Thriller मोड़... जिंदगी के ( completed )
[color=rgb(184,]#15 Flashback..... (Part 1)[/color]
**** शहर की सबसे व्यस्त मार्केट में गोपाल की एक छोटी सी मगर काफी विख्यात कपड़े की दुकान थी, उनके और उनकी पत्नी गायत्री के 2 बच्चें थे, बड़ा लड़का आनंद जोकि होटल मैनेजमेंट का कोर्स करके हमीरपुर के एक होटल में मैनेजर था, और छोटी बेटी अनामिका, जो अभी कॉलेज में फाइनल ईयर की छात्रा थी। अनामिका पिता की दुकान में उनकी मदद भी करती थी समय समय पर।
अनामिका ऐसे देखने में एक साधारण रूप रंग वाली पर आकर्षक युवती थी, पर फिर भी अपने कॉलेज में वो बहनजी के रूप में जानी जाती थी, खास कर लड़कियों में। क्योंकि वो देखने में भले ही आकर्षक हो, लेकिन खुद को हमेशा साधारण मानते हुए बहुत ही अनाकर्षक जिंदगी जीती थी, ना युवतियों जैसे पहनना ओढ़ना, ना ज्यादा लड़कों से बात करना और न ही कभी कोई मस्ती करना, बस घर, कॉलेज और दुकान, बस इतनी सी ही जिंदगी जीती थी वो। इन सब के बावजूद अनामिका अपने काम में बहुत ईमानदार और खरी थी। पढ़ाई, घर और दुकान के कामों में उसका कोई सानी नहीं था। खैर उसकी सबसे अच्छी मित्र दीप्ति के प्रेम में पड़ने के बाद उसके भी अरमान कुछ जाग उठे थे और उसने भी कुछ आकर्षक पहनने की कोशिश की। मगर उसकी इन हरकतों का सबसे पहला मजाक दीप्ति ने ही उड़ाया।
दीप्ति: क्या अनु, अब तू भी क्या बहनजी हो कर भी ये सब पहनना चाहती है?
अनामिका: हां दीपू, तुझे प्यार में देख मेरा भी मन ये सब का होने लगा है।
दीप्ति: रहन दे बहनजी, तू कुछ भी पहन, रहेगी सबकी बहनजी ही। कोई न तुझे घास डालेगा। कर लेना किसी क्लर्क से शादी वो भी मम्मी पापा के कहने पर,, हहाहा...
साथ में बैठी सारी सहेलियां भी उसी और में हसने लगती हैं। अनामिका चिढ़ कर रोते हुए घर चली जाती है, घर पहुंचते ही उसे पता चलता है कि उसके पापा ने दुकान पर बुलाया है। अनामिका वैसे ही दुकान चली जाती है।
दुकान पहुंचते ही उसके पापा किसी काम से निकल जाते हैं, और अनामिका दुकान के ग्राहकों और स्टाफ को सम्हालने लगती है। तभी उसकी दुकान में 2 औरतें आती हैं, एक कोई 50 साल की और दूसरी 28 साल की दोनो शादीसुदा थी। दोनो ने कई तरह के कपड़े देखे और पसंद करके किनारे करने लगीं, तभी छोटी वालों औरत में बड़ी वाली के कान में कुछ कहा और बड़ी वाली ने घूम कर अनामिका को देखा, और मुस्कुराई। थोड़ी देर में दोनो जब उसके पास बिल करवाने आई तो बड़ी वाली ने उससे पूछा, "बेटी भाईसाब नही है क्या?"
अनामिका: जी आंटीजी वो जरा काम से गए है थोड़ी देर में आ जाएंगे।
औरत: अच्छा तो हम बाद में आ कर ही बिल करवा लेते हैं, आप समान साइड रखवा दो। वैसे नाम क्या है आपका?
अनामिका: जी अनामिका, और आप मुझसे बड़ी है तो प्लीज मुझे आप न बोलिए। और पापा को शायद देर हो जाय, आप बिल करवा लीजिए, बाद में कभी आ कर पापा से मिल लीजिएगा। बाकी डिस्काउंट वगैरा तो मैं भी देख लूंगी, उसकी चिंता आप।ना करें, पापा के साथ मिल कर ये दुकान मैं भी मैनेज करती हूं तो मुझे भी सब पता है।
वो औरत: बहुत अच्छा है बेटा, आप तो बहुत होशियार हैं, आप बिल कर दीजिए, हम फिर कभी आ कर आपके पापा से मिल लेंगे।
अनामिका: आंटीजी फिर आप?
