RE: Kamukta Kahani लेडीज़ टेलर
राम ने ब्लाउज़ के ऊपर से ही उसके स्तनों को दबाना शुरू किया और वह अपनी आँखें बन्द किये पुनः मेरे बारे में सोचने लगी। अब उसने धीरे-धीरे उसके ब्लाउज़ के हुक खोलने शुरू किये और ज्योति को इसका आनन्द उठाते हुये देख बोला “ज्योति, तुम इस ब्लाउज़ और पेटीकोट में बहुत ही कामुक लग रही हो”। अब उसका ब्लाउज़ पूरा खुला था और उसके भरे पूरे स्तन आज़ाद हो गये थे। राम को यह देखकर हैरानी हुयी कि उसने ब्रा नहीं पहनी थी। दरअसल राम के अचानक आ जाने पर जल्दी जल्दी में उसे ब्रा पहनने का समय ही नहीं मिला था। वह बोला “ज्योति, यह पहली बार है जब मैने तुम्हारा ब्लाउज़ खोला और तुमने ब्रा नहीं पहनी हुयी थी”। इतना कहकर उसने जोर से उसके स्तनों को दबाया और निप्पलों पर चिंगोटी काटी। उसने इस मीठे दर्द से आह भरी और निडर हो कर बोली “प्रिये, जब मैं अन्दर ब्लाउज़ पहन रही थी तो मैं तुम्हारी आवाज सुनकर उत्तेजित हो गयी और तुमसे मिलने की जल्दी में मैने ब्रा पहनना छोड़ दिया। जल्दी ही तुम्हें पता चल जायेगा कि मैनें कुछ और भी नहीं पहना है”। अब उसने उसके निप्पलों को चूसना और दबाकर खींचना शुरू कर दिया। ज्योति के अन्तिम वाक्य को सुनकर राम ने अनुमान लगाया कि उसने पैंटी भी नहीं पहनी है और जल्दी से अपना हाथ उसके पेटीकोट के अन्दर ले गया जोकि सीधा उसकी गीली और गर्म योनि पर पड़ा। वह फ़िर बोला “प्रिये, मैनें पहले तुम्हें इतनी जल्दी कभी गीला होते नहीं देखा” और इतना कहकर उसने अपनी उंगली बलपूर्वक उसकी रसभरी योनि में डाल दी। उसे पता था कि उसका पति अपने शक की ओर इशारा कर रहा है पर इस समय वह मेरे ख़्यालों में कामोत्तेजना से ग्रसित थी इसलिये उसने अपने पति द्वारा स्तनमर्दन और हस्तमैथुन का आनन्द उठाते हुये बोला “प्रिये, दिन पर दिन तुम अपने काम में पारंगत होते जा रहे हो मैं भी और अधिक कामोत्तेजक हो रही हूँ”। राम को अपनी शर्मीले स्वभाव की ज्योति में निश्चय ही परिवर्तन दिखाई दे रहा था पर उसकी इन कामुक बातों से वह उत्तेजित भी हो रहा था। उसे अपनी पत्नी से सीधे शब्दों में बोलने से डर लग रहा था पर उसे पता था कि इस सबका उस दर्जी से (यानि कि मुझसे) कुछ सम्बन्ध है। अपनी पत्नी की बेवफ़ाई की बातें मन में आने की वजह से उसने बुरी तरह से ज्योति को मसलना शुरू कर दिया और उसके निप्पल को काटा। वह दर्द से चिल्लाई और बोली “ओह राम, इतनी ज़ोर से मत काटो, दुःखता है”। इतना कहकर वह राम के पैंट की चेन खोलने लगी। राम ने भी कपड़े उतारने में उसकी मदद की। उसका पूरी तरह तना हुआ लिंग एक फ़नफ़नाते हुये साँप की भाँति उसकी रसीली योनि में प्रवेश करने को बेताब था।
ज्योति राम के लिंग को अपनी मुट्ठी में लेकर बलपूर्वक उसे अपने ऊपर ले आयी और अपनी टांगें फ़ैलाकर उसके लिंग को अपने योनि मुख पर रगड़कर उसे अन्दर का रास्ता दिखाया। इस सब के बीच वह लगातार मेरे बारे में सोच रही थी और सम्भवतः राम को भी इस बात का अंदेशा था इसीलिये उसने जोर से धक्का लगा कर अपना लिंग उसकी योनि डाला और निर्दयतापूर्वक अन्दर बाहर करने लगा। वह ऐसा जानबूझकर कर रहा था जिससे कि इस बात का पता चल जाय कि उसे वाकई में दर्द हो रहा था या फ़िर उसने झूठ बोला था। कामोत्तेजना और मेरे ख़्यालों की गर्मी में ज्योति भूल ही गयी कि उसने अपनी योनि में चोट के बारे में राम से झूठ बोला था और राम के इन जोरदार धक्कों का आनन्द उठाने लगी। उसके दोनों स्तन भी आपस में जोरजोर से टकराते हुये हिलते जा रहे थे। इन्हें देख राम उत्तेजित तो हो ही रहा था पर साथ ही साथ उसे यह सोचकर गुस्सा भी आ रहा था कि इन्हे वह दर्जी भी दबा चुका है। ज्योति की आँखें बन्द देखकर उसने यह भी सोचा कि वह मेरे बारे सोच रही है, और वह वास्तव में सही सोच रहा था। उसे इस बात से आश्चर्य था कि ज्योति इन जबरदस्त धक्कों की वजह से अपनी योनि में दर्द की तनिक भी शिकायत नहीं कर रही थी और अब उसे विश्वास हो गया था कि उसने अपने दर्द के बारे में उससे झूठ बोला था इसलिये राम ने उसी संभोग सत्र में उसे दण्डित करने का निर्णय लिया। तभी उसने धक्के मारना