RE: अन्तर्वासना सेक्स कहानियाँ नीतू भाभी का कामशास्त्र
वो मेरे चेहरे को देखती रही, आँख में आँख मिलाकर, जैसे मुझे और मेरे लौदे का टेस्ट ले रही हो. फिर मेरे गाल को सहलाते हुए, वो मेरे माथे पर प्यार से चूमने लगी, और फिर मेरी तरफ देखते हुए कहा, "ठीक से मज़्ज़े करो… आराम से….आहिस्ते आहिस्ते…. हम वहाँ आराम से पहुँच जाएँगे …….कोई जल्दबाज़ी नही!" वो अपने सर को अब उठाकर, अपनी पीठ को फिर सीधा कर, चुचियों को मस्ती से उपर उठाकर, मेरी तरफ देखी और मुस्कुरकर पूछि, `तैयार हो?!!"
मैं ने सर हिलाकर "हां" कहा.
"फिर आ जाओ, मेरे राजा!" उन्होने अपने चूतड़ को उपर उठाया, फिर नीचे किया. फिर उपर. "देखो ….आहिस्ते से..आहिस्ते." फिर नीचे. मेरी तरफ देखती रही. "सुनो, मेरी तरफ देखते रहो….मेरी आँखों में!" अब उनकी कमर एक नये अंदाज़ में लचाकने लगी, बहुत ही धीरे, पर चक्की की तरह. वो मुझे समझाती रही, " चुदाई का मज़ा सिर्फ़ बुर में लंड डालने में नही है….. ह्म … वो और बहुत कुच्छ है! ….. कहते हैं कि संभोग ही समाधि भी है…..हन्न्न…. इस मज़ा में हमें वो एहसास होता है जो हम और किसी भी तरह से नही जान सकते….एम्म्म …. अपने जिस्म से दूर, अपने दिमाग़ से दूर ……ह्म्म्म्मम. …… मेरी तरफ देखते रहो, मेरी आँखों में. ……तुम्हारी आँखों से मुझे पता लग जाएगा कि तुम अभी बिल्कुल तैयार हो की नही……..ह्म्म्म्मम……..इसी तरह"
उनकी गीली चूत मेरे लौदे को चूस रही थी और वो मेरी आँखों मे अपनी आँखें डाले हुए मुझे चोद क्या रही थी, जन्नत का नज़ारा दिखा रही थी. कुच्छ ही देर में फिर से मेरे लौदे में सिहरन होने लगी और मेरे मुँह से "अर्घ" आवाज़ आने लगी, पर भाभी ने मुझ से कहा, `मेरी तरफ देखते रहो, मेरे राजा!….. चोदते हुए आँख नही चुराते!!" मेरी आँखें खुल गयी और वो मुझसे आँखें मिलाते हुए बोली, " अब तुम बहुत करीब आ गये हो ….मेरे बर में तुम्हारे लंड की गर्मी बता रही है……पर बिल्कुल तैयार तुम अभी भी नही हो. सोचना बिल्कुल छ्चोड़ो …… सिर्फ़ मज़ा लो. …..सिर्फ़ मेरे बुर की चाल को महसूस करो…..हाआंन्ननननणणन्" वो थोरी रुकी, और मुझे देखती रही, देखती रही, और बुर को आधे लौदे तक उठाकर, फिर रुकी, और तब धीरे से चूतड़ नीचे करके बुर के बिल्कुल अंदर मेरे लौदे को ले लिया. वो 2-3 बार फिर उपर नीचे अपने चूतड़ को घुमाती रही, फिर उसी तरह से आगे पीछे, आगे पीछे, और तब आधे लौदे तक फिर उठाकर मुझसे प्यार से कहा," सिर्फ़ मज़ा लो…… कुच्छ भी सोचो मत इस वक़्त…….सिर्फ़ मज़ा…. हायेयियी!"
