RE: rajsharmastories धोबन और उसका बेटा
"हा मा, सच में तुम बहुत सुंदर हो और मैं तुम्हे बहुत दीनो से चू...."
"हा, हा बोल ना क्या करना चाहता था, अब तो खुल के बात कर बेटे, शर्मा मत अपनी मा से अब तो हुमने शर्म की हर वो दीवार गिरा दी है जो जमाने ने हमारे लिए बनाई है"
"है मा मैं कब से तुम्हे चॉड्ना चाहता था पर कह ऩही पाता था"
"कोई बात ऩही बेटा अभी भी कुच्छ ऩही बिगरा है वो भला हुआ की आज मैने खुद ही पहल कर दी, चल आ देख अपनी मा को नंगा और आज से बन जा उसका सैययान"
कह कर मा बिस्तेर नीचे उतार गई और मेरे सामने आके खरी हो गई और धीरे धीरे करके अपने ब्लाउस के एक बटन को खोलने लगी. ऐसा लग रहा था जैसे चाँद बदल में से निकल रहा है. धीरे धीरे उसकी गोरी गोरी चुचिया दिखने लगी. ओह गजब की चुचिया थी, देखने से लग रहा था जैसे की दो बरे नारियल दोनो तरफ लटक रहे हो. एक डम गोल और आगे से नुकीले तीर के जैसे. चुचियों पर नासो की नीली रेखाए स्पस्त दिख रही थी. निपल थोरे मोटे और एकद्ूम खरे थे और उनके चारो तरफ हल्का गुलबीपन लिए हुए गोल गोल घेरा था. निपल भूरे रंगे के थे. मा अपने हाथो से अपने चुचियों को नीचे से पकर कर मुझे दिखती हुई बोली "पसंद आई अपनी मा की चुचि, कैसी लगी बेटा बोल ना, फिर आगे का दिखौँगी"
"है मा तुम सच में बहुत सुंदर हो, ओह कितनी सुंदर चुउ..हिय है ओह"
मा ने अपने चुचियों पर हाथ फेरते हुए और अच्छे से मुझे दिखाते हुए हल्का सा हिलाया और बोली "खूब सेवा करनी होगी इसकी तुझे, देख कैसे शान से सिर उठाए खरी है इस उमर में भी, तेरे बाप के बस का तो है ऩही अब तू ही इन्हे संभालना" कह कर वो फिर अपने हाथो को अपने पेटिकोट के नारे पर ले गई और बोली "अब देख बेटा तेरा को जन्नत का दरवाजा दिखती हू, अपनी मा का स्पेशल मालपुआ देख, जिसके लिए तू इतना तरस रहा था". कह कर मा ने अपने पेटिकोट के नारे को खोल दिया. पेटिकोट उसके कमर से सरसरते हुए सीधा नीचे की गिर गया और मा ने एक पैर से पेटिकोट को एक तरफ उच्छल कर फेक दिया और बिस्तर के और नज़दीक आ गई फिर बोली "है बेटा तूने तो मुझे एक डम बेशरम बना दिया", फिर मेरे लंड को अपने मुति में भर के बोली "ओह तेरे इस सांड जैसे लंड ने तो मुझे पागल बना दिया है, देख ले अपनी मा को जी भर के" मेरी नज़रे मा के जेंघो के बीच में टिकी हुई थी. मा की गोरी गोरी चिकनी रनो के बीच में काले काले झतो का एक तिकोना बना हुआ था. झांट बहुत ज़यादा बरे ऩही थे. झांतो के बीच में से उसकी गुलाबी चूत की हल्की झलक मिल रही थी, मैने अपने हाथो को मा के जेंघो पर रखा और थोरा नीचे झुक कर ठीक चूत के पास अपने चेहरे को ले जा के देखने लगा. मा ने अपने दोनो हाथ को मेरे सिर पर रख दिया और मेरे बालो से खेलने लगी फिर बोली "रुक जा ऐसे ऩही दिखेगा तुझे आराम से बिस्तर पर लेट के दिखती हू"
"ठीक है, आ जाओ बिस्तेर पर, मा एक बार ज़रा पिच्चे घुमओ ना"
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