अन्तर्वासना सेक्स कहानियाँ नीतू भाभी का कामशास्त्र
07-08-2017, 11:53 AM,
#4
RE: अन्तर्वासना सेक्स कहानियाँ नीतू भाभी का कामशास्त्र
पार्ट 2


मैं ने उनसे पूचछा, "आप थॅकी नही हैं?" उनकी साँस अभी भी कुच्छ फूली हुई थी, पर उन्होने मेरी आँखों में मुस्कराते हुए देखा और बोली, "अभी सीखना ख़तम नही हुआ है! यह तो सिर्फ़ शुरू का लेसन था! और अभी तो रात जवान है…… क्यूँ?" और उन्होने मेरे कंधों पर हाथ ज़ोर्से दबाए और मुझसे कहा, " इस बार मैं तुमको झरना सिखौन्गि. तुमने मेरा झरना महसूस किया… ..पर जानते हो… हम दोनो के पूरे मज़े के लिए तुमको भी अच्छी तरह से झरना ज़रूरी है. जब लोग जल्दिबाज़ी में करते हैं तो वे झरते तो हैं ….पर झरने का असल मज़ा नही आता… मैं चाहती हूँ कि तुम अपने लौदे से एक एक बूँद मुझे दे देना ….हाँ ….एक एक बूँद….और तब जाकर तुम सही मतलब में खलाश होगे…. ठीक है?.. समझे?…. एक एक बूँद निचोर लेगी मेरी बुर!" मैने पहले के तरह उनसे हामी भर दी, और उन्होने अपने बदन को सीधा हारते हुए आगे कहा, "मैं बहुत जल्दिबाज़ी नही करूँगी…. और जब तुम झरने लगॉगे तब तो मैं और आहिस्ते से करूँगी, ताकि मेरे
बुर मे मुझे भी अच्छी तरह से महसूस हो कि तुम्हारा फुहारा चलने लगा है… चल रहा है… ठीक?" उन्होने आगे समझाया, " अपनी बुर मे मैं यह तो नही महसूस कर पाउन्गि कि तुम्हारी कितनी बूँद निकल रही हैं, पर हर फुहारे के साथ
मेरी बुर में एक गरम लहर गहराई में जाती लगेगी. समझे?" मैं उनके मुस्कुराते चेहरे को देखकर अपने आप को अब तो बिल्कुल ही काबू मे नही रख पा रहा था...पर देखना भी चाहता था कि नीतू भाभी क्या सिखाने जा रही हैं. मैने कहा, " आप जल्दी ही महसूस करेंगी. अब शायद मैं अपने आप को रोक नही पाउन्गा!"

वो मेरी आँखों में देखती हुई मुस्कुराइ, एक ममता भरी मुस्कुरात. "मज़ा आता है ना ?…… जब लौदा झरने के लिए तैयार रहता है, पर अभी झारा नही होता? …… ह्म्‍म्म…उस हालत में …..खूब मज़ा …… आता है ना?"

मैने हामी भर दी. मैं ने ज़ोर्से एक साँस ली, और तैयार होने लगा. सच पूच्हिए तो मैं तो कब से तैयार था, बस किसी तरह से अपने को काबू में रखा था. भाभी मुस्कुराती रही, उन्हें तो अच्छी तरह से पता था कि मेरी क्या हालत हो रही थी.

उन्होने अपने घुटनों को ठीक से जमाया और मेरे कंधों को जमकर पकड़ लिया. बोली, "अब मेरी फिकर मत करना, समझे?… अब तुम मज़ाय लो! ह्म … सिर्फ़ अपने लौदे का ख्याल करो ……."

"जी."

अब वो अपनी चुचि को मेरे मुँह के उपर रगड़ते हुए, मुझे चोदने लगी. वो उपर मेरे सूपदे के टिप तक आई और फिर बुर के बिल्कुल अंदर तक चली गयी. जल्दिबाज़ी में नहीं, बिल्कुल धीरे धीरे, पाँच या च्छेः बार, और जब लगा कि ठीक आंगल से
चुदाई हो रही है तो उन्होने मुझसे कहा. " अब देखो!…..लो मेरी बुर!" और उन्होने मेरी आँखों मे देखते हुए इसी रफ़्तार में ठप ठप धक्के लगाने शुरू किए. उनकी नज़र मेरे चेहरे पर से कभी नही गयी, और वो मेरी आँखों में आँखें डालकर
मेरे चेहरे के भाव पढ़ती रही.

