दास्तान - वक्त के फ़ैसले
06-14-2017, 01:09 PM,
#3
RE: दास्तान - वक्त के फ़ैसले
दास्तान - वक्त के फ़ैसले (भाग-२)
लेखक: राज अग्रवाल
************************************************
ज़ूबी अपने आप पर बहुत शर्मिंदा थी। मजबूरी में उसे अपने मंगेतर से झूठ बोलना पड़ रहा था कि मिस्टर राज की ऑफिस में देर रात तक मीटिंग चलती है जिस वजह से वो उससे मिल नहीं पा सकती थी। आज उसने फिर झूठ बोला था कि एक अर्जेंट मीटिंग की वजह से वो उससे मिल नहीं पायेगी। कभी उसके दिल में विचार आता कि वो इस्तफा दे दे पर मामले की नज़ाकत को समझते हुए वो चुप रह जाती। 

आज राज ने उसे रात को अपने होटल के सुइट में बुलाया था। उसकी बात मानने के अलावा उसके पास कोई चारा नहीं था। जैसे ही उसने होटल में कदम रखा, सबकी निगाहें उस पर जम गयी। सब जानते थे कि जब एक अमीर आदमी किसी लड़की को रात के वक्त बुलाता है तो उसका एक ही मक्सद होता है। 

ज़ूबी राज से होटल के रेस्टोरेंट में मिली। राज किसी से फोन पर बात करते हुए अपने पैड पर कुछ लिख रहा था। ज़ूबी ने वही ड्रेस और सैंडल पहनी थी जो राज ने उसे पहनने के लिए कहा था। वो बिना ब्रा और पैंटी पहने उसकी टेबल के पास खड़ी थी। 

जब राज की नज़रें ज़ूबी पर पड़ी, “अरे तुम खड़ी क्यों हो, बैठो ना।” 

ज़ूबी राज के कहने पर सीट पर बैठ गयी। राज ने फोन पर अपनी बात खत्म की और खाने का ऑर्डर कर दिया। जिस टेबल पर वो बैठे थे वो काफी बड़ी थी और एक सफ़ेद टेबल क्लॉथ से ढकी हुई थी। ज़ूबी राज के बगल की सीट पर बैठ गयी। 

राज ने खाना खाते हुए ज़ूबी को बताया कि उसकी एप्लीकेशन का क्या हाल है। उसने बताया कि जो नया टी.वी चैनल वो शुरू करना चाहता है वो एप्लीकेशन की वजह से रुका हुआ था। उसने बताया कि किस तरह उसने अधिकारियों से बातचीत कर ली है और शायद मामला जल्दी ही सुलझ जायेगा। 

ज़ूबी शांति से खाना खाते हुए उसकी कहानी सुन रही थी। पर उसका पूरा ध्यान अपने आप में हिम्मत जुटाने में लगा हुआ था कि किस तरह वो राज से उस टेप की बात करे। डर और खौफ़ के मारे उसकी ज़ुबान सूखी जा रही थी। वोदका के पैग भी उसे राहत नहीं दे पा रहे थे। आखिर में उसने हिम्मत जुटाते हुए अपनी हकलाती ज़ुबान से कहा, “राज मैं हर हाल में वो वीडियोटेप वापस पाना चाहती हूँ।” 

“जरूर मिल जायेगी” राज ने उसे देखकर मुस्कुराते हुए कहा। “अगर तुम मेरी सहायता करोगी तो वो टेप तुम्हें जरूर मिल जायेगी। पर थोड़े समय के बाद... और मैं तुमसे ये वादा करता हूँ कि वो टेप के बारे में ना तो तुम्हारे ऑफिस में किसी को पता चलेगा और ना ही तुम्हारे मंगेतर को... पर तभी तक जब तक तुम मुझे मजबूर ना कर दो।” 

ज़ूबी चुपचाप उसकी बात सुनती रही और जैसा उसने सोच रखा था वही हुआ। राज ने टेबल के नीचे से अपना हाथ उसकी गोरी जाँघों पर रख दिया। अचानक राज ने उसे अपने नज़दीक खींचा और अपने होंठ उसके होंठों पर रख कर चूसने लगा। ज़ूबी ने उसे रोकने कि चेष्टा नहीं की। राज नाराज़ ना हो जाये, सोच कर वो उसका साथ देने लगी। 

