Sex Hindi Kahani मेरी मस्त दीदी
07-03-2017, 12:37 PM,
#7
RE: Sex Hindi Kahani मेरी मस्त दीदी
मेरी मस्त दीदी--7

ऊपर रज़िया अभी भी सो रही थी लेकिन उसकी पोजीशन थोड़ी बदल गयी थी। अब वह दरवाजे की तरफ पीठ किये अपनी एक टांग मोड़े करवट से लेटी थी। इस पोजीशन में भी उसकी चिकनी दूधिया जांघे पूरी तौर से नुमाया हो रहीं थी। मैं उसके चहरे की तरफ जा के बेड पर बिलकुल चिपक कर लेट गया और धीरे से कंधा पकड़ कर हिलाते हुए पूछा, " रज़िया , मेरी अच्छी सी बहन , आज सोती ही रहेगी क्या ?"

रज़िया थोडा सा ऊ ऊ करके सीधी होकर उसी पोजीशन में ।> लेट गयी। मेरा लंड थोड़ी देर पहले की याद करके भक्क से टनटनाने लगा। मैंने धीरे से उठ कर सबसे पहले अपना पेंट व अंडरवियर उतार दिए। अब मैं बिलकुल नंगा केवल बनियान पहने रजिया के बगल में लेट गया , मेरा लंड बुरी तरह से झटके ले रहा था। मैंने हाथ बढ़ा कर जैसे ही उसकी स्कर्ट को पेट पर पलटा , मैं धक्क से रह गया , थोड़ी देर पहले जो उसने गहरे नीले रंग की चड्डी पहन रखी थी अब उसकी जगह महरून कलर की नेट की चड्डी उसकी चूत से चिपकी थी जिसमे से उसकी चूत की एक एक चीज़ नुमाया हो रही थी। ऐसा लग रहा था की झांटों को रात में ही साफ़ किया गया था क्योंकि चूत पूरी तौर पर चिकनी और साफ़ नज़र आ रही थी। दूसरी बात बदली हुई चड्डी से साबित होता था कि रज़िया सोने का नाटक कर रही है , उसने मेरे नीचे जाने के बाद अपनी चूत पानी से धोकर साफ़ करके चड्डी बदली है क्योंकि सुबह वाली चड्डी इसके चूतरस में बहुत भीग चुकी थी जो इतनी जल्दी किसी कीमत पर सूख ही नहीं सकती थी। दूसरी और सबसे अहम् बात ये थी कि रज़िया का यूँ चुपचाप सोने के नाटक से यह क्लियर भी हो गया कि उसे इन सब बातों में मज़ा आ रहा है लेकिन मैं भी कच्चा खिलाडी नहीं था , इस जैसी पता नहीं कितनी चूतवालियों की चूत को मेरा लंड चोद चुका था सो मैंने ऐसा शो किया जैसे मुझे उसके जागने का पता नहीं है। मैंने उसकी कमर पकड़ कर उसे अपने से इस तरह चिपका लिया कि मेरा लंड उसकी दोनों टांगो के जोड़ो में टिक गया जिसे मैंने एक झटके में अन्दर कर दिया , लंड भी उसकी चूत से रगड़ता हुआ पीछे गांड की तरफ निकल गया। रज़िया ने भी फुल मस्ती में अपनी एक टांग उठा कर मेरी कमर पर रख ली , अब मेरा लंड पूरी तरह से उसकी चूत पे रगड़ता हुआ चूतरस में भीगा मस्त हो चुका था। लेकिन वह अभी तक सोने का नाटक जारी रक्खे थी परन्तु मुझे इससे कोई फ़रक नहीं पड़ रहा था क्योंकि वह बीच बीच में ऊ ऊ s s s करके अपने शरीर को हिला डुला कर धीरे धीरे पूरा मज़ा ले रही थी। मैंने फिर से उसको अपने से चिपकाते हुए उसके चूतडों को मसलते हुए धीरे से उसके कान में पूछा , " अरे रज़िया , आज क्या उठेगी नहीं , तू तो सो के ही रह गयी है आज , बड़ी गहरी नींद सोती है "

