05-04-2021, 12:03 PM,
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
जोरू का गुलाम भाग १६ ,
नया सबेरा , नया अंदाज़
वो अभी भी ब्लाउज पेटीकोट में थे।
होंठों की लिपस्टिक ,हलकी सी फैली , और उसी तरह रात का काजल आँखों में।
गुड मॉर्निंग ,
मुस्करा के वो बोले और ट्रे साइड टेबल पे रख दी।
चाय एकदम परफेक्ट , एकदम मेरी पसंद की।
" जरा देखो पेपर आ गया होगा। "
मैंने बोला ,
और मेरी बात पूरी होने के पहले वो चले गए , और लौट के पेपर मुझे पकड़ा दि या।
लेकिन उनकी आँखे पेपर पे चिपकी ,
मैं समझ गयी और स्पोर्ट्स सेक्शन निकाल के उन्हें दे दिया , और बोला
तुम भी चाय पीओ न।
" चाय बहुत अच्छी थी , एक एक प्याला और हो जाय "
चाय खत्म करके आराम से अखबार पढ़ते मैं बोली।
एकदम स्पोर्ट्स सेक्शन वहीँ छोड़ कर वो कप प्लेट लेकर वापस किचेन में चले गए।
ताज़ी चाय बनाने।
मैं पढ़ अखबार रही थी
लेकिन कल रात और आने वाले दिनों के बारे में सोच रही थी।
कहीं इनको स्त्रैण तो मैं नहीं बना रही , कहीं मैं जाने अनजाने इनकी फैंटेसी के डोमिनेट्रिक्स की तरह ऐक्ट कर के ,
खुद फीमेल डॉमिनेशन की ओर तो नहीं बढ़ रही ,, क्योंकि मेरा दोनों ही गोल नहीं था।
मेरा लक्ष्य सिम्पल था , इनके मन की गांठे खोलना ,
जो अतृप्त का सूखा तालाब सा इनकी अपब्रिंगिंग के कारण इनके मन में हो गया था , जहाँ सब मजे वाली चीजें वर्जित थीं ,
उस सूखे तालाब को रस के सागर से भर देना ,जिसमे हम दोनों साथ साथ गोते लगा सकें मजे ले सके।
और फिर ये फन ऐंड गेम्स तो बस ये तीन दिन इनकी बर्थ डे के , जहां हम दोनों खूब करीब आ जाए।
मैं अपने शादी के शुरू के दिनों को नहीं भूल पाती , जब हर दुल्हन के लिया जहां ससुराल में सब कुछ नया नया होता है ,
उसका पति ही उसके करीब होता है।
लेकिन उस समय भी मेरी वो ननद और जेठानी कब किस बात के लिए भूत की तरह सामने आ जाएँ ,
" मेरे भैया को ये नहीं अच्छा लगता , वो नहीं अच्छा लगता ,... मैं आपसे अच्छी तरह जानती हूँ इनको आप तो अभी अभी आई हैं। "
और वो भी तो रात में तो चिपके रहते थे और सुबह से ,जैसे जानते ही न हों।
और वो कंडोम वाला वाकया मैंने बताया ही था ,
अनजाने में मैंने वेडिंग अलबम में रख दिया था उस पन्ने पर जहां इनकी ममेरी बहन की फोटो थी ,
हम लोगों की शादी में डांस करते, कितना नाराज हुए , रात भर बात तक नहीं की ,और कुछ करना तो छोड़ दीजिये।
फिर यहां पर कंपनी में भी जहां इतना खुलापन था ,इनके एट्टीट्यूड को लेकर , ... किसी ने मुझे बताया था ,
शायद मिसेज खन्ना ने ही ,
आगे बढ़ने के लिए सीनियर मैनेजमेंट रोल्स के लिए आदमी को थोड़ा कम रिजिड होना चाहिए ,
और उसमें कई गुण ऐसे हैं जो स्त्रियों के है वो होने अच्छेहोते हैं ,
जैसे अक्सर पुरुष ( सभी नहीं ) विटामिन 'आई ' से ग्रस्त होते हैं , मैंने ये किया मैंने वो किया , ड्राइंग रूम में जाइये तो दर्जा ८ में मिली स्कूल के ट्राफी से लेकर जितने भीछोटे मोटे अचीवमेंट होते हैं , बात भी करेंगे अगर थोड़े बहुत बहुत पढ़े लिखे हुए तो उनकी पसंद की किताब , उनकी पसंद की म्यूजिक ,ये वो ,....