ज़ूबी भी अपना मुँह खोल कर उसकी जीभ को चूसने लगी। अब राज ने अपना दूसरा हाथ उसकी शर्ट में डाल दिया और उसकी चूचियों को मसलने लगा। उसके हाथों के स्पर्श ने ज़ूबी के बदन में एक सिरहन सी दौड़ा दी जिससे उसके निप्पल एक दम सख्त हो गये। राज उसकी आँखों में देखते हुए उसकी चूचियों को जोरों से मसल रहा था। जब उसने वेटर को टेबल के नज़दीक आते देखा तो अपना हाथ हटा लिया। 

राज ने दोनों के लिए एक और ड्रिंक का ऑर्डर दिया। “अपनी टाँगों को थोड़ा फ़ैलाओ” उसने ज़ूबी की टाँगों को सहलाते हुए कहा। 

ना चाहते हुए भी ज़ूबी ने अपनी टाँगें फैला दी। राज के हाथ अब उसकी चूत से खेल रहे थे। वो रह रह कर अपनी हथेली से उसकी चूत को दबा देता। ज़ूबी के शरीर में भी गर्मी आ रही थी। इसका सबूत ये था कि उसकी चूत गीली हो चुकी थी। कई बार राज अपनी गीली हुई अँगुलियों को उसकी स्कर्ट से पौंछ चुका था। 

ज़ूबी का दिमाग काम नहीं कर रहा था। दिमाग कह रहा था कि वो राज का साथ ना दे, पर बदन की गर्मी और काम वासना उस पर हावी होती जा रही थी। वो जानती थी कि आज की रात राज उसे चोदेगा और उसके पास उसके साथ सोने के अलावा कोई चारा भी नहीं था। उसे तो हर हाल में चुदवाना था चाहे मन से या बेमन से। 

“ओहहहह आहहहह” ज़ूबी के मुँह से सिसकरी निकली। राज अपनी दो अँगुलियाँ उसकी चूत में डाले अंदर बाहर कर रहा था। जैसे-जैसे राज की अँगुली उसकी चूत में घुसती, उतनी ही उसकी वासना और भड़कती। उसकी सिसकरियाँ ये बता रही थी कि अब वो भी चुदवाने कि लिए पूरी तरह तैयार हो गयी है। 

राज उसकी हालत देख कर मुस्कुरा रहा था। वो जानता था कि थोड़ी ही देर में ज़ूबी का पानी छूट जायेगा। पर उसका मक्सद ये नहीं था, वो तो उसे बताना चाहता था कि वो अपनी हरकतों से उसे कहीं भी चुदवाने को तैयार कर सकता था। 

“ज़ूबी एक काम करो... ये चाबी लो और रूम नंबर २१३ में चली जाओ... और हाँ! जाकर बेड पर रखी ड्रेस और सैंडल पहन लेना जो मैं तुम्हारे लिए लाया हूँ। मैं थोड़ी देर में आता हूँ।” राज ने उसे चाबी पकड़ाते हुए कहा। 

ज़ूबी खड़ी होकर ऊपर रूम में जाने के लिये चल दी। जैसे ही वो खड़ी हुई, उसे अपनी चूत से पानी बहता महसूस हुआ। उसकी जाँघें और चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। 

राज मुस्कुराते हुए ज़ूबी को पीछे से देख रहा था। उसने देखा कि उसकी स्कर्ट उसके चूत्तड़ की गोलाइयों को नहीं छुपा पा रही थी। 

ज़ूबी जब कमरे में दाखिल हुई तो उसे बेड पर एक छोटी सी सफ़ेद पैंटी और उतनी ही छोटी ब्रा नज़र आयी। साथ ही उनसे मैचिंग सफ़ेद रंग के बहुत ही हाई हील के सैंडल रखे थे। इन अंडरगार्मेंट्स को देख कर वो समझ गयी कि राज जानबूझ कर इतने छोटे ले कर आया है ताकि उसके मम्मे और चूत्तड़ साफ़ दिखायी दे सके। 

रूम के बीचों बीच खड़े होकर उसने अपने काले हाई हील के सैंडल उतारे और फिर अपनी स्कर्ट की ज़िप खोल दी। उसका स्कर्ट फिसल कर नीचे गिर पड़ा। उसने स्कर्ट को अपनी टाँगों से निकाल कर उतार दिया और फिर अपना टॉप भी उतार दिया। कमरे में चलते एयर कंडीशनर की ठंडी हवा ने एक सिरहन सी भर दी उसके शरीर में। 

