई हुई. अब मैंने जस्सी की एक टांग को ऊपर अपने कंधे पर किया और फिर से उसकी जोर से चुदाई करना शुरू कर दिया.
‘ऊओह्ह आअह्ह ह्हहा.. ऐसे ही और चोदो.. और जोर से ऊह्ह्ह ह्ह्ह्ह्..’
मैं कुछ देर रुका और मैंने जस्सी को घोड़ी बना दिया. पीछे से उसकी कमर इतनी मस्त लग रही थी.. तो उसकी गोरे गोरे चूतड़ों को देख कर और भी जोश आ रहा था.
मैंने अब उसकी चूत पर लंड रखा और एक जोर के धक्के में आधे से ज्यादा लंड अब उसकी चूत में पेल दिया. मैं हल्के-हल्के से लंड को अन्दर-बाहर करने लगा और फिर लौड़े के सैट होते ही उसकी चुदाई जोर-जोर से करने लगा.
जस्सी की चुदाई की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थीं- ऊहह.. ह्ह्ह्ह… आह.. ह्हूऊऊ ऊओ… ह्ह्ह्ह्ह्.. ह्ह चोदो और जोर-जोर से..
5 से 10 मिनट तक धकापेल चुदाई हुई.. फिर मैंने अब जस्सी को पेट के बल लेटा दिया और उसकी चूत में लंड डाल कर फिर से उसकी चुदाई करना चालू कर दी.
जस्सी और मैं दोनों ही पसीने से पूरे नहा चुके थे.
इसी तरह जस्सी को चोदते हुए कोई 5 से 7 मिनट हुए ही होंगे.. कि जस्सी बोली- आआह्ह्ह्ह.. रेशु ऊओह्ह्ह मेरा होने वाला है.
मैंने भी अपनी फुल स्पीड में जस्सी की चुदाई करना चालू कर दी.. बस 25 से 30 धक्के मारे ही होंगे कि जस्सी छूट गई और इसी के साथ मैंने भी अपना सारा माल जस्सी की चूत में डाल दिया और मेरे माल की गर्मी से जस्सी एकदम निढाल हो गई और हम दोनों ऐसे ही लेट गए.
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