रज़िया अपनी कमर हिला कर अपनी चूत मेरे लंड से कस के चार पांच बार रगड़ी जैसे सोते में कर रही हो,फिर ऊ ऊ ऊ कर के मेरे गले में बांह फंसा के अपने होंठ मेरे गालों पे रख कर चुपचाप लेट गयी।

अब मुझ से भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था सो मैंने उसकी टॉप उतारते हुए अपने ऊपर लिटा लिया , अब मैं सीधा बेड पर लेटा था व रजिया मेरे ऊपर पट अपनी चूत से मेरे लंड को दबाये हुई लेटी थी। मेरा लंड उसकी कुँवारी चूत की मस्त खुशबू से दीवाना हुआ झटके ले रहा था। मेरी झांटे और लंड पूरी तौर से रज़िया के चूतरस में भीग चुके थे। मैं तो पहले से ही नीचे से नंगा था , सो मैंने रज़िया की पीठ पर हाथ लेजा कर उसकी ब्रा के हुक खोल कर उतार दी।

रज़िया पूरी तरह से चुदासी होकर मुझसे चिपकी थी लेकिन शायद शरम या संकोच के कारण वो सोने का ड्रामा कर रही थी वरना उसकी चूत मेरे लंड को गपकने को मुंह बाये खड़ी थी।चूँकि मुझे भी पता था कि ये सोने का सिर्फ नाटक कर रही है वरना इसकी चूत की हालत चीख चीख कर कह रही है कि मुझे चोदो व पेल पेल कर फाड़ दो।सो मैंने सबसे पहले रज़िया को धीरे से अपने बगल में लिटा करके उसकी इकलौती चड्डी भी उतार कर उसे नंगा कर दिया व अपनी बनियान उतार कर मैं भी पूरा नंगा होकर उसके बगल में आ कर एक हाथ से उसकी संतरे जैसी चूची को मसलते हुए दूसरी चूची के निप्पल को चुकर चुकर करके चूसने लग गया। रज़िया की आँखे ज़रूर इस वक़्त बंद थीं परन्तु उसके हाथ मेरे बालों में धीरे धीरे चल रहे थे जो ये साबित कर रहे थे कि वह भी पूरी मस्ती में है। उसकी चूत व मेरा लंड दोनों एक दूसरे के मिलन को धडाधड पानी छोड़ रहे थे।मैंने भी अब देर करना ठीक नहीं समझा क्योंकि दो बार पहले ही K L P D हो चुकी थी। मैंने उसे बेड पर चित्त लिटा कर उसकी टांगों को फैला कर अपने फनफनाते लंड का सुपाडा उसकी बुर पे टिका कर घिसना शुरू कर दिया। मेरे ऐसा करते ही रज़िया के मुंह से सिसकारियां निकालनी शुरू हो गयीं वह दोनों हाथों से सिर के नीचे रक्खे तकिये को कस कर पकडे धीरे धीरे छटपटा सी रही थी , उसकी चूत की हालत मेरे लंड से भी बद्तर हो रही थी लेकिन शायद अभी कहीं न कहीं थोड़ी बहुत शरम बाकी थी जिससे वह अपनी आँखे व मुंह दोनों बंद किये थी परन्तु उसकी रह रह कर झटके लेती कमर मानों चिल्ला चिल्ला के मेरे लंड से बिसमिल्लाह की गुज़ारिश कर रही थी। चूंकि मेरी हालत भी बहुत ज्यादा ख़राब हो चुकी थी सो मैं उसकी चूत पर अपने लंड का सुपाडा टिका कर उसके ऊपर लेट गया और उसकी बगलों में हाथ डाल के उसके कन्धों को कस कर पकड़ लिया। नीचे से वह अपनी चूत उचकाने की कोशिश करके मेरे लंड को अन्दर लेना चाह रही थी चूँकि मैंने उसे कस के दबा रक्खा था सो वह कामयाब नहीं हो पा रही थी। मैंने अपनी टांगों से ही उसकी टांगों को पूरी तरह से चौड़ा कर एक ज़ोरदार धक्के के साथ अपना आधे से ज्यादा लंड उसकी चूत में ठांस दिया। एक पल के लिए रुक कर मैंने रज़िया के चहरे की तरफ़ देखा तो दंग रह गया , उसने न तो आँखे खोली और ना मुंह से आवाज़ निकलने दी। हाँ उसकी आँखों से भल भल आँसू निकल के तकिये में ज़ज्ब हो रहे थे और वह अपने दांतों से अपने निचले होंठ को कुचले जा रही थी। मैंने अपने लंड को सुपाडे तक पीछे खींचकर फिर से एक ज़ोरदार धक्का से अबकी बार जड़ तक ठांस दिया। आखिर बहुत बर्दाश्त करने के बाद भी उसके गले से एक भारी सी आह s s s निकल गयी।