ज़ूबी कमरे में बिछे कार्पेट पर नंगी ही चहल कदमी कर रही थी। उसने बेड पर से कपड़े और सैंडल उठाये और पहनने लगी। वो समझ गयी थी कि राज उसे अपनी काम वासना की पूर्ति के लिए इस्तमाल करना चाहता है। ज़ूबी ये भी जानती थी कि राज के हाथ जब उसके बदन को सहलाते थे तो अपने जज़बतों को नहीं रोक पाती थी। उसकी भी जिस्मनी इच्छा और बढ़ जाती थी। 

ज़ूबी ने जैसे ही अपने कपड़े समेट कर साइड की टेबल पर रखे तो राज को कमरे में दाखिल होते देखा। ज़ूबी ने देखा कि राज ने शराब की बोत्तल अपनी बगल में दबा रखी थी और उसके पीछे दो हट्टे तगड़े आदमी सूट पहने कमरे में आ गये। 

“ज़ूबी इनसे मिलो... ये हमारे टी.वी चैनल के नये पार्टनर हैं” राज ने कहा। 

“करन ये मेरी वकील ज़ूबी है” राज ने उसका परिचय कराया। ज़ूबी चुप चाप खड़ी थी। उसका मन कर रहा था कि वहाँ से भाग जाये पर जानती थी कि वो ऐसा नहीं कर सकती थी। उसने अपने आप को इतना मजबूर कभी नहीं पाया था। उसकी आँखों में पानी आ गया था। ज़ूबी काँपती टाँगों से साइड में पड़ी कुर्सी पर बैठ गयी।

राज ज़ूबी के पास आ गया और उसकी चूचियों को मसलने लगा। ज़ूबी ने एक बार चाहा कि वो उसके हाथों को झटक दे पर वो ऐसा कर ना सकी, बल्कि उसने महसूस किया कि राज के हाथों का स्पर्श उसे अच्छा लग रहा है और उसके निप्पल एक बार फिर खड़े हो रहे हैं। 

राज ने ज़ूबी को कुर्सी पर से उठाया और उसके बदन को सहलाने लगा। फिर उसने अपने कपड़े उतारे और नंगा हो गया। राज अब खुद कुर्सी पर बैठ गया और ज़ूबी को कंधे से नीचे कर के अपनी फैली जाँघों के बीच बिठा दिया। ज़ूबी का चेहरा राज के लंड से कुछ ही इंच के फ़ासले पर था। 

“अब मेरे लंड को अपने मुँह में ले कर चूसो।” राज ने अपना लंड उसके गुलाबी होंठों पर रगड़ते हुए कहा। 

ज़ूबी को अपने आप से इतनी शर्मिंदगी महसूस हो रही थी कि वो अपने आँसू बड़ी मुश्किल से रोक पा रही थी। राज उसके साथ ऐसा व्यवहार कर रहा था जैसे वो कोई वेश्या हो, “प्लीज़ मुझे पराये मर्दों के सामने इतना जलील मत करो” ज़ूबी गिड़गिड़ाते हुए बोली। 

राज ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया, बस उसे घूरता जा रहा था। 

ज़ूबी ने जब देखा कि उसकी बातों का राज पर कोई असर होने वाला नहीं है तो उसने अपने आप को हालात के सहारे छोड़ दिया। 

अब ज़ूबी के पास कोई चारा नहीं था, उसने राज के लंड को अपने हाथों में लिया और अपना मुँह खोल कर उसे चूसने लगी। ज़ूबी के माथे पर पसीना आ गया था पर वो अपना मुँह ऊपर नीचे कर के उसके लंड को जोरों से चूसती जा रही थी। 

राज ने अपने हाथ उसके सिर और गर्दन पर टिका रखे थे, पर उसकी निगाहें ज़ूबी के चेहरे पर थी जो उसके लंड को चूस रही थी। राज को उसके मुलायम बदन का स्पर्श अच्छा लग रहा था, कैसे वो बीच में अपनी आँखें ऊपर उठा कर उसे देख लेती थी। 