लेकिन औारत को सबको जोड़ केचलना पड़ता है चाहे मायका हो या ससुराल।
वह कहीं जायेगी भी तो किसी की लिए साडी तो किसी के लिए शर्ट ,सब का हिसाब रखती है। बात करने में ,... सबको जोड़ कर रखने कीकोशिश करती है।
वैसे तो बहुत सी बाते थीं लेकिन एक और बात थी जैसे पेन टालरेंस , महिलाओं में बहुत ज्यादा है , प्रसव में जो दर्द महिला सहती है , वो शायद कोई और हो तो दूसरे बच्चे के लिएतैयार ही न हो। फिर काम और होम के बीच बैलेंस ,... बहुत सी बातें।
पूरी तरह सही भी नहीं थी , लेकिन ये बात तो मैं भी मानती थी की हर मर्द को थोड़ा सा औरत और हर औरत को थोड़ा सा मर्द होना चाहिए।
इसलिए ये सब ,..
फिर परसों से आफिस जाएंगे तो फिर तो फॉर्मल में ही जायेगे , ये कोई फंतासी तो है नहीं जिंदगी है। किचन का काम फिर मेरे जिम्मे आयेगा ,
लेकिन वो सब बात में अभी तो बस बर्थडे की फुल टाइम मस्ती ,मोस्ट मेमोरेबल बर्थडे , मेरे सोना मोना की ,
जो मेरा ही , सिर्फ मेरा।
एक नया दिन शुरू हो गया था।
एक नया दिन , एक नयी जिंदगी।
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
मम्मी
ट्रिंग ,ट्रिंग ,फोन बजा।
मैं समझ गयी उन्ही के लिए होगा।
" ये लो तुम्हारे लिए मम्मी का है। "
और उन्हें फोन पकड़ा दिया।
स्पीकर फोन ,आफ कोर्स आन था।
मम्मी उनकी और उनके सारे खानदान की जो घिसाई धुलाई करतीं ,उसके सुनने का मजा ही अलग था।
मम्मी उन्हें हैप्पी बर्थड़े विश कर रही थीं।
" थैंक यूं ,मम्मी "
वो बोले और ख़ुशी उनके चेहरे से छलक रही थी।
( और ये भी उनके लिए एक नयी शुरुआत थी , उनके मायकेवालों का नाम तो मैं खूब आदर के साथ और आज तक मम्मी को वो सिर्फ , तुम्हारी माँ कहकर ही एड्ड्रेस करते थे , पहली बार आज उन्होंने मेरी माम को मम्मी बोला था )
" क्यों गिफ्ट कैसी लगी "
मम्मी ने छेड़ा। .
और उनके गाल गुलाल हो गए, मारे शरम के।
फिर बहुत हलके से वो बोले ," हाँ ,बहुत अच्छी। "
मम्मी इत्ती आसानी से छोड़ने वाली थोड़े ही थीं , बोली ,
' तेरे ऊपर लाल रंग बहुत फबता है "
नीचे झुक कर उन्होंने अपनी कच्छी कढ़ाई वाली , खूब लो कट ,टाइट ,बैक लेस लाल चोली की ओर देखा , और एक बार फिर जबरदस्त ब्लश ,
( उनकी ढेर सारी फोटुएं मैंने रात को ही मम्मी को व्हाट्सऐप कर दी थीं )
मुस्कराते हुए मैंने उनके स्कारलेट रेड लिपस्टिक कोटेड होंठों को हलके से छुआ , और वो सिहर गए।
" मॉम ,शरमा रहे हैं "
मैं भी सास -दामाद संवाद में शामिल हो गयी।
" अरे कोई लौंडिया है क्या जो शरमा रहे हैं "
खिलखिलाते हुए वो बोलीं।
" मम्मी ,लौंडिया ही तो लग रहे हैं। "
मैं भी उनकी खिलखिलाहट में शामिल हो गयी।
लेकिन मम्मी भी न हर बार की तरह ,मेरा साथ छोड़ के वो अपने फेवरिट दामाद की ओर हो गयीं और सब गलती मेरी ,
" गलती तो तेरी है पूरी , सारी रात गुजर गयी , उसकी शरम नहीं उतारी तूने "
झट इल्जाम लगा दिया उन्होंने।
और अब फिर तोप का मुंह मम्मी ने उनकी ओर कर दिया।
" क्यों मजा आया खूब , रात को "
वो बस आँखे नीचे किये , गौने की दुलहन की तरह ,
" मम्मी कुछ पूछ रही हैं ,बोलते क्यों नहीं " मैंने उकसाया।
और बड़ी मुश्किल से उनके मुंह से निकला ,
" हाँ , मम्मी "
वो भी बहुत धीमे से।
" चल मैं एक बहू चाहती थी ,अब ये कसर भी पूरी हो गयी "
मम्मी ने ठंडी सांस ले के कहा।
और इसके साथ ही मम्मी ने एक जबरदस्त लांग डिस्टेंस चुम्मी , उन्हें फोन पे ले ली।
" अरे मम्मी की किस्सी का जवाब तो दे ". मैंने अपने शर्मीले साजन को उकसाया
अब थोड़ी थोड़ी उनकी झिझक कम हो रही थी।
एक छोटी सी जवाबी किस्सी ,उन्होंने भी बजरिये फोन ,मम्मी को भेज दी।
मम्मी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था ,उनकी बात से ख़ुशी छलक रही थी।