" बहुत दर्द हो रहा है भैय्या " वह नीचे से छटपटाते हुए रोते रोते बोली "बस छुटकी बस , हो गया ...... अब दर्द नहीं होगा " मैंने उसके कंधे छोड़ कर अपने दोनों हाथों की उँगलियों की कैंची बनाकर उसमे उसका सिर जकड़ लिया। वह मेरे नीचे पूरी तरह से बेबस दबी थी और सिर्फ़ उसके हाथ आज़ाद थे , जिनसे वह मेरी पीठ अपने बड़े बड़े नाखूनों की मदद से खुरच रही थी। मैं अपनी जीभ से उसके होठों को चाटते हुए भकाभक अपने लंड को उसकी मांसल व मखमली टाइट चूत में अन्दर बाहर कर रहा था।

शायद रज़िया का दर्द अब कुछ कम हो गया था क्योंकि उसने अपनी टांगों को पूरी तरह से चौड़ा कर मेरी कमर के इर्द गिर्द लपेट लिया था व मेरे लंड की हर ठोकर पर नीचे से अपनी चूत उचका कर पूरा का पूरा ठंसवाने की कोशिश कर रही थी। अब मैं उसके सिर को छोड़ कर दोनों हाथो से चूचियों को कस कर मसलते हुए पूरी ताक़त से रज़िया को चोद रहा था। मज़े की अधिकता के कारण रज़िया की आँखे फिर बंद हो चुकीं थी , अब वह टांगों से मेरी कमर को व हाथों से मेरी पीठ को बुरी तरह से जकड़े नीचे से गांड उचका उचका कर चुदवा रही थी।

थोड़ी देर बाद मुझे अपने लंड पर गरमागरम लावा सा महसूस हुआ और रज़िया हाथ पैर ढीले छोड़ कर हांफती हुई टाँगे फैलाये चुदवाती रही लेकिन मुझे अब मज़ा नहीं आ रहा था सो मैंने अपना लंड बाहर निकाल कर पास पड़े टॉप से उसकी चूत व अपने लंड को ढंग से साफ़ करके फिर चोदना शुरू कर दिया। दीदी की तरह रज़िया बिना नाज़ नखरे दिखाए ज़म के चुद रही थी और सबसे बड़ी बात उसने अपने होठों पर तो जैसे फेवीकोल लगा रक्खा था।

लेकिन दोस्तों मेरी आदत है कि मुझे चुपचाप चोदने में बिलकुल मज़ा नहीं आता सो मैं रज़िया को छेड़ते बोला ," कैसा लग रहा है चुदने में , मज़ा आ रहा है या नहीं "

" हूँ . . . ." कहकर उसने फिर आँखे बंद कर लीं। मेरा लंड उसे पूरी ताक़त से चोद रहा था।

" अरे कुछ तो बोलो , जिससे लगे कि मैं किसी ज़िंदा लौंडिया की चूत में अपना लंड पेल रहा हूँ " मैंने उसे फिर छेड़ा

" क्या बोलूँ , अब बोलने को बचा ही क्या है , कल रात में दीदी आज मुझे ...... दोनों को तो आप निपटा चुके है " रज़िया ने उसी तरह आँखे बंद किये ज़बाब दिया , अब वह मुझसे फिर कस कर चिपक गयी थी।

