नए पड़ोसी
06-08-2017, 11:55 AM,
#39
RE: नए पड़ोसी
मेरी सारी आशाओं पर पानी फिर गया. "कौन से कपडे पहनोगी." मैंने दीदी से पुछा. "ब्लू स्कर्ट और सफ़ेद टी शर्ट ले आ." दीदी ने जवाब दिया. "और ब्रा पैंटी कौन से रंग की लाऊँ?" मैंने फिर पुछा. मेरे ये पूछने पर दीदी और गुस्सा हो गयी. चिल्ला कर बोली "तू अपने कमरे में चला जा. मैं अपने आप कपडे ले लूंगी." अब मेरा मूड भी ख़राब हो गया और मैंने भी चिल्ला कर कहा "नहीं जाता. क्या मैं तुम्हारा नौकर हूँ?" 

मुझे उम्मीद नहीं थी जो इसके बाद हुआ. दीदी ने बाथरूम का दरवाजा खोला और पूरी नंगी बाहर आकर मुझे घूरती हुई दौड़ कर अपने कमरे में चली गयी और कमरे का दरवाजा भड़ाम से बंद कर लिया. दीदी का गीला नंगा बदन देख कर मेरा मूड फिर से ठीक हो गया और मैं मयंक के पास ये पूछने चल पड़ा की दीदी के साथ उसकी क्या बात हुई है. मयंक मुझे घर के बाहर ही मिल गया. वो ओम की दुकान पर खड़ा कोल्ड ड्रिंक पी रहा था. मुझे देख कर ओम बोला "आओ आओ मनीष बाबु लो तुम भी कोल्ड ड्रिंक पीओ". "किस ख़ुशी में कोल्ड ड्रिंक पिला रहे हो ओम भाई" मैंने पुछा. "अरे पिला रहे है तो कोई तो ख़ुशी की बात होगी ही. लो पीओ". ओम ने के थम्सअप मेरे हाथ में भी थमा दी.

कोल्ड ड्रिंक पी कर हम दोनों थोडा अलग हट गए और मयंक बोला "यार कहा चले गए थे तुम". मैंने कहा "वो सब छोड़ो ये बताओ की दीदी ने क्या कहा." मयंक बोला "यार रश्मि ने तुमसे चुदवाने से साफ़ मना कर दिया.अब क्या कहूँ तुम्हारी किस्मत ही ख़राब है वरना आज तो तुम्हारी बेहन ऐसी मस्ती कर रही थी की मुझे लगा मान जाएगी. आज तो उसने कामसूत्र के आसनों में चुदवाया मुझसे. बहुत मस्त मूड में थी रश्मि आज पर लास्ट में मैंने जब पुछा तो बोली की मनीष के साथ तो कभी नहीं करवा सकती."

