Desi Porn Stories आवारा सांड़
03-20-2021, 08:48 PM,
#61
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
अपडेट-31

दिनेश—नही मैने आज तक उसको फोन नही किया…उसने एक दो बार किया था लेकिन मैने उठाया नही…समझ मे नही आया कि क्या बात करू.

राज—इसका मतलब कि आप ने अपनी होने वाली बीवी को नही देखा…और ना ही उसने आपको देखा.

दिनेश—ह्म्‍म्म्मम

मिंटो फ्रेश खाते ही मेरे दिमाग़ की बत्ती जल उठी….मेरे दिमाग़ मे कयि आइडिया कुल बुलाने लगे और मैं उनके विषय मे सोचने लग गया.

राज (मंन मे)—मामा ने मामी को नही देखा….मामी ने मामा को नही देखा…इसका मतलब दोनो ने एक दूसरे को नही देखा….अगर मैं
दिनेश मामा बन कर होने वाली मामी को पेल दूं तो….?

अब आगे…….

ये सुंदर विचार मन मे आते ही मैने मामा के मोबाइल से होने वाली छोटी मामी अरषि का नंबर जल्दी से अपने मोबाइल मे सेव कर लिया.

दिनेश (रेकॉर्ड नेम करण)—राज...तुम यहाँ बैठो मैं जब तक खेत का एक चक्कर लगा कर आता हूँ फिर घर चलते हैं.

राज (खुश होकर)—ठीक है मामा.

दिनेश (करण) मामा के जाते ही मैने भगवान कामदेव का नाम लेकर छोटी मामी अरषि का नंबर डाइयल कर दिया….काफ़ी देर तक रिंग जाने के बाद आख़िर किसी ने कॉल उठा ही लिया और मेरे कानो मे एक सुरीली सी आवाज़ सुनाई देने लगी….मैने अनुमान लगा लिया कि ये ही मेरी होने वाली मामी होनी चाहुए.

“हेलो….कौन बोल रहा है….किससे बात करनी है….?” सामने से सुरीली आवाज़ मे किसी ने कहा.

राज—क्या बात है जानेमन.......शादी होने से पहले ही अपने होने वाले पति से ऐसी बेरूख़ी बाते...... ?

"ओमाइ गॉड....करण जीजू....आज पहली बार आप ने कॉल किया ना शायद...इसलिए पहचान नही पाई " उसने जवाब दिया.

राज (मन मे)—जिजुउुउ....कहीं ग़लत नंबर तो नही लग गया....नंबर तो यही है.

"हेलो….आप चुप क्यो हो गये" फिर से दूसरी तरफ से वही मधुर आवाज़ आई.

राज—जी..मुझे अरषि से बात करनी थी….क्या ये नंबर उनका ही है….?

"आप ने बिल्कुल सही जगह पर कॉल किया है….ये अरषि का ही नंबर है…..बाई दा वे मैं अरषि की छोटी बहन पॉली बोल रही हूँ… मतलब कि आप की होने वाली साली……दीदी अभी खाना बना रही हैं….मैं अभी बुलाती हूँ उनको." उसने एक बार फिर से अपनी प्यारी आवाज़ मे कहा.

राज (धीरे से)—पॉली.....ये कैसा नाम है भला..... ? खैर मुझे क्या करना है नाम से.....अगर पेलने लायक हुई तो लगे साथ इसको भी पेल
दूँगा.....मामा गया लवडे से, मामी की कर दूँगा चौड़े से.

कुछ देर बाद फिर से एक सुंदर मधुर आवाज़ आई....मैं समझ गया कि ये ज़रूर अरषि ही होगी अब....लेकिन मन मे एक डर भी था कि कही ये भी कोई दूसरी साली ना हो.

"हेलो...कुछ तो बोलिए...आज कैसे याद आ गयी हमारी" सामने वाली ने कहा.

राज—बस अपनी अरषि की एक चुम्मि लेने का मन कर रहा था आज बहुत.

"मैं अरषि नही….उसकी भाभी बोल रही हूँ….होने वाले नंदोई जी….रुकिये बुला देती हूँ अरषि का जो जो लेने का मन करे ले
लेना….हिहिहीही" उसने हँसते हुए कहा.

राज (मंन मे)—अरे यार ये क्या हो रहा है…..हर बार एक नयी चूत वाली आ जाती है…..मामा की ससुराल मे चूतो का तबेला है क्या….?

“कुछ बोलिए भी लंडोई जी….” उसकी भाभी ने छेड़ते हुए कहा

राज (मन मे)—वाह…नंदोई से सीधे लंडोई…..बड़ी चालू माल लग रही है रे बाबा….लगता है एक चूत के साथ कयि चूत फ्री मिलने वाली हैं.

राज—नमस्ते भाभी जी…..अरषि नही है तो आप ही चुम्मि दे दीजिए.

“आप आइए तो सही यहा एक बार….फिर चुम्मि क्या पूरा इंडिया गेट ही खोल के दिखा दूँगी….हिहिहीही.” एक बार फिर से भाभी ने मज़ाक करते हुए कहा.

राज—देखिएगा कहीं आप का इंडिया गेट हमारे क़ुतुब मीनार के घुसने से टूट फूट ना जाए.

"आइए तो सही...हम भी तो ज़रा देखे कि आप के क़ुतुब मीनार मे कितना दम है....कितनी देर टीकेगा हमारे इंडिया गेट के सामने आने के बाद.... " भाभी ने मज़ाक के लहजे मे जवाब दिया.

राज—लगता है आप का इंडिया गेट घने जंगलो के बीच बना है.

"चिंता मत करिए लंडोई राजा….हमारे इंडिया गेट के चारो तरफ एक दम चिकनी फर्श है.…..देखते ही फिसल जाओगे…. इंडिया गेट के पीछे साइड दो बड़े बड़े पहाड़ हैं और उपर जाएँगे तो दो बड़ी बड़ी दूध की टंकी भी हैं." अरषि की भाभी ने फिर डबल मीनिंग मे कहा.

राज—फिर तो आप के इंडिया गेट की सैर करनी ही पड़ेगी अब तो……वैसे आप की ननद का इंडिया गेट भी आप के जैसा ही है या उबड़ खाबड़ है…?

"बेचारी के इंडिया गेट का तो अभी दरवाजा भी नही खुला है….लेकिन पीछे के पहाड़ ज़रूर बड़े बड़े हैं." भाभी ने कहा.

राज—तो कब आ जाउ..आप दोनो के इंडिया गेट की सैर करने….?

"मैं तो दोनो पैर फैलाए..मेरा मतलब है कि इंडिया गेट का दरवाजा खोले बैठी हूँ..आप जब चाहे आ जाओ….लीजिए अपनी बुलबुल से बात करिए..उसको गुस्सा आ रहा है." भाभी ने जवाब दिया.

राज—हेलो अरषि….

अरषि—आ गयी आपको हमारी याद….? और ये आप भाभी से क्या अनाप शनाप बाते कर रहे थे…?

वाक़ई मे अरषि मामी की आवाज़ मे शहद जैसी मिठास थी….दिल खुश हो गया इस मीठी आवाज़ को सुन कर…मैने एक बार अपने चारो
तरफ देख कर जायज़ा लिया कि कहीं मेरा गान्डु मामा तो नही आ रहा है…लेकिन अभी वो बहुत दूर थे…तो मैं आश्वस्त हो गया.

राज—तुम्हारी याद तो हमेशा ही आती है जान.

अरषि—रहने दीजिए….मुझे पता है….आज तक एक बार भी फोन नही किया…फोन करना तो दूर मेरा फोन तक नही उठाया……और ये किस का नंबर है….?

राज (झूठ)—ये मेरा ही नंबर है….उस नंबर पर फोन मत करना…..वो ज़्यादातर घर मे ही रखा रहता है….तुमसे बात करने के लिए ही आज मैने नया फोन और नंबर लिया है.

अरषि—पता है मेरी सभी सहेलिया मुझे चिढ़ाती थी कि मेरा होने वाला हज़्बेंड भोंडू है जो बात भी नही करता.. मुझे दुख लगता था….सोचती थी की जाने कैसा होगा मेरा हज़्बेंड…? आप फोन भी तो नही उठाते थे….?

राज—अरषि मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ…बहुत मन है मिलने का यार.

अरषि—ये मुझसे नही होगा…..वैसे भी कुछ दिन मे हमारी शादी तो होने वाली है फिर मिल लेना.

राज—अच्छा अरषि..तुम्हारी भाभी कह रही थी कि तुम्हारा इंडिया गेट बहुत बड़ा है…और उसके पीछे की पहाड़ी भी.. क्या ये सही है….?

अरषि—छी….ऐसी गंदी बाते मैं नही करती और आप भी मत किया करो….मेरी भाभी की तो आदत ही है गंदी बाते करने की…आप मत सुना करो.

राज—मुझसे शरमाओगी तो कैसे काम चलेगा यार….? अच्छा ये ही बता दो कि मैं तुमसे मिलने कल आउन्गा तो अपना दूध तो पिलाओगी ना…?

अरषि—फिर वही गंदी बात..

राज—इसमे गंदा क्या है... ? क्या तुम्हारे दूध पर मेरा हक नही है.... ?

अरषि—मुझे नही मालूम....

राज—समझ गया यार....शायद किसी और के लिए तुम्हारे दूध हैं...ठीक है अब नही पूछूँगा कुछ भी...ओक बाइ

अरषि (जल्दी से)—नही...नही...ऐसी बात नही है.....शादी के बाद तो मेरा सब कुछ आपका ही है.

राज—मतलब शादी से पहले किसी और का है... ?

अरषि—नही...अब भी आपका ही है.....आपकी कसम मैने आज तक किसी लड़के की तरफ देखा तक नही है.

राज—मुझे चेक करना पड़ेगा....

अरषि—क्या चेक करना पड़ेगा.... ?

राज—यही कि सच मे किसी ने तुम्हारे साथ कुछ किया है नही.... ?

अरषि—मैने किसी के साथ कुछ नही किया है अब तक.

राज—तो फिर मैं कल आ रहा हूँ तुमसे मिलने.

अरषि—कहाँ…?

राज—तुम्हारे घर और कहाँ….?

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03-20-2021, 08:48 PM,
#62
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़

अरषि—नही..नही..शादी से पहले घर आना अच्छी बात नही…सब लोग क्या कहेंगे….?

राज—मैं तो कल आ रहा हूँ….मुझे देखना है कि जो जो चीज़े मुझे अपनी बीवी मे चाहिए वो तुम्हारे पास हैं कि नही…?

अरषि—क्या क्या चाहिए आपको….?

राज—सुंदर हो, दूध ना ज़्यादा बड़े और ना छोटे हो, गान्ड बड़ी बड़ी हो और उसकी बुर…..

अरषि—छी…आप कितना गंदा बोलते हैं.

राज—इसका मतलब कि तुम्हारे पास दूध ही नही हैं..समझ गया

अरषि—नही...नही...हैं.

राज—तुम्हारे दूध छोटे हैं कि बड़े हैं.... ?

अरषि—ऐसी बाते मत करिए...मुझे शरम आती है.

राज—मुझसे कैसी शरम….? बताओ ना

अरषि (धीरे से)—क्या बताऊ…?

राज—अपनी चुचियो के बारे मे... ?

अरषि—बस जैसी आपको चाहिए वैसी हैं...अब खुश

राज—कल मिलने आउन्गा तो मुझे अपनी चुचिया दबाने दोगि ना.... ?

अरषि—(कोई जवाब नही).

राज—बताओ ना जानू....लगता है बंद कर दिया.

अरूही (धीरे से)—नही...सुन रही हूँ.

राज—तो फिर बताओ ना...

अरषि—क्या बताऊं….?

राज—यही कि मुझसे अपनी चूचियाँ दबावाओगी ना….?

अरषि—मुझे नही मालूम….लाज़ आती है.

राज—प्लीज़

अरषि—ह्म्‍म्म्म

राज—क्या..ह्म्‍म्म्म... ? खुल के बताओ ना... ?

अरषि—बता तो दिया ना.

राज—ऐसे नही अच्छे से बताओ कि दबाने दोगि कि नही…?

अरषि (धीरे से)—दबाने दूँगी.

राज—क्या दबाने दोगि.... ?

अरषि—वोही जो आप कह रहे थे...

अरषि गाओं मे रहने वाली एक लड़की है…जिसको सिटी की आज कल की हवा नही लगी है…घर का वातावरण भी बहुत स्ट्रिक्ट है जिसके कारण से वो गाओं के मनचले लड़को से भी अछुति है….उसे जो भी थोड़ा बहुत सेक्स का नालेज है वो उसकी सहेलियो और भाभी के कारण है.

आज पहली बार कोई लड़का उससे इस तरह से खुल कर बाते कर रहा था….अरषि के मन मे शरम भी थी और एक अलग ही गुदगुदी उठ रही थी राज की ऐसी कामुक बाते सुन कर.

उसको आज प्रथम बार कुछ अलग तरह का आनंद आ रहा था राज से बाते करते हुए….उसको अब राज की बाते अच्छी लगने लगी थी या शायद वो राज की कामुक बातो के जाल मे फँसती जा रही थी.

राज—क्या कह रहा था मैं….?

अरषि—मुझे लाज़ आती है…मुझसे नही बोला जाएगा.

राज—फिर वही बात..

अरषि—कह तो दिया ना….कल जब आप आएँगे तब खुल के बोल दूँगी..ठीक है.

राज—अपना खजाना भी दिखाओगी ना…?

अरषि—ख़ज़ाना….कौन सा ख़ज़ाना…? मेरे पास तो कोई ख़ज़ाना नही है.

