hindi kahani तरक्की का सफ़र
06-13-2017, 09:10 PM,
#18
RE: hindi kahani तरक्की का सफ़र
ठीक आठ बजे एम-डी और महेश पहुँच गये।

“वेलकम सर, हैव अ सीट”, मैंने उन दोनों का स्वागत किया।

“नमस्ते सर!” प्रीती ने भी स्वागत किया।

“हेलो राज! हेलो प्रीती! आज तो तुम कुछ ज्यादा ही सुंदर दिख रही हो”, एम-डी ने जवाब दिया।

प्रीती ने लाइट ब्लू रंग की साड़ी और उसके ही मैचिंग का टाइट ब्लाऊज़ पहन रखा था। साथ ही उसने सफ़ेद रंग के पेंसिल हाई-हील के सैंडल पहने हुए थे और वो बहुत ही सुंदर लग रही थी।

“थैंक यू सर, आइये बैठिये, मैं कुछ खाने को लाती हूँ”, प्रीती ने किचन कि ओर जाते हुए कहा।

“कोई जल्दी नहीं है, आओ हमारे साथ बैठो”, एम-डी ने कहा।

प्रीती भी मेरे साथ उनके सामने बैठ गयी। मैंने स्कॉच के पैग बनाये और एम-डी और महेश को पकड़ा दिये।

“तुम भी कुछ क्यों नहीं लेती?” एम-डी ने प्रीती से कहा।

“सर! मैं शराब नहीं पीती, हाँ! मैं एक कोक ले लूँगी।” मैंने प्रीती को वो स्पेशल कोक पकड़ा दिया।

प्रीती ने चीयर्स कहकर उस कोक में से एक घूँट भरा। मैं कुछ नाश्ता ले कर आती हूँ, कहकर किचन की ओर चली गयी।

“राज तुमने उसे सब बता दिया?” एम-डी ने पूछा।

“नहीं सर! अभी तक नहीं, पर आप चिंता ना करें मैं उसे तैयार कर लूँगा”, मैंने समझाया।

थोड़ी देर में वो नाश्ते की प्लेट टेबल पर सजाने लगी। नीचे झुकते वक्त उसकी साड़ी का पल्लू गिर गया और उसकी छाती की गहरायी दिखने लगी। एम-डी और महेश उसके भरे भरे मम्मों को घुरे जा रहे थे। प्रीती को जब एहसास हुआ तो उसने खड़ी हो कर अपनी साड़ी ठीक कर ली।

“ओह आज कितनी गर्मी है”, कहकर उसने अपना कोक एक ही साँस में खाली कर दिया।

हम तीनों उस पर कोक का असर होते देख रहे थे। उसकी हालत खराब हो रही थी, “एक्सक्यूज़ में, मैं अभी आयी”, कहकर वो किचन की और बढ़ गयी।

थोड़ी देर बाद उसकी आवाज़ आयी, “राज! जरा यहाँ आना।”

“राज! तुमने मेरे कोक में क्या मिलाया?” उसने अपनी हालत को संभालते हुए पूछा।

“मैंने कहाँ कुछ मिलाया है?” मैंने अंजान बनते हुए कहा। 

“मेरे सिर पर कसम खाकर कहो तुमने कुछ नहीं मिलाया, और सच-सच बताओ क्या बात है, तुम मुझसे कुछ छुपा रहे हो”, उसने अपनी चूत को साड़ी के ऊपर से ही सहलाते हुए कहा।

अब समय आ गया था कि मैं प्रीती को सब कुछ सच सच बता दूँ। “ठीक है सुनो! मैं तुम्हें बताता हूँ। तुम्हें याद है लास्ट संडे जब मैं कंपनी की मीटिंग में गया था।” ये कहकर मैंने उसे शुरू से आखिर तक सब बता दिया सिवाय उन तसवीरों के।

“और तुम मान गये, अपनी बीवी को उनसे चुदवाने के लिये?” उसने नाराज़ होते हुए कहा।

“क्या करता मेरे पास कोई चारा नहीं था, इन्होंने मुझे गबन के इल्ज़ाम में जेल जाने की धमकी दे दी थी। तुम ही बताओ मैं क्या करता?”