वो औरत: "ओह सॉरी बेटा, अच्छा ये मेरा कार्ड लो और पापा से कहना की एक बार मुझेसे बात कर लें। और तुम बिलिंग करो तब तक।" ये कहते हुए इस औरत ने अपना कार्ड अनामिका को से दिया। और कहा: "बाय द वे, मेरा नाम सुमित्रा राजदान है, और ये मेरी बहु निधि।"
सुमित्रा राजदान, किशन राजदान की बहु, किशन राजदान शहर के सबसे बड़े इंडस्ट्रियल और बिजनेस टायकून। को सिर्फ शहर में ही नही बल्कि पूरे देश के अमीर लोगों में गिने जाते थे। उनके इकलौते बेटे रवि की पत्नी थी वो।रवि और सुमित्रा के 2 बेटे थे, आकाश और पृथ्वी। निधि आकाश की पत्नी।
गोपाल जी जैसे ही वापस आते हैं, अनामिका उनकी सुमित्रा का कार्ड देते हुए कहती है की उनसे बात कर ले। गोपाल जी राजदान का कार्ड देखते ही घबरा जाते हैं, और अनामिका से पूछते है कि,"बेटा आपने इनको अच्छे से तो ट्रीट किया था न, कोई गड़बड़ तो नही हुई न?"
अनामिका: नही पापा, सब तो सही ही था, हो सकता हो उनको ज्यादा डिस्काउंट चाहिए हो इसीलिए आपसे बात करना चाहती हों।
गोपाल जी,कुछ सोचते हुए: नही बेटा आज तक तो इन लोगों ने कोई डिस्काउंट नही मांगा है। ठीक है बात करके देखते हैं।
गोपाल जी ने तुरंत उस कार्ड में लिखे नंबर पर डायल किया, और उधर से सुमित्रा जी ने की फोन उठाया।
सुमित्रा जी: हेलो, क्या आप गोपाल जी बोल रहे है?
गोपाल: जी बहनजी, मैं गोपाल। जैसे ही दुकान पहुंचा बच्ची ने बोला आपसे बात करने। क्या कुछ गलती हो गई है हम लोगों से?
सुमित्रा, हंसते हुए: अरे नही भाई साब, गलती नही, बल्कि बड़ा अच्छा काम किया है आपने और आपकी पत्नी ने।
गोपाल: जी मैं कुछ समझ नही? और मेरी पत्नी से आप कब मिली?
सुमित्रा: भाईसाब, मिली नही, पर आप मिलवाएंगे नही क्या? कल संडे है, अगर जो आप फ्री हों तो आप और बहनजी एक बार हमारे घर आ कर चाय पी लीजिए।
गोपाल असमंजस में: जी जरूर आ जाऊंगा शाम को 4 बजे।
अगले दिन शाम को गोपाल, अपनी पत्नी गायत्री और अनामिका के साथ राजदान निवास पहुंचते है, वो हवेली नही बल्कि महल जैसा था, तीनों लोग ऑटो से उतरते हैं, और जैसे ही गेटकीपर को अपना नाम बताए हैं, वो बड़ी इज्जत के साथ उनका अभिवादन करता है, और अंदर इंटरकॉम से सूचना देता है। कुछ देर में एक बटलर जैसा आदमी आता है और तीनों को आदरपूर्वक अंदर की तरफ ले जाता है। तीनों उसरघर के लिविंग रूम में पहुंचते है जिसकी सजावट किसी 5 स्टार होटल की तरह थी।
वहां अंदर किशन जी के साथ रवि और सुमित्रा तीनों के स्वागत में मौजूद थे।
किशन जी: आइए गोपाल जी, बैठिए कैसे है आप सब?
गोपाल ने किशन जी के पैर छूते हुए: जी हम सब अच्छे हैं, आप बताइए हम सबको एक साथ क्यों याद किया?
