Sex Hindi Kahani अधूरी जवानी बेदर्द कहानी
06-22-2017, 10:46 AM,
#24
RE: Sex Hindi Kahani अधूरी जवानी बेदर्द कहानी
जीजाजी को पता चला कि मैं स्खलित हो गई हूँ तो अपना लण्ड बाहर निकाल लिया
और मोड़ कर वापिस अपनी पैंट में डाल लिया, मेरी चूत पर फिर से क्रीम लगाई
और चड्डी ऊँची कर पहना दी !
फिर हमने कमरा छोड़ा, मैं तो लिफ्ट से नीचे गई, जीजाजी रेसेप्शन पर गए,
नीचे रेस्तराँ में खाना खाया और बस स्टैंड पर गये। बस में साथ-साथ बैठे,
सारे रास्ते वे पास वालों की नज़र बचा कर मेरी जांघ पर हाथ फेरते रहे, गोद
में बैग रख कर मेरा हाथ कई बार अपने लण्ड पर रखते रहे, उनका लण्ड फनफना
रहा था, मुझे पता था कि आज दीदी बहुत जोरों से चुदेगी !
फिर उनका गाँव आ गया, वे उतर गए, जब तक मेरी बस नहीं चली, खिड़की के पास
खड़े रहे, मेरी बस दूर मोड़ तक गई तब तक मुझे देखते रहे। उनका चेहरा उदास
था, मैं भी उन्हें उदास देख कर उनके प्यार लाड को याद कर उदास हो गई, फिर
अपने गाँव पहुँच गई !
मैं अपने गाँव तक पहुँची तब तक जीजाजी का आधे घंटे में दो बार फोन आ गया !
मैं समझ गई कि जीजाजी का मन मेरे में अटका है, उन्होंने बस में हाथ फेरते
हुए कई बार कहा था कि मन कर रहा है।
तो मजाक में मैंने कहा था- आ जाओ, यही बस में ही चोद दो ! हिम्मत आपकी होनी चाहिए !
और वे कसमसा कर रह गए थे !
हमारी सीट के बराबर में खड़ा एक लड़का जो 20-22 साल का था हमारी बातें सुन
कर और जीजाजी की हरकतें देख कर बेचारा गर्म हो रहा था और बार बार अपनी
पैँट ठीक कर रहा था।
मैंने यह बात जीजाजी को बताई तो उन्होंने कहा- इसे भी देख कर बात करना और
हाथ फेरना सीखने दो, हमारा क्या जाता है !
और वो बार-बार मुझे होटल में कम चोदने का अफ़सोस कर रहे थे पर मेरा जी
जानता था कि मैंने उन्हें कैसे झेला था !
खैर मैं गाँव पहुँच गई और उनसे दिन में कई बार बात होने लगी, मम्मी पापा
से छुप कर उनसे बात करने के लिए मुझे कभी छत पर जाना पड़ता था और कभी
लेट्रिन में बैठ कर बात करनी पड़ती थी !
उनकी बातें घूम फिर कर सेक्स पर ही आती थी।
अब वे बार-बार मुझसे जल्दी मिलने की बात कह रहे थे !
फिर एक दिन मैंने उन्हें कहा- आप कल आकर मेरे घर मुझसे मिल सकते हो !
सुनते ही वो खुश हो गए और बोले- क्या वाकई?
मैंने कहा- हाँ, कल 11 बजे तक आ जाओ, मम्मी ननिहाल जा रही हैं, पापा को
खेत पर जाना है, भाई जो स्कूल में पढ़ाने जाता है, वो स्कूल में ठेके पर
टीचर लगा हुआ है तो ये सभी वापिस शाम को आयेंगे !
मैंने उन्हें यह नहीं बताया कि भाभी आई हुई है और उसके एक बेटा और एक
बेटी और मेरा एक बेटा भी है। उन्होंने मेरी भाभी और उसके बच्चों का तो यह
सोचा कि वे भाभी के पीहर में होंगे और मेरे बेटे के बारे में यह सोचा कि
वो स्कूल जायेगा !