राज—वही ख़ज़ाना जिसको तुमने अपनी दोनो जाँघो के बीच चड्डी के अंदर छुपा रखा है.

अरषि—छी…गंदे…

राज—बोलो ना यार……दिखाओगी ना….?

अरषि—ऐसी गंदी बाते मत करो....मुझे कुछ कुछ होता है.

राज—तुम्हे कुछ कुछ होता है..क्या होता है.... ?

अरषि—पता नही..

राज—बोलो दिखाओगी ना अपनी दोनो जाँघो के बीच का ख़ज़ाना…

अरषि—ऐसी गंदी गंदी बाते ना करो ना…

राज—एक बार बता दो..फिर नही करूँगा...

अरषि—क्या बता दूं... ?

राज—जो मैने पूछा है...

अरषि—मुझे नही मालूम...

राज—मैं समझ गया.....तुम शायद मुझसे नाराज़ हो गयी हो...

अरषि—नही...मैं नाराज़ नही हूँ...लेकिन मुझे ऐसी बाते करने मे लाज़ आती है...मैने आज तक कभी ऐसी बाते किसी से नही की हैं.

राज—तो फिर बता दो...

अरषि—शादी के बाद आप खुद ही देख लेना जो जो देखने का मन हो आपका…

राज—मुझे कल देखना है…

अरषि—शादी के पहले ये ठीक नही है…आप समझो ना…

राज—लेकिन मेरा तो बहुत मन कर रहा है अपनी अरषि की बुर देखने का.

अरषि—ओह्ह्ह…एक और गंदा शब्द….आपने ये सब गंदी बाते कहाँ से सीखी…?

राज—ये कोई सीखना थोड़े ही पड़ता है…उमर सब सिखा देती है…अब बताओ ना…

अरषि—मुझे नही पता..ये सब..

राज—ठीक है....अब फोन रखता हूँ..बाइ..

अरषि—सुनिए…क्या गुस्सा हो गये….?

राज—मैं कौन होता हूँ गुस्सा होने वाला…? तुम्हारी चीज़ है दिखाओ या ना दिखाओ….तुम्हारी मर्ज़ी.

अरषि—अच्छा बाबा..आप जीते और मैं हारी…..लेकिन प्लीज़ इसके आगे कुछ मत करना, शादी से पहले

राज—साफ साफ बताओ…

अरषि—बता तो दी ना….कि आप देख लेना खुद ही…अब खुश ना

राज—क्या देख लूँगा….?

अरषि—क्या देखना है आपको…?

राज—मेरी अरषि की बुर देखनी है.

अरषि—तो बोल तो दी कि देख लेना.

राज—नही ऐसे नही…खुल के साफ साफ बोलो…

अरषि—बोल तो दी कि आप कल जब आएँगे तो देख लेना.

राज—क्या…?

अरषि—अपनी….अरषि…की…..ब....उ…र......अब ठीक है...अब कुछ नही बोलूँगी...गंदे कही के

राज—अभी गीली है कि सूखी है…

अरषि—बहुत गीली है

राज—क्यो….?

अरषि—अब ऐसी बाते करेंगे तो रोएगी ही ना बेचारी.

राज—अभी आ जाउ.

अरषि—अभी नही..कल

राज—बहुत मन हो रहा है.

अरषि—कल…मैं आपका इंतज़ार करूँगी….अभी पापा भी घर पर हैं...

राज—.

अरषि—आपको रात मे कॉल करूँगी..सब के सोने के बाद..अभी खाना बनाना है.

राज—ओके..एक चुम्मि दे दो.

अरषि—वही से ले लो..हिहीही

राज—उउउम्म्म्मममम...आइ लव यू

अरषि—आइ लव यू टू.

उसके बाद कॉल कट हो गया….मामा भी इधर ही आ रहे थे…उनके आते ही हम दोनो घर के लिए निकल गये…दूसरी तरफ देशराज ने गोविंदा को खून के इल्ज़ाम मे जैल मे बंद कर दिया था.
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03-20-2021, 08:48 PM,
#63
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
अपडेट-32

अरषि—आपको रात मे कॉल करूँगी..सब के सोने के बाद..अभी खाना बनाना है.

राज—ओके..एक चुम्मि दे दो.

अरषि—वही से ले लो..हिहीही

राज—उउउम्म्म्मममम...आइ लव यू

अरषि—आइ लव यू टू.

उसके बाद कॉल कट हो गया….मामा भी इधर ही आ रहे थे…उनके आते ही हम दोनो घर के लिए निकल गये…दूसरी तरफ देशराज ने गोविंदा को खून के इल्ज़ाम मे जैल मे बंद कर दिया था.

अब आगे…….

असलम के मर्डर केस मे गोविंदा के गिरफ्तार हो जाने के बाद डायचंद पोलीस स्टेशन देशराज से मिलने पहुच गया… उसके मन मे शायद अब भी कुछ आशंका थी.

डायचंद—गड़बड़ तो नही हो जाएगी ना इनस्पेक्टर साहब……अदालत मे कोई धुरंधर वकील हमारी स्टोरी के परखच्चे तो नही उड़ा देगा….?

देशराज—तेरे मे सबसे बड़ी खराबी ये है डायचंद कि तू बोलता बहुत है…..कोई धुरंधर वकील क्या इसमे हींग लगा लेगा....सलमा अदालत मे गवाही देते वक़्त क़ुबूल करेगी या नही कि उसने मुझे यानी इनस्पेक्टर देशराज को अपने हज़्बेंड और छमिया के अवैध संबंधो के बारे मे बताया था.

डायचंद—ज़रूर क़ुबूल करेगी….उससे मेरी बात हो चुकी है.

देशराज—तेरी बात क्यो नही मानेगी वह….आख़िर माशूक़ा है तेरी वो….और फिर आख़िर तूने उसकी खातिर ही तो उसके हज़्बेंड को लुढ़काया है…..खैर स्टोरी ये है कि सलमा ने मुझे छमिया और असलम के नाजायज़ संबंध के बारे मे बताया…. तब मेरे दिमाग़ मे यह बात आई कि कहीं ये भेद गोविंदा को तो पता नही लग गया था….कहीं इसलिए तो असलम की हत्या नही हुई…..पुष्टि करने के लिए उसके कमरे की तलाशी ली गयी……सारे नौकर गवाही देंगे की खून से साने कपड़े और चाकू उनके सामने गोविंदा की संदूक से बरामद हुए…..देंगे की नही…..?

डायचंद—देनी पड़ेगी…आख़िर यह सच है.

देशराज—उसके बाद काम करेगी फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट की रिपोर्ट…..उसे सॉफ सॉफ लिखना पड़ेगा की चाकू की हॅंडल पर गोविंदा की उंगलियो के निशान हैं.

डायचंद—क्या आप उस पर गोविंदा की उंगलियो के निशान ले चुके हैं…..?

देशराज—अपना काम फिनिश करने के बाद ही मैं यहाँ आराम से बैठा हूँ.

डायचंद—ल्ल्ल..लेकिन चाकू पर उसने अपनी उंगलियो के निशान कैसे दिए…..?

देशराज (हँसते हुए)—लगता है कि तू कभी थर्ड डिग्री के टॉर्चर से नही गुजरा.

डायचंद—म्‍म्म…मैने तो कभी हवालात भी नही देखी इनस्पेक्टर साहब.

देशराज—तभी ऐसे बचकाना सवाल पूछ रहा है.

डायचंद—मैं समझा नही.

देशराज—थर्ड डिग्री टॉर्चर एक ऐसे पकवान का नाम है डायचंद, जिसका स्वाद केवल वही जानता है जिसने उसे चखा हो….इसलिए तू ठीक से नही समझ सकता…..बस इतना जान ले कि उसके दरम्यान अगर हम तुझसे अपना पेशाब पीने और मैला खाने के लिए भी कहेंगे तो वह तुझे करना पड़ेगा….ये तो एक चाकू पर गोविंदा के उंगलियो के निशान लेने जैसा मामूली मामला था.

डायचंद—कही लॅबोरेटरी मे जाँच के दरम्यान जाँच करता ये तो नही जान जाएँगे कि गोविंदा के धोती कुर्ते पर जो खून लगा है वो असलम का नही है…?

देशराज—कैसे जान जाएँगे…? वो केवल खून का ग्रूप बताते हैं और उसके धोती कुर्ते पर जो खून लगा है वह उसी ग्रूप का है जो असलम के खून का ग्रूप था….लगा है की नही…?

डायचंद—बिल्कुल लगा है…खून तो मैं खुद ही खरीद कर लाया था.

देशराज—उसमे तूने कौन सा तीर मार दिया…..मार्केट मे हर ग्रूप का खून मिलता है.

डायचंद—फिर भी, आख़िर कुछ काम तो किया ही है मैने…..गोविंदा के कमरे से उसके कपड़े चुराना और फिर खून लगा कर वापिस संदूक मे चाकू सहित रखना कम रिसकी काम नही था.

देशराज—फाँसी से बचने के लिए लोग आकाश पाताल एक कर देते हैं…..और तू इतना मामूली काम करने के बाद सीना फुलाए घूम रहा है.

डायचंद—लेकिन गोविंदा और छमिया तो हमारी स्टोरी की पुष्टि नही करेंगे….?

देशराज—अदालत ही नही, सारी दुनिया जानती है कि कोई मुजरिम खुद को मुजरिम साबित करने वाली स्टोरी की पुष्टि नही करता… यह सवाल होता है पुख़्ता गवाहॉ और सबूतो का…..वह सब हमने जुटा लिए हैं…घर जा डायचंद और आराम से पैर पसार कर सो जा.

डायचंद के जाने के बाद देशराज ने हवलदार को बुला कर छमिया को बुलाने भेज दिया और खुद ठाकुर से मिलने चला गया…..शाम को
छमिया डरी सहमी पोलीस थाने मे दाखिल हुई तब तक देशराज भी आ चुका था.

छमिया—आप ने रात के इस वक़्त मुझे क्यो बुलाया है इनस्पेक्टर साहब….?

देशराज—तेरा बयान लेना है.

छमिया—व..वो तो आप दिन मे ले चुके हैं.

देशराज—तुझे दिन वाले और रात वाले बयान का फ़र्क नही मालूम.... ?

च्चामिया—जी...जी नही.

देशराज—दरवाजा बंद कर के अंदर से सीत्कनी चढ़ा दे.

च्चामिया (चिहुक कर)—क्क्क...क्यो.... ?

देशराज—रात वाला बयान बंद कमरे मे लिया जाता है.

च्चामिया (कठोरता से)—न्न्न…नही…..मैं दरवाजा बंद नही करूँगी…..जो भी बयान लेना है ऐसे ही लो.

देशराज (कुटिल हँसी)—तू तो सच मुच मे बावली है…..बयान का मतलब ही समझ कर नही दे रही….ज़रा सोच, अगर दरवाजा बंद कर देगी तो मैं अकेला बयान लूँगा….और अगर दरवाजा खुला छोड़ दिया तो यहाँ थाने मे हवलदार हैं, सिपाही और कॉन्स्टेबल हैं….सब के सब साले तेरा बयान लेने चले आएँगे.

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03-20-2021, 08:49 PM,
#64
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
छमिया (मासूमियत से)—तो क्या हुआ…..? मैं सब को बयान दे दूँगी.

देशराज (ज़ोर से हँसते हुए)—अच्छा....सबको बयान दे देगी तू...हाहहाहा

छमिया—क्यो नही....जो सच है.

देशराज—बड़ी दरिया दिल है…..लगता है पांडुरम हवलदार साला झूठ बोल रहा था…?

छमिया—क्क…क्या बोल रहे थे हवलदार साहब…..?

देशराज उसके भोलेपन का पूरा लुत्फ़ उठा रहा था…..इसलिए उससे डबल मीनिंग मे बाते किए जा रहा था…लेकिन जब काम बनता नही दिखा तो उसने सीधे सीधे बात करने का सोच लिया.

देशराज—साला कह रहा था की तू अपने पति के अलावा किसी को भी बयान नही देती.

छमिया (चौंक कर)—क्क्क…क्या मतलब है आप का….? आप कहना क्या चाहते हैं इनस्पेक्टर साहब…?

देशराज—देख छमिया…तेरा पति हत्या के जुर्म मे फँस गया है और अब केवल मैं ही उसको बचा सकता हूँ.

छमिया—आअ…आप..कैसे….?

देशराज ने घोल कर पी जाने वाले अंदाज़ मे उसको घूरा…..सच मूच वह बला की खूबसूरत थी….गदराया हुआ जिस्म…लंबा कद, मासूम और मक्खन की तरह चिकना गोरा मुखड़ा, बड़ी बड़ी कजरारी आँखे, रसीले होठ, उपर को उठी हुई बड़ी चुचिया और खूब फूली हुई
गान्ड….छमिया के संपूर्ण जिस्म को टटोलती उसकी नज़रें उसकी मदमस्त चुचियो पर स्थिर हो गयी.

देशराज (चुचियो को घूरते हुए)—क्यों कि मैने ही उसको फँसाया है.

छमिया (शॉक्ड)—आअ…आप ने…?

देशराज—ह्म…मैं जानता हूँ कि उसने असलम की हत्या नही की….जिसने की है, उसको भी जानता हूँ…सुबह होते ही तेरे पति को छोड़
कर उसको पकड़ सकता हूँ.

छमिया—तो फिर आप ने उन्हे पकड़ा ही क्यो….?

देशराज (चुचियो पर नज़रें गड़ाए)—तेरी खातिर..

छमिया—म्‍म्म…मेरी खातिर…..?

