Sex Kahani चूत के चक्कर में
06-12-2017, 11:15 AM,
#4
RE: Sex Kahani चूत के चक्कर में
ये बात सुनके पंडितजी भड़क गए " देखो लखन सिंह मेरे जीवित रहते ये अधर्म नहीं होगा और मैं जानता हूं तुम ऐसा अपनी बेटी शांति की शादी रामलाल से करने के लिए कह रहे हो । मैंने तुम्हारी पहले की भी बहुत सी बातों को नजरअंदाज किया है पर मैं ऐसा नहीं होने दूंगा ।"
अब भड़कने की बारी लखन सिंह की थी पर बात और न बढे इसलिए रामलाल बीच में ही बोल पड़ा " देखिये ताऊ शांति मेरी छोटी बहन जैसी है इसलिये मैं उससे शादी करने की सोच भी नहीं सकता और पंडितजी अब मैं इस शादी ब्याह के झंझट में नहीं फंसना चाहता साला जिंदगी झंड हो जाती है शादी के बाद ।"
मेरी बात सुनके सब हँसने लगे और पंडितजी बोले " ये ज्ञान तो मुझे भी बहुत बाद में हुआ तुम तो बहुत कम उम्र में ही ज्ञानी हो गए ।"
फिर थोड़ी देर ऐसे ही इधर उधर की बात होती रही । फिर पंडितजी ने पूछा " भाई लखन सिंह और रामलाल अगले माह गंगाजी नहाने चलने का क्या विचार है ?"
रामलाल को याद आ गया कि बचपन में कैसे वो सब गांववालों और अपने माता पिता के साथ गंगा नहाने जाता था । जहाँ बहुत ही बड़ा मेला लगता था। सारे गांववाले करीब एक हफ्ते पहले गाँव छोड़कर पैदल ही निकलते थे और बीच के गाँवों में विश्राम करते हुए गंगातट पे पहुचते थे। फिर वहां नहाने पूजा करने के बाद वैसे ही लौटते थे। रामलाल ने सोचा की बहुत दिन हो गए उसे गंगा नाहये इस बार चलते हैं इसलिए वो बोला "ठीक है पंडितजी मैं चलूंगा ।"
लखन सिंह " देखो पंडित अब इस उम्र में मेरा इतनी दूर पैदल चलना संभव नहीं है ।"
पंडित जी " तो ठीक है शांति को भेज दो ।"
लखन सिंह " अरे इतनी दूर अकेले "
पंडित जी " अरे अकेले कहाँ मैं पंडिताइन रामलाल और गाँव के और लोग भी होंगे । "
लखन सिंह " ठीक है मैं शांति से पूछ के बताता हूं।"
पंडितजी खुश ही जाते हैं । कुछ देर बाद रामलाल वापास घर को लौटता है। रात हो चुकी थी । रामलाल घर पहुचता है तो देखता है कि कजरी खाना बना के जा चुकी थी। रामलाल खाना खा के सोने की सोचता है । अंदर बहुत उमस ही रही थी तो वो खाट उठा के बाहर आ जाता है । कजरी के झोपड़े की तरफ नजर घुमाता है तो वहां अँधेरा रहता है शायद कजरी अबतक सो चुकी थी। रामलाल भी खाट पे लेटता है और थोड़ी देर में उसे नींद आ जाती है ।
रात को रामलाल की नींद तब खुलती है जब उसे लगता है कि कोई उसके पैर दबा रहा है। रामलाल देखता है कि कजरी उसके पैर दबा रही है । रामलाल उससे पूछता है " क्या हुआ कजरी ?"
कजरी " कुछ नहीं मालिक "
रामलाल को कुछ समझ नहीं आ रहा था । उसने फिर पूछा " रमुआ कहाँ है ?"
कजरी " आज फिर घरे नहीं आया ।"
रामलाल ने अँधेरे में कजरी की तरफ देखा पर उसे कुछ दिखाई नहीं दिया । रामलाल ने फिर थोड़ा उसे कुरेदने की कोशिश की " कजरी आज सुबह जो हुआ उसके लिए मैं शर्मिंदा हु मुझसे सब्र नहीं हुआ मैं बहुत दिन का भूखा था । "
कजरी " मैं भी मालिक ।"
रामलाल ने चौंकते हुए पूछा " क्यों रमुआ क्या ...?"
