rajsharmastories धोबन और उसका बेटा
06-16-2017, 11:33 AM,
#28
RE: rajsharmastories धोबन और उसका बेटा
मा के मुँह से हल्की हल्की आवाज़े आनी शुरू हो गई थी और उसने मेरे चेहरे को अपने पास खीच लिया और अपने तपते हुए गुलाबी होंठो का पहला अनूठा स्पर्श मेरे होंठो को दिया. हम दोनो के होंठ एक दूसरे से मिल गये और मैं मा की दोनो चुचियों को पाकरे हुए उसके होंठो का रस ले रहा था. कुच्छ ही सेकेंड्स में हमारे जीभ आपस में टकरा रहे थे. मेरे जीवन का ये पहला चुंबन करीब दो तीन मिनिट्स तक चला होगा. मा के पतले होंठो को अपने मुँह में भर कर मैने चूस चूस कर और लाल कर दिया. जब हम दोनो एक दूसरे से अलग हुए तो दोनो हाँफ रहे थे. मेरे हाथ अब भी उसकी दोनो चुचिया पर थे और मैं अब उनको ज़ोर ज़ोर से मसल रहा था. मा के मुँह से अब और ज़यादा तेज सिसकारिया निकलने लगी थी. मा ने सीस्यते हुए मुझसे कहा " ओह ओह स्स्सि......शबश ऐसे ही पायर करो मेरी चुचियो से, हल्के हल्के आराम से मस्लो बेटा, ज़यादा ज़ोर से ऩही, ऩही तो तेरी मा को मज़ा ऩही आएगा, धीरे धीरे मस्लो".मेरे हाथ अब मा की चुचियों के निपल से खेल रहे थे. उसके निपल अब एक डम सख़्त हो चुके थे. हल्का कालापन लिए हुए गुलबी रंग के निपल खरे होने के बाद ऐसे लग रहे थे जैसे दो गोरे गुलाबी पाहरियों पर बादाम की गिरी रख दी गई हो. निपल के चारो ओर उसी रंग का घेरा थे. ध्यान से देखने पर मैने पाया की उस घेरे पर छ्होटे छ्होटे दाने से उगे हुए थे. मैं निपपलो को अपनी दो उंगलियों के बीच में लेकर धीरे-धीरे मसल रहा था और पायर से उनको खींच रहा था. जब भी मैं ऐसा करता तो मा की सिसकिया और तेज हो जाती थी. मा की आँके एक डम नासीली हो चुकी थी और वो सिसकारिया लेते हुए बुदबुदाने लगी "ओह बेटा ऐसे ही, ऐसे ही, तुझे तो सीखने की भी ज़रूरत ऩही है रे, ओह क्या खूब मसल रहा है मेरे पयरे, ऐसे ही कितने दिन हो गये जब इन चुचियों को किसी मर्द के हाथ ने मसला है या पायर किया है, कैसे तरसती थी मैं की काज़ कोई मेरी इन चुचियों को मसल दे पायर से सहला दे, पर आख़िर में अपना बेटा ही काम आया, आजा मेरे लाल" कहते हुए उसने मेरे सिर को पकर कर अपनी चुचियों पर झुका लिया. मैं मा का इशारा साँझ गया और मैने अपने होंठ मा की चुचियों से भर लिए. मेरे एक हाथ में उसकी एक चुचि और दूसरी चुचि पर मेरे होंठ चिपके हुए थे. मैने धीरे धीरे उसके चुचियों को चूसना सुरू कर दिया था. मैं ज़यादा से ज़यादा चुचि को अपने मुँह में भर के चूस रहा था. मेरे अंदर का खून इतना उबाल मरने लगा था की एक दो बार मैने अपने दाँत भी चुचियों पर गर्अ दिए थे, जिस से मा के मुँह से अचानक से चीख निकल गई थी. पर फिर भी उसने मुझे रोका ऩही वो अपने हाथो को मेरे सिर के पिच्चे ले जा कर मुझे बालो से पकर के मेरे सिर को अपनी चुचियों पर और ज़ोर ज़ोर से दबा रही थी और डाँट काटने पर एक डम से घुटि घुटि आवाज़ में चीकते हुए बोली "ओह धीरे बेटा, धीरे से चूसो चुचि को ऐसे ज़ोर से ऩही काट ते है", फिर उसने अपनी चुचि को अपने हाथ से पकरा और उसको मेरे मुँह में घुसने लगी. ऐसा लग रहा था जैसे वो अपनी चुचि को पूरा का पूरा मेरे मुँह में घुसा देना चाहती हो और सीस्यसी "ओह राजा मेरे निपल को चूसो ज़रा, पूरे निपल को मुँह में भर लो और कस कस के चूसो राजा जैसे बचपन में दूध पीने के लिए चूस्ते थे". मैने अब अपना ध्यान निपलेस पे