देशराज—हां जानेमन, देखने मात्र से ही बड़ी रसीली नज़र आती है तू….जैसे ही तुझ पर मेरी पहली नज़र पड़ी तो दिल मे ख्वाहिश उभरी....कि बिना कपड़ो के तू पूरी नंगी कैसी नज़र आती होगी…? हवलदार से कहा कि मैं तुझे चोदना चाहता हूँ….वह बोला कि भूल जाइए…आख़िर वह पतिव्रता है….मर सकती है लेकिन अपने पति के अलावा किसी की तरफ देख तक नही सकती मैने उसी दिन सोच लिया था, मौका मिलने पर तेरी परीक्षा लूँगा…..देखु तो सही कि तू किस स्तर की पति व्रता है और नतीज़ा सामने है…..पति व्रता वह कहलाती है
जो अपना सर्वस्व लूटा कर भी अपने पति की जान बचा ले…..और मैं तो केवल तेरी बाहों मे एक रात गुजारने का ख्वाहिश मंद हूँ.

छमिया (ज़ोर से चिल्लाते हुए)—हरामजादे…कुत्ते…..होश मे रह के बात कर.

देशराज (गुस्से मे)—पोलीस वाले से गालियों मे मुक़ाबला करना चाहती है मादरचोद….इस तरह से तू अपने पति को कभी नही बचा सकती तू.

छमिया (चिल्लाते हुए)—म्‍म्म...मैं तेरे मूह पर थूकती हूँ, कमिने

देशराज (गुस्से मे)—ये पोलीस थाना है छमिया और मैं यहाँ का थानेदार हूँ.....इंसान की औकात ही क्या है...थाने मे थानेदार को मनमानी करने से भगवान तक नही रोक सकता......चाहू तो इसी वक़्त तुझे यही ज़मीन पर पटक कर चोद डालु मगर नही...देशराज का विश्वास बलात्कार मे नही है....अगर होता तो बहुत पहले ही तू मेरे द्वारा चोदि जा चुकी होती.... जो मज़ा रज़ामंदी से चोदने मे है वह बलात्कार मे नही
है, तू खुद आगे बढ़ कर मुझे अपनी बाहों मे लेगी.....ये पहाड़ जैसी चुचिया खुद मेरे मूह मे पूरी नंगी हो कर डालेगी तू....तेरे लिए बेहतर यही
होगा कि तू अपनी बुर मुझे चोदने को दे दे और बदले मे अपना पति ले ले.

छमिया (गुस्से मे)—हरामी साले....चातत्त्ताअक्कककक....कुत्ते की औलाद.....चत्त्ताअक्ककक....मैं अभी तेरी शिकायत एसपी साहब से करने जा रही हू.

देशराज (गुस्से से)—साली रंडी...मेरे उपर हाथ उठाती है......जो काम मैने आज तक नही किया, वो अब करूँगा....आज तो तेरी चोद के
रहूँगा.....देखता हूँ आज कौन मुझसे तेरी बुर चुदने से बचाने आता है.

छमिया देशराज का इरादा भाँप कर बाहर की तरफ भागी लेकिन देशराज ने दौड़ कर उसको पकड़ लिया और एक झटके मे ही उसकी
साड़ी निकाल कर फेंक दी....और उसको नीचे पटक के उसके उपर चढ़ गया.

वो उसके ब्लाउस को फाड़ने के लिए हाथ आगे किया ही था कि छमिया ने उसके चेहरे को अपने नखुनो से ज़ोर से नोच दिया....देशराज का
ध्यान थोड़ा उस पर से हटा तो उसने देशराज को धक्का देकर तेज़ी से बाहर भागी.

देशराज (ज़ोर से)—पांडुरम.....जाओ...उस मादरचोद को यहाँ नंगी कर के घसीट कर लेते आओ....सब को ले जाओ....देखता हूँ आज इसकी बुर और गान्ड फटने से कैसे बचेगी....साली को वैश्या साबित करूँगा कोर्ट मे....गोविंदा को तो मैं वैसे भी तुझे चोद लेने के बाद भी छोड़ने वाला नही था.

सभी हवलदार पांडुरम के साथ छमिया का पीछा करने लगे.....जबकि देशराज थाने मे गुस्से से तमतमा रहा था… अपना गुस्सा निकालने के
लिए उसने लॉक अप मे जा कर गोविंदा को बेल्ट से पीटना शुरू कर दिया….तभी उसका मोबाइल बजने लगा.

देशराज—हेलो

"सुना है तुमने असलम मर्डर केस हल कर लिया... ?" सामने से फोन पर एक सर्द आवाज़ उभरी.

देशराज (गुस्से मे)—कौन है बे तू…मुझसे ये पुछ्ने वाला…..?

तभी सामने से जो कहा गया उसको सुनते ही देशराज के हाथ से मोबाइल छूट कर नीचे गिर गया…देशराज का चेहरा ऐसा हो गया जैसे उसको भूकंप ने घेर लिया है....तुरंत ही वह नीचे गिरे मोबाइल की तरफ इतनी तेज़ी से लपका जैसे कि वो जानता हो कि देर होते ही मौत के
घाट उतार दिया जाएगा....उसके जेहन मे उसके शब्द अभी तक गूँज रहे थे जो उस शख्स ने कहे थे
स्टार ब...ल...आ....क....क स....ट....आ....र

दूसरी तरफ छमिया लगातार गिरते पड़ते भागे जा रही थी.....इस छीना झपटी मे उसका ब्लाउस और पेटिकोट कयि जगह से फट चुका था...फिर भी वो अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए बचाऊओ...बचाआूओ पुकारती हुई भागे जा रही थी....उसकी साँसे फूलने लगी थी....तभी भागते हुए वो किसी से टकरा कर गिर गयी.

तब तक सभी पोलीस वाले उस तक पहुच गये और उसको चारो तरफ से घेर लिया.....एक कॉन्स्टेबल ने छमिया को पकड़ने के लिए जैसे ही झुका वैसे ही उसके कान के नीचे एक ज़ोर का मुक्का पड़ा और वो दूर जा गिरा.
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03-20-2021, 08:49 PM,
#65
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
अपडेट—33

फोन पर ब्लॅक स्टार का नाम सुनते ही देशराज के हाथ पैर ढीले पड़ गये.....उसके जिस्म मे ख़ौफ़ की लहर दौड़ गयी...वो बहुत अच्छी तरह
से जानता था कि ब्लॅक स्टार चलती फिरती मौत का नाम है....उसने जल्दी से अपना मोबाइल नीचे से उठा कर अपने कानो मे लगा लिया.

देशराज—य्य...यस सर,...सॉरी सर

ब्लॅक स्टार—मेरे सवाल का जवाब नही दिया देशराज तुमने….? तुम अच्छी तरह जानते हो कि मुझे कोई बात दोहराना पसंद नही है.

देशराज—सॉरी सर, वो..असलम का हत्यारा पकड़ लिया गया है…इस समय हवालात मे है…सुबह होते ही उसको कोर्ट मे पेश कर
दूँगा..सर.

ब्लॅक स्टार—मुझे अच्छी तरह से मालूम है कि तुमने जिस गोविंदा को पकड़ा है वो बेकसूर है…उसकी बीवी का जिस्म पाने के लिए तुमने
ऐसा किया है….अब तुम एक काम करो उस गोविंदा को छोड़ो और असलम के खून के जुर्म मे उसकी बीवी सलमा को जैल के अंदर करो.

देशराज (चौंक कर)—मगर..सिर्र…उसकी एफआइआर कोर्ट मे फाइल हो चुकी है.

ब्लॅक स्टार—मुझे दुबारा कोई बात कहना पसंद नही है देशराज……क्यो ये नही हो सकता क्या…..?

देशराज (पसीना पोछते हुए)—कककक…क्यो नही हो सकता….ज़रूर हो सकता है, सर….

ब्लॅक स्टार—तो ये काम सुबह ही हो जाना चाहिए…और एक बात हमेशा याद रखना…जहा पर सब की सोच ख़तम होती है…..वहाँ से मैं सोचना शुरू करता हू.
.............................................
इधर राज अपने मामा के साथ घर को चल दिया….घर पहुचते ही सबने उसका स्वागत किया….बहुत समय बाद वो अपने ननिहाल आया था.

सपना (बड़ी मामी)—कितना बड़ा हो गया है हमारा राज और सुंदर भी..

संतु (बड़े मामा)—आख़िर भांजा किसका है….सुंदर तो होगा ही.

सपना (मूह बना कर)—हूउहह…रहने ही दो…कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगू तेलि.

राज—वैसे आप भी कुछ कम नही हो मामी….आज भी आप 20-22 साल से ज़्यादा की नही लगती…..इस सुंदरता का राज़ क्या है…?

संतु—और भाई राज क्या होगा….रात दिन मेरा खून चूस चूस कर ये दिन पर दिन जवान हो रही है और मैं सूख कर काँटा हो रहा हूँ.

सपना (घूरते हुए)—क्या कहाा…..?

संतु—अरे…अरे…कुछ नही भाग्यवान….देख हमारा भांजा इतने दिनो बाद आया है..कुछ खाने पीने का इंतज़ाम करो….(धीरे से)—जब देखो दुर्गा बन के मेरे उपर चढ़ने को तैयार रहती है.

सपना—चल राज..तू हाथ मूह धो ले..मैं तेरे लिए कुछ खाना लगाती हूँ….(मामा को घूर कर)—तुमको तो मैं बाद मे देखती हूँ….होता जाता कुछ है नही…बड़ी बड़ी बाते करने भर को कह दो..हुन्न्ह

संतु (मन मे)—कहाँ से कुछ होगा अब….सब तो निचोड़ लिया मुझे……तेरे लिए आदमी नही बल्कि कोई सांड़ चाहिए था… जब देखो एक ही ताना मारती रहती है.

मैं हाथ पैर धोने के लिए घर के बाहर लगे हॅंड पंप मे चला गया…..जहाँ कोई नहा रही थी…अंधेरा होने के कारण चेहरा तो नही समझ मे आ रहा था लेकिन इतना तो समझ मे आ ही गया था कि ज़रूर कोई औरत है क्यों कि मेरा लंड फनफना कर खड़ा हो गया था शायद उसने
उस औरत की बुर की खुश्बू सूंघ ली थी.

हॅंड पंप मे अकेले दिक्कत होती है…मैं कुछ देर उसको चलाया और फिर जैसे ही हाथ पैर धोने के लिए सामने आता तब तक पानी ख़तम हो जाता…ऐसा मेरे साथ चार पाँच बार हुआ.

वो जो कोई भी थी अपनी बाल्टी ले कर पानी भरने का इंतज़ार कर रही थी और मेरी ये क्रिया देख रही थी….उसके गीले कपड़ो से आ रही उसके बदन की खुश्बू मुझे मदहोश करने लगी.

“लगता है पहली बार हॅंड पंप चला रहे हो….चलो मैं बाल्टी भर लेती हूँ तुम उसमे ही हाथ मूह धो लो….नही तो मुझे पूरी रात एक बाल्टी पानी के लिए खड़ी रहना पड़ेगा.” उसने मुझ पर दया दिखाते हुए कहा.

राज—दीजिए मैं चलाता हूँ.

मैं हॅंड पंप चलाने लगा…उसने अपनी बाल्टी वही नल के नीचे रख दी…..कुछ ही देर मे बाल्टी भर गयी तो मैं बाल्टी के पानी से ही हाथ पैर
धो कर जाने को हुआ कि तभी मेरा पैर किसी चिकनी चीज़ शायद उसके नहाने के साबुन पर पड़ गया जो वही साइड मे नहाते हुए उसने रख दी थी.

साबुन के उपर पैर पड़ते ही मेरा बॅलेन्स बिगड़ गया और फिसल कर गिरने लगा..मुझे गिरते देख कर उस औरत ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे गिरने से बचाने की कोशिश की लेकिन इस कोशिश मे उसका भी पैर साबुन पर पड़ गया और दोनो ही धडाम से हॅंड पंप के घेरे से बाहर भरे दलदल मे गिर पड़े.

अब आलम ये था कि मैं नीचे और वो मेरे उपर थी….इस चक्कर मे उसके सीने से साड़ी का पल्लू हट गया था…अंधेरा होने की वजह से शायद उसने ब्लाउस पहले ही उतार रखा था नहाने के लिए.

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03-20-2021, 08:49 PM,
#66
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
उसकी नंगी चुचि मेरे मूह के उपर थी….मैने सॉरी कहने के लिए जैसे ही अपना मूह खोला तो उसकी चुचि का एक निपल मेरे मूह मे समा गया.

मुझे किसी पागल कुत्ते ने तो काटा नही था जो मैं ऐसे सुनहरे मौके को यू ही हाथ से जाने देता….मैं भी उसके चूचुक को चूसने लगा…और
दूसरे हाथ से दूसरी चुचि को मुट्ठी मे दबोच कर ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा.

उसके मूह से मादक सिसकारी फूटने लगी….जल्दी से वो उठ कर खड़ी हुई और मुझसे अलग हो गयी…मैं भी शर्मिंदा हो कर उठ खड़ा हो गया और बाल्टी मे भरा हुआ पानी अपने उपर उडेल लिया जिससे कपड़ो मे लगा हुआ कीचड़ धूल जाए.

दो तीन बाल्टी पानी अपने उपर डालने के बाद मैं सोचने लगा कि कुछ देर ऐसे ही बाहर हवा मे रहूँगा तो कपड़े भी सूख जाएँगे और घर मे किसी को पता भी नही चलेगा…..ये सोच कर मैं गाओं मे ही घूमने निकल गया.
.....................................
दूसरी तरफ छमिया लगातार गिरते पड़ते भागे जा रही थी.....इस छीना झपटी मे उसका ब्लाउस और पेटिकोट काई जगह से फट चुका था...फिर भी वो अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए बचाऊओ...बचाआूओ पुकरती हुई भागे जा रही थी....उसकी साँसे फूलने लगी थी....तभी भागते हुए वो किसी से टकरा कर गिर गयी.

