Sex Kahani कलयुग की द्रौपदी
06-13-2017, 11:37 AM,
#14
RE: Sex Kahani कलयुग की द्रौपदी
जग्गा हमदर्दी दिखाते हुए बोला – बहुत दरद हो रहा है हमारी रानी??

रानी जो अब खाली हो चुकी थी बोली – जल रहा है बहुत और दरद भी हो रहा है.

ये कहके वो कमोर्ड से उतरने लगी तो जग्गा जल्दी से बोला – अर्रे अरे बैठे रहो! हम अभी एक दवाई लगा देते है जलन दूर हो जाएगा.

ये कहके वो पास आया और अपने लपलपाते लंड का निशाना रानी की चुदासी चूत की तरफ कर के अपने पेसाब की सुनेहरी धार पूरे ज़ोर से निकाल दिया.

उसकी मूत की धार सीधे रानी की चूत पे टकराई तो रानी सीसीया उठी. पर 3-4 सेकेंड में ही उसकी चूत पर बड़ी राहत महसूस हुई. जग्गा के ब्लॅडर में तो मानो पूरा सागर समाया हुआ था. करीब 1 मिनट तक वो रानी की चूत पर मूत ता रहा.

रानी को सचमुच अब काफ़ी अच्छा लग रहा था. वो चहकते हुए बोली – अरे वा ई तो बहुत अच्छा दवाई है. रोज लगाइएएगा मेरी योनि पे. एकद्ूम ठीक हो जाएगा.

जग्गा उसके भोलेपन पर मुस्कुरा दिया और रानी के होठ पे अपने होठ रख चूसने लगा और उसे गोद में उठा कर रूम में आ गया.

बेड पे लेटते ही रानी रंगा के तरफ करवट कर लेट गयी और सोने का प्रयास करने लगी.

जग्गा, जिसका हल्का होने के बाद लंड फिर से तन गया था, उसकी आँखों से नींद कोसों दूर थी.

वो भी रानी के तरफ करवटसे हो गया और उसे अपने करीब खीच कर उसकी नंगी पीठ अपनी छाती से चिपका दिया.

जग्गा ने जो ट्रीटमेंट दिया था उसकी वजह से रानी को भी उसपर बहुत प्यार आ रहा था. और फिर वो भी हल्का होने के बाद रूम की ए/सी की ठंडक महसूस करने लगी थी इसलिए जग्गा के गरम बदन का स्पर्श उसे अच्छा लगा.

वो और भी जग्गा से चिपेट गयी.

जग्गा ने अपना लेफ्ट हाथ रानी के उपर से ले जाकर उसके चूची पे रख दिया और हल्के-हल्के घुंडी को मीसने लगा. रानी के आँखों में लाल डोरे तैरने लगे और उसकी आँखें अपने आप ही बूँद होने लगी. मीठी गुदगुदी फिर से उसके पुर बदन में दौड़ने लगी.

उसने अपने लेफ्ट हाथ को जग्गा के हथेली पर रखा और प्यार से सहलाने लगी.

जग्गा के लिए तो बस इतना इशारा ही काफ़ी था. उसने अपना लेफ्ट हाट हटाया और दूसरे हाथ को रानी के गर्देन के नीचे से ले जाते हुए रानी के चूचियों पे रख दिया और सेम खेल खेलने लगा.

हालाकी रानी को समझा नही की जग्गा ने ऐसा क्यूँ किया पर उसे अच्छा लग रहा था की ऐसे पकड़ने से उनके जिस्म पूरी तरह से एक-आकार हो गये थे. अब वो जग्गा के राइट कंधे पर सर रख कर मज़े ले रही थी.

जग्गा ने अपने फ्री लेफ्ट हाथ को रानी के जांघों पे रखा और घांघरा खिसकाते हुए कमर तक ले आया.

तभी रानी को अपनी गांद पर जग्गा का गरम सरसराते लंड का एहसास हुआ तो वो समझ गयी की जग्गा ने अपनी अवस्था क्यूँ बदली थी.

पर वो श्योर नही थी की वो जग्गा के लंड को फिर से झेल पाएगी या नही इसलिए वो सवालिए स्वर में पूछी – आए जी सुनिएना! फिर से कीजिएगा क्या??

जग्गा उसके कान में फुसफुसाते हुए बोला – डरो मत, अब तुमको दरद नही होगा. जो होना था वो तो हो गया है. अब तो खाली मज़ा आएगा.

रानी सहम्ते हुए बोली – देख लीजिए, आप ही का गुड़िया हैं, कहीं कुछ हो गया तो आपलोग का सेवा नही कर पाएँगे!

जग्गा ने श्योर करते हुए कहा – कुछ नही होगा, अब तो तुम दो-दो लंड लेने के लिए तैयार हो चुकी हो मेरी रानी! एक चूत में और एक गांद में.

रानी ने उसकी धूर्त बातें सुनकर ‘धात’ कहके शर्मा गयी.

जग्गा ने अपनी बीच की उंगली पर ढेर सारा थूक लगाया और पीछे से रानी के चूत पर फिराते हुए आधा अंदर घुसा के पेलने लगा. फिर से चूत में कुछ महसूस कर पहले तो रानी को हल्का सा दर्द हुआ पर फिर मज़ा आने लगा.

अब उसे माला और जग्गा की बात सही लग रही थी की ‘पहली बार सज़ा, बाद में फिर मज़ा’.

5 मिनट में रानी की चूत गीली हो गयी और वो उखड़ी साँसों से सीसीयाने लगी.

अया ............. धीरे कीजीएना...........अच्छा लग रहा है...........हाआआअन हां.....और थोडा अंदर डालिएना.........आआआआआआः.............सीईईई...........सीईईईईईईईईईईईईई......सी....सी.

जग्गा ने महसूस किया की रानी के चूची और घुंडी टाइट हो गये थे तो उसने सही वक़्त जान अपने लंड को चूत के मुहाने पर लाया और हल्के से एक दबाव से 3” अंदर घुसा दिया.

हल्के दर्द से रानी के मूह से एक हल्की ‘आह’ निकली और वो आगे की तरफ सरकी पर जग्गा ने उसे थामे रखा. उसने रानी के दोनो पैर घुटनो से मॉड्कर छाती तक उपर उठा दिया था जिससे चोदने में आसानी हो रही थी. उसने रानी को अब यूँ जाकड़ रखा था जैसे वो रब्बर की एक गुड़िया हो और रुई की तरह हल्की. सक-सक करता हुआ वो रानी के चूत की गहराई अपने लंड से मापता जा रहा था.

8” तक पेलने के बाद रानी को थोड़ा दर्द हुआ तो वो उसके गर्दन और कान की लाओं पर चूमने-चाटने लगा. रानी झट से मस्ता गयी और धीरे-धीरे अपनी कमर को जग्गा के धक्कों के साथ मेल करती हुई आगे-पीछे करने लगी. उसकी आँखें बूँद थी और उसे लग रहा था की वो सातवे आसमान में उड़ रही हो. चेहरे पर मस्ती से मुस्कुराहट छाइ हुई थी और लबों से कुछ भी आंट-शॅंट निकल रहा था.... हाआन.........ऐसे ही उड़ना है हमको..........एकदम हलका लग रहा है..................बहुत बादल है यहाँ.................अहह........माआआअ..........ज़ोर उड़ाएना हमको............
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RE: Sex Kahani कलयुग की द्रौपदी - by sexstories - 06-13-2017, 11:37 AM

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