और उन्होंने फिर छेड़ा अपने दामाद को ,
" किस्सी किस जगह दी , मेरे होंठ पे या होंठ के नीचे। "
मैंने भी उन्हें चढ़ाया , कान में बोला ,अरे बोल दे न , मम्मी एकदम खुश हो जाएंगी।
अब वो भी थोड़े बोल्ड हो गए थे बोले ,
" होंठों से बस , थोड़ा सा नीचे। "
" अरे तब एक क्यों लिया , दो लेना चाहिए था न , जल्दी से दूसरी भी लो। "
मम्मी ने उन्हें और चढ़ाया।
( मुझे और मम्मी दोनों को मालूम था की वो ,उनके 38 ड़ी ड़ी को चोरी चोरी ललचाते ,देखते थे )
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05-04-2021, 12:04 PM,
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
मम्मी
और मम्मी की समधन
मुझे और मम्मी दोनों को मालूम था की वो ,उनके 38 ड़ी ड़ी को चोरी चोरी ललचाते ,देखते थे
और उन्होंने ले ली।
" चल मैं जल्दी आउंगी अब , फिर तुझे सच्ची मुच्ची में दूंगी , बोल मुन्ना दुद्धू पियेगा न "
मम्मी भी , अब वो अपने पूरे रंग में आ रही थीं
धीमी सी हाँ निकली उनके मुंह से निकली खूब शर्माती , झिझकती।
" अच्छा ये बोल तूने सबसे पहले किसके मम्मे पकड़े ,देखे थे। "
मम्मी चालू ही रहीं।
"अरे मॉम और किसके अपनी उस छिनार ममेरी बहन -कम -माल के। "
मैंने बीच में बोलने की कोशिश की पर मुझे भी डांट पड़ गयी
मम्मी ने मुझे जोर से डांटा ,
" तू चुप रह , हरदम क्या बीबी की सलाह से ही काम करेगा ये हाँ बोलो न सबसे पहले किसके ,… "
वो बिचारे एकदम चुप। जवाब मम्मी ने ही दिया।
" बुरी बात है आज बर्थडे के दिन भी भूल गए ,
बचपन में में , मेरी समधन के मम्मे , पकड़ा होगा , दबाया होगा चूसा होगा न दूध पीते समय।
वैसे एक बात बताऊँ आज भी उनका एकदम टना टन है जोबन ,एकदम गदराया ,चोली फाड़।
अच्छा बोल कभी तूने अपनी जवानी में निगाह डाली , कैसे हैं , कभी तो बिना आँचल के देखा होगा , या किसी के साथ ,क्या साइज होगी ,… "
वो एकदम चुप ,
लेकिन मैं चुप उन्हें रहने कैसी देती। मेरी और मम्मी के डबल पेस अटैक के आगे उनकी तो खुलनी ही थी।
" चल यार अंदाज से बता दे , कुछ भी बता दे , मम्मी ऐसे छोड़ने वाली नहीं "
मैंने उन्हें हिंट भी दिया ,उकसाया भी /
और उन्होंने बोल दिया।
अब तो मम्मी वो खिलखिलायीं ,बोलीं
" अच्छा तो तू मेरे समधन के उभारों पे निगाह रखता है , लालची , मन करता है क्या। लेकिन गलती तेरी नहीं है उनके हैं ही ऐसे मस्त गद्दर। "
और फोन रख दिया।
उन्होंने गहरी सांस ली , लेकिन मैं कहाँ छोड़ने वाली थी ,
" अरे वाह तो तुमने ये बात कबूल कर ली। मम्मी सच बोल रही थीं न ,रखते थे निगाह ?"
बात टालने के लिए उन्होंने औरतों वाला रास्ता निकाला ,
" नाश्ते में क्या बनेगा। "
" कुछ भी बना दो " मैंने टी वी आन करते बोला।
वो निकलने लगे तो मैंने फिर मैंने टोका ,
" रुको , आप आमलेट बना लेते हो। "
उन्होंने ना में सर हिलाया , और मैंने उनकी सारी मायकेवालियों की ,
" यार तेरी माँ बहनों ने साल्ली ,मायके में क्या सिखाया था , क्या सारे मुहल्ले में सिर्फ नैन मटक्का करती रहतीं थीं और मम्मे दबवाती मिसवाती रहती थीं।
चल ये भी मुझे ही सिखाना पडेगा। "
( ये तो मुझे भी मालूम था की उनके मायके में किचेन में लहसुन प्याज भी नहीं घुस सकता था ,तो ,… लेकिन मौका मैं क्यों चूकती )
किचेन में मैं बोली ,
" और हाँ ,फ्रिज से ज़रा आम निकाल के ले आना ,दसहरी ले आना , लंगड़े नहीं "
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05-04-2021, 12:04 PM,
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
बदल गए बालम
किचेन में मैं बोली ,
" और हाँ ,फ्रिज से ज़रा आम निकाल के ले आना ,दसहरी ले आना , लंगड़े नहीं "
....