तब तक सभी पोलीस वाले उस तक पहुच गये और उसको चारो तरफ से घेर लिया.....एक कॉन्स्टेबल छमिया को पकड़ने के लिए जैसे ही झुका वैसे ही उसके कान के नीचे एक ज़ोर का मुक्का पड़ा और वो दूर जा गिरा.

पांडुराम—कौन है बे….क्या तू जानता नही कि ये पोलीस केस है……? इसको भी ले चलो थाने..साले को वही थर्ड डिग्री देंगे.

लड़का (चुटकी बजाते हुए)—“कोई गान्डु गान्ड नही हिलाएगा.”

पांडुराम—तू पोलीस वालो को गाली देता है…मारो रे सब साले को.

जैसे ही एक हवलदार उसकी ओर लपका वैसे ही उस लड़के ने घूम कर उसकी गर्दन मे एक किक लगाई जिससे वो वही ढेर हो गया
…छमिया भाग कर उस लड़के के पीछे च्चिप गयी.

अपने साथी को मार खाते देख दो पोलीस वाले एक साथ आ गये….लेकिन जैसे ही उन्होने अपना डंडा उस्स लड़के को मारने के लिए उठाया वैसे ही उसने बैठ कर एक हवलदार के मेन पॉइंट मे एक मुक्का ज़ोर से मार दिया जिससे डंडा नीचे गिर गया और वो अपना हथियार पकड़
कर दर्द से छ्ट पटाते हुए नीचे लॉट पोट होने लगा.

उस लड़के ने नीचे पड़ा पोलीस का वो डंडा उठाया और फिर दे दनादन उन सब की पिटाई करने लगा…जो भी आगे आता उसका सिर फूटने लगा.

लड़का—मैने कहा था था ना कि कोई गान्डू गान्ड नही हिलाएगा….. और मुझे दुबारा बोलने की आदत बिल्कुल नही है.

पांडुराम—तू नही जानता कि तूने कितनी बड़ी ग़लती की है….यहाँ के थाने का इंचार्ज देशराज है और देशराज से दुश्मनी तो भगवान भी नही
लेता….अब तेरा भगवान ही मालिक है.

ये कह कर पांडुराम अपने साथ दो हवलदार सहित उसके उपर भिड़ गया…..लेकिन एक सांड़ के सामने भला इनकी ताक़त की क्या बिसात
थी…..उस लड़के ने तीनो को पल भर मे ही ठोंक बजा दिया…बेचारे अपनी जान बचा कर लंगदाते हुए भाग खड़े हुए.

उनके जाते ही वो औरत निकल कर सामने आई और हाथ जोड़ लिए…..उन फटे कपड़ो मे से उसकी जवानी छलक कर बाहर आने को बेताब थी.

छमिया—आपका बहुत बहुत शुक्रिया….मेरा नाम छमिया है…..यहाँ का थानेदार देशराज जबरन मेरी इज़्ज़त लूटना चाहता था…मैं किसी तरह उससे बच के भाग रही थी…उसने मेरे पति को भी झूठे केस मे फँसा रखा है.

लड़का—लोग मुझे राज कहते हैं…..चलिए आपको घर छोड़ देता हूँ.

छमिया—मेरा..घर…..?

राज—क्या हुआ….? मुझे बताओ..शायद मैं आपकी कोई मदद कर सकूँ…..?

च्चामिया (रोते हुए)—असल बात ये है कि….(पूरी बात बताते हुए)

राज—आप घर जाइए…..कल आप को पति आपके पास होगा….और ये लीजिए ये शर्ट पहन लीजिए….

उसके मना करने के बाद भी मैने अपना शर्ट निकाल के उसको पहना दिया…..मैने उसको फिर उसके रूम तक छोड़ा…उसने चाय की पेश कश की लेकिन मैने मना कर दिया.

इधर घर मे सब परेशान होने लगे कि मैं कहाँ चला गया….अब तक मझले मामा भी खेत से आ गये थे वो भी मुझे खोजने लगे.

गिरीश—ये राज कहाँ चला गया..?

बिंदु (मझली मामी)—दीदी...आप ने कहाँ भेज दिया है राज को....उसको देखे कितना समय हो चुका है.

सपना—मैने कहाँ भेजा उसको .... ? मैने तो बस इतना ही कहा था कि बाहर हॅंड पंप पर जा कर हाथ पैर धो कर आ जा... ? ना जाने कहाँ चला गया…..?

बिंदु (चौंक कर)—क्याआअ.....हॅंड पंप पर...... ?
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03-20-2021, 08:50 PM,
#67
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
UPDATE-34

Idhar ghar me sab pareshan hone lage ki main kaha chala gaya….ab tak majhle mama bhi khet se aa gaye the vo bhi mujhe khojne lage.

Girish—ye raj kaha chala gaya..?

Bindu (majhli mami)—didi...aap ne kaha bhej diya hai raj ko....usko dekhe kitna samay ho chuka hai.

Sapna—maine kaha bheja usko .... ? maine to bas itna hi kaha tha ki bahar hand pump me ja kar hath pair dho kar aa ja... ? na jane kaha chala gaya…..?

Bindu (chounk kar)—kyaaaaa.....hand pump me...... ?

Ab Aage……..

Bindu (mann me)—ye kya gajab ho gaya….? Kya vo raj tha….? Lekin usne aisi harkat kyo ki mere sath….? Par isme uska bhi to koi dosh nahi tha….usne to mujhe dekha bhi nahi tha andhere ke karan.

Jabki dusri taraf main chhamiya ko chhodne uske room tak gaya….aur usko kal phir milne ka kah kar vapis lout aaya lekin iss chakkar me main apni shirt chhamiya se vapis lena hi bhul gaya.

Ghar pahuchte hi sab ke sawalo ki jhadi lagni chalu ho gayi….main koi achcha sa bahana soch raha tha ki kaise inke iss sawal se chhutkara mile.

Sapna—kaha chala gaya tha beta….?

Rashmi—teri shirt kaha hai…..?

Girish—raj kaha rah gaya tha…? Pata hai kab se tujhe dekhne ko ankhe taras rahi thi.

Radhika (bindu mami ki badi beti)—kaha tha re hero ab tak.... ? ek to itne saalo me aaya aur aate hi gayab bhi ho gaya.

Raj—bas thoda gaon ghumne nikal gaya tha….isliye time lag gaya.

Santu—ye raat me koi ghumne ka time hai…? Kal din me mere sath ghum lete.

Sapna—aap to rahne hi do….moong aur masoor ki daal….usko bhi apne jaisa bana doge.

Santu—kyo kya burayi hai mujhme…..?

Sapna—rahne do mera muh mat khulwao ab….raj tu yaha baith main khana lagati hu.

Raj—badi mami..majhli mami nahi dikh rahi jab se aaya hu, ek bar bhi nahi dikhi .

Sapna—andar kitchen me hai….abhi abhi to hand pump se naha kar aayi hai vo bhi.

Raj (chounk kar)—hand pump se…..!

Sapna—aur nahi to kya….yaha sab hand pump ya phir gaon ke bahar jo talab hai vahi nahane jate hain….pahle hand pump ka naam sun kar bindu chounk gayi thi aur tu bhi chounk raha hai.

Raj—arey kuch nahi mami…bas aise hi.

Raj (mann me)—kahi hand pump me vo bindu mami to nahi thi…..? kya unhone mujhe pahchan liya hoga…..? shayad isliye mere samne aane se sankoch kar rahi hain…..beda gark ho tera raj…..aate hi gadbad ho gayi….main unse apni galti ke liye mafi maang lunga….vaise bhi asli galti to unke sabun ki thi…..lekin ek baat to hai ki bindu mami ke doodh abhi bhi khoob kade kade hain…..lagta hai mama ne jyada dabaye nahi hain mami ki chuchiyo ko….

Dimple (bindu ki majhli beti)—raj kal na tum mere sath college ghumne chalna…bahut maza ayega.

Rashmi—chup chap apne room me jake study kar….jab dekho bakar bakar karne lagti hai.

Dimple—didi..aap na jarur pichle janam me meri koi dushman rahi hogi jab dekho chillati rahti ho.

Rashmi—jati hai ya phir lagau ek kaan ke niche….

Dimple—hunhhh....ja to rahi hu.

Rashmi—raj..tune bataya nahi ki teri shirt kaha gayi..aur tere ye kapde itne gande kyo hain….?

Raj—vo kya hai na didi…hand pump me hath pair dhote huye main fisal kar keechad me gir gaya tha…to gande ho gaye..shirt utar ke ek ped par sukhne taang diya hai.

Andar bindu mami kitchen se hamari baate sun rahi thi….jab unhe ye confirm ho gaya ki hand pump me main hi tha to unka dil dhakk kar ke rah gaya.

Rashmi—kyo yaha nahi sukh jata kya….?

Raj (mann me)—baap re…itne sawal to koi mere ghar me bhi mujhse nahi puchta….yahi to sabhi ek se badhkar ek hain…thoda sambhal kar rahna padega yaha to….uff ye pith me bhi abhi hi dard hona tha.

Thodi hi der me badi mami khana le aayi aur main sab ke sath baith kar khane laga….khane ke dauran yaha vaha ki aur ghar ki baate hoti rahi…jinka maine bakhubi imandari se jawab diya.

Dinesh—koi baat nahi..tu mera shirt pahan lena.

Khana khatam hone ke baad jyoti (bindu mami ki choti beti) ne shirt lakar di….pahanne ke baad main sone ke liye dinesh mama ke room me jane laga ki meri nazar ek kamre ke andar gayi jaha patakha didi sorry..sorry vishakha didi (sapna mami ki choti beti) umar 23 years (unmarried) padhte huye bar bar apna sir thonk rahi thi.

Main dabe paon unke room me chala gaya….aur piche se unki ankhe apne hatho se band kar di…vo pahle to gabra gayi aur phir pahchanne ki koshish karne lagi.

Vishakha—hnnnnn…..aisi harkat to mere sath kewal ek hi karta tha hamesha….omg…rajjjj

Raj—to aap ne pahchan liya par kaise….?

Vishakha—tu bhul gaya jab hum pahle ankh micholi ka khel khelte the....tu hamesha meri ankhe aise hi band kar deta tha tere hatho ka vo sparsh aaj bhi mujhe yaad hai..paagal

Raj—par main aap se bahut naraz hu...

Vishakha—par vo kyo.... ?

Raj—mujhe yaha aaye kitna time ho gaya..sab mujhse mil liye lekin aa ne ek bar bhi mujhse milna jaruri nahi samjha...ki ek bar haal chaal hi puch le.

Vishakha—ohh...to janab ke gusse ki ye vajah hai....main jab se aayi hu hazar bar maa se puch chuki hu....magar tera pata hi nahi tha to main padhne baith gayi....aur padhne me itna kho gayi ki tu kab aaya pata hi nahi chala.

Raj—haan bhai kyo pata chalega....main hota hi koun hu apka.... ?

Vishakha—ek thappad lagaungi na to dimag sahi ho jayega tera....tu mera bhai bhi hai aur mera sabse best friend bhi...dubara aisa kabhi mat bolna..samajh gaya na.

Raj—samajh gaya...lekin aap itni pareshan kyo dikh rahi thi... ?

Vishakha—arey yaar vo jyoti (18 varsh) ne dynasour ka chitra banane ko diya tha..vo ban hi nahi raha hai..bar bar galat ho jata hai....aur usko kal ye school me jama karna hai.....chitra kala pradarshani hai kal uske school me.

Raj—main kuch koshish karu.... ?

Vishakha—tuuu…? Theek hai kar

Raj—vaise kya ye dynasour ka chitra hi banana jaruri hai…koi usse milta julta dusra janwar nahi chalega….?

Vishakha—dynasour se milta julta koun sa janwar hai….? Maine to nahi suna kabhi... ? agar tujhe malum hai to bana de vahi…

Maine vishakha didi ke hath se paper lekar usme drying banane laga….tab tak rashmi didi bhi vaha aa gayi aur vishakha khana khane chali gayi….meri drying bhi ready ho gayi thi jisko dekhte hi rashmi didi bhadak gayi.

Rashmi—ye kya bana diya tune idiot….? Dynasour banana tha..ye kya behuda harkat hai.... ?

Raj—kya didi…dynasour ko to iss dharti se khatam huye jamana ho gaya….maine to nahi dekha usko….ha yahi janwar maine dekha hai….Lawda sour.

Rashmi—chal phad isse…jab dekho dimag me tere yahi ghusa rahta hai.

Raj—badhiya drying to hai didi….dekhna first prize milega iss drying ko.

Rashmi—chup kar besharam

Raj—vaise didi…kya socha aap ne….?

Rashmi—kis bare me.... ?

Raj—mujhse chudwane ke bare me.

Rashmi—faltu baat nahi

Raj—batao na didi

Rashmi—chal mere room me chal kar baat karenge...aur apna ye law…sour bhi lete jana…kahi vishakha na dekh le… (mann me)—bahut bigad gaya hai…aate hi vishakha ko line marne laga…aur ye kya lawda sour…omg..ye ladka bhi na

Rashmi didi aage nikal gayi….pata nahi vo itna jaldi koun se room me ghus gayi….Main apna lawda sour lekar ek room me ghus gaya….andar ka scene dekh kar mere to hosh hi ud gaye.