मैंने उसी स्पीड से चोदते हुए कहा ," क्या रज़िया ! ऊपर वाले ने तुम लोगों को चूत इसीलिए दी है कि इसे लंड से चुदवाओ , अरे अगर मैं नहीं चोदता तो कोई और चोदता , चूत बनी ही लंड पिलवाने को है ...... कोई ऐसी चूत बता दो जो चुदी ना हो " रज़िया ने इस बार कोई ज़बाब नहीं दिया बस मुझसे थोडा और कस कर लिपट गयी। मुझे अपना अब स्टेशन नज़र आने लगा था सो पूरे शरीर की ताक़त लंड में इकठ्ठी करके दोनों हाथों से चूचियां मसलते हुए मैं उसे चोदने लगा। अचानक हम दोनों के शरीर ने झटका लेते हुए एक साथ ही पानी निकाल दिया और बेड पर पड़े हांफने लगे। रज़िया इस वक़्त बड़ी नशीली आँखों से मुझे देख रही थी , वह धीरे से करवट लेकर मेरे सीने पर अपना सिर रख मुझसे नंगी ही चिपक कर लेट गयी। यूं तो रज़िया बहुत खूबसूरत नहीं थी लेकिन उसके शरीर की बनावट दीदी से इक्कीस ही थी यह मुझे उसको नंगा देखने पर ही पता लगा। लाइट कलर की बेडशीट पर तकरीबन एक by एक फुट के एरिया में गहरा लाल निशान पड़ा था जो उसकी कुंवारी चूत की सील टूटने की गवाही दे रहा था। पता नहीं क्यों इस वक़्त मुझे रज़िया पर बहुत ही प्यार आ रहा था जो बिना होठों और जीभ का इस्तेमाल किये सिर्फ नज़रों से ही अपनी दिल की बात मुझसे किये जा रही थी। उसकी आँखों में असीम तृप्ति के भाव थे जैसे किसी बहुत दिन के भूखे शख्श को रोटी की जगह कोई रसगुल्ला खिला दे। वह धीरे धीरे मेरे सीने को सहलाती हुई मुझसे चिपकी लेटी थी। मैंने भी उसके होठों को अपने होठों में लेकर चूसते हुए उसे अपने ऊपर लिटा लिया। यह जानते हुए भी कि वह मेरी छोटी बहन है मुझे वाकई इस वक़्त उस पर बहुत प्यार आ रहा था रज़िया की चुदाई के बाद मुझे एक असीम तृप्ति का अनुभव हो रहा था। इतना मज़ा मुझे बहुत दिनों बाद किसी चूत को चोदने में मिला था , वाकई रज़िया की एक एक चीज़ ऊपर वाले ने बड़ी फुर्सत में बनाई थी। चूंकि मैं पूरी रात का जगा हुआ था सो मैं रज़िया को अपने से चिपकाये हुए वैसे ही सो गया। शाम तकरीबन चार बजे भूख के कारण मेरी आँख खुली तो देखा मैं ऊपर वाले कमरे में अकेला ही सो रहा था , रज़िया पता नहीं कब उठ कर नीचे चली गयी थी। मैं भी फटाफट उठ कर नीचे आया तो देखा दीदी नहा धोकर किचिन में कुछ कर रहीं थीं और रज़िया नहा कर अपने गीले बाल ड्रायर से सुखा रही थी। उसने पिंक कलर का टॉप और पर्पल कलर की लॉन्ग स्कर्ट पहन रखी थी। जैसे ही हमारी नज़रें मिलीं वो धीरे से शरमा कर मुस्करा दी , उसके चेहरे पर एक अजीब से सुकून का भाव था व उसका रूप और निखर आया था।

दोस्तों एक बात आप ज़रूर नोट करना कि जो स्त्रियाँ अपने जीवन में भरपूर सम्पूर्ण सेक्स का आनंद लेतीं है अर्थात अपनी चूत को पूरी तरह संतुष्ट होने तक चुदवातीं है उनके चहरे पर एक अलग तरह का नूर होता है व जो इस सुख को नहीं भोग पातीं है या जिनकी चूत प्यासी रह जाती है उनके चहरे की चमक धीरे धीरे चली जाती है। कुल मिला कर उनका चेहरा ही उनकी सेक्स लाइफ का आईना होता है।

