RE: अन्तर्वासना सेक्स कहानियाँ नीतू भाभी का कामशास्त्र
अब तो मस्ती ऐसी कि मुझ से सहा नही जा रहा था. अभी तक मैं ने इतने देर तक कभी भी अपने आप को काबू मे नही रख पाया था, ऐसी मस्ती का तो कभी अंदाज़ा भी नही किया था. अब मुझे समझ मे आने लगा कि नीतू भाभी मूज़े क्या सीखाना चाहती हैं. उनकी चूत का हर बार लौदे के उपर आना, और हर बार लौदे को बिल्कुल चूत के गहराई तक लेना, उनका हर ताप मुझे नशे से झकझोड़ देता था.
मेरे होंठ सूख रहे थे. बिल्कुल सूख गये थे. हमारी आँखें अभी भी मिली थी. मैं ने धीरे से कहा, `भाभी…..थोरा आहिस्ते!"
भाभी के भौंह थोरे उपर उठे, और उनकी मुस्कुराहट में अब एक हूर या अप्सरा की सी मादकता थी. वो कुच्छ रुकी, अपनी कमर को सीधा करते आधे लौदे तक चूत को उठाया, मुझे शरारत और प्यार से देखा, और फिर कुच्छ और धीरे से अपनी चक्की चलाने लगी, धीरे, ….धीरे, …..और धीरे से. उनके चेहरे पर मुस्कुराहट बनी रही. उन्होने फिर अपने चूतड़ को उपर उठाया, बिल्कुल सूपदे के नोक तक, नोक को थोडा अपने चूत के पट्टियों से रगड़ दिया, और फिर अपने पुरानी रफ़्तार से चक्की चल पड़ी. उनकी आँखें मुझसे बातें करती दिखी. कह रही थी: "अब समझे, मज़े कैसे किए जाते हैं!" उनकी चूत जब नीचे मेरे लौदे के जड़ तक आती थी तो वो अपने चूत से लौदे को चारो तरफ घूमाकर रगड़ती थी, पर जब उपर उठती तो अपनी चूत से लौदे को इस तरह जाकड़ लेती की मेरे लौदे को खींचती जाए और छ्चोड़े ही नही. पूरी गहराई तक लौदे को लेती थी, फिर सूपदे के नोक तक उठा लेती थी. मेरी हालत देख कर उनकी मुस्कुराहट रुकती ही नही थी. उनकी चूत मेरे लौदे को निचोड़ती जा रही थी, और उनकी मुस्कुराहट, उनके आँखों की शरारत, मेरे दिमाग़ से हर ख्याल को निचोड़ कर कहीं बाहर फेक चुकी थी. उनका हर थाप लगता था कि एक नयी तरह की मस्ती लाता था, हर थाप में एक नयापन. जैसे समुद्रा के बीच पर हर लहर का अपना ही नयापन होता है, नीतू भाभी की चूत में मेरा लोहे सा तप्ता हुआ लौदा उनकी चुदाई के हर एक लहर का नयापन, हर एक लहर की अपनी ख़ास मस्ती से जन्नत का मज़ा ले रहा था. उनकी रफ़्तार अब कुच्छ बढ़ गयी, वो मुझे गौर से देख रही थी, और मेरा लौदा चूत के अंदर और अकड़ गया, और लगा कि उनकी आँखों ने मुझे कहा हो कि उसे अच्छी तरह से महसूस कर रही हैं….फिर उन्होने आँखों से ही पूचछा कि क्या मैं अब झरने वाला हूँ.
मैं ने धीरे से कहा, "नाहह….अभी नही!"