यह सोच कर वे खुश हो गए और बोले- मैं स्कूल से निकल कर बाइक से सीधा तेरे
गाँव आ जाऊँगा।
जीजाजी भी सरकारी टीचर हैं, उनका स्कूल मेरे गाँव से 25-30 किलोमीटर पर है।

मैंने कहा- हाँ, आ जाओ !
मैंने सोचा, देखेंगे, किस्मत हुई तो मौका देखा कर चौका मार लेंगे वरना
मिल तो जायेंगे क्योंकि मुझे अगले दिन जयपुर जाना था।
सुबह उन्होंने फोन पर पूछा- मम्मी ननिहाल गई क्या?
मेरी मम्मी जा रही थी इसलिए मैंने दबी आवाज में कहा- हाँ जा रही हैं !
फिर पूछा- और पापा?
मैंने कहा- वे तो जल्दी ही खेत पर गए।
यह सुनकर वे अपनी स्कूल से रवाना हो गए।
करीब 45-50 मिनट के बाद उनका फोन आया- मैं तेरे गाँव के बस स्टैण्ड तक
पहुँच गया हूँ, घर आ जाऊँ क्या?
मैंने कहा- हाँ आ जाओ जल्दी !
उस वक्त मैं कमरे में झाड़ू लगा रही थी, भाभी बाहर हाल में पोचा लगा रही
थी, मैं बिल्कुल धूल से भरी हुई थी, नहाई भी नहीं थी, घागरा और
कुर्ती-कांचली पहन रखी थी।
और वो 2-3 मिनट में बाइक लेकर घर आ गए। घर में घुसते ही मेरा और भाभी के
दोनों बच्चे उनके सामने गए खुश होकर और उनके सर पर मानो बम पड़ा ! रही
सही कसर मेरी भाभी जो पौचा लगा रही थी, उसने धोक लगा कर पूरी कर दी !
मुझे उनका चेहरा देख कर हंसी आ रही थी, उनके चेहरे पर पूरे बारह बज रहे थे !
बच्चे बाहर उनकी बाइक पर चढ़ रहे थे !
मुझे मालूम था वे आते ही मुझे बाँहों में पकड़ेंगे, वे फाटक से अन्दर आये
और जब मैंने धोक देकर कहा- आइये जीजाजी, जीजी को साथ नहीं लाये?
तो उन्होंने आशीर्वाद देते मेरा कन्धा गुस्से में जोर से दबाया मेरे मुँह
से कराह निकल गई पर हंसी भी उनकी हालत देख कर जबरदस्त आ रही थी !
फिर मैंने धीरे से कहा- मैं कल जयपुर जा रही हूँ, आपसे मिलना हो गया, यही
क्या कम है !
जीजा मुझे बाहों में लेने की कोशिश करने लगे, मैंने कहा- अरे अभी मैं धूल
से भरी हूँ, मेरी हालत ख़राब है !
ऐसा कह कर मैं एकदम नीचे बैठ कर उनकी बाहों से निकल कर बाहर भाग जाना
चाहती थी पर जीजाजी बहुत चपल थे और बहुत तेज़ भी, मेरी कोशिश उन्होंने
खुद नीचे झुक कर फ़ेल कर दी और मुझे पकड़ कर सीधा खड़ा कर दिया, सीधे मेरे
कुर्ती के ऊपर से ही स्तन पकड़े और मैं नहीं-नहीं करूँ, तब तक मेरे चुम्बन
लेकर होंठ भी चूस लिए और बोले- मेरी जान तू कैसी भी हालत में हो, मुझे तो
बहुत प्यारी लगेगी !
मैंने उन्हें कहा- अभी देखो, मुझ पर भरोसा रखो, आपका काम हो जायेगा ! अभी
बच्चे पड़ोस में जीमने जायेंगे तब मौका निकल जायेगा !
उनके मन में थोड़ी आशा जगी, उन्होंने अपनी पैंट का उभार दिखाया और कहा-
मुन्ना जाग गया है अपनी मुन्नी से मिलने के लिए !

मैं हंस पड़ी !
फिर उनको चाय पिलाई और बच्चों को जीमने भेज कर मैं बाथरूम में चली गई नहाने !
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