किशन जी: और पहले बैठिए और चाय नाश्ता करिए, बात करने को तो पूरी उम्र पड़ी है... हाहह।
सब हंसते हुए बैठ जाते हैं, सुमित्रा खुद अपने हाथो से सबको चाय दे ही रही होती है कि आकाश और निधि भी आ जाते हैं।
निधि: मम्मी आप बैठिए, मैं करती हूं।
तब तक अनामिका भी उठ कर उसकी मदद करने लगती है, जिसे देख किशन जी खुश हो जाते हैं।
कुछ देर बाद, किशन जी: गोपाल जी, और गायत्री जी, आपने अपनी बेटी को बड़ी अच्छी शिक्षा दी है। और हम सब आपकी बेटी का हाथ अपने पृथ्वी के लिए मांगना चाहते हैं, अगर आपको एतराज न हो तो?
गोपाल और गायत्री ये सुनते ही चौंक जात हैं, और खुशी से अनामिका की ओर देखते है जो शर्मा कर नीचे देख रही होती है।
गोपाल जी: ये तो हमारी खुशकिस्मती होगी किशन जी, लेकिन क्या ये मुमकिन है? कहां पृथ्वी जी और कहां अनामिका?
किशन जी: गोपाल जी, अगर जो आप हैसियत की बात कर रह हैं, तो वो आनी जानी चीज है, हैसियत से बढ़ कर संस्कार होते हैं, जो आपने अपनी बेटी में कूट कूट कर भरा है।
गोपाल: पर फिर भी, एक बार कम से कम पृथ्वी जी से तो पूछ लेते।
आकाश: चाचाजी, हमारे परिवार के सारे फैसले दादाजी ही लेते हैं, और हम में से किसी को कोई भी ऐतराज नहीं होता उस पर, दादाजी बड़े हैं और सबका भला ही चाहते हैं।
गोपाल: जी हमारी तरफ से तो कोई ऐतराज नहीं है, लेकिन फिर भी मैं चाहूंगा कि एक बार दोनो मिल कर इसका फैसला लें।
किशन जी: ये आपने अच्छी बात की, कम से कम इसी बहाने हमें अनामिका बिटिया की इच्छा का पता चल जायेगा। अगले रविवार को दोनो मिल लेंगे, अभी तो पृथ्वी का के सिलसिले में बाहर गया है।
फिर कुछ देर के बाद तीनों घर लौट आते हैं।
किशन राजदान के घर में कोई कमी नही थी, लेकिन वो अपने उसूलों के बहुत पक्के थे, और घर पर उनका एकछत्र राज था, बिना उनके घर में एक पत्ता भी नही हिलता था तो बाकी के फैसले भी उनकी मर्जी बिना नहीं होते थे। हालांकि उन्होंने कभी किसी बच्चे की पढ़ाई पर कोई ज्यादा दबाव नही डाला था, लेकिन एक बात साफ थी की 25 साल तक जो मर्जी करो, पर उसके बाद घर का बिजनेस ही सम्हालना है, और शादी तो बिना उनकी मंजूरी के नही होगी। शादी के मामले में उनका बस यही मानना था की पैसा नही लड़की के संस्कार मायने रखते थे। सुमित्रा खुद एक साधारण घर से आती थी, मगर वो एक पढ़ी लिखी महिला थी, और खुद किशन राजदान ने उनको एक शादी में देखकर अपने बेटे के लिए पसंद किया था। ऐसे ही निधि, जो की एक डॉक्टर थी, और राजदान के ही एक हॉस्पिटल में नौकरी कर रही थी, उसको रवि और सुमित्रा ने पसंद किया था। दोनो सास बहू किशन जी के विचारो से मेल खाती थी, मतलब परिवार को भी ले कर चलना, और जरूरत पड़ने पर बिजनेस भी सम्हालना।
उधर दूसरी तरफ एक दूसरे शहर के एक आलीशान होटल के एक रूम में एक लड़का और एक लड़की पूरे नंगे एक दूसरे को चूमते चाटते हुए बिस्तर पर गुत्थम गुत्था होते हैं।