अपडेट-34

इधर घर मे सब परेशान होने लगे कि मैं कहाँ चला गया….अब तक मझले मामा भी खेत से आ गये थे वो भी मुझे खोजने लगे.

गिरीश—ये राज कहाँ चला गया..?

बिंदु (मझली मामी)—दीदी...आप ने कहाँ भेज दिया है राज को....उसको देखे कितना समय हो चुका है.

सपना—मैने कहाँ भेजा उसको .... ? मैने तो बस इतना ही कहा था कि बाहर हॅंड पंप मे जा कर हाथ पैर धो कर आ जा... ? ना जाने कहाँ चला गया…..?

बिंदु (चौंक कर)—क्य्ाआअ.....हॅंड पंप मे...... ?

अब आगे……..

बिंदु (मन मे)—ये क्या गजब हो गया….? क्या वो राज था….? लेकिन उसने ऐसी हरकत क्यो की मेरे साथ….? पर इसमे उसका भी तो कोई दोष नही था….उसने तो मुझे देखा भी नही था अंधेरे के कारण.

जबकि दूसरी तरफ मैं छमिया को छोड़ने उसके रूम तक गया….और उसको कल फिर मिलने का कह कर वापिस लौट आया लेकिन इस
चक्कर मे मैं अपनी शर्ट छमिया से वापिस लेना ही भूल गया.

घर पहुचते ही सब के सवालो की झड़ी लगनी चालू हो गयी….मैं कोई अच्छा सा बहाना सोच रहा था कि कैसे इनके इस सवाल से छुटकारा मिले.

सपना—कहाँ चला गया था बेटा….?

रश्मि—तेरी शर्ट कहाँ है…..?

गिरीश—राज कहाँ रह गया था…? पता है कब से तुझे देखने को आँखे तरस रही थी.

राधिका (बिंदु मामी की बड़ी बेटी)—कहाँ था रे हीरो अब तक.... ? एक तो इतने सालो मे आया और आते ही गायब भी हो गया.

राज—बस थोड़ा गाओं घूमने निकल गया था….इसलिए टाइम लग गया.

संतु—ये रात मे कोई घूमने का टाइम है…? कल दिन मे मेरे साथ घूम लेते.

सपना—आप तो रहने ही दो….मूँग और मसूर की दाल….उसको भी अपने जैसा बना दोगे.

संतु—क्यो क्या बुराई है मुझमे…..?

सपना—रहने दो मेरा मूह मत खुलवाओ अब….राज तू यहाँ बैठ मैं खाना लगाती हूँ.

राज—बड़ी मामी..मझली मामी नही दिख रही जब से आया हूँ, एक बार भी नही दिखी .

सपना—अंदर किचन मे है….अभी अभी तो हॅंड पंप से नहा कर आई है वो भी.

राज (चौंक कर)—हॅंड पंप से…..!

सपना—और नही तो क्या….यहाँ सब हॅंड पंप या फिर गाओं के बाहर जो तालाब है वही नहाने जाते हैं….पहले हॅंड पंप का नाम सुन कर बिंदु चौंक गयी थी और तू भी चौंक रहा है.

राज—अरे कुछ नही मामी…बस ऐसे ही.

राज (मन मे)—कही हॅंड पंप मे वो बिंदु मामी तो नही थी…..? क्या उन्होने मुझे पहचान लिया होगा…..? शायद इसलिए मेरे सामने आने से संकोच कर रही हैं…..बेड़ा गार्क हो तेरा राज…..आते ही गड़बड़ हो गयी….मैं उनसे अपनी ग़लती के लिए माफी माँग लूँगा….वैसे भी असली ग़लती तो उनके साबुन की थी…..लेकिन एक बात तो है की बिंदु मामी के दूध अभी भी खूब कड़े कड़े हैं…..लगता है मामा ने ज़्यादा दबाए नही हैं मामी की चुचियो को….

डिंपल (बिंदु की मझली बेटी)—राज कल ना तुम मेरे साथ कॉलेज घूमने चलना…बहुत मज़ा आएगा.

रश्मि—चुप चाप अपने रूम मे जाके स्टडी कर….जब देखो बकर बकर करने लगती है.

डिंपल—दीदी..आप ना ज़रूर पिछले जनम मे मेरी कोई दुश्मन रही होगी जब देखो चिल्लाती रहती हो.

रश्मि—जाती है या फिर लगाऊ एक कान के नीचे….

डिंपल—हुनह....जा तो रही हूँ.

रश्मि—राज..तूने बताया नही कि तेरी शर्ट कहाँ गयी..और तेरे ये कपड़े इतने गंदे क्यो हैं….?

राज—वो क्या है ना दीदी…हॅंड पंप मे हाथ पैर धोते हुए मैं फिसल कर कीचड़ मे गिर गया था…तो गंदे हो गये..शर्ट उतार के एक पेड़ पर सूखने टाँग दिया है.

अंदर बिंदु मामी किचन से हमारी बाते सुन रही थी….जब उन्हे ये कन्फर्म हो गया कि हॅंड पंप मे मैं ही था तो उनका दिल धक्क कर के रह गया.

रश्मि—क्यो यहाँ नही सुख जाता क्या….?

राज (मन मे)—बाप रे…इतने सवाल तो कोई मेरे घर मे भी मुझसे नही पूछता….यही तो सभी एक से बढ़कर एक हैं…थोड़ा सम्भल कर रहना पड़ेगा यहा तो….अफ ये पीठ मे भी अभी ही दर्द होना था.

थोड़ी ही देर मे बड़ी मामी खाना ले आई और मैं सब के साथ बैठ कर खाने लगा….खाने के दौरान यहाँ वहाँ की और घर की बाते होती रही…जिनका मैने बखूबी ईमानदारी से जवाब दिया.

दिनेश—कोई बात नही..तू मेरा शर्ट पहन लेना.

खाना ख़तम होने के बाद ज्योति (बिंदु मामी की छोटी बेटी) ने शर्ट लाकर दी….पहनने के बाद मैं सोने के लिए दिनेश मामा के रूम मे जाने लगा कि मेरी नज़र एक कमरे के अंदर गयी जहाँ पटाखा दीदी सॉरी..सॉरी विशाखा दीदी (सपना मामी की छोटी बेटी) उमर 23 यियर्ज़ (अनमॅरीड) पढ़ते हुए बार बार अपना सिर ठोंक रही थी.

मैं दबे पावं उनके रूम मे चला गया….और पीछे से उनकी आँखे अपने हाथो से बंद कर दी…वो पहले तो घबरा गयी और फिर पहचानने की कोशिश करने लगी.

विशाखा—हन्‍ंणणन्…..ऐसी हरकत तो मेरे साथ केवल एक ही करता था हमेशा….ऑम्ग…राज्ज्जज

राज—तो आप ने पहचान लिया पर कैसे….?

विशाखा—तू भूल गया जब हम पहले आँख मिचोली का खेल खेलते थे....तू हमेशा मेरी आँखे ऐसे ही बंद कर देता था तेरे हाथो का वो स्पर्श आज भी मुझे याद है..पागल

राज—पर मैं आप से बहुत नाराज़ हूँ...

विशाखा—पर वो क्यो.... ?

राज—मुझे यहाँ आए कितना टाइम हो गया..सब मुझसे मिल लिए लेकिन आप ने एक बार भी मुझसे मिलना ज़रूरी नही समझा...कि एक बार हाल चाल ही पूछ ले.

विशाखा—ओह्ह...तो जनाब के गुस्से की ये वजह है....मैं जब से आई हूँ हज़ार बार माँ से पूछ चुकी हू....मगर तेरा पता ही नही था तो मैं पढ़ने बैठ गयी....और पढ़ने मे इतना खो गयी की तू कब आया पता ही नही चला.

राज—हाँ भाई क्यो पता चलेगा....मैं होता ही कौन हूँ आपका.... ?

विशाखा—एक थप्पड़ लगाउंगी ना तो दिमाग़ सही हो जाएगा तेरा....तू मेरा भाई भी है और मेरा सबसे बेस्ट फ्रेंड भी...दुबारा ऐसा कभी मत बोलना..समझ गया ना.

राज—समझ गया...लेकिन आप इतनी परेशान क्यो दिख रही थी... ?

विशाखा—अरे यार वो ज्योति (18 वर्ष) ने डाइनासौर का चित्र बनाने को दिया था..वो बन ही नही रहा है..बार बार ग़लत हो जाता है....और
उसको कल ये स्कूल मे जमा करना है.....चित्र कला प्रदर्शनी है कल उसके स्कूल मे.

राज—मैं कुछ कोशिश करूँ.... ?

विशाखा—तुऊउ…? ठीक है कर

राज—वैसे क्या ये डाइनासौर का चित्र ही बनाना ज़रूरी है…कोई उससे मिलता जुलता दूसरा जानवर नही चलेगा….?

विशाखा—डाइनासौर से मिलता जुलता कौन सा जानवर है….? मैने तो नही सुना कभी... ? अगर तुझे मालूम है तो बना दे वही…

मैने विशाखा दीदी के हाथ से पेपर लेकर उसमे ड्राइयिंग बनाने लगा….तब तक रश्मि दीदी भी वहाँ आ गयी और विशाखा खाना खाने चली गयी….मेरी ड्राइयिंग भी रेडी हो गयी थी जिसको देखते ही रश्मि दीदी भड़क गयी.

रश्मि—ये क्या बना दिया तूने ईडियट….? डाइनासौर बनाना था..ये क्या बेहूदा हरकत है.... ?

राज—क्या दीदी…डाइनासौर को तो इस धरती से ख़तम हुए जमाना हो गया….मैने तो नही देखा उसको….हाँ यही जानवर मैने देखा
है….ळवडा सौर.

[ओ माइ गॉड]
ळव्डा सौर

रश्मि—चल फाड़ इसे…जब देखो दिमाग़ मे तेरे यही घुसा रहता है.

राज—बढ़िया ड्राइयिंग तो है दीदी….देखना फर्स्ट प्राइज़ मिलेगा इस ड्राइयिंग को.

रश्मि—चुप कर बेशरम

राज—वैसे दीदी…क्या सोचा आप ने….?

रश्मि—किस बारे मे.... ?

राज—मुझसे चुदवाने के बारे मे.

रश्मि—फालतू बात नही

राज—बताओ ना दीदी

रश्मि—चल मेरे रूम मे चल कर बात करेंगे...और अपना ये लॉ…सौर भी लेते जाना…कही विशाखा ना देख ले… (मन मे)—बहुत बिगड़
गया है…आते ही विशाखा को लाइन मारने लगा…और ये क्या लवडा सौर…ओ माइ गॉड..ये लड़का भी ना

रश्मि दीदी आगे निकल गयी….पता नही वो इतना जल्दी कौन से रूम मे घुस गयी….मैं अपना लवडा सौर लेकर एक रूम मे घुस गया….अंदर का सीन देख कर मेरे तो होश ही उड़ गये.
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03-20-2021, 08:50 PM,
#68
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
UPDATE-35

अपडेट-35

राज—वैसे दीदी…क्या सोचा आप ने….?

रश्मि—किस बारे मे.... ?

राज—मुझसे चुदवाने के बारे मे.

रश्मि—फालतू बात नही

राज—बताओ ना दीदी

रश्मि—चल मेरे रूम मे चल कर बात करेंगे...और अपना ये लॉ…सौर भी लेते जाना…कहीं विशाखा ना देख ले… (मन मे)—बहुत बिगड़
गया है…आते ही विशाखा को लाइन मारने लगा…और ये क्या लवडा सौर…ऑम्ग..ये लड़का भी ना

रश्मि दीदी आगे निकल गयी….पता नही वो इतना जल्दी कौन से रूम मे घुस गयी….मैं अपना लवडा सौर लेकर एक रूम मे घुस गया….अंदर का सीन देख कर मेरे तो होश ही उड़ गये.

अब आगे…….

अंदर बिंदु मामी कपड़े चेंज कर रही थी….इस समय वो अपनी सारी उतार रही थी….सारी उतारने के बाद उन्होने अपना ब्लाउस खोलना शुरू कर दिया.

मेरी तो जान ही हलक मे अटक गयी….एक बरगी तो मन मे आया कि ये ग़लत है उन्हे ऐसे देखना….लेकिन फिर भी दूसरा मन उनके इस खूबसूरत जिस्म की झलक देखने को आतुर हो रहा था.

ब्लाउस खोलते ही उनकी दोनो दूध की टँकिया आज़ाद पक्षी की तरह खुली हवा मे फड़फड़ाने लगी…शायद ब्रा उन्होने हॅंड पंप मे नहाने के
बाद पहनी ही नही थी…..तीन बच्चे हो जाने के बाद भी बिंदु मामी की चुचिया नीचे को लटकी नही थी.

बिंदु मामी का गोरा शरीर एक दम दूध की तरह चमक रहा था….उनकी चुचियो के निपल भी ज़्यादा बड़े नही थे… उनके निपल के चारो
ओर छोटा सा ब्राउन कलर का घेरा बना हुआ था.

मैं ललचाई नज़रों से उनकी दूध की इन्न खूबसूरत टँकियो को घूर्ने मे ही मगन हो गया….कुछ देर अपनी चुचियो को दोनो हाथो से सहलाने के बाद वो बेड पर रखी अपनी मॅक्सी उठाने के लिए झुकी कि तभी आकस्मात उनकी नज़र सामने अलमारी के लगे मिरर की ओर चली गयी.

मिरर मे मुझे अपने अर्ध नग्न जिस्म को किसी भूखे की भाँति ललचाई नज़रों से घूरते देख कर वो चौंक कर हड़बड़ा गयी और जल्दी से खड़ी हो गयी.