“मैं जेल नहीं जाना चाहता प्रीती! प्लीज़ मान जाओ और साथ दो”, मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा।

“नहीं मैं नहीं मानुँगी! क्या तुमने मुझे रंडी समझ रखा है?” कहकर वो अपनी चूत जोरों से खुजलाने लगी।

कोक का असर उस पर चढ़ता जा रहा था। “ठीक है! मत मानो, मैं जेल चला जाऊँगा और तुम आराम करना। पर याद रखना मेरे जेल जाने की वजह तुम ही होगी। अच्छा पत्नी धर्म निभा रही हो तुम। मैं अभी जा कर उनसे कह देता हूँ”, कहकर मैं किचन के बाहर जाने लगा।

उसने मुझे रोका, “ठहरो! तुम यही चाहते हो ना कि मैं रंडी बन जाऊँ? तो ठीक है मैं रंडी बनुँगी और तुम्हारे बॉस से ऐसे चुदवाऊँगी कि वो भी ज़िंदगी भर याद रखेंगे। लेकिन हाँ! मैं तुम्हें ज़िंदगी भर माफ़ नहीं करूँगी, कि, मैं रंडी तुम्हारी वजह से बन रही हूँ”, ये कहकर वो अपने ब्लाऊज़ के बटन खोलने लगी।

मैं मन ही मन खुश हुआ कि चलो मान तो गयी। क्या करेगी? थोड़े दिनों में सब भूल जायेगी। “ठीक है! मैं उन्हें जा कर बताता हूँ कि तुम तैयार हो गयी हो।”

“नहीं!!! मैं खुद बताऊँगी! तुम जाओ”, उसने कहा।

मैंने कमरे में आकर उन्हें इशारे से बताया कि प्रीती राज़ी हो गयी है। दोनों ही खुश हुए और अपने ड्रिंक्स लेने लगे। दोनों ही बेसब्र नज़र आ रहे थे।

“कितनी देर में आयेगी राज? अब नहीं रहा जाता”, एम-डी ने पूछा।

“सर इंतज़ार करें, अभी पाँच मिनट में आयेगी”, मैंने जवाब दिया।

ठीक पाँच मिनट बाद प्रीती कमरे में दाखिल हुई। उसकी आँखें सुर्ख लाल हो गयी थी। मैं समझ गया कि वो रोती रही थी। वो उनके सामने आकर चेयर पर बैठ गयी और खुद के लिये ग्लास में कोक लिया और उसमें स्कॉच मिलाकर एक ही झटके में पी गयी। मैं प्रीती को शराब पीते देख भौंचक्का रह गया क्योंकि उसे शराब से नफरत थी।

उसका पल्लू नीचे गिर पड़ा मगर उसने उसे वैसे ही रहने दिया। उसके मम्मे नज़र आ रहे थे। एम-डी और महेश की नज़रें उसके मम्मों पर ही गड़ी हुई थीं। उसके ब्लाऊज़ के दो बटन खुले हुए थे।

प्रीती उनकी आँखों में देख कर बोली, “अच्छा तुम दोनों हरामी आज मुझे चोदने आये हो!! तो इंतज़ार किस बात का कर रहे हो? चलो दोनों शुरू हो जाओ।”

वो दोनों चौंक कर मेरी तरफ देखने लगे। मैं भी प्रीती का ऐसा कहते सुनकर चौंक पड़ा था। मुझे नहीं मालूम था कि प्रीती इस भाषा में उनसे बात करेगी।

प्रीती की बात सुनकर एम-डी ने उसे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया और अपनी बाँहों में जकड़ लिया। मैंने म्यूज़िक लगा दिया। अब एम-डी प्रीती को अपनी बाँहों में भर कर गाने की ट्यून पर थिरक रहा था। जब एम-डी ने उसे किस करना चाहा तो पहले तो उसने ऐतराज़ दिखाया पर बाद में अपने होंठ एम-डी के होंठों पर रख कर चूसने लगी। एम-डी भी उसे-जोर से भींच रहा था। प्रीती की साड़ी खुलती जा रही थी।
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