आधे घंटे के बाद वो किचेन से निकले , आमलेट
और एक प्लेट में लम्बी कटी रसीली आम की फांके।
सुनहली , एकदम परफेक्ट कटी हुयी।
तिरछी निगाहों से मैं देख रही थी कैसे मजे से वो मजे ले ले के चाट रहे थे ,सड़प सड़प कर ,आम की फांक।
"क्यों मजा आ रहा है चूसने चाटने में ,…"
मैंने पूछा।
और मुझे देख के मुस्करा के , वो फिर चाटने में लग गए।
" मेरी मानो ,… तेरे उस माल की न , उस की भी चूसने चाटने में ऐसा ही मजा आएगा। खूब रसीली , चिकनी है उसकी।"
आम चूसते , चाटते मैं बोली
उन्होंने जोर से ब्लश किया ,लेकिन मैं चालू रही,
" मालूम है , आम को चूत भी कहते हैं। "
मुझे अंदाज था उन्हें कैसा लग रहा होगा , लेकिन बिना उन्हें कुछ सोचने बोलने का मौक़ा दिया मैं बोली ,
" अरे जरा एक लंगड़ा फ्रिज से ले आना ,अच्छे से छील के ,.... "
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05-04-2021, 12:05 PM,
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
जोरू का गुलाम भाग १६
चेंज पर चेंज
वह ले आये और हम दोनों ने मिल बाँट कर खाया।
ब्रेकफास्ट के बाद मैं फिर बेडरूम में गयी , और पीछे पीछे वो ,अच्छे बच्चे की तरह ,
बिस्तर पर उनकी रात की पहनी साडी पड़ी थी।
अब मैंने टोन बदला,
" अगर तुम्हे साडी पहनने का शौक है तो उसे ठीक से रखना भी सीखो। चलो तहियाओ इसे। "
बिचारे ,कभी किया हो तो ,हो। कई बार कोशिश किया लेकिन , फेल।
" खाली अपने घर के माल के जुबना दबाते रहते थे क्या, क्या कुछ सिखाया नहीं तेरी माँ बहनों ने "
मैंने फिर जोर से बोला ,
और उनके हाथ से साडी लेके उन्हें दिखाते हुए तह लगाई और वो लेते उसके पहले खोल दी।
" चलो अब तुम करो और अपनी आलमारी में रखो। "
क्विक लर्नर तो वो थे ही , दो बार में ही तह लग गयी और फिर उसे रखने के लिए उन्होंने अपनी वार्डरोब खोली।
और जोर का झटका ,जोर से लगा।
हर तरह की साड़ियां ,चंदेरी ,कोटा ,सिल्कन ,जार्जेट ,शिफॉन
और शलवार कुर्ते , पंजाबी ,अनारकली।
एक खाने में ब्लाउज ,पेटीकोट और दूसरे में ब्रा ,पैंटी।
शर्ट पेंट चड्ढी बनयान सब गायब।
जब तक वो कुछ सोचते मैंने वार्डरोब बंद कर दी और बोला ,
"क्यों पसंद आया न, लेकिन अभी बहुत काम पड़ा है।
मंजू बाई नहीं आएगी, तो बरतन ,झाड़ू ,पोंछा अभी शुरू करो तो हो जाएगा जल्दी। रात के भी बरतन पड़े हैं। फिर खाना भीबनाना है। "
वो अपने काम में बिजी थे और मैं अपने।
रात की रिकारिडंग देखी , और कुछ और फोटुएं मम्मी को व्हाटसऐप की , फिर अपना फेवरिट सीरियल,
दो ढाई घंटे बाद वो वापस आये , अभी तक चोली साये में ही थे।
लेकिन बहुत थके , माथे पर पसीनाचुहचुहा रहां था।
" क्यों मुन्ना ,थक गए क्या। चलो कोई बात नहीं , दो ग्लास बढ़िया मस्त मैंगो शेक बना के लाओ न ,खूब ठंडा। अब ये मत कहना की मैके में नहीं सीखा , जल्दी। "
और कुछ ही देर में दो ग्लास चिल्ड मैंगो शेक हाजिर था।
मैं चैनेल सर्फिंग कर रही थी और एक चैनल पे कहानी घर घर का री रन आ रहां था मैंने वही लगा दिया।
एक मशहूर एक्ट्रेस का उतना ही मशहूर पिछवाड़ा
बड़ा भी कड़ा भी , साडी में एकदम टाइट
मैंने साफ साफ पूछा , क्यों मस्त माल लग रही न
और तब तक पृष्ठ भाग पर कैमरा न सिर्फ फोकस हुआ बल्कि अच्छी तरह उसकी ऊंचाई ,गहराई , कटाव ,भराव ,.... सब कुछ ,