इसी तरह नीतू भाभी बार बार अपनी चूतड़ की चक्की चलाती रही, और मेरा लौदा उनकी बुर में कोई गरम लोहे के हथौरे की तरह जमा रहा. उसकी सख्ती से अब मुझे मुझे ऐसी परेशानी हो रही थी कि लगता नही था कि अब 10 सेकेंड भी अपने
आपको रोक सकूँगा, पर मस्ती ऐसी थी कि किसी भी हालत में अपने आपको काबू में रखना ही था. वो अब रुकी, चूतड़ को मेरे लौदे के सूपदे के टिप तक उपर उठाया, और फिरे आहिस्ते, रगड़ते हुए मेरे पूरे लॉड को अपनी बुर में निगलती गयी. बोलती रही, " चुदाई का मज़ा तभी है जब और कोई ख्याल नही हो
….हान्णन्न् ….कोई और ख्याल नही…….सिर्फ़ सख़्त लौदे की गर्मी, सिर्फ़ बुर की प्यास …..हमम्म्म…." अब वो उपर उठ रही थी, धीरे, बहुत धीरे से, और बुर सिकुर रही थी, मेरे लौदा को जैसे किसी बच्चे का हाथ मुथि में पकड़ रहा हो…पकड़ लिया
हो…और छ्चोड़े ही ना. " मैं तुम्हारे चेहरे पर मस्ती देखना चाहती हूँ, …सिर्फ़ मस्ती…….मज़े का नशा!"
उनकी चूत मेरे लौदे को इसी तरह से जकड़े हुए रही, और वो मेरी आँखों में देखती रही. उनकी चूत लौदे को दबाती जा रही थी, दबाती जा रही थी. मेरे होश उड़ रहे थे, लौदे की हालत क्या बताउ, और मैं ने अपनी कमर को थोरे उठाने की कोशिश की जिस से कि लौदा उनकी चूत में कुच्छ और अंदर जा सके, कुच्छ इधर
उधर घूमे. उन्होने मुझे यह करते देख, अपनी चूत को सिकुरना बंद कर दिया, और धीरे से मुस्कुराने लगी. मैं फिर से पहले की तरह लेटा रहा. मेरे रुक जाने के बाद अब नीतू भाभी ने फिर अपनी चूत को सिकुरना शुरू किया. मस्ती के मारे मेरे
मुँह से सिसकारी निकल रही थी…."ऊऊऊहह……..म्म्म्मममममम". इस बार मैं भी उनकी आँखों में उसी तरह से देखने लगा जैसे वो देखती रही थी. वो फिर चूत को सिकुरने लगी, उसी तरह से, और मैं ने कहा, "ह्बीयेयन्न्न्न्न," और वो मुस्कुराते हुए मुझे देखी. उनके आँखों में अब कुच्छ शरारत थी. बोली, " मेरी तरफ देखते रहो!……….आँख नही मूंदना!"
उनकी चूत मेरे लौदे को रगड़ती रही, और दबाती रही. फिर वो अपनी चूतड़ को उठाई, बिल्कुल मेरे लौदे के सूपदे के उपर तक, और मेरे कान में फुसफुसाई," अब मेरी तरफ देखते रहो, …. महसूस करो कि मेरी चूत तुम्हारे लौदे को किस तरह
मज़ा देती है!" अपने चूतड़ को अब नीचे करने लगी, पर बहुत ही धीरे धीरे, और साथ ही कमर को घुमाती रही, आधा घुमान एक तरफ, फिर आधा घूमन दूसरी तरफ, धीरे……धीरे. उनकी रफ़्तार बस ऐसी थी कि मेरा लौदा काबू में रह सके, पर बस उतना ही. बिल्कुल धीरे नही! पर ऐसे कुच्छ ही नाज़ुक थाप के बाद, उन्होने देखा होगा कि मैं उनके चेहरे पर गौर कर रहा था, और मैं समझने लगा कि अगर मैं इसी तरह भाभी को देखता रहूं, सिर्फ़ उनके चूत के कमाल पर गौर करता रहूं, तो अपने लौदे को काबू में ना रखने का डर अपने आप ख़तम हो जाएगा. बस भाभी ने 2-3 और थाप दिए, और मुझे लगा कि दुनिया में और कुच्छ भी नही, उनकी आँखें की शरारत और चमक, और मेरे लौदे के उपर हौले-हौले नाचती हुई उनकी चूत! मैं अपने चेहरे पर की मुस्कुराहट को चाह कर भी नही रोक सकता था…सारी दुनिया मेरेलिए दूर जा रही थी….बस भाभी की आँखें, और उनके चूत के गहराई में जाता और फिर निकलता मेरा लौदा.
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