कुच्छ धक्कों के बाद उन्होने पूचछा, " मज़ा आ रहा है?" मैं ने कहा, "हां" पर यह भी बताया कि वो अपनी चूतड़ उतनी उपर नही उठायें. मेरा रोकना बहुत मुश्क़िल हो रहा था. वो मान गयी और और मेरे लौदे को बुर के गहराई मे लेकर अब सिर्फ़ आधे लौदे तक चूतड़ उपर उठाती. एक-दो बार ऐसा करने के बाद उन्होने पूचछा, "अब ठीक है?" मैने अपना सर हिलाया. वो बोली, "तो तुमको ज़्यादा मज़ा आता है जब मैं तुम्हारे लौदे को बिल्कुल अंदर लेती हूँ और जब उठती हूँ तो सिर्फ़ आधे लौदे तक और बाकी लौदा बुर के अंदर" मैं मस्ती में पागल हो रहा था, और मैं ताज़्ज़ज़ूब करता रहा कि नीतू भाभी को इस वक़्त इतने आराम से सवाल पूच्छने की क्या ज़रूरत पर गयी है! मैं तो नशे मे पागल था! भाभी ने अपने धक्के फिर जारी किए, मेरे लौदे को बुर के बिल्कुल गहराई में ले जाकर फिर आधे लौदे तक उपर निकलना, और फिर पूचछा, "इस तरह?" मैने कहा, "हाँ", और और धीरे से हंसकर बोली, "ठीक है…. पर कही मेरा घुटना ना जवाब दे दे!"

पर उनके घुटने तो कमाल के थे. मैं तो बस उनके थाप देने के अंदाज़ को देख रहा था. किस तरह से उनक टाँगें, उनके मांसल जाँघ, उनका बिल्कुल सपाट पेट और लचीली कमर मेरे लौदे की हालत ख़स्ता कर रहे थे. कुच्छ देर के बाद, करीब 15-20
थाप उन्होने दिए थे, मेरा लौदा बेहद सख़्त हो गया और मुझे लगा कि अब मैं खलाश हुंगा. वो मेरे चेहरे को देखकर समझ गयी थी, और उन्होने कहा, "हाँ…मेरे राजा!", और मैने कहा कि अब शायद मैं और नही रोक पाउन्गा,
तो उन्होने "ष्ह्ह्ह …हां… मैं महसूस कर रही हूँ". अब वो रुक गयी, और बुर को मेरे लौदे पर ज़ोर्से दबाती रही. उनका चूतड़ अब बिल्कुल रुक गया.

वो बोली, "सुनो…….थोरा रुक जाओ! तुम अभी भी कुच्छ सोच रहे हो…सभी ख्यालों को हटाओ…….. " मैं कुच्छ चौंक गया और कहा, "अच्छा?!" मेरा लौदा उनकी चूत के अंदर बिल्कुल बाँस की तरह खरा था. वो बोली, "तुम्हारी आँखें बता रही हैं! तुम थोरी जल्दबाज़ी कर रहे हो….. तुम करीब हो ….पर अभी वहाँ पहुँचे नही …….क्या जल्दबाज़ी है?……ह्म्‍म्म्म…… आराम से मज़ा लो…….!" मुझ से नही
रहा गया, और मैं ने पूचछा, "नीतू भाभी, आप भी ग़ज़ब की हैं! …आपको कैसे पता चला कि मैं अभी तक वहाँ पहुँचा नही?" मुझे सच में लग रहा था कि अब किसी भी वक़्त मेरा लौदा फुहारा खोल देगा. भाभी मुस्करती हुई बोली, "तज़ुर्बे से
कह रही हूँ, मेरे भोले राजा!…… तुम्हारी आँखों मे सॉफ है……थोरा रूको……आराम से मज़ा लो!"
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