Sex Hindi Kahani अधूरी जवानी बेदर्द कहानी
06-22-2017, 10:46 AM,
#25
RE: Sex Hindi Kahani अधूरी जवानी बेदर्द कहानी
जीजाजी भूखे शेर की तरह मेरे घर में इधर उधर घूम रहे थे !
मैं नहा कर आई तब वे कमरे में थे, मैं कमरे में गई खुले और गीले बालों के साथ !
जीजाजी की उत्तेजना चरम सीमा पर थी !
भाभी बाहर झाड़ू लगा रही थी, मैं कमरे में गई तो मुझे कोई गाना याद आया
मैंने वो गा कर थोड़ा ठुमका लगा कर जीजाजी के अपनी कमर हिला के गाण्ड से
टक्कर मारी तो अनजान खड़े जीजाजी पलंग पर गिर गए, मुझे फिर से हंसी छुट
गई, मैं उन्हें देख कर बहुत खुश थी, मेरे लिए सेक्स कोई मायने नहीं रखता
पर जीजाजी का दिमाग सेक्स पर ही घूम रहा था इसलिए वे बस कैसे चोदूँगा-
कैसे चोदूँगा ही अपने दिमाग में सोच रहे थे, कुछ फिक्रमंद भी थे इसलिए
उन्होंने गाण्ड से ठुमका लगा कर गिराने का कोई प्रत्युत्तर नहीं दिया !
मैं खड़ी थी, जीजाजी पलंग पर बैठे थे। मुझे उन पर कुछ दया आई, मैंने अपनी
मैक्सी उठाई और अपनी नंगी चूत उनके सामने कर दी और बोली- अभी भाभी नहाने
जाएगी, तब तुम चौका लगा लेना और यह आइसक्रीम खा लो !
ऐसा कहते ही बैठे-बैठे जीजाजी ने अपना मुँह मेरी नहाई-धोई चिकनी चूत पर
लगाया और सपर-सपर चाटने लगे। आनन्द से मेरी आँखे बंद होने लगी। एक मिनट
भी नहीं चाटा होगा कि बच्चों का शोर सुनाई दिया और मैंने फटाफट अपनी
मैक्सी नीचे की और कमरे से बाहर आ गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम
पर पढ़ रहे हैं।
अब जीजाजी का चेहरा और उनकी झुंझलाहट देखने लायक थी !
मैंने उन तीनों बच्चो को कहा- जल्दी जीम कर आ गए?
तो मेरे बेटे ने कहा- जीमन अच्छा नहीं था !
मेरी भाभी वहाँ आ गई थी और बच्चों से कह रही थी- तुम्हें एक जगह और भी जाना है !
बच्चे मना कर रहे थे- वहाँ नहीं जायेंगे, बहुत दूर घर है।
मैंने कहा- यहाँ तो तुम्हें जिमा कर 2-2 रूपये ही दिए थे, वहाँ 5-5 रूपये
देंगे और उनके जिमन भी अच्छा है।
जीजाजी भी जाने का जोर दे रहे थे कि वहाँ जीम के आओगे तो तुम्हें बाइक पर घुमाऊँगा।
खैर जीजाजी की किस्मत ने जोर मारा और बच्चे रवाना हो गए।
उनके जाते ही मैंने दरवाज़ा बंद किया, भाभी ने पानी की बाल्टियाँ बाथरूम
में रखी और अपने कपड़े लेकर बाथरूम में घुस गई।
अब घर सुनसान हो गया था, हम कमरे में भागते से गए और अन्दर वाले कमरे में
जाकर मैंने जीजाजी को कहा- अब फटाफट कर लो !
पर उन्होंने कहा- उस कमरे में नहीं, वहाँ से बाहर का ध्यान नहीं रहेगा।
इस बाहर वाले कमरे में आओ, इससे बाहर भी दीखता भी रहेगा और कमरे की
खिड़की से बाथरूम का दरवाजा भी दीखता रहेगा कि भाभी बाहर निकली तो हमें
पता चल जायेगा।

हम ये बातें फुसफुसा कर कर रहे थे !
