RE: raj sharma stories भाभी का दूध
भाभी - आज घूमने नहीं चलोगे
मैं - मैने सोचा लेट हो गये.
भाभी – लेट हो गये या कोई और बात
मैं – और क्या बात
भाभी – दिन की, अच्च्छा बताओ आपने ऐसा क्यों किया.
मैं – बस मैं आपकी खुश्बू सूंघ के बहक गया था
भाभी – खूशबू, ऐसी कैसी खुश्बू आती है मेरे पास से
मैं – पता नहीं पर मैं अपने आपको रोक नहीं पाता
भाभी – अभी भी आ रही है क्या, इधर आओ
और मैने झट से पलट कर अपना मूह भाभी की ओर कर लिया.भाभी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा.सचमुच मैने आपको अच्छि लगती हूँ.मैने मौके की नज़ाकत समझ कर भाभी की गोद में सर रख दिया.और अपने मूह को भाभी की जांघों में रगड़ने लगा.
भाभी – आच्छे तो आप भी मुझे लगते हो, पर ये सब ग़लत है, हमारा रिश्ता कुछ और है.
मैं – रिश्ता तो दिल से बनता है अगर मैं और आप एक दूसरे को दिल से चाहते हैं तो हमारा रिश्ता प्यार का हुआ ना.
भाभी – तो प्यार तो हम करते ही हैं.
मैं – बस फिर प्यार में जो होता है होने दो
कहते हुए मैं अपने सर को रगड़ते हुए भाभी की चूत के पास तक पहुँच गया था कि अचानक भाभी ने मेरा चेहरा दोनो हाथो से पकड़ कर अपनी ओर किया और अपनी मुंदी ना में हिलाने लगी.भाभी की ये अदा भी मुझे भा गई क्योंकि इसमे उनकी मंज़ूरी के साथ मजबूरी में मनाही थी.मैं समझ गया कि भाभी को कोई ऐतराज नहीं होगा और मैं अपने सपनों को साकार करने में लग गया.मैने तुरंत अपना चेहरा भाभी के दूधों के ऊपर रख दिया और और दो मिनट तक तो मुझे होश ही नहीं रहा भाभी ने भी एक गहरी साँस लेकर अपने आपको मेरे सुपुर्द कर दिया और अपना सर सोफे से टिका लिया ऐसा लगा मानो दोनो को राहत मिली हो.अब मैने धीरे धीरे भाभी के स्तनों को अपने मूह से ही रगड़ना शुरू कर दिया (जैसे सोचे थे वैसे ही कड़क दूध थे भाभी के) रगड़ते रगड़ते मैं भाभी की गर्देन तक पहुँच गया फिर गाल और फिर सीधे भाभी के नर्म होंटो को अपने मूह में लेकर उनका रस पीने लगा मेरा एक हाथ भाभी के स्तनों को सहला रहा था.
जी भर के होंठों रस पीने के बाद दूध पीने की बारी थी मैं धीरे से नीचे आया और भाभी के सलवार के गले से अंदर घुसने लगा.लेकिन भाभी के आधे दूध तक ही पहुँच पाया .फिर मैने भाभी का कुर्ता उठाया और भाभी के पेट को चूमते हुए भाभी के दूधों तक पहुँच गया पर भाभी ने ब्रा पहन रखी थी.मैने अपने दोनो अंगूठे भाभी की ब्रा के अंदर डाल कर उसे उठाने की कोशिश की पर भाभी ने मुझे रोक दिया कहा
भाभी - अभी नहीं ये उठ जाएँगे
मैं – फिर कब
भाभी- - कल जब ये ऑफीस चले जाएँगे
और फिर उठ कर अपने कमरे में चली गई
सुबह मैं लेट ही उठा जब भाई के ऑफीस जाने का टाइम हो चुक्का था .जब तक मैं नहा के तय्यार हो गया.भाई के ऑफीस जाते ही मैने भाभी को पीछे से पकड़ लिया और किस करने लगा.
भाभी – लगता है सब्र नहीं हो रहा
मैं – कैसे होये सब्र, चलो ना
भाभी – पहले खाना खा लो
मैं – नहीं बाद में
भाभी – खा लो ताक़त आएगी
और जा कर मेरे लिए खाना ले आई.जब तक मैने खाना खाया भाभी बेड पर लेट कर टी.वी. देखने लगी.मैं खाना ख़तम कर के सीधे भाभी के बगल में लेट गया और भाभी को अपनी बाहों में भर कर किस करने लगा
भाभी ने अपनी आँखे बंद कर ली थी मैं भाभी को चूमते चूमते दूधों पर आ गया भाभी ने येल्लो कलर की सादी पहनी थी मैं साड़ी का पल्लो हटा कर ब्लाउस के ऊपर से ही दूधों को पीने लगा कुच्छ देर यूँ ही करते करते मैने भाभी के ब्लाउस के हुक खोलना शुरू कर दिए,एक एक कर मैने सारे हुक खोल दिए अब भाभी मेरे सामने ब्रा में थी . भाभी की ब्रा के अंदर भाभी के मस्त दूध एक दम कसे हुए थे.ब्रा बिल्कुल फिटिंग की थी मैने अब ब्रा के ऊपर से ही भाभी के दूध पर धीरे धीरे हाथ फेरना शुरू कर दिए और फिर धीरे से पीछे हाथ कर ब्रा के हुक भी खोल दिए ,हुक खुलते ही दोनो दूध आज़ाद हो गये.ब्रा को हटते ही मेरे सामने भाभी के सुडोल स्तन आ गये जितना सोचा था उससे भी सुंदर एकदम कड़क ब्राउन कलर की निपल अकड़ कर मानो मुझे ही देख रहे थे और बुला रहे थे मैने बिना देर किए एक निपल को अपने मूह में ले लिया.और दूसरे को अपने हाथ से दबाने लगा.
क्रमशः..............
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