जब वो अपनी जीभ को उसके लंड के चारों तरफ़ घुमाने लगी तब राज को महसूस होने लगा कि वो अब झड़ने वाला है। ज़ूबी के एक हाथ ने उसका लंड नीचे से पकड़ा हुआ था और दूसरा हाथ उसकी जाँघों को पकड़े हुए था। ज़ूबी ने उसके पाँव को अकड़ते देखा और वो समझ गयी कि अब राज झड़ने वाला है। 

“चूसती रहो... रुको मत” राज ने उसके सिर को और दबाते हुए कहा। 

“हे... भगवान... ओहहहह हाँ आआहहहह” कहकर उसका लंड वीर्य की पिचकारी छोड़ने लगा। उसके कुल्हे ज़ूबी के चेहरे पर गड़े हुए थे। उसने उसके सिर को इतना कस कर पकड़ रखा था कि ज़ूबी को मजबूरी में उसका वीर्य निगलना पड़ रहा था। 

जैसे ही उसके पाँव थोड़े ढीले पड़े, ज़ूबी ने अपने गुलाबी होंठ उसके लंड से हटाये और घिसटती हुई सोफ़े पर जाकर बैठ गयी। 

“ये मैं क्या कर रही हूँ?” उसे अपने आप से घृणा हो रही थी कि वो ये सब कैसे कर सकती है। पर अभी वो अपनी हालत को संभाल भी नहीं पायी थी कि दो तगड़े मर्दों ने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके दोनों मम्मों को भींचने और मसलने लगे। दोनों उसकी चूचियों को इस तरह चूस रहे थे जैसे दो जुड़वां बच्चे अपनी माँ का स्तन चूसते हैं। 

तभी ज़ूबी को राज कि आवाज़ सुनायी दी, “आराम से दोस्तों, सबको मौका मिलेगा इसे चोदने का।” 

ज़ूबी की आँखें घबड़ाहट में फट सी गयी और उसे अपनी साँसें घुटती सी महसूस हुई, “हाय अल्लाह ये मेरी सामुहिक चुदाई करेंगे” उसने सोचा, “हाय रब्बा, सब मिलकर चोदेंगे मुझे।” 

ज़ूबी आँखें फाड़े उन दो मर्दों को अपनी चूचीयाँ चूसते हुए देख रही थी। पर वो इस बात से भी इनकार नहीं कर सकती थी कि उसके निप्पल तन कर खड़े हो गये थे और उसकी चूत उत्तेजना में गीली हो चुकी थी। उसने तिरछी आँखों से देखा कि अब दोनों मर्द अपने कपड़े उतार रहे थे। 

ज़ूबी ने अपने छोटे हाथों को उन मर्दों के कंधों पर रखा और उन्हें हटाने की कोशिश करने लगी, “प्लीज़ रुक जाइये, रुक जाइये।” पर उसकी कोशिश नाकामयाब रही। वो दोनों मर्द उसकी चूचियों को चूसे जा रहे थे। 

ज़ूबी का विरोध देख कर राज उसके पास आया और बोला, “ज़ूबी मेरी बात सुनो, तुम्हें इन मर्दों को सहयोग देना होगा? अगर तुमने ऐसा नहीं किया तो ये तुम्हारे लिए बुरा होगा। मेरे लिए नहीं, तुम्हारे लिए... ये, समझी तुम।” 

ज़ूबी की आँखों में आँसू आ गये, उसने राज की आँखों में देखा कि शायद रहम नज़र आ जाये। पर राज की आँखों में रहम नाम की कोई चीज़ नहीं थी। ज़ूबी को मालूम था कि राज की बात मानने के अलावा उसके पास कोई रास्ता नहीं था। उसके दिल ने कहा कि किसी तरह इस रात को गुज़ार लो। 

उसे पता था कि उसकी चूत की आज जम कर धुनाई होने वाली है। उसके बदन की ऐसी दुर्गति बनने वाली है जो उसने सपने में भी ना सोची होगी। वो अपने आप में इन सब के लिए हिम्मत जुटाने लगी। 

वैसे तो राज को उसकी सहमती कि जरूरत नहीं थी, फिर भी ज़ूबी ने उसकी और देखते हुए अपनी गर्दन हाँ में हिला दी। दोनों मर्द जो उसकी चूंची चूस रहे थे, एक ने उसका हाथ पकड़ कर अपने खड़े लंड पर रख दिया। ज़ूबी समझ गयी कि वो क्या चाहता है और वो उसके लंड को पकड़ कर हिलाने लगी। 

