Sex Hindi Kahani रोंये वाली मखमली चूत
06-30-2017, 11:08 AM,
#4
RE: Sex Hindi Kahani रोंये वाली मखमली चूत
अब मेरा समंदर भी छलक ही गया। मैंने भी भावना के मुँह में माल छोड़ दिया। मैंने भावना से माल मुँह में छोड़ने के लिए माफी मांगी तो उसने कहा- कोई बात नहीं.. वैभव ने तो वीर्य पिलाने की शुरूआत कर ही दी है.. अब शायद मुझे भी आदत डाल लेनी चाहिए। 
तभी भावना की आवाज भी लड़खड़ाने लगी, वैभव के चूत चाटने और उंगली घुसाने से भावना ‘हिस्स्सकस.. आहहह.. ईईईई.. मजा आ गया..’ कहती हुई झड़ गई।
मैं और भावना तो अभी-अभी झड़े थे.. पर वैभव को झड़े बहुत समय हो गया था। भावना की चूत चाटते-चाटते उसका लौड़ा फिर से खड़ा हो गया था। 
पर अभी भावना तैयार नहीं थी, फिर भी वैभव ने चूत को पीटते हुए अपना लंड सही जगह रख कर धक्का दे दिया।
उसका लंड मोटा था.. इसलिए भावना कराह उठी.. पर चुदाई का बहुत अनुभव होने के कारण तुरंत संभल गई और पूरा लौड़ा गटक गई।
मैं भावना के बड़े-बड़े गोरे उरोजों को दबा रहा था, भावना भी जल्द ही वैभव का साथ देने लगी।
मैंने अपना सोया लंड भावना के मुँह में दे दिया, उसके चूसने से मेरे लंड में फिर से जान आने लगी। 
कुछ देर ऐसे ही चोदने के बाद वैभव लेट गया और भावना को अपने ऊपर चढ़ा कर चोदने लगा। भावना ‘ऊऊह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआहह..’ कर रही थी और चुदाई से ‘फच्च.. फच्च.. पकपक..’ की मादक आवाज आ रही थी।
अब मैंने खड़े होकर अपना लंड भावना के मुँह में दे दिया। भावना तो गरम हो ही चुकी थी। वो अब अपने हाथों से ही अपने उरोजों को मसलने लगी और चिल्ला-चिल्ला कर उछलने लगी- ओहहह ईईई ऊऊऊऊ.. चोदो मुझे.. ये साली चूत बहुत तंग करती है.. फाड़ डालो इसे.. ओहह चोद दे राजा.. चोद और जोर से चोद.. उउहस आहहह..
वो मजा लेते हुए सीत्कारने लगी।
उधर वैभव ‘ऊंह.. आहहह.. ऊंह ऊंह..’ करके धक्के तेज मारने लगा और फिर अकड़ने लगा- ओह रानी.. मैं तो गया..
यह कहते हुए वो झड़ गया।
भावना बेचैन हो उठी- नहीं.. अभी मेरी प्यास बाकी है.. साले ऐसे अधूरा मत छोड़ो साले.. कमीनों.. दो-दो लोग मिलकर मेरी प्यास नहीं बुझा सकते क्या?’ 
उसके मुँह से ऐसा सुनते ही मैं ताव में आ गया और मैंने भावना को नीचे खड़े करके उसकी एक टांग अपने कंधों पर टांग ले ली। ऐसा करने से उसकी चूत पूरी खुल गई और उसकी चूत में मैंने खड़े-खड़े ही अपना पूरा लंड डाल दिया।
फिर उसके मुँह को दबाते हुए मैंने बेरहमी से अपने हाथ का अंगूठा उसके मुँह में चूसने के लिए डाल दिया ‘और ले मादरचोद रंडी.. अब झेल मेरा लौड़ा..’ कहते हुए मैंने भावना की चूत की ताबड़तोड़ चुदाई शुरू कर दी।
वो ‘गूं गूं गूं.. ऊऊ ऊऊ..’ करके चुदवा रही थी। मैंने अपना अंगूठा जैसे ही उसके मुँह से निकाला.. वो भी बकने लगी ‘हाँ रे मादरचोद.. ऐसे ही चोद.. तूने ही तो मुझे रंडी बनाया है ना भोसड़ी के.. तो देख अब तेरी रंडी कैसे चुदती है.. आह्ह.. पेल..’
हम दोनों की घमासान चुदाई चल रही थी। 
तभी वैभव ने कहा- वाह क्या चुदाई है यार.. काश हम ग्रुप में और ज्यादा लोगों के साथ चुदाई करते।
भावना ने कहा- साले एक चूत तो पहले बजा लो.. फिर किसी और की सोचना।
इतने में मैंने कहा- आज तो सच में तुझे ऐसे चोदेंगे कि तू चल भी नहीं पाएगी कुतिया.. ले.. खा मेरा लंड.. ऊन्ह..’
