RE: Sex Kahani कलयुग की द्रौपदी
कलयुग की द्रौपदी--3
( गतान्क से आगे)
हेल्लो दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा कलयुग की द्रौपदी का पार्ट--3 लेकर आपकी अदालत मैं हाजिर हूँ .ओर आशा करता हूँ कि पहले दोनों पार्ट की तरह आपको ये पार्ट भी पसंद आएगा .दोस्तो कहानी के बारे मैं अपनी राय ज़रूर दें . आप लोगो की राय मिलने मेरा उत्साह बढ़ जाता है . ओर मैं ओर जोश के साथ आपके लिए कहानियाँ लिखता हूँ. अभी तक आपने पढ़ा था कैसे रंगा और जग्गा कमसिन कली रानी को उठा लाए थे ओर किस तरह उन्होने मासूम रानी को शादी के सपने दिखाकर झूठ मूठ की शादी करके उसके यौवन का रस पान करने के लिए बेताब हो रहे थे . अब आगे --------
मस्ती और थकान से निढाल रानी 5 मिनट बाद उठके बैठी तो देखा उसका घांघरा कमर तक उठा हुआ था और बदन पर गहनों को छ्चोड़ कुछ भी नही था. अपनी इस अवस्था को भाप रानी शरम से लाल हो गयी और घान्घरे को नीचे तक सरका अपनी चूचियों को हाथों से ढक लिया.
ये देख रंगा हँसते हुए बोला – अभी भी शरमावत है गुड़िया रानी!! अब तो बस आखरी काम बाकी है – तुमको पूरा जवान करने का काम!
ये कहते हुए दोनो बिस्तर पे आ गये और रानी के हाथों को छाती पर से हटके उसे लिटा दिया.
जग्गा ने फिर से रानी के पैर घुटनो से मॉड्कर अपने घुटनों के बल चलता हुआ जांगों के बीच आ गया. रानी ने उसे ऐसा करता देख आने वाले ख़तरे को भापके सहम गयी. माला की सिखाई हुई बातें उसे फिर याद आने लगी और वो जग्गा के मोटे-लंबे लंड को भयभीत नज़रों से देखते हुए सोचने लगी की ये तो उसके कलाई जितना मोटा है कैसे उसके नन्ही सी चूत में समा पाएगा????
इन्ही ख़यालों में खोई हुई थी जब जग्गा ने डब्बी से वॅसलीन निकाला और अपने लंड पे ढेर सारा लगा लिया और अपने दाए हाथ से लंड पकड़कर सूपड़ा रानी के चूत पर रखके सहलाने लगा.
रानी डारी हुई थी पर इस घर्षण से वो फिर से मस्त हो गयी. जग्गा ने दूसरे हाथ की दो उंगलियों से चूत के फाकों को फैलाया और सूपड़ा हल्के दबाव से उसके चूत में ½ “ घुसा दिया. रानी को अभी कुछ ख़ास एहसास नही हुआ.
रंगा ने रानी के सर के तरफ से आकर जग्गा की तरफ फेस कर अपना लंड रानी के मूह में घुसेड दिया. इतने में लंड निशाने पे रख जग्गा ने 1“ और घुसेड दिया.
इस बार रानी को गहरे दर्द का आभास हुआ पर मूह लंड से भरा होने से घुटि-घुटि चीख निकली.
जग्गा ने उतने पे ही रुक कर 1 ½ “ लंड हौले-हौले पेलने लगा.
रानी का दर्द कुछ कम हुआ ही था की 2 मिनट बाद उसने एक करारा झटका दिया और लंड सारी अड़चने पार करता हुआ 5” अंदर समा गया. फ़चक की आवाज़ के साथ रानी की चूत ने खून का कुल्ला किया और लंड के साइड से रीसने लगा. झिल्ली फॅट ते ही रानी की घुटि चीख फिर निकली. तभी रंगा ने लंड मूह से निकाल लिया और रानी की दर्द भरी चीखें उस कमरे में गूंजने लगी.
निका…..काल लीजिए प्लीईईईईईसए हम मर जाएँगे आ.आ.आ…………….आ.आआआ.
फॅट गया मेरा बूर.............प्लीईईईईईसए.
रो-रोकर रानी का बुरा हाल था और दोनो को बहुत मज़ा आ रहा था.
जग्गा बोला – रोवे से कोई फाय्दा नही है गुड़िया, ई तो होना ही था. 5 मिनट में सब ठीक हो जाएगा और तुमको आनंद आएगा.
रानी बकरी जैसी मिमियाते हुए बोली – हम मर जाएँगे. प्लीज़ निकाल लीजिए.
जग्गा ने उसकी बात अनसुनी कर रानी की दोनो जंघें अपने हाथ से थामकर लंड 4” बाहर निकाला और हौले-हौले 5” तक पेलता रहा. रानी दर्द से बिलबिला रही थी और मूह से ऐसी आवाज़ें आ रही थी जैसे बकरे के गर्देन पर कसाई के चाकू के रेतने पर निकलती है.
2 मिनट बाद जग्गा के हल्के धक्कों से रानी थोडा सामानया हुई पर दर्द अभी भी था.
रंगा अभी भी रुका हुआ था. तब जग्गा एक सेकेंड के लिए ठीठका और फिर एक और जोरदार धक्का दिया. रानी की आँखें बाहर की तरफ उबल पड़ी. उसका मूह खुला का खुला रह गया पर आवाज़ ना निकल पाई.
इस बार करीब 9” अंदर पैठ चुका था जग्गा का लंड. रानी के खुले मुँह में झट से रंगा ने अपना लंड घुसा दिया. अब रानी सिर्फ़ अंदर से दर्द महसूस कर रोती जा रही थी. 5 सेकेंड के पॉज़ के बाद जग्गा ने धीरे-धीरे 9“ पेलने लगा. रानी को ऐसा लग रहा था जैसे कोई उसे पैरों के बीच से दो टुकड़ों में काट रहा हो. रंगा के टटटे रानी के नाक पर चोट कर रहे थे जिससे उसे साँस लेने में भी तकलीफ़ हो रही थी. पर शायद उसके देवता यही चाहते थे.
5 मिनट धीरे पेलने के बाद जग्गा ने महसूस किया की रानी का रोना अब गरम आहों में बदल गया था. तब उसने पेलने की रफ़्तार बढ़ा दी और उसका खून से रंगा लंड रानी के घायल चूत में रेल केइंजन के पिस्टन जैसे अंदर-बाहर करने लगा.
गहरा दर्द अब हल्का मीठा सा लगने लगा था रानी को परजब भी जग्गा का लंड 10” अंदर जाकर उसके गर्भ तक चोट करता तो रानी का बदन झटके लेता था.
रानी ने अब अपनी टाँगें जग्गा के कमर पर लपेटने की कोशिश की जो उसके विशालकाय जिस्म को लपेट भी नही पा रही थी.
कुछ ही समय में रानी ने अपनी कमर उचकाके जग्गा के धक्कों का साथ देने लगी.
पूरे कमरा मैं रानी के पायल की छमछमाहट भर गयी थी. रंगा-जग्गा-रानी की गरम साँसें और चूत पे पड़ रहे लंड की थपथपाहट से रूम गूँज उठा.
उन दोनो सांड जैसे विशालकाय दानवों के बीच में रानी जैसे 4.5’ की नन्ही-मुन्नी गुड़िया पीसती जा रही थी. दूर से कोई देखे तो रानी की जग्गा के जांगों के मुक़ाबले नन्ही टाँगें ही नज़र आ रही थी. मूह तो रंगा के लंड से ढका था और बाकी पूरा जिस्म जग्गा से.
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