RE: Chudai Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुमन आवक रह गयी कितनी आसानी से सुनील ने ये कह डाला – उसे तो शब्द ही नही मिल रहे थे बात शुरू करने के लिए .
सुमन उपर उठी और सुनील के माथे को चूमते हुए बोली – ‘ सुनील बच्चे जब बड़े हो जाते हैं तो वो बच्चे नही रहते दोस्त बन जाते हैं’
‘तेरी जिंदगी का कड़वा सच ये है कि समर तेरे असली पापा हैं और रूबी के पापा सागर हैं.’
ये बोल के वो सुनील की आँखों में देखने लगी – उसकी आँखों में दर्द की लहरें दिख गयी उसे – आख़िर माँ जो थी.
सुनील चुप रहा कुछ नही बोला.
‘मैं जानती हूँ उस दिन फोन पे तूने कुछ सुना था – लेकिन ये सच हम शायद नही बताते – पर अब बताना ज़रूरी हो गया था. ये सब कैसे हुआ …..’
‘मुझे कुछ नही सुनना मोम – मैं पहले भी कह चुका हूँ मेरे डॅड सागर हैं – बस --- अब और कुछ नही’
सुनील अपनी पूरी कोशिश कर रहा था कि बात यहीं ख़तम हो जाए – वो अपने मोम डॅड की सेक्स लाइफ के बारे में नही सुनना चाहता था वो भी अपनी माँ से. ना जाने क्या सोच के मोम ये सब बोल रही थी – ना जाने कितनी तकलीफ़ हो रही होगी मोम को. काश उस दिन मोम फोन काट देती और उसे कुछ सुनाई ना देता.
‘लेकिन मुझे बताना है – क्या मैं अपनी भावनाएँ अपने बेटे – अपने दोस्त के साथ नही बाँट सकती – बरसों से सुलग रही हूँ मैं- मेरा पास कोई नही जिससे मैं अपने दिल की बातें कर सकूँ – क्या मेरा बेटा भी मेरा साथ नही देगा’ सुमन की आँखों में आँसू आ गये.
‘मोम – कुछ बातें बच्चों से नही करी जाती’
‘अधूरा सच बहुत ख़तरनाक होता है – तुझे पूरा सच नही पता – और आज मैं तुझे पूरा सच बताउन्गि – मेरे दिल का बोझ भी हल्का हो जाएगा और तेरा दुख भी थोड़ा कम’
सुमन ने अपना सर सुनील की छाती पे रख लिया और सुनील अपनी माँ के बाल सहलाने लगा.
‘मोम आप रेस्ट करो – बातें तो फिर भी हो जाएँगी’
‘नही सुनील आज मुझे खुद को हल्का करने दो ‘
सुनील आगे कुछ नही बोल पाया. फिर भी उसने एक आख़िरी कोशिश करी.
‘मोम आपको तकलीफ़ होगी – मैं बेटा हूँ आपका – और कोई माँ अपने बेटे से अपनी सेक्स लाइफ नही डिसकस करती – मैं नही चाहता आपको कोई तकलीफ़ हो’
सुमन ने सुनील के चेहरे पे फिर चुंबनो की झड़ी लगा दी .
‘हां बेटे से नही पर एक दोस्त से तो कर सकती है – अब बेटा ही वो दोस्त हो तो क्या प्राब्लम – और वो भी तो जुड़ा हुआ है – उसे भी तो हक़ है सच जानने का’
‘ऐज यू विश' – सुनील ने अपने हथियार डाल दिए.
सुमन सुनील की छाती पे हाथ फेरने लगी और बोलना शुरू कर दिया.
'तेरी मासी की शादी मेरी शादी के तीन साल बाद हुई थी. जिस दिन तेरी मासी की सगाई हुई थी तब समर –मेरा होने वाला जीजा - ने कहा था कि अगर मेरी शादी पहले ना हुई होती तो वो मुझ से ही शादी करता. मैं बात को मज़ाक में ले कर भूल गयी. तब सोनल नही पैदा हुई थी.
उसी साल सोनल का जनम हुआ और रमण का भी इसलिए दोनो की उम्र बराबर है.
हमारा समाज ऐसा है कि औरत को बहुत कुछ सहना पड़ता है. समर तेरे डॅड का अच्छा दोस्त बन गया. और जब सोनल पैदा हुई तो मुझ पे और निखार आ गया था. समर तब यहीं रहता था मुंबई तो वो काफ़ी साल बाद शिफ्ट हुए थे.
हरहफ्ते समर सविता और बच्चे को लेकर हमारे यहाँ आ जाता . शाम को तेरे डॅड और वो दोनो दारू पीने बैठ जाते. मैं और सविता तो दोनो बच्चों को ले कर बेड रूम में अपनी बातें करते रहते थे.
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