कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
06-28-2017, 10:57 AM,
#9
RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
चंपा ने दीपक के सीने पे कान लगाया धड़कन चल रही थी.

चंपा: इनकी साँस चल रही है,चल इनको उठाने मे मदद कर .

दोनो ने मिल कर दीपक को उठाया और बस्ती की तरफ जाने लगे .

चंपा: अगर ऐसे जाएँगे तो ये बच नही पाएँगे एक काम कर सामने वो हाथ गाड़ी
पड़ीहै जा चुपके से उसे उठा ला .

वो लड़का भाग कर गया एक ठेली ले कर आया दोनो ने दीपक को उस पर लेटया और उस
लड़के ने धक्का लगाना शुरू किया चंपा पीछे भाग रही थी, वो लड़का तेज़ी से
तेली ले कर भाग रहा था .

बस्ती के पास पहुच कर चंपा ने बस्ती के एक घर पे दरवाज़े को खटखटाया ,अंदर
से खटपट की आवाज़ हुई दरवाज़ा खुला.
दीपक ज़मीन पर गिरा और ज़ोर ज़ोर से साँस लेने लगा गोली उसके पेट मे लगी थी
उसको पता था के मौत उसके करीब है उसकी आँखें बंद होने लगी ,उसे ऐसा लगा
सामने से कोई आ रहा हे , चंपा थी साथ मे एक लड़का भी था .





कॉमपाउंडर: क्या बात चंपा रात को भी तुझे चैन नही हे ,क्या चाहिए बोल.

चंपा: बचा ले इनको.(ईश्वर दीपक की तरफ था)

कॉमपाउंडर: किसे बचा लो (अपनी खोली से बाहर निकला सामने दीपक को थेली पर
खून मे लत पथ देख उसकी हालत पतली हो गयी) कौन है ये (ज़ोर से बोला,अंदर से
उसकी बीवी भी बाहर आगाई) .

चंपा: मेरे साहेब जी है बड़े उपकर है इनके हम पर इनको बचा ले.(रोते हुए)

कॉमपाउंडर: क्या हुआ इसे ,इतना खून केसे.(ये बोल कर वो दीपक के पास गया
,शर्ट पर खून था थोड़ा सा कपड़ा हटाया उसकी हवा फिर निकली) ले कर जा इसे
यहा से ,इसको गोली लगी है ,चली जा यहा से.

चंपा: इनको बचा ले ,ये बहुत शरिफ्फ आदमी है ,ये बस वाहा खंदर मे घूम रहे थे
किसे ने इन्हे गोली मार दी ,बचा ले मे तेरे पाँव पड़ती हू (रोते हुए).
कॉमपाउंडर: इसको हॉस्पिटल ले कर जा मे कुछ नही कर सकता ,और वैसे भी ये
पोलीस केस हे ,मे कुछ नही करूँगा ,पोलीस मुझे पकड़ लेगी चल भाग यहा से.

चंपा : हॉस्पिटल नही ले कर जा सकती ,वक्त बहुत कम हे अगर रास्ते मे कुछ हो
गया तो...(रोते हुए)

कॉमपाउंडर: क्या होगा मर जाएगा ,मरने दे ,पर मे क्यू इसको बचाने के चक्कर
मे जैल जाउ

चंपा: देख तू हमेशा से हमारी मदद करता आया है आज भी कर दे

कॉमपाउंडर: वो सब बस तेरी मा के लिया किया था क्यूकी उसने मुझे मेरे बुरे
वक्त मे मदद की थी ,पर मे ये काम नही कर सकता

चंपा उसकी बीवी के कदमो मे गिर पड़ी ,और मदद की गुहार करने लगी

उसकी बीवी ,बचा लो उसे अगर रास्ते मे ले जाते हुए उसे कुछ हो गया तो पाप हम
पर चढ़ेगा

कॉमपाउंडर: पाप पुन्य तब सोच लियो जब मे जैल जाउन्गा समझी अंदर जा

चंपा: किसी को कुछ पता ही नही चलेगा बस तू गोली निकाल दे मे यहा से इन्हे
उसी वक्त ले कर चली जाउन्गी

कॉमपाउंडर: मेरा घर है कोई हॉस्पिटल नही ,गोली निकालने के लिए डॉक्टोरी
समान चाहिए होता है हाथ से निकालु

उसकी बीवी ने ये सुनते ही बोला, समान है वो आप पिछली बार क्लिनिक से लाए थे
पर वापस लेकर नही गये

चंपा: तू गोली निकाल दे हम अभी चले जाएँगे

कॉंपौंदर: इसे अंदर ले कर आ ,देखता हू क्या कर सकता हू ,और अगर इसे कुछ हो
गया तो भी तू किसी को कुछ नही बोलेगी

चंपा और वो लड़का दीपक को उठा कर अंदर लेकर आए गदे पर लेटाया

कॉंपौंदर: ज़रा पीछे हट (चंपा को बोला ,और दीपक की नबाज़ चेक करने लगा)
इसके शरीर मे जान बहुत कम है मुझे डर है गोली निकालते वक्त ही कही ये मर
गया तो