बिंदु (हड़बड़ा कर)—राआाजजज….त्त्त्त्त..तुम…..

अपनी चोरी पकड़े जाने से मैं भी हड़बड़ा गया लेकिन ज़्यादा नही क्यों कि मैं अब तक ऐसी परिस्थितियो से कयि बार गुजर चुका था और पूरी तरह से एक सूपर अनुभवी पर्सन बन चुका था…..ऐसे हालात मे पकड़े जाने पर क्या करना चाहिए इस पर मेरा दिमाग़ बहुत तेज़ी से काम करता था.

राज (चुचियो को घूरते हुए)—स्स्सोररी मामी…दरअसल मैं आप से माफी माँगने आया था.

बिंदु—ठीक है..ठीक है…..अभी तुम जाओ.

मैं मामी से बात तो ज़रूर कर रहा था लेकिन मेरा ध्यान तो उनकी टँकियो मे ही अटक गया था जिनका रस चूसने के लिए मेरी जीभ होंठो पर बार बार लपलपा रही थी.

मुझे अपनी तरफ ऐसे घूरते देख कर जैसे ही उनका ध्यान अपनी नंगी चुचियो की ओर गया तो वो जल्दी से अपनी मॅक्सी उठा कर उन्होने
अपनी चुचियो को ढक लिया.

किंतु इस बीच मॅक्सी उठाने के लिए झुकने पर उनके भारी भरकम चुतड़ों का पूरा भूगोल नज़र आ गया…शायद उन्होने पैंटी भी नही पहन रखी थी.

राज (घूरते हुए)—सॉरी मामी….जो हुआ वो ग़लती से हुआ

बिंदु—क्क्क..कोई बात नही...अभी..तूमम्म्मममम......

मामी ने आगे कुछ कहने के जा ही रही थी कि उनकी नज़र मेरे पॅंट मे हाथ भर का तंबू मे बॅमबू बने लंड पर चली गयी और उनकी आँखे ये सीन देखते ही हैरत से बड़ी बड़ी हो गयी.

मैं तो शुरू से ही ऐसे हालातों का फ़ायदा उठाने मे सबसे आगे रहता था....मामी के मन मे चल रहे तूफान को अच्छी तरह से भाँप गया और
उनकी चुचियो को खा जाने वाली नज़रों से देखते हुए अपने लंड को एक हाथ से मसल्ने लगा.

बिंदु मामी की तो हालत ही खराब हो चुकी थी....अभी थोड़ी देर पहले ही वो नहा कर आई थी लेकिन फिर भी माथे से और नीचे दोनो जाँघो
के बीच उनकी बुर मे से पसीना निकलने लगा था.

बिंदु (मन मे)—हाय दैयया....ये क्या है... ? ये तो बहुत बड़ा लग रहा है और मोटा भी है.....क्या इतना बड़ा और मोटा भी किसी का होता है….? इनका तो बहुत छोटा सा है और बहुत पतला भी ..छोटी उंगली के बराबर होगा राज के उसके सामने.

राज—क्या..सोच रही हो मामी.... ? कुछ चाहिए क्या….?

मेरे ऐसे पूछने से बिंदु मामी घबरा गयी और जल्दी से पीछे पलटने को हुई कि उनका पैर साड़ी मे फँस गया….वो अनबॅलेन्स हो कर नीचे गिरने लगी फिर से तो मैने तुरंत उन्हे पकड़ लिया.

किंतु इस पकड़ा धकड़ी मे हम दोनो ही बिस्तर पर गिर पड़े….बिंदु मामी मेरे नीचे और मैं उनके उपर…..उनकी मॅक्सी भी हाथो से छिटक कर नीचे कही गिर गयी थी और एक बार फिर से उनकी चुचिया मेरे सामने बिल्कुल नंगी हो चुकी थी.

राज—सॉरी..मामी

मैने उठने का नाटक करते हुए उनके उपर थोड़ा दबाव डाल दिया…उनका पेटिकोट गिरने के दौरान घुटनो से उपर सरक आया था…और
लंड बिल्कुल ठीक उनकी बुर के दरवाजे पर ठोकर मार रहा था.

बिंदु मामी ने अपनी आँखे बंद कर ली थी शायद वो भी जानती थी कि वो इस समय मेरे सामने किस अवस्था मे हैं जिसकी वजह से लाज़ और शरम से उनकी आँखे स्वतः ही बंद हो गयी थी.

राज (धीरे से पॅंट की चैन खोलते हुए)—सॉरी…मामी…जो कुछ हुआ आपको गिरने से बचाने के चक्कर मे हुआ…

मामी कुछ नही बोली..लेकिन उनके मूह से एक आआहह .की सिसकारी ज़रूर निकली धीरे से…..मैने भी मौके का फ़ायदा उठाते हुए एक हाथ उनकी नंगी चुचि पर रख दिया और धीरे धीरे सहलाने लगा…दूसरी चुचि के निपल को मूह मे भर लिया और उसको भी चूसना शुरू कर दिया.

बिंदु—आअहह…..राज्ज्ज छ्चोड़ो मुझे……ये ठीक नही है…..ये पाप है….मैं किसी को मूह दिखाने के काबिल नही रहूंगी..एयाया तूमम जाऊओ यहा से….उउउफफफ्फ़

राज (चुचि ज़ोर से दबाते हुए)—क्या ठीक नही है मामी…..?

बिंदु—आआआआहह…माआ….वहीी जो तूमम्म कारर्र रहीई हूऊऊओ…..आआआअहह

बिंदु मामी ने मुझे अपने उपर से हटाने के लिए मुझे धकेलना चाहा किंतु इस चक्कर मे उनके उपर मेरा वजन और ज़्यादा लगने लगा जिसका नतीज़ा ये हुआ कि लंड जो की पहले से ही बिंदु मामी की बुर के छेद पर टिका हुआ था…बुर पर दबाव पड़ने से लंड का टोपा पेटिकोट
सहित उनके छेद मे घुस गया.

बिंदु—आआआआ…..उूुउउइईई माआअ……मरररर गाइ….राज्ज्जज छ्ोड़ूऊ…आआआअ…ये..ठीकककक नहिी हाईईइ..एयाया (मन मे)—ये तो सच मे बहुत मोटा और लंबा है…..राज ने तो अंदर ही पेलना शुरू कर दिया….मुझे रोकना होगा राज को.

तभी मेरे कानो मे दिनेश मामा की आवाज़ सुनाई पड़ी…..जिससे मेरा ध्यान दरवाजे की तरफ गया जो कि खुला हुआ था… मुझे दिनेश मामा के उपर बहुत गुस्सा आने लगा ऐसे बनता हुआ काम बिगड़ते देख कर.

राज (मन मे)—एक तो देश मे वैसे ही चूतो की कमी होती जा रही है….लेकिन ये चुतिये बढ़ते ही जा रहे हैं.

बिंदु—एयाया….राज्ज्जज्ज..छ्चोड़डूव…हतूऊऊओ मेरे उपर से….आअहह

राज—सोररय्यययी..मामी….वो ग़लती से हो गया.

मैं उनके उपर से हट कर दरवाजा बंद कर के बाहर निकल गया…..जहा दिनेश मामा मुझे ही ढूँढते हुए आ रहे थे उधर.

दिनेश—कहाँ चला गया था…सोना नही है क्या…? चल आ जा

राज—आप चलो मामा…मुझे तोड़ा रश्मि दीदी से काम है.

दिनेश—ठीक है….बिस्तर तेरा लगा दिया है मेरे कमरे मे….

राज—ओके मामा

मेरा तो कलपद हो जाने से मूड खराब हो गया था…..तो सोचा की रश्मि दीदी पर ही एक ट्राइ मारता हूँ..शायद कुछ बात बन जाए…ये सोच कर मैं उनके रूम मे पहुच कर नॉक किया तो उन्होने डोर खोला.

रश्मि—क्या हुआ राज…अभी तक सोए नही तुम…..?

राज—सॉरी..अगर मैने आपको डिस्टर्ब कर दिया हो तो.

रश्मि—अरे नही…मैं तो ऐसे ही पूछ रही थी….मैं बस सोने जा ही रही थी अब.

राज—मुझे भी नीद नही आ रही थी तो सोचा कि आप से कुछ बाते कर लूँ.

रश्मि—क्या बाते करनी हैं अब रात मे…?

राज—दीदी, बहुत मन कर रहा है एक बार आपकी देखने का.

रश्मि—क्य्ाआअ कहा….?

राज—ह्म दीदी, सच्ची बहुत मन हो रहा है एक बार आपकी बुर देखने का…प्लीज़ दिखा दो ना

रश्मि—चुपचाप तुरंत निकल मेरे रूम से…नही तो खिच के थप्पड़ लगाउंगी.

राज—ये क्या बात हुई…? अभी तो कितने अच्छे से बात कर रही थी आप.

रश्मि (गुस्से मे)—तुम्हे इतनी भी समझ नही है कि किससे क्या बाते करनी चाहिए….? ये भी भूल गये कि मैं तुम्हारी बड़ी बहन हूँ…. अब अगर आज के बाद ऐसी बाते मुझसे कभी की ना तो सीधे जैल भिजवा दूँगी ….चलो निकलो यहा से.

राज—क्या बहन के पास बुर नही होती…..? मैने कब कहा की आप मेरी बहन नही हो…..? आप बुर वाली बड़ी बहन हो मेरी.

रश्मि (गुस्से मे)—चात्त्टाककक…..गेट आउट फ्रॉम हियर.

ये तो साला गड़बड़ हो गया…मेरा पूरा प्लान ही चौपट हो गया…. थप्पड़ लगते ही जो नशा मेरे उपर बिंदु मामी की वजह से चढ़ा था..सब रफू चक्कर हो गया….मैं अपना गाल सहलाते हुए आगे बढ़ने लगा.

रश्मि (गुस्से मे)—आगे कहाँ घुसा चला आ रहा है…? मैने बाहर निकलने को कहा है की ...समझ नही आया हो तो एक और लगा दूं... ?

राज—मेरा बॅग मुझे दे दो....मैं अभी अपने गाओं चला जाउन्गा.....मुझे पता नही था कि जिन्हे मैं अपना समझ के उनके पास जा रहा हूँ वो तो मेरे हैं ही नही..सॉरी....आप की जवानी आप को मुबारक हो.

मैं अपना बॅग उठा कर वहाँ से बाहर की तरफ चल दिया.....जाने क्या सोच कर रश्मि दीदी ने मुझे रुकने को कहा लेकिन मैं नही रुका और जैसे ही दरवाजा खोल कर बाहर जाने को हुआ तो वो भाग कर मेरा हाथ पकड़ ली.

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03-20-2021, 08:50 PM,
#69
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
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अपडेट-36

ये तो साला गड़बड़ हो गया…मेरा पूरा प्लान ही चौपट हो गया….थप्पड़ लगते ही जो नशा मेरे उपर बिंदु मामी की वजह से चढ़ा था..सब रफू
चक्कर हो गया….मैं अपना गाल सहलाते हुए आगे बढ़ने लगा.

रश्मि (गुस्से मे)—आगे कहाँ घुसा चला आ रहा है…? मैने बाहर निकलने को कहा है कि ...समझ नही आया हो तो एक और लगा दूं... ?

राज—मेरा बॅग मुझे दे दो....मैं अभी अपने गाओं चला जाउन्गा.....मुझे पता नही था कि जिन्हे मैं अपना समझ के उनके पास जा रहा हूँ वो तो मेरे हैं ही नही..सॉरी....आप की जवानी आप को मुबारक हो.

मैने अपना बॅग उठा कर वहाँ से बाहर की तरफ चल दिया.....जाने क्या सोच कर रश्मि दीदी ने मुझे रुकने को कहा लेकिन मैं नही रुका और जैसे ही दरवाजा खोल कर बाहर जाने को हुआ तो वो भाग कर मेरा हाथ पकड़ ली.

अब आगे.........

राज—छोड़िए मेरा हाथ....जब किसी को मेरी परवाह ही नही है तो यहा रहने का फ़ायदा ही क्या है... ?

रश्मि—राज..तू सच मे पागल हो गया है.....क्या तेरे दिल मे रिश्ते नातो की कोई कदर नही है.... ?

राज—कदर है तभी तो चुपचाप जा रहा हूँ यहाँ से......

रश्मि—मेरी जगह अगर तेरी अपनी सग़ी बहन शीतल होती तो क्या तब भी तू यही करता, जो मेरे साथ करने की तू सोच रहा है.... ?

राज—दीदी...शीतल दीदी को बीच मे मत लाइए.

रश्मि—क्यो ना लाउ…आख़िर मैं भी तो तेरी बहन हूँ…जैसे शीतल है.

राज—मुझे जाने दीजिए…..मैं आप के साथ कोई ज़बरदस्ती तो नही कर रहा हूँ ना…..मैं अब आप से कोई बात नही करना चाहता.

रश्मि—देख राज जो तू मुझसे चाह रहा है वो ग़लत है…पाप है.

राज—मुझे अब आप से कुछ नही चाहिए.

रश्मि—अगर मैं तेरी बात मान लूँ तो……….

ये सुनते ही मेरा दिल गार्डेन गार्डेन हो गया….मन मयूर बन के अंदर ही अंदर नाचने लगा…लेकिन मैं अभी रश्मि दीदी को और भी तड़पाना चाहता था.

राज (मन मे)—अब तो आपकी ऐसी हालत करूँगा दीदी कि आप मुझसे हर समय अपनी बुर लेने की मिन्नत करोगी….मुझे देखते ही खुद ही अपनी जांघे फैला कर अपनी बुर बार बार दिखाने की कोशिश करोगी….आख़िर आपने थप्पड़ जो मारा है… इसकी कीमत तो मुझसे अपनी
बुर और गान्ड फडवा कर चुकानी पड़ेगी आपको...."बजेगी सब की बजेगी, सांड़ से कोई नही बचेगी."

