RE: Mastram अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति
अचानक दीप्ति ने अपनी गति बढ़ा दी. अजय का लन्ड खुद को सम्भाल नहीं पाया और चूत से बाहर निकल कर मां की गोल गांड पर थपकियां देने लगा. "हाय, नो नो, अजय बेटा इधर आ, प्लीईईईज" "ले भर ना इसे" दीप्ति कुतिया की तरह एक टांग हवा में उठा कर कमर को अजय के लन्ड पर पटकती हुई मिन्नतें करने लगी.
लेकिन अजय का मन अब इस आसन से भर गया था. अब वो चोदते वक्त अपनी शयनयामिनी का चेहरा और उस पर आते जाते उत्तेजना के भावों को देखना चाहता था. मां को अपने हाथों से करवट दे पीठ से बल पलटा और दोनों मांसल जाघों को अलग करते हुये उठा कर अपने कन्धों पर रख लिया. हजारों ब्लु फ़िल्मों को देखने का अनुभव अब जाकर काम आ रहा था. परन्तु एक बार फ़िर से मां के अनुभवी हाथों की ज़रुरत आन पड़ी थी. दीप्ति ने बिना कहे सुने ही तुरन्त लन्ड को पकड़ कर चूत का पावन रास्ता दिखाया और फ़िर अजय की कमर पर हाथ जमा एक ही धक्के में लन्ड को अपने अन्दर समा लिया.
अजय ने मां के सुन्दर मुखड़े की तरफ़ देखा. गोरा चिकना चेहरा, ताल के साथ थिरकते स्तन और उनके बीच में से उछलता मन्गलसुत्र नाईट लैम्प की मद्दम रोशनी में दमक रहे थे. बुलबुलाती चूत में अजय का लन्ड अन्दर बाहर हो रहा था और मां किसी रन्डी कि तरह चीखने को विवश थी. "हांआआआआ, हां बेटाआआआ" "उंफ़, आह, आह, हाय राम मर गई".
मन ही मन सोचने लगी की शायद अजय के साथ में भी जानवर हो गयी हूं. अपने ही हाथों से अपने बेटे की पीठ, कुल्हों और टांगो पर ना जाने कितनी बार नाखून गड़ा दिये मैनें.
अजय ने आगे झुक कर मां के एक मुम्में को मुहं में दबा लिया. एक साथ चुदने और चुसे जाने से दीप्ति खुद पर नियंत्रण खो बैठी. चूचों के ऊपर अजय ने दांत गड़ा कर चाहे अपना हिसाब किताब पूरा कर लिया हो पर इससे तो दीप्ति की चूत में कंपकंपी छूट गयी. दीप्ति को अपनी चूत में हल्का सा बहाव महसूस हुआ. अगले ही क्षण वो एक ज्वालामुखी की तरह फ़ट पड़ी. ऐसा पानी छूटा की बस "ओह अजय, मेरे लाल, मैं गई बेटा, हाय मांआआआआ". दीप्ति के गले से निकली चींख घर में जागता हुआ कोई भी आदमी आराम से सुन सकता था. पूरी ताकत के साथ अपने सुन्दर नाखून अजय के नितम्बों में गड़ा दिये.
दीप्ति ने अजय को कस कर अपने सीने से लगा लिया.
लेकिन अजय तो झड़ने से कोसों दूर था. दीप्ति मां खुद थोड़ा सम्भली तो अजय से बोली "श्श्श्श्श बेटा, मैं बताती हूं कैसे करना है". दीप्ति को अपनी बहती चूत के अन्दर अजय का झटके लेता लन्ड साफ़ महसूस हो रहा था. अभी तो काफ़ी कुछ सिखाना था इस नौजवान को. जब अजय थोड़ा सा शांत हुआ तो दीप्ति ने उसे अपने ऊपर से धक्का दिया और पीठ के बल उसे पलट कर बैठ गईं. अजय समझ गया कल रात में चाची को अपने बेटे के ऊपर सवारी करते देख मां भी आज वहीं सब करेंगी. लेकिन अजय को इस सब से क्या मतलब उसे तो बस अपनी गरम गरम रॉड को किसी चिकनी चूत में जल्द से जल्द पैवस्त करना था.
