Thriller मोड़... जिंदगी के ( completed )
[color=rgb(184,]#21 the Marriages......[/color]
तभी एक स्पॉट लाइट अनामिका और चंदन पर पड़ने लगी, और एक रोमांटिक गाना "दो दिल मिल रहें हैं, मगर चुपके चुपके" बजने लगा। चंदन के मुख पर एक मुस्कान आ जाती है, और अनामिका की नजरें नीची हो जाती हैं। और दोनो एक दूसरे के नजदीक आते हैं, और दोनो स्पॉटलाइट एक हो जाती है।
तभी एक लड़की की आवाज गूंजती है, "हेलो जानू।"
लड़का: हेलो मेरी जानेमन, कैसी है तू? मैं तो तेरे लिए तड़प रहा हूं।
इसी के साथ एक और स्पॉटलाइट सोनाली पर पड़ती है, और प्रोजेक्टर ऑन हो जाता है जिसमे चंदन और सोनाली की अंतरंग तस्वीरें होती हैं।
लड़की: अरे जानू अनामिका से पीछा छुड़ाने की कोई तरकीब निकाली क्या?
लड़का: एक बात पता चली है, बुढ़ाऊ उसको और आनंद को अपने पोता पोती ही मानता है, और अपनी प्रॉपर्टी का एक हिस्सा अनामिका के नाम है, और तो और अभी एक 5 करोड़ का इंश्योरेंस भी करवाया गया है उसका। तो अब तो शादी करनी ही पड़ेगी। इंश्योरेंस और प्रॉपर्टी मिला कर इतना ही जायेगा जो हम जिंदगी भर नही कमा सकते।
लड़की: पर करोगे क्या शादी के बाद?
लड़का: करना क्या है, वो घाटी वाला मोड़ है, सब वही करेगा, जो इतने लोग का कल्याण कर चुका है, हम दोनो का भी कर देगा।
लड़की: मतलब?
लड़का: अरे बस एक एक्सीडेंट ही तो दिखाना पड़ेगा बस.....
और पृथ्वी की आवाज आती है, "तो दोस्तों ये है इस चंदन और उसकी सो कॉल्ड बहन की असलियत...
और हॉल में लाइट जल जाती है। और पृथ्वी स्टेज पर आते हुए अनामिका का हाथ पकड़ कर उसे नीचे उतार देता है, जो रमाकांत जी के पास चली जाती है।
आनंद: ये क्या है पृथ्वी?
पृथ्वी: वही जो आप देख रहे हैं भैया।
चंदन, चिल्लाते हुए: ये सब झूठ है भाईसाब, ये आदमी हम भाई बहन को बदनाम करना चाहता है, मैने आपको कहा था ना। ये सब बनाया हुआ है।
सोनाली, गुस्से से: ये क्या है चंदन? क्या इसीलिए तुमने मुझे बुलाया है इतनी दूर?
आनंद: पृथ्वी चलो अब नीचे आओ, हम सब अब तुम्हारी किसी चाल में नही आने वाले।
पृथ्वी: दादाजी, प्लीज भैया के जरा शांत रहने को बोलिए।
रमाकांत जी आनंद को इशारा करते हैं, और वो चुप हो जाता है।
पृथ्वी: हां तो सोनाली जी क्या कह रहीं थी आप? आप दोनो को बदनाम करने बुलाया है? आप जैसों को क्या बदनाम करना सोनाली जी, या सोनागाछी की शन्नो बाई, क्या कह कर पुकारा जाय आपको?
ये सुनते ही सोनाली अपना चहरा नीचे कर लेती है।
पृथ्वी: और डॉक्टर चंदन मित्रा, आपने कहां से अपनी मेडिकल डिग्री ली थी, वो भी मात्र 3 साल पढ़ कर?
चंदन: झूठ है ये सब!
पृथ्वी: अच्छा एक और सुनो फिर।
और इसके बाद सोनाली और चंदन का एक दिन पहले की बातचीत चलने जिसमे वो सोनाली को 2 साल इंतजार करने की बात कहता है। जिसे सुन कर आनंद गुस्से से चंदन का गिरेबान पकड़ लेता है, तभी पृथ्वी बीच के आते हुए दोनो को अलग करता है और आनंद से कहता है, "भैया जाने दीजिए, इसका हिसाब पुलिस कर लेगी। इंस्पेक्टर साहब..."
