RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
ट्यूशन का मजा-15
गतांक से आगे..............................
रविवार को हमने पूरे दिन आराम किया. दीदी तो सोती ही रही. मैं भी कहीं नहीं गया, गांड में अब भी दर्द था, सोचा बिस्तर में पड़ा रहूंगा तो जल्दी आराम मिलेगा.
सोमवार को हम काफ़ी ठीक हो गये थे. मेरी भी गांड सम्भल गयी थी, दर्द खतम हो गया था, जरा सी टीस भर थी. जब हम सर के यहां पहूंचे तो मैडम राह देख रही थीं. हमें खींच कर वे अंदर ले गयीं. वहां उन्होंने अपना गाउन उतारा और हमें भी कपड़े उतारने को कहा.
मैडम की नंगी जवानी को देखते हुए हम भी नंगे होने लगे. दो दिन के आराम से थकान गायब हो गयी थी. मेरा लंड मैडम को देखकर खड़ा हो गया.
"सर कहां हैं मैडम" दीदी ने पूछा.
"नहा रहे हैं. आज देर से सोकर उठे. वे जब तक आयें, तुम दोनों को तैयार करना है. आज खास खेल है बच्चो" मैडम मुस्करायीं और मुझे पास बुलाया. उनके हाथ में एक ब्रा थी. "इसे पहन लो अनिल. या मैं ही पहना देती हूं"
"मैडम, ये क्या है?" मैंने झिझकते हुए पूछा.
"अरे लड़की नहीं बनना है? भूल गया? कल खास जाकर लायी हूं तेरे नाप की छोटी" कहकर मैडम ने मुझे ब्रा पहना दी. टाइट थी. ब्रा के कपों में लगता है स्पंज की गेंदें भरी थीं. उन्हें दबाकर मैडम बोलीं "ये बन गयीं मस्त चूचियां तेरी. अब ये पैंटी पहनो." कहकर मैडम ने मुझे एक लेस वाली गुलाबी पैंटी पहना दी. उसमें पीछे और आगे छेद था. आगे के छेद में से मेरा लंड मैडम ने बाहर निकाल लिया. पीछे के छेद से उंगली डाल कर बोलीं "मजा आया? सर ने कहा था छेद रखने को जिससे पैंटी न उतारनी पड़े. अब रहे बाल तो ये लगा ले" कहकर उन्होंने मुझे एक विग लगा दिया. विग के कंधे तक रेशमी बाल थे.
"अब देख आइने में. तब तक मैं लिपस्टिक लगा दूं" मैडम मुझे लिपस्टिक लगाने लगीं. मैंने आइने में देखा तो सच में लड़की लग रहा था. बस लंड कस के खड़ा था. मुझे अजीब सा लगा, मन में गुदगुदी भी हुई.
दीदी खिलखिलाकर हंसने लगी. "मैडम, सच में .... क्या लगता है अनिल. इसे ऐसे ही बाहर रास्ते पर ले जाइये मैडम"
"हां ले जाऊंगी, साड़ी पहना कर एक दिन ले जाऊंगी. अभी अब ये चूड़ियां पहन अनिल और कान में ये बूंदी. डर मत, स्प्रिंग वाली हैं, कान में छेद नहीं करना पड़ेगा. और ये मेरा मंगलसूत्र पहन ले"
मुझे शरम लग रही थी पर मजा आ रहा था. लीना मुंह दबा कर मुझे चिढ़ा कर हंस रही थी. "तू क्यों फ़िदी फ़िदी कर रही है शैतान, अब तू आ इधर, तेरी बारी है."
लीना दीदी चुप हो गयी. फ़िर बोली "मैडम मैं?"
"तुझे भी तो लड़का बनाना है. चल बाल बांध ले" कहकर मैडम ने दीदी के बाल बांधकर छोटे कर दिये और एक क्रिकेट कैप पहना दी. फ़िर एक डिल्डो निकाला और दीदी को बांधने लगीं. "ये सिरा अंदर डाल ले, डर मत छोटा है, मजा आयेगा"
दीदी की बुर में डिल्डो का एक छोर घुसेड़कर मैडम ने स्ट्रैप उसकी कमर में कस दिये. डिल्डो स्किन कलर का था, ऐसा लगने लगा जैसे सच में दीदी का लंड उग आया हो. मैडम ने डिल्डो हिलाया तो दीदी सी सी करने लगी.
"क्या हुआ? दुखता है?" मैडम ने पूछा.
"नहीं मैडम, मजा आता है, कैसा कैसा तो भी होता है" दीदी सिहर कर बोली.
"अरे, वो जो डिल्डो का बेस है ना, तेरी चूत के मुंह पर जो सटा है, उसपर क्लिट को गुदगुदाने के लिये दाने से बने हैं. डिल्डो हिलेगा तो तुझे ऐसा मजा आयेगा जैसे मर्दों को चोदते समय आता है. आज तुझे लड़का बनकर खूब चोदना है"
"किसे मैडम?" दीदी ने पूछा.
"जिसे हम कहें. इतने लोग तो हैं यहां, सब चुदाते हैं, देखा नहीं दो दिन में? कोई बचा चुदने से? अब इधर आ, तेरे मम्मे बांधने हैं नहीं तो लड़का कैसे बनेगी?" कहकर मैडम ने एक रेशम का पट्टा लिया और कस के दीदी की छाती के चारों ओर बांध दिया. दीदी की जरा जरा सी चूचियां दब कर गायब सी हो गयीं. ऊपर से दीदी को मैडम ने एक टी शर्ट पहना दिया. अब दीदी ऐसे लग रही थी जैसे कोई अधनंगा सुकुमार लड़का हो जिसने बस टी शर्ट पहन रखी हो.
"वाह, ये हुई ना बात. एक नया लड़का और एक नयी लड़की" सर ने बोला. वे कमरे में कब आ गये थे हमें पता ही नहीं चला. एकदम नंगे थे और अपना लंड पकड़कर हिला रहे थे.
"चलिये सर, आजका खेल शुरू किया जाय"
"चलो, मैं तैयार हूं. बच्चो, आज मैं और मैडम जो कहेंगे वो करना. बहुत मजा आयेगा. पहले जरा सब लोग पलंग पर आओ. मिल जुल कर थोड़ा प्यार करेंगे, फ़िर खेल शुरू करेंगे" सर बोले.
पलंग पर हमारा प्यार शुरू हो गया. एक दूसरे को चूमना, लंड पकड़ना, मैडम की चूत में उंगली करना आदि कारनामे शुरू हो गये. दीदी परेशान थी, बेचारी की चूत डिल्डॊ से ढकी थी इसलिये कुछ कर नहीं पा रही थी.
सर बोले "मैडम, इस लड़के से चुदाइये तो जरा, देखें कैसे चोदता है" मैं मैडम पर चढ़ने लगा तो बोले "अरे तू नहीं, ये नया लड़का, लीना कुमार! या ऐसा करो इसे ललित कुमार नामे दे दो"
मैडम लीना को लेकर लेट गयीं. "आ जा लीना ... मेरा मतलब है ललित ... चोद ले अपनी मैडम को"
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