चंपा: तू कौशिश तो कर , भगवान इसके साथ है ,इसे कुछ नही होगा

कॉमपाउंडर: जा समान ले के आअंदर से (अपनी बीवी को बोला) चंपा तू गॅस पर
पानी चढ़ा दे .हे भगवान कहा फसा दिया इंसान तो बनाया इंसानियत क्यू बनाई

उसकी बीवी अंदर से एक डब्बा ले कर आई जिस पे फर्स्ट एड का साइन बना हुआ था

कॉमपाउंडर ने एक कँची से उसकी शर्ट काटी,और ज़ख़्म पर हल्का सा हाथ लगाया
,दीपक की आहह निकल पड़ी मूह से .उसने जैसे ही उसके सिर पर हाथ लगाया सिर जल
रहा था

कॉमपाउंडर: अरे इसे तो भूखार भी बहुत तेज़ है इसका बचना बहुत मुश्किल है
(चंपा की तरफ देख कर बोला)

कॉमपाउंडर को बहुत डर भी लग रहा था , उसका खुद का ब्लड प्रेशर बढ़ गया था
जल्दी से दो ग्लास पानी पिया और दीपक के पास आया

चंपा को गरम पानी लाने को बोला ,
उसने अपना काम शुरू किया ,जैसे ही गोली बहार निकाली दीपक की आवाज़ नही हुई .
उसने पास आकर दीपक की छाती पर दवाब बनाया और बार बार छाती दबाने लगा

कॉमपाउंडर: इसे अपने मूह से साँस दे इसके शरीर मे कोई हरकत है जल्दी कर

चंपा अपने मूह से साँस दे रही थी कॉमपाउंडर उसकी छाती दबा रहा था और उस
लड़के ने ज़ख़्म को कॉटन से दबा रखा था ताकि खून ना निकल सके

उसने फिर उसकी नब्ज़ चेक की थोड़ी जान अगेयी थी

कॉमपाउंडर: तू साँस देती रह मे टाँकें लगा देता हू ,शायद बच जाए

निडल को गरम पानी डुबोया धाग्गा डाला जखम पर बिना इंजेक्षन दिए ही टाँकें
लगाने थे उसे पता था के दीपक शायद नही बच पाएगा

कॉमपाउंडर: मुझे बहुत डर लग रहा हे अगर ये मर गया तो

चंपा: तू डर मत तूने तो गोली भी निकाल दी ,अब मत डर भगवान हमारे साथ है
,इसे कुछ नही होगा

कॉमपाउंडर ने टाँकें लगाने शुरू किया दीपक को होश नही था पर मूह से हल्की
हल्की आवाज़ निकल रही थी . हर टाँकें के साथ उसके हाथ भी काँप रहे थे दूर
बैठी उसकी बीवी भी डर रही थी
जैसे ही टाँकें लगा कर कॉमपाउंडर वाहा से हटा,उसकी बीवी भागते हुए उसके पास
आई ,उसको उठाया और पूछी क्या हुआ आपको

कॉमपाउंडर: कुछ नही बस जैल का दरवाज़ा नज़र आ रहा था . मुझे लगा के मे शायद
जैल की सलाखें पकड़ के खड़ा हू

कुछ नही होगा, आप ने तो भला काम किया है,अगर ये ठीक हो गया तो हमे दुआए
देगा

कॉमपाउंडर: अरे तू चुप कर , चंपा तू इसे अब यहा से ले कर जा ,और किसी को ये
मत बोलना के मेने ये काम किया था

चंपा ने सर हाँ मे हिलाया

चंपा: आ इधर इन्हे उठा और बाहर ले कर चल

वो लड़का चंपा की मदद से दीपक को बाहर ले कर आया रात के 2:00 बज रहे थे
कुत्ता भी नज़र नही आ रहा था दोनो ने मिल के उसे ठेली पे डाला

चंपा: एक काम और कर दे

कॉंपौंदर: अब क्या चाहिए

चंपा: दवाई लिख दे , जखम का दर्द केसे जाएगा एक और उपकार कर दे.

कॉंपौंदर अंदर गया और एक पर्ची पर दवाई लिख के लाया

कॉंपौंदर: ये ले ,सब दवाई पीने वाली है ये अभी बेहोश है ना दवाई केसे
खाएगा,और एक काम कर इसके सिर पर पानी से पट्टी कर दियो बुखार उतर जाएगा

दोनो वाहा से चंपा की खोली के तरफ को चले ,चंपा ने अपनी खोली को खोला और
दोनोने दीपक को आराम से अंदर ले कर आए,बिस्तेर पर लिटाया.

चंपा: इधर आ ये ले पैसे और ये पर्ची ,वो हॉस्पिटल के पास जो दवाई की दुकान
है ना जा उससे ये दवाई ले कर आ और हाँ उससे पूछ लेना के दवाई केसे देनी है
समझा

लड़के ने सिर हां मे हिलाया और खोली से बाहर हुआ

चंपा ने पानी गॅस पर चढ़ाया ,और दीपक के पास आकर उसकी छाती पर कान लगाया और
सुनने लगी के साँसे तो चल रही हैं के नही

गरम पानी मे पट्टी डाल कर उसके सिर पर डाली और बारी बारी पट्टी बदलने लगी ,
थोड़ी देर बाद वो लड़का भी दवाइया ले कर आया और चंपा को समझाने लगा के कौन
सी दवाई कैसे देनी है
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