क्यों क्यों कैसा लगा रहा है इसका पिछवाड़ा किसके जैसा बोलो न , मैंने फिर पूछा।
उनकी निगाहें वहीँ चिपकी थीं।
" बोल न , लगता है न मेरी मम्मी की समधन जैसा , खूब गदराया , भरा भरा , बोलो न "
मैंने छेड़ा।
और उन्होंने फिर जोर का ब्लश किया।
" खाने की तैयारी हो गयी क्या "
मैं अब मुदद्दे पे आ गयी।
उनकी समझ में नहीं आया तो मैंने फिर बोला ,
अरे खाना आज तुम्हे बनाना है न ,बोला तो था। अच्छा चलो ,आज पहला दिन है समझा देती हूँ।
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05-04-2021, 12:05 PM,
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
पिंक एप्रन
" खाने की तैयारी हो गयी क्या "
मैं अब मुदद्दे पे आ गयी।
उनकी समझ में नहीं आया तो मैंने फिर बोला ,
अरे खाना आज तुम्हे बनाना है न ,बोला तो था। अच्छा चलो ,आज पहला दिन है समझा देती हूँ।
किचेन में उनका स्वागत पिंक एप्रन ने किया।
पिंक जो उन्हें एकदम फेमिनिन लगता था और जिस रंग की शर्ट मैंने एक बार उन्हें दे दी तो वो अलपफ , वही रंग ,
और मैंने वो एप्रन उन्हें पहना दिया और ये भी समझा दिया की वो जैसे ही किचेन में घुसे तुरंत , ये एप्रेन पहन लें फिर दूजा काम।
सब्जी धुलना , काटना ,छीलना, और बीच बीच में मेरी बातों का तड़का
" अरे जरा बैगन ठीक से धुलो , ये लम्बे बैगन तो मेरे सास के फेवरिट हैं ,है न तुझे तो मालूम ही होगा। "
कौन सामान कहाँ रखा है ,कौन चीज धीमी आंच पे ,कौन तेज आंच पे।
" चलो यार एक दो महीने में मास्टर शेफ की एंट्री चालू होंगी , अबकी तुम्हारा नाम भेज दूंगी , आखिर बेस्ट शेफ तो सारे मेल्स ही होते हैं "
किचेन से निकलते निकलते २५० ग्राम मस्का लगाया मैंने और फिर वापस अपने बेडरूम में ,
मैं बिजी हो गयी ,व्हाट्सऐप, फेसबुक और सहेलियों से थोड़ी चैटिंग में।
लेकिन खाने के पहले बाथ -
वी टुक बाथ टूगेदर।
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05-04-2021, 12:05 PM,
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
शावर
लेकिन खाने के पहले बाथ - वी टुक बाथ टूगेदर।
उनके लिए तो नहाना एकदम झटपट मामला होता था ,हमेशा।
गए , शावर आन , घुसे ,निकले।
लेकिन आज बिना किसी जल्दी के ,
मैंने पहले उनके बालों में खूब धीमे धीमे शैम्पू किया ,
फिर उनसे अपने बालों में शैम्पू करवाया , साथ में डीप स्कैल्प मसाज ,
और फिर पूरी देह में साबुन , मेरे उभारों पे जब वो साबुन मल रहे थे तो मैंने कनखियों से देखा
खूंटा खड़ा हो रहा था।
मैंने किसी तरह अपनी मुस्कान रोकी , फिर उनसे जाँघों के ऊपरी हिस्से में , और झुक कर अपनी गांड उनके सामने कर दी।
बड़े बड़े चूतड़ मुझे विरासत में मिले थे। बड़े और कड़े।
उन्होंने साबुन लगा के रगड़ रगड के साफ किया ,
लेकिन मैंने मुड़ के उनकी ओर देखा और वो समझ गए ,
एक जगह बची थी।
ऊँगली में साबुन लगा के ,गांड के एकदम अंदर तक ,
और फिर मेरी बारी थी।
मैंने हैण्ड शावर का नोज़ल सीधे उनके कड़े कॉक के बेस पे किया और तुरंत वो कटे मुर्गे की तरह फड़फड़ाने लगा।
लेकिन मैं छोड़ने वाली नहीं थी ,मैंने हाथ में खूब साबुन लगाया और लगी उसे मुठियाने।
मस्ती से वो सिसक रहे थे।
लेकिन मैं मुठियाती रही ,
और फिर अचानक एक झटके से मैंने चमड़ा नीचे कर दिया ,लाल मोटा सुपाड़ा , एकदम भूखा ,खुल गया था।