राज ने जब ज़ूबी को लंड हिलाते देखा तो उसकी नंगी जाँघों को सहलाते हुए बोला, “अब हुई ना अच्छी लड़की वाली बात।” 

तभी दूसरा मर्द उसकी टाँगों के बीच आ गया। उसने देखा कि वो अपने खड़े लंड को उसकी गीली हुई चूत पर रगड़ रहा है। उस मर्द ने उसकी टाँगों को थोड़ा ऊपर उठा कर उसके कुल्हे पकड़ लिए और अपने लंबे मोटे लंड को उसकी चूत में घुसाने लगा। 

“ओहहहहहह मरररर गयीईईईई।” दर्द के मारे वो चींख पड़ी। 

“फाड़ दो इसकी चूत को!” राज ने उस मर्द से कहा। राज जानता था कि ये वकील लड़की की चूत इतने लंबे और मोटे लंड की आदी नहीं है। पर वो ये भी जानता था कि इस खिलाड़ी लड़की की चूत बहुत गहरी है, अगर पूरा घुसाया जाये तो उसकी चूत पूरा लंड निगल लेगी। 

वो मर्द जोर लगाकर अपने लंड को उसकी चूत में घुसाने लगा और ज़ूबी को ताज्जुब हुआ जब उसकी चूत फ़ैलते हुए उसके लंड को निगलने लगी। तभी दूसरे मर्द ने उसकी चूंची चूसते हुए उसे लिटा दिया। पहले वाला मर्द अब जोरों से उसकी चूत चोद रहा था। वो इतनी बेरहमी से उसे चोद रहा था कि उसकी चूत में एक दर्द सा भरता जा रहा था। 

दूसरे मर्द ने उसकी चूचियों को चूसना बंद किया और उसके चेहरे के पास आ गया। अब वो अपने खड़े लंड को उसके होंठों पर रगड़ रहा था। ज़ूबी अपना मुँह खोलना नहीं चाहती थी, पर उसके पास कोई चारा नहीं था। उसने अपना मुँह खोल कर उस मुसल जैसे लंड को अपने मुँह में ले लिया। एक अजीब सी दुर्गंध उसके नथुनों से टकरायी। पर इन सब बातों पर ध्यान ना देकर वो उस लंड को जोरों से चूसने लगी। 

ज़ूबी को पता भी नहीं लगा कि कब उसके शरीर के दर्द और घबड़ाहट ने उत्तेजना और मादकता का रूप ले लिया, और वो झड़ने के कगार पर पहुँच गयी। 

“ओहहहहह आआआहहहह ओओओओहहहहह” वो सिसकी और उसकी कमसिन और प्यारी चूत ने पानी छोड़ दिया। 

जैसे ही उसकी चूत ने पानी छोड़ा, पहले मर्द के लंड ने उसके मुँह में वीर्य की पिचकारी छोड़ दी। ना चाहते हुए भी ज़ूबी को उस कसैले वीर्य को पीना पड़ा। जितनी जल्दी हो सकता था वो उस कड़वे पानी को निगल गयी जिससे उसका स्वाद उसकी जीभ पर ज्यादा देर ना रहे। 

दूसरा मर्द उसकी चूत में अपने लंड को अंदर बाहर होते देख रहा था। उसने हमेशा से एक नौजवान लड़की को चोदने का सपना देखा था, और आज उसका वो सपना पूरा हो रहा था। उसका मोटा और लंबा लंड ज़ूबी की चूत के अंदर बाहर होता हुआ उसे बहुत अच्छा लग रहा था। जब उसने ज़ूबी के शरीर को अकड़ते और झड़ते देखा तो वो खुद पर काबू ना रख पाया और उसके लंड ने पानी छोड़ दिया। 

उस दूसरे मर्द ने अपने अर्ध-मुर्झाये लंड को उसकी चूत के बाहर खींचा और उसके वीर्य की एक जटा सी बाहर को निकल पड़ी। ज़ूबी ने महसूस किया कि वो वीर्य उसकी नंगी जाँघों पर बह रहा था। वो अजीब नज़रों से उस लंड को देख रही थी और सोच रही थी कि उसकी चूत ने किस तरह इस विशाल लंड को अंदर लिया होगा। 

