RE: नई का नशा
हे भगवान क्या तूने औरत ज़ात बनाई है ! इसका तो कुछ हिसाब किताब ही समझ नहीं आ सकता। मैं तो समझता था कि शादी के बाद लड़कियों के दिमाग में कुछ हो जाता है और आदमियों को उनकी बातें पल्ले ही नहीं पड़तीं। पर नीलम रानी ने यह साबित कर दिया कि शादीशुदा हो या कुंवारी, लड़कियों को समझना मर्दों के बस का रोग नहीं।
ख़ैर, मैंने अपनी रिवॉल्विंग कुर्सी को बिल्कुल नीचे, जितना नीचे जा सकती थी उतना नीचे, सेट कर दिया ताकि लण्ड चूसते हुए नीलम रानी का सिर मेज से न टकराए।
मीटिंग तय समय पर शुरू हो गई। मैं अपनी कुर्सी पर मेज से बिल्कुल चिपक कर बैठा था। कुर्सी बहुत नीचे करने के कारण टेबल की टॉप मेरे पेट को छू रही थी।
इधर मीटिंग चालू हुई, उधर नीलम रानी ने मेरे मोज़े जूते उतार दिए और फिर बड़ी सफाई से मेरी पैंट की ज़िप खोलकर लण्ड बाहर निकाल लिया।
जैसे ही उसने लण्ड के सुपारे को दोनों हाथों में थाम कर मथनी की तरह हाथ चलाए, लण्ड अकड़ गया।
इधर मेरे जूनियर लोग अपना अपना पॉवर-पाइंट प्रेज़ेंटेशन देने में लगे हुए थे, उधर नीलम रानी मेरे लण्ड से खेल रही थी।
कभी वो लण्ड को अपने हाथों के बीच में रख कर मथती जैसे लस्सी बनाते हैं, तो कभी वो चमड़ी पीछे खींच टोपा नंगा कर के अपनी नाक से लगाकर अच्छे से सूँघती।
उसने कई बार लण्ड के चौचक को अपने पूरे मुँह पर फिराया और फिर लेट कर उसने लौड़ा अपने पैरों में फंसा कर खूब हिलाया।
वो लण्ड को एक चूची की निप्पल पर रगड़ती और फिर दूसरी। मैं मीटिंग में क्या हो रहा था यह समझने की सख्त चेष्टा कर रहा था।
इतने सारे लोगों के होते हुए मेरी नीलम रानी मेरे लण्ड से खिलवाड़ कर रही थी इससे मेरा जोश धकाधक बढ़े जा रहा था।
उत्तेजना इतनी अधिक हो रही थी कि बर्दाश्त करना भारी हो रहा था।
बीच बीच में नीलम रानी मेरे पैरों पर अपनी उंगलियों से ठक ठक करती।
बहनचोद ! मैं मीटिंग में कैसे उसे बताऊँगा कि वो लण्ड को कहाँ रगड़ रही है। ठीक है उसी को जीतने दो। जीत के भी तो चुदेगी ही और हारती तो भी चुदती। चोदने दो हरामज़ादी को अपने अंदाज़ में। मेरे बाप का क्या जाता है। चूत मिलने से मतलब है ना। देखते हैं क्या स्टाइल है नीलम रानी के चोदने का !
मीटिंग चल रही थी और अब नीलम रानी लण्ड से खेल खेल के उसे मुँह में ले चुकी थी।
धीरे धीरे वो खाल को आगे पीछे कर रही थी और जीभ सुपारे की धार पर फिरा फिरा के मुझे हद से ज़्यादा उत्तेजित कर रही थी।मीटिंग वाले भी खुश थे कि बॉस आज बिल्कुल फटकार नहीं रहे हैं।
इसलिए मीटिंग जल्दी ही खत्म होने वाली थी। मैं भी इसी चक्कर में था कि मीटिंग को फटाफट निपटा दूं क्योंकि मस्ती के कारण किलकारी रोकना अब भारी होता जा रहा था।
नीलम रानी अब धकाधक चूस रही थी, उसने पूरा का पूरा लौडा मुँह के अंदर घुसा लिया था और क्योंकि मैं तो हिल नहीं सकता था, वो अपना सिर आगे पीछे हिला कर लण्ड की मुखचुदाई कर रही थी।
मेरा सुपारा एन नीलम रानी के गले से सटा हुआ था।
खैर येन केन प्रकारेण मैंने मीटिंग पूरी की और आराम से बैठ कर लौड़ा चुसवाने का आनन्द उठाने लगा। नीलम रानी ने सिर आगे पीछे करने की स्पीड तेज़ कर दी, उसके मुँह से निकलते हुए खूब सारे रस से लण्ड बड़े आराम से अंदर बाहर हो रहा था।
नीलम रानी ने लौड़े को जड़ पर पकड़ा हुआ था और वो अब लण्ड के नीचे की मोटी नस को बार बार धीरे से दबा रही थी। मज़ा कई गुना करने में तो यह लौंडिया सच में माहिर थी।
उत्तेजना मेरे अंग अंग में आग लगा चुकी थी। अब नीलम रानी सिर्फ सुपारा मुँह में रहने दिया और बड़ी तेज़ी से लण्ड की चमड़ी आगे पीछे – आगे पीछे – आगे पीछे करने लगी।
मज़े की चरम सीमा के पास पहुँचता मैं भी अब अपने चूतड़ धकिया धकिया के मज़ा लूटने लगा।
मेरी नस नस में तूफान छा गया था और रीढ़ में एक सुरसुरी रेंगने लगी थी।
अब स्खलित होने में ज़्यादा वक़्त ना था।
नीलम रानी ने तो रफ़्तार बिल्कुल राजधानी एक्सप्रेस जैसी कर दी थी।
एक गहराई सांस लेकर मैंने रोकने की कोशिश की लेकिन असफल रहा, एक बड़े ज़ोर की सीत्कार भर कर मैं धड़ाक से झाड़ा। सारा का सारा मक्खन नीलम रानी के मुँह में गया, इतना ढेर सारा वीर्य छूटा की पूछो नहीं। नीलम रानी ने लण्ड हिलाना बंद कर के पूरा ध्यान मलाई पीने में लगा दिया।
जब लिंग से सब वीर्य निकल चुका तो नीलम रानी ने लण्ड को अपनी चूचुक से रगड़ के पौंछा, फिर उसने लौड़े की नस पिचका पिचका के तीन चार बूंद और निकालीं, उनको नीलम रानी ने चाट लिया और खूब चटखारे लिए।
फिर उसने बड़े सलीके से लुल्ले को वापस पैन्ट में घुसा कर ज़िप बंद कर दी। मैंने दस गहरी गहरी साँसें लेकर अपने आप को संभाला और एक गिलास पानी का पिया। नीलम रानी मेज से बाहर निकल आई।
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