लड़की: "ओह पृथ्वी, यू आर सो फकिंग हॉट एंड स्ट्रॉन्ग यार। आज तक मैं जितने भी लड़कों के साथ रही हूं उनमें से सबसे बड़ा और देर तक टिकने वाला मुझे यही मिला है।" ये कहते हुए इस लड़की ने पृथ्वी के लंड को पकड़ कर जोर से मसल दिया।
पृथ्वी उत्तेजना से करहाते हुए: "ओह मोनिका, यू टू अरे हॉट एंड वेट हेयर।" और वो मोनिका की योनि को चाटने लगता है।
दोनो 69 की पोजिशन में एक दूसरे को मौखिक सुख दे रहे होते हैं, तभी दोनो एक साथ अपने चरम पर पहुंच जाते हैं और एक दूसरे के मुंह में ही स्खलित हो जाते हैं।
थोड़ी देर बाद दोनो एक दूसरे की बाहों में बिस्तर लेते हुए बात कर रहे होते हैं।
पृथ्वी: मोनिका आई रियली लव यू, यू अरे वन एंड ओनली गर्ल इन माय लाइफ।
मोनिका: आई लव यू टू पृथ्वी। रियली। मैं बहुत से रिलेशन में रही हूं पृथ्वी, लेकिन जो तुम्हारे साथ महसूस हुआ वो पहले कभी नही। आई फील कंप्लीट एंड सिक्योर इन योर आर्म्स।
ये कहते हुए दोनो एक गहरे चुम्बन में खो जाते है, पृथ्वी का हाथ मोनिका के उन्नत उरेजों को मसलने लगता है, और मोनिका फिर से उसके उभरते हुए लंड को हाथ में ले कर ऊपर नीचे करने लगती है। कुछ देर बाद पृथ्वी मोनिका को पीठ के बल लेटा कर अपने लंड को उसकी योनि पर सेट करता है और एक हल्का सा धक्का लगाता है, मोनिका की हल्की सी चीख निकल जाती है, "आ आ आह, धीरे जानू, तुम्हार बहुत बाद है, मेरी तो जान ही निकल देता है हर बार, ये तो मैं पहले से वर्जिन नही हूं, वरना पता नही तुम की हाल करते मेरा। आह डार्लिंग आराम से हां, अब डालो अंदर।" पृथ्वी एक और धक्का लागत है और खुद कुछ हुंकारते हुए अपनी आंखें बंद कर लेता है, " आह जान कितनी तंग हो तुम नीच से, इतनी बार करने के बाद भी मुझे थोड़ा दर्द हो जात है।"
फिर थोड़ी देर बाद दोनो लयबद्ध तरीके से एक दूसरे की रफ्तार के बराबर धक्के लगाने लगते है। और कोई 10 मिनट बाद एक दूसरे में स्खलित हो कर शांत पड़ जाते हैं।
पृथ्वी राजदान, किशन राजदान का छोटा पोता, पेशे से एक इंजीनियर था और भारतीय सेना में SSC के द्वारा 5 साल अपनी सर्विस भी दे चुका था, शरीर और दिमाग से चुस्त और तंदुरुस्त था वो। ऐसा नहीं था की किशन जी ने कभी अपने बेटे या पोतों को लव मैरिज के लिए मना किया था, लेकिन उनका बस ये कहना था कि जो भी लड़की घर में बहु बन कर आए वो संकरी और पढ़ी लिखी हो, ऐसा न हो कि पढ़ने लिखने के चक्कर में दूसरों का मान सम्मान भी न करे, और घर के कामों से भी परहेज हो उसे।
वहीं दूसरी ओर मोनिका, जो राजदान ग्रुप में ही सीनियर ऑडिट ऑफिसर थी, एक बहुत ही चालक और एंबिशियस लड़की थी और उसके ख्वाब बहुत अमीर होने के थे। ऐसा नही था की वो पृथ्वी से प्यार नही करती थी, लेकिन वो उसके पैसों से ज्यादा प्यार करती थी।
2 दिन बाद जब पृथ्वी वापस लौटता है तो उसकी भाभी अनामिका के बारे में उसे बता देती है। ये सुन कर पृथ्वी थोड़ा सोच में पड़ जात है, और अपने भाई से बात करने की सोचता है।
ऑफिस में किशन जी उसको बुलाते हैं जहां रवि और आकाश दोनो मौजूद होते हैं।
किशन जी: पृथ्वी, कैसा रहा सब?