तभी हाल में पुलिस इंस्पेक्टर आ कर चंदन को अरेस्ट कर लेता है, और पृथ्वी कहता है, "ये अपने मेडिकल कॉलेज में कई तरह के गैरकानूनी काम करता था, और अपने कई प्रोफेसर को सोनाली के साथ मिल कर फसा कर ब्लैकमेल करता था। इसीलिए बंगाल पुलिस इसको ढूंढ रही थी।"
पुलिस दोनो को ले कर चल जाती है।
आनंद आंखो में आंसू भर कर: पता नही मेरी इस बहन अनामिका की क्या किस्मत है, बेचारी आज फिर दुल्हन की तरह सज कर अकेली रह गई।
रमाकांत जी: आनंद, अनामिका आज चंदन के लिए नही, बल्कि पृथ्वी के लिए दुल्हन के लिबास में है।
आनंद आश्चर्य से रमाकांत जी और अनामिका को देखता है।
रमाकांत जी: हां आनंद, इनकी सच्चाई हम दोनो को पहले से ही पता थी, बल्कि पृथ्वी ने तो उस दिन तुम्हे भी बताना चाहा था, पर तुमने उसकी एक नही सुनी। हालांकि उसमे गलती तुम्हारी भी नही ही थी, हालत ही कुछ ऐसे हो गए थे। और एक बात, सिर्फ पृथ्वी ही नही, अनामिका भी पृथ्वी को ही चाहती है, वो भी पहले दिन से जब दोनो की शादी के कारण दोनो मिले थे। बस पृथ्वी को ही यहां आ कर पता चला की उसको भी अनामिका ही पसंद है। लेकिन दोनो तुम्हारी मंजूरी के बिना एक कदम भी नही बढ़ाएंगे।
आनंद: तो ये सब आप लोगो ने प्लान किया था?
पृथ्वी: बस मैंने किया था भैया, इन सब ने बस साथ दिया। और एक बात कहूं तो कुछ साथ आपने भी से दिया।
आनंद: कैसे?
पृथ्वी कोमल की ओर देखते हुए: कोमल को भेज कर, वो न उस दिन पार्टी में जाता, ना हम उसका घर बग कर पाते, और न ही उसकी और सोनाली की फोटो मिल पाती हमको। बस ऑडियो प्रूफ पर तो कुछ साबित नही होता ना।
तभी किशन जी आ कर आनंद का हाथ पकड़ कर कहते हैं, "आनंद बेटा, तुमने बहुत कुछ खोया है इस सब में, खास कर मेरे इस लड़के की गलती के कारण। इसीलिए अगर जो तुम्हारी मर्जी
होगी बस वही होगा।
अनामिका: हां भैया बिना आपकी इजाजत के हम किसी से भी शादी नही कर सकते।
आनंद: अनु तुम्हे पता है ना इसने क्या किया है आपने साथ?
अनामिका: सब पता है भैया, पर पृथ्वी अपनी उस हरकत के लिए शर्मिंदा भी है और कई बार माफी भी मांग चुका है।
आनंद: फिर भी मैं मंजूर नहीं करूंगा।
रमाकांत जी: बेटा, जो हो गया उसको बदला नही जा सकता, लेकिन जरा ये तो सोचो कि ये दोनो एक दूसरे को प्यार करते हैं। और तुमसे बेहतर कौन जान सकता है कि अपने प्यार से दूर होना कैसा होता है, प्लीज, समझने की कोशिश करो एक बार।
आनंद: नही, मुझे मंजूर नही
और ये बोल कर आनंद बाहर चला जाता है।
किशन जी: रमाकांत भाईसाब, जाने दीजिए, इसी बच्चे का सुख सबसे बड़ा है, और जब तक ये नही समझेगा तब तक इस बात को जाने ही दीजिए।
और वो पृथ्वी, आकाश और निधि के साथ अपने कमरों में चले जाते हैं। अनामिका भी बुझे मन से वहां से निकल जाती है।
सुबह के 6 बजे, असमान में बस हल्का सा उजाला ही हुआ था, मोड़ के उसी पत्थर पर पृथ्वी और अनामिका उदास मन से बैठा कुछ सोच रहे होते है।
पृथ्वी: अनु....
अनामिका,उसकी आंखों में देखते हुए हुए: क्यों उदास बैठे हो?
पृथ्वी: क्या करूं फिर? भैया तो नही ही मानने वाले हैं।
तभी पीछे आ आवाज आती है: किसने कहा नही मानूंगा मैं?