रश्मि—बता ना…अगर मैं तेरी बात मान कर तुझे अपनी दिखा दूं तो, तब तो तू कही नही जाएगा ना….?

राज—मैने कहा ना कि मुझे अब कुछ नही चाहिए आप से…मुझे बस अपने गाओं जाना है वो भी अभी के अभी.

रश्मि—तुझे उसकी कसम जिसको तू सबसे ज़्यादा चाहता हो….अगर तू यहाँ से घर छोड़ कर गया तो.

राज—ठीक है….हाथ छोड़ मेरा….मुझे नीद आ रही है…मुझे सोना है.

रश्मि—वैसे तू सबसे ज़्यादा किसे चाहता है….?

राज—ये जानना आपका काम नही है.

रश्मि—क्या अब सच मे तू मेरी नही देखना चाहता…..?

राज—नही..

रश्मि—अगर मैं खुद तुझे अपनी दिखाऊ तब भी नही..... ?

राज—नही...कह तो दिया एक बार...और हर बार एक ही जवाब मिलेगा नहिी...नहिी और नही..ओके...गुड नाइट

मैं अपना हाथ छुड़ा कर दिनेश मामा के रूम मे चला गया और रश्मि दीदी मुझे हैरानी से देखती रही...मैं अभी रूम मे पहुचा ही था कि होने वाली मामी अरषि का फोन आ गया...मैने मामा की तरफ गौर से देखा तो वो लौडू घोड़े बेच कर सो गया था...निश्चिंत हो कर मैने कॉल रिसीव कर लिया.

राज—हेलो

अरषि (धीरे से)—सो गये क्या.... ?

राज—सोया कहाँ हूँ यार...बस तुम्हारी याद मे हिला रहा था.

अरषि—क्याअ.... ?

राज—अब ये मत पूछना कि क्या हिला रहा था... ?

अरषि—आपको शरम नही आती ऐसी बात करते हुए….?

राज—अब अपनी होने वाली बीवी से कैसी शरम…वैसे यार एक बात तो बता

अरषि—क्या…?

राज—तेरी कैसी दिखती है…?

अरषि—क्या….?

राज—तुम्हारे जाँघो के बीच का ख़ज़ाना…तुम्हारी बुर..और क्या

अरषि बुर का नाम सुनते ही बुरी तरह से शरमा गयी….ऐसी बाते उसने कभी किसी से की नही थी…हालाँकि उसकी भाभी उससे मज़ाक मे
कयि बार बुर शब्द इस्तेमाल कर चुकी थी लेकिन एक मर्द के मूह से सुनने का ये पहला मौका था…वो नीचे से उपर तक गन्गना गयी.

अरषि—छी….कितनी गंदी बाते करते हैं आप.

राज—मैं समझ गया कि तुम्हारे पास जाँघो के बीच मे बुर है ही नही.

अरषि (जल्दी से)—क्यो नही होगी भला…है मेरी जाँघो के बीच मे भी………..

अरषि ने जल्दबाज़ी मे जवाब तो दे दिया लेकिन जब उसको एहसास हुआ कि वो क्या बोल रही है तो लाज़ और शरम के मारे उसने अपनी
बात अधूरी ही छोड़ दी.

राज—बताओ ना जानू

अरषि (शरमाते हुए)—मुझे नही पता….जब शादी हो जाएगी तो खुद ही देख लेना.

ऐसे ही करीब एक घंटे तक मैं अरषि से बाते करते हुए उसको गरम करता रहा….कलपद हो जाने से मेरा वैसे ही मूड खराब था…अरषि से कल मिलने आने का बोल के मैने कॉल कट किया और फिर सो गया.
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वही पांडुरम बाकी पोलीस वालो के साथ खाली हाथ जब थाने पहुचा तो उनकी ऐसी हालत देख कर देशराज चौंक गया… उसने हर तरफ
नज़र दौड़ाई की शायद छमिया को ले आए होंगे किंतु पांडुरम के मूह से पूरी बात सुन कर उसका चेहरा गुस्से से तमतमा गया.

देशराज (गुस्से मे)—किसकी इतनी हिम्मत हो गयी पोलीस वालो पर हाथ उठाने की….? कितने लोग थे वो…?

पांडुरम—बस एक ही था सर…हाय..मेरी तो कमर ही तोड़ डाली उसने कमिने ने

देशराज (चौंक कर)—क्याआ..सिर्फ़ एक..और तुम दस…..? फिर भी खाली हाथ आ गये और वो भी उससे गान्ड मे लात खा कर.

पांडुरम—सर…उस साले का हाथ नही हथोडा है…साला सांड़ है सांड़….आआआअ…साले ने मार मार के कचूमर बना दिया.

देशराज—लानत है तुम लोगो पर…..कौन था वो….? जिसने देशराज से दुश्मनी लेने की जुर्रत की है..... ?

पांडुरम—पता नही सर....वो यहाँ का तो नही लगता....अंधेरा होने के कारण उसका चेहरा भी सॉफ नही देख पाया..लेकिन साला डाइलॉग
बहुत बढ़िया मारता है...क्या कह रहा था.. ? हां याद आ गया.....कोई गान्डू गान्ड नही हिलाएगा.

देशराज अचानक कुर्सी से उच्छल पड़ा.....पांडुरम की बात पूरी होते ही देशराज के चेहरे का रंग ही उड़ गया...और वो किसी गहरी सोच मे डूब गया.

देशरा (चौंक कर मन मे)—ये डाइलॉग तो नीलेश ठाकुर के मूह से सुना था मैने बेहोशी मे…..इसका मतलब नीलेश ठाकुर के उपर हमला
करने वाला और इन पोलीस वालो की धूकाई करने वाला शख्स एक ही है….मुझे जल्दी ही पता करना होगा.

पांडुरम—क्या हुआ साहब.... ?

देशराज—पांडुरम...कौन है वो आदमी....मुझे उसका पता चाहिए जल्द से जल्द...पता करो....वो अभी आस पास के ही किसी गाओं मे रुका होगा.....सुबह होते ही जितने भी गाओं हमारे थाना के एरिया मे आते हैं...सब की तलाशी लो....अब देखता हूँ कि मुझसे बच कर कहाँ जाएगा वो.

देशराज ने तुरंत ठाकुर साहब को इस बात की सूचना दे दी कि नीलेश ठाकुर पर हमला करने वाला यहाँ के आस पास के ही किसी गाओं मे च्छूपा है.....ठाकुर ने अपने बेटे राहुल के साथ लगभग 50 हथियार बंद आदमियो को तुरंत रवाना कर दिया.

दूसरे दिन सुबह.....

सपना—बिंदु अभी राज नही उठा क्या.... ? नाश्ता ठंडा हो जाएगा...देख उठा तो दे उसको भी.

बिंदु—दीदी, आप ही उठा दो ना…मैं जब तक नाश्ता लगाती हूँ.

सपना—ठीक है.

बिंदु (मन मे)—बच गयी….राज के सामने जाने की अब तो मेरी हिम्मत नही है…..बहुत ज़्यादा बिगड़ गया है ये लड़का.. अगर रात मे दिनेश
की आवाज़ नही आती तो मैं तो गयी थी काम से…..बाप रे कितना मोटा और लंबा था…मैं तो आधे मे ही मर जाती.

सपना जैसे ही राज को उठाने गयी तो वो हसीन सपनो की दुनिया मे खोया हुआ था..एक दो बार आवाज़ लगाने पर जब वो नही उठा तो सपना ने उसका चादर खिच लिया.

चादर हटते ही जो नज़ारा सपना की आँखो ने देखा तो उसकी आँखे ही पालक झपकाना भूल गयी…दिमाग़ ही चक्कर खा कर घूमने लग
गया…आश्चर्य चकित होकर उसने अपने मूह पर हाथ रख लिया जैसे की कोई बहुत बड़ा अजूबा देख लिया हो उसकी आँखो ने.

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03-20-2021, 08:51 PM,
#70
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
UPDATE-38

Maine bag se razor nikala aur uss bin mousam ki kheti ko saaf karne laga....thodi hi der me vo ekdam smart lund nazar aane laga.

Raj (mann me)—sala jhaant banane ke baad lund aise dikhne lagta hai jaise ki madarchod koi chamgadar ka bachcha latak raha ho.

Fresh hone ke baad main sab ke paas chala gaya....mama nasta lane ke liye awaz lagane lage, magar dono mami me se koi bhi nahi dikh rahi thi.

Udhar subah hote hi thakur ke admi rahul thakur ke sath deshraj ke paas pahuch gaye the…aur vaha se kuch plan bana kar gaon me talashi ke liye nikal pade.

Ab Aage……

Main khane ki table par baitha intazar karne laga breakfast ka….lekin na badi mami bahar nikali aur na hi bindu mami.. baki sab shayad apne apne kaam me busy the….mama ne bahut awaz lagayi par koyi na aaya…..jabki sun dono hi rahi thi….pahli bar mere swabhiman par thes lagi…main bina kuch bole vaha se uth gaya.

Santu—kaha ja raha hai….nasta to kar le…ruk main ja kar dekhta hu sab kaha busy hain.

Raj—rahne do mama….abhi bhookh bhi nahi hai mujhe...baad me kha lunga.

Santu—par tu ye saj dhaj ke ja kaha raha hai…..?

Raj—vo main bas thoda city tak ja raha hu…..jaldi hi lout aunga.

Santu—theek hai…..ja apni mami ke paas se paise le le…aur kuch kha pi lena bazar me.

Raj—mere paas paise hain abhi mama.....jab jarurat hogi le lunga.

Santu—theek hai....dhyan se jana aur jaldi aa jana.

Raj—ok mama

Main vaha se bahar nikal aaya....bahar nikalte hi hand pump par rashmi didi aur dimple khadi dikh gayi....mujhe kahi jate dekh vo bhagte huye mere paas aa gayi.

Rashmi—kaha ja raha hai...ye tip top ban ke..... ?

Raj—bas thoda yahi paas me city tak ja raha hu didi…

Main rashmi didi se baat karte huye dusri taraf dekh raha tha…..unhone ne bhi shayad iss baat ko notice kar liya tha kintu paas me dimple ke hone ki vajah se kuch kah nahi saki.

Dimple—maine raat me kaha tha na ki aaj mere sath college tak chalna

Raj—theek hai..tum ready rahna…main jaldi hi aa jaunga city se.

Main uske baad bina kuch kahe sune aage nikal gaya…..mera mann kuch ashant sa ho gaya tha…bas mann me sochte huye chala ja raha tha.

Raj (mann me)—dono mami…Sali randiya…apne apko samajhti kya hain….ek mere upar khud girti hai aur dusri soya dekh kar lund chusti hai…aur doshi main akela ho gaya…..Sali khana nahi dengi to kya main bhookha marr jaunga….? Sali dono randi mamiyo ki aisi gaand marunga ki uske baad jab bhi bhosdi ke mama unko chodenge to gaand se phati dhafli ki awaz niklegi dono ke….itni beijjati to sala apni kabhi ghar me nahi huyi…..ab to sala sab ki gaand phadunga.

Udhar Thakur ke admi aas paas ke sabhi gaon me ghar ghar ja kar talashi abhiyan kar rahe the…..lekin jyadatar admi issi gaon me the thakur ke..kyon ki raat me muthbhed yahi huyi thi unki .

Main chalte huye soch liya ki choti mami se hi ja kar mil aata hu…yahi vichar kar ke main gaon ke thoda bahar nikal aaya …..tabhi kisi ne piche se mere kandhe par hath rakh diya…. Maine palat ke dekha to vaha karib char paanch log khade the .

Ek—kyo be kaha rahta hai….? Tera ghar koun sa hai…..? kaha ja raha hai..... ?

Raj—pahle ye batao ki tum koun ho aur kyo puch rahe ho..... ?

Dusra—sun be lounde….jyada sayanpatti nahi jhadne ka…samjha kya….jitna pucha hai uska jawab de sidhi tarah.

Raj—shamshan ja raha hu…tujhe bhi chalna hai kya….?

Teen—lagta hai ki bhai ye latkhor hai…..bina laat khaye nahi baytayega…..?

Raj—tere baap ka raaj hai kya….?

Choutha—bahut juban chalata hai sale……abhi gaand me marunga to poori hekdi nikal jayegi teri.

Raj—tera lund bhi khada hota hai bhosdi ke….?

Choutha (gusse me)—madar..........tadaaaakkkkkkkk.......aaaahhhhhhhhhaaaaaaaaa

Mera mood to aaj vaise bhi subah se hi kharab ho chuka tha.....upar se inn logo ne apni taang ghusane ki koshish ki....jaise hi uss admi ne mujhe maa ki gaali di.....vaise hi maine uske kaan me ek jhannatedar thappad rasid kar diya...vo vahi dhadam se jamin par girte hi apna kaan daba ke dard se chillane laga.

Unme se kisi ko bhi aisa kuch hone ki shayad ummid nahi thi…..lekin jab unke sathi ko kas ke thappad pada to vo sabhi sakte me aa gaye.

Pahla—sale teri itni himmat ki tune hamare sathi par hath uthaya....chalo maro sale ko....aaj ki shuruwat isse hi karte hain.

Raj (ungli ghumate huye)—sab jaha ho vahi ruk jao......Koi Gaandu Gaand Nahi Hilayega.