नोजल की तेज धार अब सीधे पी होल ,( पेशाब के छेद पे ),
और अब मुठियांना बंद करके मेरे हाथ धीमे धीमे उनके बाल्स को सहला ,दबा रहे थे
और साबुन लगी ऊँगली अगवाड़े ,पिछवाड़े के बीच वाली जगह धीमे धीमे दबारही थी।
और कुछ देर में फिर दुबारा उनका फ़नफ़नाया लंड मेरी कोमल कोमल मुट्ठी में।
उनकी हालत एकदम ख़राब थी।
…
मुस्कराते हुए एक बार जोर से दबा के मैंने चिढ़ाया ,
" सुन यार , सुबह तुम मम्मी से खुल के मेरे सास के मस्त मम्मों के बारे में कैसे बाते कर रहे थे। "
" मैं कहाँ , वो तो वही , मैं तो बस "
कुछ शरमाते ,झिझकते ,कुछ मुस्कारते वो बोले।
" अरे यार तो इसमें शरमाने की क्या बात है , अगर तेरी माम , मम्मे नहीं मिजवाती , हचक हचक के नहीं चुदवाती तो मुझे इत्ता प्यारा प्यार हबी कहाँ से मिलता। पता नहीं कितनी बार ,कितनो से , अच्छा ये बताओ जो मैं पकड़ के दबा रहीं हूँ ,मसल रहीं उसे सबसे पहले किसने पकड़ के दबाया था "
मैंने पूछा।
अब उनकी जोर से शरमाने की बारी थी। एकदम चुप।
" अरे सोचो न जरा "
मेरे लम्बे नाख़ून अब सुपाड़े पे हलके हलके चुभ रहे थे।
" अरे भूल गए जब तुम छोटे थे , तुम्हारी मम्मी इसे पकड़ के सु सु कराती थीं , उन्होंने ने इसे पकड़ा था ,रगड़ा था , खोल के इसमें तेल लगाया था, … सबसे पहले तेरी माम ने ही तो इसे पकड़ा रगड़ा था "
मैंने कहा और हलके से मैंने जोड़ा ,
मादरचोद।
लेकिन वो साफ साफ सुन सकते थे।
उनके लंड की हालत और खराब हो गयी।
उनकी आँख में आँख मिलाके देखते मैंने सुपाड़े पे भी साबुन लगाया , और नोजल की तेज धार ,....
" निहुरो जरा , और , थोड़ा और अरे जैसे मम्मी की समधन निहुरती होंगी , मरवाने के लिए ,हाँ एकदम ऐसा। "
और नोजल आलमोस्ट सीधे उनकी गांड के छेद में
हम दोनों ने एक दूसरे को टॉवेल से खूब रगड़ रगड़ के पोछा, अच्छी तरह से सुखाया।
मजे में उन्होंने मुझे चूम लिया लेकिन मैंने उन्हें दूर कर दिया ,
" ऐसे नहीं यार , ठीक से। "
और फिर मेरे तलुवों से ले के धीमे धीमे उपर तक ,
थोड़ी देर मे मैं डॉगी पोज में ,
और वो मेरे बड़े चूतड़ों को चूम रहे थे चाट रहे थे।
मैंने दोनों हाथों से अपने नितम्बों को फैलाया और इशारा वो समझ गए , सीधे सेंटर में ,छेद पे।
कुछ देर तक तो थोड़ा वो शर्माए , झिझके , फिर खुद अपने हाथ से फैला के , जीभ एकदम अंदर, और चाटने लगे।
मजे से अब मेरी हालत खराब ,
" हाँ चाट चाट , और जोर से पूरे अंदर तक डाल के , हाँ हाँ ,.... मस्त चाटते हो , तेरी उस बहन कम माल की भी
ऐसे ही चटवाउंगी , पहले चाटना फिर मारना उसकी गांड , हाँ बहनचोद हाँ ,… "
और अबकी ड्रेसिंग टेबल पर , सब काम उन्होंने खुद किया ,
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
और अबकी ड्रेसिंग टेबल पर , अपना सब काम उन्होंने खुद किया ,
सीधी मांग काढना , लिपस्टिक ,
नेल पालिश ,
हलका सा काजल , यहाँ तक की बिछुए और पायल भी ,…
हाँ उनकी मांग में सिन्दूर मैंने ही भरा।
इस बार उन्होंने अपनी वार्डरोब से निकाल के शलवार सूट ,
अंदर एक अंडरवायर्ड ब्रा , पिंक लेसी पैंटी ,
और मैंने ' उसको ' टेप में नहीं बांधा , बस एक साइड मेंअड्जस्ट कर दिया।
(ये एकदम साफ था की लड़कियों के ड्रेस से उनका , एकदम टनटना जाता था। )
और फिर मैंने उन्हें एक गिफ्ट पैक दिया , मम्मी की ओर से ,
मैचिंग धानी दुपटटा।