चुदाई के चलते-चलते ही मैंने वैभव से पूछा- कोई सामूहिक चुदाई की कोई तरकीब भी है या ऐसे ही बोल रहा है?
वैभव ने कहा- अगर भावना चाहे तो हम काव्या और निशा को भी साथ मिला सकते हैं।
भावना वासना में डूबी थी ‘वाह रे स्वार्थी लड़कों.. तुम लोगों के लिए तीन चूत.. और हमारे लिए दो ही लौड़े..’
तो मैंने चूत में लंड जोर से पेलते हुए कहा- तुम्हारे लिए भी बहुत से लंड ला देंगे रानी.. 
तभी ‘ओओहहह.. मेरे राजा.. लंडों की बात सुनकर मेरी चूत बह गई रेरर..’ कहते हुए भावना झड़ने लगी।
पर अभी मेरा तो हुआ नहीं था.. तो मैंने धक्के और तेज कर दिए।
चूंकि भावना झड़ गई थी इसलिए अब उसे दर्द होने लगा ‘बस संदीप.. मेरी चूत फट जाएगी यार..’
मेरी आवाज भी कांप रही थी- ललेए ना.. मादरचोदीईई.. अब औररर चुदवाओ ना.. भोसड़ी वाली.. ले.. उउहहह ओहहहह ईईईई हिस्स्..’
यह कहते हुए मैंने भावना को और रगड़ कर चोदा। भावना की हालत खराब हो गई थी। 
तभी मैंने भावना को बैठने कहा और कांपते हुए उसके मुँह में अपना लावा उगल दिया.. उसने सारी मलाई चाट ली।
तभी वैभव ने भावना को उठा कर बिस्तर पर पटक दिया और अपने फिर खड़े हो चुके लंड से बहुत देर तक भावना को चोदा। भावना अब ज्यादा कुछ बोल भी नहीं पा रही थी। 
इस तरह की चुदाई से भावना कई बार झड़ी और उसका शरीर भी दुखने लगा था। बड़ी मुश्किल से वैभव का पानी निकला और हम थक कर ऐसे ही नंगे लेट हुए बात करने लगे। 
‘क्यों भावना कैसा लगा?’
भावना ने शरमा कर ‘अच्छा लगा..’ कहा और मेरे सीने में मुँह छुपा लिया।
मैंने कहा- वैसे वैभव ने सामूहिक चुदाई की बात अच्छी कही.. सच में खुल कर चुदाई करने का मजा ही अलग होता है। तुम तो राजी हो ना?
मैंने भावना की ठोड़ी पकड़ कर उसका चेहरा देखा तो भावना ने पलकें झुका लीं।
मैंने वैभव से कहा- क्यों यार.. ये सब कैसे होगा और कहाँ होगा?
भावना ने कहा- मैं कुछ कहूँ?
मैंने और वैभव ने एक साथ ‘हाँ’ कहा।
भावना ने बताया- अगले महीने मैं घर में तीन दिनों के लिए अकेली रहूँगी.. उसी समय हम प्लानिंग कर सकते हैं। हम लोग काव्या और निशा को सामूहिक चुदाई के लिए राजी कर ही सकते हैं।
वैभव ने तुरंत पूछा- तो क्या संदीप ने काव्या और निशा को भी पहले चोदा है? 
मैंने जवाब दिया- निशा को नहीं कमीने.. सिर्फ काव्या को चोदा है और मैं भी यही सोच रहा हूँ कि निशा कैसे मानेगी?
तो भावना ने कहा- उसके लिए पहले उसके ब्वायफ्रेंड को पटाना होगा। निशा का एक लड़के के साथ अफेयर पिछले एक साल से है.. पर दोनों चाह कर भी चुदाई नहीं कर पाए हैं। दोनों आगे बढ़ने की हिम्मत ही नहीं कर पा रहे हैं। क्यों ना हम उन दोनों को राजी कर लें। उनका काम भी हो जाएगा और हमारा भी काम बन जाएगा।
मैंने कहा- आइडिया तो अच्छा है.. एक काम करते हैं.. तुम और काव्या मिल कर निशा को मनाओ और इधर मैं और वैभव मिल कर उसके ब्वायफ्रेंड को मना लेंगे। क्यों वैभव ठीक कहा ना मैंने?’
वैभव- हाँ.. हाँ.. बिल्कुल.. उस कमीने को तीन चूतें एक साथ चोदने को मिलेंगी.. तो मना थोड़ी न करेगा भोसड़ी का। 
अब हमने उसका नाम पता पूछा, उसका नाम सनत था और वो दूसरे कॉलेज में पढ़ता था। 
‘पर एक प्राब्लम है..’ भावना ने कहा।
प्रॉब्लम की सुन कर हम सब ठंडे पड़ गए।
‘क्या हुआ जान?’
