Sex kahani पेइंग गेस्ट
06-17-2017, 12:21 PM,
#16
RE: Sex kahani पेइंग गेस्ट
भाभी भी अब अपने चूतड़ उछाल उछाल कर मरवा रही थीं. बीच में ही अपना गुदा सिकोड़ कर मेरे लन्ड को पकड़ लेतीं. “अनिल, मीनल घबरा जायेगी. अभी तो खुश है पर पता चलेगा कि सुहागरात को उसकी कुम्वारी गांड चोदी जायेगी वह भी तुंहारे हलब्बी लन्ड से, तो रो देगी. उस रात उसे सरप्राइज़ देंगे. मै तो यही मानती हूं कि सुहागरात को वधू को दर्द हो और वह थोड़ा रोए धोए तो मजा आता है. चुदने में तो वह रोएगी नहीं, बल्कि मस्त होकर चुदवाएगी. इसलिये तुम आराम से खूब समय लेकर उसकी गांड मारना. मैं और सीमा तुंहरी सहायता करेंगे और मजा लूटेंगे.”
भाभी के यह विचार सुनकर मुझे मजा आ गया. उत्तेजित होकर मैं अब हचक हचक कर उनकी गांड मारने लगा और झड़ गया. भाभी वैसे ही पड़ी रहीं और मैंने अपने मेहनताने की बदौल उनकी चूत चूस कर उनका रस पी लिया.
सगाई शांअ को हुई और बस एक घम्टे में खतम हो गई. रात को हमने दूने जोश से चुदाई की. सीमा अब मुझे जीजाजी और भाभी अनिल बेटा कहने लगी. मेरी होने वाली पत्नी मीनल जो पहले मुझे अंकल कहती थी अब शरमा कर ‘सुनिये जी’ कहने लगी. “सुनिये जी, अपनी जीभ डालिये ना मेरी बुर मेम’ जब उसने मुझसे बुर चुसाते समय कहा तो सब हम्सने लगे.
मैंने उसे प्यार से कहा कि अब वह मुझे मेरे नाम अनिल से बुला सकती है. भाभी ने कहा कि शादी के पहले, जो अगले हफ़्ते में थी, यह हमारी आखरी चुदाई होगी. पहले तो दोनों लड़कियां इस पर चिल्लाने लगीं पर फ़िर मैंने और भाभी ने जब उन्हें समझाया कि एक हफ़्ते अपनी वासना पर लगांअ रखने से सांऊहिक सुहागरात का मजा दूना हो जायेगा तो वे मानीं.
मैंने दूसरे दिन एक क्रींअ लाकर सब को दी जिसे लन्ड या क्लिटोरिस पर लगाने से ठम्डक सी लगती थी और उसमें सभी सम्वेदना लुप्त हो जाती थी. इससे सब को अपने आप पर काबू रखने में काफ़ी सहायता मिली.
आखिर शादी भी हुई. बस कोर्ट में जाकर आधे घम्टे का कांअ था. मेहमानों के रूप में सिर्फ़ एक बूढी बुआ थीं जो तुरम्त अपने घर लौट गईं. दूसरे सुधा भाभी की छोटी बहन थीं. वे दिल्ली में एक कम्पनी में ऊम्चे पद पर कांअ करती थीं और अविवाहित थीं. उंर पैम्तीस के करीब होगी याने मेरे जितनी. बड़ा आकर्षक व्यक्तित्व था. बा~म्ब कट बाल, कसा हुआ बदन और चेहरे पर एक आत्मविश्वास. वे भी रात को ही लौट गईं. मैंने मन में उनकी मूरत जमा ली, सोचा आगे कभी मौका मिलेगा तो अपनी पत्नी की उस मौसी से भी चक्कर चलाऊंगा. मुझे भी वे काफ़ी इम्टरेस्ट से देख रही थीं. हम दोनों को अगले माह दिल्ली घूमने आने का न्योता उन्होंने दिया जो मैंने तुरम्त स्वीकार कर लिया. भाभी को कुछ अम्दाजा हो गया था इसलिये वे मम्द मम्द मुस्करा रही थीं.

हम घर वापस आये. वहां सीमा और भाभी ने पहले ही सुहागरात के लिये पूरे कमरे को फ़ूलों से सजा रखा था. हम सब अलग अलग नहाने को चले गये. नहा कर उस क्रींअ को धोना था और एक घम्टे बाद उसका असर खत्म होने पर बेडरूम में मिलना था.
ंऐम नंगा ही कमरे में दाखिल हुआ. मेरा लन्ड एकदम तन खड़ा था और मीनल के बदन में घुसने को बेचैन था. आज मैंने निश्चय कर लिया था कि उस मस्त सूजे शिश्न को पूरा काबू में रखूंगा और कम से कम घम्टे भर अपनी पत्नी की गांड मारकर ही झड़ूंगा. कमरे में देखा कि सीमा और भाभी भी नंगी थीं. दोनों एक हाथ से अपनी उत्तेजित चूत सहला रही थीं और मीनल के पास बैठकर उसे चूम चूम कर उससे मजाक कर रही थीं. मीनल बहुत शरमा रही थी और पूरे कपड़े याने लाल शादी का जोड़ा पहने थी.
मेरे मचलते लौड़े को देखकर आंख मारकर सीमा चहकी “लो जीजाजी आ गये, दीदी देख, तेरे लिये क्या उपहार लाये हैं? मैं तेरी जगह होती तो जरूर घबरा जाती!” लगता है भाभी ने चुपचाप उसे बता दिया था कि आज क्या होने वाला है. उसके इस उलाहने को मीनल ने नजरम्दाज कर दिया. बड़ी भूखी और ललचायी नजर से वह अपने पतिदेव के लिंग को देख रही थी. बेचारी शायद इसी भ्रम में थी कि इस मस्त लन्ड से उसे चोदा जायेगा और उसका वीर्य भी पीने मिलेगा.
मैंने अपने दुल्हन का एक गहरा चुम्बन लिया और फ़िर उसके कपड़े निकालने लगा. भाभी और सीमा ने भी हाथ बटाया, उसके गहने निकाले, साड़ी खोली और ब्लाउज़ उतारा. मैंने उन्हें कहा कि मंगल सूत्र रहने देम. अब वह लाल रंग की ब्रा और पैंटी में थी. उसके सांवले शरीर पर आज अजब निखार था. मैंने उस पलन्ग पर लिटाया और सीमा से उसकी ब्रा निकालने को कहा. खुद मैं उसकी पैंटी उतारने लगा. “पहले अपनी प्यारी अर्धांगिनी की योनी के अमृत का पान करूंगा.” कहकर मैं उसकी बुर चूसने लगा. वह इतनी गीली थी जैसे कई बार झड़ी हो. चिपचिपा गाढा रस आज ज्यादा ही स्वादिष्ट था. आखिर हफ़्ते भर के संयम का यह परिणाम तो होना ही था.
भाभी और सीमा उसे चूमने और उसके स्तनों की मालिश करने में लग गईं. मीनल ने मेरा सिर अपनी बुर पर प्यार से दबा लिया और धक्के देते हुए मेरे मुंह पर अपनी वासना शांत करने लगी. उसके एक स्खलन के बाद मैं उठ कर बैठ गया और अपना लौड़ा सहलाते हुए बोला. “चलो, तुंहारा कौमार्य भंग करने का समय आ गया है मेरी जान.” खुश होकर उसने अपनी टांगेम फ़ैला दीं और मेरे लन्ड के अपनी चूत में घुसने का बेचैनी से इम्तज़ार करने लगी.
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