Sex Hindi Kahani अधूरी जवानी बेदर्द कहानी
06-22-2017, 10:41 AM,
#5
RE: Sex Hindi Kahani अधूरी जवानी बेदर्द कहानी
अधूरी जवानी बेदर्द कहानी--2

मेरी बात करते हाथ हिलाने की आदत है, मेरे हाथ कई बार उनके हाथ के लगे,
उन्होंने अपने हाथ पीछे कर लिए और कहा- अब सो जाओ, नींद आ रही है।
रात के ग्यारह बज गए थे, जीजाजी को नींद आ गई थी, मैं भी सोने की कोशिश
करने लगी और मुझे भी नींद आ गई !
रात के दो ढाई बजे होंगे कि अचानक मेरी नींद खुली, मुझे लगा कि मेरे जीजा
जी मेरी चूत पर अंगुली फेर रहे हैं। मेरी मैक्सी और पेटीकोट ऊपर जांघों
पर था, मैंने कच्छी पहनी हुई थी।
मेरा तो दिमाग भन्ना गया, मैं सोच नहीं पा रही थी कि मैं क्या करूँ !
मेरे मन में भय, गुस्सा, शर्म आदि सारे विचार आ रहे थे। मैंने अपनी चूत
पर से उनका हाथ झटक दिया और थोड़ी दूर हो गई...पर आगे दीवार आ गई, वो भी
मेरे पीछे सरक गए और मुझे बांहों में पकड़ लिया।
वो धीमे धीमे कह रहे थे- मुझे नींद नहीं आ रही है प्लीज !
और मेरे चेहरे पर चुम्बनों की बौछार कर दी। मैं धीमी धीमी आवाज में रो
रही थी, उन्हें छोड़ने का कह रही थी, पर वो नहीं मान रहे थे।
मैंने पलटी मार कर उधर मुँह कर लिया, उनकी बांहे मेरे शरीर पर ढीली थी पर
उन्होंने छोड़ा नहीं था मुझे। उन्होंने अपनी एक टांग मेरे टांगों पर रख
दी, मेरे कांख के नीचे से हाथ निकाल कर मेरे स्तन दबाने लगे, कभी नीचे
वाला और कभी ऊपर वाला।
जीजाजी मेरी गर्दन पर भी चुम्बन कर रहे थे और फुसफुसा रहे थे- मुझे कुछ
नहीं करना है, सिर्फ तुम्हें आनन्द देना है !