Pahla (chounk kar jor se)—arey ye to vahi hai......achcha hua ki tu hame yahi mil gaya....tu hame janta nahi ki hum koun hain.... ? tune deshraj aur thakur sahab se dushmani mol li hai.....ab to tujhe bhagwan bhi nahi bacha sakta....maro isko.

Raj—Aand Chahe Jitna Bhi Bada Ho Jaye...Rahta Vo Hamesha Laand Ke Niche hi Hai......tere thakur aur deshraj jaise 24 ghante mere lund ke niche latakte rahte hain.

Dusra—bahanch*****tadaaakkkkk.....aaaaaaaaaa.....marrrrrrrr gayyyyyaaaaaaa

Un sabhi ke paas hockey kit thi.....jaise hi dusre admi ne mujhe marne ke liye hockey upar ki....maine uske marne se pahle hi usko bahra kar diya.....kaan me thappad lagte hi usko sunayi dena bhi band ho gaya aur vaha se khoon bahne laga shayad kaan ka parda phat gaya tha uske...akhir thappad bhi to ek saand ka pada tha usko.

Panchwa (jor se)—ye tune theek nahi kiya lounde.....shayad tujhe pata nahi ki hum kiske admi hain.....thakur sahab ke....ab tu nahi bachega...chalo sab maro madarchod ko

Teeno ek sath hockey lekar mere upar toot pade.....maine bhi mamla jyada garam hote dekh apni chamde ki belt nikal li.... jaise hi unhone mere upar hockey marne ke liye jor se vaar kiya….to main ek taraf ko hat gaya jaldi se….aur unke palatne se pahle hi unki pith laat aur belt se lal karni shuru kar di.

Unko sambhalne ka mauka hi nahi diya maine.....par tabhi unme se ek jisko maine pahle kaan me mara tha....mera dhyan uski taraf tha nahi....uss bahanchod ne piche se meri pith par ek hockey maar di.

Mera gussa satve aas man par pahuch gaya....turant palat kar ek jhatke me uski gardan daboch li aur paas me hi kisi ne apne ghar ki neev me bharne ke liye pattharo ka dher lagaya hua tha, usme le ja kar uska sar jor se patak diya.

Uski khopdi ka darwaja khul gaya aur vo turant swarg sidhar gaya....uske baki ke admiyo ne jab apne sathi ki ye halat aur apni halat dekhi to unke dil me khauf aur dahshat bahut jyada haavi ho gayi.

Vo sab mujhse darr kar apni jaan bachane ke liye yaha vaha bhagne lage ....lekin mere upar to ab khoon sawar ho chuka tha.....main bhi unke piche doud pada.

Raj (chillate huye)—kaha bhag rahe ho hinjhado......sale lawde…… tumhari maa ko chodu....

Doudte huye hi maine unki ek hockey uthayi...aur phenk kar ek ke sir par mara to vo vahi gir gaya.....uske girte hi maine tarike se usko bajane laga aur tab tak bajata raha jab tak ki usne dum nahi tod diya.

Raj (gusse me )—Fategi Aaj Se Sab Ki Fategi,...Iss Saand Se Kisi Ki Nahi Bachegi.

Baki teen sale kaha bhag gaye apni gaand bacha kar pata nahi......lekin ye sab vakya paas ke hi ganne ke khet se chhup kar koi dekh raha tha....

अपडेट-38

मैने बॅग से रेज़र निकाला और उस बिन मौसम की खेती को सॉफ करने लगा....थोड़ी ही देर मे वो एकदम स्मार्ट लंड नज़र आने लगा.

राज (मंन मे)—साला झान्ट बनाने के बाद लंड ऐसे दिखने लगता है जैसे की मदर्चोद कोई चमगादड़ का बच्चा लटक रहा हो.

फ्रेश होने के बाद मैं सब के पास चला गया....मामा नाश्ता लाने के लिए आवाज़ लगाने लगे, मगर दोनो मामी मे से कोई भी नही दिख रही थी.

उधर सुबह होते ही ठाकुर के आदमी राहुल ठाकुर के साथ देशराज के पास पहुच गये थे…और वाहा से कुछ प्लान बना कर गाओं मे तलाशी के लिए निकल पड़े.

अब आगे……

मैं खाने की टेबल पर बैठा इंतज़ार करने लगा ब्रेकफास्ट का….लेकिन ना बड़ी मामी बाहर निकली और ना ही बिंदु मामी.. बाकी सब शायद अपने अपने काम मे बिज़ी थे….मामा ने बहुत आवाज़ लगाई पर कोई ना आया…..जबकि सुन दोनो ही रही थी….पहली बार मेरे स्वाभिमान
पर ठेस लगी…मैं बिना कुछ बोले वहाँ से उठ गया.

संतु—कहाँ जा रहा है….नाश्ता तो कर ले…रुक मैं जा कर देखता हूँ सब कहाँ बिज़ी हैं.

राज—रहने दो मामा….अभी भूख भी नही है मुझे...बाद मे खा लूँगा.

संतु—पर तू ये सज धज के जा कहाँ रहा है…..?

राज—वो मैं बस थोड़ा सिटी तक जा रहा हूँ…..जल्दी ही लौट आउन्गा.

संतु—ठीक है…..जा अपनी मामी के पास से पैसे ले ले…और कुछ खा पी लेना बाज़ार मे.

राज—मेरे पास पैसे हैं अभी मामा.....जब ज़रूरत होगी ले लूँगा.

संतु—ठीक है....ध्यान से जाना और जल्दी आ जाना.

राज—ओके मामा

मैं वहाँ से बाहर निकल आया....बाहर निकलते ही हॅंड पंप पर रश्मि दीदी और डिंपल खड़ी दिख गयी....मुझे कहीं जाते देख वो भागते हुए मेरे पास आ गयी.

रश्मि—कहाँ जा रहा है...ये टिप टॉप बन के..... ?

राज—बस थोड़ा यही पास मे सिटी तक जा रहा हूँ दीदी…

मैं रश्मि दीदी से बात करते हुए दूसरी तरफ देख रहा था…..उन्होने ने भी शायद इस बात को नोटीस कर लिया था किंतु पास मे डिंपल के होने की वजह से कुछ कह नही सकी.

डिंपल—मैने रात मे कहा था ना कि आज मेरे साथ कॉलेज तक चलना

राज—ठीक है..तुम रेडी रहना…मैं जल्दी ही आ जाउन्गा सिटी से.

मैं उसके बाद बिना कुछ कहे सुने आगे निकल गया…..मेरा मन कुछ अशांत सा हो गया था…बस मन मे सोचते हुए चला जा रहा था.

राज (मन मे)—दोनो मामी…साली रंडिया…अपने आपको समझती क्या हैं….एक मेरे उपर खुद गिरती है और दूसरी सोया देख कर लंड चुस्ती है…और दोषी मैं अकेला हो गया…..साली खाना नही देंगी तो क्या मैं भूखा मर जाउन्गा….? साली दोनो रंडी मामियो की ऐसी गान्ड
मारूँगा कि उसके बाद जब भी भोसड़ी के मामा उनको चोदेन्गे तो गान्ड से फटी ढफ्ली की आवाज़ निकलेगी दोनो के….इतनी बेइज़्ज़ती तो
साला अपनी कभी घर मे नही हुई…..अब तो साला सब की गान्ड फाडुगा.

उधर ठाकुर के आदमी आस पास के सभी गाओं मे घर घर जा कर तलाशी अभियान कर रहे थे…..लेकिन ज़्यादातर आदमी इसी गाओं मे थे ठाकुर के..क्यों की रात मे मुठभेड़ यही हुई थी उनकी .

मैं चलते हुए सोच लिया कि छोटी मामी से ही जा कर मिल आता हूँ…यही विचार कर के मैं गाओं के थोड़ा बाहर निकल आया …..तभी किसी ने पीछे से मेरे कंधे पर हाथ रख दिया…. मैने पलट के देखा तो वहाँ करीब चार पाँच लोग खड़े थे .

एक—क्यो बे कहाँ रहता है….? तेरा घर कौन सा है…..? कहाँ जा रहा है..... ?

राज—पहले ये बताओ कि तुम कौन हो और क्यो पूछ रहे हो..... ?

दूसरा—सुन बे लौन्डे….ज़्यादा सयानपत्ति नही झाड़ने का…समझा क्या….जितना पूछा है उसका जवाब दे सीधी तरह.

राज—शमशन जा रहा हूँ…तुझे भी चलना है क्या….?

टीन—लगता है कि भाई ये लातखोर है…..बिना लात खाए नही बताएगा…..?

राज—तेरे बाप का राज है क्या….?

चौथा—बहुत ज़ुबान चलाता है साले……अभी गान्ड मे मारूँगा तो पूरी हेकड़ी निकल जाएगी तेरी.

राज—तेरा लंड भी खड़ा होता है भोसड़ी के….?

चौथा (गुस्से मे)—मदर..........टदाआक्ककककककक.......आआहहाआआआअ

मेरा मूड तो आज वैसे भी सुबह से ही खराब हो चुका था.....उपर से इन लोगो ने अपनी टाँग घुसाने की कोशिश की....जैसे ही उस आदमी ने मुझे माँ की गाली दी.....वैसे ही मैने उसके कान मे एक झन्नाटेदार थप्पड़ रसीद कर दिया...वो वही धडाम से ज़मीन पर गिरते ही अपना कान दबा के दर्द से चिल्लाने लगा.

उनमे से किसी को भी ऐसा कुछ होने की शायद उम्मीद नही थी…..लेकिन जब उनके साथी को कस के थप्पड़ पड़ा तो वो सभी सकते मे आ गये.

पहला—साले तेरी इतनी हिम्मत कि तूने हमारे साथी पर हाथ उठाया....चलो मारो साले को....आज की शुरुआत इससे ही करते हैं.

राज (उंगली घूमाते हुए)—सब जहाँ हो वही रुक जाओ......कोई गान्डू गान्ड नही हिलाएगा.

पहला (चौंक कर ज़ोर से)—अरे ये तो वही है......अच्छा हुआ कि तू हमे यहीं मिल गया....तू हमे जानता नही कि हम कौन हैं.... ? तूने देशराज और ठाकुर साहब से दुश्मनी मोल ली है.....अब तो तुझे भगवान भी नही बचा सकता....मारो इसको.

राज—आँड चाहे जितना भी बड़ा हो जाए...रहता वो हमेशा लंड के नीचे ही है......तेरे ठाकुर और देशराज जैसे 24 घंटे मेरे लंड के नीचे लटकते रहते हैं.

दूसरा—बहंच*****टदाअक्कककक.....आआआआआ.....मररर्र्र्ररर गायययययाआआअ

उन सभी के पास हॉकी कीट थी.....जैसे ही दूसरे आदमी ने मुझे मारने के लिए हॉकी उपर की....मैने उसके मारने से पहले ही उसको बहरा कर दिया.....कान मे थप्पड़ लगते ही उसको सुनाई देना भी बंद हो गया और वहाँ से खून बहने लगा शायद कान का परदा फॅट गया था उसके...आख़िर थप्पड़ भी तो एक सांड़ का पड़ा था उसको.

पाँचवा (ज़ोर से)—ये तूने ठीक नही किया लौन्डे.....शायद तुझे पता नही कि हम किसके आदमी हैं.....ठाकुर साहब के....अब तू नही
बचेगा...चलो सब मारो मादरचोद को

तीनो एक साथ हॉकी लेकर मेरे उपर टूट पड़े.....मैने भी मामला ज़्यादा गरम होते देख अपनी चमड़े की बेल्ट निकाल ली.... जैसे ही उन्होने मेरे उपर हॉकी मारने के लिए ज़ोर से वार किया….तो मैं एक तरफ को हट गया जल्दी से….और उनके पलटने से पहले ही उनकी पीठ लात और बेल्ट से लाल करनी शुरू कर दी.

उनको संभलने का मौका ही नही दिया मैने.....पर तभी उनमे से एक जिसको मैने पहले कान मे मारा था....मेरा ध्यान उसकी तरफ था
नही....उस बहन्चोद ने पीछे से मेरी पीठ पर एक हॉकी मार दी.

मेरा गुस्सा सातवे आस मान पर पहुच गया....तुरंत पलट कर एक झटके मे उसकी गर्दन दबोच ली और पास मे ही किसी ने अपने घर की नीव मे भरने के लिए पत्थरो का ढेर लगाया हुआ था, उसमे ले जा कर उसका सर ज़ोर से पटक दिया.

उसकी खोपड़ी का दरवाजा खुल गया और वो तुरंत स्वर्ग सिधार गया....उसके बाकी के आदमियो ने जब अपने साथी की ये हालत और अपनी हालत देखी तो उनके दिल मे ख़ौफ़ और दहशत बहुत ज़्यादा हावी हो गयी.

वो सब मुझसे डर कर अपनी जान बचाने के लिए यहाँ वहाँ भागने लगे ....लेकिन मेरे उपर तो अब खून सवार हो चुका था.....मैं भी उनके पीछे दौड़ पड़ा.

राज (चिल्लाते हुए)—कहा भाग रहे हो हिंझड़ो......साले लवडे…… तुम्हारी माँ को चोदु....

दौड़ते हुए ही मैने उनकी एक हॉकी उठाई...और फेंक कर एक के सिर पर मारा तो वो वही गिर गया.....उसके गिरते ही मैने तरीके से
उसको बजाने लगा और तब तक बजाता रहा जब तक की उसने दम नही तोड़ दिया.

राज (गुस्से मे )—फटेगी आज से सब की फटेगी,...इस सांड़ से किसी की नही बचेगी.

बाकी तीन साले कहाँ भाग गये अपनी गान्ड बचा कर पता नही......लेकिन ये सब वाक़या पास के ही गन्ने के खेत से छुप कर कोई देख रहा था....
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