पृथ्वी: जी सब अच्छे से निपट गया, ऑडिट टीम ने एक्यूजेशन में बहुत हेल्प की जिससे हम सही वैल्यू लगा पाए।
किशन जी: चलो बहुत अच्छा की सब सही से हो गया, और तुम टीम से जुड़ने में भी कामयाब हुए। अच्छा भाभी से बात हुई तुम्हारी?
पृथ्वी: जी दादाजी।
किशन जी: पृथ्वी मैने, और तुम्हारी मां ने पसंद किया है अनामिका को, बहुत अच्छी लड़की है, जैसी अपने परिवार को चाहिए, लेकिन मैं एक बार तुमसे जानना चाहता हूं कि कोई है तो नही तुम्हारी लाइफ में, है तो बता दो, बस इतना याद रखना कि परिवार में वही आएगी जो परिवार के साथ चल पाएगी, वरना कोई ऐसी हो जो परिवार ना निभा पाए तो तुम दोनो अकेले ही सब मैनेज करना पड़ेगा।
पृथ्वी: कुछ सोचते हुए: कोई नही दादाजी।
किशन जी: तो फिर सन्डे को किसी अच्छे रेस्टुरेंट में टेबल बुक कर के तुम और अनामिका मिल लो।
पृथ्वी: जी दादाजी।
और सब लोग अपने अपने केबिन में चले जाते हैं। पृथ्वी अपने भाई के पीछे उसके केबिन में आता है।
पृथ्वी: मुझे आपसे बात करनी है,भैया।
आकाश: बोलो भाई, वैसे अगर जो अनामिका से शादी न करने के बारे में है तो भाई, मेरा भी वही कहना है जो दादाजी का है, और वैसे ट्रिप पर जो किया वो मुझे पता है। मोनिका एक बहुत एंबिशियस लड़की है, कोई प्यार व्यार नही है उसको।
पृथ्वी: ऐसा नही है भैया, वो मुझे आहूत प्यार करती है।
आकाश: फिर तो तुम घर और बिजनेस छोड़ ही दो, क्योंकि वो परिवार में रहने लायक तो नही है। बाकी मैं तो यही कहूंगा की हम सब की बात मान लो।
ये सुन कर पृथ्वी और परेशान हो जाता है। और इस बात को वो मोनिका से डिस्कस करने की सोचता है। अगले दिन दोनो फिर से एक होटल के कमरे में होते हैं।
मोनिका जल्दी से उसकी पैंट उतार कर अंडरवियर से उसके लंड को आजाद कर देती है, और मुंह में भर लेती है।
पृथ्वी, सिसकारी भरते हुए: मोनिका, एक बात करनी है, जरूरी।
मोनिका मुंह ऊपर उठाते हुए, "क्या है पृथ्वी, अभी ज्यादा डिस्टर्ब न करो।"
पृथ्वी: बहुत जरूरी है, अपनी लाइफ के बारे में।
मोनिका उसे सोफे पर बैठा देती है और उसकी आंखो मे झांकते हुए पूछती है," बोलो?"
पृथ्वी उसे सारी बातें बता देता है और ये भी की मोनिका से शादी होने पर दोनो को घर परिवार और बिजनेस तीनों से हाथ धोना पड़ेगा।
मोनिका सोचते हुए वापस नीचे जाती है और फिर से मुंह को काम में लगा देती है, पृथ्वी जो शांत हो रहा था, एकदम से फिर उत्तेजित हो जाता है। और उसके बालों में उंगली फेरने लगता है। थोड़ी देर में ही दोनो एक दूसरे के अंदर समा चुके थे।
अपने संसर्ग के बाद दोनो बेड पर लेटे हुए वाइन पी रहे थे, तभी मोनिका ने कहा, "पृथ्वी तुम अनामिका से शादी कर लो।"
पृथ्वी: और तुमको भूल जाऊं?