उसका पूरा शरीर पसीने से भीगा हुआ था। इस भयंकर चुदाई से उसकी साँसें उखड़ चुकी थीं। उस मर्द ने उसे अपनी गोद में उठाया और लेजाकर उसे बिस्तर पर पेट के बल पटक दिया। 

ज़ूबी ने महसूस किया कि उसने उसके कुल्हे हवा में उठा दिये और अपना लंड पीछे से उसकी चूत में घुसा दिया। अब वो उसे कुत्तिया कि तरह पीछे से चोद रहा था। ज़ूबी को अपने शरीर के साथ होते इस दुर्व्यवहार पे इतनी शरम आ रही थी कि उसने अपना चेहरा बिस्तर की चादर में छुपा लिया। 

पर थोड़ी ही देर में उसका शरीर उसके धक्कों के साथ आगे पीछे हो कर साथ देने लगा। उस मर्द ने उसकी कमर में हाथ डाला, “गुड़िया थोड़ा घुटनों के बल हो जाओ?” जब ज़ूबी ने वैसा किया तो उसने उसकी चूचियों को पकड़ लिया और मसलने लगा। 

जिस तरह से वो उसकी चूचियों को मसल रहा था, ज़ूबी को अपने आप से नफ़रत सी हो रही थी पर उसका शरीर था जो उसकी सोच के विपरीत चल रहा था। उसके निप्पल इतने नाज़ुक थे कि थोड़ी रगड़ा मसली से ही तन कर खड़े हो गये और उसकी टाँगें खुद-ब-खुद उत्तेजना में फ़ैल गयी। 

वो मर्द अब एक नयी ताकत से उसे चोद रहा था। वो ज़ूबी कि गाँड के छेद को देख रहा था जो उसके हर धक्के से खुल बंद हो रही थी। उसने अपनी एक अँगुली उसकी गाँड के चेद में डाली और दुगनी ताकत से धक्के लगाने लगा। दस पंद्रह धक्के मारने के बाद उसके लंड ने पानी छोड़ दिया। 

एक मर्द उसे चोद कर अलग होता और दूसरा अपने लंड को उसकी चूत में पेल देता। वो अब तो गिनती भी भूलने लगी थी कि उसे कितनी बार किसने चोदा। वो बेहोश सी होने लगी थी। 

उसे इतना पता था कि एक लंड उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा है। उसने अपनी अधखुली आँखों से देखा कि होटल के रूम सर्विस स्टाफ से एक जवान लड़का शराब और नाश्ता लेकर रूम में दाखिल हो रहा था। 

उस रूम अटेंडेंट ने जब ज़ूबी को इस तरह से चुदते देखा तो उसने अपनी आँखें शरम से झुका ली। 

“जो देखा वो पसंद आया क्या?” राज ने उस लड़के से पूछा। 

“हाँ सर, ये बहुत सुंदर है, ये किसके लिए काम करती है? मैंने इसे पहले कभी यहाँ नहीं देखा” लड़के ने जवाब दिया। 

ज़ूबी समझ गयी कि वो लड़का उसे वेश्या समझ रहा है। 

“वैसे ये लड़की कोई रंडी नहीं है... बल्कि ये इस शहर की एक वकील है” राज ने उस लड़के से कहा। 

वो लड़का गहरी नज़रों से ज़ूबी को देख रहा था। देख रहा था कि किस तरह एक मूसल लंड उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा है। 

“क्या तुम्हारे पास थोड़ा समय है, मैं तुमसे कुछ बात करना चाहता हूँ,” राज ने उस वर्दी धारी लड़के से कहा। 

**************************

ज़ूबी होटल रूम के बाथरूम के आइने के सामने खड़ी थी। वो इस तरह झुकी हुई थी कि उसकी चूचियाँ लटक रही थी और उसके भरे और मांसल चूत्तड़ों के पीछे वो रूम अटेंडेंट खड़ा था। 

वो लड़का शायद उन्नीस बीस साल का होगा, और शायद उसे चुदाई का अनुभव नहीं था, पर उसका लंड एक दम घोड़े के लंड कि तरह सवारी करने को तैयार था। उसने ज़ूबी से अपना लंड खुद की चूत में डालने को कहा तो ज़ूबी ने उसके लंड को पकड़ कर अपनी चूत के मुँह पर रख दिया।

