Thriller मोड़... जिंदगी के ( completed )
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डॉक्टर आश्चर्य से उस आदमी को देखते हुए अपना फोन निकल कर किसी को कॉल करता है
"हेलो, डॉक्टर सिद्धार्थ से बात हो सकती है क्या??"
फोन:....
"जी जैसा मैंने आपको उस एक्सीडेंट वाले पेसेंट के बारे में बताया था, उसे कुछ भी याद नही है, और आश्चर्य की बात है की सर पर ऐसी कोई बड़ी चोट नहीं है।"
फोन:.......
"जी मैं अभी एमआरआई और बाकी के टेस्ट्स करवाता हूं, आप जल्दी आने की कोशिश करिए।"
डॉक्टर: आपके कुछ टेस्ट्स करवाने में हैं जल्दी से, तब तक सीनियर न्यूरो कंसलटेंट डॉक्टर सिद्धार्थ भी आ जायेंगे, आप परेशान न हो, सब सही होगा, सिस्टर इनको जल्दी से लैब में ले कर चलिए।"
कोई 2 घंटे बाद उसी कमरे में डॉक्टर सिद्धार्थ सारी रिपोर्ट्स को देखते हुए, "आपके सर पर तो ऊपरी तौर पर कोई बड़ी चोट के निसान नही है, लेकिन शायद एक्सीडेंट के सदमे से आपकी यादाश्त पर एक झटका लगा है, जो आपके घरेलू वातावरण में जाने से कुछ समय बाद सही हो जायेगा।"
आदमी: पर डॉक्टर, मुझे तो कुछ याद भी नहीं है, मेरा घर कहां है ये भी नही, तो मैं घर जाऊंगा कैसे??
सिद्धार्थ: अब इसमें तो आपकी मदद बस पुलिस ही कर सकती है, हालांकि एक एक्सीडेंट के तौर पर आपका केस पुलिस के पास गया होगा जरूर, तो आप उनसे मदद के सकते हैं, डॉक्टर चंदन आपकी मदद करेंगे इसमें।
डॉक्टर चंदन: जी दरअसल इनको अनामिका जी ले कर आई थी तो इसीलिए रमाकांत अंकल के कारण मैंने पुलिस को इनफॉर्म नही किया था, एक्सीडेंट उनके सामने ही हुआ था, गाड़ी के अनियंत्रित होने से, तो ऐसी कोई बात नही थी, फिर भी मैं एक बार उनसे बात करता हूं।
डॉक्टर सिद्धार्थ: अच्छा, फिर तो सही किया पुलिस को न बता कर, वरना बेकार में अनामिका बिटिया से पुलिस पूछताछ करती। वैसे बात करो, क्योंकि अब तो पुलिस की जरूरत है।
डॉक्टर चंदन: जी बिलकुल, आइए मैं आपको बाहर तक छोड़ कर आता हूं।
और दोनो डॉक्टर कमरे से निकल जाते हैं। थोड़ी देर में डॉक्टर चंदन वापस आते हुए।
"वैसे मेरा नाम चंदन मित्रा है, और अब जब आपको आपका नाम नही पता, तो चलिए आज से आपको हम लोग अमर बुलाते हैं। क्योंकि आप मौत को मात दे कर आए है।"
आदमी मुस्कुराते हुए: "जी बेहतर, कम से कम कोई तो बुलाया जाने वाला नाम होना ही चाहिए ना। अमर ही सही है।"
डॉक्टर: " सही है, आप आराम करिए तब तक, और मैं जरा रमाकांत अंकल से बात कर लेता हूं। वैसे एक बात और, आपको यहां लगभग एक हफ्ते ही रहे हैं, लेकिन अभी तक न तो आपकी खबर लेने कोई आया है, ना ही कोई ऐसी खबर है कि शहर में कोई मिसिंग है, तो आप इस शहर के तो नही लगते हैं। और अगर जो बाहर कहीं से हैं तो अब तक तो कोई न कोई पुलिस में आपके गुम होने की खबर तो करता?"
डॉक्टर के जाने के बाद अमर सोच में डूब गया।
"मुझे कुछ याद नहीं है, और डॉक्टर कह रहे है कि कोई मुझे ढूंढने भी नही आया, इसका मतलब तो यही है कि शायद मेरा कोई नही है इस दुनिया में। लेकिन मैं हूं कौन??"
"पुलिस की मदद लूं या नहीं? कहीं मैं किसी गलत राह का कोई आदमी न होऊं जिसकी पुलिस तलाश कर रही हो, और पुलिस की मदद ले।कर कहीं बुरा न फस जाऊं।"
इसी उधेड़बुन में अमर की आंख फिर से लग जाती है।
कुछ देर बाद उसकी नींद डॉक्टर चंदन के उठाने से खुलती है। उसके साथ में वही लड़की होती है जो सूनी नजरों से अमर की ओर देख रही होती है।
चंदन: अमर जी, रमाकांत उनके तो कही बाहर रहने के कारण तो आ नही पाए, लेकिन उन्होंने अनामिका जी को भेज है, आपसे बात करने।
अमर मुस्कुराते हुए: जी अनामिका जी, कैसी है आप? आपका बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने मेरी जान बचाई। पता नही मैं आपका ये अहसान कैसे चुकाऊंगा?
अनामिका: जी ये तो मेरा फर्ज था, इसमें अहसान की कोई बात नही है, बताइए, चंदन कह रहे थे कि कुछ बात करनी है आपको?
चंदन: दरअसल अनामिका अमर की यादाश्त को चुकी है, और इसको कुछ भी याद नही कि ये कौन है या इसका घर कहां है, तो इसमें पुलिस की मदद लगेगी, और मैने तुम लोग के चलते अभी तक पुलिस को इनफॉर्म नही किया है, तो उसी के सिलसिले में बात करनी थी।
अनामिका: चंदन अगर जो इसमें पुलिस की मदद लगनी है तो आप पुलिस को इनफॉर्म कर दीजिए, मुझसे जो बन पड़ेगा मैं कर लूंगी। बस इनकी मदद हो जानी चाहिए।
चंदन: फिर ठीक है, मैं पुलिस को इनफॉर्म कर देता हूं।
अमर: डॉक्टर जरा मुझे कुछ समय दीजिए पुलिस को इनफॉर्म करने से पहले।
चंदन: वो क्यों भला??
अमर: असल में मुझे लगता नही कि पुलिस कोई खास मदद कर पाएगी, क्योंकि अगर जो मेरा कोई इस दुनिया में होता तो अब तक मुझे ढूंढता इस शहर में आ गया होता। वैसे मेरा फोन कहां है? क्योंकि मुझे याद है की एक्सीडेंट के समय मैं गाड़ी में किसी से बात कर रहा था। अनामिका जी क्या आपको पता है??
अनामिका: जैसे ही मैंने आपको गाड़ी के बाहर खींचा, आपकी गाड़ी खाई में गिर गई थी, और आस पास तो मुझे फोन नही दिखा आपका शायद गाड़ी के साथ खाई में चला गया।
अमर: ओह, वही एक उम्मीद थी, देखते है फिर कैसे पता चलता है।
फिर सभी बाहर निकल जाते हैं।
अमर सोचते हुए: "मुझे पुलिस के अलावा किसी और तरीके से पता करना होगा अपने बारे में, कही किसी चक्कर में न फस जाऊं पुलिस की मदद ले कर। डॉक्टर चंदन से खुल कर बात करता हूं।"
तभी उसे बाहर से आवाज सुनाई देती है।
अनामिका: चंदन तुमने वो ही नाम क्यों रखा, तुम्हे तो सब पता है ना........
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