कर दिया और निपल को मुँह में भर कर अपनी जीभ उसके चारो तरफ गोल गोल घूमते हुए चूसने लगा. मैं अपनी जीभ को निपल के चारो तरफ के घेरे पर भी फिरा रहा था. निपल के चारो तरफ के घेरे पर उगे हुए दानो को अपनी जीभ से कुरेदते हुए निपल को चूसने पर मा एक डम मस्त हो जा रही थी और उसके मुँह से निकलने वाली सिसकिया इसकी गवाही दे रही थी. मैं उसकी चीखे और सिसकिया सुन कर पहले पहल तो डर गया था पर मा के द्वारा ये समझाए जाने पर की ऐसी चीखे और सिसकिया इस बात को बतला रही है की उसे मज़ा आ रहा है तो फिर दुगुने जोश के साथ अपने काम में जुट गया था. जिस चुचि को मैं चूस रहा था वो अब पूरी तरह से मेरे लार और थूक से भीग चुकी थी और लाल हो चुकी फिर भी मैं उसे चूसे जा रहा था, ताभ मा ने मेरे सिर को अपनी वाहा से हटा के अपनी दूसरी चुचि की तरफ करते हुए कहा "है खाली इसी चुचि को चूस्ता रहेगा, दूसरी को भी चूस, उसमे भी वही स्वाद है", फिर अपनी दूसरी चुचि को मेरे मुँह में घुसते हुए बोली "इसको भी चूस चूस के लाल कर दे मेरे लाल, दूध निकल दे मेरे सैय्या, एक डम आम के जैसे चूस और सारा रस निकल दे अपनी मा की चुचियों का, किसी काम की ऩही है ये, कम से कम मेरे लाल के काम तो आएँगी" मैं फिर से अपने काम में जुट गया और पहली वाली चुचि दबाते हुए दूसरी को पूरे मनोयोग से चूसने लगा. मा सिसकिया ले रही थी और चुस्वा रही थी कभी कभी अपना हाथ मेरे कमर के पास ले जा के मेरे लोहे जैसे ताने हुए लंड को पकर के मारोर रही थी कभी अपने हाथो से मेरे सिर को अपनी चुचियों पर दबा रही थी. इस तरह काफ़ी देर तक मैं उसकी चुचियों को चूस्ता रहा, फिर मा ने खुद अपने हाथो से मेरा सिर पकर के अपनी चुचियों पर से हटाया और मुस्कुराते मेरे चेहरे की र देखने लगी. मेरे होंठ मेरे कुध के थूक से भीगे हुए थे. मा की बाए चुचि अभी भी मेरे लार से चमक रही थी जबकि दाहिनी चुचि पर लगा थूक सुख चुका था पर उसकी दोनो चुचिया लाल हो चुकी थी, और निपपलो का रंग हल्का कला से पूरा कला हो चुका था (ऐसा बहुत ज़यादा चूसने पर खून का दौरा भर जाने के कारण हुआ था).
Reply


Messages In This Thread
RE: rajsharmastories धोबन और उसका बेटा - by sexstories - 06-16-2017, 11:33 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  बाप का माल {मेरी gf बन गयी मेरी बाप की wife.} sexstories 72 4,133 11 hours ago
Last Post: sexstories
  Incest Maa beta se pati patni (completed) sexstories 35 2,943 11 hours ago
Last Post: sexstories
  Thriller Sex Kahani - मोड़... जिंदगी के sexstories 21 16,164 06-22-2024, 11:12 PM
Last Post: sexstories
  Incest Sex kahani - Masoom Larki sexstories 12 7,754 06-22-2024, 10:40 PM
Last Post: sexstories
Wink Antarvasnasex Ek Aam si Larki sexstories 29 5,287 06-22-2024, 10:33 PM
Last Post: sexstories
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,760,228 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 577,930 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,345,306 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,029,582 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,807,680 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68



Users browsing this thread: 11 Guest(s)