उस अनाड़ी लड़के ने एक ही धक्के में अपना लंड उसकी चूत में घुसाने की कोशिश की और उसका लंड फिसल कर रह गया। उस लड़के ने फिर अपना लंड उसकी चूत के दीवार पर लगाया और इस बार अंदर घुसा दिया। ज़ूबी सिसकी और उसकी चूत ने उसके लंड को जैसे गले लगा लिया। दो धक्कों में उसका लंड पूरा चूत के अंदर था। 

जब उसका लंड पूरा अंदर घुस गया तो वो एक कुशल घुड़सवार की तरह उसकी चूत की सवारी करने लगा। ज़ूबी भी उसके धक्कों का साथ अपने कुल्हे आगे पीछे कर के दे रही थी। 

उस लड़के ने ज़ूबी के चेहरे पर आये उसके बलों को हटाते हुए कहा कि वो उसका चेहरा आइने में देखना चाहता है। ज़ूबी भी उसे देख रही थी कि किस तरह वो अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर कर रहा था। सबसे बड़ी बात कि बाथरूम के खुले दरवाजे से रूम में बैठे तीनों मर्द उसे चुदवाते देख रहे थे। 

वो जवान लड़का उसके कुल्हों को पकड़ कर इतने करारे धक्के मार रहा था कि ज़ूबी की चूत ने थोड़ी देर में ही पानी छोड़ दिया। वो लड़का भी और दो धक्के मार कर उसकी चूत में झड़ गया। 

ज़ूबी इस कदर थक गयी थी कि वो अपनी कमजोर टाँगों से खड़ी नहीं हो पायी और बाथरूम की ज़मीन पर लुढ़क गयी। उसकी हालत बेहोशी जैसी थी। तभी उसे राज की आवाज़ सुनायी दी, “ज़ूबी एक अच्छे मेहमान नवाज़ की तरह इसके लौड़े को चाट कर साफ़ करो।” 

बिना कुछ कहे ज़ूबी ने अपना मुँह खोला और उस लड़के का लंड अपने मुँह में ले कर चूसने लगी। जब उस लड़के का लंड एक दम साफ़ हो गया तो उसने महसूस किया कि किसी के हाथों ने उसे उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया है। उस रात कितनी बार किसने उसे चोदा उसे याद नहीं था और वो एक गहरी नींद में सो गयी। 

कईं घंटे तक ज़ूबी सोती रही। पूरी रात मर्दों ने उसे रगड़ा और मसला था। पूरा शरीर दर्द के मारे कराह रहा था। वो उठी और नहाने के लिये बाथरूम में घुस गयी। वो अपने शरीर से गुनाहों के उन निशानों को मिटाने की कोशिश करने लगी जो उससे जबरदस्ती करवाये गये थे।

ज़ूबी का पूरा शरीर दर्द के मारे कराह रहा था। उसकी चूत सूज कर फूल गयी थी। लंड चूस-चूस के उसके मुँह में और जबड़ों में भी दर्द हो रहा था। उसने गरम पानी से स्नान किया जिससे उसके बदन को राहत मिल सके। अपने बदन को अच्छी तरह टॉवल से पोंछने के बाद वो बेडरूम में आ गयी। 

बेडरूम में आते ही उसके दिल की धड़कनें तेज हो गयी। उसके कपड़े कहीं दिखायी नहीं दे रहे थे। शायद दूसरे मर्द उसकी चुदाई कर रहे थे तब राज उसके कपड़ों को अपने साथ ले गया था। राज के द्वारा लाये हुए सफ़ेद हाई हील के सैंडल जरूर वहाँ मौजूद थे क्योंकि पुरी रात चुदते समय वो उन्हें पहने हुए थी और अभी नहाने के पहले ही उसने वो उतारे थे। 

ज़ूबी के माथे पर पसीना आ गया। अपने आपको बेइज्जती से बचाने के लिये उसे कुछ सोचना होगा। ज़ूबी ने घड़ी की तरफ़ देखा। सुबह के साड़े सात बज चुके थे। ज़ूबी जानती थी कि वो किसी को अपनी मदद के लिये नहीं बुला सकती थी, वरना उसे कईं सवालों के जवाब देने पड़ सकते थे। 