भावना ने बताया- मेरे घर पर एक चौकीदार तैनात रहता है.. उसके रहते ये सब नहीं हो पाएगा।
यह सुनते ही मुझे झटका लगा.. पर वैभव जोर से हँसने लगा और बोला- अभी कुछ देर पहले तुम ही कह रही थी ना कि बस दो लौड़े.. अब देखो कैसे चार लौड़े हो गए।
भावना ने कहा- क्या मतलब?
तो वैभव ने कहा- मैं, संदीप और सनत करके तीन और अब उस चौकीदार को भी शामिल कर लेंगे.. हो गए ना चार!
भावना ने कहा- साले, मैं अपने चौकीदार से चुदूँगी? मैं इतना नहीं गिर सकती।
वैभव ने कहा- तुम मत चुदना.. उसके लिए तो दो और चूतें हैं ना.. तुम क्यों चिंता करती हो रानी और उसे पटाने की जिम्मेदारी भी हमारी.. ओके! 
हम सब हँसने लगे। 
अब हम तीनों अपने सपने को सच करने के लिए काम में जुट गए। वैभव ने सनत से दोस्ती कर ली और उसे कामुक वीडियो दिखाने लगा और सामूहिक चुदाई की कहानी भी पढ़ा कर सामूहिक चुदाई के लिए उकसाने लगा।
मैं भी किसी-किसी बहाने भावना के घर जाने लगा और जब भी जाता चौकीदार से बातचीत करके ही आता। अब उसके साथ खुल्ला हँसी-मजाक भी होने लगा था। चौकीदार का नाम चरण था मैं उसे प्यार से कालीचरण पुकारने लगा।
काली चरण काले रंग का तंदरुस्त शादीशुदा अधेड़ उम्र का आदमी था.. पर उसका परिवार गांव में रहता था। वो बेचारा शहर में अकेले ही झक मार रहा था। उसकी उम्र 38 की रही होगी.. पर अभी भी कड़ियल जवान मर्द ही दिखता था।
उसका चेहरा इतना बुरा भी नहीं था। वो कभी-कभी अपनी अंतरंग बातें भी मुझे बताने लगा। वो समझ चुका था कि मेरा और भावना का चक्कर चल रहा है। कुल मिला कर कहा जाए कि काली चरण मेरे पाले में आ चुका था। 
अब निशा को पटाने की देर थी। हमारी प्लानिंग वाली तारीख में अब दो ही दिन बाकी थे।
मैंने भावना से पूछा- क्या हुआ निशा मानी कि नहीं?
भावना ने कहा- अभी मैं उसके ही घर जा रही हूँ.. आज बात करके ही आऊँगी.. वैसे मैंने काव्या को बता दिया है और वह राजी भी है। वो भी निशा को पटाने में मेरी मदद करेगी।
मैंने कहा- चलो अच्छी बात है.. पर आज बात कर ही लो। 
भावना चली गई और रात को मुझे उसने फोन किया- यार बहुत मेहनत लगी.. पर हमने उसे राजी कर ही लिया।
मैं खुशी से झूम उठा और कहा- थकी हुई तो लग रही हो.. हमें भी तो बताओ क्या मेहनत करनी पड़ी?
उसने कहा- चुदाई का बिल्कुल अनुभव नहीं था और बिना कुछ जाने वो राजी कैसे होती.. इसलिए सबसे पहले हमने उसको चुदाई करना सिखाया.. चुदाई के बारे में बताया। जब उसकी उत्सुकता बढ़ाई.. तब जाकर वो मानी।
मैंने फिर दोहराया- चुदाई करना कैसे सिखाया?
भावना थोड़ा शरमा कर बोली- संदीप तुम भी ना सब कुछ मत पूछा करो.. सिर्फ इतना जान लो कि हमारी प्लानिंग को सफल बनाने के लिए मैंने और काव्या ने उसके सामने लेस्बियन सेक्स करना शुरू किया और उसे भी उसमें जबरदस्ती शामिल किया। फिर हम लोगों ने उसे बताया कि सनत भी तैयार है और जब उसने चुदाई का ऐसा स्वाद चखा.. तब उसने झिझकते हुए ‘हाँ’ कह दिया है। 
मैंने कहा- यार पूरी घटना अच्छे से बताओ ना.. तुम्हारी अधूरी बात सुन कर ही मेरा लंड खड़ा हो गया है।
उसने कहा- नहीं.. मैं नहीं बताऊँगी.. पर कुतिया को रगड़ कर चोदना.. कमीनी को जिन्दगी भर याद रहना चाहिए.. साली बहुत भाव खा रही थी।
मैंने कहा- हाँ जानेमन.. 
फिर कुछ देर भावना से फोन सेक्स करके अपना पानी झाड़ा तब खड़े लंड को चैन पड़ा। 
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