"ओह तो फिर तुम्हारे जाने के बाद क्या करेगी वो." मैंने जानना चाहता था की वो दूसरी बात क्या है जिसके लिए रश्मि ने हामी भरी है. "वो बोली की जब जब मैं छुट्टियों में वापस आऊँगा तब हम कर लिया करेंगे. इसमें कोई रिस्क भी नही रहेगा." मयंक ने बताया. मुझे याद आया की दीदी भी मयंक से कह रही थी की इसमें कोई रिस्क नहीं रहेगा. मैंने सोचा की अगर मुझसे चुदवा लेगी तो तो बिलकुल भी रिस्क नहीं रहेगा. चलो शायद मयंक के जाने के बाद दीदी मान जाये. मैंने मयंक से बोला "कोई बात नहीं भाई. चलो अब तो तुम जल्दी मिलोगे नहीं." मैंने मयंक को गले लगाया और वापस घर चला आया. रश्मि दीदी डाइनिंग टेबल पर बैठ कर खाना खा रही थी. मैं भी वही बैठ गया और खाना लेकर खाने लगा. दीदी बोली "अब कालेज में आ गया है. सिर्फ एक ही चीज में दिमाग मत लगा. थोडा पढाई पर भी ध्यान दे वरना फर्स्ट इयर में ही लटक जायेगा. समझा?" दीदी के ताने को सुन कर मैंने हाँ में सर हिलाया और सोचा की जब मयंक जा रहा है तो इनको पढाई याद आ रही है वरना तो सिर्फ चुदाई की ही याद रहती थी.
अगले दिन नाश्ता करने के बाद दीदी तैयार हुई और बोली "मैं कुछ काम से अपनी फ्रेंड के पास जा रही हूँ. शाम को आऊँगी." ये बोल कर दीदी बाहर चली गयी और मैं टीवी देखने लगा. करीब १५ मिनट बाद बेल बजी और जब मैंने दरवाजा खोल कर देखा तो रुची थी. मैंने उससे पुछा "अरे तुम नहीं गयी अंकल आंटी के साथ गाँव?" "नहीं मेरा मन नहीं था. मैंने सोचा की कॉलेज खुलने से पहले एक बार खुल कर तुम्हारे साथ चुदवा कर मजे लूं." मैंने सोचा वाह आज मैं भी रुची को पूरे घर में दौड़ा दौड़ा कर चोदुंगा. मैंने कहा "सही किया जो नहीं गयी. आज तो घर में रश्मि दीदी भी नहीं है तो मजा दोगुना हो जायेगा."


"पता है इसीलिए तो आई हूँ. अब क्या बातें ही करते रहोगे." रुची टी शर्ट उतारते हुए बोली. उसकी काली ब्रा में कैद चुंचिया कमाल लग रही थी. मैंने रुची को गोद में उठाया और अपने रूम में लाकर बेड पर पटक दिया. और मैं उसके ऊपर आ गया और उसको चूमना शुरु कर दिया. ५ मिनट तक मैं उसको चूमता रहा. उसके बाद मैं ने उसकी ब्रा भी खोल दी. जैसे ही मैं ने ब्रा खोली तो उसकी चुंचिया उछल के बाहर आ गये मैं उसे देखकर उसको दबाने लगा. कितने दिनो के बाद इसके पूरे के पूरे बूब्स देखने को और दबाने को मिले फिर मैं ने उसकी निप्पल को मुंह मे रख दिया और चूसने लगा वो आआहहाआआहह्हहाहह कर रही थी. मैं उसे चूसता ही रहा थोड़ी देर बाद मैंने उसकी जींस खोल दी. 

उसकी चूत हमेशा की तरह बहुत गरम हो रही थी तो उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी. मैंने रुची की पैंटी को निकाल दिया और उसकी चूत को फैला के चाटने लगा. वो सिसकारी भर रही थी. अहाआआ अस्सशहस आआअहहस्स स्सशाआ आआहस्सह्हस्सस अहह ह्हह्हह हस्साआ आअह्ह ह्हहा हहाआ हहाहह… फिर रुची ने मेरे लंड को हाथ में लिया और खींच कर कस कर दबाने लगी और मेरे तने हुए लंड को अपनी जांघो के बीच लेकर रगड़ने लगी. वो मेरी तरफ़ करवट लेकर लेट गयी ताकि मेरे लंड को ठीक तरह से पकड़ सके. उसकी चूची मेरे मुंह के बिल्कुल पास थी और मैं उन्हे कस कस कर दबा रहा था.

अचानक उसने अपनी एक चूची मेरे मुंह मे ठेलते हुए कहा " मनीष आज अपनी सारी तमन्नाये पूरी कर लो. जी भर कर दबाओ. चूसो और मज़े लो. मैं तो आज पूरी की पूरी तुम्हारी हूं जैसा चाहे वैसा ही करो. चूसो इनको मुंह में लेकर." फिर क्या था मैंने रुची की लेफ़्ट चूची मुंह में भर ली और जोर जोर से चूसने लगा.
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