उनके चेहरे पर खिलकर हँसी आ गई, चुदाई मे लड़कियों की अपनी ख़ास, शरारती हँसी, वो खुशी से बोली, "हान्न्न!" अब मुझे समझ मे आने लगा कि यह भी बहुत ज़रूरी सीख नीतू भाभी ने अभी दी है कि चुदाई में बातें आँखों
से ही होती हैं …..चुदाई का असली मज़ा तभी है जब आँख में आँख बिल्कुल लीन हो जाए! सब से बड़ी बात तो यह कि दुनिया के सभी ख्याल छ्चोड़कर मज़े को पहचाने, उसको समझे, उसको आराम से महसूस करना सीखें. उनके चूत की गहराई में गिरफ़्त मेरा लौदा फिर एक बार ज़ोर्से थिरकने लगा. नीतू भाभी मेरी आँखों में देखकर मुस्कुराने लगी, और इशारे से बताया की ठीक है, वो समझ रही हैं कि मेरी मस्ती किस लेवेल पर पहुँच रही है. अब हम दोनो एक दूसरे के आँखों से ही बातें कर रहे थे, एक दूसरे को बिल्कुल अच्छी तरह से समझ
रहे थे. दो जिस्म, पर ऐसी मस्ती की चुदाई मे दोनो एक होते जा रहे थे!
मेरा लौदा फिर काबू के बाहर होने लगा. ऐसा लगने लगा कि अब और नही रोक पाउन्गा अपने आप को. फिर भी मैं ने कोशिश की, अपने मुँह को सख्ती से बंद किया, दाँत पर दाँत बिठाया, और भाभी की कमर को ज़ोर्से पकड़ने की कोशिश की. भाभी ने मुझे अपने आपको झरने से रोकते हुए देखकर, फिर अपनी मादक अंदाज़ मे मुस्कुराइ, और उनकी आँखें मे उनकी समझदारी, नशा और थोरा थोरा छिनल्पन की मिली-जुली नज़र मुझे तो एक दूसरी दुनिया में ले जा रही थी. मेरी गर्दन कड़ी हो रही थी, और जब भाभी को यह एहसास हो गया कि मैं भी इतनी आसानी से हार नही माननेवाला हूँ, तो उनकी आँखें चमकने लगी, और अब हम दोनो अपनी अलग अलग प्यास को छ्चोड़कर आगे बढ़ चुके थे….हमारी प्यास अब एक हो गयी थी. मेरे चेहरे पर भी अब एक चोदु की मुस्कुरात थी, जैसे कोई पहलवान कुश्ती के मुक़ाबले में दूसरे को चुनौती दे रहा हो, " आ जाओ…,. देखें कि कितनी ताक़त है तुम में."
मैं ने अब अपने पेट को सटका कर बिल्कुल अंदर कर लिया, साँस रोक ली, और पेट को उसी तरह सटा रखा: मेरा लौदा और भी कड़क गया चूत के अंदर, लोहार के हथौरे की तरह गरम और सख़्त, और जैसे ही नीतू भाभी ने महसूस किया कि मेरा लौदा अकड़ने लगा है, पर अभी भी काबू में है, उनकी मुस्कुराहट हँसी मे बदल गयी. कमरे में तो अंधेरा था, पर उस चाँदनी रात की रोशनी में, उनके दाँत खिल रहे थे. चुचियों पर झूलता हुआ उनका "मंगलसूत्रा" चमक रहा था. अब उनकी चूत अच्छी रफ़्तार में चक्की चलाते जा रही थी, उपर से नीचे, नीचे से उपर, और मेरे मुँह से "अहह," सिर्फ़ आहें. कुच्छ मुस्कुराते हुए, कुच्छ शरारती अंदाज़ में, अब उन्होने पूचछा, "क्यूँ…. अब मज़ा आ रहा है? …ह्म?"
"हाआअन्णन्न्… ……!!!!!….ह्म्म्म्मम…….और आपको?!!!"
"हाआंणन्न्….. ….. पूच्छो मत!!! ………… असली चुदाई का मज़ा!!!….. ह्म्म्म्मम!"