मोनिका: ये किसने कहा, देखो मुझसे शादी करके तो तुम पूरी तरह से फकीर हो जाओगे, पर अगर जो तुम अभी अनामिका से शादी कर लो, और कुछ ऐसा करो कि तुम दोनो का तलाक हो जाय एक साल के अंदर, तब तो तुम दबाव डाल कर मुझसे शादी कर ही सकते हो।
पृथ्वी ये सुनते ही: नही मोनिका, मैं ऐसे कैसे किसी की जिंदगी बरबाद कर सकता हूं, इससे तो अच्छा है की हम दोनो मिल कर अपना अलग जहां बसाए।
मोनिका: पृथ्वी, ये सब कहना आसान है पर करना बहुत मुश्किल, क्या तुम अपने ये ऐश आराम छोड़ कर एक साधारण जिंदगी बिता लोग?? पूछो जरा खुद से, और एक साल बाद तो तुम उस लड़की के तलाक देते समय अच्छी खासी एलोमोनी दे देना, उसका भी भला हो जायेगा। और एक बात जब भी उससे मिलो तो ये न लगे की वो तुमको पसंद नही, वरना वो ये बात तुम्हारे घर में बता सकती है।
पृथ्वी सोच में पड़ जाता है...
सन्डे को अनामिका और पृथ्वी अकेले में मिलते है। वो अनामिका को देख कर निराश नहीं होता। दोनो ने कुछ देर अकेले में कई तरह की बातें की, उसे अनामिका एक सुलझी हुई लड़की लगी। रिजेक्ट करने का कोई कारण नहीं था।
धीर धीरे शादी की बातें आगे बढ़ने लगी, आनंद किसी कारण से घर नही आ पा रहा था, अनामिका ने उसे फोन किया।
अनामिका: हेलो भैया, कैसे हैं आप?
आनंद: अच्छा हूं गुड़िया, तू बता, मिस्टर राजदान के क्या हाल हैं?
अनामिका: वो अच्छे है भैया, आप बताइए, मेरी होने वाली भाभी कैसी हैं??
आनंद: वो बहुत अच्छी है और पीछे खड़ी अपनी बारी का इंतजार कर रही है तुझेसे बात करने के लिए
अनामिका जानती थी कि उसके भैया आनंद और होटल मालिक की लड़की पूर्वी का रिलेशनशिप चल रहा है, और दोनो ही संजीदा है शादी के लिए, बस आनंद के परिवार को नही पता था इस बारे में कुछ, पर पूर्वी के परिवार वाले सहमत थे इस रिश्ते से और आनंद को अपने बेटे की तरह मानते थे।
इधर अनामिका के दोस्तों को जब पता चला कि उसकी शादी पृथ्वी राजदान से तय हो गई है तो सबको बहुत आश्चर्य हुआ, दीप्ति ने तो अनामिका से ये तक कह दिया कि पक्का पृथ्वी में कोई कमी होगी जिसके लिए तेरी शादी उससे हो रही है, आस पड़ोस वाले भी कुछ ऐसा ही खुसुर फुसुर कर रहे थे, सब कोई अनामिका की किस्मत से जल रहे थे।
उधर मोनिका रोज पृथ्वी को नए नए आइडिया देती थी की कैसे वो अनामिका की गलती बता कर उससे तलाक ले सकता है। पृथ्वी का दिल अभी भी इस बात की गवाही नहीं दे रहा था, बार बार उसका मन होता था कि वो अनामिका या किशन जी को सब सच बता कर इस शादी से तौबा कर ले, मगर मोनिका उसको ये करने से रोकने के सारे हथकंडे अपना रही थी।
ऐसे ही धीरे धीरे शादी का दिन नजदीक आ गया, शादी के 3 दिन पहले जब आनंद को आना था, उसी के दिन पहले पूर्वी और उसके माता पिता की मृत्यु एक एक्सीडेंट में हो जाती है। और आनंद का आना टल जात है।
पृथ्वी के दिल पर ये बोझ रोज उसकी नींद उड़ा रहा था। कल उसकी शादी है और वो इस बात को हजम नही कर पा रहा था की वो किसी की जिंदगी बरबाद करने जा रहा है। उसकी दुविधा समाप्त हों का नाम नही ले रही थी।
शादी वाले दिन तक वो और मोनिका मिलते रहे इस कारण से वो किसी से कुछ बोल भी नहीं पा रहा था। लेकिन शादी के समय जब जयमाल होने वाला था, वो टॉयलेट जाने के बहाने उठा, और....
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