अपने किसी परिचित को बुलाने के बजाय उसने उस नौजवान लड़के को बुलाना उचित समझा जो रात को उसे चोद चुका था। ज़ूबी ने फोन उठाया और रूम सर्विस का नंबर मिलाया। वो अल्लाह से दुआ करने लगी कि वही लड़का फोन उठाये। उसकी किस्मत ने साथ दिया और उसी लड़के ने फोन उठाया। ज़ूबी ने उसे अपने कमरे में आने के लिये कहा। 

ज़ूबी रात की घटना याद कर रही थी कि किस तरह वो उस लड़के के सामने घुटनों के बल एक रंडी की तरह उसके लंड को चूस रही थी। ज़ूबी जो एक कामयाब वकील थी... अपने हालत पर उसे रोना आ गया। 

तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। ज़ूबी ने पैरों में वही सफ़ेद सैंडल पहने और कस कर अपने बदन को टॉवल से ढका और दरवाजे के छेद से देखने लगी। जब उसे तस्सली हो गयी कि आने वाला लड़का रात वाला ही है तो उसने दरवाज़ा खोल दिया। वो नौजवान कमरे के अंदर आ गया। 

ज़ूबी उस नौजवान लड़के को, जो सुबह की रोशनी में और भी जवान और गठीला लग रहा था, अपनी दास्तान सुनाने लगी। ज़ूबी की बात सुनकर उस लड़के का लंड तन कर खड़ा हो गया। वो ज़ूबी की बात सुनकर गरमा गया था। 

“देखो मेरी डयूटी सुबह दस बजे खत्म होती है, उसके बाद तुम कहो तो मैं तुम्हें कहीं ले जाऊँगा।” उस लड़के ने ज़ूबी को घूरते हुए कहा। 

ज़ूबी उसकी बात सुनकर थोड़ा निराश हो गयी, “मैं इतनी देर तक नहीं रुक सकती, क्या कोई तरीका नहीं है कि हम यहाँ से जल्दी निकल सकें” लगभग रोते हुए वो बोली। 

“मेरी नौकरी जा सकती है” उसने जवाब दिया, “और मैं अपनी नौकरी खोना नहीं चाहता।” 

ज़ूबी की आँखों में आँसू आ गये, “प्लीज़ मेरी मजबूरी को समझो, तुम जो कहोगे मैं करने को तैयार हूँ।” उसे पता था कि जो वो कह रही है उसका मतलब कुछ भी हो सकता था, पर उसके पास और कोई चारा भी नहीं था। 

“कुछ भी करोगी?” उसने पूछा। 

“हाँ कुछ भी...” ज़ूबी ने कहा। 

वो लड़का ज़ूबी के पास आया और ज़ूबी के बदन से लिपटे टॉवल की गाँठ खोल कर उसे ज़मीन पर गिरा दिया। ज़ूबी सीधी खड़ी थी और साथ ही उसकी चूचियाँ भी तन कर खड़ी थी। उसके भरे-भरे मम्मे उसकी साँसों के साथ उठ बैठ रहे थे। 

ज़ूबी ने देखा कि उस लड़के के हाथ अब उसकी टाँगों के बीच आ गये और उसकी अंगुलियाँ उसकी चूत के छेद को तलाश कर रही थी। छेद मिलते ही उसने अपनी अंगुलियाँ अंदर घुसा दी। ज़ूबी ने अपनी टाँगें थोड़ी फैला दी जिससे उसकी अँगुली आसानी से अंदर घुस सके। 

ज़ूबी ने सहारे के लिये उस लड़के के कंधे को पकड़ लिया और वो उसकी चूत को अपनी अँगुली से चोदने लगा। थोड़ी ही देर में उसकी चूत पानी छोड़ने लगी। उसकी आँखें पूरी कामुक्ता में बंद थी और वो इस हर लम्हे का मज़ा ले रही थी।

उस लड़के को अपने नसीब पर विश्वास नहीं हो रहा था। आज तक उसने सिर्फ़ मोहल्ले की कुछ लड़कियों को ही चोदा था। उसने अपने एक हाथ से उसके मम्मे पकड़ लिये और उन्हें जोरों से मसलने लगा। 

आज वो जिस औरत को चोदने जा रहा था वो सही में भरी पूरी औरत थी, सुंदर, गठीला शरीर और गरम। “मेरा लंड बाहर निकालो” उसने ज़ूबी से कहा।
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