दीप्ति ने अजय को एक बार भरपूर प्यार भरी निगाहों से देखा और फ़िर उसके ऊपर आ गईं. एक हाथ में अजय का चूत के झाग से सना लन्ड लिया तो सोचा की इसे पहले थोड़ा पोंछ लूं. अजय की छाती पर झुकते हुये उसकी छाती, पेट और नाभी पर जीभ फ़िराने लगी. खुद पर मुस्कुरा रहीं थीं कि सवेरे मल मल कर नहाना पड़ेगा. दिमाग ने एक बात और भी कही कि ये सब अजय के पिता से सवेरे आंखे मिलाने से पहले होना चाहिये. दीप्ति ने बिस्तर पर बिखरे हुये नाईट गाऊन को उठा कर अजय के लन्ड को रगड़ रगड़ कर साफ़ किया. अपने खड़े हथियार पर चिकनी चूत की जगह खुरदुरे कपड़े की रगड़ से अजय थोड़ा सा आहत हुआ. हालांकि लन्ड को पोंछना व्यर्थ ही था जब उसे मां की रिसती चूत में ही जाना था. सवेरे से बनाया प्लान अब तक सही तरीके से काम कर रहा था. अजय को अपना सैक्स गुलाम बनाने की प्रक्रिया का अन्तिम चरण आ गया था. दीप्ति ने अजय के लन्ड को मुत्ठी में जकड़ा और घुटनों के बल अजय के उपर झुकते हुये बहुत धीरे से लन्ड को अपने अन्दर समा लिया. पूरी प्रक्रिया अजय के लिये किसी परीक्षा से कम नहीं थी. "हां मां, प्लीज, फ़क मी, फ़क मी...ओह फ़क" जोर जोर से चिल्लाता हुआ अजय अपनी ही मां की कोख को भरे जा रहा था. जब अजय का लन्ड उसकी चूत की असीम गहराईओं में खो गया तो दीप्ति सीधी हुई. अजय के चेहरे को हाथों में लेते हुये उसे आदेश दिया "अजय, देखो मेरी तरफ़". धीरे धीरे एक ताल से कमर हिलाते हुये वो अजय के लन्ड की भरपूर सेवा कर रही थीं. उस तगड़े हथियार का एक वार भी अपनी चूत से खाली नहीं जाने दिया. वो नहीं चाहती थी की अजय को कुछ भी गलत महसूस हो या जल्दबाजी में लड़का फ़िर से सब कुछ भूल जाये.
"मै कौन हूं तुम्हारी?" चुत को अजय के सुपाड़े पर फ़ुदकाते हुए पूछा.
"म्म्मां" अजय हकलाते हुये बोला. इस रात में इस वक्त जब ये औरत उसके साथ हमबिस्तर हो रही है तो उसे याद नहीं रहा की मां किसे कहते है.
"मैं वो औरत हूं जो इतने सालों से तुम्हारी हर जरूरत को पूरा करती आई है. है कि नहीं?" दीप्ति ने पासा फ़ैंका. आगे झुकते हुये एक ही झटके में अजय का पूरा लन्ड अपनी चूत में निगल लिया.
"आआआआआह, हां मां, तुम्हीं मेरे लिये सब कुछ हो!" अजय हांफ़ रहा था. उसके हाथों ने मां की चिकनी गोल गांड को पकड़ कर नीचे की ओर खींचा.
"आज से तुम अपनी शारीरिक जरूरतों के लिये किसी भी दूसरी औरत की तरफ़ नहीं देखोगे. समझे?" अपने नितंबों को थोड़ा ऊपर कर दुबारा से उस अकड़े लन्ड पर धम्म से बैठ गईं.
"उउउह्ह्ह्ह, नो, नो, आज के बाद मुझे किसी और की जरुरत नहीं है." कमर ऊपर उछालते हुये मां की चूत में जबर्दस्त धक्के लगाने लगा.
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