RE: Mastram अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति
पिछले चौबीस घन्टों में अपने ही घर की दो सीधी सादी दिखने वाली भद्र महिलाओं के साथ हुये उसके अनुभव को याद करके अजय का लन्ड फ़िर तेजी से सिर उठाने लगा. बिस्तर पर उसकी मां दीप्ति जन्मजात नन्गी अवस्था में उसकी बाहों में पड़ी हुयीं थीं. मां के कड़े निप्पलों को याद करके अजय का हाथ अपने आप ही दीप्ति के चूचों पर पहुंच गया. हथेली में एक चूचें को भर कर अजय हौले हौले से दबाने लगा. शायद मां जाग जाये और क्या पता खुद को चोदने भी दे. आज की रात वो किसी औरत के जिस्म को बिना चोदे रह नहीं पायेगा.
अजय ने धीरे से मां की तरफ़ करवट बदलते हुये अपना लन्ड उनके भारी नितंबों की दरार में घुसेड़ दिया. अपनी गांड पर दबाब पाकर मां की आंखें खुल गईं.
"अजय, ये क्या कर रहे हो?", दीप्ति मां बुदबुदाईं.
क्य बोलता बिचारा की मां मैं तुम्हे चोदना चाहता हूं. क्या आप में से कोई भी ये बात कभी भी अपनी मां से कह पायेगा? नहीं ना? अजय ने जवाब में अपने गरम तपते होंठों से दीप्ति के कानों को चूमा. बस. इतना करना ही काफ़ी था उस उत्तेजना से पागल हुई औरत के लिये. दीप्ति ने खुद पेट के बल लेटते हुये अजय के हाथों को खींच कर अपनी झांटो के पास रखा और एक पैर सिकोड़ कर घुटना मोड़ते हुये उसे अपनी बुरी तरह गीली हुई चूत के दर्शन कराये. अजय ने मां की झांटो भरी चूत पर उन्गलियां फ़िराई. परन्तु अनुभवहीनता के कारण ना तो वो उन बालों को अपने रास्ते से हटा पा रहा था ना ही मां की चूत में अन्दर तक उन्गली करने का साहस कर पा रहा था.
समस्या को तुरन्त ही ताड़ते हुये दीप्ति ने अजय की उन्गलियो को अपने हाथों से चूत के होठों से छुलाया. फ़िर धीरे से अजय की उन्गली को गीली चूत के रास्ते पर आगे सरका दिया. जहां दीप्ति को स्वर्ग दिख रहा था वहीं अजय ये सोच कर परेशान था की कहीं उसकी कठोर उन्गलियां उसकी प्यारी मां की कोमल चूत को चोट ना पहुंचा दे. अजय शायद ये सब सीखने में सबसे तेज था. थोडी देर ध्यान से देखने के बाद बुद्धीमत्ता दिखाते हुये उसने अपनी उन्गली को चूत से बाहर खींच लिया. अब अपनी मध्यमा (बीच की सबसे बड़ी उन्गली) को मां की गांड के छेद के पास से कम बालों वाली जगह से ठीक ऊपर की तरफ़ ठेला. चूत के इस हिस्से में तो जैसे चिकने पानी का तालाब सा बना हुआ था. इस तरह धीरे धीरे ही सही अजय अपनी मां की खुजली दूर करने लगा.
दीप्ति मां सिसकी और अपनी टांगों को और ज्यादा खोल दिया. साथ ही खुल गई चूत की दीवारें भी. अब एक उन्गली से काम नही चलने वाला था. अजय ने कुहनियों के बल मां के ऊपर झुकते हुये एक और उन्गली को अपनी साथी के साथ मां की चूत को घिसने की जिम्मेदारी सौंप दी.
"आह, मेरे बच्चे", अत्यधिक उत्तेजना से दीप्ति चींख पड़ी. बाल पकड़ कर अजय का चेहरा अपनी तरफ़ खींचा और अपने रसीलें गरम होंठ उसके होठों पर रख दिये.
आग में जैसे घी ही डाल दिया दीप्ति ने. अजय ने आगे की ओर बढ़ते हुये मां की जांघों को अपने पैरों के नीचे दबाया और फ़ुंकार मारते लन्ड से चूत पर निशाना लगाने लगा. अजय के शारीरिक बल और प्राकृतिक सैक्स कुन्ठा को देख कर दीप्ति को शोभा की बात सच लगने लगी. नादान अजय के लन्ड को जांघों के बीच से हाथ डाल कर दबोचा और खाल को पीछे कर सुपाड़े को अपनी टपकती चूत के मुहांने पर रख दिया. कमर हिला हिला कर खुद ही उस कड़कड़ाते लन्ड को चूत रस से सारोबार करने के बाद फ़ुसफ़ुसाई "अब अन्दर पेलो ये लौड़ा". एक बार भी दिमाग में नहीं आया की ये कर्म अजय के साथ उनके एक नये रिश्ते को जन्म दे देगा. अब वो सिर्फ़ अजय की मां नहीं बल्कि प्रेमिका, पत्नी सब कुछ बन जायेंगी. अजय ने मां के मुम्मों को हथेलियों में जकड़ा और एक ही झटके में अपने औजार को मां की पनियाती चूत में अन्दर तक उतार दिया.
"ओह मांआआ", "बहुत गरम हो तुम अन्दर से" दोनों आंखे बन्द किये हुए मां की कोख में लन्ड से खुदाई करने लगा. स्तनों को छोड़ अजय ने मां की भरी हुई कमर को पकड़ा और अपनी तरफ़ खींचा कि शायद और अन्दर घुसने को मिल जाये. अजय के अलावा दीप्ति का और कोई बच्चा नहीं था और उसके पिता के पिद्दी से लन्ड से इतने सालों तक चुदने बाद दीप्ति की चूत अब भी काफ़ी टाईट बनी हुई थी. अजय का लन्ड आधा ही समा पाया था उस गरम चूत में. "आह बेटा, चोद ना मुझे, प्लीज फ़क मी", दीप्ति गिड़गिड़ाई. अपनी संस्कारी मां के मुहं से ऐसे वचनों को सुनकर अजय पागल हो गया.
"हां, हां, हां. बेटा, मेरे प्यारे बच्चे""यहीं तो तेरी मां को चाहिये था""रुक मत", दीप्ति मां तकिये में चेहरा घुसाये आनन्द के मारे रो पड़ी थीं. आज तक उनके पति अजय के पिता ने कभी भी उनकी चूत को इस तरह से नहीं भरा था. सबकुछ काफ़ी तेजी के साथ हो रहा था और दीप्ति अभी देर तक इन उत्तेजना भरे पलों का मजा उठाना चाहती थी. खुद को कुहनियों पर सम्भालते हुये दीप्ति ने भी अजय के लन्ड की ताल के साथ अपने कुल्हों को हिलाना शुरु कर दिया. एक दूसरे को पूरा आनन्द देने की कोशिश में दोनो के मुहं से घुटी घुटी सी चीखें निकल रही थीं. "हां मां, ले लो मेरा लन्ड, तुम्हें चाहिये था ना?" लन्ड को दीप्ति की चुत पर मारते हुये अजय बड़बड़ा रहा था.
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