RE: Chudai Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
'ये क्या हरकत थी - ऐसे कोई मैदान छोड़ के जाता है - इतना कमजोर कैसे हो गया तू'
सुनील अपने ख़यालों से वापस आया.
'कमजोर नही हूँ - खुद को पहचानने की कोशिश कर रहा हूँ - कभी सोचा है क्या होगा उस लड़के का हाल जब उसे पता चले - ही ईज़ आ बस्टर्ड'
सुमन के दिल की धड़कन जैसे रुक गयी- उसे यूँ लगा कि किसीने उसे गहरे अंधे कुएँ में फेंक दिया हो - चारों तरफ अंधेरा - उसे अपना बेटा खोता हुआ नज़र आया'
धाड़ एक ज़ोर का चाँटा सुनील के गाल पे पड़ा - सुमन का चेहरा इस वक़्त चन्डिमाई के प्रकोप की तरहा लाल हो गया था - नथुने फूलने लग गये थे.
'तेरी हिम्मत कैसे हुई खुद को बस्टर्ड कहने की- जानता भी है - माँ ही बताती है कि कॉन बाप है - माँ को ही पता होता है सब - क्या कमी रखी है सागर ने - दिल का टुकड़ा है तू हमारा'
'लेकिन जिसे सारी जिंदगी अपना बाप समझता था - वो मेरा बाप नही - मैं उसका खून नही - तुम लोगो की वासना का परिणाम हूँ मैं'
सुमन से बर्दाश्त नही हुआ - गुस्सा हवा में उड़ गया- ग्लानि ने उसे घेर लिया और वो फुट फुट के रोने लगी - सुनील की छाती से चिपक बार बार रोते हुए यही बोल रही थी - तू मेरा बेटा है - तू मेरे प्यार की निशानी है - तू हरामी नही है.
सुमन का यूँ बिलखना सुनील से बर्दाश्त नही हुआ और अपनी माँ को अपनी बाजुओं में भर ' ना माँ रो मत - क्या करूँ - मुझ से झेला नही जा रहा - रो मत अब कभी मेरे मुँह से कुछ नही निकलेगा'
दरवाजे पे खड़ा सागर सब सुन रहा था. ना तो वो सुमन के आँसू बर्दाश्त कर सकता था और ना ही सुनील का दर्द. अब उसे समझ में आया सुनील क्यूँ बिना बताए जा रहा था. दिल कर रहा था अंदर जा के अपनी बीवी और बेटे को संभाले - दोनो उसकी जान थे - एक में उसकी रूह बस्ती थी और दूसरा उसके दिल का टुकड़ा था. अपने आँसुओं को रोकते हुए वो अंदर नही गया और हॉल की तरफ बढ़ गया - माँ बेटे के बीच इस वक़्त वो नही आना चाहता था. हां ये ज़रूर उसने फ़ैसला ले लिया था कि सुनील से अकेले में बात ज़रूर करेगा.
सुमन खुद को संभालती है ' मैने कहा था ना सब कुछ सम्झाउन्गि - गेट रेडी - ब्रेकफास्ट के बाद हम दोनो 4 दिन के लिए बाहर जा रहे हैं - मैं तेरे कॉलेज फोन कर दूँगी - और खबरदार अपने मन मैं ऐसी कोई बात रखी तो.'
सुमन अपने कमरे में जा के फटाफट अपना बॅग पॅक करने लगी.
सागर गुम्सुम सा हॉल में बैठा हुआ था - अपने बेटे का खुद को हरामी कहना उसके कलेजे को चीर रहा था.
सोनल कमरे में रेडी हो कर शीशे के सामने खुद को निहार रही थी - हाथ में एक फोटो थी सुनील की ' गंदे देखती हूँ कैसे मुझ से दूर जाते हो- एक दिन तो इन बाँहों में तुम्हें आना ही पड़ेगा - लव यू जान' सुनील की फोटो पे 3-4 चुंबन जड़ देती है और फोटो अपने पर्स में डाल ब्रेकफास्ट के लिए अपने रूम से निकल पड़ती है.
ब्रेकफास्ट टेबल पे चारों बैठे हुए चुप चाप खा रहे थे - चारों सीरीयस थे - महॉल को खुशनुमा बनाने की कोशिश करते हुए सागर बोला - 'यार तुम लोगो ने नेक्स्ट हॉलिडे डेस्टिनेशन के बारे में सोच लिया है कि नही'
सोनल : अभी बहुत टाइम है डॅड, सोच लेंगे तू बता भाई तूने कुछ सोच रखा है क्या.
सुनील बस ना में गर्दन हिला देता है सागर की नज़रें सुनील पे जमी हुई थी.
सुमन : बीचिज बहुत हो गये इस बार सिक्किम जाएँगे.
सागर : वह क्या डेस्टिनेशन चुनी है - मैं भी यही सोच रहा था.
सोनल ; हां मिया बीवी एक तरहा ही तो सोचेंगे.
सागर और सुमन हँस पड़ते हैं- सुनील का चेहरा बिल्कुल सपाट था.
सुमन : तू क्यूँ मजनू की तरहा मुँह लटकाए बैठा है - गर्ल फ्रेंड भाग गयी क्या.
सुनील : स्टॉप दा क्रॅप मोम
सोनल : क्या मोम आपको पता तो है इसका कोई इंटेरेस्ट नही लड़कियों में - पता नही ये कहीं.....
सुमन : चलो छोड़ो इसका मूड मैं ठीक कर दूँगी - ये और मैं एक लोंग डेट पे जा रहे हैं जस्ट आफ्टर ब्रेकफास्ट.
सोनल के हाथ से चम्मच छूट जाता है और सुनील भी मुँह फाडे अपनी माँ की तरफ देखता है.
सुमन : लो बज गये 12 दोनो के चेहरे पे - अरे मेरी सहेली की बेटी की शादी है - बहुत काम है इसलिए सुनील को साथ ले जा रही हूँ - विल बी बॅक आफ्टर 4-5 डेज़.
सागर एक ठंडी साँस भरता है और जेब से अपना क्रेडिट कार्ड निकाल के देदेता है
'सुनील ये रखो - ज़रूरत पड़े तो इस्तेमाल कर लेना'
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