दोनो चौंकते हुए पीछे मुड़ते हैं जहां आनंद के साथ सभी लोग खड़े थे।
आनंद: अरे भाई किसने कहा की मैं नही मानूंगा? सच कहूं तो मैं इसलिए नाराज था कि मेरी इस गुड़िया ने मुझे ये बात नही बताई, इसकी खुशी से ज्यादा मुझे कुछ नही चाहिए। वैसे सब खेल रहे तो मैंने भी थोड़ा खेल लिया। मुझे पता था की तुम दोनो यहां पर जरूर आओगे, तभी मैं सबको ले आया यहां। और सच कहूं तो इस मोड़ से अच्छी कोई जगह हो ही नहीं सकती तुम दोनो की जिंदगी को नया मोड़ देने के लिए।
निधि आगे बढ़ कर अनामिका का हाथ पकड़ कर आनंद के पास ले जाती है, और, "आनंद अब आप अपनी बहन को कुछ दिन सम्हाल कर रखिए, शादी की सबसे पहले मूहर्त में हम सब उसको मेरे देवर के लिए लेने आयेंगे।
रमाकांत जी: बिलकुल निधि बेटे, हम भी आपका स्वागत करने को तैयार हैं। किशन भाईसाब, अब पृथ्वी को दूल्हे की तरह ले कर जल्दी से आइए आप सब।
किशन जी: बिलकुल भाईसाब, अब हम इजाजत दीजिए।
तभी अनामिका की नजर आनंद पर जाती है जो एक साइड में खड़ी लड़की को देख रहा होता है, अनामिका आगे बढ़ कर उस लड़की को सबके सामने ला कर खड़ी कर देती है।
अनामिका: भैया, अब आप भी शादी कर लीजिए, भाभी तो ढूंढ ही ली है आपने।
वो लड़की: ये अभी भी अपनी जिंदगी में आगे नहीं बढ़ पाय हैं। मैं बस इनकी दोस्त भर ही हूं।
किशन जी: आनंद बेटे, जो लड़की airf आप की खातिर अपनी इज्जत भी दांव पर लगा रही हो, उससे अच्छा जीवन साथी आपको नही मिल सकता।
रमाकांत जी: बिलकुल बेटे, और अब पूर्वी वापस तो नही ही आने वाली, कम से कम आप अपनी जी जिंदगी तो जीना सीखिए, और कोमल से अच्छी और कोई नही मिलने वाली आपको, मुझे कोमल भी पूर्वी जैसी ही लगती है।
आनंद भी कोमल को देख कर मुस्कुरा देता है। अनामिका दोनो का हाथ एक दूसरे को पकड़ा देती है।
किशन जी: भाईसाब, कोमल मेरी पोती जैसी ही है, ये मेरे बेटे के दोस्त मैडम खुराना की बेटी है, उनकी मृत्यु इसके बचपन में ही हो गई थी, इसीलिए मैं चाहता हूं कि इसकी डोली मेरे घर से उठे, आपको कोई आपत्ती न हो तो।
रमाकांत जी: वो भला मुझे क्यों होगी।
किशन जी: तो कोमल बेटा आप हमारे साथ चलिए, सबकी शादी एक साथ ही करवा देते हैं हम लोग।
ये सुन कर सब लोग सहमति देते हैं और किशन जी अपने परिवार के साथ अपने शहर को निकल गए। एक महीने बाद सबकी शादी का मूहर्त निकला और शादी की तयारियां दोनो तरफ जोर शोर से होने लगीं।
शादी वाले दिन एक ही मैरिज हॉल में 2 बारात एक सात पहुंचती हैं, एक में पृथ्वी गुलाबी और हल्के स्लेटी रंग की शेरवानी में किसी राजकुमार की तरह लग रहा था, वहीं गुलाबी लहंगे में अनामिका किसी राजकुमारी की तरह सजी हुई उसकी प्रतीक्षा कर रही थी। दूसरी ओर कोमल सुर्ख लाल लहंगे में अपने चेहरे की लालिमा के साथ अमर की प्रतीक्षा में अधीर हो रही थी जो गहरे मरून शेरवानी में किसी राजा की तरह लग रहा था। दोनो जोड़ों की शादी खूब धूम धाम से हुई और सब कार्यक्रम हंसी खुशी अच्छे से समाप्त हुए।
कुछ साल बाद.....
"गोपाल, जल्दी से गायत्री को ले कर आ जाओ, पूर्वी राखी बांधने के लिए तैयार है।" ये आवाज अनामिका की थी जो आनंद को राखी बांध कर उठी थी, और उनकी जगह कोमल पृथ्वी और आकाश को राखी बांध रही थी।
तभी एक लड़की की आवाज आती है, "मम्मा, देखो ये पूर्वी ने भाई को पहले ही राखी बांध दी।"
अनामिका: तो क्या हो गया गायत्री, वो कभी कभी ही तो अपने भाई से मिलती है, आप दोनो तो हमेशा से साथ रहते है, चलिए अब आप गोपाल को राखी बांधिए।
दोनो बच्चे, गोपाल और गायत्री जो की जुड़वा थे, वो राखी बंधवाने बैठ जाते हैं, और पूर्वी, कोमल और आनंद की बेटी, उसको मिठाई खिलाती है।
किशन जी और रमाकांत जी साथ बैठे हुए चाय पीते हुए सबको हंसते खेलते देख खुश हो रहे थे.....
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