बन्द करके अपना लिंग उसकी योनि से बाहर निकाल लिया और पुनः उसकी मांग का इन्तजार करने लगा। उसके अनुमान के अनुसार ज्योति ने आँखें खोलकर उससे पूछा “तुम रुक क्यों गये, जल्दी डालकर करो ना”। जैसे ही राम ने यह सुना अपना पूरा बल एकत्रित करके उसने एक जोरदार धक्का लगाया और वह दर्द से चिल्लाई “आ…आ…आ… उ…उ…उ…छ…”पर उसने उसकी एक न सुनी और दूसरा धक्का और भी जोर से मारा। क्योंकि ज्योति चरम सीमा के निकट थी इसलिये वह इन घातक और जोरदार धक्कों का आनन्द उठाती रही। अपने पति को पहली बार वह इतने आक्रामक अंदाज में चुदाई करते हुये देख रही थी। उसे भी अब यह लगने लगा था कि राम उस पर नाराज़ है पर इसके बारे में अधिक न सोचते हुये वह मजे लेती रही। वह मेरी हवस में इतना डूब चुकी थी कि उसने राम के गुस्से के बारे में अधिक ध्यान नहीं दिया पर यह निश्चय किया कि आगे से वह मेरे साथ सम्बन्ध बनाते समय अधिक सतर्क रहेगी और अच्छे बहाने तैयार रखेगी। राम बीच बीच में रुक कर अपने बल को पुनः संगठित करके उसे जबरदस्त धक्के दे रहा था। ज्योति इसका भरपूर आनन्द ले रही थी पर शायद उसे इस बात का अंदेशा नहीं था कि इस सब के बाद जब वह सामान्य होगी तब यह बहुत दर्द करेगा।
राम ने अब सोचा कि उसकी योनि में पीछे से कुतिया की तरह प्रवेश किया जाय। इस समय वो ज्योति को हर मायने में एक कुतिया ही समझ रहा था। न चाहते हुये भी वह अपने दोनों पैरों और हाथों के सहारे अपने नितम्बों को हवा में ऊपर करके लेट गयी। उसके नितम्ब लटक रहे थे और दबाये जाने के लिये बेताब थे। सामान्यतया उसे इस आसन में दर्द की वजह से चुदवाना पसंद नहीं था पर राम ने अभी उसे सजा देने की सोच रखी थी इसलिये उसे इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ा। वह अपनी चरित्रहीन पत्नी को घसीट कर बिस्तर के किनारे पर लाया और स्वयं नीचे खड़े हो गया। ज्योति पीछे मुड़कर राम के चेहरे पर ये वहशत और गुस्सा देख रही थी। उसने उसके नितम्बों को पहले मसला और फ़िर गुस्से से चटाचट कई चपत लगा दिये जिससे उसके नितम्ब लाल हो गये, उनके ऊपर उसकी उंगलियों के निशान साफ़ चमक रहे थे। हर चपत के साथ ज्योति एक मीठे दर्द से चिल्लाती “आ…आ…आ… ह…ह…ह…”। फ़िर उसने अपने लिंग को पकड़ कर उसकी योनि का रास्ता दिखाया और जोरों से धक्के मारने लगा। वह बार बार कह रही थी “आ…आ…आ…ह ओ…ओ…ओ…ह राम, धीरे डालो दुःख रहा है”। वह उसने जरा भी नरमी नही दिखायी और उसे कुतिया की तरह चोदता रहा और उसके स्तनों को भी बुरी तरह से मसलता रहा। जल्दी उसे इसकी योनि और स्तनों को इस निर्दयता की आदत पड़ गयी और वह एक और कामोन्माद के लिये तैयार होने लगी। वह आँखें बन्द करके एक बार फ़िर सोचने लगी कि यह सब उसके साथ मैं कर रहा हूँ। राम भी अब चरम सीमा के निकट था पर अभी वह स्खलित नहीं चाहता था क्योंकि अभी उसे अपनी पत्नी को और दण्डित करना था। तभी अचानक कँपकपी के साथ ज्योति स्खलित होने लगी जिसे देख उसने अपना लिंग तुरन्त बाहर खींच लिया और अपनी दो उंगलियों से उसकी योनि को रगड़ने लगा। राम की इस बात से वह आश्चर्यचकित रह गयी पर अपने कामोन्माद का आनन्द उठाती रही। इस बीच राम उसके स्तनों और निप्पलों को दूसरे हाथ से बुरी तरह से मसलता जा रहा था। शीघ्र ही उसने महसूस किया की कामोन्माद की चरम सीमा पर पहुँचने के बाद अब वह सामान्य हो गयी है पर राम अभी तक स्खलित नहीं हुआ था उसने अपने तने हुये लिंग को पुनः उसकी योनि में डाल दिया। ज्योति यह नहीं चाहती थी पर राम के सामने वह लाचार थी। उसके हर धक्के पर उसे असह्य पीड़ा हो रही थी। राम भी स्खलित होने की कगार पर था उसने अपना लिंग बाहर निकाल कर ज्योति को सीधा किया और फ़िर अपने वीर्य का पूरा कोष उसके चेहरे और स्तनों पर खाली कर दिया। राम की इस हरकत पर भी ज्योति चकित रह गयी क्योंकि पहली बार राम ने अपना वीर्य उसकी योनि के बाहर निकाला था। उसे पता था कि राम उससे नाराज़ है और उसकी योनि में दर्द भी अब उभरने लगा था पर तब भी इस सम्भोग सत्र का उसने सर्वाधिकार आनन्द उठाया था।
(क्रमशः…)
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