इस लम्हे मे लगा कि वाक़ई हम दोनो एक हो गये हैं, हमारे बदन जुड़े हुए थे, हमारी ख्वाहिश एक थी, एक ही प्यास. हमारे आँखों में एक ही चाह थी! नीतू भाभी ने अब अपने मुँह में दाँतों को कड़ा कर लिया और लौदे को चूत के बिल्कुल अंदर दबोच लिया, उनकी जंघें मेरे कमर को बिल्कुल जाकड़ चुकी थी. उनकी आँखें बता रही थी की उनको महसूस हो रहा है कि झरने से पहले मेरा लौदा अब बिल्कुल फूल कर तैयार है, सख़्त, बिल्कुल अकड़ कर उनके बच्चेदनि के मुँह पर सूपड़ा
तैयार है फुहारा छ्चोड़ने के लिए. मेरे मुँह से "आअरर्रघह" की आवाज़ निकली और मेरा लौदा झरने लगा, और भाभी की थाप अब चक्की नही, बिल्कुल सीधी और आहिस्ते हो गयी, सूपदे से लेकर जड़ तक, फिर जड़ से सूपड़ा तक. मई झाड़ता गया, झाड़ता गया,….नीतू भाभी की चूत भरती गयी, और नीतू भाभी मेरी तरफ मुस्कुराते हुए अपने रस भरी चूत से मुझे निचोड़ती रही, निचोड़ती रही, बार बार. लग रहा था जैसे मेरे अंदर अब एक भी बूँद नही बचेगी, भाभी की चूत हर बूँद को निचोड़ कर छ्चोड़ेगी. मेरी आँखें बंद हो गयी थी, मेरा लौदा फूला हुआ तो अभी भी था, पर उसकी गर्मी अब भाभी की चूत में कुच्छ कम होती जा रही थी….भाभी अभी भी आहिस्ते से, हौले हौले उसको निचोड़ रही थी.
"आआआहह…..," बस मैं इतना ही कह पाया. लगा जैसे मुझ में एक भी बूँद नही बची है, जैसे मेरे बदन में एक हड्डी नही, दिमाग़ में एक भी ख्याल नही. बिल्कुल खलाश. …..और नीतू भाभी के सिखाए हुए चुदाई के मस्ती
का एहसास!
उस रात मैं नीतू भाभी को देखता रहा. हम एक पार्टी से अभी लौटे थे. रात काफ़ी हो रही थी. भाभी की सहेली के घर एक बच्चे के बिर्थडे के मौके पर उनके जान-पहचान के कुच्छ दोस्तों की पार्टी थी. कुच्छ अकेले मर्द, कुच्छ अकेली औरतें, और कुच्छ कपल्स. सभी कोई आछे नौकरियों में थे. भाभी ने उन सभी लोगों से मेरा परिचय कराया. उन लोगों से मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई. और वे लोग
भी मुझसे बहुत प्यार से मिले.
पार्टी से लौटने के बाद भाभी अपने कपड़े उतार रही थी. अपनी खूबसूरत रेशमी सारी को उन्होने उतार कर ठीक से अलमारी में रखा. फिर अपने रेशमी ब्लाउस को. अब वो सिर्फ़ अपनी ब्रा और पेटिकोट मे. पार्टी वाला मेक-अप, बेहद सुंदर जोड़ा, मन
को बिल्कुल मोहने वाला टीका, लिपस्टिक, और बेली के माला के साथ बँधा हुआ जूड़ा.
मेरा लौदा कसक रहा था. मैं ने कपड़े पहले ही उतार लिए थे, और सिर्फ़ अपने अंडरवेर मे था. पार्टी मे 6-7 बहुत खूबसूरत औरतें थी, और भाभी की एक सहेली तो मुझे बहुत ही नमकीन लगी थी, पर उन सारी औरतों में मेरी नीतू भाभी किसी से कम नही लगी. भाभी अभी पार्टी की बात कर रही थी. अब अपनी अच्छी वाली लेस ब्रा के हुक्स को अपने हाथ पीछे कर के खोल रही थी. जैसे ही हुक्स खुले, उनकी मस्ती भरी चुचियाँ आज़ाद होकर खिलने लगी, और अब मैं अपने आपको काबू मे नही रख सका. कमरे में सिर्फ़ बेडसाइड लॅंप जल रही थी, मैं ने जाकर
उसको बंद कर दिया, और सिर्फ़ खिड़कियों से आती रोशनी में उनको देखता रहा.
भाभी अचानक लाइट बंद हो जाने कुच्छ चौंकी, पर तब तक मैं उनकी चुचियों के पास अपने मुँह को नीचा करके एक निपल को मुँह मे लेकर चाटने लगा. दूसरा निपल मेरे हाथ में, उसको सहला रहा था, धीरे धीरे मसल रहा था. दोनो निपल्स को मैं बारी बारी चूसने लगा.
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