मैं मना कर रही थी- मुझे छोड़ दो !
पर वो कुछ भी नहीं सुन रहे थे, जोर से मैं बोल नहीं सकती थी कि कहीं मकान
मालिक सुन ना लें, मेरी बदनामी हो जाती कि पहले तो जयपुर बुलाया, कमरे
में सुलाया तो अब क्या हुआ?
मैं कसमसा रही थी ! आज मुझे पता चला कि जीजाजी में कितनी ताकत है, मुझे
छुड़ाने ही नहीं दिया। ऐसे दस मिनट बीत गए, मैं थक सी गई थी, मेरा विरोध
कमजोर पड़ने लगा, उन्होंने जैसे अजगर मुर्गे को दबोचता, वैसे मुझे अपनी
कुंडली में कस रहे थे धीरे धीरे !
उन्हें कोई जल्दी नहीं थी ! वो बराबर मुझे समझा रहे थे- चुपचाप रहो, मजा
लो ! तुम्हारे पति को गए साल भर हो गया है, क्यों तड़फ रही हो? मैं सिर्फ
तुम्हें आनन्द दूँगा, मुझे कोई जरुरी नहीं है ! और आज अब मैं तुम्हें
छोड़ने वाला नहीं हूँ !
मैं कुछ नहीं सुन रही थी, में तो कसमसा रही थी और छोड़ने के लिए कह रही
थी। वो थोड़ा मौका दे देते तो मैं कमरे के बाहर भाग जाती पर उन्होंने मुझे
जकड़ रखा था।
फिर उन्होंने मेरे स्तन दबाने बंद किए और अपना हाथ नीचे लाये, मेरी कच्छी
नीचे करने लगे।
मैं तड़फ कर उनके सामने हो गई, मेरी आधी कच्छी नीचे हो गई पर मैंने उनका
हाथ पकड़ लिया और ऊपर कर दिया।
वो मेरे पेट को सहलाने लगे फिर दूसरे हाथ से मेरे हाथ को पकड़ लिया और
पहले वाले हाथ से फिर कच्छी नीचे करने लगे, साथ साथ मुझे सहयोग करने का
भी कह रहे थे।
मैंने नहीं माना और मैंने उनके सामने लेटे लेटे अपनी टांगें दूर दूर करने
के लिए एक टांग पीछे की पर एक टांग मुझे उनकी टांगों के उपर रखनी पड़ी !
वे अपना हाथ मेरी गाण्ड की तरफ लाये जहाँ कच्छी आधी खुली थी और खिंच रही
थी। उनकी अंगुलियों को गाण्ड के पीछे से चड्डी में घुसने की जगह मिल गई।
उन्होंने पीछे से चड्डी में हाथ डाला और मेरी चूत सहलाने लगे जिसे अब वो
सीधे छू रहे थे, वे मेरी चूत के उभरे हुए चने को रगड़ रहे थे। मैं फिर
कसमसा रही थी पर उन्होंने मुझ पर पूरी तरह काबू पा लिया था, एकदम जकड़ा
हुआ था, अब तो मैं हिल भी नहीं पा रही थी। उन्होंने 5 मिनट तक मेरी चूत
के दाने को पीछे से रगड़ा, मेरी छोटी सी चूत में पीछे से अंगुली डालने की
असफल कोशिश भी कर रहे थे !
मैं कुछ भी करने की स्थिति में नहीं थी, मेरी सारी मिन्नतें बेकार जा रही
थी, इतनी मेहनत से हम दोनों को पसीने आ रहे थे, पर पता नहीं आज जीजाजी का
क्या मूड था, मैं उन्हें यहाँ आने का कह कर और होटल में नहीं जाने का कह
कर पछता रही थी। अगर मेरे बस में काल के चक्र को पीछे करने की शक्ति होती
तो मैं पीछे कर उन्हें यहाँ नहीं सुलाती !
खैर अब क्या होना था, मैंने जो इज्जत तीस साल में संभाल कर रखी थी, आज जा
रही थी और मैं कुछ भी नहीं कर पा रही थी मैंने अपने सारे देवताओ को याद
कर लिया कि जीजाजी का दिमाग बदल जाये और वो अब ही मुझे छोड़ दें, पर लगता
है देवता भी उनके साथ थे।
फिर अचानक वो थोड़े ऊँचे हुए एक हाथ से मुझे दबा कर रखा और दूसरे हाथ से
मेरी चड्डी पिंडलियों तक उतार दी और एक झटके में मेरी एक टांग से बाहर
निकाल दी। अब चड्डी मेरे एक पांव में थी और मेरी चूत पर कोई पर्दा नहीं
था।
उन्होंने मेरी दोनों टांगों को सीधा कर अपने भारी पांव से दबा लिया, फिर
वे एक झटके से उठे और नीचे हुए, उनका लम्बा हाथ मुझे उठने नहीं रहा था,
मेरी टांगें चौड़ी की, एक इस तरफ और दूसरी उस तरफ।
मैं छटपटा रही थी कि अचानक उन्होंने अपना मुंह मेरी चूत पर लगा दिया। बस
मुंह लगाने की देर थी कि में जम सी गई, मेरा हिलना डुलना बंद !
आज तक किसी ने मेरी चूत नहीं चाटी थी, पिछले एक साल से मैं चुदी नहीं थी,
पिछले आधे घंटे से मैं मसली जा रही थी ! मेरी चूत पर जीजा का मुँह लगते
ही मैं धराशाई हो गई, सब सही-गलत भूल गई, मेरे शरीर में आनद का सोता उमड़
पड़ा, मुझे बहुत आनन्द आने लगा।
जीजाजी जोर-जोर से मेरी चूत चूस रहे थे, चाट रहे थे, हल्के-हल्के कट रहे
थे, मेरे चने को दांतों और जीभ से चिभाल रहे थे, मेरी चूत की फ़ांकों को
पूरा का पूरा अपने मुँह में भर रहे थे, अपनी जीभ लम्बी और नोकीली बना कर
जहाँ तक जाये, वहाँ तक मेरी चूत में डाल रहे थे।
मेरे चुचूक कड़े हो गए थे, मेरे मुँह से सेक्सी आहें निकल रही थी, मैं
उनके सर पर हाथ फेर रही थी, उनके आधे उड़े हुए बालों को बिखेर रही थी !
उन्हें मेरी आहों और उनके बालो में हाथ फेरने से पता चल गया कि अब मुझे
भी मजा आ रहा है, उन्होंने मेरे कमर के पास अपने दोनों हाथ लम्बे करके
मेरे दोनों स्तन पकड़ लिए और मसलने लगे।
मुझे और ज्यादा मजा आने लगा, मैंने उनके मुंह को इतनी जोर से आपनी जांघों
में भींचा कि उनकी साँस रुकने लगी और उन्होंने मेरे स्तन जोर से भींचे और
मेरी चूत में काटा कि मैंने जांघें ढीली कर दी। वो इतनी बुरी तरह से मेरी
चूत को चूस रहे थे कि उनकी लार बह कर नीचे बिस्तर तक पहुँच रही थी।
मैंने जितनी टांगें ऊपर उठा सकती थी, उठा ली और जोर जोर से सिसकारने लगी,
मैं उन्हें जोर से चाटने का कह रही थी।
इस सब को करीब 15 मिनट हुए होंगे कि मेरा पानी उबल पड़ा, उन्होंने मुँह
नहीं उठाया और चाट कर मेरा पूरा पानी निकाल दिया, मैं ठंडी पड़ गई, मुझे
जिन्दगी का पहला आनन्द, परम आनन्द मिल गया।
वो अब भी चाट रहे थे, मुझे उन पर दया आ गई, मैंने उन्हें अपने ऊपर खींचना
चाहा पर वो बोले- मुझे सिर्फ तुम्हें आनन्द दिलाना था, मेरी कोई जरुरत
नहीं थी।
पर मैंने कहा- नहीं, आप आओ मेरे ऊपर ! आपने मुझे इतना आनन्द दिया, अब मैं
भी आपको आनन्द देना चाहती हूँ !

अब मैं मुस्कुरा रही थी, हंस रही थी !
जो जीजा थोड़ी देर पहले मेरी नफरत का केंद्र था, अब मुझे सारी दुनिया से
प्यारा लग रहा था !
तब जीजाजी ने कहा- पहले बाथरूम जाकर आओ !
मैंने कहा मुझे जाने की जरुरत नहीं है आप मुझे कर लो !
उन्होंने कहा- मैं जाकर आता हूँ, फिर तुम जा आना !
मैंने कहा- ठीक है !
वो गए, फिर मैं गई।
जिसने कभी किसी पर-पुरुष को देखा नहीं, उसने 2010 जब 30 साल की थी
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