RE: बाली उमर का चस्का
मेने उनको पानी के लिए पुछा पर उन्होंने चॉकलेट निकाल के मुझे पास आने का इशारा किया। में अकेली थी घर पे इसलिए थोडा घबराई हुई थी सो मेने चॉकलेट नही ली। रोहित कपूर ने जब देखा की में पास नही आ रही तो वह खुद खड़े हो के मेरे पास आने लगे। में झट से लॉबी के बाहर निकल गयी ओर अपने आप को उनसे दूर करने लगी। पर वो मेरा नाम लेते हुए पीछे आ रहे थे। "अनु बेबी, कहाँ जा रही हो.... अंकल के पास आओ ... में आपके लिए गिफ्ट लाया हूँ..."
गिफ्ट का नाम सुनते ही में खड़ी हो गयी पानी रोहित कपूर भी पास पोहंच गये ओर मुझे पकड़ने के लिए हाथ आगे बढाया पर में भी कच्ची गोलियां नही खेली थी सो झट से दूर हो गयी। अंकल ने अब अपना अगला दाव चला और जेब में हाथ डाल के मुझसे कहा की गिफ्ट यहाँ हे आ के ले लो। मेरी नजर उनकी पेंट की जेब पे पड़ी परन्तु मेरा ध्यान उनके गुप्तांग वाली जगह पे बने टेंट पे गयी। कितना बड़ा लग रहा था अंकल का लिंग पानी राज ओर जय तो बच्चे थे उनके सामने। मेरे अंदर एक अजीब सी लहर पैदा हुई जिसने मेरे पक्के इरादों को कमजोर कर दिया पानी में अंकल से दूरी बना के रखना चाहती थी पर उनका खड़ा लंड मुझे उनके पास जाने को मजबूर करने लगा। में इसी कशमकश में खड़ी थी की तभी रोहित कपूर ने एक झपटे में मेरी नाज़ुक कलाई पकड़ ली ओर हस्ते हुए एकदम पास आ गया। उनकी आँखों में जीत की चमक थी वेसी ही जेसी किसी योधा को जंग जीत की होती होगी। रोहित कपूर ने जंग तकरीबन जीत ली थी। अब तो बस कमसिन सरदारनी के किले में झंडा गाड़ने की देर थी। उन्होंने मेरा हाथ अपनी पेंट की जेब में डाला और कहा की गिफ्ट ले लो। मेने हाथ अंदर डाल के टटोला तो गिफ्ट नही था पर वो चीज हाथ में आ गयी जो दुनिया की सबसे अच्छी गिफ्ट हो सकती हे किसी भी सेक्सी सरदारनी के लिए।
रोहित कपूर मुझे पीछे करते हुए बेडरूम की तरफ ले गये। मैं घबराई हुई उनकी और देखती हुई रह गयी ओर वह मुझे बिस्तर पे लिटा के मेरे उपर सवार हो गये। ऐसा लग रहा था जेसे एक भैंसा किसी बकरी पे चढ़ गया हो। मैं उनके अगले कदम के बारे में सोच रही थी कि उन्होंने मेरी दोनों कलाइयाँ थाम के सर के उपर कर दी ओर मेरे गले ओर गालों को चूमने लगे। उनकी आँखों में हवस का अशलील साया साफ़ दिखाई दे रहा था पर में बेसहारा लाचार सी उनके निचे पड़ी हुई उनकी हवस का शिकार बन रही थी।
फिर धीरे धीरे उन्होंने अपने कूल्हों को हिलाना चालू किया। मेरी चुनमूनियाँ, पेट ओर जाँघों पे उनके मोटे औजार की रगड़ साफ़ महसूस होने लगी। बीच बीच में वह मेरी चुनमूनियाँ में हमला करने की कोशिश करते जिस से मुझे उनका लंड चुभन का एहसास देता कपडों के उपर से ही। मेने हरे रंग की फ्रॉक पहनी थी जो की अब काफी उपर तक उठ चुकी थी ओर मेरी गोरी चिट्टी जाँघें रोहित कपूर को दीवाना बना रही थी। वह मेरी जाँघों को जोर जोर से मस्सलने में जुट गये और में भी एक वयस्क मर्द के हाथों की कलाकारी का आनंद लेना शुरू कर चुकी थी। राज ओर जय तो नोसिखिये थे पर रोहित कपूर अंकल एक परिष्कृत खिलाडी थे। एक कमसिन सरदारनी को जीत के उस् से अपनी हवस मिटाना उनके लिए कोई मुश्किल काम नही था।
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