मुझे जीजाजी का विचार पसंद आ गया, मैं जीजाजी के दिमाग की कायल हो गई और
उस कमरे में आकर खिड़की से बाथरूम का दरवाज़ा देखा वो बंद था, खिड़की पर
मच्छर जाली लगी थी इसलिए हमें तो बाहर का दिख रहा था बाहर से अन्दर कुछ
नहीं दीखता था।
मैं सीधे पलंग पर लेट गई, अपनी मैक्सी ऊँची कर दी और जीजाजी को कहा-
फटाफट अपना पानी निकाल लो ! और कुछ भी चूमा चाटी नहीं करनी है, वक़्त
बहुत कम है, किसी के आने पर आपका बिना निकले ही रह सकता है, फिर मुझे दोष
मत देना !
जीजाजी ने पैंट की चैन खोली अपने अकड़े हुए लण्ड को मुश्किल से बाहर
निकाला और मेरी ऊँची की हुई टांगों के बीच में बसी चूत के छेद में थूक
लगा कर पेल दिया !
मैंने कहा- कंडोम कहाँ है? मैं ऐसे नहीं चुदवाऊँगी !
वे बोले- यार तुमने हाथ फ़ेरने दिया नहीं, चाटने दिया नहीं, अब 2 मिनट तो
मेरे नंगे लण्ड को तुम्हारी नंगी चूत में जाकर चमड़ी से चमड़ी तो मिलने दे,
मेरी जेब में कंडोम है, अभी लगा लूँगा ! तुम्हारे चूत में ऐसे ही थोड़ी
देर घुसेगा तो यह ज्यादा गर्म हो जायेगा और मेरा भी पानी फटाफट निकल
जायेगा !
मैंने कहा- ठीक है !
अब वे जोर जोर से धक्के लगा रहे थे और उनके हर धक्के से कुछ पुराना पलंग
थोड़ा चूं चूं कर रहा था, मैं सोच रही थी कि कहीं बाहर यह आवाज़ नहीं चली
जाये। पर कोई विकल्प नहीं था।
दो मिनट बाद ही जीजाजी ने लण्ड बाहर निकल लिया और जेब से कंडोम का पैकेट
निकाल कंडोम निकलने लगे।
मैं एकदम पलंग से उठ कर बाहर गई, जीजाजी ने पूछा- क्या हुआ? कहाँ जा रही हो?
मैंने कहा- मैं थोड़ा ध्यान रख कर आ रही हूँ।
मैंने बाहर हाल में जाकर कुछ कुर्सिया खिसकाई ताकि भाभी को पता चले कि
मैं हाल में काम कर रही हूँ, साथ ही भाभी को आवाज़ देकर कहा- पानी ज्यादा
मत ख़राब करना, जल्दी से नहा लो !
वो बोली- अभी तो मैंने शुरू किया है, क्यों परेशान करती हो? अभी मुझे
नहाने में समय लगेगा !
यह सुनकर मुझे पता चल गया कि भाभी अभी नहीं बाहर आएगी और मैं फटाफट
जीजाजी के पास पहुँच गई। वो अपने लण्ड पर कंडोम चढ़ाये हाथ में लेकर
मुट्ठिया दे रहे थे। मुझे पता था ये अपना पानी जल्दी निकलने की कोशिश में
हैं, मैं यहाँ नहीं थी तब वे रुके नहीं थे और हाथ से काम चला रहे थे !
मैं फिर से फटाफट लेट गई और अपनी मैक्सी उठा कर अपनी टांगें ऊँची कर फिर
से चोदने की दावत दी !
जीजाजी तैयार ही थे, उन्होंने फटाफट अन्दर डाला और एक्सप्रेस ट्रेन की
तरह शुरू हो गए। उनके कूल्हे बिजली की गति से ऊपर-नीचे हो रहे थे और उनकी
तूफानी रफ़्तार से मेरी चूत पसीज गई थी, पानी छोड़ रही थी, मुझे स्वर्गिक
आनंद मिल रहा था और मैं पीछे तिरछी होकर खिड़की को देखना बंद कर जीजाजी
से चिपक गई और अपनी गाण्ड उचका-उचका कर चुदा रही थी। मेरी दबी-दबी
आहें-कराहें निकल रही थी।
पहले मेरा मज़े लेने की कोई इच्छा नहीं थी, मैं सोचती थी कि जीजाजी का
पानी निकाल कर इन्हें खुश करना है, पर मेरे भी आनन्द के सोते फ़ूट पड़े थे।
और जीजाजी ने भी झटका खाकर धीरे-धीरे होकर अपना लण्ड फटाफट बाहर निकाला,
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