रामलाल की बात पूरी भी नहीं हुई थी की कजरी बोल पड़ी " का मालिक दारु और रंडीबाजी से फुर्सत मिले तब कभी बस डाला और दो बार हिलाया और झड़ गया । इतने साल हो गए मेरे ब्याह को अभी तक मैं माँ नहीं बन पायी सारा गाँव मुझे बाँझ कहता है। "
ये कहके कजरी रोने लगती है। रामलाल उसे ढांढस बढ़ाने के लिए अपने सीने से लगा लेता है और कहता है " रो मत कजरी मैं हूँ न "
कजरी थोड़ी देर में संयमित होती है तो रामलाल से कहती है " मालिक मैं वो सब करुँगी जो आप कहोगे बस हमरी कोख हरी कर दो ।"
रामलाल " उसके लिए पहले तुझे ये कपडे निकालने होंगे कजरी और अपनी चूत मेरे हवाले करनी होगी ।"
कजरी शर्मा जाती है और कहती है " अंदर चले मालिक यहाँ कोई आ सकता है ।"
रामलाल खाट लेके अंदर आ जाता है और किवाड़ बंद कर देता है । कजरी तबतक एक लालटेन जलाके बरामदे में टांग देती है। फिर वो अपने कपडे निकाल के एकदम नंगी हो जाती है। लालटेन की मद्धम रोशिनी में कजरी का नंगा बदन देख के रामलाल का लंड फड़फड़ाने लगता है वो भी अपने सारे कपडे उतार के नंगा हो जाता है । फिर वो कजरी की तरफ देखता है कजरी शर्म से अपने हाथों से अपनी चूचियां ढक लेती है । रामलाल उसके पास जाता है और उसे बाहों में ले लेता है। कजरी भी रामलाल के सीने से चिपक जाती है और अपनी बाहें खोल के रामलाल के कंधे पे रख लेती है। रामलाल अपने दोनों हाथों से उसके नितंबो को पकड़के भीच देता है। कजरी की सिसकी निकल जाती है। रामलाल अब कजरी को खाट पे लिटा देता है। रामलाल अब उसके बदन को सहलाने लगता है । रामलाल उसकी चूची को पकड़के मसल देता है। कजरी को दर्द के साथ अब और मज़ा आ जाता है उसकी चूत अब धीरे धीरे पनियाने लगती है। रामलाल धीरे धीरे अपनी एक ऊँगली उसकी चूत के बालों पे फिराने लगता है। कजरी को सुबह की रामलाल की हरकत याद आ जाती है कि कैसे उसने उसकी चूत की का दाना मसला था । कजरी उम्मीद कर रही थी की रामलाल फिर वैसा ही करेगा पर रामलाल उसे तड़पा रहा था। जब कजरी से रहा नहीं गया तो उसने खुद अपने हाथ से रामलाल का हाथ पकड़कर अपनी चूत पे रख दिया । रामलाल समझ गया कि उसे क्या करना है रामलाल कजरी की चूत की फांको को फैलता है तो देखता है कि कजरी की चूत पानी छोड़ रही होती है। रामलाल फिर कजरी की चूत के दाने को पकड़के हलके हलके कुरेदने लगता है । कजरी मजे से अपना सर इधर उधर पटकने करने लगती है । रामलाल फिर उसकी चूत के दाने को मसलने लगता है तो कजरी से बर्दाश्त नहीं होता और वो चिल्लाते हुए झड़ जाती है। कजरी कभी भी ऐसे नहीं झड़ी थी । वो रामलाल से कहती है " मालिक आप के हाथों में जादू है बिना लौड़ा घुसाये ही मेरी चूत झाड़ दी "
रामलाल आगे झुक के कजरी के होठों को अपने होठों में लेके चूसने लगता है। कजरी ने कभी ऐसा नहीं किया था पर वो भी रामलाल की तरह ही उसके होठों को चूसने लगती है। धीरे धीरे कजरी को भी इसमें मजा आने लगता है और वो और जोरसे रामलाल के होठों को चूसने लगती है। रामलाल अब कजरी के होठों को चूसते हुए ही कजरी के ऊपर आ जाता है और उसके पैरों को फैला कर अपना लंड कजरी की चूत के मुंह पे रखता है। रामलाल धक्का लगाता है तो उसका लंड फिसल जाता है। कजरी अपना हाथ नीचे कर के उसके लंड को अपनी चूत पे लगाने की कोशिश करती है। कजरी जब रामलाल के लंड को पकड़ती है तो उसे पता चलता है कि रामलाल का लंड उसके पति रामू के लंड से ज्यादा मोटा और लंबा था । कजरी से अब सब्र नहीं होता और वो रामलाल का लंड अपनी चूत पर सेट करके रामलाल को धक्का लगाने का इशारा करती है। रामलाल धक्का लगता है तो चूत गीली होने के कारण उसका लंड एक झटके में ही कजरी की चूत में समा जाता है। कजरी की तो जैसे साँस ही थोड़ी देर के लिए रुक जाती है। कुछ देर बाद कजरी रामलाल से कहती है " बहुत मोटा है मालिक आपका लौड़ा चोदीये न अब जोरसे "
कजरी की बात सुनके रामलाल को जोश आ जाता है वो जोर जोरसे अपना लंड कजरी की चूत में पेलने लगता है । कजरी के मुह से आह आह की आवाजें निकलने लगती हैं। कजरी की चूत से निकलती फच्च फच्च की आवाज और खटिया की चरर मरर से पूरा घर गूंजने लगता है। कजरी भी पुरे जोश में आ जाती है और अनाप शनाप बकने लगती है " हाय दैया पहले क्यों नहीं मिले मालिक रोज ऐसे ही चुदती आपसे ......आह .....बहुत मोटा है .....पेलो और जोर से पेलो .....आह .....आई मार डाला ....."
रामलाल ने कजरी की दोनों टाँगे उठा के अपने कंधे पे रख ली और चुदाई करने लगा। कजरी को तो अब ऐसा लग रहा था कि उसके चूत की ऐसी ऐसी जगहों पे रामलाल का लंड गोते लगा रहा था जहाँ तक अभी तक कोई नहीं पंहुचा था । कजरी और उत्तेजित होके बकती है " मार डाला मालिक मेरी चूत फट गयी हाय रे .......पेलो न मेरे राजा और जोर से पेलो .......आह आह आह .....मालिक मैं झड़ने वाली हु ......आह आह आह .....आआआ आह ......झड़ गई ईई "
कजरी के झड़ने के बाद उसकी चूत और गीली हो जाती है रामलाल अब और जोर जोर से उसकी चूत चोदने लगा । रामलाल की कमर कजरी की गांड से लड़ने की थप थप की आवाज आने लगती है। रामलाल को लगता है कि उसके अंडकोषों में उबाल आने लगा है वो और जोर से अपना लंड कजरी की चूत में पलने लगा । फिर जल्दी ही उसने अपना पूरा का पूरा वीर्य कजरी की चूत में भर दिया। रामलाल अब कजरी के उपर ही गिर पड़ा । थोड़ी ही देर में उसे नींद आने लगती है तो वो कजरी के बगल में ही लेट जाता है।
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