कैसे दुपट्टा ओढ़ा जाय , जिससे एक एक उभार थोड़ा दिखे , एक छिपे ,मैंने दुपट्टा एडजस्ट करते समझाया।
" एकदम मस्त माल लग रहे हो , मेरा मतलब लग रही हो , जरा एक दो सेल्फी खींच लो "
और अबकी खुद उन्होंने मेरे स्मार्ट फ़ोन पे चार सेल्फ़ी खींची जो अगले ही पल मैंने मम्मी को व्हाट्सऐप कर दी।
खाने में भी टेबल सेट करना , सर्व करना , स्वीट डिश में मैंगो और वनीला आइसक्रीम।
" यार सुनो , मंजू बाई तो आएगी नहीं , तुम बरतन अभी निबटा दो , फिर आओ , थोड़ी देर आराम करते हैं। "
मैं बोली।
वो किचेन में , मैं बेडरूम में।
मैं सीरियल सर्फ कर रही थी और किचेन से बरतन धुलने की आवाजें आ रही थीं।
"मेरे भैय्या अपने हाथ से एक ग्लास पानी भी नहीं लेते। "
मुझे अपनी उस चुहिया ननद की बात याद आ रही थी।
" आप क्या जानेगीं मेरे भैय्या को तीन महीने में "
" तुझे तेरे भैय्या की रखैल न बनाया तो ,कहना "
मैंने सोचा और टीवी बंद कर मांम से बाते करने लगीं।
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
जोरू का गुलाम भाग १७
मेरी ननद ,उनका 'माल'
" तुझे तेरे भैय्या की रखैल न बनाया तो ,कहना "
मैंने सोचा
और टीवी बंद कर मांम से बाते करने लगीं।
………..
वह लौटे तो एकदम थके हारे , पसीने पसीने।
जुलाई की उमस , बादल उमड़ घुमड़ रहे थे सुबह से लेकिन बरस नहीं रहे थे।
और वो भी पहली बार , बेड टी ,नाश्ता ,झाड़ू पोंछा ,बर्तन, खाना ,फिर टेबल साफ करने के लेकर बरतन और किचेन की सफाई।
बेड रूम में एसी फुल ब्लास्ट पर था , मैं एक हल्का कम्बल लपेटे , टीवी पे सीरियल देख रही थी।
'दरवाजा बंद कर दो ,आ आजाओ कम्बल के अंदर , एकदम थक गए हो थोड़ा आराम कर लो "
मैंने कम्बल हलके से उठा के उन्हें अंदर खींच लिया।
कुछ देर में पसीना सूख गया था , और वो भी मेरे साथ अधलेटे , सीरियल देख रहे थे।
और एक कच्ची कली थी सीरियल में ,
उनकी निगाह बस उसके उसके छोटे छोटे टिकोरे पे ,
" एकदम तेरे माल जैसे ;लगती हैं न , उभार एकदम वैसे ही हैं न "
मैंने कंबल के अंदर उन्हें भींचते पूछा।
उन्होंने हामी में सर हिलाया।
" हे सच बोल , कभी उसकी ली थी क्या सच बोलना मेरी कस्सम , मेरा मतलब अरे यार चुम्मी वुम्मी कभी ऐसे ही खेल खेल में ,चुपके से। "
उन्होंने मना कर दिया , सर हिला के लेकिन फिर खुद ही चालू हो गए जब मैंने पूछा ,
" अच्छा टच वच "
" बहुत हलके से बस एक बार ,'
अब वो धीरे धीरे खुल रहे थे। उनकी निगाह सीरियल की कच्ची कली पर ही थी।
मैं चुपरही और उन्होंने रुक के बोलना शुरू कर दिया ,
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05-04-2021, 12:07 PM,
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desiaks
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
बचपन के दिन भुला न देना :
उनका माल , मेरी ननदिया
" बहुत हलके से बस एक बार ,' अब वो धीरे धीरे खुल रहे थे। उनकी निगाह सीरियल की कच्ची कली पर ही थी।
मैं चुप रही और उन्होंने रुक के बोलना शुरू कर दिया ,
" एक बार हम सब लोग शादी में गए थे , सब लोग , बहुत भीड़ थी , जाड़े के दिन। सब रजाई ओढ़ के सो रहे थे , मैं भी लेटा और वो मेरे बगल में। बिजली चली गयी थी , रात में १२ से ४ पावर कट होता था। सब लोग एकदम गहरी नींद में ,
उन्होंने थूक घोंटा , मैंने अंदाज लगाया ,...