कुछ इसी तरह की चमक मुझे रज़िया के चेहरे पर नज़र आ रही थी। मैंने पीछे से जाकर उसकी चूचियों को धीरे से मसलते हुए नाज़ुक गालों को चूम लिया।

" क्यूं अभी भी दिल नहीं भरा क्या ? मौका देख के रात में ऊपर आ जाना , सारे बाकी के अरमान भी पूरे कर लेना लेकिन प्लीज़ अभी नहीं , अभी दीदी है यहां ... वो मुझे कच्चा ही चबा जाएँगी "रज़िया ने बड़े प्यार से मेरे हाथों को अपनी चूचियो से हटाते हुए कहा और एक गाढा सा मीठा चुम्बन मेरे होठों पर जड़ दिया।

चूंकि मैंने इस चुदाई के चक्कर में सुबह से कुछ खाया भी नहीं था सो इस वक़्त मेरे पेट में बड़े बड़े चूहे उछ्ल कूद कर रहे थे।मैंने रज़िया से पुछा ," कुछ खाने को है क्या , बहुत तेज़ भूख लगी है "

" हाँ दीदी ने नमकीन सेवइयां बनाई है क्योंकि अब खाने का वक़्त तो रहा नहीं , पूरा खाना शाम को बना लेंगे। वो आपको जगाने जाने ही वालीं थीं , अभी हम लोगों ने भी नहीं खाया है " रज़िया ने हमेशा की तरह बड़ी शालीनता से ज़बाब दिया

" तो चल जल्दी से सबका खाना लगवा ले , अब भूख बर्दाश्त नहीं हो रही है " मैंने बड़ी बेसब्री से कहा

तभी दीदी हाथ में सेवइयों की प्लेट लिए किचिन से आ गयीं और मुस्कराते हुए बोलीं ," मुझे मालूम था की तू उठते ही भूख भूख चिल्लाएगा "

उन्होंने व्हाइट कलर का वी गले का टॉप और नीले रंग का पेटीकोट पहन रखा था। पेटीकोट का नाडा कमर पर साइड में करके बांधा था जिससे उसके कट से उनकी नंगी कमर का गोरा गोरा थोडा सा हिस्सा नुमाया हो रहा था क्योंकि अन्दर उन्होंने पेन्टी नहीं पहनी थी। यही अगर नार्मल तरीके से बंधा होता तो शायद कमर की जगह उनकी छोटी छोटी झांटे दिखाई दे रहीं होती। कुल मिला कर इस अजीब पहनावे में भी वह गज़ब की सेक्सी लग रहीं थीं , उनकी चाल और बातचीत के अंदाज़ से लग रहा था कि उनकी चूत व गांड में दवा से ज़बरदस्त आराम हुआ है और सबसे बड़ी बात दो में से कोई भी चुदने के बाद भी मुझसे नाराज़ नहीं थीं। सो मैंने अब पूरी तरह से निश्चिन्त होकर उनके हाथ से प्लेट लेकर सेवइयां खानी शुरू कर दीं। तभी अचानक मेरा मोबाइल बजने लगा। मैंने पॉकेट से मोबाइल निकाल कर देखा तो वह अस्पताल से मामू का था। मैंफोन पिक करके बात करने लगा।

" हाँ ....... हाँ ....... ठीक है ........ ठीक है ....... मैं आता हूँ "

बात करने के बाद फोन काट दिया। फिर सारी बात दीदी और रज़िया को बताते हुए बोला ," दीदी ! मामू का फोन था , कह रहे थे कि अम्बाला से मामी की छोटी बहन और उनकी बेटी रात की ट्रेन से लुधियाना पहुँच रहे हैं , दूसरी बात यह कि मामी की हालत में बहुत आराम है जिससे डॉक्टर का कहना है कि अगर हम चाहें तो मामी को आज ही घर ले जा सकते है। अब आप अपनी राय दीजिये कि मामी को आज ही ले आयें या कल ही लाया जाए , वैसे मेरी राय में अगर हम कल लेकर आयें तो वही ज्यादा उचित रहेगा , कहीं कुछ उल्टा सीधा न हो जाये "
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