Thriller मोड़... जिंदगी के ( completed )
[color=rgb(184,]#4 The Shadow...[/color]
चंदन: "अनु देखो जो बीत गया उसका क्या तुम जिंदगी भर शोक मनाओगी? सब भूल कर आगे क्यों नही बढ़ती तुम?"
अनामिका: "चंदन मैंने बहुत कोशिश कर ली, अब मुझसे नही होता, मेरी जिंदगी उस वाकए के बाद वहीं रुक गई है। और फिर भी तुम्हे यही नाम मिला?"
चंदन: "वो कौन सा तुम्हारे घर रहने आ रहा है? तुम यहां आना ही नही, बस।"
अनामिका:"ठीक है, अब मैं चलती हूं, अगर जो पुलिस की जरूरत पड़ती है तो बताना मुझे।"
ये बातें सुन कर अमर के दिमाग में एक बार अनामिका का चेहरा घूम जाता है, शक्ल से वो कोई खास आकर्षक नही थी, पर उसकी आंखे जो बहुत सूनी होने के बावजूद भी अमर को अपनी ओर आकर्षित करती महसूस हो रही थी। उसे शायद कोई बहुत बड़ा दुख है जो अमर को अभी नही मालूम था।
तभी डॉक्टर चंदन वापस से उसके कमरे में आता हैं।
चंदन: अमरजी, क्या मैं पूछ सकता हूं की आप पुलिस की हेल्प क्यों नही लेना चाहते?
अमर: देखिए डॉक्टर...
चंदन: यू कैन कॉल में चंदन, अपना दोस्त ही समझिए, वैसे भी आपको अभी मेरे सिवा और कोई बात करने वाला नही मिलेगा। तो बिना झिझक आप अपनी परेशानी बताएं।
अमर मुस्कुराते हुए: चंदन जी शुक्रिया मेरा दोस्त बनने के लिए। कम से कम अब कोई मेरा अपना तो हुआ कहने के लिए।
चंदन: अरे वैसी कोई बात नही अमर जी, वैसे भी मेरा पेशा ही है लोगों से घुल मिल कर बात करने का, और दूसरा इस शहर में मेरा भी कोई अच्छा दोस्त नही है अभी तक, बस इसीलिए।
अमर: ये तो अच्छी बात है कि आप मुझे अपना अच्छा दोस्त मानते हैं। देखिए चंदन जी, मुझे लगता है कि मैं इस दुनिया में अकेला ही हूं, वरना अगर जो कोई मेरा होता तो अब तक ढूंढने आ ही जाता। और मुझे एक डर और भी है।
चंदन: वो क्या??
अमर: जैसा मुझे अपनी पिछली जिंदगी के बारे में कुछ भी नही मालूम, मुझे डर है कि कहीं मैं जुर्म की दुनिया में काम करने वाला कोई व्यक्ति न होऊं। क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो पुलिस मुझे सजा दिलवा देगी, और मैं जिसे कुछ पता ही नही, अपनी बेगुनाही कैसे साबित करूंगा। हो सकता है कि मैने कई गुनाह किए हो, मगर बिना जाने उनकी सजा कैसे काट सकता हूं??
चंदन: बात तो आपकी सही है, पुलिस को इन्वॉल्व करना खतरनाक हो सकता है, हो सकता ही इससे आपका कोई दुश्मन हो जो आपके लिए खतरा बन जाय। चलिए मैं पर्सनल लेवल पर कुछ कोशिश करता हूं।
अमर: थैक्यू दोस्त।
चंदन: अरे दोस्त भी बोलते हो और थैंक्यू भी। चलो आप आराम करो, मैं जाता हूं अभी।
अगले दिन अमर कंपाउंडर की मदद से कॉरिडोर में टहल रहा होता है, कि तभी उसे ऐसा लगता है कि रोड के उस तरफ एक पेड़ के पीछे से कोई उसे देख रहा है। अमर उस ओर देखने लगता है पर कोई दिखता नही, उसे लगता है कि कोई वहम हुआ है उसको। फिर बाकी का दिन वैसे ही बीत जाता है।
रात के 3 बजे कुछ आवाज से अमर की नींद खुलती है और वो रूम में चारो तरफ देखने लगता है, मगर उसे कोई दिखता नही। वो फिर से सोने की कोशिश करता है, तभी उसको लगता है की उसके सिरहाने पर कोई खड़ा है। हैरत से वो पलटकर देखता है तो कोई लंबा सा साया उसे दिखता है, जिसके हाथ के एक खंजर होता है, और वो साया खंजर ऊपर उठा कर......
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