उनके कान को जीभ से हलके सहलाते हुए मैंने उन्हें उकसाया ,
" फिर "
कुछ देर रुक कर उन्होंने बताना शुरू किया।
" वो एकदम गहरी नींद में सो रही थी। मैं भी थोड़ी नींद में , नींद में ही मेरा हाथ उसके ऊपर , …वहां ,…सीने पर , उसे पता नहीं चला , फ्राक में उसका सीना हलके हलके ऊपर नीचे हो रहा था. मेरी नींद , हलकी सी बस खुली ,…मैने हलके से जैसे गलती से , बहुत हलके से दबाया। "
" फिर ,… "
अब मेरी हालत ख़राब हो रही थी , मैंने उन्हें खूब प्यार से भींचा।
" थोड़ी देर तक बस ऐसे ही लेकिन जब मुझे लगा की वो खूब गहरी नींद में सो रही है , और अगल बगल भी , सब लोग रजाई सर तक ओढ़ के सो रहे थे , तो,… तो,… तो थोड़ी हिम्मत कर के मैंने हलके से दबाया।
बहुत हलके से , एकदम रूई के फाहे जैसा , मुलायम
( वो जैसे उस दिन की यादों में खो गए थे। )
फिर अबकी उनके गालों पर अपने होंठ छुला के मैंने पूछा ,
"फिर आगे क्या किया। "
" वो असल में ,पता नहीं कैसे , क्या हो गया था मुझे , मालूम था की तीन चार घंटे लाइट नहीं आएगी , सब लोग रजाई में सो रहे थे ,इसलिए और वो भी ज्यादातर बच्चे ,इसलिए हिम्मत कर के , वो , वो भी खूब गहरी नींद में थी इसलिए ,
थोड़ी देर छूआ , फिर हलके से दबाया , बहुत धीरे से ,"
" कैसा लगा "
मैंने और उकसाया
" कॉटन की फ्राक के ऊपर से , अच्छा लग रहा था , बहुत अच्छा। मुलायम था , छोटा छोटा ,जैसे कोई बादल का टुकड़ा मेरे हाथ में आ गया हो।
फिर हिम्मत कर के जब वो नहीं जगी , तो मैंने पूरा अपनी हथेली में पकड़ लिया और दबाने लगा , बहुत अच्छा लग रहा था। हलके हलके दबा रहा था। "
" क्या दबा रहे थे साफ साफ बोलो न " मैंने चढ़ाया।
" वो ,वो उसका सीना " उन्होंने कबूला ,लेकिन मेरे लिया इतना काफी नहीं था।
" अरे यार , तुझे इतना रात भर सिखाया , साफ साफ बोलो न , "
मैंने उन्हें और चढ़ाया।
' वो वो उसका जोबन , उसकी चूं , उसकी चूंची करीब १०-१२ मिनट तक दबाया धीमे धीमे ,फिर थोड़ा जोर से ,"
"फिर,… "
"मुझे लगा शायद वो जग गयी है इसलिए ,मैंने हाथ हटा लिया उसके उभारों , जोबन से। "
"उसने कुछ किया क्या जिससे तुम्हे लगा की वो जग गयी। "
"थोड़ा कुनमुनाई थी , वो फिर उसने करवट ले लिया मेरी ओर "
उन्होने साफ किया और जोड़ा ,
"नींद में उसने अपना हाथ मेरे ऊपर रख दिया था और एक टांग भी , पकड़ के मुझे सो गयी’ "
बुद्धू रहोगे तुम इतना खुला सिग्नल दे रही थी वो , मैंने सोचा ,फिर पूछा
उसकी घुंडी , निपल दबाये थे।
" हाँ ऊँगली से छुआ था फिर अंगूठे और तर्जनी के बीच बहुत हलके से पकड़ा ,तभी वो कुनमुनाई और मैंने छोड़ दिया " कबूला उन्होंने।
" फिर , "
मैंने सवालों का सिलसिला बंद नहीं किया।
" कुछ नहीं , मैं थोड़ी देर आँखे मूंदे लेटा था। फिर एकदम नींद में वो मेरी ओर मुड़ी और , .... "
वो कुछ सोच के बोले।
" और , … फिर " मैं अपनी उत्सुकता नहीं रोक पा रही थी।
"फिर वही जो बोला था न मेरी ओर करवट कर के , सुबह भी जब मेरी नींद खुली तो वो उसी तरह ". उन्होंने कबूला।
इससे ज्यादा कोई लड़की क्या सिग्नल देगी , मैंने सोचा ,लेकिन ये भी तो एकदम निरे ,…
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